राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी उन्नयन योजना का शुभारम्भ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को पुलिस लाईन मैदान में राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में ‘‘मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी उन्नयन योजना‘‘ का शुभारम्भ किया।
मुख्यमंत्री द्वारा इस अवसर पर प्रदेश के खिलाड़ियों के उन्नयन हेतु कई घोषणाएं भी की गई। उन्होंने कहा कि खेल विभाग के अन्तर्गत खेल प्रशिक्षकों की कमी को देखते हुए प्रत्येक जनपद के लिए 8-8 विभागीय खेल प्रशिक्षकों की नियुक्ति की जायेगी। खिलाड़ियों को त्वरित नियमानुसार वित्तीय लाभ दिये जाने हेतु मुख्यमंत्री खेल विकास निधि की स्थापना की जायेगी। इसके साथ ही खेल विभाग, उत्तराखण्ड के कॉन्ट्रैक्ट प्रशिक्षकों को भारतीय खेल प्राधिकरण के कॉन्ट्रैक्ट प्रशिक्षकों को देय मानदेय के अनुसार मानदेय में वृद्धि की जायेगी। मलखंब खेल को भी खेल नीति में शामिल किया जायेगा। पूर्व की भांति राज्याधीन सेवाओं में कुशल खिलाड़ियों को 4 प्रतिशत आरक्षण पुनः लागू किये जाने का प्रयास किया जायेगा।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन है और आज के दिन हम प्रदेश में “मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी उन्नयन योजना“ प्रारंभ कर रहे हैं। इसके लिये आज से बेहतर दिन हो ही नहीं सकता था। मेजर ध्यानचंद ने खेल की दुनिया में भारत को एक पहचान दिलाई थी, वो भी उस समय जब भारत में स्पोर्ट्स का इंफ़्रास्ट्रक्चर इतना नहीं था, खिलाड़ियों को सुविधाएं नाम मात्र की थीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने कुछ समय पहले राज्य के प्रतिभाशाली उभरते खिलाड़ियों के लिए खेल छात्रवृत्ति देने का निर्णय लिया था, हमें खुशी है कि योजना को शुरू कर दिया गया है। हमारी सरकार जो कहती है, वो करती भी है। मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी उन्नयन योजना में 8 से 14 वर्ष के उभरते खिलाड़ियों को 1500 रूपये प्रतिमाह की खेल छात्रवृत्ति दी जायेगी। हर कुल 3900 उभरते खिलाड़ियों जिसमें से 1950 बालकों एवं 1950 बालिकाओं को खेल छात्रवृत्ति दी जाएगी। राज्य में खेलों को बढावा देने के लिए हम हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में खिलाड़ियों को खेल क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त करने, भविष्य में उत्तराखण्ड राज्य को खेल क्षेत्र में अग्रणी पंक्ति में स्थापित किये जाने के उद्देश्य से खेल नीति-2021 लागू की गई। खेल नीति में खिलाड़ियों को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक अर्जित करने पर पूर्व में देय नकद पुरस्कार धनराशि से लगभग 100 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इसी प्रकार प्रशिक्षकों हेतु भी धनराशि में वृद्धि की गई। दिव्यांग खिलाड़ियों को भी सामान्य खिलाड़ियों की भांति समान अधिकार प्रदान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य खेल पुरस्कार यथा देवभूमि उत्तराखण्ड खेल रत्न, देवभूमि उत्तराखण्ड द्रोणाचार्य पुरस्कारों के साथ ही हिमालय रत्न खेल पुरस्कार भी प्रदान किया जा रहा है। खिलाड़ियों को राज्य में सरकारी नौकरी प्रदान किये जाने की आउट ऑफ टर्न नियुक्ति की व्यवस्था की गई है। खिलाड़ियों को जमीनी स्तर से खेल क्षेत्र में रूचि लाने हेतु 8 से 23 वर्ष तक के खिलाड़ियों को छात्रवृत्ति प्रदान किये जाने की व्यवस्था की गई है। विश्वविद्यालयों में व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु 5 प्रतिशत स्पोर्ट्स कोटा की व्यवस्था की गई है। निजी खेल क्षेत्रों के माध्यम से खेल अवस्थापना सुविधाओं के निर्माण हेतु अनुदान दिये जाने की व्यवस्था की गई है। राज्य के खिलाड़ियों का राज्य परिवहन बसों में निःशुल्क यात्रा किये जाने की व्यवस्था की गई है। स्पोर्ट्स कॉलेज रायपुर को अंतराष्ट्रीय स्तर का स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय बनाने हेतु प्रयास किये जा रहे हैं। खेल छात्रावासों के खिलाड़ियों का दैनिक भत्ता 175 रूपए से बढ़ाकर 225 रूपए प्रति छात्र किया गया है। ग्रामीण स्तर पर ओपन जिम के लिये 10 करोड़ रूपए का बजट में प्राविधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नये भारत, शक्तिशाली भारत, गौरवशाली भारत का निर्माण हो रहा है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हर क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। खेलों में भी भारत का मान सम्मान बढा है। प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर दिए अपने भाषण में खेलों और खिलाड़ियों का विशेष रूप से जिक्र किया। उन्होंने लालकिले से दिये गये भाषण में कॉमनवेल्थ गेम्स में खिलाड़ियों के प्रदर्शन की सराहना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज खिलाड़ियों के चयन में बहुत पारदर्शिता आई है। प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को पूरा मौका मिल रहा है। हमारे खिलाङी भी देश को गौरान्वित होने का अवसर दे रहे है। अब खिलाड़ियों के सामर्थ्य का सम्मान हो रहा है। दुनिया में कहीं भी खेल का मैदान हो, आज भारत का तिरंगा लहराता दिख रहा है‘। प्रधानमंत्री ने देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए नई पहल की। खेलो इंडिया कार्यक्रम इसी सोच का एक अच्छा उदाहरण है। आज खेल प्रतिभाओं को पहचानना, उन्हें हर जरूरी सहयोग देना शुरू किया गया है। आज बेहतर से बेहतर ट्रेनिंग सुविधाएं खिलाड़ियों को दी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत खेल शक्ति के तौर पर उभर रहा है। हमारे खिलाड़ियों के जीते सोने और चांदी के मैडल ने देश के आत्मविश्वास को भी बढाया है। आज भारत ओलंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स एवं अन्य खेल प्रतियोगिताओं में रिकॉर्ड संख्या में पदक जीत रहा है। आज हमारे युवा हर क्षेत्र में नेतृत्व कर रहे हैं। उनकी इनोवेटिव सोच देश को आगे ले जा रही है। स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल सभी में भारत के युवा आगे आए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी युवा दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ मेहनत करें। राज्य सरकार आपके साथ है। सफलता का एक ही मूल मंत्र है “विकल्प रहित संकल्प“। अपना लक्ष्य निर्धारित करें और उस लक्ष्य को पाने के लिए जी जान से जुट जाएं। जिस भी फील्ड में जाएं, वहां लीडर बनें। प्रधानमंत्री की अपेक्षा के अनुरूप वर्ष 2025 तक उत्तराखण्ड को प्रत्येक क्षेत्र में आदर्श राज्य बनाने के लिए हम हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। यह हम सभी के सम्मिलित प्रयासों से ही सम्भव है। आइये हम अपनी देवभूमि को आदर्श राज्य बनाने के लिए पूरी निष्ठा से अपने-अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।
खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि राष्ट्रीय खेल दिवस पर राज्य में मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी उन्नयन योजना’ की शुरूआत हुई है। खेल के क्षेत्र में हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो इसके लिए राज्य की नई खेल नीति में हर प्रकार की सुविधाएं दी गई हैं। राज्य की प्रतिभाएं आगे बढ़े इसके लिए खिलाड़ियों को हर संभव मदद करने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा खिलाड़ियों को 1500 रूपये प्रतिमाह की खेल छात्रवृत्ति दी जा रही है, जिससे वह अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूर्ण कर सकते हैं। राज्य के अंतर्गत कई राष्ट्रीय एवं राजकीय स्तर के स्टेडियमों का निर्माण किया जा रहा है, जो उत्तराखंड राज्य के साथ ही यहां के खिलाड़ियों को नई पहचान देगा। उन्होंने आने वाले समय में खेल महाकुंभ का आयोजन किए जाने की भी बात कही।
इस अवसर पर विधायक धर्मपुर विनोद चमोली, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, विशेष प्रमुख सचिव खेल अभिनव कुमार, निदेशक खेल गिरधारी सिंह रावत, संयुक्त निदेशक डॉ. धर्मेन्द्र भट्ट आदि गणमान्य उपस्थित रहे।

