विकास कार्यों के लिए धन की कोई कमी नहीः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अल्मोड़ा में 327 करोड़ की लागत से निर्मित होने वाले सोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान और शोध संस्थान (मेडिकल कालेज) का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने मेडिकल कालेज के अवशेष निर्माण कार्यों को यथाशीध्र पूर्ण करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि एमसीआई की टीम द्वारा मेडिकल कालेज के निरीक्षण से पूर्व जो अवशेष कार्य एवं उपकरण आदि क्रय किये जाने हैं उन्हें यथाशीघ्र क्रय करना सुनिश्चित किया जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि शीघ्र ही मेडिकल कालेज में फैकल्टी की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी। मुख्यमंत्री ने निरीक्षण के दौरान मेडिकल कालेज के फिजियोलॉजी कक्ष, एनाटोमी कक्ष, सर्वर कक्ष, हिस्ट्री कक्ष सहित अन्य कक्षों का निरीक्षण कर इससे जुड़े अधिकारियां एवं कार्यदायी संस्थओं को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।
चिकित्सा शिक्षा निदेशक डाॅ. वाईके पंत ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि इस परियोजना की कुल लागत 327 करोड़ रू0 स्वीकृत है जिसमे प्रथम एलओपी के निर्माण हेतु स्वीकृत धनराशि कुल 216.77 करोड़ रू0 है। वर्तमान तक कार्यदायी संस्था को 215 करोड़ रू0 अवमुक्त किये जा चुके हैं तथा निर्माण कार्य प्रगति पर हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जनपद अल्मोड़ा के लिये कुल 9902.52 लाख रू0 की विकास योजनाओं का शिलान्यास एवं लोकापर्ण भी किया। जिसमें 6181.73 लाख रू0 की विकास योजनाओं का लोकार्पण तथा 3720.79 लाख रू0 की विकास योजनाओं का शिलान्यास शामिल है। इन योजनाओं में प्रमुख रूप से शिक्षा, पुलिस, लोक निर्माण विभाग, चिकित्सा, रेशम विभाग की योजनायें सम्मलित हैं।
इस अवसर पर प्रभारी मंत्री डाॅ. हरक सिहं रावत, सांसद अजय टम्टा, विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चैहान, कापरैटिव बैंक के अध्यक्ष ललित सिंह लटवाल, आयुक्त कुमाऊ मण्डल राजीव रौतेला, डीआईजी जगत राम जोशी आदि उपस्थित थे।

23 विकास योजनाओं की मुख्यमंत्री ने की घोषणा
वहीं, अल्मोड़ा में सम्पन्न हुई कैबिनेट बैठक के उपरान्त मुख्यमंत्री ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए अल्मोड़ा जनपद के विकास से सम्बन्धित 23 विकास योजनाओं की घोषणा की। इन सभी योजनाओं का निर्माण मुख्यमंत्री घोषणा के तहत किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की, कि पवित्र जागेश्वर धाम में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लान्ट (एसटीपी) का निर्माण किया जायेगा।
मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं में अल्मोडा पेयजल योजना के भाग-1 का सुदृृढीकरण कार्य, कटारमल पम्पिंग पेयजल योजना का निर्माण किया जायेगा, अल्मोड़ा सीवरेज जोन-3 योजना का निर्माण का निर्माण कार्य किया जायेगा, अल्मोड़ा शहर मंे बाजार का सौन्दर्यीकरण किया जायेगा, होटल मैनेजमैन्ट संस्थान अल्मोड़ा का सुदृृढीकरण एवं आधुनीकीकरण किया जायेगा, सिमतौला ईकों पार्क में ईकों टूरिज्म की गीत विधियों को बढ़ावा दिया जायेगा, जनपद अल्मोड़ा के अन्तर्गत डयोलीडाना में बैडमिन्टन हाॅल का निर्माण किया जायेगा, स्पोर्टस स्टेडियम में अवस्थापना सुविधाओं को सुदृृढ किया जायेगा, जनपद के 100 विद्यालयांे में ई लर्निंग सुविधा हेतु रू0 1.00 लाख प्रति विद्यालय की दर से धनराशि दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने ताड़ीखेत में स्थापित गांधी कुटीर के जीर्णोद्वार एवं हाल का निर्माण, नगर पालिका परिषद रानीखेत चिलियानौला के कार्यालय भवन की स्थापना, ताड़ीखेत में मिनी स्टेडियम की स्थापना, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लमगड़ा में भवन का निर्माण, कसारदेवी में स्प्रिीचुअल इकोनाॅमी जोन बनाये जाने, 200 आंगनवाडी केन्द्रों की स्थापना, शीतलाखेत महाविद्यालय एवं लमगड़ा महाविद्यालय के भवनों का निर्माण कार्य किये जाने की घोषणा शामिल है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा जनपद चम्पावत के विकास से सम्बन्धित 51, पिथौरागढ़ के लिये 22, बागेश्वर के लिये 7, नैनीताल के लिये 25 जबकि उधम सिंह नगर से सम्बन्धित 9 घोषणाये की गई।

