मुख्य सचिव को सीएम ने दिए निर्देश, नीति आयोग की बैठक में पीएम द्वारा निर्देशों के क्रियान्वयन के लिए ठोस रणनीति बनें

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सचिव को निर्देशित किया कि शनिवार को आयोजित नीति आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जिन बिंदुओं पर राज्यों को मार्गदर्शन और निर्देश दिए गए हैं, उनके प्रभावी क्रियान्वयन हेतु राज्य स्तर पर स्पष्ट और व्यवहारिक रणनीति तैयार की जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा विकसित भारत /2047 के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार के साथ समन्वय स्थापित करते हुए योजनाओं और नीतियों को जमीनी स्तर तक प्रभावी ढंग से लागू करना होगा।

मुख्य सचिव को निर्देश दिए गए कि संबंधित विभागों से समन्वय स्थापित कर एक समयबद्ध कार्ययोजना तैयार की जाए और उसकी सतत मॉनिटरिंग की जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जनभागीदारी सुनिश्चित करते हुए हर स्तर पर पारदर्शिता और उत्तरदायित्व तय किया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत को आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प में पूर्ण निष्ठा से सहभागी है।

राष्ट्रीय स्तर पर शहरी क्षेत्रों में टिकाऊ ड्रेनेज प्रणाली विकसित करने को विशेष योजना बनाने का किया अनुरोध

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद की दसवीं बैठक में प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि राज्य में तेजी से हो रहे शहरीकरण के चलते शहरों में ड्रेनेज की समस्या एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। उन्होंने अनुरोध किया कि इस समस्या के समाधान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर टिकाऊ ड्रेनेज प्रणाली विकसित करने के लिए विशेष योजना बनाई जाए।

मुख्यमंत्री ने “पीएम कृषि सिंचाई योजना“ की गाइडलाइन्स में लिफ्ट इरिगेशन को सम्मिलित करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों के कारण वर्तमान में पर्वतीय क्षेत्र का मात्र 10 प्रतिशत भूभाग ही सिंचित हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में हिमनद आधारित नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोडने की दिशा में “नदी जोड़ो परियोजना“ के साथ ही चेक डैम्स और लघु जलाशयों के निर्माण के माध्यम से वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2026 में उत्तराखंड में पर्वतीय महाकुंभ के रूप में प्रसिद्ध “मां नन्दा राजजात यात्रा“ तथा वर्ष 2027 में हरिद्वार में “कुंभ“ का आयोजन होना है। इन दोनों आयोजनों को “भव्य एवं दिव्य“ बनाने के लिए सहयोग मांगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में “डेमोग्राफिक डिविडेंड“ की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस लाभ को प्राप्त करने के लिए एक निश्चित समय सीमा में इसका दोहन करना आवश्यक है। इस दृष्टि से आने वाले दस वर्ष हमारे प्रदेश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन्हीं वर्षों में हम “डेमोग्राफिक डिविडेंड“ का सर्वाधिक लाभ उठा सकते हैं। इसको ध्यान में रखते हुए राज्य में विशेषरूप से स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तरों पर कार्य किये जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की जीडीपी में प्राथमिक सेक्टर का योगदान जहां मात्र 9.3 प्रतिशत है, वहीं इस कार्य में लगभग 45 प्रतिशत आबादी लगी है। इस समस्या को देखते हुए हमने प्रदेश के काश्तकारों को “लो वैल्यू एग्रीकल्चर“ की बजाए “हाई वैल्यू एग्रीकल्चर“ अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य प्रारंभ किया है, जिनमें एप्पल मिशन, कीवी मिशन, ड्रैगन फ्रूट मिशन, मिलेट मिशन तथा सगंध कृषि को प्रोत्साहन शामिल है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के सशक्त नेतृत्व में भारत वर्ष 2047 तक “विकसित एवं आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस संकल्प को पूर्ण करने के लिए उत्तराखंड सरकार भी दृढ ़संकल्पित होकर वित्तीय प्रबंधन और वित्तीय अनुशासन को ध्यान में रखते हुए कार्य कर रहे हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था में पिछले तीन वर्षों में लगभग डेढ़ गुना की वृद्धि हुई है। वर्ष 2023-24 में नीति आयोग द्वारा जारी एसडीजी रैंकिंग में जहां हमारे राज्य ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, वहीं इस वर्ष जारी हुई “केयरऐज रेटिंग रिपोर्ट“ में सुशासन एवं वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में छोटे राज्यों की श्रेणी में हमें दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य में “समान नागरिक संहिता“ कानून लागू किया गया। पिछले साढ़े तीन साल में राज्य के 23 हजार से अधिक युवा सरकारी नौकरी पाने में सफल रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों में प्रधानमंत्री के नेट जीरो के विजन को ध्यान में रखते हुए “ग्रीन गेम्स“ की थीम पर आयोजित किया गया। इन खेलों में “इलैक्ट्रॉनिक्स वेस्ट“ सामग्री की “रीसाइक्लिंग“ से 4000 पदक तैयार किए। “सौर ऊर्जा“ के माध्यम से संपूर्ण ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति की गई। इस आयोजन में लगभग 4000 से 5000 टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोकने में सफलता प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में “शीतकालीन यात्रा“ के सफल परिणाम सामने आए हैं। प्रधानमंत्री के हर्षिल और मुखबा की यात्रा से राज्य के पर्यटन क्षेत्र को काफी लाभ हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पर्यटकों को साहसिक पर्यटन, इको टूरिज्म और हाई-एंड टूरिज्म के माध्यम से आकर्षित करने के लिए वृहद नीति बनाकर जमीनी स्तर पर कार्य शुरू किये गये हैं। उत्तराखंड में नवाचार एवं प्रौद्योगिकी पर आधारित “सतत एवं समावेशी विकास“ पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में जीडीपी की तर्ज पर जीईपी अर्थात “ग्रोस एनवायरमेंट प्रोडक्ट इंडेक्स“ जारी करने की शुरुआत की है, इसके आंकलन द्वारा अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के मध्य बेहतर सामंजस्य स्थापित हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में “जियोथर्मल ऊर्जा नीति“ शीघ्र लागू किया जायेगा। राज्य में “मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना“ प्रारंभ की गई है। इस योजना के लाभार्थी प्रतिमाह एक लाख रूपए से अधिक की आमदानी प्राप्त कर रहे हैं।

