सरकार के साथ मिलकर संगठन ने लिया निर्णय, चार माह के कार्यक्रम तय

(एनएन सर्विस)
मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सरकार और संगठन की समन्वय बैठक आयोजित हुई। बैठक में कोविड-19 के दृष्टिगत सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों पर विस्तार से चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता को सरकार द्वारा जनहित में किए गए निर्णयों की जानकारी होनी आवश्यक है। सरकार के सवा तीन साल के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। उन निर्णयों को जनता तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सरकार और संगठन की संयुक्त रूप से है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता से जुड़े कल्याणकारी कार्यक्रमों को समयबद्ध और प्रभावी रणनीति के साथ जनता तक पहुंचाने की जरूरत है। इसमें सभी लोगों का सहयोग लिया जाना चाहिए। यह भी जरूरी है कि संगठन के निचले स्तर से लेकर ऊपर तक पदाधिकारियों और विधायकों व दायित्वधारियों को सरकार की उपलब्धियों और उनके विधानसभा क्षेत्रों में किए गए विकास कार्यों की जानकारी हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रभावी पहल की है। इसमें स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार, प्रवासियों को स्वरोजगार के प्रयास, गरीबों और जरूरतमंदों को मुफ्त राशन, मनरेगा में मजदूरी को बढ़ाने, अटल आयुष्मान का दायरा बढाकर प्रदेश के बाहर के नामी अस्पतालों में भी स्वास्थ्य सुविधा का लाभ दिए जाने, स्वरोजगार के लिए आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराने, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है ऐसे प्रवासियों के लिए भी सस्ते दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने सहित अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।
बैठक में राज्य सरकार द्वारा किए गए विकास और जनहित के कार्यों को वर्चुवल कान्फ्रेंस और वर्चुवल मीटिंग के जरिए जनता तक पहुंचाने का भी निर्णय लिया गया, इसके लिए सांसद, मंत्रियों और पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सांपी गई। प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने भी अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। बैठक में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डा. धन सिंह रावत, मेयर सुनील उनियाल गामा, संगठन महामंत्री अजेय कुमार, महामंत्री राजू भंडारी व कुलदीप कुमार भी उपस्थित थे।

सरकार के बजट में रोजगार के लिए नए उद्योगों को प्राथमिकता

त्रिवेन्द्र सरकार ने इस बार जेंडर बजट में करीब 6204 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। यह पिछले बजट से करीब 12 करोड़ रुपये अधिक है। प्रदेश में जेंडर बजट 2007-08 से शुरू किया गया था। वित्त विभाग के अनुसार, जेंडर बजट का मतलब है सामान्य बजट में महिलाओं से संबंधित योजनाओं के लिए अलग से व्यवस्था करना। इस बार जेंडर बजट 6204 करोड़ रुपये का रखा गया है।
पिछले बजट में जेंडर बजट के तहत 6192 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी। इस बार सबसे अधिक इजाफा कल्याणकारी योजनाओं में किया गया है। पिछले बजट में कल्याणकारी योजनाओं के लिए 681 करोड़ रुपये की व्यवस्था की थी। इस बार इसके लिए 912 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। 11 विभाग ऐसे हैं, जिनमें शत प्रतिशत जेंडर बजट की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा कई विभाग हैं जिन्होंने महिला संबंधित योजनाओं में 20 प्रतिशत की व्यवस्था की है।

इन विभागों की योजनाओं में शत प्रतिशत व्यवस्था
(करोड़ रुपये में)
पुलिस 06.30
शिक्षा, खेल 20.51
परिवार कल्याण 83.78
कल्याण योजनाएं 912
ग्राम्य विकास 07.60
उद्योग 07.50
परिवहन 03.50
वन 00.33
अनुसूचित जाति 74
अनुसूचित जनजाति 03.90
पशुपालन संबंधित कार्य 33

नए उद्योगों को मिलेगी रफ्तार, सरकार ने उठाया वित्तीय भार
उत्तराखंड में नए उद्योगों को रफ्तार देने के लिए सरकार ने बजट में वित्तीय भार उठाया है। सरकार ने 2020-21 के बजट में औद्योगिक विकास के लिए 382 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 100 करोड़ अधिक है। नए औद्योगिक निवेश के प्रस्तावों को धरातल पर उतारने के लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में प्राथमिकता दी है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में उद्योग विभाग को लगभग 276 करोड़ का बजट दिया गया था। इस बार सरकार ने इसे बढ़ा कर 382 करोड़ किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में नए एमएसएमई उद्योग, बुनियादी ढांचे का विकास, नए इंडस्ट्रियल एरिया, हथकरघा एवं हस्तशिल्प, खादी ग्रामोद्योग पर सरकार का फोकस है।
ग्रोथ सेंटरों के लिए सरकार ने बजट में 10 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। सरकार की योजना न्याय पंचायत स्तर पर ग्रोथ सेंटर स्थापित करने की है। अब तक 83 ग्रोथ सेंटरों के लिए विभिन्न विभागों को पैसा दिया गया है। इसी तरह मेक इन इंडिया के लिए सरकार ने 50 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है।