हिन्डन एयरपोर्ट से मुख्यमंत्री ने किया गाजियाबाद से पिथौरागढ़ हवाई सेवा का शुभारंभ

उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थानों को हवाई कनेक्टिविटी से जोड़ने के प्रयासों में एक और सफलता मिली है। गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरपोर्ट से पिथौरागढ़ के लिए नियमित हवाई सेवा प्रारम्भ कर दी गई है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हिन्डन एयरपोर्ट पर आयोजित संक्षिप्त कार्यक्रम में हिन्डन- पिथौरागढ़ -हिन्डन हवाई सेवा का औपचारिक शुभारम्भ किया।

हेरिटेज एविएशन कम्पनी का 9-सीटर विमान, सप्ताह में 6 दिन (गुरूवार को छोड़कर) उड़ान भरेगा। प्रतिदिन पिथौरागढ़ से सुबह 11.30 बजे प्रस्थान कर विमान 12.30 बजे हिंडन एयरपोर्ट पहुंचेगा। जबकि हिंडन एयरपोर्ट से अपराह्न 1 बजे प्रस्थान कर अपराह्न 2 बजे विमान पिथौरागढ़ पहुंचेगा।

गाजियाबाद से पिथौरागढ़ के लिए हवाई सेवा शुरू होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि इससे प्रदेश के पिथौरागढ़ के अलावा अल्मोड़ा, चम्पावत, बागेश्वर से देश की राजधानी तक पहुंचने में समय की काफी बचत होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली से पिथौरागढ़ तक सड़क मार्ग से जाने में काफी समय लगता था, जो मंहगा भी था। इस हवाई सेवा के शुरू होने से जहां लोगों के समय की बचत होगी, वहीं आर्थिक दृष्टि से भी लोगों को फायदा होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिथौरागढ़, सीमान्त जनपद होने के कारण यह हवाई सेवा सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। उत्तराखण्ड, आपदा की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है। कई बार गम्भीर स्थिति होने के कारण मरीजों को हायर सेंटर रैफर करना होता है। कम समय में दूरस्थ क्षेत्रों से हायर सेंटर तक पहुंचाने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में हवाई सेवाएं बहुत जरूरी हैं। कैलाश मानसरोवर जाने वाले यात्रियों को भी इस हवाई सेवा से लाभ मिलेगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पिथौरागढ़ में एक ट्यूलिप गार्डन बनाया जा रहा है। ट्यूलिप गार्डन बनाने का मुख्य उद्देश्य है कि राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय पर्यटक यहां आयें और यहां के प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द भी ले सकें। पर्वतारोहण के लिए पिथौरागढ़ आने वाले पर्यटकों को भी इस हवाई सेवा के शुभारम्भ होने से आसानी होगी।

उत्तराखण्ड में पिछले कुछ वर्षों से हवाई कनेक्टिविटी का विस्तार किया गया है। जौलीग्रांट एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया जा रहा है। हाल ही में मुम्बई-देहरादून-वाराणसी हवाई सेवा शुरू की गई है। देहरादून को मुम्बई, वाराणसी, जम्मू, लखनऊ, हैदराबाद, पटना, रायपुर, बंगलौर, दिल्ली, कलकत्ता, अमृतसर, जयपुर गुवाहाटी सहित दर्जनों शहरों से जोड़ा जा चुका है। टिहरी झील में सी-प्लेन के लिए एमओयू किया जा चुका है। देहरादून से पंतनगर व पिथौरागढ़ के लिए भी हवाई सेवा संचालित की जा रही है।

