वन कर्मियों की कमी केंद्र और राज्य सरकार को देना है जवाब

उत्तराखंड में वनों को बचाने के लिए वन विभाग के पास जरुरी उपकरणों की कमी है। साथ ही एक तिहाई फील्ड कर्मचारियों कमी है। वन विभाग की मुताबिक, राज्य के वन 95 हजार करोड़ की पर्यावरणीय सेवा प्रदान कर रहे हैं। यहां गंगा-यमुना का कैचमेंट भी है, लेकिन वनों का प्रबंधन व सुरक्षा की बेहद खराब हालत है। फील्ड स्टाफ की कमी की वजह से एक फॉरेस्ट गार्ड सैकड़ों वर्ग किमी वनों की सुरक्षा में तैनात हैं। इस वजह से कर्मचारी श्रम कानूनों के अनुसार नियमित आठ घंटे के अतिरिक्त 24 घंटे ड्यूटी देने को मजबूर हैं। हाईकोर्ट ने वन विभाग की इन तमाम दुश्वारियों के मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र और उत्तराखंड सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव रहे संदीप तिवारी ने एक जनहित याचिका दायर कर कहा है कि वन विभाग के पास वनों को बचाने के लिए जरूरी उपकरण जैसे आग बुझाने के उपकरण, बंदूक, कर्मचारियों की फायर वर्दी, सेटेलाइट मोबाइल आदि का अभाव है। उत्तराखंड में हर साल आगजनी की घटनाओं में वृद्धि हो रही है। वन कर्मचारियों के पास अत्याधुनिक संचार सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। वहीं, जंगली जानवरों का अवैध शिकार किया जा रहा है। अवैध तरीके से वन एवं खनिज संपदा का दोहन किया जा रहा है। वन कर्मचारी पैदल गश्त करते हैं। वन चैकियों या चेक पोस्ट में धर्मकांटा और सीसीटीवी का भी अभाव हैं। उच्च हिमालयी क्षेत्र या बुग्यालों में गश्त के लिए जरूरी उपकरण भी वन कर्मचारियों के पास नहीं हैं। आरोप लगाया कि दुर्लभ वन्यजीवों के अंगों की तस्करी हो रही है। उन्होंने याचिका में पुलिस आधुनिकीकरण की तर्ज पर वन विभाग को बजट मुहैया कराने, रिक्त पदों पर नियुक्तियां करने, उपकरण उपलब्ध कराने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देशित करने की गुहार लगाई गई है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद केंद्र और राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

मूर्तिकार की तरह छात्रों का भविष्य संवारे शिक्षकः त्रिवेन्द्र रावत

एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय की स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विद्यालय के बहुउद्देशीय हॉल, डिस्पेन्सरी तथा अतिथि कक्ष का शिलान्यास किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विद्यालय परिसर में वृक्षारोपण भी किया। इससे पूर्व उन्होंने विद्यालय का निरीक्षण कर विद्यालय में चल रही शैक्षणिक व शिक्षणेत्तर गतिविधियों की जानकारी भी ली। मुख्यमंत्री ने शिक्षकों व छात्रों को विद्यालय की स्थापना दिवस की शुभकानायें देते हुए कहा कि इस विद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में जो कीर्तिमान स्थापित किये हैं वह सराहनीय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षक का कार्य मूर्तिकार की तरह है। जिस प्रकार तमाम कठिनाइयों व परिश्रम के बाद मूर्तिकार पत्थर को तरासकर आकर्षक मूर्ति का निर्माण कर उसे जीवन्त बनाता है, उसी प्रकार शिक्षक भी छात्रों को कड़ी मेहनत व समर्पित भाव से उन्हें शिक्षित करने का कार्य करते हैं। छात्रों के जीवन में शिक्षक का बड़ा महत्व है। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने सही कहा था कि विद्यालय में भवन व लाइब्रेरी आदि अन्य सुविधाओं की कमी को एक योग्य शिक्षक ही दूर कर सकता है। एकलव्य विद्यालय इसका जीता जागता उदाहरण है। छात्रों को शिक्षित करने, उनके व्यक्तित्व विकास का जो समर्पित भाव व दृढ़ इच्छा शक्ति इस विद्यालय के प्रधानाचार्य व शिक्षकों में है वह निसंदेह सराहनीय है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी संस्था आसानी से खड़ी नहीं होती है। इसके लिये कड़ी मेहनत व समर्पण का भाव होना जरूरी है। अत्यधिक फीस लेकर शिक्षा देने वाले स्कूलों से बेहतर शिक्षा का माहौल छात्रों को एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में मिल रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के बच्चों के पिछले दो वर्ष में विभिन्न आईआईटी, एमबीबीएस व प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पर भी प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने विद्यालय को जनजाति क्षेत्र के बच्चों की शिक्षा का प्रमुख केन्द्र बताया है। स्कूल के शिक्षकों को भी जनजाति छात्रों को बेहतर शैक्षणिक माहौल प्रदान करने के लिये बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रों को गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध कराना समाज के व्यापक हित में है, हमारे छात्र बेहतर गुणात्मक शिक्षा के बल पर ही देश के कर्मठ शिक्षित नागरिक बन सकेंगे।

