एम्स ऋषिकेश में एक दिन में तीन मरीज कोरोना पॉजीटिव, अब तक चार

एम्स के जनसंपर्क अधिकार हरीश मोहन थपलियाल ने मंगलवार शाम को अपडेट देते हुए बताया कि एम्स में कोरोना वायरस के दो नए मरीज सामने आए है, जिनमें पुष्टि हुई हैं। मंगलवार को तीन केस हुए है। बताया कि अब तक कुल चार केस सामने आए है।

अपडेट्स
एम्स अस्पताल (गैर कोविड क्षेत्र) में मंगलवार शाम कोविड 19 के दो और सकारात्मक मामले सामने आए।

1 – 26 वर्षीय जनरल सर्जरी वार्ड में एक महिला स्टाफ नर्स है। जिसमें सोमवार को रोग के लक्षण पाए गए। जो दो दिन पूर्व तक ड्यूटी पर कार्यरत थी व एम्स के पास एक रूममेट के साथ रहती है।

 2- एक अन्य सकारात्मक मामला गैस्ट्रोलॉजी में उपचाराधीन व यूरोलॉजी वार्ड में भर्ती 56 वर्षीया महिला रोगी का तीमारदार है। संस्थान ने इन दोनों रोगियों के बाबत आवश्यक कार्यवाही शुरू कर दी है।

सरकार की कार्रवाई, आम लोगों को राहत देने और हड़ताल रोकने के लिए एस्मा लागू

आम जनता को राहत देने के लिए सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। उत्तराखंड में प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल रोकने के लिए शासन ने एस्मा लागू कर दिया है। शासन ने इसकी अधिसूचना जारी कर छह माह के लिए स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक लगा दी है। राज्यपाल की स्वीकृति के बाद शासन ने उत्तर प्रदेश अति आवश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम 1966 के तहत स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों, पैरामेडिकल व अन्य कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक लगा दी है।
अपर सचिव युगल किशोर पंत की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में तैनात डॉक्टरों व कर्मचारियों की सभी सेवाओं को आवश्यक सेवाएं घोषित कर हड़ताल पर रोक लगाई गई है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जहां सरकार प्रदेश भर में हाई अलर्ट जारी कर चुकी है, वहीं प्रमोशन में आरक्षण के लिए खिलाफ चल रहे आंदोलन के समर्थन में डॉक्टर, डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन, लैब टेक्नीशियन, नर्सिंग स्टाफ संघ की ओर से दो घंटे का कार्य बहिष्कार किया जा रहा था।
स्वास्थ्य कर्मचारी संगठनों की ओर से पूर्ण कार्य बहिष्कार करने के लिए सरकार पर दबाव बनाया जा रहा था। इसे देखते हुए शासन ने एस्मा लागू कर स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक लगा दी है।