दंबग मंत्री को राहत, सरकार ने मुकदमें वापस लिए

उत्त्राखंड के तराई क्षेत्र हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर में भाजपा के दो बड़े नेताओं का अच्छा खासा प्रभाव है। जिनमें मदन कौशिक और अरविन्द पाण्डेय का नाम शामिल है। अरविन्द पाण्डेय इस बार पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाये गये है। लेकिन अकसर चर्चाओं में रहने वाले अरविन्द पाण्डेय के पास जनसमुदाय की अच्छी पकड़ है। इसी के चलते वे राज्य गठन के बाद से ही लगातार जीत रहे है। एक बार तो वह अपनी सीट भी बदल चुके है। इसी के चलते राज्य सरकार भी अपने दंबग मंत्री के बचाव में रही है।
ताजा मामला है कि प्रदेश सरकार ने शिक्षा एंव खेल मंत्री अरविंद पांडेय व अन्य पर वर्ष 2015 में नायब तहसीलदार से मारपीट के आरोप में दर्ज मुकदमा समेत चार मुकदमे वापस ले लिए हैं। शासन ने उनपर दर्ज इस मुकदमे के साथ ही सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने व शांति भंग आदि की धाराओं में दर्ज तीन अन्य और मुकदमे वापस लेने की संस्तुति की है। ये मुकदमे 2012 के बाद दर्ज किए गए थे।
इसी वर्ष कुंडेश्वरी थाने में दर्ज मुकदमे समेत पुराने अन्य मुकदमों पर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया गया है। कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय पर विभिन्न थानों में तकरीबन एक दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। आरोप था कि दिनेशपुर में नायाब तहसीलदार का वाहन रोक तत्कालीन गदरपुर विधायक अरविंद पांडेय और उनके समर्थकों ने मारपीट की। इस मामले में 15 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।

पति को मां को एक ही बेड पर देख दंग रह गई बेटी, पहुंची थाने

पति और पत्नी के बीच ‘वो’ यानी दूसरी महिला के आने पर काफी बहस होती है और कई विवाद जन्म लेते है। मगर, जब वो दूसरी महिला पत्नी की मां ही हो, तो ऐसे में दंग रहना लाजिमी है। उत्तराखंड के रुद्रपुर ट्रांजिट कैंप थाना क्षेत्र निवासी एक महिला ने अपनी मां और पति के बीच अवैध संबंध होने का आरोप लगाकर पुलिस को तहरीर दी है। महिला ने पति और मां पर उसे मारपीट कर घर से निकालने का भी आरोप लगाया है। तहरीर मिलते ही पुलिस तहकीकात में लग गई है।

बेटी के इस आरोप पर पुलिस भी सन्न है। पुलिस को दी तहरीर में ट्रांजिट कैंप निवासी पीड़ित महिला ने कहा कि 13 वर्ष पहले उसका विवाह हुआ था। विवाह के कुछ समय तक सब कुछ ठीक चला, लेकिन कुछ समय बाद ही उसकी मां उसके पास आकर रहने लगी।

इस दौरान पति का उसके प्रति व्यवहार बदलने लगा। बात-बात पर पति उससे मारपीट करता और अधिकतर समय उसकी मां के साथ रहता था। शक होने पर जब उसने मां और पति पर नजर रखनी शुरू की तो उसे दोनों के बीच अवैध संबंधों का पता चला।

आरोप है कि जब उसने पति को समझाने का प्रयास किया तो पति ने उसे ही पीट दिया। वहीं समझाने पर मां भी उसकी दुश्मन बन गई और पति को भड़काकर घर के ही दूसरे कमरे में रहने का फरमान सुना दिया। बीते बुधवार रात जब उसने पति और मां को आपत्तिजनक हालत में देख विरोध किया तो दोनों ने उसे पीटकर घर से निकाल दिया।

गलोबल वार्मिंग से बचना है तो अधिक से अधिक पेड़ लगाएंः रमेश भटट

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भटट ने भीमताल के ऐतिहासिक हरेला पर्व में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज हरेला पर्व के रुप में हमें पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे गये हैं जिसे हम सब को मिलकर आगे बढ़ाना है। उन्होंने हरेला पर्व से जुड़ी अपने बचपन की यादें भी ताजा की। बतातें चले कि मीडिया सलाहकार रमेश भटट भी भीमताल के ही रहने वाले है।
भीमताल के हरेला पर्व में पहंुचने पर स्थानीय लोगों और आयोजकों ने मीडिया सलाहकार रमेश भटटक ा जोरदार स्वागत किया। स्थानीय लोगों का मानना है कि रमेश भटट को मुख्यमंत्री का मीडिया सलाहकार बनाने से भीमताल को एक नई पहचान मिली है। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहंुचे रमेश भटट ने सभी लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। हमारे संवाददाता से बातचीत में उन्होंने कहा कि अपने लोगों के बीच पहंुचना और उनसे बातें करने से ऊर्जा का संचार होता है। भीमताल उनका घर है वह हर किसी को पहचानते है। कार्यक्रम में उन्होंने हरेला पर्व की सभी को शुभकामनायें दी। कहा कि आज हमारी संस्कृति को नई पहचान मिली है। हरेला पर्व आज कई प्रदेशों में मनाया जाने लगा है। उत्तराखंड ने पूरे विश्व को सिखाया है कि पर्यावरण की सुरक्षा कैसे की जाती है।