मुख्यमंत्री ने विद्यालय के 7 छात्रों को विभिन्न संस्थानों आई0आई0टी0, एन0आई0टी0 एवं आईआईआईटी में, दो छात्रों का एमबीबीएस, 4 छात्रों को दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कालेजां में प्रवेश मिलने को विद्यालय की गौरवपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने इसके लिये छात्रों के साथ ही विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. जी.सी.बडोनी व शिक्षकों को भी बधाई दी।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय की स्थापना के अभी सिर्फ 9 साल पूर्ण हुए, इस अल्प समय में विद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है। सीमित संसाधन व शिक्षकों की संख्या कम होने के बावजूद भी विद्यालय में शैक्षणिक गतिविधियों के साथ ही, विभिन्न प्रकार के हुनर बच्चों को सिखाये जा रहे हैं, यह एक सराहनीय प्रयास है। देश की तरक्की के लिए बेहतर शिक्षा का होना जरूरी है। इस दिशा में जनजातीय क्षेत्रों के बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने का सराहनीय प्रयास किया जा रहा है।
विधायक मुन्ना सिंह चैहान ने कहा कि जब इस विद्यालय की स्थापना हुई तब यहां पर छात्र संख्या 46 थी, जबकि आज विद्यालय में लगभग 400 छात्र-छात्राएं हैं। इस विद्यालय के छात्रों को आईआईटी, एमबीबीएस व अन्य उच्च संस्थानों में यहां के छात्रों को प्रवेश मिला है। एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय अन्य स्कूलों के लिए रोल मॉडल बन सकता है।
कार्यक्रम में अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष बी.आर.आर्य, उपाध्यक्ष जनजातीय आयोग मूरत राम शर्मा, सचिव एल फैनई, अपर सचिव रामविलास यादव, निदेशक जनजातीय कल्याण सुरेश जोशी, ब्लाक प्रमुख कालसी अर्जुन सिंह, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मधु चैहान सहित विद्यालय के शिक्षक व छात्र आदि उपस्थित थे।

