राष्ट्रीय पुलिस स्मारक में मुख्यमंत्री ने श्रद्धासुमन अर्पित किये

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर शहीदों की शौर्य गाथा और पराक्रम को नमन करते हुए पुष्प्प च्रक एवं श्रद्धासुमन अर्पित किया। इस अवसर पर प्रेस प्रतिनिधियोें को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा की यह राष्ट्रीय स्मारक, राष्ट्र की रक्षा में पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स के जवानों के बलिदान और समपर्ण की याद दिलाता है। उन्होंने कहा की राष्ट्रीय पुलिस स्मारक एक प्रेरणादायक स्मारक है। यह सदैव सर्वोच्च बलिदान की गौरवगाथा को बताता है।

मुख्यमंत्री ने बताया की वर्ष 2013 में उत्तराखण्ड राज्य में आई भीषण आपदा के उपरान्त राज्य में एस.डी.आर.एफ का गठन किया गया है जिसके द्वारा प्राकृतिक आपदा दुर्घटना के समय राहत एवं बचाव का कार्य किया जाता है। वर्तमान में राज्य में एस.डी.आर.एफ की चार कम्पनियाॅ कार्यरत है। मुख्यमंत्री ने कहा की सिटी क्राइम पर नियन्त्रण किये जाने के उद्देश्य से प्रयोग के रूप में उत्तराखण्ड राज्य के चार जनपदों में सीटी पेट्रोल यूनिट (सी.पी.यू) का गठन किया गया है जिसका कार्य चैन स्नेचिंग, महिला छोड़खानी, आटो लिफिटिंग लूट, एक्सीडेंट रोकना आदि है।
मुख्यमंत्री ने बताया की उत्तराखण्ड में वर्ष 2000 से 2019 तक शहीद पुलिसकर्मियों की संख्या 182 है। उन्होंने कहा कि देश में शांति व्यवस्था कायम रखने, प्राकृतिक आपदा या दुर्घटनाओं में बचाव और राहत पहुॅचाने का कार्य हमारे जवान करते है और जब भी इनकी जरूरत होती है, यह उस समय मौजूद रहते है। इनकी कर्तव्य परायणता हम सभी को प्रेरणा देती है।

मुख्यमंत्री ने विजिटर बुक में लिखा “राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित करने का अवसर मिला। हमारे जवानों की शहादत ने स्मारक बनाने की प्रेरणा दी। देश की राजधानी में स्मारक बनने से उनकी शहादत को ‘‘सलाम‘‘ करने का यह अवसर मिला”।
कार्यक्रम में उत्तराखंड मे कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, सांसद राजलक्ष्मी शाह, सांसद अजय भट्ट, विधायक देशराज कर्णवाल, रितु खण्डूरी, हरबंस कपूर, गणेश जोशी, सुरेन्द्र सिंह जीना, मुन्ना सिंह चैहान, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, पुलिस अपर महानिदेशक विनय कुमार, पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल, एस.डी.आर.एफ, तृप्ती भट्ट, औद्योगिक सलाहकार मा. मुख्यमंत्री केएस पंवार आदि उपस्थित थे।

मंथन कार्यक्रम में विधायकों ने पेश किए सुझाव

गुरूवार को मुख्यमंत्री आवास में मंथन कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की पहल पर आयोजित मंथन में मंत्रियों और विधायकों ने गहन विचार विमर्श किया। मंत्रियों ने अपने विभागों की तीन वर्ष की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए साथ ही भावी कार्ययोजना भी विधायकों के समक्ष रखीं। विधायकों ने अपने क्षेत्र की आवश्यकताओं से अवगत कराने के साथ ही सुझाव भी दिए।

सीएम आवास स्थित सभागार में आयोजित मंथन कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश सरकार की तीन वर्ष की अवधि में किये गये कार्यों का उल्लेख करते हुए विकास की भावी रणनीति पर चर्चा की।

मुख्यमंत्री ने कहा इन तीन वर्षों में हम क्या कर पाये इसका आकलन करने को मिला है। तीन वर्ष की अवधि में राज्य हित में की गई 57 प्रतिशत घोषणाएं पूर्ण की जा चुकी हैं। अन्य घोषणाओं पर कार्यवाही गतिमान है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार के तीन वर्ष पूर्ण होने के अवसर हमने तीन कार्यक्रमों के आयोजन का लक्ष्य रखा है। इसमें रिवर्स पलायन की दिशा में पहल करने वाले युवाओं एवं आवा अपणा घर आवा के सन्देश का आधार तैयार करने वालो का सम्मेलन आयोजित किया जायेगा। इसके अतिरिक्त रामनगर मे एडवेंचर समिट का आयोजन किया जायेगा। टिहरी झील को देश व दुनिया में पहचान दिलाने तथा एडवेंचर टूरिज्म का प्रमुख केन्द्र बनाने के लिये टिहरी लेक महोत्सव को बड़ी भव्यता के साथ आयोजित किया जायेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उधमसिंह नगर के बोर जलाशय, पिथौरागढ़ के मोस्टमानु में टयूलिप गार्डन के साथ ही विभिन्न स्थलों पर पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये धनराशि उपलब्ध करायी गयी है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रदेश की आर्थिक दशा में सुधार के लिये भी प्रभावी कदम उठाये गये हैं। 15वें वित्त आयोग ने राज्य को 14वें वित्त आयोग के स्तर पर हुए नुकसान की भरपाई करते हुए पांच हजार करोड़ रूपए सालाना धनराशि की संस्तुति की है। इसमें राज्य को आगामी वर्षों में 30 हजार करोड़ का लाभ होगा। आपदा मद में राज्य को अब 200 करोड़ रूपए के स्थान पर 1041 करोड रूपएघ् की धनराशि उपलब्ध होगी। राज्य को केन्द्रीय करों की मद से दी जाने वाली धनराशि में भी बढ़ोतरी की गई है। यही नहीं उत्तर प्रदेश सरकार से वर्षों से लम्बित पेंशन की धनराशि राज्य को दिये जाने का रास्ता साफ हो गया।

