कुंभ के आयोजन के लिए गंगा किनारे पहली बार बैठक की गई, सीएम रहे मौजूद

हरिद्वार में होने वाले 2027 के कुंभ के भव्य आयोजन के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज हरिद्वार में गंगा किनारे सभी 13 अखाड़ों के आचार्यों एवं संतगणों के साथ बैठक की। कुंभ के भव्य आयोजन के लिए पहली बार गंगा तट पर बैठक का आयोजन किया गया। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने 2027 कुंभ स्नान की महत्वपूर्ण तिथियों की घोषणा भी की। उन्होंने 14 जनवरी 2027 को मकर संक्रांति, 06 फरवरी 2027 को मौनी अमावस्या, 11 फरवरी 2027 को वसंत पंचमी, 20 फरवरी 2027 को माघ पूर्णिमा, 06 मार्च 2027 को महाशिवरात्रि (अमृत स्नान), 08 मार्च 2027 को फाल्गुन अमावस्या (अमृत स्नान), 07 अप्रैल 2027 को नव संवत्सर (नव वर्ष), 14 अप्रैल 2027 को मेष संक्रांति (अमृत स्नान), 15 अप्रैल 2027 को श्रीराम नवमी तथा 20 अप्रैल 2027 को चौत्र पूर्णिमा के स्नान की तिथियों की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कुंभ के सफल आयोजन के लिए अखाड़ों के आचार्यों से सुझाव एवं मार्गदर्शन लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंभ से जुड़े सभी निर्णयों में संतगणों की परम्पराओं, आवश्यकताओं एवं सुविधाओं को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि कुंभ के सुव्यवस्थित और भव्य आयोजन के लिए उन्हें संतगणों का आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि संतों की प्रेरणा, सुझाव और आशीर्वाद के बिना इस महायोजना की पूर्णता की कल्पना भी संभव नहीं है। हमारा प्रयास है कि सभी के अमूल्य सुझावों से कुंभ 2027 की तैयारियों को और अधिक व्यापक, सुव्यवस्थित और संत समाज की अपेक्षाओं के अनुरूप बनाया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवभूमि उत्तराखंड को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में स्थापित करने का आह्वान किया है। इसी संकल्प को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार कुंभ 2027 को भव्य, दिव्य और ऐतिहासिक बनाने के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में आयोजित कुंभ कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण केवल अल्प अवधि के लिए आयोजित किया गया था और शाही स्नान भी प्रतीकात्मक रूप से ही संपन्न हुआ था, लेकिन वर्ष 2027 में होने वाला हरिद्वार कुंभ कई दृष्टियों से ऐतिहासिक और विशेष महत्व का होगा। इस बार आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 2010 और 2021 के कुंभ की तुलना में कई गुना अधिक होने की संभावना है। राज्य सरकार ने हरिद्वार कुंभ 2027 को दिव्य, भव्य और सुरक्षित बनाने के लिए अभी से व्यापक स्तर पर तैयारियाँ प्रारंभ कर दी हैं। श्रद्धालुओं और साधु-संतों की सुरक्षा के लिए राज्य और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ पूर्ण समन्वय स्थापित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस, एनडीआरएफ, पीएसी, स्वास्थ्य विभाग और फायर विभाग सहित सभी संबंधित विभाग सुरक्षा के हर पहलू को ध्यान में रखते हुए सभी संभव उपाय सुनिश्चित करेंगे। कुंभ के दौरान पूर्व में घटित दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए भीड़ नियंत्रण, यातायात प्रबंधन और आकस्मिक आपात स्थिति की तैयारी पहले से ही प्रारंभ कर दी गई है। पूर्व में आयोजित कुंभ मेलों को सफलतापूर्वक संपन्न कराने वाले अधिकारियों का भी पूर्ण सहयोग लिया जाएगा, ताकि हर प्रक्रिया सुचारू और व्यवस्थित रूप से संचालित हो सके। कुंभ के दौरान नगर और घाट क्षेत्रों की स्वच्छता के लिए विशेष टीमों का गठन कर कचरा प्रबंधन, जल निकासी और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

अखाड़ों के आचार्य एवं संतगणों द्वारा संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रदेश में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की गई। उन्होंने कहा कि भव्य एवं दिव्य कुंभ के आयोजन के लिए संत समाज द्वारा राज्य सरकार को पूर्ण सहयोग दिया जाएगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अखाड़ों के आचार्यों एवं संतगणों के साथ भोजन भी किया।

इस दौरान महंत रविन्द्र पुरी महाराज श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा, महंत कौशल गिरी महाराज-श्री पंचायती आनंद अखाड़ा, महंत हरिगिरी महाराज-श्री पंचदशनाम जूना भैरव अखाड़ा, डॉ. साधनानन्द जी महाराज-श्री पंचअग्नि अखाड़ा, महंत सत्यगिरि महाराज-श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा, महंत सत्यम गिरी महाराज-श्री पंचायती अटल अखाड़ा, महंत मुरली दास महाराज-श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा, महंत वैष्णव दास महाराज-श्री पंच दिगम्बर अनी अखाड़ा, महंत राजेन्द्र दास महाराज-श्री पंच निर्माेही अनी अखाड़ा, महंत दुर्गादास महाराज-श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा, महंत भगतराम दास महाराज-श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा, महंत जसविंदर महाराज-श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा, सांसद राज्यसभा कल्पना सैनी, विधायक हरिद्वार मदन कौशिक, विधायक रानीपुर आदेश चौहान, विधायक रुड़की प्रदीप बत्रा, महापौर नगर निगम हरिद्वार किरन जैसल, महापौर नगर निगम रुड़की अनीता देवी अग्रवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष भाजपा/पूर्व मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द, आयुक्त गढ़वाल मंडल विनय शंकर पाण्डेय, आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप, मेलाधिकारी सोनिका, जिलाधिकारी हरिद्वार मयूर दीक्षित, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र सिंह डोभाल, मुख्य विकास अधिकारी ललित नारायण मिश्रा मौजूद थे।

स्पर्श हिमालय महोत्सव 2025 के समापन सत्र को सीएम ने किया संबोधित

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लेखक गांव, थानों, देहरादून में आयोजित स्पर्श हिमालय महोत्सव-2025 के समापन सत्र में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने लेखक गांव स्थित मंदिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश में सुख शांति की कामना की।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य स्थापना की रजत जयंती उत्सव पर सभी आंदोलनकारियों को नमन करते हुए कहा कि लेखक गांव की परिकल्पना उन विचारों का प्रतीक है जो समाज को दिशा देते हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ते हुए भविष्य का निर्माण करना सिखाते हैं। उन्होंने कहा लेखक गांव में आयोजित यह महोत्सव, नई सृजन-यात्रा का आरंभ है।

