इन शहरों में बिछेगी नेचुरल गेस पाइप लाइन

मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में सचिवालय में गेल गैस लिमिटेड के अधिकारियों के साथ हरिद्वार-ऋषिकेश-देहरादून नेचुरल गैस पाइपलाइन के सम्बन्ध में बैठक सम्पन्न हुई। मुख्य सचिव ने प्रोजेक्ट को तेजी से पूर्ण किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि शहर की आवश्यकता को देखते हुए यह प्रोजेक्ट शीघ्र पूर्ण किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रोजेक्ट में त्वरित गति से कार्यवाही करते हुए सभी प्रकार के क्लियरेंस सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से दिए जाएं। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रोजेक्ट से सम्बन्धित सभी विभाग आपसी सहयोग से कार्य करें।

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मुख्य सचिव ने गेल गैस लिमिटेड को निर्देश दिए कि सिटी गेट स्टेशन एवं सीएनजी स्टेशन के लिए भूमि चयन का कार्य शीघ्र पूर्ण कर लिया जाए, ताकि इसके आगे की कार्यवाही शुरू की जा सके। उन्होंने ने कहा कि पर्यावरण के संरक्षण में यह प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। पीएनजी कनेक्शन के माध्यम से घरेलू व कमर्शियल उपभोक्ताओं को निर्बाध आपूर्ति हो सकेगी। मुख्य सचिव ने गेल गैस लिमिटेड के सीईओ ए.के. जाना को राज्य सरकार की ओर से हर संभव सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।

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बैठक में गेल गैस लिमिटेड के सीईओ जाना ने बताया कि देहरादून सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन प्रोजेक्ट के अन्तर्गत देहरादून, ऋषिकेश, डोईवाला, विकासनगर, चकराता, कालसी व त्यूनी को सम्मिलित हैं। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 5 सालों के लिए 786.00 करोड़ रुपए एवं 25 वर्षों के लिए 1795.00 करोड़ रुपए है। इसके अन्तर्गत 50 सीएनजी स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। इस अवसर पर प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, जिलाधिकारी हरिद्वार दीपक रावत, जिलाधिकारी देहरादून मुरुगेशन सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

ग्रामीणों और किसानों को मिले ग्राम्य परियोजनाओं का लाभः मुख्यमंत्री

ग्राम्य उत्पादों की मार्केटिंग को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। आजीविका में संचालित प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग के लिए वरिष्ठ अधिकारी नियमित तौर पर फील्ड विजिट करें। ग्रामीणों व किसानों को परियोजना का लाभ पहुंचाना सुनिश्चित किया जाए। सचिवालय में एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उक्त निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजीविका, ग्रामीण परिवारों को सक्षम बनाने के अपने उद्देश्य में सफल हो सकें, इसके लिए उन्हें बाजार अर्थव्यवस्था से जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। योजना की धरातल पर सफलता के लिए जरूरी है कि बड़े अधिकारी नियमित रूप से फील्ड भ्रमण करें। यात्रा मार्ग पर फूलों के क्लस्टर विकसित किए जाएं। प्रसाद योजना का केदारनाथ व बद्रीनाथ के साथ अन्य मंदिरों में विस्तार किया जाए। प्रसाद निर्माण की प्रक्रिया में साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाए। आजीविका के जिन केंद्रों पर बहुत अच्छा काम हुआ है, वहां स्कूल-कॉलेज के छात्रों का भ्रमण कराकर प्रोत्साहित किया जाए।
बैठक में बताया गया कि एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना वर्तमान में उत्तराखण्ड में 11 पर्वतीय जनपदों अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, पिथौरागढ़, देहरादून, रूद्रप्रयाग, पौड़ी, नैनीताल व चम्पावत के 44 विकासखण्डों में संचालित की जा रही है। परियोजना की कुल लागत 868 करोड़ 60 लाख रूपए है। इसके वित्तपोषण में 63 प्रतिशत आईफैड, 14 प्रतिशत राज्य सरकार, 19 प्रतिशत लाभार्थियों को बैंक फाईनेंस व 4 प्रतिशत लाभार्थी अंशदान है।