अटल आयुष्मान योजना में राज्य का स्थान प्रथम
अटल आयुष्मान योजना के अन्तर्गत प्रत्येक परिवार को पाँच लाख का मुफ्त इलाज सरकारी एवं गैर सरकारी चिकित्सालयों में अनुमन्य करने वाले देश का प्रथम राज्य है। वर्तमान तक इस योजना के अन्तर्गत 37 लाख 98 हजार लाभार्थियों को गोल्डन कार्ड उपलब्ध कराए जा चुके हैं।

सौर ऊर्जा नीति के अन्तर्गत पर्वतीय श्रेणी में स्थानीय निवासियों के माध्यम से 203 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजना की स्थापना हेतु कुल 283 फर्मो को परियोजनाऐं आवंटित की गयी है। हरिपुर एवं तुमरिया जलाशय पर 40 मेगावाट क्षमता के सोलर पावर प्रोजेक्ट की स्थापना जिससे 6.8 करोड़ यूनिट बिजली प्रतिवर्ष उत्पादित होगी।

मुख्यमंत्री के प्रयास हुए सफल, राज्य के अनुरोध को 15वें वित्त आयोग ने स्वीकारा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की 15 वें वित्त आयोग के समक्ष राज्य के हक में की गई पैरवी आयोग की सिफारिशों में देखने को मिल रही हैं। 15वें वित्त आयोग द्वारा उत्तराखण्ड राज्य को राजस्व घाटा अनुदान दिये जाने की संस्तुति की गई है, जिसके फलस्वरूप राज्य को प्रतिवर्ष लगभग न्यूनतम रू 2000 करोड़ का लाभ होगा। आयोग की सिफारिशों में केन्द्रीय करों में राज्य का अंश 1.052 से बढ़ाकर 1.104 कर दिया गया है, जिससे राज्य को प्रतिवर्ष लगभग रू. 300 से 400 करोड़ का लाभ होगा। डिवोलेशन फार्मूला में वनों का अंश 7.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है, जिसे राज्य के अंश में वृद्धि हुई है। राज्य आपदा राहत निधि के अंश में 787 करोड़ रूपए वृद्धि पर सहमति दी गई है। शहरी स्थानीय निकायों एवं पंचायतीराज संस्थाओं के अनुदान में भी 148 करोड़ रूपए की वृद्धि हुई है।
मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के पक्ष को स्वीकारने के लिए 15 वें वित्त आयोग का जताया आभार
15 वें वित आयोग की सिफारिशों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि, 15वें वित्त आयोग के समक्ष राज्य के पक्ष को तार्किक ढंग से बहुत ही स्पष्ट एवं सक्षम तरीके से प्रस्तुत किया गया। उसी का परिणाम है कि विभिन्न बिंदुओं पर आयोग ने अपनी सहमति देते हुए राज्य के पक्ष में संस्तुतियां की हैं। उत्तराखण्ड के दृष्टिकोण को समझने और तद्नुसार संस्तुतियां देने के लिए 15 वें वित आयोग का आभार व्यक्त करते हैं। इससे उत्तराखण्ड विकास के पथ पर और तेजी से आगे बढ़ेगा।
उत्तराखण्ड द्वारा दी जा रही पर्यावरणीय सेवाओं को किया स्वीकार
15 वें वित्त आयोग को संदर्भित विषयों एवं राज्य की विभिन्न समस्याओं के संबंध में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मैमोरेण्डम प्रस्तुत किया गया था। उत्तराखण्ड द्वारा मैमोरेण्डम में विभिन्न बिन्दुओं को स्पष्ट एवं विश्वसनीय तरीके से प्रस्तुत किया गया, जिसे आयोग द्वारा स्वीकार किया गया। उत्तराखण्ड राज्य के परिदृश्य में आयोग द्वारा स्वीकार किया गया है कि राज्य द्वारा पूरे देश को बहुमूल्य ईको-सिस्टम सेवायें प्रदान की जा रही हैं। इसके लिये 15 वें वित्त आयोग से डिवोलेशन फार्मूला में वनों का अंश बढ़ाये जाने का अनुरोध किया गया था, जिसे ग्रीन बोनस भी कह सकते हैं। 15वें वित्त आयोग द्वारा डिवोलेशन फार्मूला में वनों का अंश 7.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे राज्य के अंश में वृद्धि हुई है।
उत्तराखण्ड को मिलेगा राजस्व घाटा अनुदान
मुख्यमंत्री ने सांवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप 15 वें वित्त आयोग के समक्ष राज्य के हक की पुरजोर पैरवी करते हुये कहा था कि 14वें वित्त आयोग द्वारा राजस्व घाटा अनुदान को समाप्त कर दिया था, जिसके कारण राज्य को अत्यधिक नुकसान उठाना पड़ा। 15वें वित्त आयोग ने इस बात को स्वीकार करते हुए उत्तराखण्ड राज्य को राजस्व घाटा अनुदान दिये जाने की संस्तुति की है, जिसके फलस्वरूप राज्य को प्रतिवर्ष लगभग न्यूनतम रू 2000 करोड़ का लाभ होगा।
आपदा राहत निधि में बढ़ोतरी
आपदा प्रबन्धन के अन्तर्गत राज्य को राज्य ‘‘आपदा राहत निधि’’ के अंश के रूप में गतवर्ष लगभग रू. 254 करोड़ की धनराशि प्राप्त होती थी। उत्तराखण्ड राज्य में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं से निटने के लिये आवश्यक सहायता दिये जाने का विषय आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया। राज्य से सहमत होते हुये 15वें वित्त आयोग द्वारा राज्य आपदा राहत निधि के अंश में वृद्धि करते हुये, इसे प्रतिवर्ष लगभग रू 1041 करोड़ कर दिया गया है।
शहरी स्थानीय निकायों और पंचायतीराज संस्थाओं के अनुदान में वृद्धि
14वें वित्त आयोग द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20 में मूल अनुदान के अन्तर्गत शहरी स्थानीय निकायों एवं पंचायतीराज संस्थाओं हेतु कुल रू 704.10 करोड़ की धनराशि संस्तुति की गई थी। 15वें वित्त आयोग द्वारा शहरी स्थानीय निकायों एवं पंचायतीराज संस्थाओं हेतु अनुदान में वृद्धि करते हुये वित्तीय वर्ष 2020-21 हेतु कुल रू 852.00 करोड़ की धनराशि संस्तुत की गई है, जिसमें लगभग 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