मुख्यमंत्री ने कहा राज्य सरकार साहित्य और संस्कृति के संरक्षण एवं प्रोत्साहन के लिए निरंतर कार्य कर रही है। राज्य में उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान के माध्यम से उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित एवं विभिन्न भाषाओं में ग्रंथ प्रकाशन के लिए वित्तीय सहायता योजना के तहत साहित्यकारों को अनुदान भी प्रदान किया जा रहा है। राज्य सरकार, प्रदेश के उत्कृष्ट साहित्यकारों को साहित्य भूषण और लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से भी सम्मानित करने का कार्य कर रही है। जिसमें 5 लाख तक की धनराशि देने की भी घोषणा की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा राज्य सरकार युवा पीढ़ी को साहित्य के प्रति आकर्षित करने के लिए भी विभिन्न प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए राज्य सरकार विकल्प रहित संकल्प के साथ निरंतर कार्य कर रहे है। सभी साहित्यकारों, कलाकारों, विद्वानों और संस्कृति के साधकगणों के सहयोग से हम अपने इस संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने में अवश्य सफल रहेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रजत जयंती वर्ष पर उत्तराखंड विधानसभा द्वारा आयोजित विशेष सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा आगामी 9 नवंबर राज्य स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उत्तराखंड आ रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा उत्तराखंड जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध प्रदेश में लेखक गांव स्थानीय प्रतिभाओं को मंच देने के साथ विश्व के साहित्यिक मानचित्र पर राज्य को एक नई पहचान प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा आने वाले समय में लेखक गांव, भारत की प्राचीन परंपराओं को आधुनिक दृष्टि से जोड़ने का कार्य करेगी।

इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, पूर्व रक्षा सचिव डॉ. योगेन्द्र नारायण, ले.ज अनिल कुमार भट्ट (से.नि), पद्मश्री डॉ. हरमोहिन्दर सिंह बेदी, विदुषी निशंक एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

उत्तराखंड रजतोत्सव वर्षः देशभर के संतों ने धामी सरकार के विकास कार्यो व सांस्कृतिक संरक्षण की सराहना की

उत्तराखंड की रजत जयंती वर्ष के अवसर पर आज मुख्यमंत्री आवास आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक सौहार्द का केंद्र बन गया, जब देशभर के प्रमुख संतों एवं धर्माचार्यों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट कर राज्य की प्रगति, सांस्कृतिक संरक्षण और अध्यात्मिक समृद्धि के प्रति उनके प्रयासों की सराहना की।

संत समाज ने प्रदेश के लिए सकारात्मक बदलाव, विरासत संरक्षण और धार्मिक-सांस्कृतिक मानकों को सुदृढ़ करने वाले निर्णयों की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री को आशीर्वाद प्रदान किया और उन्हें “देवभूमि का धर्म-संरक्षक” बताया। संतों ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और विकास की नई ऊँचाइयों की ओर अग्रसर है।


मुख्यमंत्री आवास में आध्यात्मिक संगम में आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज, जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष स्वामी रविंद्रपुरी महाराज, बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण, प्रसिद्ध आध्यात्मिक वक्ता जया किशोरी, चिंतक और लेखक डॉ. कुमार विश्वास सहित अनेकों प्रतिष्ठित संत-महात्मा एवं धर्माचार्य भेंट करने वाले प्रमुख संत-महात्माओं में शामिल रहे।

सभी संतों ने मुख्यमंत्री को रजत जयंती वर्ष की शुभकामनाएँ देते हुए राज्य के सांस्कृतिक सम्मान और अध्यात्मिक धरोहर संरक्षण को लेकर उनके समर्पण की सराहना की।

संत समाज ने की सीएम धामी की प्रशंसा
संतों ने कहा कि “मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान, आध्यात्मिक परंपरा और सामाजिक समरसता को मजबूत करने वाला नेतृत्व प्रदान किया है। उनके प्रयासों से देवभूमि की मूल आत्मा और सनातन विरासत सुरक्षित और सुदृढ़ हुई है।”

उन्होंने राज्य सरकार की उन नीतियों की भी सराहना की जिनसे सामाजिक-सांस्कृतिक अनुशासन, धार्मिक स्थलों का संरक्षण, आध्यात्मिक पर्यटन विकास तथा परंपरा-संरक्षण को नया आयाम मिला है।

कुम्भ-2027 को भव्य, दिव्य और विश्व-स्तरीय आयोजन के रूप में स्थापित करने के लिए संत समाज तथा सरकार मिलकर कार्य करेंगे
संत समाज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि हरिद्वार कुम्भ-2027 को भव्य, दिव्य और विश्व-स्तरीय आयोजन के रूप में स्थापित करने के लिए वे सरकार के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर कार्य करेंगे। संतों ने कहा कि कुम्भ केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सनातन परंपरा, भारतीय संस्कृति और वैश्विक आध्यात्मिक चेतना का महासंगम है, जिसे ऐतिहासिक स्वरूप देना हम सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है।


संतों ने यह भी कहा कि कुम्भ की तैयारी के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। यातायात, अधोसंरचना, घाटों का सौंदर्यीकरण, सुरक्षा व्यवस्थाएँ, स्वच्छता और तीर्थ विकास जैसे क्षेत्रों में जो योजनाएँ बन रही हैं, वे आने वाले वर्षों में हरिद्वार को विश्व आध्यात्मिक धरोहर केंद्र के रूप में और अधिक प्रतिष्ठित करेंगी।

उन्होंने मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि
“देवभूमि उत्तराखंड को कुम्भ-2027 में एक नए आयाम तक पहुँचाने की जो दूरदृष्टि मुख्यमंत्री ने प्रस्तुत की है, वह प्रेरणादायक है। सरकार द्वारा किए जा रहे त्वरित निर्णय, पारदर्शिता और धार्मिक परंपराओं के प्रति सम्मान से हमें पूर्ण विश्वास है कि यह कुम्भ इतिहास में अपना स्वर्णिम अध्याय लिखेगा।”

संत समाज ने आश्वस्त किया कि
“हम सभी संत-महात्मा, अखाड़े और धर्म संस्थान एक परिवार की तरह एकजुट होकर कुम्भ की सफलता के लिए निरंतर योगदान देंगे। कुम्भ के आयोजन में चाहे आध्यात्मिक मार्गदर्शन हो या जन-आस्था का प्रबंधन, हर मोर्चे पर हमारा सहयोग निरंतर रहेगा।”

सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विकास का केंद्र बन रहा उत्तराखंड
संत समाज ने यह भी कहा कि उत्तराखंड आज तेजी से वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र और शांति-स्थल के रूप में उभर रहा है, जिसका श्रेय राज्य सरकार की सांस्कृतिक दृष्टि और दूरदर्शी नेतृत्व को है।

कार्यक्रम में उपस्थित सभी संतों और आध्यात्मिक गुरुओं ने प्रदेश वासियों के लिए मंगलकामनाएं व्यक्त कीं और उत्तराखंड की रजत जयंती को आध्यात्मिक रूप से ऐतिहासिक बनाने के लिए मुख्यमंत्री को आशीर्वाद दिया।

