मुख्य सचिव की अध्यक्षता में यूपीसीएल की 125 वीं बोर्ड बैठक आयोजित हुई

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में उत्तराखण्ड पावर कार्पाेरेशन लिमिटेड की 125वीं बोर्ड बैठक सम्पन्न हुयी। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने बोर्ड में सचिव वित्त को भी शामिल किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने टेक्निकल पृष्ठभूमि के व्यक्ति को भी बोर्ड में शामिल किए जाने की बात कही।

अगले वित्तीय वर्ष का बजट फरवरी-मार्च तक हो जाए बोर्ड से स्वीकृतः मुख्य सचिव
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रोजेक्ट्स की लागत को कम किए जाने के लगातार प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट्स के लिए लिया जाना वाला ऋण जितना सस्ता हो, उतना अच्छा। इसके लिए वित्त उपलब्ध कराने वाली एजेन्सियों से लगातार सम्पर्क किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि अगले वित्त वर्ष के बजट के लिए फरवरी-मार्च तक बोर्ड से संस्तुति अनिवार्य रूप से ले ली जाए।

तीनों कार्पाेरेशन में विजिलेंस मैकेनिज्म तैयार किए जाने के दिए निर्देश
मुख्य सचिव ने तीनों कार्पाेरेशन में विजिलेंस मैकेनिज्म तैयार किए जाने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सचिव विजिलेंस के साथ बैठक कर तीनों कार्पाेरेशन्स में शीघ्र ही विजिलेंस मैकेनिज्म तैयार किया जाए। मुख्य सचिव ने यूपीसीएल को 1 जनवरी, 2026 से ईआरपी लागू किए जाने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि तीनों कार्पाेरेशन में त्रैमासिक प्रदर्शन की समीक्षा की जाए। उन्होंने कहा कि इससे अल्पकालिक लक्ष्यों पर कार्पाेरेशन की प्रगति का आंकलन एवं सुधार के क्षेत्रों को चिन्हित कर अगली तिमाही के लिए नए उद्देश्य निर्धारित किए जा सकेंगे।

मुख्य सचिव ने नई तकनीकों के इस्तेमाल पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि नई तकनीक का उपयोग करने से पहले एक दो स्थानों पर अनिवार्य रूप से प्रयोग कर लिया जाए, ताकि तकनीक के कम सफल होने या असफल होने पर उपयोग से हटाए जाने में अधिक नुकसान न हो। उन्होंने कहा कि सभी कार्पाेरेशन को पेशेवर दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रोजेक्ट्स को शुरू करने से पहले उसका तकनीकी आर्थिक व्यवहार्यता (टेक्नो इकोनॉमिक फीजीबिलिटी) परीक्षण कराए जाने की बात भी कही।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम, स्वतंत्र निदेशक (बोर्ड) पराग गुप्ता, बी.पी. पाण्डेय, अपर सचिव डॉ. अहमद इकबाल, एमडी यूपीसीएल अनिल यादव, एमडी यूजेवीएनएल संदीप सिंघल एवं एमडी पिटकुल पी.सी. ध्यानी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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सीएस ने किया एनआईसी उत्तराखण्ड की त्रैमासिक न्यूज़लेटर ‘द डिजिटल थ्रेड‘ का विमोचन

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने एन.आई.सी. उत्तराखण्ड की प्रथम त्रैमासिक न्यूज़लेटर ‘द डिजिटल थ्रेड‘ का विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्य सचिव ने आशा व्यक्त की कि यह न्यूज़लेटर राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में किए जा रहे नवाचारों, सफल परियोजनाओं, डिजिटल पहलों एवं एन.आई.सी. उत्तराखण्ड की प्रमुख गतिविधियों को व्यापक रूप से आम जनमानस तक से पहुंचाने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि ‘द डिजिटल थ्रेड‘, शासन, तकनीक और नागरिकों के बीच सेतु का कार्य करेगा।

राज्य सूचना विज्ञान अधिकारी (एन.आई.सी.) संजय गुप्ता ने कहा कि एन.आई.सी. उत्तराखण्ड राज्य में डिजिटल इंडिया मिशन को सशक्त बनाने हेतु प्रतिबद्ध है, एवं निरंतर अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कार्य कर रहा है।