पौराणिक मान्यताओं को आज भी निभा रहा श्री भरत मंदिर

वसंतोत्सव-2020 के तहत बसंत पंचमी के शुभमुहुर्त पर भगवान श्री भरत की शोभायात्रा धूमधाम से नगर क्षेत्र में निकाली गई। इस दौरान श्रद्धालुओं ने भगवान भरत के जयकारों से डोली का स्वागत कर पुष्पवर्षा की। पावन पर्व पर श्रद्घालुओं ने भगवान भरत के दर्शन कर पुण्य अर्जित किए।
बुधवार को झंडा चैक स्थित श्री भरत मंदिर परिसर से शोभा यात्रा का आयोजन हुआ। इससे पूर्व मंदिर में श्री भरत भगवान की पूजा अर्चना विधिवत रूप से की गई। शोभा यात्रा झंडा चैक स्थित मंदिर से शुरू होकर मायाकुंड होते हुए विभिन्न व्यापारिक प्रतिष्ठानों से गुजरकर मां गंगा के तट पहुंची। यहां पर श्री भरत भगवान की मूर्ति को गंगा स्नान करवाने के बाद पूजा अर्चना की गई। यहां से शोभा यात्रा सुभाष चैक, श्री भरत मंदिर रोड और झंडा चैक से होते हुए मंदिर परिसर में संपन्न हुई। शोभा यात्रा का नगर क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर व्यापारिक, राजनैतिक, धार्मिक संगठनों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। इस अवसर पर महंत अशोक प्रपन्न शर्मा, कार्यक्रम संयोजक हर्षवर्धन शर्मा, मेयर अनिता ममगाईं, पंडित वत्सल शर्मा, पंडित वरुण शर्मा आदि मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने किए दर्शन
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत बसंत पंचमी के अवसर पर भरत मन्दिर ऋषिकेश में आयोजित बसन्तोत्सव कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी को बसन्त पंचमी की शुभकामनायें दी तथा भरत मन्दिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि बसन्तोत्सव प्रकृति के श्रृगांर एवं नई ऊर्जा का संचार करने वाला पर्व है। यह पर्व हमें प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन की भी प्रेरणा देता है। उन्होंने आयोजकों की इस आयोजन के लिए भी सराहना की।

उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड राज्य में धार्मिक पर्यटन की तस्वीर को बदल कर रख देगा

उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने राज्य में स्थापित मंदिरों की व्यवस्था को एकरूपता देने और राज्य में चार धाम यात्रा को और बेहतर बनाने के लिए उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड बनाकर एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार को उम्मीद है कि इस व्यवस्था के बाद राज्य में चार धाम यात्रा पहले के कहीं अधिक सुचारू रूप से चलेगी। राज्य में मंदिरों की देखभाल ठीक तरीके से हो सकेगी और देवसंस्कृति के वाहक पुरोहित समाज को भी पहले से अधिक सुविधाएं मिल दी जा सकेंगी। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बोर्ड के गठन के बाद न सिर्फ उत्साहित हैं बल्कि उम्मीद जता रहें हैं कि ये बोर्ड राज्य में धार्मिक पर्यटन की तस्वीर को बदल कर रख देगा।

इंफ्रास्ट्रक्चर होगा बेहतर
देवस्थानम बोर्ड बनाने के पीछे उत्तराखंड सरकार का प्रमुख उद्देश्य राज्य के  मंदिरों में आधारभूत ढांचागत विकास करना है। इस बोर्ड के अधीन राज्य के चारों धाम और 51 मंदिर आएंगे। इन मंदिरों में देश ही नहीं विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। ऐसे में इन मंदिरों में विश्व स्तरीय सुविधाओं का विकास भी किया जाएगा। सरकार अब राज्य में धार्मिक पर्यटन पर आने वालों के लिए सिंगल प्वाइंट अरेंजमेंट की ओर कदम बढ़ा रही है।