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परियोजना के प्रमुख घटक खाद्य सुरक्षा एवं आजीविका संवर्धन, सहभागी जलागम विकास, आजीविका वित्तपोषण व परियोजना प्रबंधन है। उत्तराखण्ड के एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना (आईएलएसपी) को भारत सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग ने लैंडमार्क प्रोजेक्ट के रूप में मान्यता दी है। अनेक देशों में यहां के प्रोजेक्ट को दोहराया गया है। इस परियोजना में उत्तराखण्ड के 11 पर्वतीय जनपदों के 44 विकासखण्ड, 3470 गांव आच्छादित किए गए हैं। इससे 13702 उत्पादक, निर्बल उत्पादक, स्वयं सहायता समूह के 126000 सदस्य लाभान्वित हो रहे हैं। परियोजना में सिंचाई के लिए 3291 एलडीपीई टैंकों का निर्माण किया गया है। 1828 हेक्टेयर में फेंसिंग द्वारा फसलों को सुरक्षा प्रदान की गई है। 650 हेक्टेयर में चारा विकास कार्यक्रम संचालित हैं। आजीविका परियोजना में 918 बंजर भूमि को उपयोग के तहत लाया गया है। इसी प्रकार 150 क्लस्टर स्तरीय कलेक्शन सेंटर, 599 ग्राम स्तरीय स्मॉल कलेक्शन सेंटर व 129 नेनो पेकेजिंग यूनिट की स्थापना की गई है।
वेल्यू चैन के तहत 4898 समूह बैमोसमी सब्जियां, 4590 समूह डेरी, 3800 समूह मसाले, 4290 समूह पारम्परिक अनाज, 1875 समूह दालें, 3650 समूह फल, 1750 समूह गैर कृषि सेवा क्षेत्र, 798 समूह बकरी पालन, 367 समूह मुर्गी पालन, 290 समूह औषधीय व सगंध पौध, 89 समूह इको-टूरिज्म व 276 समूह गैर कृषि उद्यम से जुड़े हैं। मार्केटिंग के लिए हिलांस नाम से ब्रांड विकसित किया गया है। अनेक बड़ी संस्थाओं से टाई अप किया गया है। अल्मोड़ा में फल व सब्जियों के लिए मदर डेरी, चमोली में आलू के लिए एपीएमसी मंडी हल्द्वानी, उत्तरकाशी में सेब के लिए एफएफटी हिमालयन फ्रेश प्रोड्यूस लि., अल्मोड़ा में पारम्परिक फसलों के लिए ऑरगेनिक इंडिया एसओएस ऑरगेनिक प्रा.लि., पिथौरागढ़ में सोप नट्स के लिए हार्वेस्ट वाईल्ड ऑरगेनिक सोल्यूशन प्रा.लि., अल्मोड़ा में ओएसवी के लिए विनोधरा बायोटेक, अल्मोड़ा व बागेश्वर में मंडुआ बिस्किट के लिए ट्राईफेड, चमोली में कुटकी के लिए इमामी, कृष्ण ट्रेडर्स, चमोली में सब्जियों के लिए मोनाल होटल, देहरादून में फल व सब्जियों के लिए एसएस ट्रेडर व दिल्ली टोमटो कम्पनी दिल्ली से टाई अप किया गया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में बागेश्वर में आजीविका परियोजना के अंतर्गत संचालित महिला समूह द्वारा उत्पादित मंडुवा बिस्किट का जिक्र किया था। प्रसाद योजना के तहत वर्तमान में जागेश्वर, बैजनाथ, बद्रीनाथ, केदारनाथ, कोटेश्वर, गंगोत्री, महासू, सिद्धबली व सुरकंडा देवी, कुंजापुरी में स्थानीय समूहों द्वारा प्रसाद बनाकर वितरण किया जा रहा है। अभिनव प्रयास करते हुए आईटीसी ग्रुप के साथ सीएसआर के अंतर्गत मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों व पत्तियों को रिसाईकल कर समूहों द्वारा धूपबत्ती बनाने का काम किया जा रहा है।
बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, अपर सचिव रामविलास यादव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