इस अवसर पर ए.एस.आई.ओ. (जिला) राजीव जोशी, संयुक्त निदेशक (आई.टी.) चंचल गोयल, संयुक्त निदेशक (आई.टी.) शिवानी गोठी, सयुंक्त निदेशक (आई.टी.) रोहित चंद्रा, उप निदेशक (आई.टी.) प्रीति जोशी एवं उप निदेशक (आई.टी.) अनुज धनगर भी उपस्थित रहे।

नंदा राजजात यात्रा के कार्यों को निर्धारित समय सीमा के भीतर किया जाएः सीएस

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में विभिन्न विभागों के प्रस्तावों को लेकर व्यय वित्त समिति की बैठक आयोजित हुई। बैठक के दौरान विभिन्न विभागों के प्रस्तावों को मंजूरी मिली।

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि नंदा राजजात यात्रा से सम्बन्धित कार्यों को निर्धारित समय सीमा के भीतर किया जाना सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि यात्रा शुरू होने से पहले सभी कार्य पूर्ण कर लिए जाएं।

मुख्य सचिव ने शारदा घाट पुनर्विकास से सम्बन्धित प्रस्तावों के दौरान कहा कि किसी भी स्थान के सौंदर्यीकरण सहित अन्य कार्यों में स्वदेशी मैटेरियल को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने घाटों के निर्माण से सम्बन्धित प्रोजेक्ट्स में प्रयोग होने वाली नई तकनीकों में भी न्यूनतम रखरखाव वाली तकनीकों का उपयोग किए जाने पर जोर दिया। कहा कि घाटों में बनाए जाने वाले पैदल मार्गों को प्राकृतिक रूप से घास आदि लगाकर ठंडा रखा जा सकता है।

मुख्य सचिव ने कहा कि विदेशी मैटेरियल को स्वदेशी से बदलने से प्रोजेक्ट में होने वाला खर्च भी कम होगा। यदि ऐसा कोई मैटेरियल प्रयोग किया जाना आवश्यक हो तो समिति के समक्ष उसका तार्किक औचित्य भी प्रस्तुत किया जाए।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय एवं अपर सचिव डॉ. अहमद इकबाल सहित सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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सीएम ने प्रदान की विभिन्न विकास योजनाओं के लिए 1029 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पंचम राज्य वित्त आयोग की संस्तुतियों के क्रम में गैर निर्वाचित निकायों को वित्तीय वर्ष 2025-26 की द्वितीय छमाही किश्त हेतु 03 करोड़, समस्त जिला पंचायतों को वित्तीय वर्ष 2025-26 की तृतीय त्रैमासिक किश्त एवं क्षेत्र पंचायतों एवं ग्राम पंचायतों को द्वित्तीय छमाही किश्त की कुल 361.25 करोड तथा समस्त शहरी स्थानीय निकायों को वित्तीय वर्ष 2025-26 की तृतीय त्रैमासिक किस्त हेतु 333.25 करोड की धनराशि आवंटित किये जाने का अनुमोदन प्रदान किया है।

मुख्यमंत्री द्वारा मानसून के दौरान जनपद हरिद्वार में आपदाओं की संवेदनशीलता को देखते हुए आपदा न्यानीकरण निधि में तात्कालिक आवश्यकताओं के कार्यों हेतु 01 करोड एवं जनपद उत्तरकाशी के धराली/स्यानाचट्टी सहित विभिन्न क्षेत्रों में अतिवृष्टि के कारण व्यापक सार्वजनिक परिसम्पत्तियों की मरम्मत/पुर्नस्थापना कार्य हेतु 03 करोड़ अतिरिक्त धनराशि आवंटित किये जाने का अनुमोदन प्रदान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने राज्य योजना के अन्तर्गत जनपद पौड़ी गढ़वाल की विधानसभा क्षेत्र श्रीनगर में विभिन्न मोटर मार्गों पर स्थित 04 सेतुओं को उच्चीकृत किये जाने एवं एक मोटर मार्ग के निर्माण हेतु 18.23 लाख का भी अनुमोदन प्रदान किया है।