पुरोहितों के हित सुरक्षित
देवस्थानम बोर्ड के गठन के ऐलान के साथ ही इसका विरोध भी पटल पर आ गया। बड़ी संख्या में पुरोहित समाज के लोगों ने इस बोर्ड के गठन के विरोध में मोर्चा खोल दिया। हालांकि इस बोर्ड गठन के बाद अब पुरोहित समाज का बड़ा तबका इसके समर्थन में आ गया है। वहीं सरकार शुरुआत से इस बात का दावा करती रही है कि इस बोर्ड के गठन से पुरोहित समाज के हितों की अनदेखी किसी स्तर पर नहीं होगी। रावत और पुरोहितों की सदियों पुरानी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं आएगा। प्रबंधन के स्तर पर बोर्ड व्यवस्थाओं को बेहतर करेगा। इसी लिहाज से सरकार ने बोर्ड में चारों धामों के प्रतिनिधियों को भी स्थान दिया है। सरकार की माने तो इस बोर्ड के गठन के बाद चारों धामों की व्यवस्था में समन्वय बनेगा।

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भविष्य के लिए जरूरी
त्रिवेंद्र सरकार राज्य में धार्मिक तीर्थाटन को भविष्य के लिहाज से व्यवस्थित करना चाहती है। वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी जैसे मंदिरों में की गई व्यवस्थाओं के मुताबिक ही त्रिवेंद्र सरकार उत्तराखंड के मंदिरों में भी व्यवस्थाएं करना चाहती है। सरकार को उम्मीद है कि इससे राज्य के मंदिरों में धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा। हालांकि सरकार के प्रयासों से चार धामों में आने वाले यात्रियों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। फिलहाल तकरीबन चालीस लाख पर्यटक पहुंच रहें हैं। राज्य में जारी ऑल वेदर रोड और ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन के निर्माण के बाद पर्यटकों की संख्या करोड़ों में पहुंच सकती है। ऐसे में राज्य के मंदिरों की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए सरकार को इस तरह के बोर्ड के गठन की जरूरत महसूस हो रही थी।

मुख्यमंत्री ने एक माह में सभी विभागों को पलायन रोकने के लिए कार्ययोजना बनाने के दिए निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य के चयनित ब्लॉकों में पलायन पर केंद्रित विशेष योजना संचालित करने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने माइग्रेशन मिटीगेशन फंड स्थापित करने और एक माह में सभी विभागों को पलायन को रोकने के लिए कार्ययोजना प्रस्तुत करने को भी कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि भू-अभिलेखों में महिलाओं का नाम प्राथमिकता के आधार पर दर्ज किया जाये। इको-टूरिज्म पॉलसी को शीघ्र अमलीजामा देने के भी निर्देश दिये। विश्वकर्मा भवन, सचिवालय में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन को लेकर आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने यह बातें कही।
सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए बनें फ्लेक्सीबल योजनाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों पर खास फोकस किया जाए। वहां पलायन को रोकने बनाई जाने वाली योजनाएं फ्लेक्सीबल हों। कोशिश की जाए कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले अधिक से अधिक स्थानीय लोग वहां रहने के लिए प्रेरित हों। सामरिक संवेदनशीलता को देखते हुए यह बहुत जरूरी है।
भू-अभिलेखों में महिलाओं का नाम भी दर्ज किए जाने की व्यवस्था हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों के गांवों में महिलाओं का अनुपात अधिक है। गांवों में संचालित योजनाओं को महिला केंद्रित हों। जरूरी है भू-अभिलेखों में उनका नाम भी दर्ज हो। इससे उन्हें कृषि, पशुपालन, स्वरोजगार आदि के लिए ऋण मिलने में आसानी रहेगी। राजस्व विभाग इसके लिए आवश्यक प्रावधान करे।
इको टूरिज्म पॉलिसी जल्द से जल्द बनाने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग को इको टूरिज्म पॉलिसी जल्द से जल्द बनाने के लिए निर्देशित किया। इको टूरिज्म के लिए वन विभाग व पर्यटन विभाग आपसी समन्वय से काम करें। उन्होंने कहा कि होम स्टे को दूसरी पर्यटन गतिविधियों व मार्केट से लिंक किया जाए। होम स्टे करने वालों को हॉस्पिटेलिटी के प्रशिक्षण की व्यवस्था हो। एडवेंचर स्पोर्ट्स को प्राथमिकता दी जाए। पर्यटन विभाग एक मोबाईल एप बनाए जिसमें जिलावार वहां के वन्य जीवन, वनस्पति, पर्यटन स्थलों, ट्रेकिंग स्थलों, होटल, होम स्टे आदि की जानकारी मौजूद हो।
ग्रामीण क्षेत्रों में फील्ड स्टाफ की कमी को दूर करने की आवश्यकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों में फील्ड स्टाफ की कमी को दूर करने की आवश्यकता है। पेयजल की उपलब्धता पर भी विशेष ध्यान देना होगा। किसानों की आय दुगुनी करने के लिए ऑफ सीजन सब्जियों के उत्पादन, मत्स्य पालन, बकरी पालन, फ्लोरीकल्चर महत्वपूर्ण हो सकते हैं। क्लस्टर बेस्ड एप्रोच अपनानी होगी। एमएसएमई के तहत पर्वतीय क्षेत्रों के युवाओं को स्वरोजगार के लिए लघु ऋणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
रेखीय विभाग करें गैप एनालिसिस
मुख्यमंत्री ने कहा कि पलायन से सर्वाधिक प्रभावित गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा आदि रेखीय विभाग गैप एनालिसिस करें। और जहां कमी नजर आती है, उसे प्राथमिकता से दूर किया जाए। एक माईग्रेशन मिटिगेशन फंड स्थापित किया जाए। राज्य के चिन्हित ब्लॉकों में पलायन पर केंद्रित विशेष योजना संचालित की जाए। मुख्यमंत्री सीमावर्ती क्षेत्र विकास योजना को फ्लेक्सीबल बनाया जाए। सभी विभाग पलायन को लेकर एक माह में कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत करें।
उत्तराखण्ड ग्रामीण विकास व पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी ने बताया कि राज्य के 36 विकासखण्ड चिन्हित किए गए हैं जहां ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन की अधिक समस्या रही है। इनमें अल्मोड़ा के 7, बागेश्वर के 1, चमोली के 5, पौड़ी के 12, पिथौरागढ़ के 5, रूद्रप्रयाग का 1 और टिहरी के 5 ब्लॉक शामिल हैं। गांवों से निकटवर्ती छोटे कस्बों में बसने की प्रवृत्ति देखने को मिली है। योजनाओं को महिला केंद्रित किए जाने की जरूरत है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए मार्केट से लिंक करना होगा। कई क्षेत्रों में बकरी पालन आय का बड़ा जरिया बना है।