मीडिया सलाहकार रमेश भटट ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हरेला पर्व के माध्यम से विलुप्त हो रही नदियां और सूख रहे प्राकृतिक स्रोतों को फिर से पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री का मानना है कि नदियों के किनारे और सूख रहे प्राकृतिक स्रोतों को वृहद पौधरोपण कर फिर से जीवित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज मुख्यमंत्री के इस अभियान को व्यापक समर्थन मिल रहा है। रमेश भटट ने सभी से अधिक से अधिक पौधें लगाकर उनका सवंर्धन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी को शुद्ध हवा व वातावरण मिल सके इसके लिए सबको वृक्षारोपण व पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि हरेला सुख-समृद्धि व जागरूकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी को अच्छा पर्यावरण मिले मिले इसके लिए हमें संकल्प लेना होगा।

मीडिया सलाहकार रमेश भटट ने कहा कि आज पूरा विश्व गलोबल वार्मिग की समस्या से जूझ रहा है। ऐसे में सभी की नजर वन आच्छादित उत्तराखंड में है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जैव विविधता वाला राज्य है। भारत की कुल जैव विविधता में 28 प्रतिशत योगदान उत्तराखण्ड का है। ईकोलॉजी को बचाने की उत्तराखण्ड पर बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि हमें अपने पूर्वजों की याद व बच्चों के जन्म व शादी पर वृक्षारोपण करने की पंरपरा को बनाये रखना होगा।

हरेला पर्व पर प्रदेश भर में वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया जा रहा है। इस बार हरेला पर्व पर 6.25 लाख पौधे लगाये जा रहे हैं। कार्यक्रम में उन्होंने सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की भी जानकारी दी और अधिक से अधिक लाभ उठाने को कहा। मीडिया सलाहकार रमेश भटट ने हरेला पर्व पर लगाई गई पांरपरिक स्टाॅलों का निरीक्षण भी किया। मौके पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। प्रतियोगिताओं में अव्वल आने पर उन्होंने कई बच्चों और छात्रों को सम्मानित भी किया।

उच्च शिक्षा मंत्री के बयान को ओछी मानसिकता करार दिया

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने एलएसएम पीजी कॉलेज पिथौरागढ़ के साथ ही प्रदेश के सभी डिग्री कॉलेजों के स्टूडेंट्स को जरूरत के अनुरूप किताबें उपलब्ध कराने का भरोसा दिया है। हल्द्वानी में मीडिया से रूबरू मंत्री ने कहा कि जिला मुख्यालय के एक-एक कॉलेज में ई-लाइब्रेरी खोली जाएगी। स्टूडेंट्स देश-दुनिया की किताबें ऑनलाइन पढ़ सकेंगे।
गौलापार उच्च शिक्षा निदेशालय में पत्रकारों ने उच्च शिक्षा राज्य मंत्री से पिथौरागढ़ कॉलेज में चल रहे छात्र आंदोलन पर सवाल पूछा। जवाब में मंत्री ने कहा, पिथौरागढ़ कॉलेज में किताबों की कमी नहीं है। छह हजार छात्रसंख्या वाले कॉलेज में 1.10 लाख किताबें हैं। एक स्टूडेंट्स पर औसतन 18 पुस्तकें हैं। कॉलेज में 102 प्रोफेसर हैं। प्रदेश के किसी कॉलेज में इतने प्रोफेसर नहीं हैं। पुराने पाठ्यक्रम की किताबों पर मंत्री बोले, किताबें कभी पुरानी नहीं होती। मंत्री ने कहा, इसके बावजूद स्टूडेंट्स को और जरूरत महसूस होती है तो किताबें उपलब्ध कराई जाएगी। पिथौरागढ़ कॉलेज में डिजिटल लाइब्रेरी खोलने के लिए जितनी राशि की आवश्यकता हुई, 15 अगस्त से पहले दी जाएगी। जरूरत होने पर शिक्षक भी दिए जाएंगे। प्रदेश में छह कॉलेजों में प्राचार्य के पद रिक्त हैं, जिन्हें जल्द भरा जाएगा। कॉलेजों में मैदान, शौचालय, लैब बनवाकर नैक के अनुरूप तैयार किया जाएगा।

वास्तविक स्टूडेंट्स को मिलेंगी किताबें
मंत्री ने कहा कि प्रदेश में 104 कॉलेज हैं। 57 कॉलेजों में रूसा के माध्यम से पुस्तकें देने समेत अन्य निर्माण कार्य हो रहे हैं। शेष कॉलेजों को 14 अगस्त तक पुस्तकों के लिए बजट दिया जाएगा। उन्होंने कहा, आइ कार्ड, 75 फीसद उपस्थिति वाले स्टूडेंट्स को ही किताबें दी जाएगी। राजनीति के लिए कॉलेज में दाखिला लेने वालों को किताबें नहीं मिलेंगी। गेस्ट फैकल्टी का कार्यकाल बढ़ेगा
मंत्री ने कहा, कॉलेजों में कार्यरत गेस्ट फैकल्टी का कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो गया है। इसे 11 माह के लिए बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोक सेवा आयोग से प्रोफेसरों की नियुक्ति जारी है। खाली पदों के भरने तक 25 हजार रुपये मासिक में अस्थायी असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति होंगे। नियुक्ति का अधिकार प्राचार्य को दिया जा रहा है। जरूरत पड़ने पर रिटायर्ड प्रोफेसर को बुलाया जाएगा।