मुख्यमंत्री ने विभिन्न जनपदों/रेखीय विभागों को वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्य आपदा मोचन निधि से आयुक्त एवं सचिव, राजस्व परिषद, देहरादून को 02 करोड़, जनपद देहरादून को 16 करोड़ एवं उत्तराखण्ड ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण को 25 करोड़, की धनराशि आवंटित किये जाने का अनुमोदन प्रदान किया है।

मुख्यमंत्री द्वारा जनपद पौडी के विकासखण्ड यमकेश्वर के अन्तर्गत दिवोगी कान्द्रा भवालातोक में विन नदी के किनारे पर बाढ़ नियंत्रण कार्य हेतु 2.58 करोड़ की धनराशि का अनुमोदन प्रदान किया गया है।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा प्राकृतिक आपदा से मार्गाे/सड़कों में आने वाले मलबे को हटाये जाने हेतु विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं द्वारा स्थापित/तैनात की गयी जे०सी०बी० आदि के वित्तीय वर्ष 2025-26 तथा विगत वर्षों को जे०सी०बी० के बीजकों का तथा राज्य आपदा मोचन निधि से अन्य देयकों का भुगतान जनपद स्तर पर प्रति जनपद 02 करोड़ की दर से 13 जनपदों हेतु कुल 26 करोड़ स्वीकृत किये जाने का अनुमोदन प्रदान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने किया जनपद पिथौरागढ़ में स्थित लंदन फोर्ट किले का नाम सोरगढ़ किला किये जाने का अनुमोदन
मुख्यमंत्री द्वारा मुख्यमंत्री घोषणा के तहत जनपद पिथौरागढ़ में स्थित लंदन फोर्ट किले का नाम सोरगढ़ किला किये जाने का अनुमोदन प्रदान किया है। इसका शासनादेश भी जारी कर दिया गया है।

सीएस ने यूकॉस्ट और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग को इस दिशा में कारगर पहल सुनिश्चित करने के निर्देश दिए

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि उत्तराखंड में स्थित राष्ट्रीय महत्व के वैज्ञानिक संस्थानों का राज्य के हित में अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए लगातार संवाद, बेहतर समन्वय व सतत सहयोग की व्यवस्था हेतु एक सुव्यवस्थित व सुसंगठित प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा।

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम में आगामी 12 से 14 नवंबर तक विज्ञान धाम में प्रस्तावित छठे देहरादून इंटरनेशनल साईंस एंड टेक्नोलॉजी फेस्टीवल के पोस्टर एवं ब्रोशर का विमोचन करते हुए यह विचार व्यक्त किए। मुख्य सचिव ने प्रस्तावित फेस्टीवल हेतु आयोजकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नित नई प्रगति होने से बहुत तेजी से बदलाव हो रहे हैं। समाज और विशेषकर युवा पीढी को विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी से जोड़ने और इस क्षेत्र में आगे बढने के लिए प्रेरित करने में इस तरह के आयोजन महत्वपूर्ण सिद्ध होते हैं।

मुख्य सचिव ने कहा कि टेक्नोलॉजी की जननी मौलिक विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को बढावा देने पर विशेष ध्यान दिया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्य होने के नाते उत्तराखंड के लिए विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी अत्यधिक आवश्यक व महत्वपूर्ण है। देहरादून एवं उत्तराखंड में राष्ट्रीय स्तर के कई वैज्ञानिक एवं शैक्षिक संस्थान मौजूद हैं, जिनका राज्य के हित में समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग लिया जाता है। उत्तराखंड के हित में सभी महत्वपूर्ण संस्थानों का अधिकतम सहयोग व बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। मुख्य सचिव ने यूकॉस्ट और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग को इस दिशा में कारगर पहल सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए।

इस अवसर पर सचिव उत्तराखंड शासन डॉ. आर. राजेश कुमार, चन्द्रेश यादव, दीपेन्द्र चौधरी, हेस्को के संस्थापक पद्मभूषण अनिल जोशी, उत्तराखंड पेट्रोलियम विश्वविद्यालय के वीसी राम शर्मा, यूकॉस्ट के संयुक्त निदेशक डीपी उनियाल आदि ने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन कुंवर राज अस्थाना ने किया।

सीएस बोले, राज्य में ईएसआईसी के अस्पताल खोलने कोे मानकों में ढील देने का प्रस्ताव तैयार कर क्षेत्रीय परिषद को भेजेंगे