मुख्यमंत्री ने आइएएस अधिकारियों से मांगा सहयोग, बोले राज्य का सर्वागींण विकास हो लक्ष्य

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रशासन में किए जा रहे प्रयोग आम व्यक्ति पर केंद्रित होना चाहिए। हर काम का लक्ष्य निर्धारित किया जाए। टीम भावना से काम किया जाए। हरेला पर एक दिन में पूरे प्रदेश में वृक्षारोपण किया जाएगा। शहरों में स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। मुख्यमंत्री आईएएस वीक पर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार, विश्वकर्मा भवन, सचिवालय में आयोजित डीएम सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री के थ्री टी-ट्रेड, टेक्नोलोजी और टूरिज्म मंत्र पर करें काम
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने थ्री टी-ट्रेड, टेक्नोलोजी और टूरिज्म पर विशेष बल दिया है। इन तीन सेक्टर पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें जनता की सेवा का मौका मिला है। इसलिए हमारी जिम्मेवारी भी अधिक है। गरीबों की सेवा से स्वयं को अच्छा महसूस होता है।
हर व्यक्ति तक पहुंचे योजनाओ का लाभ
सरकार की योजनाओं का लाभ दूर दराज के व्यक्ति तक पहुंचाना सुनिश्चित किया जाए। जिलों में अधिकारियों द्वारा शुरू किए गए नवाचारों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि लक्ष्य निर्धारित कर काम किया जाए। फील्ड में टीम भावना के साथ काम हो। जिलाधिकारी अपने सहयोगियों को प्रोत्साहित करें। टीम उत्साहित होती है तो काम सरल हो जाता है।
शहरों में स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरीकरण को देखते हुए साफ-सफाई व स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है। स्वच्छता को रूटीन में लाया जाए। इसके लिए जागरूकता अभियान निरंतर संचालित किए जाएं।

जिले के प्रमुख लोगों से संवाद कायम करें जिलाधिकारी
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिलाधिकारी जिले के गणमान्य लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ लगातार संवाद करें। उनसे फीडबैक और सुझाव प्राप्त करें। कुपोषित बच्चों को गोद लिया गया था। उनकी दशा में कितना सुधार हो रहा है, इसकी लगातार मॉनिटरिंग की जाए।
हरेला पर पूरे प्रदेश में होगा व्यापक वृक्षारोपण
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष हरेला त्यौंहार पर प्रदेश वृक्षारोपण का वृहद अभियान संचालित किया जाएगा। हरेला पर एक ही दिन में पूरे प्रदेश में वृक्षारोपण किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि 9 नवम्बर 2020 तक पूर्ण साक्षरता का लक्ष्य निर्धारित कर मिशन मोड में काम किया जाए। अगर हर व्यक्ति यह तय कर ले कि वह एक निरक्षर व्यक्ति को साक्षर करेगा तो पूर्ण साक्षरता का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
जिले बनें आत्मनिर्भर, मांग की पूर्ति जिले से ही हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी विकासात्मक निर्माण कार्य प्रारम्भ करते समय उसके पूर्ण होने की अवधि भी निश्चित की जानी चाहिए। जिलों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किये जाए। कोशिश की जाए वहां की मांग की पूर्ति जिले में ही उत्पादित व निर्मित उत्पादों से पूरी की जा सके।
इस बार की आईएएस वीक कई मायनों में रही अलग
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री को आईएएस वीक का ब्यौरा देते हुए बताया कि इस वर्ष का आईएएस वीक कई मायनों में विशेष रहा है। इस वर्ष मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर आईएएस वीक में ओपन हाउस के अन्तर्गत जनपद स्तर के अधिकारियों को भी अपने अपने क्षेत्र में आ रही समस्याओं को रखने का अवसर दिया गया है। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारियों ने अपने अपने जनपदों में शुरू की गयी विभिन्न पहलों के विषय में प्रस्तुतिकरण के माध्यम से जानकारी दी।
मातृ मृत्यु के हर मामले का हो परीक्षण
मुख्य सचिव ने महिलाओं के बेरोजगारी स्तर में सुधार लाने पर विशेष ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि महिलाओं की बेरोजगारी को दूर करके ही महिला सशक्तिकरण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पिरूल से विद्युत उत्पादन योजना में जिलाधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जिलाधिकारी फैसिलिटेटर की भूमिका निभाते हुए प्रोजेक्ट्स के फोरेस्ट क्लीयरेंस और बैंक सम्बन्धी समस्याओं का निराकरण कर सकते हैं। विश्वकर्मा भवन, सचिवालय के वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली सभागार में आयोजित बैठक के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों द्वारा ईज ऑफ गवर्नेंस के क्षेत्र में राज्य की विभिन्न पहलों एवं योजनाओं के संबंध में जानकारी दी गई।