दाखिले में लागू होगा सवर्ण आरक्षण
मंत्री ने कहा, कॉलेज प्रवेश में दस प्रतिशत सवर्ण आरक्षण का प्रावधान लागू होगा। जिन कॉलेजों की पहली सूची में सवर्ण आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया है, वहां बाद में आरक्षण के आधार पर सीटों की संख्या बढ़ाई जाएगी।

उच्च शिक्षा मंत्री के बयान को बताया ओछी मानसिकता
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के पिथौरागढ़ में छात्रों के आंदोलन की जांच कराने के बयान को ओछी मानसकिता बताया है। गुरुवार को वह गैरसैण जाते समय रामनगर में रुके थे। एक रेस्टोरेंट में पत्रकारों से मुखातिब रावत ने कहा कि उच्च शिक्षा मंत्री को किताबें और शिक्षक की व्यवस्था करनी चाहिए, लेकिन वह आंदोलन को बाहरी बताकर उसमें राजनीति की आशंका जता रहे हैं। यह उच्च शिक्षा मंत्री का ओछा व छोटा बयान है। पूर्व सीएम ने कहा कि गैरसैंण में राजधानी की मांग के लिए धरना दे रहे पैंतीस आंदोलनकारियों पर सरकार ने मुकदमें करा दिए। आंदोलनकारियों ने अपनी गिरफ्तारी दी है। वह भी शुक्रवार को गैरसैंण पहुंचकर आंदोलनकारियों के समर्थन में अपनी गिरफ्तारी देंगे।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद कुंजवाल व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी एक दो दिन में गिरफ्तारी देने गैरसैंण जाएंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने कांग्रेस के गैरसैंण एजेंडे को ठप कर दिया। सचिवालय भवन सड़कें व आवासीय भवन का काम बंद है। कांग्रेस ने गैरसैंण में जमीन की खरीद फ रोख्त पर रोक लगाई थी। लेकिन भाजपा सरकार ने यह रोक हटा दी है। कहा कि कांग्रेस को। समस्याओं के लिए संघर्ष व लोंगों से संपर्क जीत दिलाएगा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए युवा चेहरा नहीं होने के सवाल पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की। कहा 20 जुलाई तक स्थिति साफ हो जाएगा।

फर्जी क्लेम पाने को प्राईवेट अस्पताल कर रहे सरकार से धोखाधड़ी

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में सूचीबद्ध प्राईवेट अस्पताल फर्जीवाड़े से बाज नही आ रहे है। फर्जी ढंग से क्लेम हड़पने की होड़ में सभी हदें पार कर सरकार के साथ धोखाधड़ी कर रहे है। नया मामला काशीपुर स्थित एमपी मेमोरियल अस्पताल से जुड़ा है।
जहां योजना में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां डिस्चार्ज होने के बाद भी मरीज कई-कई दिन तक अस्पताल में भर्ती दिखाए गए। इतना ही नहीं आइसीयू में भी क्षमता से अधिक रोगियों का उपचार दर्शाया गया है। ताज्जुब ये कि डायलिसिस एमबीबीएस डॉक्टर द्वारा किया जा रहा है। वह भी क्षमता से कई अधिक। फर्जीवाड़ा यहीं नहीं रुका। ऐसे भी प्रकरण हैं जहां बिना इलाज क्लेम प्राप्त किया गया है। जिसकी मरीज को भनक तक नहीं है।
यह सारी अनियमितताएं उजागर होने पर तमाम भुगतान पर रोक लगाते हुए अस्पताल की सूचीबद्धता तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दी गई है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी युगल किशोर पंत के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभिकरण के सिस्टम पर अस्पताल की लॉगइन आइडी भी ब्लॉक की गई है। वहीं, अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इसका उसे 15 दिन के भीतर जवाब देना होगा।

डिस्चार्ज होने के बाद भी रिकॉर्ड में भर्ती रहे मरीज
अस्पताल में एकाध नहीं कई स्तर पर गड़बडियां पकड़ में आई हैं। अभिलेखों के परीक्षण में 85 मामले ऐसे पाए गए हैं जिनमें मरीज जितने दिन वास्तव में अस्पताल में भर्ती रहे हैं, उससे ज्यादा दिनों के लिए मरीजों को अस्पताल में भर्ती दिखाकर अधिक धनराशि का क्लेम प्रस्तुत किया गया। 22 मामले ऐसे मिले जिनमें मरीज को डिस्चार्ज करने के बाद प्री-ऑथ इनीशियेट किया गया है।