पहाड़ी फलों की मांग अब मैदानी क्षेत्रों में भी हो रही

उत्तराखंड के पहाड़ी फलों की मांग अब मैदानी क्षेत्रों में भी हो रही है। नैनीताल और अल्मोड़ा क्षेत्र में विकसित की गई फल पट्टी से आडू, खुमानी, पुलम, काफल और लीची लोगों को काफी पंसद आ रही है। इस बार पहाड़ी फलों की पैदावार अच्छी होने से किसानों के चेहरे खिले हुए थे। लेकिन ओलावृष्टि और बरसात ने इन फलों को काफी नुकसान पहुंचाया। वहीं किसानों का कहना है कि मैदानी क्षेत्रों से आ रही मांग से पहाड़ी फलों के मूल्य में बढ़ोत्तरी हुई है जिससे उन्हें आर्थिक लाभ हो रहा है।

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पहाड़ी फलों के मैदानी क्षेत्रों में बेहतर दाम मिलने से किसान उत्साहित है। लेकिन पैदावार कम होने से निराश भी। पहाड़ी फल और सब्जी की मांग इतनी ज्यादा है कि हल्द्वानी मण्डी में रोजाना 2 करोड रुपए के पहाड़ी फल और सब्जी पहुंच रही हैं। फल और सब्जी के आढ़ती और एसोसिएशन के अध्यक्ष जीवन सिंह कार्की का कहना है कि गर्मी में पहाड़ी फलों की डिमांड मैदानी इलाकों में बढ़ने से मुनाफा बढ़ गया है। लेकिन ओलावृष्टि और अंधड से फलों के उत्पादन में कमी होने से किसानों को निराशा भी हाथ लगी है।

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वनों को ग्रामीण आर्थिकी से जोङने की बङी पहल

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में पिरूल (चीड़ की पत्तियों) तथा अन्य प्रकार के बायोमास से विद्युत उत्पादन तथा ब्रिकेट इकाइयों की स्थापना हेतु 21 चयनित विकासकर्ताओं को परियोजना आवंटन पत्र प्रदान किये। उन्होंने नवोन्मेषी उद्यमियों का स्वागत करते हुए इसे पर्यावरण संरक्षण के लिये भी नई शुरूआत बताया। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकना हमारी सबसे बड़ी चिन्ता है। राज्य निर्माण के बाद भी गांवों से हो रहा पलायन चिन्ता का विषय है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिरूल प्रकृति की देन है इसे व्यवस्थित कर ग्रीन एनर्जी में परिवर्तित करना हमारा उदेश्य है। पिरूल से ऊर्जा उत्पादन हेतु आज 21 उद्यमी आगे आए है। उन्हें भरोसा है कि इनकी संख्या शीघ्र ही 121 होगी। उन्होंने कहा कि इसमें राज्य को एनर्जी इंधन के साथ ही वनाग्नि को रोकने में मदद मिलेगी, जगंलों में हरियाली होगी तथा जैव विविधता की सुरक्षा होगी। उन्होंने कहा कि चीड़ से निकलने वाले लीसा से भी 43 प्रकार के उत्पाद बनाये जा सकते है। इसके लिए इंडोनेशिया से तकनीकि की जानकारी प्राप्त की जाएगी। इसका एक प्रोजेक्ट बैजनाथ में लगाया गया है। इससे भी वनाग्नि को रोकने में मदद मिलने के साथ ही हजारों लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के वनों से हर साल 6 लाख मीट्रिक टन पिरूल निकलता है। इसके अतिरिक्त अन्य बायोमास भी निकलता है। इस तरह पिरूल व अन्य बायोमास से बिजली उत्पादन का जो लक्ष्य हमने रखा है उसकी शुभ शुरुआत होने जा रही है। पिरूल से बिजली उत्पादन के लिए उरेडा एवं वन विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है। राज्य में विक्रिटिंग और बायो ऑयल संयंत्र स्थापित किए जाने हैं। इन संयंत्रों के स्थापित होने से पिरूल को प्रोसेस किया जाएगा व बिजली उत्पादन किया जा सकेगा। उरेडा द्वारा इसके लिए प्रस्ताव आमन्त्रित किए गए थे। अभी तक 21 प्रस्ताव जिसमें प्राप्त हुए जिनमें 20 प्रस्ताव पिरूल से विद्युत उत्पादन एवं एक प्रस्ताव पिरूल से ब्रिकेट बनाने के लिए शामिल है।

एक रूपया प्रति किलो से होगा भुगतान
पिरूल के जो सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं उन तक पिरूल की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए महिला समूहों को रोजगार से जोड़ा जा रहा है। जंगलों से पिरूल कलेक्शन करने के लिए महिला समूहों को एक रूपया प्रति किलो की दर से भुगतान किया जाएगा।