श्री केदारनाथ धाम के कपाट हुए बंद, मुख्यमंत्री सीएम धामी रहे मौजूद

विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट आज गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025 (भैया दूज, कार्तिक शुक्ल सप्तमी, अनुराधा नक्षत्र) के पावन अवसर पर प्रातः 08रू30 बजे विधिवत रूप से बंद हो गए हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे।

कपाट बंद होने से पूर्व मंदिर को पुष्पों से भव्य रूप में सजाया गया। सेना के बैंड की भक्ति धुनों और “जय बाबा केदार” के जयघोष के साथ मंदिर परिसर श्रद्धाभाव से गूंज उठा। ठंडे मौसम के बावजूद लगभग 10 हजार श्रद्धालु कपाट बंद होने की ऐतिहासिक घड़ी के साक्षी बने।

कपाट बंद करने की प्रक्रिया के अंतर्गत ब्रह्म मुहूर्त में श्री केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी बागेश लिंग एवं आचार्यगणों द्वारा यज्ञ, हवन एवं समाधि पूजन किया गया। तत्पश्चात भगवान केदारनाथ के स्वयंभू शिवलिंग को स्थानीय पुष्पों-कुमजा, बुकला, राख, ब्रह्मकमल, सूखे पुष्प-पत्रों से ढककर समाधि रूप दिया गया। इसके बाद गर्भगृह के द्वार जय बाबा केदार के उदघोष के साथ शीतकाल हेतु बंद किए गए।

कपाट बंद होने के पश्चात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में मंदिर के पूर्वी व दक्षिणी द्वार विधिवत बंद किए गए। इसके उपरांत भगवान केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव डोली को मंदिर की परिक्रमा कर प्रथम पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान कराया गया। सेना के बैंड, डोली वाहकों, पुजारियों और श्रद्धालुओं के जयघोषों से संपूर्ण धाम गुंजायमान हो उठा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर देश-विदेश से आए सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी विजन के अनुरूप केदारपुरी का भव्य और दिव्य पुनर्निर्माण कार्य हुआ है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 में चारधाम यात्रा के अंतर्गत रिकॉर्ड 50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने धामों के दर्शन किए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कपाट बंद होने के पश्चात शीतकालीन यात्रा को भी राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि श्रद्धालु चार धामों के शीतकालीन गद्दी स्थलों में भी पूजा अर्चना कर सकें। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से शीतकाल में भी चारों धामों के गद्दी स्थलों में आकर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने का आग्रह किय। शीतकाल में भी श्रद्धालुओं के यात्रा करने से स्थानीय व्यापारियों, होमस्टे एवं होटल चालकों आदि की आजीविका निरंतर गतिमान रहेगी।

मुख्यमंत्री ने यात्रा से जुड़े सभी विभागों, सुरक्षा बलों, मंदिर समिति, स्थानीय नागरिकों, स्वयंसेवी संस्थाओं और श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया तथा इस वर्ष की यात्रा को सफल, सुव्यवस्थित और सुरक्षित बनाए रखने के लिए सभी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष केदारनाथ यात्रा का संचालन अत्यंत सुचारु एवं सफलतापूर्वक हुआ। तथा इस वर्ष कुल 17,68,795 श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए, जो पिछले वर्ष 2024 के 16,52,076 तीर्थयात्रियों की तुलना में लगभग सवा लाख अधिक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यात्रा के दौरान प्राकृतिक आपदा को छोड़कर संपूर्ण यात्रा अवधि में व्यवस्थाएं सुचारु रहीं। शीतकालीन अवधि में भी श्री केदारनाथ धाम में सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ रहेगी और शीतकालीन पूजाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा।

कपाट बंद होने के पश्चात बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली आज प्रस्थान कर प्रथम पड़ाव रामपुर में रात्रि विश्राम हेतु पहुंचेगी।

कल शुक्रवार, 24 अक्टूबर को डोली श्री विश्वनाथ मंदिर, गुप्तकाशी पहुंचेगी, जहां रात्रि विश्राम के पश्चात शनिवार, 25 अक्टूबर को शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी।

कपाट बंद समारोह के अवसर पर विधायक केदारनाथ आशा नौटियाल, जिला पंचायत अध्यक्ष रुद्रप्रयाग पूनम कठैत, बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी, भाजपा जिलाध्यक्ष भारत भूषण भट्ट, कृषि विपणन बोर्ड अध्यक्ष अनिल डब्बू, बीकेटीसी उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती, जिलाधिकारी प्रतीक जैन, पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रह्लाद कोंडे, एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

केदारनाथ में श्रद्धालुओं की संख्या 16.56 लाख के पार

चारधाम यात्रा फिर रफ्तार पकड़ गई है। बारिश और बर्फबारी के बावजूद यात्रियों में भारी उत्साह बना हुआ है। केदारनाथ यात्रा ने नया रिकॉर्ड बनाया है। आज बुधवार को यहां श्रद्धालुओं की संख्या 16 लाख 52 हजार के पार पहुंच गई, जबकि अभी धाम कपाट बंद होने में 14 दिन का समय बचा है। वर्ष 2024 में पूरे यात्रा काल में 16 लाख 52 हजार 76 यात्री केदार दर्शन के लिए पहुंचे थे।

बुधवार को केदारनाथ धाम में 5614 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। केदार धाम के कपाट आगामी 23 अक्टूबर को भैया दूज के अवसर पर बंद होंगे। अभी यात्रा 15 दिन और चलेगी। इस प्रकार यहां यात्रियों की संख्या ने नया रिकॉर्ड बनाया है। बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में भी अब यात्रियों की संख्या बढ़ी है। प्रदेश सरकार की ओर से श्रद्धालुओं के उत्साह को देखते हुए सुरक्षित यात्रा के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। यात्रा मार्ग में सुरक्षा जवानों की तैनाती की गई है। यात्रा मार्ग पर यातायात सुचारू बना रहे, इसके लिए भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों पर मलबे की सफाई के लिए जेसीबी की व्यवस्था की गई है।

बता दें कि इस वर्ष 30 अप्रैल को गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का आगाज हो गया था। इसके बाद दो मई को केदारनाथ और चार मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए थे। मानसून सीजन में अतिवृष्टि, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं के चलते चारधाम यात्रा बुरी तरह प्रभावित हुई है। प्रकृति की विनाशलीला में गंगोत्री धाम का महत्वपूर्ण पड़ाव धराली बुरी तरह तबाह हो गया। मार्ग बुरी तरह तहस-नहस हो जाने से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा को रोकना पड़ा था।