पुस्तक ‘भारतीय हिमालय क्षेत्र एक सतत भविष्य की ओर’ का हुआ विमोचन

नीति आयोग, भारत सरकार द्वारा जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, अल्मोड़ा और अन्तरराष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केन्द्र के साथ राजपुर रोड स्थित होटल में ‘स्प्रिंगशेड प्रबंधन एवं जलवायु अनुकूलनः भारतीय हिमालयी क्षेत्र में सतत विकास के लिए रणनीतियां विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हे.न. बहुगुणा विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल द्वारा लिखित पुस्तक ‘भारतीय हिमालय क्षेत्र एक सतत भविष्य की ओर’ का विमोचन किया गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग करते हुए कहा कि इस कार्यशाला से जहां भारतीय हिमालयी क्षेत्र में जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के प्रयासों को बल मिलेगा, वहीं जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए कार्ययोजना बनेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्प्रिंग शेड मैनेजमेंट और जलवायु संरक्षण की दिशा में प्राथमिकता से कार्य कर रही है। पर्यावरण संतुलन और जैव विविधता बनाये रखने के लिए इकोनॉमी और इकोलॉजी के बीच समन्वय बनाकर कार्य किये जा रहे हैं। राज्य में जी.डी.पी की तर्ज पर जी.ई.पी इंडेक्स तैयार कर जल, वन, भूमि और पर्वतों के पर्यावरणीय योगदान के आकलन के प्रयास किये गये हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड देश का एक महत्वपूर्ण वाटर टावर भी है। यहां के ग्लेशियर पानी के अविरल स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी संकट से समस्याओं के समाधान के लिए राज्य में अनेक कार्य किये जा रहे हैं। जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए राज्य में ‘स्प्रिंग एण्ड रिवर रिजुविनेशन अथॉरिटी’ का गठन किया गया है। इसके तहत 5500 जमीनी जलीय स्रोतों तथा 292 सहायक नदियों का चिन्हीकरण कर उपचार किया जा रहा है। हरेला पर्व पर राज्य में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण किया गया। अमृत सरोवर योजना के तहत राज्य में 1092 अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नदी जोड़ो परियोजना के तहत पिडंर को कोसी, गगास, गोमती और गरूड़ नदी से जोड़ने का अनुरोध नीति आयोग से किया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह कार्यशाला उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि देश के पर्वतीय क्षेत्रों के प्राकृतिक जल स्रोतों के वैज्ञानिक पुनर्जीवीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल साबित होगी।

उपाध्यक्ष नीति आयोग सुमन के. बेरी ने हिमालयी राज्यों में खाली हो रहे गांवों को फिर से पुनर्जीवन दिए जाने के लिए बाहर बस गए लोगों को अपने गांवों में वापस लाने के लिए जागरूक करने पर जोर दिया। उन्होंने इसके लिए वाईब्रेंट विलेज योजना को गंभीरता से लेते हुए, ऐसे गांवों में रोजगार और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की बात कही। उन्होंने नीति आयोग के अध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए विज्ञान, सामुदायिक सहभागिता एवं महिलाओं को सशक्तिकरण पर विशेष बल दिए जाने की बात कही। इसके लिए उन्होंने ब्रॉडबैंड सेवा के विस्तार, इन्टरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाये जाने पर बल दिया।

सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से प्राकृतिक जल स्रोतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उत्तराखण्ड की परंपरा में जल स्रोतों को पवित्र माना जाता है और इनकी पूजा की जाती है। जल के महत्व को ध्यान में रखते हुए इसके संरक्षण के लिए सबको सामुहिक प्रयास करने होंगे।

इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, नीति आयोग के सलाहकार सुरेन्द्र मेहरा, प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन, उप निदेशक आईसीआईएमओडी इजाबेल, निदेशक एनआईएचई प्रो. सुनील नौटियाल उपस्थित थे।

सीएम और नीति आयोग के उपाध्यक्ष के बीच राज्य से जुड़े विभिन्न विषयों पर हुई चर्चा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी के साथ राज्य से जुड़े अहम विषयों पर बैठक की। मुख्यमंत्री ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष का देवभूमि उत्तराखण्ड में स्वागत किया।

मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान कहा कि उत्तराखण्ड विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है। राज्य में पर्वतीय, मैदानी, भाबर और तराई क्षेत्र हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में आपदा, वनाग्नि, पलायन और फ्लोटिंग जनसंख्या बड़ी चुनौती है। दो देशों की अन्तरराष्ट्रीय सीमाओं से लगे होने के कारण उत्तराखण्ड सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य है। उन्होंने नीति आयोग के उपाध्यक्ष से अनुरोध किया कि हिमालयी राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए नीतियों का निर्धारण किया जाए। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों की आजीविका में वृद्धि के लिए विशेष नीति बनाने का अनुरोध भी किया। इससे पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन जैसी बड़ी समस्या का समाधान होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हिम आधारित नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोड़े जाने की एक महत्वाकांक्षी परियोजना पर कार्य कर रही है, इसके दीर्घकालिक परिणाम गेम चेंजर साबित होंगे। “नदी-जोड़ो परियोजना“ के क्रियान्वयन के लिए अत्यधिक धनराशि की आवश्यकता है जिसके लिये उन्होंने इसके नीति आयोग से तकनीकी सहयोग के लिए अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की जनसख्या मूल रूप से लगभग सवा करोड़ है, लेकिन धार्मिक और पर्यटन प्रदेश होने की वजह से राज्य में इससे 10 गुना लोगों की आवाजाही है। राज्य में फ्लोटिंग जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए आधारभूत और बुनियादी सुविधाओं के विकास की आवश्यकता होती है। उन्होंने नीति आयोग के उपाध्यक्ष से अनुरोध किया राज्य में फ्लोटिंग आबादी को ध्यान में रखते हुए राज्य के लिए नीति बने।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड आपदा की दृष्टि से बहुत संवेदनशील राज्य है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण राज्य को प्रत्येक साल जन-धन की काफी क्षति होती है। राज्य में विकसित किया गया इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राकृतिक आपदाओं के कारण काफी प्रभावित होता है। उन्होंने अनुरोध किया कि राज्य की प्राकृतिक आपदाओं को ध्यान में रखते हुए नीति बनाई जाय। उन्होंने कहा कि वनाग्नि भी राज्य की बड़ी समस्या है। राज्य में वनाग्नि की चुनौतियों से समाधान के लिए राज्य को पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता होगी। राज्य के सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए भी विशेष नीति बनाने का अनुरोध भी मुख्यमंत्री ने किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प को पूरा करने की दिशा में लिए ’सशक्त उत्तराखण्ड पहल“ वर्ष 2022 में आरम्भ किया गया, जिसके अन्तर्गत आगामी पांच वर्षों में राज्य की आर्थिकी को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में हमने राज्य की आर्थिकी वर्ष 2022 के सापेक्ष 1.3 गुना हो चुकी है। हमने इस लक्ष्य को पूरा करने हेतु अल्पकालीन, मध्यकालीन एवं दीर्घकालिक रोडमैप तैयार किये है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने नीति आयोग द्वारा जारी सतत विकास लक्ष्यों की रैंकिंग में उत्तराखण्ड को प्रथम स्थान मिलने पर मुख्यमंत्री को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज बैठक में राज्य की प्रमुख चुनौतियों से संबंधित जिन विषयों पर चर्चा हुई है, इन सभी विषयों पर हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि राज्य के आकांक्षी जनपदों और विकासखण्डों के विकास के लिए भी नीति आयोग द्वारा हर संभव सहयोग दिया जायेगा।

इस अवसर पर उत्तराखण्ड के सेतु आयोग के उपाध्यक्ष राजशेखर जोशी, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आरं के. सुधांशु, राज्य सलाहकार नीति आयोग, भारत सरकार सोनिया पंत, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, एस.एन.पाण्डेय, अपर सचिव विजय कुमार जोगदण्डे, सीपीपीजीजी के एसीईओ डॉ. मनोज पंत उपस्थित थे।

उत्तराखण्ड स्किल डेवलपमेंट एण्ड एम्पलॉयमेंट कॉन्फ्रेस की तैयारियों के सम्बन्ध में हुई बैठक