ई-गवर्नेस में हुई महत्वपूर्ण पहल
सर्वप्रथम अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने ई-गवर्नेंस से सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के विकास में प्रशासन की प्रभावी सर्विस डिलीवरी बहुत ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि एक आईएएस अधिकारी को आम जनता के लिए सुलभ होना बहुत जरूरी है। आम नागरिक की गरिमा और सम्मान का भी ध्यान रखना होगा। उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए जिला स्तर में भी ई-ऑफिस की ओर बढ़ना होगा।
डिजिटल उत्तराखंड
सचिव सूचना प्रोद्योगिकी आर के सुधांशु ने ई गवर्नेंस में आईटी इनिशिएटिव पर चर्चा करते हुए बताया कि प्रदेश में सूचना प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत सी पहल की गई हैं। डिजिटल इंडिया के अनुरूप ही राज्य, डिजिटल उत्तराखण्ड की ओर बढ़ रहा है। राज्य में स्टेट डाटा सेंटर, ड्रॉन एप्लीकेशन सेंटर, ई-डिस्ट्रिक्ट जैसे विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर कार्य चल रहा है।
सीएम डैशबोर्ड से हो रही आउटकम आधारित मानिटरिंग
सचिव मुख्यमंत्री राधिका झा ने सीएम डैशबोर्ड एवं सीएसआर पोर्टल की जानकारी देते हुए बताया कि हमें प्रोफेशनल होने की आवश्यकता है। इसके लिए सीएम डैशबोर्ड के माध्यम से आउटकम बेस्ड मॉनिटरिंग करने की जा रही है। इससे योजनाओं के क्रियान्वयन, पारदर्शिता और सर्विस डिलीवरी में काफी सुधार हुआ है।
ईज आफ डूईंग बिजनेस से उद्योगो को मिल रहा बढावा
दिवस के द्वितीय सत्र में प्रमुख सचिव मनीषा पंवार ने राज्य में उद्योग और एमएसएमई के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों पर चर्चा करते हुए बताया कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के क्षेत्र में प्रदेश में काफी कार्य हुए है। राइट टु सर्विस एक्ट और सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम के माध्यम से प्रदेश में उद्योग बढ़ावा दिया जा रहा है। सिंगल विंडो में जनपद स्तर पर विशेष मेहनत किए जाने की आवश्यकता है।
राजस्व सिस्टम को किया जा रहा आटोमेटेड
सचिव राजस्व सुशील कुमार ने कहा कि प्रदेश में राजस्व के क्षेत्र में अपने सिस्टम को फुल्ली आटोमेटेड हो रहा है। सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भूमि लीज पर दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि म्यूटेशन के क्षेत्र में पेंडिंग केसों का तेजी से निपटान करने हेतु जिलाधिकारियों को इसमें विशेष ध्यान देना होगा। लैंड रिकॉर्ड डिजिटाईजेशन में भी तेजी लाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री ने प्रतिभागी अधिकारियों को कन्डाली से बने जैकेट प्रदान किए। ये जैकेट चमोली के स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाए गए हैं।

प्रधानमंत्री से मिले मुख्यमंत्री, राज्य के विकास कार्यों की दी जानकारी

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भेंट कर वर्ष 2021 में हरिद्वार में होने वाले महाकुम्भ की तैयारियों की जानकारी दी। कुम्भ मेले के कुशल प्रबन्धन के लिए जनवरी 2021 से अप्रैल 2021 के मध्य चलने वाले महाकुम्भ के सफल संचालन हेतु लगभग एक हजार करोड़ रूपए से अधिक के कार्य किये जायेंगे। मुख्यमंत्री ने राज्य के सीमित संसाधनों को देखते हुए केन्द्र सरकार से आर्थिक सहयोग का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में हरिद्वार में आयोजित कुम्भ मेले में देश-विदेश से 8 करोड़ श्रद्धालु आए थे। 2021 में होने जा रहे कुम्भ मेले में 15 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की सम्भावना है। इतनी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए वृहद स्तर पर स्थाई व अस्थाई सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। कुम्भ क्षेत्र का विस्तार किया जा रहा है। अवस्थापना संबंधी कार्यों जैसे सडक, विद्युत, पेयजल आपूर्ति, कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने, चिकित्सा सुविधा, स्वच्छता व कूड़ा निस्तारण, आवासीय व पार्किंग व्यवस्था व कुम्भ मेला क्षेत्र के विस्तार का काम किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के साथ भेंट के दौरान मुख्यमंत्री ने केदारनाथ पुनर्निर्माण के कार्यों की जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि केदारनाथ का निर्माण कार्य मिशन मोड पर किया जाए। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को जानकारी दी कि बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री एवं उनके निकटवर्ती प्रमुख मंदिरों के लिए राज्य में देवस्थानम बोर्ड बनाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सीमांत क्षेत्र के गांवों में आजीविका एवं बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना शुरू की जा रही है। इसके लिए उन्होंने केन्द्र सरकार से विशेष पैकेज दिए जाने का अनुरोध किया। प्रदेश के सीमान्त क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए राज्य सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अप्रेल 2020 में होने वाले ‘वैलनेस समिट’ के शुभारम्भ के लिए अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 305 वैलनेस सेंटर का कार्य पूर्ण हो चुका है। सभी 462 वैलनेस सेंटर मार्च 2020 तक पूर्ण कर लिये जायेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश का सबसे बड़ा मोटर केबल पुल डोबरा चांटी का कार्य पूर्ण हो चुका है। इस पुल के लोकार्पण के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया।
राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर संतोष व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रदेश में वित्तीय संसाधन बढ़ाने के लिए जीएसटी कलेक्शन की दिशा में विशेष प्रयास किये जायें। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को जानकारी दी कि उत्तराखण्ड में इंवेस्टर्स समिट 2018 के बाद अभी तक 19 हजार करोड़ रूपए के निवेश की ग्राउडिंग हो चुकी है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 300 मेगावाट की लखवाड़ विद्युत परियोजना की भारत सरकार से मंजूरी हेतु अनुरोध किया, साथ ही यमुना की अविरलता एवं प्रवाह के सम्बन्ध में भी चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को बताया कि नीति आयोग द्वारा वर्ष 2019 में दी गयी गवर्नेंस इंडेक्स में उत्तराखण्ड को अच्छी रैंकिंग मिली है। कामर्स एवं इंडस्ट्री के क्षेत्र में उत्तराखण्ड को हिमालयी राज्यों में प्रथम व देश में 9 वीं रैंक मिली है, मानव संसाधन विकास में हिमालयी राज्यों में द्वितीय एवं देश में 6वीं रैंक मिली है। पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में हिमालयी राज्यों में प्रथम एवं देश में 10वीं रैंक मिली है, ईकॉनामिक गवर्नेंस में हिमालयी राज्यों में प्रथम एवं देश में द्वितीय रैंक मिली है, जबकि नीति आयोग की समग्र रैंकिंग में उत्तराखण्ड को हिमालयी राज्यों में द्वितीय एवं देश में 10वां स्थान मिला है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को ऑल वेदर रोड एवं ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की कार्य प्रगति की जानकारी भी दी, जिस पर प्रधानमंत्री ने संतोष व्यक्त किया।