बारिश थमने पर भी यहां यात्रा को बहाल करना बड़ी चुनौती था, लेकिन शासन-प्रशासन की टीमों ने युद्धस्तर पर कार्य कर आम जनजीवन की बहाली के साथ ही यात्रा मार्गों को सुचारू किया। दोनों धामों की यात्रा भी सुरक्षा इंतजामों के साथ शुरू हो गई। प्रशासन की ओर से यात्रियों को अभी भी एहतियात बरतने की सलाह दी गई है। यात्रियों को बार-बार आगाह किया गया है कि मौसम खराब होने पर यात्रा करने से बचें। यदि यात्रा मार्ग में हैं, तो सुरक्षित स्थान पर शरण लें।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा से जुड़े सभी जिलाधिकारियों से कहा है कि श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी यात्रा मार्गों पर आवश्यक यात्री सुविधाओं और सुरक्षा से जुड़ी सभी व्यवस्थाओं का पूरा ध्यान रखा जाए। सभी जिम्मेदार अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रखा जाए। आपातकालीन स्थिति में बिना किसी देरी के राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया जाए।

सीएम धामी ने चंपावत में विभिन्न रामलीलाओं को किया वर्चुअल संबोधित, बोले चंपावत में तेजी से हो रहा विकास

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज डबल इंजन सरकार की योजनाओं का लाभ चंपावत सहित पूरे प्रदेश में सीधे पहुँच रहा है। चंपावत में विभिन्न मोटर मार्गाे के निर्माण और सुदृढ़ीकरण के साथ ही जाम की समस्या हल करने के लिए मल्टीस्टोरी पार्किंग्स का निर्माण कराया जा रहा है, वहीं आईएसबीटी का निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है। जिला अस्पताल में 20 करोड़ रुपए की लागत से 50 बेड के क्रिटिकल केयर ब्लॉक के साथ ही, महिला छात्रावास व आईटी लैब का कार्य भी कराया जा रहा है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए चूका क्षेत्र को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है। मानसखण्ड मंदिर माला मिशन के अंतर्गत क्षेत्र के विभिन्न मन्दिरों के पुर्ननिर्माण और सौंदर्यीकरण कार्यों के साथ ही माँ पूर्णागिरी मंदिर के लिए रोपवे का निर्माण कार्य गतिमान है। चंपावत में साहसिक पर्यटन की दृष्टि से भी असीम संभावनाएं हैं, इसके विकास के लिए भी हम कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा शारदा कॉरिडोर बनाने की हमारी विस्तृत परियोजना पर कार्य प्रारंभ हो चुका है। हम पूर्णागिरि क्षेत्र में स्पिरिचुअल जॉन और ईको टूरिज्म विकसित करने के लिए भी प्रयासरत हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चम्पावत में विज्ञान केंद्र का निर्माण कार्य जारी है, जो नई पीढ़ी को विज्ञान और तकनीकी शिक्षा में आगे बढ़ने का अवसर देगा। साथ ही महिला प्रौ‌द्योगिकी पार्क स्थापित कर महिलाओं को रोजगार और उद्यमिता से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा श्यामलाताल झील में डेवलपमेन्ट का कार्य प्रारंभ हो चुका है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को चंपावत में विभिन्न रामलीला मंचन कार्यक्रमों को वर्चुअल सम्बोधित कर रहे थे।

सभी को शारदीय नवरात्रि की महानवमी एवं विजयादशमी की शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि रामलीला का मंचन हमारी भारतीय संस्कृति की आत्मा है, ये केवल धार्मिक कथा का मंचन नहीं है, बल्कि संपूर्ण जीवन का दर्शन है। रामलीला के प्रत्येक पात्र में एक संदेश छिपा है और प्रत्येक प्रसंग हमें बताता है कि असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की सदैव विजय होती है। जब हमारे बच्चे और युवा रामलीला देखते हैं, तो वे धर्म, त्याग, सत्य, कर्तव्य और मर्यादा जैसे सनातन मूल्यों को आत्मसात करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीराम का पूरा जीवन एक अद्भुत दर्शन है और यदि हम उनके आदर्शों का अनुसरण कर अपने जीवन में कुछ कदम भी बढ़ा पाएं, तो हमारा ये जीवन सार्थक हो जाएगा। पिता की आज्ञा का पालन करते हुए 14 वर्षों तक वनवास में रहकर उन्होंने बताया कि एक पुत्र का धर्म क्या होना चाहिए।भरत को गले लगाकर उन्होंने ये बताया कि एक बड़े भाई का धर्म क्या होना चाहिए। सुग्रीव और विभीषण से मित्रता निभाकर उन्होंने ये बताया कि एक मित्र का धर्म कैसा होता है। रावण से सामना होने पर भी उन्होंने ये दिखाया कि शत्रुता के बावजूद अपने धर्म का पालन किस प्रकार करना चाहिए। और जब राम राजा बने, तब भी उन्होंने ये बताया किया कि एक राजा का असली धर्म क्या होना चाहिए। इसी कारण उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया और आज भी जब हम किसी आदर्श शासन की बात करते हैं, तो उसमें हमारी कल्पना राम राज्य की ही होती है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रभु श्री राम का आदर्श जीवन हमें ये सिखाता है कि जीवन में कितनी भी विपरीत परिस्थितियां क्यों न हों, हमें अपने सिद्धांतों और वचनों का पालन करना चाहिए। देवभूमि उत्तराखंड का भी प्रभु श्री राम से गहरा नाता रहा है। हमारे राज्य के अनेकों तीर्थ स्थल, पर्वत और नदियाँ रामायण कालीन घटनाओं के साक्षी हैं। रावण से युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण जी शक्ति लगने से मूर्छित हो गए थे, तब सुषेण वैद्य के निर्देश पर हनुमान जी ने चमोली जिले के द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी का जीवन बचाया था। इसी प्रकार, ऋषिकेश स्थित विष्णु पर्वत पर भगवान राम के कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ जी की तपस्थली आज भी विद्यमान है। हमारे राज्य के प्रत्येक गाँव और कस्बे में जो रामलीलाएँ मंचित होती हैं, वे केवल नाट्य प्रस्तुतियाँ नहीं बल्कि आस्था, संस्कार और शिक्षा के जीवंत विद्यालय हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हर वर्ष रामलीला का मंचन हमें ये स्मरण कराता है कि धर्म की विजय और अधर्म का पतन एक शाश्वत सत्य है। हमारी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यही हमें एकजुट और सशक्त बनाती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण कर हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने का ऐतिहासिक कार्य किया। हमारी प्रदेश सरकार अयोध्या जी की पावन भूमि पर उत्तराखंड राज्य अतिथि गृह का निर्माण करा रही है। इस अतिथि गृह में रामलला के दर्शन के लिए जाने वाले उत्तराखंड के श्रद्धालुओं के रुकने की उचित व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा, हमने पौलगढ़ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का नाम बदलकर माँ सीता के नाम पर ष्सीतावनी वाइल्ड लाइफ सेंचुरीष् रखा है। यही वो पवित्र भूमि है जहां पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रही थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार अपने सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित रखने हेतु भी पूर्ण रूप से संकल्पबद्ध होकर कार्य कर रही है। हम राज्य में विभिन्न रावण रूपी बुराइयों को समाप्त करने हेतु निरंतर प्रयासरत हैं। इसके लिए हमने जहां एक ओर प्रदेश में सख्त धर्मांतरण विरोधी और दंगा विरोधी कानूनों को लागू किया है, वहीं लैंड जिहाद, लव जिहाद और थूक जिहाद जैसी घृणित मानसिकताओं के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की है। लैंड जिहाद पर कड़ी कार्रवाई करते हुए हमने 9 हजार एकड़ से अधिक की सरकारी भूमि को लैंड जिहादियों से मुक्त कराया है। इसके साथ ही करीब 250 अवैध मदरसों को सील करने के साथ ही 500 से अधिक अवैध संरचनाओ को भी हटाने का काम हमारी सरकार ने किया है। हाल ही में हमारी सरकार ने राज्य में नया कानून लागू कर मदरसा बोर्ड को भी समाप्त करने का निर्णय लिया है। इस कानून के लागू होने के पश्चात राज्य में 1 जुलाई 2026 के पश्चात से वो सभी मदरसे बंद हो जाएंगे जो हमारी सरकार द्वारा दिए गए सरकारी सेलेबस को अपने यहां नहीं पढ़ाएंगे। इतना ही नहीं, हमारी सरकार ने देश में सबसे पहले समान नागरिक संहिता कानून लागू कर अपने सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू करने का ऐतिहासिक कार्य भी किया है।