बीमा सुविधा की जानकारी न होने पर वंचित रह जाते है पर्यटक

ऋषिकेश पूरे देश सहित विदेशों में भी राफ्टिंग के लिए प्रसिद्ध है। यहां प्रत्येक वर्ष कोने-कोने से लोग राफ्टिंग का लुत्फ उठाने के लिए पहुंचते है। मगर, क्या आप जानते है राफ्टिंग के दौरान कुछ ऐसी जानकारी भी है जो आपको बताई नहीं जाती है। आइए हम आपको बताते है क्या है वह जानकारी

ऋषिकेश में करीब 480 राफ्टों का संचालन होता है। प्रत्येक राफ्ट से 8496 रुपये सालाना बीमा पॉलिसी के रूप में जमा कराया जाता है। इस हिसाब से सालाना 40 लाख 78 हजार की बीमा राशि यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को लगातार अदा की जाती है। दिलचस्प यह है कि पर्यटकों की सुरक्षा के नाम पर जमा हो रही इस राशि का फायदा बीत 10 साल में किसी यात्री को नहीं मिल पाया है।

राफ्टिंग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का बीमा दो लाख रुपये निर्धारित होता है। अमूमन राफ्टिंग करने आए अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती। पॉलिसी के अनुसार साल भर में दो राफ्टों में 20 लोगों का चालीस लाख रुपये का बीमा होता है। पर्यटन विभाग के नियमों के अनुसार एक राफ्ट में 8 पर्यटक, एक गाइड और एक हेल्पर राफ्टिंग कर सकते हैं। एक राफ्ट और 10 लोगों की वार्षिक बीमा रकम 8496 रुपये राफ्टिंग कंपनियों की ओर से जमा कराई जाती है। राफ्टिंग के दौरान हादसे में मृत्यु हो जाने पर दो लाख रुपये मृतक के नॉमिनी को अदा करने का प्रावधान है।

तीन साल में तीन मौतें
पुलिस के अनुसार बीते तीन साल में राफ्टिंग के दौरान तीन मौतें हो चुकी हैं। इनमें सभी बाहरी प्रदेशों के पर्यटक थे। अक्टूबर 2017 में चेन्नई की सुभाषनी, दिसंबर 2018 में सुल्तानपुर यूपी से ऐश्वर्य प्रताप सिंह और बीते फरवरी माह में एक 60 वर्षीय महिला की राफ्ट पलटने से मौत हो गई थी। जागरुकता के अभाव में किसी नॉमिनी ने बीमा की रकम पाने के लिए क्लेम ही नहीं किया।

वहीं, गंगा नदी राफ्टिंग रोटेशन समिति के अध्यक्ष दिनेश भट्ट का कहना है कि गंगा में राफ्टिंग के दौरान सुरक्षा हमारा पहला कर्तव्य है। पर्यटकों को राफ्टिंग में भेजने से पहले ही राफ्टिंग कंपनियों के द्वारा मौखिक रूप से बीमा की जानकारी दी जाती है। जबकि यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के प्रबंधक विवेक पुरी कहते है कि बीते 10 वर्षों में राफ्टिंग के दौरान हुई दुर्घटना के करीब चार मामले आए हैं। राफ्टिंग के दौरान केवल मृत्यु होने पर ही दो लाख रुपये मृतक के नॉमिनी को दी जाती है। इसमें राफ्टिंग कंपनी के माध्यम से बीमा की रकम के लिए आवेदन करना होता है।

उत्तराखंड में देश की पहली सेक्स सार्टड सीमन उत्पादन परियोजना और प्रयोगशाला का लोकार्पण