पूर्व सैनिकों ने मुख्यमंत्री का जताया आभार, सरकार ने की थी महत्वूपर्ण घोषणा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मुख्यमंत्री आवास में पूर्व सैनिक वेल्फेयर एसोसियेशन के सदस्यों ने भेंट की। उन्होंने शौर्य दिवस के अवसर पर सैनिकों के हित में की गई कल्याणकारी घोषणाओं के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने शौर्य दिवस के अवसर पर सैनिकों की समस्याओं के समाधान के लिये विशेष रूप से अपर सचिव स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त करने, उत्तराखण्ड के शहीद सैनिकों के लिये उनकी याद में विशाल मेमोरियल बनाना और सबसे महत्वपूर्ण घोषणा प्रदेश के सचिवालय में पूर्व सैनिकों को प्रवेश करने के लिये उनका आई कार्ड ही प्रवेश पत्र माने जाने की घोषणा की थी, इन घोषणाओं के प्रति प्रदेश के सैनिक बहुत प्रभावित हुए हैं जिसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री का आभार जताया है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा सैन्य बाहुल्य प्रदेश है। देव भूमि के साथ ही हमारे वीर सैनिकों ने अपने अदम्य साहस एवं शौर्य के बल पर इसे वीर भूमि बनाया है। वीर सैनिकों व उनके आश्रितों के कल्याण के लिये राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।
इस अवसर पर विधायक मुन्ना सिंह चैहान, पूर्व सैनिक वेल्फेयर एसोसिएशन के केन्द्रीय अध्यक्ष पी.टी.आर शमशेर सिंह बिष्ट, महासचिव ओ. कैप्टन आर.डी.शाही, पी.बी.ओ.आर की अध्यक्षा महिला प्रकोष्ठ राजकुमारी थापा, उपाध्यक्षा कमला गुरूंग सहित बड़ी संख्या में संगठन के सदस्य उपस्थित थे।

ध्यान रहे कि जलापूर्ति निर्बाध रुप से जारी रहेः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में सिंचाई व पेयजल विभाग की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिये कि ग्रीष्मकाल में प्रदेश में कही भी पानी की किल्लत न हो, इसका ध्यान रखा जाए। उन्होंने प्रदेश में पानी की कमी वाले स्थानों पर टेंकरों के माध्यम से पेयजल की अतिरिक्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने यात्रा मार्गों तथा प्रमुख पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों व श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के दृष्टिगत जलापूर्ति की समुचित व्यवस्था के भी निर्देश दिये है। उन्होंने इसके लिये सिंचाई, पेयजल व जल संस्थान को आपसी समन्वय से कार्य करने के भी निर्देश दिये।

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मुख्यमंत्री ने पेयजल योजनाओं की प्राथमिकता स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए निर्धारित करने के भी निर्देश दिये। उन्होंने जमरानी व सोंग बांध के साथ ही सूर्यधार व मलढुंग झील से सम्बन्धित योजनाओं की प्रगति की भी जानकारी प्राप्त की। देहरादून बनने वाला सोंग बांध देश का मॉडल बांध बने इस दिशा में प्रयास किये जाए तथा इसके निर्माण में जल संवर्धन जलाधारित अवस्थापना सुविधाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर ध्यान देने को कहा। उन्होंने सूर्यधार व मलढुंग झीलों के निर्माण की प्रगति पर संतोष प्रकट करते हुए गैरसेण, गगास, खरकोट, ल्वाली व लोहाघाट आदि मे बनने वाली झीलों के निर्माण में भी तेजी लाने को कहा। उन्होंने इन स्थलों को पर्यटन की दृष्टि से भी विकसित करने के निर्देश दिये।

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मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को भैरवगढ़ी पेयजल योजना का लाभ लैंसडाउन की अधिक से अधिक आबादी को उपलब्ध हो इस पर ध्यान देने को कहा। उन्होंने पेयजल आपूर्ति के साथ ही सीवरेज से सम्बन्धित एडीबी द्वारा संचालित योजनाओं के रख-रखाव की भी प्रभावी कार्य योजना बनाने को कहा। मुख्यमंत्री ने विभागीय कार्यों में पारदर्शिता एवं गुणवत्ता के विकास पर ध्यान देने के निर्देश देते हुए कहा कि अपने कार्य के प्रति उदासीन ऐसे कार्मिकों जो काफी लम्बे अर्से से एक ही स्थान पर तैनात है, उनकी अन्यत्र तैनाती की व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियों को आय के संसाधनों के विकास पर भी ध्यान देने के निर्देश दिये। बैठक में उपाध्यक्ष राज्य स्तरीय पेयजल अनुश्रवण समिति रिपुदमन सिंह रावत, सचिव डा. भूपेन्दर कौर औलख, मुख्य महाप्रबंधक जल संस्थान सुधीर शर्मा, मुख्य अभियन्ता सिंचाई ए.के.दिनकर व संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