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने उद्योगों से जुड़े प्रकरणों का तत्परता से निस्तारण सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा है कि राज्य में उद्योगों को समुचित सुविधाएं एवं बेहतर माहौल उपलब्ध कराने के लिए शासन प्रतिबद्ध है। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को उद्योगों व उद्यमियों से संबंधित मामलों पर विचार-विमर्श के लिए राज्य एवं जिला स्तरीय उद्योग मित्र समितियों की बैठकें नियमित रूप से आयोजित करने की हिदायत देते हुए कहा है कि तात्कालिक महत्व के मामलों में इन समितियों की बैठकों की प्रतीक्षा न कर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित की जाय।

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में राज्य स्तरीय उद्योग मित्र समिति की प्राधिकृत समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने बैठक में राज्य के उद्यमियों एवं उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुत मामलों को विस्तार से सुनने के साथ ही उद्योगों से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण प्रकरणों पर विस्तार से विचार-विमर्श कर संबंधित विभागों के अधिकारियों को त्वरित समाधान करने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि उद्यमियों के साथ सचिव वित्त द्वारा जीएसटी की नई व्यवस्था से संबंधित प्रकरणों को लेकर बैठक कर समस्याओं एवं शंकाओं का समुचित समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में ईएसआईसी के अस्पताल खोले जाने के मानकों में ढील देने का प्रस्ताव तैयार कर क्षेत्रीय परिषद को भेजा जाएगा। उन्होंने देहरादून जनपद में ईएसआईसी अस्पताल के लिए आवश्यक भूमि की व्यवस्था के संबंध में भी अधिकारियों को निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में उद्योगों की स्थापना व संचालन के लिए बेहतर माहौल उपलब्ध कराने के साथ ही औद्योगिक आस्थानों में समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मुख्य सचिव ने संबंधित विभागों और संगठनों को उद्योगों के लिए सभी आवश्यक अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध कराने, बिजली की पर्याप्त व निर्बाध आपूर्ति करने तथा लॉजिस्टिक की बेहतर सुविधाएं देने के लिए भी कारगर कदम उठाने के निर्देश देते हुए कहा कि उद्यमियों द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों का समय से समाधान सुनिश्चित किया जाय।

बैठक में सचिव दिलीप जावलकर, शैलेश बगोली, विनय शंकर पाण्डेय, अपर सचिव विनीत कुमार सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी गण एवं उद्योग संगठनों केे प्रतिनिधिगण व अनेक उद्यमी उपस्थित रहे।

प्रदेशभर में स्किल गैप असेसमेंट कराया जाएः बर्द्धन

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के युवाओं को प्रदेश के भीतर एवं अन्य राज्यों सहित भारत के बाहर विदेशों में नौकरी के अवसर नौकरी दिलाने की दिशा में काम किए जाने की जरूरत है। उन्होंने इसके लिए ओवरसीज एंप्लॉयमेंट सेल और पैनलबद्ध भर्ती एजेंसियों के माध्यम से विदेशों में नौकरी के अवसर उपलब्ध कराए जाएं।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेशभर में स्किल गैप असेसमेंट करा लिया जाए। उन्होंने अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों में नर्सिंग का टूर गाइड्स एवं पर्यटन की बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए वाइल्ड लाइफ गाइड प्रशिक्षण को भी शामिल किया जाए। इसके लिए विभाग को युवाओं को प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के साथ ही हैंड होल्डिंग किए जाने की आवश्यकता है।

मुख्य सचिव ने कहा कि विदेशों में नौकरी की संभावनाओं को देखते हुए युवाओं को अपेक्षित प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा कि युवाओं की हैंड होल्डिंग के साथ ही इच्छुक अभ्यर्थियों को इंटेंसिव ट्रेनिंग भी कराई जा सकती है। उन्होंने कहा कि विदेश में जॉब के लिए जाने वाले अभ्यर्थियों को विदेशी भाषाओं व्यावहारिक बातचीत का प्रशिक्षण भी अनिवार्य रूप से कराया जाए ताकि विदेशों में सामान्य बोलचाल की समस्या उत्पन्न न हो। मुख्य सचिव ने कहा कि विभाग द्वारा विदेशों में नौकरी के अवसर का भी लक्ष्य निर्धारित किया जा सकता है, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें।