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आगामी अक्टूबर में नियोजन विभाग व सेतु आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली उत्तराखण्ड स्किल डेवलपमेंट एण्ड एम्पलॉयमेंट कॉन्फ्रेस की तैयारियों के सम्बन्ध में बैठक ली। मुख्य सचिव ने राज्य के युवाओं को कौशल विकास के माध्यम से सशक्त करते हुए उनकी रोजगार की चुनौतियों के समाधान के साथ समावेशी व सतत् विकास की रणनीतियों पर मंथन के उद्देश्य से आयोजित की जाने वाली इस कॉन्फ्रेस से नीति आयोग, अर्न्तराष्ट्रीय श्रम संगठन, इंस्टीटयूट ऑफ हूयमन डेवलपमेंट, इन्टप्रयोन्रशिप डेवलपमेंट इंस्टीटयूट ऑफ इण्डिया, यूएनडीपी व यूनीसेफ को जोड़ने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव ने उक्त कॉन्फ्रेंस में युवाओं के लिए विदेश में रोजगार के अवसर तथा विदेश की आवश्यकताओं के अनुसार युवाओं हेतु कौशल विकास के कोर्स संचालित करने पर एक विशेष सत्र आयोजित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कौशल विकास के साथ विदेशी भाषाओं के कोर्स संचालित करने की रणनीति पर भी कार्य करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने सभी विभागों को प्रभावी समन्वय के साथ एकीकृत होकर कौशल विकास की दिशा में कार्य करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने विशेष रूप से वन विभाग को कौशल विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हुए राज्य में ट्रेकिंग हेतु आने वाले पर्यटकों के लिए स्थानीय युवाओं को नेचर गाइड के रूप में प्रशिक्षित करने की कार्ययोजना पर कार्य करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कौशल विकास व रोजगार के अवसरों को बढ़ाने हेतु सरकारी विभागों व संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों, निजी क्षेत्र व गैर सरकारी संगठनों के मध्य सुदृढ़ सहभागिता को बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। बैठक में सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम, सचिन कुर्वे सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।

विपक्ष के साथी जल्दबाजी नही करते तो सदन और लम्बा चलता-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गैरसैण में आयोजित विधानसभा सत्र की समाप्ति के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए सदन में हुई सकारात्मक चर्चा को राज्य हित में बताया। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष के साथी जल्दबाजी नही करते तो सदन और लम्बा चलता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन में कई विधेयकों के साथ अनुपूरक बजट पर चर्चा हुई तथा उन्हें स्वीकृति प्रदान की गई। अनुपूरक बजट, सामान्य बजट की पूर्ति के लिये लाया गया है। राज्य में वित्तीय अनुशासन के साथ राजस्व बढाने तथा खर्चों को कम करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए राजस्व प्राप्ति के क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा हैं। ऋण लेने की प्रक्रिया में भी कमी लाई गई है। विकास की दिशा में राज्य का प्रदर्शन भी बेहतर रहा है। नीति आयोग द्वारा जारी सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में राज्य द्वारा प्रथम स्थान पर रहना इसका प्रमाण है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास केन्द्र पोषित योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान देने का है। राज्यांश कम होने वाली योजनाओं का लाभ प्रदेश वासियों को मिलें इस पर भी ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा राज्य के गेस्ट हाऊसों का बेहतर ढंग से संचालन कर इन्हें आय के संशाधनो से जोडने में मददगार बनाया जा रहा हैं। राज्य की भावी पीढी को बेहतर वित्तीय स्थिति का लाभ मिले इसके लिए हम प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में युवाओं, खिलाडियों एवं छात्रों के व्यापक हित में अनेक प्रभावी निर्णय लिये गये है। महिला स्वयं सहायता समूहों को बिना ब्याज का ऋण उपलब्ध कर उनकी आर्थिकी मजबूत करने के साथ उन्हें स्वरोजगार से जोडने के लिये योजनायें बनाई गई है। समूहों के उत्पादों के विपणन की कारगर व्यवस्था की गई है। कृषि, बागवानी, मत्स्य, दुग्ध विकास की योजनाओं को रोजगार परक बनाया जा रहा है। जनता के हित से जुडी योजनाओं को धरातल पर उतारा जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में राज्य के किसी भी क्षेत्र में बनभूलपुरा जैसी घटना न हो, आपसी भाईचारा व अमन चैन बना रहें तथा दंगा, तोड-फोड के साथ सरकारी व निजी सम्पत्ति का नुकसान न हो इसके लिए लोक तथा निजी सम्पत्ति क्षति वसूली विधेयक को मंजूरी दी गई है। अब सम्पतियों के नुकसान की भरपाई दंगाईयों से ही की जायेगी। उन्होंने कहा कि देवभूमि का प्रत्येक व्यक्ति बांग्लादेश में हिन्दुओं के प्रति हो रही हिंसक घटनाओं के प्रति चिंतित है, उनके प्रति हो रहे इस अन्याय को रोका जाना चाहिए। हिंसक घटनाओं पर प्रभावी रोकथाम हम सबकी मांग है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अतिवृष्टि के कारण उत्पन्न आपदा की घटनाओं के प्रति हम संवेदनशील है। वे स्वयं राज्य के विभिन्न आपदाग्रस्त क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण कर स्थिति का जायजा ले रहें है तथा प्रभावितों का दुःख दर्द बांटने में लगे है। पीडितों की हर सम्भव मदद करने का प्रयास निरन्तर जारी है। इसके लिए धन की कमी नही होने दी जायेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भराडीसैंण का ग्रीष्मकालीन राजधानी के अनुरूप विकास हमारा लक्ष्य है, इसके लिए शीघ्र उच्च स्तरीय बैठक का भी आयोजन किया जायेगा। भराडीसैण में वर्षभर विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के आयोजन के भी प्रयास किये जाने की बात कही साथ ही यहां पर विधानसभा सत्र लम्बें समय तक संचालित किये जाने, अच्छा अस्पताल बनाये जाने, पत्रकारों तथा पुलिस के जवानों के लिये आवास की व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने की भी बात मुख्यमंत्री ने कही।