उत्तराखंड में पर्यटन और धार्मिक तीर्थाटन का बड़ा महत्व: मुख्यमंत्री

भारत में माॅरीशस के उच्चायुक्त जे. गोवर्द्धन ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मुख्यमंत्री आवास में शिष्टाचार भेंट की। श्री केदरानाथ एवं श्री बदरीनाथ की यात्रा पर आये गोवर्द्धन ने उनकी सुखद यात्रा के प्रति मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र का आभार व्यक्त किया। माॅरीशस के उच्चायुक्त गोवर्द्धन ने मुख्यमंत्री को माॅरीशस आने का भी निमन्त्रण दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने तथा चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। केदारनाथ पुनर्निमाण का कार्य अन्तिम चरण में है। चारधाम आॅलवेदर रोड का कार्य तेजी से किया जा रहा है। हेली सेवायें उपलब्ध करायी गई है। इससे राज्य में आने वाले पर्यटकों के साथ ही चार धाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को काफी सुविधा होने का ही प्रतिफल है कि आज लाखों की संख्या में लोग उत्तराखण्ड आ रहे है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रवासी हमारे अच्छे अम्बेसडर बन सकते है। इस दिशा में भी राज्य सरकार द्वारा पहल की जा रही है। मुख्यमंत्री ने माॅरीशस के लोगों का अपनी जड़ों से जुड़ने के लिए किये जा रहे प्रयासों की भी सराहना की उन्होंने कहा की माॅरीशस के लोगों ने भोजपुरी के साथ ही भारत की अन्य भाषाओं को भी बढ़ावा देने का प्रयास किया है। उनका कहना था कि भाषा ही संस्कृति की वाहक होती है।
माॅरीशस के उच्चायुक्त जे. गोवर्द्धन ने माॅरीशस से चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को रियायत देने के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड का नैसर्गिक प्राकृतिक सौन्द्रर्य पर्यटन की दृष्टि से अनुकूल तो है ही यहां के चार धाम करोड़ो लोगों की आस्था के केन्द्र भी है। उन्होंने बताया कि माॅरीशस की आबादी 13 लाख है जबकि प्रतिवर्ष 13 लाख पर्यटक वहां आते है उन्होंने पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग की भी बात कही। उन्होंने कहा कि माॅरीशस के लोगों की गंगा के प्रति की बड़ी आस्था है। जे. गोवर्द्धन ने माॅरीशस सरकार द्वारा भोजपुरी सहित अन्य भाषाओं के विकास के प्रति किये जा रहे प्रयासों की भी जानकारी दी तथा इस सम्बन्ध में प्रकाशित विभिन्न पुस्तकें भी मुख्यमंत्री को भेंट की। इस अवसर पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

“अनासक्ति आश्रम” की झांकी करेगी उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व

इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह में राजपथ, नई दिल्ली में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति माटामेला सिरिल रामफोसाइज की विशेष उपस्थिति में आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस की राष्ट्रीय परेड में उत्तराखण्ड राज्य की ओर से कौसानी स्थित “अनासक्ति आश्रम” की झांकी प्रस्तुत की जायेगी।
देवभूमि उत्तराखण्ड में कौसानी, जिसको महात्मा गांधी जी ने “भारत का स्विटरजलैण्ड” कहा था, में स्थित ’अनासक्ति आश्रम’ बहुत ही शांतिपूर्ण स्थान है। महात्मा गांधी जी ने वर्ष 1929 में कौसानी का भ्रमण किया था तथा इसी स्थान पर उन्होेंने गीता पर आधारित अपनी प्रसिद्व पुस्तक ’अनासक्ति योग’ की प्रस्तावना लिखी थी। इस आश्रम का संचालन गांधी स्मारक निधि द्वारा किया जाता है। आश्रम में प्रतिदिन सुबह व शाम प्रार्थना सभा आयोजित की जाती है तथा आश्रम को पुस्तकालय, वाचनालय व प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में विकसित किया गया है। इस आश्रम में गांधी दर्शन पर शोधकर्ताओं, दार्शनिकों एवं पर्यटकों के लिए ग्रन्थ भी उपलब्ध है।
उत्तराखण्ड राज्य की झांकी के अग्रभाग में अनासक्ति योग लिखते हुए महात्मा गांधी जी की बडी आकृति को दिखाया गया है। मध्य भाग में कौसानी स्थित अनासक्ति आश्रम को दिखाया गया है तथा आश्रम के दोनों ओर पर्यटक योग व अध्ययन करते हुए नागरिकों व पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत को महात्मा गांधी जी से वार्ता करते हुए दिखाया गया है। झांकी के पृष्ठ भाग में देवदार के वृक्ष, स्थानीय नागरिकों व ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं को दिखाया गया है। साइड पैनल में उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक विरासत, जागेश्वर धाम, बद्रीनाथ तथा केदारनाथ मंदिर को दर्शाया गया है।
उत्तराखण्ड राज्य के झांकी के टीम लीडर के एस चैहान ने बताया कि राष्ट्र इस वर्ष महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है, इसलिये गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ में भाग लेने वाली सभी झांकियों की थीम “महात्मा गांधी जी के जीवन दर्शन” पर आधारित है। 