ईमानदारी से हर क्षेत्र में कार्य करने की जरुरतः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश में स्वस्थ औद्योगिक वातावरण के सृजन हेतु समेकित प्रयासों के साथ ही ईमानदारी, पारदर्शिता एवं परस्पर विश्वास की भावना से कार्य करने पर बल दिया है। उन्होंने उद्यमियों से पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना पर भी ध्यान देने को कहा है, पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन, खाद्य प्रसंस्करण के साथ ही सौर उर्जा के क्षेत्र में काफी संभावनाये हैं। सौर उर्जा के क्षेत्र में लगभग 800 करोड़ का निवेश इन क्षेत्रों में हुआ है। जबकि टाटा ग्रुप द्वारा भी प्रदेश में सौर ऊर्जा सहित अन्य क्षेत्रों में निवेश की इच्छा जतायी है।
श्रम विभाग एवं इंडस्ट्रीज ऑफ उत्तराखण्ड (आई.ए.यू.) के संयुक्त तत्वाधान में श्रम कानूनों एवं अग्नि सुरक्षा प्राविधानों में सुधार से सम्बन्धित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में उद्योगों के अनुकूल वातावरण बनाये जाने के साथ ही श्रमिकों की समस्याओं का भी तत्परता से समाधान हो इसके भी प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने उद्यमियों को सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जा रही सुविधाओं तथा उनके व्यापक हित में लिये गये सुधारात्मक प्रयासों की जानकारी उन्हें उपलब्ध कराने के लिए ऐसे आयोजनों को सराहनीय प्रयास बताया।
मुख्यमंत्री ने उद्यमियों से पर्वतीय क्षेत्रों में सौर उर्जा, पर्यटन व खाद्य प्रसंस्करण से सम्बन्धित उद्योगों की स्थापना पर ध्यान देने की अपेक्षा करते हुए कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में जिन खेतों का उपयोग नहीं हो रहा है वहां पर 5 मेगावाट तक के सौलर प्लांट स्थानीय लोगों के लिये आवंटित किये जा रहे हैं। ये योजनायें स्थानीय लोगों की आपसी सहमति से ज्वाइंट वेंचर में भी स्थापित की जा सकती है। इन क्षेत्रों में फिल्मांकन की भी व्यापक संभावनाएं हैं। ग्रामीण आर्थिकी की मजबूती के लिये प्रदेश की न्याय पंचायत स्तर पर ग्रोथ सेंटरों की स्थापना की जा रही है। अब तक 82 ग्रोथ सेंटरों को स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। स्थापित होने वाले ग्रोथ सेंटर न्याय पंचायतों में भविष्य की नई टाउन शिप विकसित करने तथा अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मददगार होंगे। इससे इन क्षेत्रों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा तथा उनकी प्रोसेसिंग व माक्रेटिंग की भी व्यवस्था होगी। यहां पर अच्छे स्कूल व अस्पतालों की भी सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बेहतर कार्य संस्कृति विकसित कर जन समस्याओं का निराकरण किया जा रहा है। अधिकारी टीम भावना के साथ कार्य कर रहे हैं।
प्रमुख सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम एवं उद्योग मनीषा पंवार, ने कहा कि सिंगल विंडो के माध्यम से प्रदेश में श्रम कानूनों के लिये ऑनलाइन व्यवस्था का प्रावधान किया गया है एवं उद्योग विभाग लगातार प्रयासरत है कि उद्योगों को आ रही कठिनाइयों को निरन्तर दूर किया जाय। श्रम आयुक्त डा. आनन्द श्रीवास्तव ने बताया कि श्रम विभाग की वेबसाइट पर श्रम कानूनों के अन्तर्गत उद्यमियों के लिये ऑनलाइन व्यवस्था कर दी गयी है, इसके अन्तर्गत फैक्टरी एक्ट, बॉयलर्स एक्ट, कान्ट्रेक्ट लेवर रेगुलेशन एक्ट, उत्तराखण्ड दुकान एवं वाणिज्यिक अधिष्ठान अधिनियम, मोटर ट्रान्सपोर्ट वर्कर एक्ट एवं इन्टरस्टेट माइग्रेट वर्कर एक्ट, पंजीकरण, नवीनीकरण एवं वार्षिक विवरणी तथा निरीक्षण, रिपोर्ट आदि सभी प्रावधानों के लिये अब वेबसाइट के माध्यम से यह सारी सुविधायें उपलब्ध होगी।
इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड (आई.ए.यू.) के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि इस कार्यशाला में श्रम विभाग के द्वारा विभिन्न श्रम कानूनों, कारखाना तथा ब्वॉयलर अधिनियम में अभी हाल ही में हुये बदलावों को जिनका समुचित प्रचार प्रसार ना होने से उद्यमियों एवं व्यापारियों एवं अन्यों को इनकी जानकारी नहीं हो पाती है, इसी को दृष्टिगत रखते हुये इस जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया है ताकि उद्यमियों एवं व्यापारियों का इन बदलावों की समुचित जानकारी उपलब्ध हो सकें।
इस अवसर पर महानिदेशक उद्योग एल. फेनई, महानिरीक्षक अग्निशमन पुष्पक ज्योति, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल वरिष्ठ उपाध्यक्ष, इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड राजीव अग्रवाल, अनिल गोयल, राकेश ओबराय, अनिल गुप्ता के साथ ही उद्यमी एवं विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधि एवं अधिकारीगण उपस्थित थे।