इस अवसर पर जिलाधिकारी चम्पावत सहित चम्पावत के विभिन्न रामलीला कमेटीयों के पदाधिकारी, बड़ी संख्या में स्थानीय जन उपस्थित थे।

सौरभांचल तीर्थ और जीवन आशा अस्पताल उनके दूरदर्शी नेतृत्व और करुणा के उदाहरणः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्री दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर में आयोजित जैन समाज सम्मेलन में प्रतिभाग किया और जैन धर्म गुरुओं का आशीर्वाद लिया। उन्होंने कहा कि आचार्य सौरभ सागर मुनि महाराज का जीवन संयम, त्याग और अहिंसा के अद्वितीय आदर्शों का प्रतीक है। सौरभांचल तीर्थ और जीवन आशा अस्पताल उनके दूरदर्शी नेतृत्व और करुणा के उदाहरण हैं, जो समाज को धर्म और सेवा के पथ पर अग्रसर कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जैन धर्म ने दुनिया को संदेश दिया है कि अहिंसा ही वीरता का धर्म है। जैन समाज ने केवल अहिंसा का ही नहीं बल्कि संगठन और सामाजिक एकता का भी अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के समग्र विकास के लिए संकल्पबद्ध है और इसी क्रम में उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना है जिसने ‘‘समान नागरिक संहिता’’ लागू की है। इसके साथ ही नकल विरोधी कानून के बाद से से 25 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी पाने में सफलता मिली है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड की डेमोग्राफी संरक्षित रखना सरकार की प्राथमिकता है। इसी उद्देश्य से धर्मांतरण विरोधी एवं दंगा विरोधी कानून लागू किए गए हैं। प्रदेश में 9 हजार एकड़ से अधिक सरकारी भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त कराया गया है। सनातन मुख्यमंत्री ने कहा कि जैन कल्याण बोर्ड के गठन के संबंध में प्राप्त सुझाव पर सरकार गंभीरतापूर्वक विचार करेगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जैन समाज आगे भी उत्तराखंड के समग्र विकास में सहयोग देता रहेगा।

कार्यक्रम में रविंद्र मुनि जी महाराज, राजेश मुनि महाराज, विधायक विनोद चमोली, खजानदास, पदमश्री डॉ. आर.के. जैन एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