त्रिवेन्द्र सरकार ने दी राहत, अब सीधे करा सकेंगे प्राइवेट अस्पताल में इलाज

उत्तराखंड सरकार ने राज्य अटल आयुष्मान योजना का दायरा बढ़ा दिया है। प्रदेश के चार लाख सरकारी कर्मचारियों को इस योजना के अधीन लाया गया है। मामूली शुल्क देकर सरकार कर्मचारी, पेंशनर और उनके परिजन असीमित धनराशि के मेडिकल कवर के दायरे में आएंगे। यही नहीं, अन्य गोल्डन कार्ड धारक भी देश में कहीं भी पांच लाख रुपये तक का निशुल्क कैशलेस इलाज करा सकेंगे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक में 14 प्रस्तावों को मंजूरी मिली। सूत्रों के अनुसार आयुष्मान योजना के तहत सरकारी अस्पताल से रेफर करवाने की व्यवस्था में व्यापक बदलाव किया गया है। अब मरीज सरकारी और गैर सरकारी मेडिकल कॉलेजों के साथ एनएबीएच (नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फॉर हास्पिटल्स एंड हेल्थ केयर) से मान्य अस्पतालों में सीधे जाकर इलाज करवा सकेगा। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के लिए कर्मचारियों के अंश को एक समान कर दिया गया है।
ओपीडी का नकद भुगतान, आईपीडी कैशलेस
त्रिवेंद्र सरकार ने प्रदेश के तीन लाख कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों को अटल आयुष्मान योजना अनलिमिटेड कैशलेस इलाज की सुविधा दे दी है। ओपीडी इलाज के खर्च का कर्मचारियों को नकद भुगतान किया जाएगा। वहीं आईपीडी इलाज में कैशलेस की सुविधा मिलेगी। एक अप्रैल से कर्मचारियों के लिए यह स्कीम शुरू होगी। कर्मचारियों, पेंशनरों व उनके आश्रितों के लिए 15 लाख गोल्डन कार्ड बनाए जाएंगे।
अटल आयुष्मान योजना में अनलिमिटेड कैशलेस इलाज के लिए कर्मचारियों व पेंशनरों को प्रतिमाह के हिसाब से प्रीमियम देना होगा। इसके लिए सरकार ने पे स्केल के आधार पर केंद्रीय हेल्थ स्कीम (सीजीएचएस) की तरह प्रीमियम की दरें निर्धारित की है। पेंशनरों के लिए वन टाइम प्रीमियम जमा करने का विकल्प भी दिया है।
कर्मचारियों व पेंशनरों के गोल्डन कार्ड आल इंडिया पोर्टेबिलिटी होने से देश के किसी भी पंजीकृत अस्पताल में इलाज की सुविधा मिलेगी। इसके लिए रेफर की शर्त नहीं रहेगी। ओपीडी में इलाज कराने के लिए कर्मचारियों को पैसा देना पड़ेगा। मेडिकल बिल विभाग से मंजूर कराने के बाद राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से कर्मचारियों को भुगतान किया जाएगा।
निगम और बोर्ड कर्मचारियों को भी मिलेगा लाभ
सरकारी क्षेत्र के निगम व बोर्डों में कार्यरत 40 हजार से अधिक कर्मचारियों को भी कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। पहले निगम व बोर्ड को प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजना होगा। लंबे समय से निगम के कर्मचारी राजकीय सेवा के कर्मचारियों की तर्ज पर कैशलेस की सुविधा देने की मांग कर रहे थे।
मेडिकल कालेज और एनएएचबी मान्य प्राप्त अस्पतालों में रेफर व्यवस्था खत्म
केंद्र व राज्य सरकार की अटल आयुष्मान योजना को मर्ज किया है। प्रदेश के सरकारी व प्राइवेट मेडिकल कालेजों के साथ राष्ट्रीय हेल्थ एवं केयर बोर्ड से मान्यता प्राप्त अस्पतालों में गोल्डन कार्ड मरीज सीधे इलाज करा सकते हैं। इसके लिए उन्हें रेफर होने की शर्त नहीं रहेगी। प्रदेश के गोल्डन कार्ड केंद्र योजना से जुड़ जाने से देश के किसी भी पंजीकृत अस्पताल में पांच लाख तक सीमा तक इलाज करा सकेंगे।

श्रेणी के अनुसार कर्मचारियों और पेंशनरों का प्रतिमाह अशंदान
स्तर अंशदान रुपये में
1 से 5 स्तर (चतुर्थ श्रेणी) 250
6 स्तर (तृतीय श्रेणी) 450
6 से 11 श्रेणी(द्वितीय श्रेणी) 650
12 से श्रेणी से ऊपर (अधिकारी) 1000