कार्बेट पार्क में पर्यटकों की सुविधाएं बढ़ायेगी सरकार

कार्बेट टाइगर रिजर्व में प्रायोगिक तौर पर गैण्डे का रिइन्ट्रोडक्शन किया जाए। मानव वन्य जीव संघर्ष से प्रभावित गांवों में वॉलण्टरी विलेज प्रोटेक्शन फोर्स की स्थापना जल्द से जल्द की जाए। कॉर्बेट व राजाजी पार्क में टाइगर व हाथी की अधिकतम धारण क्षमता का अध्ययन कराया जाएगा। हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर बंदरों को पीड़क घोषित करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में गरतांग गली ट्रेल में मार्ग निर्माण, उसके प्राचीन स्वरूप को बनाए रखते हुए किया जाए। प्रदेश में संरक्षित क्षेत्रों के निकट स्थित टोंगिया व अन्य ग्रामों में सोलर लाईट, शौचालय जैसी आवश्यक सुविधाएं नियमानुसार उपलब्ध करवाने के काम को प्राथमिकता से लिया जाए। मंगलवार को मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय में आयोजित राज्य वन्य जीव बोर्ड की 14 वीं बैठक में उक्त निर्णय लिए गए।
गैण्डे के रिइन्ट्रोडक्शन के संबंध में प्रस्तुतिकरण में बताया गया कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की भौगोलिक व पर्यावरणीय परिस्थितियां गैण्डे के अनुकूल है। गैण्डे द्वारा मानव के साथ संघर्ष की जीरो सम्भावना होती है और यह अन्य जीवों के लिए भी सहायक होता है। इससे राज्य में पर्यटन गतिविधियां भी काफी बढ़ेंगी। इस पर बोर्ड द्वारा कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में प्रायोगिक तौर पर गैण्डे का रिइन्ट्रोडक्शन पर सहमति दी गई।
मछलियों को पकड़ने में अवैधानिक तरीकों के प्रयोग को रोकने के लिए युवक मंगल दलों, महिला मंगल दलों, वन पंचायतों का सहयोग लिया जाए। प्रदेश में संरक्षित क्षेत्रों के निकट स्थित टोंगिया व अन्य ग्रामों में सोलर लाईट, शौचालय जैसी आवश्यक सुविधाएं नियमानुसार उपलब्ध करवाने के काम को प्राथमिकता से लिया जाए। संरक्षित क्षेत्रों से दूसरे स्थानों पर बसाए जाने पर वन्य ग्रामों के लोगों भूमि संबंधी वही अधिकार मिलने चाहिए जो कि उन्हें अपनी पहले की भूमि पर प्राप्त थे। इसके लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जाए।
राज्य वन्य जीव बोर्ड द्वारा संरक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत व संरक्षित क्षेत्रों के 10 किमी परिधि में आने वाली वन भूमि हस्तांतरण व अन्य प्रकरणों पर स्वीकृति प्रदान की गई। इनमें लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के निर्माण के लिए अधिग्रहीत भूमि की राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड से अनुमति प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव भेजने, रूद्रप्रयाग के उखीमठ नगर पंचायत में पेयजल योजना के लिए पाईप लाईन बिछाने की अनुमति, जनपद अल्मोड़ा में एनटीडी-कफड़खान मोटरमार्ग के 2 किमी से ग्राम भूल्यूड़ा सब्जी उत्पादन क्षेत्र हेतु मोटरमार्ग का नवनिर्माण, रामनगर-लालढांग मोटर मार्ग के 9 किमी व 13 किमी में सेतु का निर्माण, सोनप्रयाग से त्रिजुगीनारायण व कोठियालसैण से ऊषाड़ा तक मोटरमार्ग के किनारे ओएफसी लाईन बिछाए जाने की अनुमति के लिए प्रस्ताव भेजना प्रमुख हैं।
बैठक में वन मंत्री डा.हरक सिंह रावत, विधायक सुरेश राठौर, दीवान सिंह बिष्ट, प्रमुख सचिव आनंद बर्द्धन, मुख्य वन संरक्षक जयराज, डीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार सहित वन विभाग के अधिकारी और राज्य वन्य जीव परिषद के अन्य सदस्य उपस्थित थे।