राज्य सरकार खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने वाली नई खेल नीति लाएगी-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गांधी पार्क से ’नीरज चोपड़ा ग्लोरी क्रॉस कंट्री रन’ को फ्लैग ऑफ किया। मुख्यमंत्री ने भी इसमें जॉगिंग करते हुए प्रतिभाग किया। इसका आयोजन राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर खेल विभाग उत्तराखण्ड और उत्तराखण्ड एथलेटिक्स संघ द्वारा किया गया।
मुख्यमंत्री ने हॉकी खिलाङी मेजर ध्यानचंद का स्मरण करते हुए खेल दिवस की बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस प्रकार की नई खेल नीति लाएगी जिसमेँ खिलाड़ियों को तैयारी के लिए संसाधनों की कमी न रहे। राज्य सरकार की कोशिश है कि खिलाड़ियों को अधिक से अधिक प्रोत्साहित किया जाए। अभावों के कारण खेल प्रतिभा दबी न रहे। आगे बढने के पूरे अवसर मिलें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों ओलम्पिक में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन हम सभी को गौरवान्वित करने वाला रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि खेल भावना सर्वाेपरि है। जीवन के हर क्षेत्र में स्पोर्ट्समैन शिप होनी चाहिये। जीवन में भी खेल की तरह कभी आगे बढते हैं कभी पीछे हटते हैं। जीवन में बहुत से अभावों का सामना करना पड़ता है। परन्तु अगर हम ठान लें और संकल्प लेकर प्रयास करें तो सफलता जरूर मिलती है। मेहनत करने से मंजिल मिलती है। अगर संकल्प लिया है तो दूसरे विकल्प के बारे में नहीं सोचना चाहिए। मन में उत्साह होना चाहिए। उत्साह है तो ऊर्जा है।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, विधायक खजानदास, मेयर सुनील उनियाल गामा, खेल विभाग के अधिकारी, खिलाङी और खेल प्रेमी मौजूद थे।