ऊर्जा की कमी को पूरा करने हेतु राज्यों को 25 मेगावाट से कम क्षमता की जल विद्युत परियोजनाओं के अनुमोदन का अनुरोध

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की बैठक में प्रतिभाग करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के लक्ष्य को पूर्ण करने की दिशा में उत्तराखण्ड भी निरंतर कार्य कर रहा है। उत्तराखण्ड आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील राज्य है, इस बार के केन्द्रीय बजट में इसको दृष्टिगत रखते हुए विशेष वित्तीय प्राविधान किये जाने पर उन्होंने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में जारी सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स इंडेक्स रैंकिंग में उत्तराखण्ड ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है, जो राज्य के लिए गर्व का विषय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य ने ‘समान नागरिक संहिता’ विधेयक को उत्तराखण्ड में पारित किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के कई शहरों में पेयजल का गंभीर संकट दिखाई दिया है, इस समस्या के समाधान के लिए भू जल स्तर बढ़ाने के साथ-साथ जल संरक्षण पर विशेष कार्य करने की आवश्यकता है। उत्तराखण्ड में इसके लिए स्प्रिंग एंड रिवर रिज्यूविनेशन ऑथोरिटी का गठन किया है, जो जल संरक्षण और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने और हिम आधारित नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोड़े जाने की परियोजना पर कार्य कर रही है। उन्होंने इसके लिए केन्द्र सरकार से विशेष वित्तीय सहायता एवं तकनीकि सहयोग का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता को और अधिक बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जिसके लिए कलस्टर आधारित इंक्यूबेशन सेंटर तथा ग्रोथ सेंटर महत्वपूर्ण साबित होंगे। उत्तराखण्ड में पायलट प्रोजक्ट के रूप में दो रूरल इंक्यूबेशन सेंटर तथा 110 ग्रोथ सेंटर स्थापित किये गये हैं। उन्होंने इंक्यूबेशन सेंटर्स स्थापित करने के लिए केन्द्र सरकार से तकनीकि और वित्तीय सहयोग के लिए अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने ऊर्जा की कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को 25 मेगावाट से कम क्षमता की जल विद्युत परियोजनाओं के अनुमोदन तथा क्रियान्वयन की अनुमति प्रदान करने तथा लघु जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए प्रस्तावित 24 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी के प्रस्ताव को पूर्वाेत्तर राज्यों के साथ ही हिमालयी राज्यों में भी लागू करने का अनुरोध किया। पी.एम कृषि सिंचाई योजना’ की गाईडलाइन्स में लिफ्ट इरिगेशन को शामिल करने के लिए भी मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग तथा क्लाइमेट चेंज जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी हमें विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके दृष्टिगत उत्तराखण्ड सरकार इकोलॉजी और इकोनॉमी के समन्वय से विकास योजनाओं को संचालित करने पर विशेष ध्यान दे रही है। राज्य में जीडीपी की तर्ज पर जीईपी जारी करने की शुरुआत की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी विकसित राष्ट्र में उनके शहरी क्षेत्र ग्रोथ इंजन के रूप में विशेष योगदान देते हैं। रोजगार सृजन बड़े शहरों में अधिक होता है, जिस कारण इन शहरों में अत्यधिक जनसंख्या के कारण मूलभूत सुविधाएं देना कठिन हो जाता है। इस समस्या के समाधान के लिए देश के विभिन्न शहरों के बीच ‘काउंटर मैग्नेट एरियाज’ विकसित करने होंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत की संकल्पना शोध विकास एवं नवाचार के लिए ए.आई रेडीनेस और क्वांटम रेडीनेस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष नीति आयोग की आठवीं बैठक में हिमालयी राज्यों के विकास संबंधित कुछ प्रस्ताव रखे गये थे, उन प्रस्तावों पर हिमालयी राज्यों के परिपेक्ष में विशिष्ट नीतियां बनाने का उन्होंने अनुरोध किया।

नीति आयोग की बैठक में ग्रीन बोनस सहित राज्य हित के कई मुद्दों को सीएम ने उठाया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की 8वीं बैठक में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड के विकास में मार्गदर्शन और सहयोग के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्र सरकार का आभार व्यक्त करते हुए राज्य से संबंधित विभिन्न विषयों को रखा।

ग्रीन बोनस
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र में वनों, बुग्यालों, ग्लेशियरों का संरक्षण करके हम सम्पूर्ण राष्ट्र को महत्वपूर्ण पर्यावरणीय सेवायें उपलब्ध करा रहे हैं। आईआईएफएम, भोपाल के एक अध्ययन के अनुसार उत्तराखण्ड के वनों से प्राप्त होने वाली इन सेवाओं का न्यूनतम मौद्रिक मूल्य 95,000 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष है। भविष्य में राज्यों के मध्य संसाधनों के आवंटन में इन वन एवं पारिस्थितिकी सेवाओं के मानक को बढ़ाने का उन्होंने अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक यह प्रणाली अस्तित्व में नही आती तब तक उत्तराखण्ड राज्य को ग्रीन बोनस प्रदान किया जाये।