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने श्यामपुर ऋषिकेश में गोकुल योजना के अन्तर्गत उत्तराखण्ड लाइव स्टाक डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा संचालित 47.50 करोड़ लागत की देश की पहली सेक्स सार्टड सीमन उत्पादन परियोजना एवं प्रयोगशाला का लोकार्पण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पशुपालन विभाग की 11 अन्य योजनाओं के शिलान्यास सहित कुल 101.52करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जिन योजनाओं का शिलान्यास किया उनमें-भ्रूण प्रत्यारोपण प्रशिक्षण केन्द्र कालसी में हाॅस्टल का निर्माण लागत 4.63 करोड़, क्रास ब्रीड हिफर रियरिंग फार्म, पशुलोक ऋषिकेश लागत 10.33 करोड़, सैन्टर आॅफ एक्सीलेन्स, भ्रूण प्रत्यारोपण, कालसी, देहरादून लागत 15.00 करोड़, राजकीय बकरी प्रजनन प्रक्षेत्र, डुन्डा, उत्तरकाशी लागत 3.51 करोड़, स्टेट रेफरल सैन्टर, ट्रान्सपोर्ट नगर, देहरादून लागत 3.07 करोड़, राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र, थलकुण्डी, उत्तरकाशी लागत 2.58, उत्तराखण्ड राज्य पशुचिकित्सा परिषद् देहरादून में प्रशिक्षण केन्द्र का निर्माण लागत 4.28 करोड़, राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र, खलियान बांगर, रूद्रप्रयाग लागत 2.99 करोड़, राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र, कोपड़धार, टिहरी गढ़वाल लागत 2.64 करोड़, राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र, पीपलकोेटी, चमोली लागत 2.50 करोड़, राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र, केदारकाॅठा, चमोली लागत 2.49 करोड़ शामिल है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सेक्स सार्टड सीमन प्रयोगशाला में तैयार होने वाले स्ट्रा का मूल्य यद्यपि 1150 प्रति स्ट्रा है। इसके लिए भारत सरकार द्वारा रू.450 का अनुदान प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने प्रदेश के पशुपालकों के व्यापक हित में इसके लिए रू.400 का अनुदान राज्य सरकार द्वारा दिये जाने की घोषणा की, इस प्रकार प्रदेश के पशुपालकों को 1150 रू का स्ट्रा मात्र रू.300 में उपलब्ध हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए यूएसए की फर्म इगुरान सोर्टिंग टेक्नालाजी एल.एल.पी. अनुबन्धित की गई है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने समेकित दुग्ध विकास योजना के तहत लाभार्थियों को 100 मोटर बाइक भी प्रदान करने की योजना के तहत प्रतीक स्वरूप बाइक की चाबी प्रदान की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गो वंशीय पशुओं की संख्या 20.06 लाख तथा महिष वंशीय पशुओं की संख्या 9.80 लाख है। इसमें देशी नस्ल के गोवंश की संख्या 5.42 लाख तथा क्रासबीड की संख्या 2.56 लाख है।उन्होंने कहा कि गोकुल ग्राम योजना के तहत देशी गोवंश को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन गायों का दुध व गोमूत्र को गुणवत्ता सबसे अच्छी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देशी गाय (बद्री गाय) की संख्या जरूर कम है लकिन इसकी गुणवत्ता सबसे अच्छी है। इस नस्ल की गायों के संवर्धन के लिये चमावत में बद्री गो संवर्धन केन्द्र स्थापित किया गया है। यहां पर इनकी नस्ल सुधार एवं गुणवत्ता के विकास पर ध्यान दिया जा है वहां पर इस समय 150 गायें है इनकी संख्या बढाने के प्रयास किये जाने पर भी उन्होंने बल दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालन विभाग द्वारा प्रगतिशील पशुपालकों के हित में संचालित योजनाओं के माध्यम से भेड़ बकरी पालकों को अच्छी नस्ल तथा उच्च वंशावली के नरों को उपलब्ध करवाया जाएगा। इंटरवेंशन से भेड़ बकरी पालकों के पशुधन में सुधार होगा तथा ऊन व मांस के अधिक उत्पादन से उनकी आय में गुणात्मक वृद्धि होगी।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि निर्धारित अवधि से पूर्व इस महत्वपूर्ण योजना का शुभारम्भ होना बेहतर कार्य संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने इस प्रकार की योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक किसान व पशुपालकों को पहुंचे इसके लिए प्रभावी प्रयास करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि गाय को गौ माता का सम्मान देने के लिए उत्तराखंड द्वारा प्रभावी पहल की गई है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पशुपालन मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों, पशुपालकों के व्यापक हित में कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पशुपालकों व मत्स्यपालकों को भी किसान का दर्जा दिया गया है। किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा भी इन्हें प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से दूध वितरण की व्यवस्था का शुभारम्भ किया गया है।
इस अवसर पर सचिव पशुपालन आर. मीनाक्षी सुन्दरम ने कहा कि पशुपालन विभाग पशुपालकों के कल्याण हुतु प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड सेक्स सार्टड सीमन उत्पादन प्रयोगशाला स्थापित करने की तकनीक का प्रयोग करने वाला पहला राज्य है। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड लाईवस्टाक डेवलपमेन्ट बोर्ड द्वारा कालसी स्थित भू्रण प्रत्यारोपण केन्द्र के सुदृढ़ीकरण के तहत उक्त प्रयोगशाला को राष्ट्र का सर्वश्रेष्ठ केंद्र के रूप में विकसित करने हेतु रुपये 15 करोड़ की लागत से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की जाएगी तथा साथ-साथ उक्त स्थान पर इसके साथ प्रशिक्षुओं हेतु अत्याधुनिक हॉस्टल का भी निर्माण रुपए 4.63 करोड़ की लागत से किया जाएगा इस केंद्र पर समस्त देश के पशु चिकित्साविदों तथा वैज्ञानिकों को भु्रण प्रत्यारोपण तकनीक का गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे उच्च नस्ल की वंशावली के पशुओं में वृद्धि की जाएगी तथा प्रदेश एवं सम्पूर्ण राष्ट्र के दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होगी।
उत्तराखंड लाइव स्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा रुपए 10.33 करोड़ की लागत से पशुलोक प्रक्षेत्र ऋषिकेश में क्रॉस ब्रीड हीफर रियरिग फार्म की स्थापना की जाएगी उक्त योजना के तहत उत्तराखंड के पशुपालकों को उन्नत नस्ल की बछियां तैयार कर उपलब्ध कराई जाएंगी योजना के संचालन से प्रदेश के पशुपालकों के अवर्गीकृत उत्पादन करने वाले पशुओं को रिप्लेस किया जाएगा जिससे उनके germpool में योगदान से राज्य के पशुधन में अनुवांशिक सुधार हो सकेगा।
इस अवसर पर मेयर ऋषिकेश अनीता ममगाई, इगुरान सोर्टिंग टेक्नालाजी के प्रकाश कालेकर, उत्तराखण्ड पशुकल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष विनोद आर्य, निदेशक पशुपालन डा. के.के.जोशी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