कैसे होगी पढ़ाई जब प्रदेश में शिक्षकों के 7 हजार पद रिक्त है!

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि प्रदेश में 7 हजार शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हैं। सरकार भी इन पदो को भरे जाने के लिए गंभीर है, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति का मामला हाईकोर्ट की शरण में है जिस कारण सरकार कोई फैसला नही कर पा रही है। शिक्षामंत्री का कहना है कि जैसे ही हाईकोर्ट की तरफ से आदेश आएगा। सरकार द्धारा शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर चयन आयोग को निर्देश दे दिए जाएंगे।
वहीं, शिक्षा मंत्री ने कहा कि बेहतर पठन पाठन व शैक्षणिक माहौल के लिए प्रदेश में बोर्ड बदलने की जरूरत नहीं है। जरूरत है तो पाठ्यक्रम बदने की जिसके लिए सरकार ने सैलेबस बदलने की पहल की है। जिसे केबिनेट में भी पास करा लिया गया है। जिसके बाद अब विद्यार्थी एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़ सकेंगे। कक्षा एक से लेकर इंटरमीडिएट तक के सभी विद्यालयों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया गया है। एनसीईआरटी पुस्तकों के माध्यम से ही मेडिकल, इंजीनियरिंग तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र तैयार किए जाते हैं। इस व्यवस्था के बाद हमारे विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर करेंगे।

उत्तराखंड में चीनी जूते के डिब्बे में छपा मिला तिरंगा

चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। इस बार डोकलाम विवाद के बीच एक चीनी कंपनी ने भारतीय ध्वज का अपमान किया है। दरअसल कंपनी ने अपने जूतों की पैकिंग के लिए बनाए गए डिब्बों पर तिरंगा बनाया हुआ है।
चीनी कंपनी की इस करतूत का उदाहरण उत्तराखंड के अल्मोड़ा में देखने को मिला। मिली जानकारी के अनुसार, अल्मोड़ा के एक स्थानीय दुकानदार बिशन बोरा ने डिस्ट्रीब्यूटर से चीनी कंपनी के जूते मंगवाए थे। तय वक्त में जूते भी मिल गएं दुकानदार ने जब जूतों का डिब्बा देखा तो वह दंग रह गए।
जूते बनाने वाली कंपनी ने डिब्बों पर तिरंगा बनाया हुआ था। मामले के तूल पकड़ते ही पुलिस के पास इसकी शिकायत पहुंचीं पुलिस ने जांच शुरू की तो पाया कि यह जूते उधमसिंह नगर जिले के रुद्रपुर शहर स्थित एक डिस्ट्रीब्यूटर ने भेजे हैं। जिले के एसएसपी ने फौरन डिस्ट्रीब्यूटर को तलब किया।
डिस्ट्रीब्यूटर ने बताया कि यह जूतों की खेप उसने दिल्ली के बड़े डिस्ट्रीब्यूटर से मंगवाई थी। फिलहाल उत्तराखंड पुलिस जल्द दिल्ली वाले डिस्ट्रीब्यूटर से पूछताछ करने की बात कह रही है। पुलिस ने शिकायतकर्ता दुकानदार बिशन बोरा की तहरीर मिलने के बाद केस दर्ज कर लिया है।