भ्रमणशील जनसंख्या
मुख्यमंत्री ने कहा कि सामान्यतः विभिन्न केन्द्र पोषित योजनाओं में स्थिर जनसंख्या के मानक का उपयोग किया जाता है। महत्वपूर्ण तीर्थ स्थानों विशेष तौर पर चार धाम तथा कांवड़ यात्रा मे उत्तराखण्ड में बड़ी संख्या में तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों का वर्ष भर आवागमन होता है, जो राज्य की जनसंख्या का पांच से छह गुना है। तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों को समस्त आधारभूत सुविधायें जैसे-पार्किंग, यातायात, पेयजल, स्वच्छता, आवास, परिवहन, जन सुरक्षा इत्यादि राज्य के सीमित संसाधनों से ही करनी होती है। उन्होंने वित्तीय संसाधनों के आवंटन एवं नीति निर्माण में इस महत्वपूर्ण तथ्य को सम्मिलित किये जाने का अनुरोध किया।

बाह्य सहायतित परियोजनायें
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की लगभग 19,000 करोड़ रूपये की 11 वाह्य सहायतित परियोजनायें पाइप लाइन में हैं। इन परियोजना प्रस्तावों पर नीति आयोग, डी.ई.ए, सम्बन्धित केन्द्रीय मंत्रालयों से संस्तुति तथा फण्डिंग एजेंसियों से सैद्धान्तिक सहमति प्राप्त हो चुकी है। राज्य के वित्तीय संसाधन बहुत सीमित हैं जिस कारण ई.ए.पी तथा सी.एस.एस पर ही हमारी निर्भरता है। वित्त मंत्रालय के आदेश के अनुसार उत्तराखण्ड एवं हिमाचल प्रदेश हेतु इसमें बमपसपदह लगायी गयी है। इन परियोजनाओं पर कटौती किये जाने से राज्य में अवस्थापना सुविधाओं के सृजन तथा आजीविका के अवसर बाधित हो जायेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री जी से इसका समुचित समाधान करवाने का अनुरोध किया।

ऊर्जा
मुख्यमंत्री ने राज्य में 25 मेगावाट से कम लघु एवं सूक्ष्म जल विद्युत परियोजनाओं की ही उत्पादन क्षमता लगभग 3500 मेगावाट है। इसमें से मात्र 200 मेगावाट का ही दोहन हो रहा है। उन्होंने अनुरोध किया कि 25 मेगावाट से कम क्षमता की परियोजनाओं के अनुमोदन तथा क्रियान्वयन का अधिकार राज्य सरकार को प्रदान किया जाए। इस निर्णय से लगभग 3000 मेगावाट तक विद्युत क्षमता का उपयोग शीघ्र करके विकसित भारत/2047 के विजन के अन्तर्गत स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन करते हुए नेट जीरो के लक्ष्यों को हासिल करने में भी सहयोग दे पायेंगे।

नदी जोड़ो परियोजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो योजना के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा कुछ हिमनद नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोड़ने पर विचार किया जा रहा है। ऐसी अति महत्वपूर्ण ‘‘नदी-जोड़ो परियोजना’’ के क्रियान्वयन हेतु अत्यधिक धनराशि की आवश्यकता है, इसके लिये मुख्यमंत्री ने भारत सरकार से विशेष वित्तीय सहायता एवं तकनीकी सहयोग का अनुरोध किया।

केन्द्र पोषित योजनाओं में लचीलापन
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र पोषित अधिकांश योजनाएं वन साइज फिट ऑल के आधार पर बनती हैं। जो राज्यों की अपनी विशिष्ट परिस्थितियां एवं आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होती है, परन्तु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना जैसी योजनायें भी हैं जिसकी गाइडलाईन में पर्याप्त लचीलापन है। इसके कारण राज्य की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार कार्य करने की स्वायत्ता रहती है। स्वायत्ता की यही प्रक्रिया अन्य केन्द्र पोषित योजनाओं के लिये भी अपनायी जानी चाहिये ताकि उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्य केन्द्र पोषित योजनाओं का अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें।