सचिव सी. रविशंकर ने बताया कि विभाग द्वारा ओवरसीज एम्प्लॉयमेंट सेल का गठन कर लिया गया है। अभी तक 63 युवाओं को जापान और सऊदी अरेबिया में प्रशिक्षण और रोजगार प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के माध्यम से 351 युवाओं को प्रशिक्षण उपलब्ध कराया गया है, जिसमें से 315 को प्लेसमेंट मिल गया है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में वर्तमान में 169 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

इस अवसर पर सचिव सी रविशंकर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने जलवायु लचीलापन व जल स्थिरता पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने आज अंतर्राष्ट्रीय जल विज्ञान संघ (आईएएचएस) की बारहवीं वैज्ञानिक सभा का उद्घाटन किया। इस सभा में दुनिया भर के प्रमुख वैज्ञानिक, शोधकर्ता एवं नीति निर्माता सतत जल संसाधन प्रबंधन, जल विज्ञान संबंधी नवाचारों एवं जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता पर विचार-विमर्श करने के लिए एकत्रित हुए। इस सभा में 49 देशों के 627 से अधिक प्रतिभागी और 682 वैज्ञानिक योगदान शामिल हैं, जो इसे आईएएचएस के इतिहास की सबसे बड़ी सभाओं में से एक बनाता है। सप्ताह भर चलने वाला यह कार्यक्रम जल स्थिरता एवं जलवायु अनुकूलन को बढ़ावा देने के लिए व्यापक चर्चाओं, कार्यशालाओं व नेटवर्किंग के माध्यम से वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देगा।

मुख्य अतिथि के रूप में मुख्य सचिव उत्तराखण्ड, आनंद बर्द्धन ने सत्र का उद्घाटन किया और जल विज्ञान अनुसंधान और इसके सामाजिक अनुप्रयोगों को आगे बढ़ाने में उनके वैश्विक योगदान के लिए आईआईटी रुड़की एवं आईएएचएस की सराहना की। मुख्य सचिव बर्द्धन ने कहा, जल विज्ञान जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन, आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण है। आईआईटी रुड़की जैसे संस्थान वैश्विक ज्ञान को स्थानीय समाधानों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो समुदायों और नीति निर्माताओं दोनों को सशक्त बनाते हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन एवं आईआईटी रुड़की कुलगीत के साथ हुई, जिसके बाद प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों ने अपने संबोधन दिए, जिनमें आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत, आईएएचएस के अध्यक्ष प्रो. साल्वातोरे ग्रिमाल्डी, आईएनएसए के उपाध्यक्ष एवं सीएसआईआर-एनईआईएसटी के निदेशक डॉ. वी.एम. तिवारी, आईएएचएस एसए 2025 के अध्यक्ष प्रो. सुमित सेन तथा संयोजक प्रो. अंकित अग्रवाल शामिल थे।

आईआईटी रुड़की में आयोजित यह आईएएचएस वैज्ञानिक सभा नवाचार, सहयोग एवं ज्ञान के आदान-प्रदान के माध्यम से वैश्विक जल चुनौतियों के समाधान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह जल विज्ञान अनुसंधान एवं सतत जल प्रबंधन में भारत की अग्रणी भूमिका को सुदृढ़ करती है। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने कहा, मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह छह दिवसीय सभा नए विचारों, दीर्घकालिक साझेदारियों और परिवर्तनकारी नवाचारों को प्रेरित करेगी, जो जल विज्ञान एवं समाज दोनों के लिए सार्थक योगदान देंगी। सत्र के दौरान आईएएचएस वैज्ञानिक सभा 2025 की कार्यवाही का विमोचन भी किया गया, जो एक सप्ताह तक चलने वाले वैज्ञानिक विचार-विमर्श, तकनीकी सत्रों, प्रदर्शनी एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोगों की शुरुआत का प्रतीक है।

अगले तीन माह में करें एक वर्ष से अधिक समय से लंबित वादों के निस्तारणः बर्द्धन

मुख्य सचिव एवं अध्यक्ष राजस्व परिषद आनन्द बर्द्धन ने राजस्व परिषद सभागार में जिलाधिकारियों के साथ राजस्व वादों की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि धारा 34 एवं 143 से सम्बन्धित एक वर्ष से अधिक समय से लंबित वादों को अगले तीन माह में निपटारा कर लिया जाए।

मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को धारा – 34 और 143 से सम्बन्धित वादों में गंभीर अनियमितताओं पर तत्काल विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने तहसीलदार विकास नगर को वादों के निस्तारण में धीमी गति पर कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वादों के निस्तारण में किसी भी प्रकार की कोताही न की जाए।

मुख्य सचिव ने सभी जनपदों में ऑनलाइन म्यूटेशन प्रक्रिया लागू किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि आरसीएमएस पोर्टल शीघ्र ही पूर्णतः संचालित होने लगेगा। इससे रजिस्ट्री होते ही तत्काल म्यूटेशन की प्रक्रिया पूर्ण हो सकेगी। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को तहसील मुख्यालयों एवं एसडीएम कार्यालयों में भी ई-ऑफिस शीघ्र लागू किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जहां नेटवर्क एवं हार्डवेयर की अनुपलब्धता है, शीघ्र उपलब्ध कराए जाएं।

मुख्य सचिव ने जनपदों में कार्मिकों के स्थानान्तरण हो जाने के बावजूद जनपदों से कार्यमुक्ति न दिए जाने पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बैठक समाप्ति के तत्काल बाद सभी स्थानान्तरित कार्मिकों को कार्यमुक्त किया जाए एवं जनपदों द्वारा आज शाम तक कार्यमुक्ति से सम्बन्धित प्रमाण पत्र उपलब्ध करा कर अवगत कराया जाए।

मुख्य सचिव ने राजस्व वसूलियों से सम्बन्धित समितियों की बैठकें नियमित रूप से आयोजित की जाएं। उन्होंने दोनों मंडलों के आयुक्तों को भी अपनी मासिक बैठकों में राजस्व वादों एवं राजस्व वसूली से सम्बन्धित मामलों की समीक्षा किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने रेवेन्यू रियलाइजेशन कमिटी, वन, वाणिज्य, रजिस्ट्रेशन और आरसीएस से सम्बन्धित बैठकों को भी नियमित रूप से आयोजित किए जाने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने आपदा से क्षतिग्रस्त पटवारी चौकियों एवं तहसील भवनों का आंकलन शीघ्र भेजे जाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि प्रमोशन के पदों के लिए पात्र कार्मिकों की प्रमोशन की प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण की जाए, ताकि पटवारी, कानूनगो, नायब तहसीलदार आदि के पदों को शीघ्र भरा जा सके और वादों के निस्तारण में तेजी आए।

मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि सेवा का अधिकार के अंतर्गत समस्त प्रमाणपत्रों के निर्गत किए जाने की समय सीमा का उल्लेख सम्बन्धित कार्यालयों के सम्मुख अनिवार्य रूप से चस्पा की जाए, ताकि आवेदकों को, उनके द्वारा आवेदित प्रमाण पत्र कब तक उपलब्ध हो जाएंगे, इसकी जानकारी मिल सके।

इस अवसर पर सचिव एवं आयुक्त राजस्व परिषद रंजना राजगुरू सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जनपदों से जिलाधिकारी एवं आयुक्त कुमाऊं दीपक रावत उपस्थित थे।

सीएस ने प्रदेश की 13 ग्लेशियर झीलों में सेंसर लगाने को वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान को जिम्मेदारी दी

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान, जीएसआई, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, सेंट्रल वॉटर कमीशन आदि राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के साथ लैंड स्लाइड न्यूनीकरण के सम्बन्ध में बैठक की। बैठक के दौरान सभी वैज्ञानिक संस्थानों के साथ भूस्खलन न्यूनीकरण की समस्याओं के निराकरण पर चर्चा हुई।

मुख्य सचिव ने सभी वैज्ञानिक संस्थानों को प्रदेश के अंतर्गत भूस्खलन संभावित क्षेत्रों का चिन्हीकरण कर एक प्रिडिक्शन मॉडल तैयार किए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमें एक इस प्रकार के मैकेनिज्म को तैयार किए जाने की आवश्यकता है, जो सैटेलाइट इमेज और धरातल परीक्षण के बाद तैयार मॉड्यूल के आधार पर यह पूर्वानुमान लगा सके कि कितनी वर्षा होने पर किसी विशेष स्थान के भूस्खलन की संभावना है, ताकि हम निचले स्थानों को खाली कर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा सकें।