दस बेड का आइसीयू, 20 मरीज भर्ती
अस्पताल में आइसीयू में उपचारित 263 मरीजों के भर्ती व डिस्चार्ज तिथि का अध्ययन करने पर चैंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। आइसीयू में दस बेड हैं, पर विभिन्न दिवसों पर 11 से 20 मरीजों तक का उपचार करना दिखाया गया है। उस पर आइसीयू में केवल अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के मरीज भर्ती दिखाए गए हैं। जबकि काशीपुर का क्षेत्र उप्र से लगा हुआ है और वहां से भी मरीज उपचार के लिए यहां आते हैं। ऐसे में इस बात पर भी संदेह जताया गया है कि योजना से इतर आइसीयू में किसी अन्य का उपचार ही नहीं किया गया।

क्षमता से कई अधिक डायलिसिस
अस्पताल में सबसे बड़ी खामी डायलिसिस को लेकर सामने आई है। यहां दो मरीजों की एक दिन में दो बार डायलिसिस होना दर्शाया गया है। जबकि ऐसा संभव नहीं है। तीन अक्टूबर 2018 से नौ जून 2019 तक यहां कुल 1773 डायलिसिस होना दर्शाया गया है। अस्पताल में पांच डायलिसिस मशीन हैं। जिनमें मानकों के अनुसार प्रति दिन दस मरीजों का ही डायलिसिस किया जा सकता है। पर डायलिसिस इससे कई अधिक दिखाए गए हैं।

एमबीबीएस कर रहे डायलिसिस, दर्शाया एमडी
अस्पताल में डायलिसिस कर रहे डॉक्टर न तो नेफ्रोलॉजिस्ट हैं, न एमडी और न इसके विशेषज्ञ हैं। यानी एक ऐसे व्यक्ति द्वारा डायलिसिस किया जा रहा है जो इसके योग्य ही नहीं हैं। अस्पताल ने सूचीबद्धता के अपने आवेदन में भी किसी नेफ्रोलॉजिस्ट का उल्लेख नहीं किया था। उक्त डॉक्टर को एमडी मेडिसिन दर्शाया गया है। जबकि उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल में वह केवल एमबीबीएस डॉक्टर के रूप में पंजीकृत हैं।

अनुबंध में पांच, नौ विशेषज्ञताओं में कर रहे इलाज
अस्पताल के अनुबंध में केवल जनरल मेडिसिन, स्त्री एवं प्रसूति रोग, हड्डी रोग, जनरल सर्जरी व नियोनेटोलॉजी का ही उल्लेख है। पर इन पांच विशेषज्ञता से अलग 29 अन्य मरीजों का उपचार भी यहां किया गया। जिनमें यूरोलॉजी, पीडियाट्रिक सर्जरी, पोलीट्रॉमा और प्लास्टिक व रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के मामले शामिल हैं।

सारे नियम किए दरकिनार
अस्पताल ने सूचीबद्धता के आवेदन में हॉस्पिटल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट कॉलम में एनए अंकित किया गया है। यानी हॉस्पिटल को चलाने के लिए प्रासंगिक कानूनध्नियम के अंतर्गत सर्टिफिकेट भी नहीं है। नेशनल काउंसिल फॉर क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट द्वारा तय न्यूनतम मानकों के अनुसार अस्पताल में प्रत्येक विशेषज्ञता के लिए न्यूनतम एक एमबीबीएस डॉक्टर 24 घंटे अस्पताल में उपलब्ध होना चाहिये। पर अस्पताल इस नियम का भी पालन नहीं कर रहा है।

सरकारी चिकित्सक भी दे रहे सेवा
अस्पताल में एक चिकित्सक डॉ. एके सिरोही द्वारा भी इलाज करना दर्शाया गया है। जबकि वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र महुआखेड़ागंज ऊधमसिंहनगर में पूर्णकालिक संविदा चिकित्सक हैं। इनका सूचीबद्धता के आवेदन में कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया था।

बिना इलाज ले लिया क्लेम
एमपी मेमोरियल अस्पताल में एक से बड़े एक फर्जीवाड़े अंजाम दिए गए हैं। अस्पताल ने एक मोहल्ले में स्वास्थ्य शिविर लगाया था। जहां लोगों को अल्ट्रासाउंड में छूट प्रदान की गई। इनमें एक महिला को दिक्कत बता भर्ती होने की सलाह दी गई। जहां उसकी फोटो खींचकर कुछ जांचें लिख दी गई और उसे घर भेज दिया। आयुष्मान कार्ड की फोटो खींचकर उसे वापस कर दिया गया। अगले दिन वह रिपोर्ट लेने आई तो कहा गया कि भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है। जबकि उसे एंट्रिक फीवर के इलाज के लिए इमरजेंसी में भर्ती दिखाया गया। गलत ढंग से उसका क्लेम प्रस्तुत किया गया।