औद्योगिक प्रोत्साहन नीति
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लागू औद्योगिक प्रोत्साहन नीति वर्ष 2017 के अन्तर्गत प्राप्त प्रोत्साहन वर्ष 2022 में समाप्त हो चुके हैं, जबकि जम्मू कश्मीर तथा पूर्वाेत्तर राज्यों हेतु इसी प्रकार की अन्य औद्योगिक नीति वर्तमान में भी चल रही है। पर्वतीय राज्य होने के कारण हमारी समस्यायें भी उन्हीं राज्यों की तरह ही हैं। उन्होंने औद्योगिक प्रोत्साहन नीति को उत्तराखण्ड राज्य में भी आगामी 5 वर्षाे के लिये विस्तारित करने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की कड़ी में उत्तराखण्ड को देश का अग्रणी राज्य बनाने का लक्ष्य-सशक्त उत्तराखण्ड 2025 की अवधारणा के आधार पर तेज गति से कार्य प्रारम्भ कर दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नीति आयोग, भारत सरकार की तर्ज पर राज्य में स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर इंपावरिंग एंड ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखण्ड (सेतु) का गठन किया है। गुजरात के जी.आई.डी.बी की तर्ज पर अवस्थापना सुविधाओं के सृजन हेतु उत्तराखण्ड निवेश और अवस्थापना विकास बोर्ड का गठन किया गया है ताकि घरेलू एवं अन्तर्राष्ट्रीय निवेशकों को राज्य में आकर्षित किया जा सके। जल संरक्षण को बढ़ावा देने, बाढ़ नियन्त्रण में सहायक और सभी विकास कार्याे में इकोनॉमी तथा इकोलॉजी का सन्तुलन सुनिश्चित करने के लिये ‘स्प्रिंग एंड रिवर रिजूवनेशन अथॉरिटी बनायी जा रही है। इससे स्थानीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा जल आधारित रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। नगरीय मल्टी मॉडल परिवहन सुविधा के लिये यूनिफाइड मेट्रोपॉलिटयन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (यू.एम.टी.ए) का गठन किया गया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पी0एम0 गतिशक्ति में गुजरात के बाद उत्तराखण्ड दूसरा राज्य है, जिसके द्वारा अधिकतम कार्य पूर्ण किया गया है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में बद्री-केदार धाम के पुननिर्माण का संकल्प शीघ्र साकार होने जा रहा है। इसके लिये राज्य की ओर से मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का आभार भी व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुमांऊ क्षेत्र में स्कन्द पुराण में उल्लिखित प्रमुख पौराणिक मंदिर तथा गुरूद्वारा को एक सर्किट के रूप में जोड़ने के लिये मानसखण्ड मंदिर माला मिशन प्रारम्भ की गयी है। इस परियोजना से स्थानीय स्तर पर लगभग 50,000 परिवारों को प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से रोजगार मिलने का अनुमान है। प्रथम चरण में 16 मंदिरों का अवस्थापना विकास किया जा रहा है। पहली बार जागेश्वर मंदिर पर आधारित गणतंत्र दिवस की झांकी को पहला स्थान मिला।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में ‘‘मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस’’ की अवधारणा के अन्तर्गत आई.टी का अधिक से अधिक उपयोग किया जा रहा है। अपणि सरकार पोर्टल पर लगभग 70 प्रतिशत सेवायें ऑनलाईन उपलब्ध है। ‘अपणों स्कूल अपणों प्रमाण’ के अन्तर्गत विद्यालय में ही छात्र-छात्राओं को सभी प्रमाण पत्र निर्गत किये जा रहे हैं। रोजगार के सृजन की दृष्टि से 18000 पॉली हाउस एक साथ स्वीकृत किये गये जबकि विगत वर्षों में लगभग 500 पॉली हाउस प्रतिवर्ष स्वीकृत होते थे। आगामी दो वर्षाे में प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से लगभग एक लाख से अधिक रोजगार का सृजन होगा। पर्यटन नीति 2023 के अन्तर्गत लगभग 40 हजार करोड़ रूपये का निवेश सम्भावित है, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार सृजन होगा। विदेशों में रोजगार के आकर्षक अवसर उपलब्ध कराने हेतु मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन एवं वैश्विक रोजगार योजना लायी गयी है। पर्यटक स्थलों पर सुगमतापूर्वक आवागमन के लिये 58 हैलीपोर्ट तथा हैलीपैड निर्मित किये गये हैं एवं 29 हैलीपोर्ट तथा हैलीपैड निर्माणाधीन है। स्थानीय स्तर पर विभिन्न प्रकार के ड्रोन के निर्माण तथा दूरस्थ क्षेत्रों में आवश्यकीय सेवाओं, विकास कार्याे की निगरानी के लिये ‘ड्रोन यूसेज एंड प्रमोशन पॉलिसी’ लायी जा रही है। सात जनपदों के 250 कृषकों को वर्तमान में ड्रोन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। राज्य में महिलाओं को अधिक सशक्त बनाने के लिये 2025 तक 1.25 लाख लखपति दीदी का लक्ष्य रखा गया है एवं 33,158 परिवारों को लखपति दीदी के रूप में तैयार किया गया है।

अब तीर्थनगरी में मोबाइल एप से मिलेगी सारी जानकारी, यात्रियों को मिलेगी सहूलियत

कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने ऋषिकेश सहित मुनिकीरेती और स्वर्गाश्रम को पर्यटकों के अनुरूप मूलभूत सुविधाएं देने के लिए एकीकृत अवस्थापना विकास परियोजना को भारत के आर्थिक कार्य मंत्रालय द्वारा 1600 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान करने पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया। बता दें कि परियोजना को पूर्व में नीति आयोग और आवासन एवं शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार ने स्वीकृति प्रदान की थी।

एडिशनल प्रोग्राम डायरेक्टर उत्तराखंड अर्बन सेक्टर डेवलेपमेंट विनय मिश्रा के साथ मंत्री डॉ अग्रवाल जी ने ऋषिकेश नगर सहित मुनिकीरेती, स्वर्गाश्रम के एकीकृत अवस्थापना विकास परियोजना के संबंध में जानकारी हासिल की।

विनय मिश्रा ने बताया कि नगर निगम ऋषिकेश, नगर पालिका मुनिकीरेती और नगर पंचायत स्वर्गाश्रम के लिए बनी परियोजना को भारत के आर्थिक कार्य मंत्रालय ने स्वीकृति प्रदान की है। बताया कि परियोजना की कुल लागत लगभग 200 मीलियन यूरो (लगभग रूपये 1600 करोड़) है। परियोजना हेतु भारत सरकार व राज्य सरकार का वित्तीय अनुपात 80रू20 प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि इसमें भारत सरकार द्वारा यूरोपीय वित्तपोषण संस्था ज्ञथ्ॅ को 160 मीलियन यूरो की सहायता हेतु प्रस्ताव प्रेषित किया गया है।