मां नंदा देवी मेले के शुभारंभ पर सीएम ने जागेश्वर धाम सौंदर्यीकरण को 146 करोड़ की स्वीकृति दी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज वर्चुअल माध्यम से अल्मोड़ा के मां नंदा देवी मेला-2025 का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने अल्मोड़ा वासियों सहित समूचे प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह मेला हमारी लोक आस्था, संस्कृति और पहचान का प्रतीक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक सशक्तिकरण का भी मंच है। उन्होंने यह भी कहा कि 2026 में आयोजित होने वाली मां नंदा राजजात यात्रा को भव्य रूप में मनाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 12 वर्ष में एक बार आयोजित होने वाली इस यात्रा को दिव्य और भव्य बनाने में हमारी सरकार कोई भी कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत के पुनरुत्थान का अमृतकाल चल रहा है। आज हमारी धार्मिक धरोहरों को जिस प्रकार संवारा जा रहा है, उसे शब्दों में प्रकट करना कठिन है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में हमारी प्रदेश सरकार भी उत्तराखंड के समग्र विकास के साथ-साथ धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण और हमारी पहचान को सुरक्षित रखने हेतु दृढ़ संकल्पित होकर निरंतर कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम मानसखंड पर्वत माला मिशन के अंतर्गत हमारे कुमाऊं क्षेत्र के पौराणिक मंदिरों के पुनरुत्थान एवं सौंदर्यीकरण हेतु प्रयास कर रहे हैं। इस परियोजना के अंतर्गत जागेश्वर में मंदिर परिसर के मूल स्वरुप को संरक्षित रखते हुए मास्टर प्लान के अनुसार सौंदर्यीकरण हेतु विभिन्न कार्य गतिमान हैं। इसके लिए जहां एक ओर प्रथम चरण में हमारी सरकार द्वारा 146 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की जा चुकी है, वहीं दूसरे चरण के विकास कार्यों की भी स्वीकृति प्रदान कर दी गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार द्वारा जहां एक ओर बेस अस्पताल के नए भवन का निर्माण कार्य कराया जा रहा है, वहीं सोमेश्वर में 100 बेड के उपजिला चिकित्सालय में प्रथम चरण में 50 बेड के अस्पताल का निर्माण भी किया जा रहा है। इसके साथ ही, गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों के इलाज हेतु 50 बेड के अत्याधुनिक क्रिटिकल केयर ब्लॉक की स्थापना भी की जा रही है। लगभग 5 करोड़ रुपए की लागत से अल्मोड़ा महिला चिकित्सालय का अपग्रेडेशन भी किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत पिछले 3 वर्षों में अल्मोड़ा जनपद में 248 किमी सड़कों का निर्माण करने के साथ ही लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत भी करोड़ों रुपए की लागत से विभिन्न मोटरमार्गों का निर्माण एवं नवीनीकरण कार्य किया है। इसी क्रम में, जहां एक ओर लगभग 400 करोड़ रूपए की लागत से अल्मोड़ा-पौड़ी गढ़वाल-रुद्रप्रयाग को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण करवाया गया है। वहीं लगभग 922 करोड़ रुपए की लागत से अल्मोड़ा-बागेश्वर सड़क के चौड़ीकरण को भी मंजूरी प्रदान की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने ’’उड़ान योजना’’ के अंतर्गत अल्मोड़ा में पर्यटन को बढ़ावा देने और आवागमन सुगम बनाने के उद्देश्य से हेली सेवाएं भी प्रारंभ की हैं। इसके अतिरिक्त, सदी महर गाँव में 12 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से लिफ्ट पंपिंग योजना के साथ ही जनपद में 25 से अधिक स्थलों पर पार्किंग निर्माण कार्य भी प्रगति पर है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा में प्रशासनिक भवन का निर्माण भी किया जा रहा है। इसके साथ ही, डोल आश्रम के निकट चौखुटिया में हेलीपैड निर्माण की योजना पर भी हम कार्य कर रहे हैं। इतना ही नहीं, ‘नशा मुक्त उत्तराखंड’ के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में हमारी सरकार ने अल्मोड़ा में नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना भी की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने तथा स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी कई महत्वपूर्ण परियोजनों पर कार्य कर रहे हैं। ‘एक जनपद, दो उत्पाद’ योजना के माध्यम से हमने स्थानीय आजीविका के अवसरों को बढ़ावा दिया है, जबकि हाउस ऑफ हिमालयाज ब्रांड ने हमारे स्थानीय उत्पादों को व्यापक पहचान दिलाने का काम किया है। इसके अलावा हम स्टेट मिलेट मिशन, फार्म मशीनरी बैंक, एप्पल मिशन, नई पर्यटन नीति, नई फिल्म नीति, होम स्टे, और वेड इन उत्तराखंड जैसी योजनाओं के माध्यम से अपनी स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने का कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री जी द्वारा दिए गए ’’स्वदेशी अपनाओ देश को मजबूत बनाओ’’ के मंत्र को अपनाकर हम न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकते हैं, बल्कि स्थानीय उत्पादकों, शिल्पकारों और छोटे उद्यमियों को भी आत्मनिर्भर बना सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार देवभूमि उत्तराखंड के सांस्कृतिक मूल्यों और डेमोग्राफी को संरक्षित रखने के लिए संकल्पबद्ध होकर काम कर रही है। हमने जहां एक ओर प्रदेश में सख्त धर्मांतरण विरोधी और दंगा विरोधी कानूनों को लागू किया है। हमने प्रदेश में लैंड जिहाद पर कड़ी कार्रवाई करते हुए साढ़े छह हजार एकड़ से अधिक की सरकारी भूमि को लैंड जिहादियों से मुक्त कराया है। इसके साथ ही करीब 250 अवैध मदरसों को सील करने के साथ ही 500 से अधिक अवैध संरचनाओ को भी हटाया है। इसके अलावा ये हमारी ही सरकार है, जो प्रदेश में पहली बार सख्त भू- कानून लेकर आई है, जिससे हमारे किसानों की जमीनों को अब लैंड माफिया नहीं हड़प पाएंगे,इसके साथ ही अब हम प्रदेश में मदरसा बोर्ड को भी खत्म करने जा रहे हैं। इसके लागू होने के पश्चात 1 जुलाई 2026 के बाद हमारे प्रदेश में वे मदरसे बंद हो जाएंगे जिनमें हमारे सरकारी बोर्ड का सेलेबस नहीं पढ़ाया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि माँ नंदा देवी के ऐतिहासिक मंदिर का पुनर्निर्माण एवं सौंदर्यीकरण कार्य पारंपरिक पर्वतीय शैली के अनुरूप वृहद रूप से किया जाएगा। सरकार विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से डीनापानी में नंदादेवी हस्तशिल्प ग्राम की स्थापना भी करेगी। इस क्राफ्ट विलेज द्वारा मुख्यमंत्री सशक्त बहना उत्सव योजना के अंतर्गत स्थानीय महिला उद्यमियों द्वारा बनाए गए उत्पादों सहित विभिन्न ताम्र वस्तुओं, ऐपण कला, काष्ठशिल्प और अन्य पारंपरिक हस्तशिल्प को भी बढ़ावा मिलेगा साथ ही इन उत्पादों को देश-विदेश के बाजार से भी जोड़ा जा सकेगा।

कांवड़ मेला 2025 में धामी सरकार ने रचा नया कीर्तिमान, लाखों श्रद्धालुओं को मिली स्वास्थ्य सेवा

उत्तराखंड की धामी सरकार ने इस वर्ष आयोजित कांवड़ मेला 2025 में स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन के क्षेत्र में एक नया रिकॉर्ड कायम किया है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कांवड यात्रा मार्ग में पड़ने वाले जनपदों को आकड़ों को देखें तो सावन माह के इस विशाल धार्मिक आयोजन में 3 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को निशुल्क, त्वरित और सुलभ चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराकर राज्य सरकार ने एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत किया। भारी भीड़, सीमित संसाधन और मौसम की चुनौतियों के बीच राज्य सरकार की तैयारी सराहनीय रही। स्वास्थ्य विभाग की इस बड़ी कामयाबी के पीछे मुख्य चिकित्साधिकारी हरिद्वार डॉ आर.के सिंह की बड़ी भूमिका रही। उन्होंने विभागीय रणनीतियों बेहतर तरीके से धरातल पर उतारा व लगातार मोनिटरिंग करते रहे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश और नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग हरिद्वार ने मेला क्षेत्र में भीड़, सीमित संसाधनों और मौसम की चुनौती के बावजूद बेहतरीन कार्य किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा हमारी सरकार का संकल्प है कि हर श्रद्धालु को सुरक्षित, सम्मानित और स्वस्थ यात्रा मिले। कांवड़ मेले में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली ने जनसेवा, प्रबंधन और तकनीक का अनूठा समन्वय दिखाया है। यह न केवल श्रद्धालुओं का भरोसा बढ़ाता है, बल्कि उत्तराखंड की सेवा भावना को भी सुदृढ़ करता है।

*आगामी कुंभ 2027 के लिए भी आदर्श मॉडल*

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा मेला क्षेत्र में कुल 2.43 लाख श्रद्धालुओं को प्राथमिक और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं दी गईं। 24×7 इमरजेंसी सेवाएं निर्बाध रूप से चलीं। न तो कोई संक्रामक रोग फैला और न ही किसी बड़े हादसे की सूचना मिली। विभाग की टीम ने इस आयोजन को न केवल सुरक्षित, बल्कि नवाचार और अनुशासन का मॉडल बना दिया है, जो आगामी कुंभ 2027 के लिए भी आदर्श रहेगा।

*स्थायी व अस्थायी चिकित्सा शिविरों की व्यवस्था*

35 अस्थायी चिकित्सा शिविर स्थापित किए गए, इनमें से 25 विभाग द्वारा, और 10 निजी संस्थाओं द्वारा लगाए गए। 5 स्थानों पर कंटेनर बेस्ड स्थायी चिकित्सा केंद्र बनाए गए, जो भविष्य के आयोजनों में भी उपयोगी होंगे ।

*जियो टैगिंग और QR कोड तकनीक*

सभी शिविरों की जियो टैगिंग और QR कोडिंग की गई। श्रद्धालु QR स्कैन करके नजदीकी शिविर का लोकेशन, प्रभारी का नाम और मोबाइल नंबर जान सके।