कूड़ा निस्तारण पर सरकार का विशेष ध्यानः त्रिवेन्द्र

उत्तराखंड सरकार कूड़ा निस्तारण की दिशा में विशेष ध्यान दे रही है। इसके लिए हरिद्वार में कूड़ा निस्तारण को एक बड़ा प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। इस प्रोजेक्ट में नीदरलैंड के विशेषज्ञ काम कर रहे है। प्रोजेक्ट सफल रहा था तो इससे एविशन फ्यूल, खाद आदि तैयार की जा सकेगी। यह बात मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कही। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना के तहत पहले सब्सिडी 30 प्रतिशत मिली थी, जोकि अब बढ़ाकर 50 प्रतिशत की जा रही है।

उन्होने कहा कि डोइवाला के आसपास करीब 25 से 50 एकड़ भूमि पर फिल्म सिटी बनेगी। इसके लिए भूमि तलाशी जाएगी। उत्तराखंड फिल्म जगत के हिसाब से पूरी तरह परिपूर्ण है, यहां की वादियों को कैमरे में कैद किया जाएगा। बड़े पर्दे पर उत्तराखंड की सौंदर्य छवि देखने को मिलेगी। इससे यहां पर्यटन बढ़ेगा।

उन्होने कहा कि अटल आयुष्मान योजना से राज्य में अब तक चार लाख 46 हजार गोल्डन कार्ड लोगों के बनाए जा चुके है। जबकि प्रतिदिन 35 हजार गोल्डन कार्ड विभिन्न क्षेत्रों में बन रहे है। इस योजना के मरीजों के बिल का भुगतान सरकार 15 दिनों के भीतर करेगी। साथ ही सप्ताह भर की निशुल्क दवाइयां भी देने का प्रावधान रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडी) शुरू किए जाने पर काम चल रहा है।