क्या हकीकत में देश की सबसे बड़ी एफआइआर उत्तराखंड में लिखी जा रही? जानिए…

कहा जा रहा है कि देश की सबसे बड़ी एफआइआर अपने राज्य में दर्ज होने जा रही है। अभी तक पांच दिन में 43 पेज की लिखत-पढ़त हो चुकी है। जबकि अभी 11 पेज और लिखा जाना बाकी है। इन पेजों के लेखाजोखा में पुलिस के भी पसीने छूट रहे हैं। इसके पीछे का कारण स्वास्थ्य विभाग है। जिसने आयुष्मान योजना में हुए घोटाले की जांच रिपोर्ट ही पुलिस को एफआइआर के रूप में दे दी है। वहीं एसएसपी ऊधमसिंहनगर बरिंदरजीत सिंह का इस बारे में कहना है कि देश की सबसे बड़ी एफआइआर है, ऐसा कहना संभव नहीं है। इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। एफआइआर लंबी है, इसलिए समय अधिक लग रहा है। विवेचक को विवेचना करने में ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। तथ्यों के आधार पर विवेचना की जाएगी।
आपको बता दें कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अटल आयुष्मान योजना के तहत एमपी मेमोरियल अस्पताल और देवकी नंदन अस्पताल में भारी अनियमितताएं पकड़ी थीं। जांच में सामने आया कि अस्पताल के संचालक नियमों के खिलाफ मरीजों के फर्जी इलाज के बिलों का क्लेम वसूल रहे हैं। एमपी अस्पताल में मरीजों के डिस्चार्ज होने के बाद भी उनको कई-कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती दिखाया गया। इसके अलावा आइसीयू में भी क्षमता से ज्यादा रोगियों का इलाज होना बताया गया। मामले की पूरी जांच के बाद स्वास्थ्य विभाग ने पूरी जांच रिपोर्ट ही पुलिस को एफआइआर दर्ज करने के लिए दे दी। स्वास्थ्य विभाग की जांच ही पुलिस के गले की फांस बनी हुई है। यदि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जांच का निष्कर्ष निकालकर दिया गया होता तो पुलिस को इतनी दिक्कतें नहीं झेलनी पड़तीं। हालांकि बांसफोड़ान पुलिस चैकी में देवकी नंदन अस्पताल संचालक पुनीत बंसल के खिलाफ 22 पेज की एफआइआर लिखी जा चुकी है। जबकि अभी एमपी मेमोरियल अस्पताल के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का सिलसिला जारी है।
एफआइआर को लिखने में लिपिक के सामने सबसे बड़ी दिक्कत भाषाएं बनी हुई हैं। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एफआइआर लिखने को दी गई जांच रिपोर्ट हिंदी-अंग्रेजी और गणित की भाषा में है। जिससे एक पेज लिखने में घंटों का समय लग रहा है। हालांकि मैनुअली लिखे जाने के साथ ही एफआइआर को साथ ही साथ पुलिस के सॉफ्टवेयर सीसीटीएनएस दर्ज किया जा रहा है। कटोराताल पुलिस चैकी में एमपी मेमोरियल अस्पताल के खिलाफ लिखी जा रही एफआइआर में अभी तक आठ रिफिल लग चुके हैं। जबकि अभी तीन-चार रिफिल और खर्च हो सकते हैं। इतना ही नहीं एफआइआर को लिखने में लिपिक को प्रतिदिन 14 घंटे का समय देना पड़ रहा है। जिसके बाद अन्य काम किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद हरकत में आया स्वास्थ्य विभाग, मिली सबसे बड़ी राहत

उत्तराखंड सरकार ने प्रदेशवासियों को बड़ी राहत देते हुए आयुष्मान कार्डधारकों को सुविधा दी है कि डेंगू के मरीज अब सीधे प्राइवेट अस्पतालों में अपना इलाज करा सकेंगे। स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पतालों को डेंगू के मरीजों को आयुष्मान कार्ड के आधार पर भर्ती कर इलाज कराने की सुविधा प्रदान कर दी है। विभाग ने निजी अस्पतालों से कहा है कि मरीज को भर्ती करने के बाद इसकी सूचना आयुष्मान की नोडल एजेंसी को देनी होगी।
डेंगू के मामले लगातार बढ़ने और सरकारी अस्पतालों में भीड़ बढ़ने के बाद सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है। वहीं, सामने आया है कि सरकारी अस्पतालों में इलाज न मिलने के कारण भी मरीजों को निजी अस्पतालों में भर्ती होना पड़ रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए निजी अस्पतालों में इलाज कराना मुश्किल हो रहा है और वहीं, सरकारी अस्पतालों में बैड खाली नही होने से उनकी जिंदगी दांव पर लगी हुई है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर सचिव स्वास्थ्य नितेश झा ने अधिकारियों की बैठक ली और यह निर्णय लिया कि आयुष्मान कार्डधारकों को निजी अस्पतालों में डेंगू का इलाज करने के लिए अधिकृत किया जाए। साथ ही लोगों मंे यह अपील भी पहुंचाने का निर्णय लिया गया कि डेंगू होने पर केवल गंभीर स्थिति में ही अस्पतालों में भर्ती हुआ जाए। इसका इलाज घर पर भी संभव हो सकता है।
सचिव स्वास्थ्य नितेश झा ने बताया कि आयुष्मान कार्डधारक निजी अस्पतालों में अपना इलाज करा सकते हैं। इसके लिए अस्पतालों को एडवाइजरी भी दी जा रही है। निजी अस्पतालों को मरीज भर्ती करने के बाद इसकी सूचना आयुष्मान एजेंसी को देनी होगी। ताकि उनके बिल के भुगतान की प्रक्रिया नियमानुसार की जा सके।