*इमरजेंसी सेवाएं और मानव संसाधन*

45 डॉक्टर, 69 फार्मासिस्ट, 48 ईएनटी विशेषज्ञ, 58 स्टाफ नर्स, 58 एएनएम, 45 सीएचओ, 44 वाहन चालक, 108 एम्बुलेंस समेत 36 आपातकालीन वाहन, सभी पीएचसी, सीएचसी और जिला अस्पताल अलर्ट मोड पर रखे गए ।

*विशेष सुविधाएं, स्वच्छता और कचरा निस्तारण*

बर्न यूनिट, ईसीजी मशीन, स्नेक बाइट और डॉग बाइट यूनिट, व्हीलचेयर, ऑक्सीजन, फोल्डेबल बेड, फ्रंट काउंटर, हृदय रोग, एक्सीडेंट इंजरी, बर्न केस जैसी संवेदनशील समस्याओं के लिए अलग केंद्र रखे गए । सभी शिविरों से बायोमेडिकल वेस्ट का सही निस्तारण किया गया । किसी भी प्रकार का संक्रमण या बीमारी नहीं फैली, जिससे मेला क्षेत्र पूर्णतः सुरक्षित रहा।

*नशा नहीं, भक्ति से मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद*

मेला क्षेत्र में नशामुक्त कांवड़ यात्रा का संदेश व्यापक रूप से प्रचारित किया गया । हर चिकित्सा शिविर, पोस्टर, वेबसाइट और मीडिया के माध्यम से यह संदेश लोगों तक पहुंचाया गया ।

*प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग का तालमेल*

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग तीनों विभागों के बीच बेहतरीन समन्वय से मेला संचालन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रहा । यह आयोजन आने वाले कुंभ 2027 जैसे बड़े आयोजनों के लिए एक आदर्श मॉडल बनकर उभरा है । स्वास्थ्य सचिव ने कहा कांवड़ मेला 2025 में उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं न केवल कामयाब रहीं, बल्कि सेवा, नवाचार और प्रबंधन का उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया गया।

पौड़ी जनपद के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने नीलकंठ श्रावण मेले 2025 में आने वाले श्रद्धालुओं को 24×7 उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर सराहनीय कार्य किया। नीलकंठ यात्रा मार्ग पर 9 स्थानों पर मेडिकल रिलीफ पोस्ट बनाई गईं। एमआरपी नीलकंठ, पुंडरासु, धाधला पानी, मौनी बाबा की गुफा, बाघखाला, वानप्रस्थ, गरुड़ चट्टी, पीपलकोटी, पीएचसी लक्ष्मण झूला, प्रत्येक पोस्ट पर 2 चिकित्सक, 2 फार्मेसी अधिकारी, 2 नर्सिंग स्टाफ, 1 कक्ष सेवक और 1 सफाईकर्मी तैनात रहा। कुल 07 एम्बुलेंस: 5 विभागीय + 2 108 सेवा, 2 मोबाइल टीमें, जिनमें 1 डॉक्टर, 1 नर्स और 1 सेवक शामिल, ऑन साइट पोस्टमार्टम के लिए लक्ष्मण झूला में 2 अतिरिक्त चिकित्सक और 1 सेवक की नियुक्ति, 24 चिकित्सक, 20 फार्मेसी अधिकारी,20 नर्सिंग अधिकारी, 10 कक्ष सेवक, 10 सफाई कर्मचारी, 7 एम्बुलेंस चालक तैनात रहा।

*मेले में श्रद्धालुओं को सफल उपचार मिला*

बुखार, उल्टी-दस्त, सांस फूलना, सामान्य व गंभीर चोटें, सर्पदंश, कुत्ते के काटने, पैरों व बदन का दर्द, छाले, त्वचा रोग, मिर्गी, कटना-फटना, हाई बीपी और शुगर संबंधी समस्याएं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एस.एम. शुक्ला के निर्देशन में PHC लक्ष्मण झूला में 24 घंटे कंट्रोल रूम संचालित किया गया। डॉ. राजीव कुमार को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया।

हरिद्वार में सीएम धामी ने हेलीकॉप्टर से कांवड़ियों पर बरसाये फूल, किया स्वागत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार पहुॅचकर ओम पुल के निकट गंगा घाट पर आयोजित प्रतिभाग किया तथा देशभर से आए शिवभक्त कांवड़ियों के चरण धोकर स्वागत किया व उन्हें सम्मानित किया। उन्होंने आयोजित भजन सन्ध्या में भी प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि शिव भक्त कांवड़ियों का पैर पखार कर उनका आशीर्वाद लेने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने सफल आयोजन के लिए हरिद्वार पुलिस सहित सभी प्रशासनिक अधिकारियों, एचआरडीए को बधाई दी। उन्होंने कहा कि जल अर्पित करने मात्र से ही भगवान शिव अपने सभी भक्तों की मनोकामनायें पूरी कर देते है, और श्रावण मास में तो भगवान शिव की भक्ति का प्रभाव अत्यधिक बढ़ जाता है। देशभर से सैकड़ो-हजारों किलोमीटर की यात्रा करके शिव भक्त कांवड़िये धर्म नगरी हरिद्वार से गंगा का जल लेकर जाते है और जलाभिषेक करते हैं। उन्होंने कहा कि कांवड यात्रा न केवल श्रद्धा एवं आस्था का प्रतीक है बल्कि यह हमें सेवा में पुण्य का भागीदार बनने का भी अवसर देती है। इस वर्ष की अभी तक कांवड यात्रा पर एक करोड़ से अधिक शिव भक्त कांवड़ियों ने अपने-अपने गंतव्य को प्रस्थान कर लिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकास के साथ-साथ संस्कृति के संरक्षण के लिए बहुत पुनरोत्थान के कार्य भी चले रहे है, चाहें काशी विश्वनाथ कोरिडोर, अयोध्या में भव्य राम मन्दिर बनने की बात करें या उज्जैन में बनने वाला महाकाल, हमारे देवभूमि उत्तराखण्ड में केदारनाथ का नवनिर्माण या बद्रीविशाल का मास्टर प्लान हो, इन सभी पर कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने हमारे राज्य में प्रथम ध्वज वाहक बनकर आदि कैलाश यात्रा को पूरे विश्व में प्रसिद्धि दिलाने का काम किया है। वह देश के प्रथम प्रधानमंत्री है जिन्होंने साढे़ 17 हजार फुट की ऊँचाईं पर जाकर सीमांत क्षेत्र में भगवान आदि कैलाश व पार्वती कुण्ड के दर्शन किये। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में मां गंगा के तट पर हरिद्वार-ऋषिकेश कॉरिडोर का निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में हरिद्वार धर्मनगरी का भी काशी, अयोध्या की भाँति अपने भव्य स्वरूप में दर्शन हो जाया करेंगें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस पवित्र धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य कर रही है। इसके लिए हमने पहली बार एक विशिष्ट मोबाइल एप के साथ स्वास्थ्य केन्द्र, शौचालय, पार्किंग, टिन शेड विस्तार, विश्राम स्थलों की पर्याप्त व्यवस्था की है। आपकी यात्रा में कोई असुविधा न हो साथ ही प्रशासन द्वारा यात्रा मार्ग एवं हरिद्वार क्षेत्रों में होटल एवं ढाबों में गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने की मॉनिटरिंग भी की जा रही है। यात्रा के दौरान सुरक्षा के मजबूत इंतजाम किये गये है, धर्मनगरी हरिद्वार में सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन कैमरों के माध्यम से निगरानी की जा रही हैं। लगभग तीन सौ से ज्यादा कैमरे कांवड़ क्षेत्र में लगाये गये है। कांवड़ मेला क्षेत्र में वाटर एंबुलेंस की व्यवस्था भी की है, जाम में फंसे गंभीर मरीजों को गंगा नदी और गंगनहर के जरिये जल्द से जल्द निकटवर्ती अस्पतालों तक पहुँचायें जा सके। कांवड मेंला केवल एक धार्मिक आयोजन ही नही हमारी आस्था श्रृद्धा और सनातन संस्कृति का प्रतीक है। हमारा सौभाग्य है कि हर साल करोंड़ों-करोंडों शिव भक्तों का सेवा करने का सुअवसर प्राप्त होता है। जहां भक्ति है वहां मर्यादा की भी आवश्यकता है, जहां आस्था है वहां अनुशासन भी जरूरी है, और जहां शिव है वहां शान्ति भी स्वाभाविक है। लेकिन हाल ही में कुछ घटनाएं भी सामने आई है, जहां कुछ स्थानों पर कांवड़ यात्रा के दौरान उपद्रव और अनुशासनहीनता भी देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि शिव शक्ति कोई प्रदर्शन नहीं बल्कि एक आंतरिक साधना है। उन्होंने कहा कि भगवान महादेव को जलाभिषेक करने, जल अर्पित करने एवं उनकी आराधना करने की पवित्र यात्रा एवं अनुष्ठान है। उन्होंने कहा कि महादेव को प्रसन्न करने के लिए, अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए, अपना शोधन करने लिए इस यात्रा को करते हैं।

