त्रिवेन्द्र सरकार ने इस बार जेंडर बजट में करीब 6204 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। यह पिछले बजट से करीब 12 करोड़ रुपये अधिक है। प्रदेश में जेंडर बजट 2007-08 से शुरू किया गया था। वित्त विभाग के अनुसार, जेंडर बजट का मतलब है सामान्य बजट में महिलाओं से संबंधित योजनाओं के लिए अलग से व्यवस्था करना। इस बार जेंडर बजट 6204 करोड़ रुपये का रखा गया है।
पिछले बजट में जेंडर बजट के तहत 6192 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी। इस बार सबसे अधिक इजाफा कल्याणकारी योजनाओं में किया गया है। पिछले बजट में कल्याणकारी योजनाओं के लिए 681 करोड़ रुपये की व्यवस्था की थी। इस बार इसके लिए 912 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। 11 विभाग ऐसे हैं, जिनमें शत प्रतिशत जेंडर बजट की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा कई विभाग हैं जिन्होंने महिला संबंधित योजनाओं में 20 प्रतिशत की व्यवस्था की है।
इन विभागों की योजनाओं में शत प्रतिशत व्यवस्था
(करोड़ रुपये में)
पुलिस 06.30
शिक्षा, खेल 20.51
परिवार कल्याण 83.78
कल्याण योजनाएं 912
ग्राम्य विकास 07.60
उद्योग 07.50
परिवहन 03.50
वन 00.33
अनुसूचित जाति 74
अनुसूचित जनजाति 03.90
पशुपालन संबंधित कार्य 33
नए उद्योगों को मिलेगी रफ्तार, सरकार ने उठाया वित्तीय भार
उत्तराखंड में नए उद्योगों को रफ्तार देने के लिए सरकार ने बजट में वित्तीय भार उठाया है। सरकार ने 2020-21 के बजट में औद्योगिक विकास के लिए 382 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 100 करोड़ अधिक है। नए औद्योगिक निवेश के प्रस्तावों को धरातल पर उतारने के लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में प्राथमिकता दी है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में उद्योग विभाग को लगभग 276 करोड़ का बजट दिया गया था। इस बार सरकार ने इसे बढ़ा कर 382 करोड़ किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में नए एमएसएमई उद्योग, बुनियादी ढांचे का विकास, नए इंडस्ट्रियल एरिया, हथकरघा एवं हस्तशिल्प, खादी ग्रामोद्योग पर सरकार का फोकस है।
ग्रोथ सेंटरों के लिए सरकार ने बजट में 10 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। सरकार की योजना न्याय पंचायत स्तर पर ग्रोथ सेंटर स्थापित करने की है। अब तक 83 ग्रोथ सेंटरों के लिए विभिन्न विभागों को पैसा दिया गया है। इसी तरह मेक इन इंडिया के लिए सरकार ने 50 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है।