अब मेजर ध्यानचंद के नाम से जाना जायेगा खेल का सबसे बड़ा सम्मान, पीएम ने की घोषणा

भारत में खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाले सबसे बड़े सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम अब हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम पर कर दिया गया है। इस बात की जानकारी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके दी है। पीएम मोदी ने कहा कि लोगों की भावनाओं को देखते हुए इस अवार्ड का नाम अब मेजर ध्यानचंद के नाम पर किया जा रहा है।

पीएम मोदी ने क्या ट्वीट किया?

पीएम मोदी ने कहा है, देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए। लोगों की भावनाओं को देखते हुए इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है। जय हिंद

ओलंपिक्स में हॉकी खिलाड़ियों का प्रदर्शन आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा- मोदी

एक अन्य ट्वीट में पीएम मोदी ने कहा, ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रयासों से हम सभी अभिभूत हैं। विशेषकर हॉकी में हमारे बेटे-बेटियों ने जो इच्छाशक्ति दिखाई है। जीत के प्रति जो ललक दिखाई है, वो वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।

खेल रत्न का इतिहास

इस अवार्ड को 1991-92 में शुरू किया गया था। तब इसका नाम देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर रखा गया था। इस अवार्ड की स्थापना का मुख्य उद्देश्य खेल के क्षेत्र में सराहना और जागरूकता फैलाना है साथ ही खिलाड़ियों को सम्मानित कर उनकी प्रतिष्ठा बढ़ाना है, ताकि वह समाज में और ज्यादा सम्मान प्राप्त कर सकें।

भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान खेल रत्न पुरस्कार का नाम राजीव गांधी खेल रत्न की जगह मेजर ध्यानचंद खेल रत्न रखने के फैसले का खेल जगत ने स्वागत किया है। ध्यानचंद को महानतम हॉकी खिलाड़ी माना जाता है। हॉकी के इस जादूगर ने अपने 1926 से 1949 तक के करियर के दौरान 1928, 1932 और 1936 में ओलंपिक का शीर्ष खिताब हासिल किया था। उनकी जयंती के उपलक्ष्य में 29 अगस्त को देश का राष्ट्रीय खेल दिवस भी मनाया जाता है।

विश्व चैंपियनशिप में भारत की एकमात्र एथलेटिक्स पदक विजेता और यह पुरस्कार 2003 में हासिल करने वाली अंजू बॉबी जॉर्ज ने कहा कि खेल पुरस्कारों के नाम खिलाड़ियों के नाम पर रखे जाने चाहिए। उन्होंने कहा, यह सही समय है जब हम अपने खेल पुरस्कारों का नाम अपने खेल के दिग्गजों के नाम पर रखें। यह सही कदम है. ध्यानचंद हमारे खेल नायक और हॉकी के दिग्गज हैं और हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है. यह उचित ही है कि देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार का नाम ध्यानचंद के नाम पर ऐसे समय रखा गया है जब भारत ने 41 साल बाद हॉकी में ओलंपिक पदक जीता है।

इस फैसले की सराहना करते हुए पूर्व हॉकी कप्तान अजीतपाल सिंह ने कहा कि पहचान देर से मिली लेकिन देर आये दुरुस्त आये। उन्होंने कहा, यह एक स्वागत योग्य कदम है। यह एक अच्छा फैसला है जो प्रधानमंत्री ने लिया है। खेल पुरस्कार हमेशा खिलाड़ियों के नाम पर होने चाहिए और ध्यानचंद जी से बड़ा देश में कोई खिलाड़ी नहीं है। यह मान्यता देर से मिली, लेकिन कभी नहीं से बेहतर है कि देर से मिली।