मुख्य सचिव ने इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान एवं सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट को मिलकर इस दिशा पर कार्य किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस दिशा में वृहत स्तर पर और तत्काल कार्य किए जाने की आवश्यकता है।

मुख्य सचिव ने प्रदेश की 13 ग्लेशियर झीलों में सेंसर लगवाए जाने हेतु वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान को जिम्मेदारी दी। उन्होंने कहा कि शुरुआत में प्रदेश की 6 संवेदनशील झीलों का सैटेलाइट एवं धरातलीय परीक्षण कर सेंसर स्थापित किए जाएं। उन्होंने कहा कि संवेदनशील झीलों की संवेदनशीलता किस प्रकार से कम की जा सकती है, इस दिशा में भी कार्य किए जाना है। उन्होंने कहा कि वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, सेंट्रल वॉटर कमीशन, यू-सैक आदि आवश्यक वैज्ञानिक संस्थानों की सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने वाडिया संस्थान को आश्वासन दिया कि इस कार्य के लिए आवश्यक फंड्स की किसी प्रकार से कमी नहीं होने दी जाएगी और उपलब्ध करायी जाएगी।

मुख्य सचिव ने कहा कि यह एक मल्टी इंस्टीट्यूशनल टास्क है। इसे हम सभी को गंभीरता के साथ तत्काल इस दिशा में कार्य किए जाने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर सचिव विनोद कुमार सुमन, आईजी एसडीआरएफ अरुण मोहन जोशी, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत, वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, सेंट्रल वॉटर कमीशन के वैज्ञानिक एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

लोक निर्माण विभाग प्रदेश की सड़कों को क्रैश बैरियर से संतृप्त करेः बर्द्धन

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट भाषण में उल्लिखित संतृप्तिकरण बिंदुओं की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि बजट सत्र 2024-25 के दौरान वित्त मंत्री के बजट भाषण में उल्लिखित संतृप्तिकरण बिन्दुओं को सम्बन्धित विभाग, शीघ्र समय-सीमा निर्धारित करते हुए कार्ययोजना प्रस्तुत की जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के सभी जनपद मुख्यालयों एवं महत्त्वपूर्ण पर्यटक स्थलों को हवाई कनेक्टिविटी उपलब्ध कराए जाने हेतु शीघ्र कार्ययोजना प्रस्तुत की जाए। उन्होंने कार्ययोजना के सभी स्तरों की समय सीमा निर्धारित करते हुए लगातार मॉनिटरिंग की जाए। उन्होंने लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिए कि प्रदेश के असुरक्षित पुलों एवं आवागमन हेतु प्रयोग हो रही ट्रॉलियों का शीघ्र ही जीर्णाेद्धार करा लिया जाए। उन्होंने कहा कि जहां-जहां ट्रॉलियां संचालित हो रही हैं, वहां शीघ्र से शीघ्र पुल तैयार कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि यदि प्रदेश में कहीं गैर सरकारी ट्रॉली भी संचालित हो रही है, तो ऐसी ट्रॉलियों का भी सेफ्टी ऑडिट करवा लिया जाए, साथ ही सरकार द्वारा इसे नियमानुसार संचालित कराया जाए एवं ऐसी ट्रॉलियों को लोक निर्माण विभाग द्वारा जीर्णाेद्धार किया जाएगा। उन्होंने लोक निर्माण विभाग को प्रदेश की सड़कों को क्रैश बैरियर से संतृप्त किया जाए। उन्होंने इसके लिए समय-सीमा निर्धारित करते हुए कार्य योजना प्रस्तुत किए जाने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव ने सभी विभागों एवं जनपद स्तरीय कार्यालयों में ई-ऑफिस लागू किए जाने हेतु सभी विभागों से सूचना मांगी है। उन्होंने कहा कि सभी विभागों को ई-ऑफिस में शिफ्ट किए जाने और शासन के साथ लिंकेज की प्रक्रिया में गति लाने की आवश्यकता है। उन्होंने आईटी विभाग को शीघ्र कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के सभी जनपदों में थीम बेस्ड विज्ञान एवं नवाचार केन्द्रों की स्थापना की दिशा में तेजी लाते हुए कार्य पूर्ण किए जाएं। उन्होंने जनपद रूद्रप्रयाग में विज्ञान एवं नवाचार केन्द्र के लिए जिलाधिकारी से सम्पर्क कर शीघ्र भूमि चिन्हित किए जाने की बात कही। उन्होंने प्रदेश के 13 रोजगार केन्द्रों को स्वरोजगार केन्द्रों के रूप में विकसित किए जाने और इन स्वरोजगार केन्द्रों को लाइब्रेरी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आदि सुविधाओं से आच्छादित करते हुए केन्द्रीयकृत स्वरोजगार केन्द्र तैयार किए जाएं। उन्होंने इसके लिए सभी विभागों से समन्वय बनाकर कार्ययोजना प्रस्तुत किए जाने के निर्देश उद्योग विभाग एवं सेवायोजन विभाग को दिए।