मुख्यमंत्री ने अपील करते हुए कहा कि आपकी यात्रा के कारण किसी को भी पेरशानी न हो, यात्रा में किसी भी प्रकार का विघ्न एवं बाधा न हो, कावंड़ यात्रा के नियमों का पालन करें। उन्होंने कहा कि कुछ व्यक्ति कावड़ यात्रा के उद्देश्यों को भुलाकर अशान्ति, एवं उपद्रव की राह पर चलने का प्रयास कर रहे हैं, उनसे भी विनम्र अपील की कि वह सच्चे शिव भक्त की भांति विनम्रता पूर्ण आचरण करें, क्योंकि जब भक्त विनम्र और सहनशील होता है तब आत्मिक शान्ति प्राप्त होती है। उन्होंने भगवान आशुतोष से प्रार्थना की कि इस बार की कांवड़ यात्रा आपके भीतर शिव तत्व को जागृत करें, इसके लिए आपको प्रसन्न रहकर शान्तिपूर्ण आचरण करना होगा। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड की यह पुण्य भूमि केवल आप सभी का स्वागत ही नहीं करती है, बल्कि आपकी सेवा को अपना शौभाग्य मानती है। इसलिए संरकार, शासन एवं प्रशासन, स्वयं सेवी संगठन, डॉक्टर्स, सफाई कर्मी, व्यापार मण्डल, श्री गंगा सभा, जनप्रतिनिधिगण, सन्तगण सभी मिलकर कांवड़ यात्रा का संयोजन करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड को देश का अग्रणीय राज्य बनाने के लिए हमने विकल्प रहित संकल्प के साथ हम निरन्तर कार्य कर रहे हैं, उसका परिणाम भी आ रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी दिशा बिल्कुल सही लक्ष्य की ओर बढ़ रही है, नीति आयोग भारत सरकार ने इण्डेक्स में पूरे देश के अन्दर सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में देवभूमि उत्तराखण्ड ने देश के अन्दर पहला स्थान प्राप्त किया है। इसके साथ ही बेरोजगारी दर राष्ट्रीय स्तर से कम हुई है। उन्होंने कहा कि हमने नकल विरोधी कानून बनाया है, इसके बनने के बाद 24 हजार से अधिक नियुक्तियां बिना किसी नकल व बिना भ्रष्टाचार के सम्पन्न हो गई हैं। उन्होंने कहा कि नकल माफिया जेल की सलाखों के पीछे हैं। उन्होंने कहा कि विकास के साथ-साथ प्रदेश की संस्कृति के संरक्षण के लिए भी काम किया है, सख्त धर्मान्तरण विरोधी कानून लागू किया है, दंगा विरोधी कानून, समान नागरिकता कानून लागू किया है, वहीं लव जिहाद, लैण्ड जिहाद और थूक जिहाद के खिलाफ भी कठोर कार्यवाही सुनिश्चित की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सनानत की आड़ में विधर्मियों द्वारा छद्म वेष बनाकर भोले भाले लोगों को ठगने के खिलाफ भी ऑपरेशन कालनेमि चला रहे हैं। इस ऑपरेशन के माध्यम से छद्म वेशधारियों को पकड़ने का काम कर रहे है, जोकि सनातन धर्म को नुकसान पहुॅचाने एवं हिन्दु धर्म को बदनाम करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में श्रीमद् भागवत गीता के पाठ को भी अनिवार्य कर दिया है। पिछले दो दिनों से सभी स्कूलों में विद्यार्थी गीता का पाठ कर रहे हैं, जिससे हमारे प्रदेश के बच्चे शिक्षा के साथ-साथ जीवन जीने की कला को भी सीख पायें, शिक्षा के साथ-साथ अपने अध्यात्म के प्रति भी उत्सुकता भी जागृत हो। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि यात्रा की सफलता एवं श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जो भी दिशा-निर्देश जारी किये हैं, उनका अनुपालन करें, यात्रा को सफल बनाने में अपना सहयोग प्रदान करें।

इस दौरान अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी, राज्यसभा सासंद कल्पना सैनी, राज्यमंत्री ओमप्रकाश जमदग्नि, शोभाराम प्रजापति, देशराज कर्णवाल, हरिद्वार मेयर किरण जैसल, रुड़की मेयर अनीता देवी, जिला पंचायत अध्यक्ष किरण चौधरी, विधायक प्रदीप बत्रा, आदेश चौहान, मदन कौशिक, जिलाध्यक्ष हरिद्वार आशुतोष शर्मा, जिलाध्यक्ष रुड़की मधु, श्रीगंगा सभा अध्यक्ष नितिन गौतम, महामंत्री तन्मय वशिष्ठ, सभापति कृष्ण कुमार ठेकेदार, पूर्व विधायक संजय गुप्ता, प्रणव सिंह चौंपियन, जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, आईजी राजीव स्वरूप, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र सिंह डोभाल, महामंडलेश्वर ललितानंद गिरि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।