विनय मिश्रा ने बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत ऋषिकेश नगर निगम, मुनिकीरेती नगरपालिका तथा स्वर्गाश्रम नगर पंचायत क्षेत्र में एक सिटी ऐप कार्य करेगा। जो एक तरह से यात्रियों, पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों के लिए मददगार साबित होगा। इस ऐप के जरिए यात्री अपनी लोकेशन के आसपास ही पार्किंग, टॉयलेट, मेडिकल, अस्पताल, प्याऊ, पुलिस चौकी, सरकारी दफ्तर, व्यापारिक संस्थान, गंगा घाट, मंदिर सहित अन्य तीर्थ स्थल आदि की जानकारी ले सकेंगे। साथ ही यात्री पार्किंग पर अपना वाहन पार्क कर इलेक्ट्रिक व्हीकल के जरिए अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे।

बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत 24ग्7 पेयजल आपूर्ति प्रणाली, पेयजल मीटर वर्षाजल प्रबन्धन व बाद सुरक्षा, सार्वजनिक स्वच्छता सुविधाएं, स्मार्ट शहरी स्थल परिधान व सामान कक्ष, प्रतीक्षालय, घाट और व्यापारिक स्थल का विकास, सड़के और यातायात प्रबंधन भूमिगत उपयोगिता नालिका नागरिक सुरक्षा और सुविधाओं हेतु विकसित एकीकृत नियंत्रण व आदेश केन्द्र, स्मार्ट स्तम्भ व ऊर्जा बचत हेतु उपकरणों की स्थापना, परिवहन केंद्र, बस टर्मिनल और पार्किंग इत्यादि के कार्य किए जाने हैं।

इस मौके पर कैबिनेट मंत्री व ऋषिकेश विधायक डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने इस परियोजना के लिए भारत के आर्थिक कार्य मंत्रालय से स्वीकृति मिलने पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया। डॉ अग्रवाल ने कहा कि उनकी ओर से वैश्विक व राष्ट्रीय मंच पर लगातार तीर्थ नगरी को पर्यटकों के अनुरूप मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने हेतु लगातार प्रयास किया। डॉ अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में उत्तराखंड का चहुमुखी विकास हो रहा है कहा कि प्रधानमंत्री का तीर्थ नगरी से जुड़ाव होने के चलते इस परियोजना को स्वीकृति मिल सकी है।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि ऋषिकेश में अनेक विकास कार्य हुए हैं। इस परियोजना के जरिए पार्किंग और रोपवे का रास्ता भी खुलेगा। ऋषिकेश नगर में स्थानीय नागरिकों एवं पर्यटकों को बेहतर मूलभूत सुविधाए उपलब्ध होंगी। साथ ही ट्रैफिक जाम से होने वाली परेशानी को कम करने के उद्देश्य से ऊंचे पथों का निर्माण किया जायेगा। स्थानीय नागरिकों व पर्यटकों को बेहतर पेयजल एवं स्वच्छता सुविधाएं प्राप्त होंगी। जीविकोपार्जन गतिविधियों में वृद्धि होगी।

केन्द्र सरकार से जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना को निवेश स्वीकृति प्राप्त

सचिव सिंचाई हरि चन्द्र सेमवाल ने बताया कि शुक्रवार को सचिव जल संसाधन भारत सरकार की अध्यक्षता में तथा नीति आयोग व केन्द्रीय जल आयोग के अधिकारियों की उपस्थिति में आयोजित बैठक में पश्चिम बंगाल, मणिपुर, महाराष्ट्र एवं उत्तराखण्ड राज्य की योजनाएं निवेश स्वीकृति हेतु इन्वेस्टमेंट क्लीयेरेन्स की 17वीं बैठक में प्रस्तुत की गई।
बैठक में उत्तराखण्ड राज्य की जमरानी बांध परियोजना लागत रु० 2584.10 करोड के सम्बन्ध में निर्णय लिया गया कि परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत 90ः10 के अन्तर्गत निवेश की स्वीकृति प्रदान कर दी जाए। जमरानी बांध परियोजना पर शीघ्र ही पुनर्वास सहित निर्माण कार्यों को प्रारम्भ किए जायेंगे। परियोजना से 57065 है० अतिरिक्त सिंचाई के साथ-साथ हल्द्वानी शहर को वर्ष 2055 तक 42 एमसीएम पेयजल उपलब्ध कराये जाने का प्राविधान है। परियोजना से 63 मिलियन यूनिट वार्षिक विद्युत उत्पादन भी किया जाएगा। परियोजना को वर्ष 2027 तक पूर्ण किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि परियोजना से प्रभावितों के पुनर्वास के लिए शीघ्र ही पुनर्वास नीति केबिनेट में स्वीकृति हेतु रखी जाएगी तथा पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम 2013 के प्राविधानों के अनुसार प्रभावित ग्रामवासियों का सम्यक रूप से पुनर्वास किया जाएगा।