काशीपुर की शायरा बानो के मजबूत इरादे से जगी आस

तीन तलाक के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने वाली शायरा बानो उत्तराखंड की बेटी है। शायरा उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली है। उनका निकाह साल 2002 में इलाहाबाद के रिजवान अहमद से हुई थी। ससुराल वालों की दहेज प्रताड़ना, फिर पति के तलाक देने के बाद शायरा बानो कोर्ट पहुंचीं। आरोप है कि पति शायरा बानो को लगातार नशीली दवाएं देकर याददाश्त कमजोर कर दिया और साल 2015 में मायके भेजकर तलाक दे दिया था। मार्च, 2016 में उतराखंड की शायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके तीन तलाक, हलाला निकाह और बहु-विवाह की व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग की थी।
शायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि वह तीन बार तलाक बोलकर तलाक देने की बात को नहीं मानती हैं। शायरा की याचिका में मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरियत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937 की धारा 2 की वैध्यता पर भी सवाल उठाए गए हैं। यही वह धारा है जिसके जरिये मुस्लिम समुदाय में बहुविवाह, तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) और निकाह-हलाला जैसी प्रथाओं को वैध्यता मिलती है। इनके साथ ही शायरा ने मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम, 1939 को भी इस तर्क के साथ चुनौती दी है कि यह कानून मुस्लिम महिलाओं को बहुविवाह जैसी कुरीतियों से संरक्षित करने में सार्थक नहीं है।
देश की सर्वोच्च अदालत में पांच धर्मों के जस्टिस मिलकर शायरा बानो के मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस मामले पर फैसला सुनाने वाले जजों में चीफ जस्टिस जेएस खेहर (सिख), जस्टिस कुरियन जोसफ (क्रिश्चिएन), जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन (पारसी), जस्टिस यूयू ललित (हिंदू) और जस्टिस अब्दुल नजीर (मुस्लिम) शामिल रहें।

चीनी मीडिया ने दी, कांउटडाउन शुरु होने की धमकी!

चीन ने एक बार फिर भारत को धमकी दी है। चीन ने कहा है कि क्या होगा अगर हम उत्तराखंड के कालापानी और कश्मीर में घुस जाएंगे। डोकलाम मुद्दे पर चीन की ओर से इस प्रकार के लगातार बयान आ रहे हैं, इससे पहले मंगलवार को भी कहा गया था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1962 वाली गलती दोहरा रहे हैं।
सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने वीडियो जारी कर चेतावनी दी थी कि अगर भारत अपने सैनिक नहीं हटाता तो युद्ध होगा। वीडियो में ये भी कहा गया था कि भारत खुद को विपरीत हालात से निपटने के लिए तैयार नहीं कर रहा बल्कि देश की जनता को सब कुछ ठीक होने का दिलासा दे रहा है।
डोकलाम पर चीन-भारत के बीच गतिरोध अपने चरम पर है। भारत जहां युद्ध को स्थायी समाधान न बताकर शांति से समस्या के हल की वकालत कर रहा है, वहीं चीन की धमकियों का ग्राफ दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इस बीच चीन के एक प्रमुख अखबार में संपादकीय लिखा गया है, जिसमें भारत को वक्त रहते हालात सुधारने की नसीहत दी गई है।
चाइना डेली अखबार के संपादकीय में लिखा गया है कि चीन और भारत के बीच युद्ध का काउंटडाउन शुरू हो गया है। इसके आगे लिखा गया है कि भारत को अब जल्द इस दिशा में कोई कदम उठा लेना चाहिए, क्योंकि शांतिपूर्ण समाधान की संभावनाएं खत्म होती जा रही हैं।