ओलंपिक कांस्य पदक मुक्केबाज विजेन्दर सिंह ने कहा कि ध्यानचंद जी को सम्मान देना अच्छी बात है लेकिन यह देश में खेलों के स्तर को उठाने के लिए काफी नहीं है। उन्होंने कहा, इस कदम के खिलाफ कुछ भी नहीं है, क्योंकि हम सभी ध्यानचंद जी के अपार योगदान का सम्मान करते हैं । लेकिन सरकार को खिलाड़ियों का समर्थन करने के लिए इससे कुछ ज्यादा करना चाहिए। उन्हें बुनियादी स्तर पर सुविधाओं की जरूरत है, जब तक हम ऐसा नहीं कर सकते, केवल पुरस्कारों का नाम बदलने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यह घोषणा की कि देशवासियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए खेल रत्न पुरस्कार को अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाएगा। टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीमों के शानदार प्रदर्शन के बाद इस सम्मान का नाम महान हॉकी खिलाड़ी के नाम पर रखने का फैसला लिया गया।

केन्द्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि ध्यानचंद खेलों में भारत के सबसे बड़े नायक रहे हैं। उन्होंने कहा, मेजर ध्यानचंद जी ने अपने असाधारण खेल से विश्व पटल पर भारत को एक नई पहचान दी और अनगिनत खिलाड़ियों के प्रेरणास्रोत बने। जनभावना को देखते हुए खेल रत्न पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार करने पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का हार्दिक धन्यवाद।

भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी से सांसद बने गौतम गंभीर कहा, किसी (खेल) नायक का नाम पुरस्कार को और प्रतिष्ठित बनाता है। वहीं ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त ने भी इस कदम के लिए प्रधानमंत्री का शुक्रिया करते हुए कहा, खेल के सबसे बड़े पुरस्कार खेल रत्न को देश के श्रेष्ठ खिलाड़ी और हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न रखने के फैसले के लिए मैं भारत सरकार और आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हार्दिक धन्यवाद करता हूं।

बच्चों को बेहतर खेल सुविधा मिले, इसके लिये हो रहा है कामः त्रिवेन्द्र

29 अगस्त यानी राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर प्रदेश के मुखिया त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गाँधी पार्क में आयोजित ‘रन फॉर उत्तराखण्ड‘ का हरी झण्डी दिखाकर शुभारम्भ किया। इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री बोले राष्ट्रीय खेल दिवस एक ऐसे खिलाड़ी, मेजर ध्यान चंद कीे याद में मनाया जाता है जिसने देश की आन बान और शान के लिये जी-तोड़ मेहनत की। भारत को हॉकी का सरताज बना दिया। कभी हार न मानना, मुश्किलों में बहाना नहीं बनाना, जुझारूपन, लीडरशिप क्वालिटी जैसी बातें हम मेजर ध्यान चंद के जीवन से सीख सकते हैं। ‘रन फॉर उत्तराखण्ड‘ में नौजवानों एवं बड़ी उम्र के लोगों को भाग लेते हुए देख कर बहुत खुशी हो रही है। हम राज्य के विकास के लिये दौड़ें, हम जो भी करें राज्य के लिये करें। हमारे लिये राज्य का विकास ही सर्वोच्च होना चाहिए। आप लोगों के मजबूत इरादे, जोश और खेल भावना को देखकर ही इस रैली को ‘रन फॉर उत्तराखण्ड‘ नाम दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2018 में उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय खेल होने हैं। उसकी तैयारियों के लिये एक महत्वपूर्ण शुरूवात हुयी है। इसके लिये हम आयोजन स्थलों को भी तैयार कर रहे हैं। बच्चों को बेहतर खेल सुविधाएं मिलें, इस पर सरकार गम्भीरता से काम कर रही है। समय-समय पर ऐसे आयोजन होते रहेंगे, ताकि राज्य राष्ट्रीय खेलों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर सके। इस वर्ष यह दौड़ उत्तराखण्ड के लिये हो रही है, अगले वर्ष यह दौड़ देश के लिये होगी। इस अवसर पर खेल मंत्री अरविन्द पाण्डे, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, गणेश जोशी, हरबंस कपूर, खजानदास, शूटिंग टेªनर जसपाल राणा सहित बड़ी संख्या में स्कूलकॉलेजों के छाघ्त्रछात्राएं और एनसीसी कैडेट्स उपस्थित थे।