पलायन आयोग की रिपोर्ट में खुलासा, अल्मोड़ा की रिपोर्ट से पलायन का सच आया सामने

उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों से मूलभूत सुविधाओं के अभाव से लोग पलायन कर रहे हैं। अल्मोड़ा जनपद में वर्ष 2001 से 2011 तक दस सालों में करीब 70 हजार लोग पैतृक गांव से पलायन कर गए। 646 पंचायतों से 16207 लोगों ने स्थायी रूप से गांव छोड़ दिया है। इसका खुलासा पलायन आयोग की रिपोर्ट में हुआ है।
सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सीएम आवास पर पलायन आयोग की दूसरी बैठक आयोजित की गई। इसमें मुख्यमंत्री ने अल्मोड़ा जनपद की पलायन रिपोर्ट का विमोचन किया। रिपोर्ट के अनुसार पिछले दस सालों में सल्ट, भिकियासैंण, चैखुटिया, स्याल्दे विकासखंड से सबसे ज्यादा लोगों ने पलायन किया है। इन ब्लाकों के कई गांवों में सड़क, पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य और आजीविका के साधन नहीं है, जिससे लोग जनपद मुख्यालय और प्रदेश के अन्य शहरी क्षेत्रों में जाकर बस गए हैं।
वर्ष 2001 से 2011 तक जनपद के 1022 ग्राम पंचायतों में 53611 लोगों ने पूर्ण रूप से पलायन नहीं किया है। ये लोग समय-समय पर अपने पैतृक गांव आते हैं। जबकि 646 पंचायतों में 16207 लोगों ने स्थायी रूप से पलायन किया है। अब इन लोगों के दोबारा वापस गांव लौटने की संभावनाएं नहीं हैं। आयोग की रिपोर्ट में कहा गया कि जनपद की 11 विकासखंडों से 7.13 प्रतिशत लोगों ने गांव के नजदीकी शहरी क्षेत्रों में पलायन किया है।
जबकि 13 प्रतिशत ने जनपद मुख्यालय, 32.37 प्रतिशत ने प्रदेश के अन्य जनपदों में, 47.08 प्रतिशत लोग राज्य से बाहर पलायन कर चुके हैं। देश से बाहर पलायन करने वाले की संख्या 0.43 प्रतिशत है। 2011 के बाद जनपद के 80 गांवों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में 50 प्रतिशत आबादी कम हुई है। वहीं, 63 गांवों में सड़क, 11 गांवों में बिजली, 34 गांवों में एक किलोमीटर के दायरे में पेयजल और 71 गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा न होने से 50 प्रतिशत आबादी घटी है।

रिपोर्ट पर एक नजर ….

– 2011 की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा की 6 लाख 22 हजार 506 आबादी
– 89 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है।
– 3189 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है अल्मोड़ा जनपद
– जनपद में रहने वाले परिवारों की संख्या एक लाख 40 हजार 577
– दस वर्षों में शहरी क्षेत्रों की आबादी में 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी

मुख्यमंत्री ने की देहरादून से काठगोदाम के बीच सुबह के समय एक ट्रेन चलाने की मांग

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल से भेंट कर टनकपुर-बागेश्वर रेल लाईन की स्वीकृति वर्तमान वित्तीय वर्ष 2019-20 में करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने दिल्ली व हल्द्वानी के मध्य एक विशेष रेलगाड़ी व देहरादून से काठगोदाम के लिए सुबह के समय एक शताब्दी या जनशताब्दी गाड़ी प्रारम्भ करने के साथ ही रूड़की-देवबंद परियोजना के अवशेष कार्यों का वित्त पोषण रेल मंत्रालय भारत सरकार से किए जाने का भी आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि टनकपुर-बागेश्वर नई रेल लाईन एक महत्वपूर्ण प्रस्तावित रेल परियोजना है। वर्तमान में टनकपुर तक रेल लाईन स्थापित है। परंतु कुमायूं मण्डल के अन्य जनपद पिथौरागढ़, बागेश्वर पूर्ण रूप से पर्वतीय होने के कारण यहां आवागमन कठिन है। इस क्षेत्र के सामाजिक व आर्थिक विकास की प्रक्रिया को तेज करने, पर्यटक स्थलों का विकास करने व स्थानीय संसाधनों के समुचित उपयोग करने के लिए टनकपुर-बागेश्वर रेल परियोजना अति आवश्यक है। राज्य की सीमाएं नेपाल व चीन से लगी होने के कारण इसका सामरिक महत्व भी है। मुख्यमंत्री ने रेल मंत्री से टनकपुर-बागेश्वर रेल लाईन की स्वीकृति इसी वित्तीय वर्ष 2019-20 में किए जाने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय रेल मंत्री को अवगत कराया कि देहरादून व कुमायूं क्षेत्र जिसका अंतिम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है के मध्य वर्तमान में सुबह व दोपहर के समय कोई भी सीधी रेल सेवा नहीं है। देहरादून व कुमायूं के मध्य काफी संख्या में पर्यटकों व यात्रियों की आवाजाही रहती है। सुबह के समय कोई रेलगाड़ी न होने के कारण लोगों को शाम तक इंतजार करना पड़ता है। इसलिए जनता के हित में देहरादून से हल्द्वानी/काठगोदाम के मध्य सुबह 5 से 6 बजे के बीच एक शताब्दी या जनशताब्दी गाड़ी की सेवा तुरंत प्रारम्भ की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में दिल्ली से हल्द्वानी के मध्य रेलगाड़ियों की संख्या यात्रियों व पर्यटकों के दृष्टिगत काफी कम है। इसलिए दिल्ली व हल्द्वानी के मध्य एक विशेष रेलगाड़ी की सेवा प्रारम्भ की जाए तो इससे पर्यटकों को भी काफी सुविधा होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2018 में रेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा रूड़की-देवबंद परियोजना की लागत 791.39 करोड़ रूपए पुनर्निधारित की गई है। साथ ही इस रेल परियोजना की लागत का वहन रेल मंत्रालय व उत्तराखण्ड राज्य के मध्य 50ः50 के अंशदान में किए जाने पर सहमति प्रदान की गई थी। रूड़की-देवबंद परियोजना की कुल लम्बाई 27.45 किमी है। इसके तहत उत्तर प्रदेश का लगभग 94 हेक्टेयर व उत्तराखण्ड का लगभग 70 हेक्टेयर क्षेत्र आ रहा है। वर्तमान में रेल मार्ग द्वारा देवबंद (सहारनपुर) से रूड़की (हरिद्वार) आने के लिए अनावश्यक रूप से लम्बी दूरी तय करनी पड़ती है। प्रस्तावित रूड़की-देवबंद रेल लाईन के निर्माण से यात्रियों के समय की बचत होगी और यातायात सुगम होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में परियोजना की कुल लागत 791.39 करोड़ रूपए है। इसके सापेक्ष उत्तराखण्ड राज्य द्वारा 240 करोड़ रूपए का अंशदान परियोजना में किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय रेल मंत्री से अनुरोध किया कि राज्य के सीमित वित्तीय संसाधनों को देखते हुए रूड़की-देवबंद परियोजना में उत्तराखण्ड द्वारा वर्तमान तक दिए गए अंशदान को पर्याप्त मानते हुए प्रोजेक्ट के अवशेष कार्यों का वित पोषण रेल मंत्रालय भारत सरकार से करवाया जाए।

पहाड़ी फलों की मांग अब मैदानी क्षेत्रों में भी हो रही

उत्तराखंड के पहाड़ी फलों की मांग अब मैदानी क्षेत्रों में भी हो रही है। नैनीताल और अल्मोड़ा क्षेत्र में विकसित की गई फल पट्टी से आडू, खुमानी, पुलम, काफल और लीची लोगों को काफी पंसद आ रही है। इस बार पहाड़ी फलों की पैदावार अच्छी होने से किसानों के चेहरे खिले हुए थे। लेकिन ओलावृष्टि और बरसात ने इन फलों को काफी नुकसान पहुंचाया। वहीं किसानों का कहना है कि मैदानी क्षेत्रों से आ रही मांग से पहाड़ी फलों के मूल्य में बढ़ोत्तरी हुई है जिससे उन्हें आर्थिक लाभ हो रहा है।

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पहाड़ी फलों के मैदानी क्षेत्रों में बेहतर दाम मिलने से किसान उत्साहित है। लेकिन पैदावार कम होने से निराश भी। पहाड़ी फल और सब्जी की मांग इतनी ज्यादा है कि हल्द्वानी मण्डी में रोजाना 2 करोड रुपए के पहाड़ी फल और सब्जी पहुंच रही हैं। फल और सब्जी के आढ़ती और एसोसिएशन के अध्यक्ष जीवन सिंह कार्की का कहना है कि गर्मी में पहाड़ी फलों की डिमांड मैदानी इलाकों में बढ़ने से मुनाफा बढ़ गया है। लेकिन ओलावृष्टि और अंधड से फलों के उत्पादन में कमी होने से किसानों को निराशा भी हाथ लगी है।

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