राष्ट्रपति सांसद नरेश बंसल ने की शिष्टाचार भेंट, कुंभ में उत्तराखंड आने का दिया निमंत्रण

दिल्ली में सांसद राज्य सभा नरेश बंसल ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से शिष्टाचार भेंट की। करीब 1 घंटे चली इस मुलाकात के दौरान राज्यसभा सांसद ने उन्हें कुंभ में हरिद्वार आने का निमंत्रण दिया। मौके पर सांसद ने नवसंवत्सर व हिन्दू नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं और बधाई दी गई। साथ ही उत्तराखंड के विकास कार्यों को लेकर भी वार्ता हुई। बंसल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को उनके संयुक्त संसदीय सत्र के अभिभाषण के लिए बधाई देते हुए उसे भारत की प्रगति का पाथेय बताया। साथ ही कहा कि विषम परिस्थितियों में भारत सरकार द्वारा पेश एतिहासिक बजट भारत की प्रगति मे मील का पत्थर साबित होगा। उससे सभी क्षेत्रों में सर्वागीण विकास होगा।

सांसद नरेश बंसल ने उत्तराखंड में केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा चल रहे विकास कार्यो की जानकारी राष्ट्रपति को दी। राष्ट्रपति कोविंद से राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर संवाद किया।दोनों के बीच उत्तराखंड व देश से सम्बंधित विभिन्न विषयों पर सकारात्मक चर्चा हुईं।

सासंद ने राष्ट्रपति को मां भगवती की प्रशाद स्वरुप चुनरी व श्री वाल्मिकी रामायण भेंट की। सासंद बंसल ने कुंभ मेला पर भी एक पुस्तक राष्ट्रपति महोदय को भेंट की व उन्हे सपरिवार देवभूमि उत्तराखंड के पुण्य क्षेत्र हरिद्वार में आयोजित होने वाले महाकुंभ में आने का निमंत्रण दिया।

इस मौके पर राज्य सभा में निर्वाचन पर बधाई और शुभकामनाएं दी। साथ ही सांसद ने राष्ट्रपति का मार्गदर्शन लिया। इस अवसर पर आईटी प्रकोष्ठ युवा मोर्चा उत्तराखंड के सह संयोजक सिद्धार्थ बंसल भी उपस्थित रहे।

राष्ट्रपति पुरस्कार हासिल करना प्रत्येक शिक्षक का होता है सपना

शिक्षक दिवस पर उत्तराखंड की एक महिला सहित दो शिक्षकों को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसमें महिला शिक्षिका सुधा पैंयूली को देहरादून और पुरूष शिक्षक डा. केवलानंद कांडपाल को बागेश्वर में जिलाधिकारी ने पुरस्कार दिया।

शिक्षक दिवस पर कलेक्ट्रेट स्थित एनआईसी सभागार में ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्रपति पुरस्कार हासिल करना प्रत्येक शिक्षक का सपना होता है। देहरादून से प्रत्येक वर्ष राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए शिक्षक चुने जाते हैं, यह वाकई में बड़ी उपलब्धि है। 

बता दें कि सुधा पैन्यूली 30 वर्षों से शिक्षा विभाग में शिक्षिका के रूप में अपनी सेवा दे रही हैं। वर्तमान में वह कालसी ब्लाक स्थित एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल में उप प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं।

वहंी, राजकीय हाईस्कूल पुड़कुनी (कपकोट) के प्रधानाचार्य डॉ. केवलानंद कांडपाल को डीएम विनीत कुमार ने मेडल और प्रशस्ति पत्र दिया। डीएम विनीत कुमार ने कहा कि हमें ऐसे शिक्षकों की जरूरत है, जो विद्यार्थियों के बेहतर भविष्य के लिए कार्य करें। उन्होंने डॉ. कांडपाल प्रेरणा लेने की अपील की।

देश को मिला 45वां मुख्य न्यायधीश, कोविंद ने दिलाई शपथ

भारत के उच्चतम न्यायालय के 45वें मुख्य न्यायधीश के रूप में जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपने पद व गोपनीयता की शपथ ले ली है। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस मिश्रा मुख्य न्यायाधीश के रूप में करीब 14 महीने तक बने रहेंगे, क्योंकि अक्टूबर 2018 में उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है। देश के 44वें चीफ जस्टिस जेएस खेहर 27 अगस्त को रिटायर हो गए हैं।
जस्टिस मिश्रा ओडिशा से तीसरे ऐेसे जज है, जो मुख्य न्यायाधीश बन गए है। जस्टिस दीपक मिश्रा ने साल 1977 में ओडिशा हाईकोर्ट से अपनी वकालत शुरू की थी और साल 1996 में ओडिशा हाईकोर्ट में जज बने थे। 1977 से 1996 तक वो उड़ीसा हाईकोर्ट के कामयाब वकीलों में से एक थे। वो साल 1997 में एमपी हाईकोर्ट के जज बने थे। जस्टिस मिश्रा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंगनाथ मिश्रा के भतीजे हैं। जस्टिस मिश्रा मुख्य न्यायाधीश के पद पर 2 अक्टूबर, 2018 तक बने रहेंगे। इससे पूर्व जस्टिस दीपक मिश्रा पटना हाईकोर्ट के भी मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। 24 मई 2010 को वो दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे और 10 अक्टूबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर प्रमोट हुए थे। सीजेआई के तौर पर दीपक मिश्रा का कार्यकाल 28 अगस्त, 2017 से 2 अक्टूबर, 2018 तक रहेगा।