मुख्य सचिव ने शिक्षा विभाग को स्कूलों में फर्नीचर की उपलब्धता के साथ ही सभी जनपद मुख्यालयों और 50 हजार से अधिक आबादी वाले शहरों में शीघ्र से शीघ्र पुस्तकालय की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इन पुस्तकालयों का संचालन दून लाइब्रेरी की तर्ज पर सोसाईटी मोड पर किया जाए, ताकि इनके संचालन एवं रखरखाव की समस्या का हल हो सके।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम, सचिव सचिन कुर्वे, दिलीप जावलकर, सी. रविशंकर, अपर सचिव डॉ. अहमद इकबाल, रंजना राजगुरू, हिमांशु खुराना एवं गौरव कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अपर सचिव मनमोहन मैनाली ने किया।

सीएस ने जीबी कृषि विश्वविद्यालय को प्रदेश के लिए कार्बन क्रेडिट एजेंसी के रूप में कार्य करने पर दिया बल

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में सीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग समिति की बैठक आयोजित हुई। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने अधिकारियों को राज्य स्तरीय प्रोजेक्ट स्क्रीनिंग समिति की बैठक दिसंबर माह एवं राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग समिति की यह बैठक मार्च माह में कराये जाने के निर्देश दिये, ताकि अप्रैल से प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू हो सके।

मुख्य सचिव ने कृषि विभाग द्वारा मालियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए स्किल इंडिया के एग्रीकल्चर स्किल काउंसिल ऑफ इंडिया को कोर्स और सिलेबस को एडॉप्ट कर इस डिप्लोमा कोर्स की महत्त्व बढ़ाया जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि जनपद अपने अपने क्षेत्र में फार्म मशीनरी बैंकों का मूल्यांकन कराएं। कहा कि फार्म मशीनरी बैंकों के आने के बाद उत्पादकता में क्या प्रभाव पड़ा इसका आंकलन तैयार कराया जाए।

मुख्य सचिव ने जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय को प्रदेश के लिए कार्बन क्रेडिट एजेंसी के रूप में कार्य किए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश कार्बन क्रेडिट की दिशा में बहुत कुछ कर सकता है, इसके लिए जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

मुख्य सचिव ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार को ग्राफ्टिंग की दिशा में कार्य किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि वॉलनट के ग्राफ्टेड प्लांट्स की प्रदेश में अत्यधिक मांग है, जिसे बाहर से सप्लाई कराना पड़ता है। उन्होंने विश्वविद्यालय को इस दिशा में शीघ्र कार्य किए जाने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने इन सभी प्रोजेक्ट्स के आउटकम इंडिकेटर्स निर्धारित किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी प्रोजेक्ट्स समय पर पूर्ण हों इसके लिए सभी स्टेज की समयसीमा निर्धारित की जाएं।

इस अवसर पर सचिव श्रीधरबाबू अद्दांकी, डॉ. रणवीर सिंह चौहान, डॉ. एस.एन. पाण्डेय, वीसी वीसीएसजी औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार डॉ. परविंदर कौशल, अपर सचिव आनन्द श्रीवास्तव, नवनीत पाण्डेय सहित सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।