क्लीन फ्यूल से संचालित वाहनों को किया कर मुक्त

उत्तराखण्ड राज्य में समस्त मोटर वाहनों पर मोटर वाहन कर को अधिक तर्कसंगत बनाने, कर प्रणाली को अधिक सरल करने, राज्य के राजस्व में वृद्धि करने एवं परिवहन व्यवसायियों के हितों को ध्यान में रखते हुए राज्य में मोटर वाहन कर की दरों को निम्नानुसार संशोधित किया गया है।

1. निजी मोटर यानों पर एक बार देय कर का निर्धारण यान के मूल्य पर आधारित किया गया है। उसमें दुपहिया यान के 03 वर्ग यथा-50 हजार रूपये मूल्य तक के लिए यान के मूल्य का 07 प्रतिशत, 50 हजार से 01 लाख रूपये मूल्य तक के लिए यान के मूल्य का 08 प्रतिशत और 01 लाख रूपये से ऊपर मुल्य के लिए यान के मूल्य का 09 प्रतिशत कर की दर निर्धारित की गई है। इसी प्रकार चार पहिया मोटर यान के 03 वर्ग यथा- 05 लाख रूपये मूल्य तक के लिए 08 प्रतिशत, 05 लाख से 08 लाख रूपये मूल्य तक के लिए 09 प्रतिशत और 10 लाख रूपये से ऊपर मूल्य के लिए यान के मूल्य का 10 प्रतिशत एक बार देय कर की दर निर्धारित की गई है। वायु प्रदूषण नियंत्रण को कम करने की दृष्टि से विद्युत बैटरी अथवा सोलर पावर अथवा सीएनजी से चालित यानों के लिए एक बार देय कर से छूट प्रदान की गई है।

2. वर्तमान में ड्राईवर को छोडकर 06 सीट तक की मोटर टैक्सी एवं 07 से 12 सीट तक की मैक्सी कैब के लिए क्रमशः 430 रूपये व 510 रूपये प्रति सीट प्रति त्रैमास कर की दरें निर्धारित है। सरलीकरण के उद्देश्य से उन दोनों प्रकार के यानों के लिए एक समान 500 रूपये प्रति सीट त्रैमास कर की दर निर्धारित की गई है। माल यान के लिए वर्तमान 230 रूपये प्रति टन त्रैमास कर की दर में मामूली वृद्धि करते हुए उसे 270 रूपये प्रति टन प्रति त्रैमास निर्धारित किया गया है। कृषि प्रयोजन से भिन्न व्यवसायिक प्रयोजन में प्रयुक्त टैªलर के सकल यान भार के प्रत्येक मीट्रिक टन के लिए पहली बार माल यान की भांति 270 रूपये प्रति मीट्रिक टन प्रति त्रैमास कर की दर निर्धारित की गई है।

3. ड्राईवर को छोडकर तीन पहिया मोटर यान, जिसमें तीन व्यक्तियों तक बैठने की क्षमता हो, प्रत्येक सीट के लिए 730 रूपये के स्थान पर 800 रूपये वार्षिक और 03 से अधिक 06 व्यक्तियों तक बैठने की क्षमता वाले तीनपहिया मोटर यानकी प्रत्येक सीट के लिए 845 रूपये के स्थान पर 01 हजार रूपये वार्षिक कर की दर निर्धारित की गई है। दोनों मामलों में 07 हजार रूपये एक बार देय कर की दर निर्धारित की गई है, जो स्वैच्छिक हैै। वायु प्रदूषण नियंत्रण करने के उद्देश्य से विद्युत बैटरी अथवा सोलर पावर अथवा सीएनजी से चालित यानों से देय कर के 20 प्रतिशत के बराबर छूट प्रदान की गई है।

4. राज्य के पर्वतीय क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए, पर्वतीय मार्गों पर मैदानी मार्गों की तुलना में संचालन व्यय अधिक होता है। दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में आम जनता को पर्याप्त परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने की अनिवार्य आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए पर्वतीय मार्गों पर संचालित मंजिली गाडियों की कर की दरें मैदानी मार्गों की तुलना में आधी रखते हुए प्रति सीट प्रति माह कर की दर रूपये 50.00 निर्धारित की गई है।

5. आम जनता को अधिक से अधिक सार्वजनिक परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने हेतु नगर बसों के संचालन को बढावा देने के लिए नगर निगम या नगरपालिका की सीमा के भीतर संचालित नगर बसों की 85 रूपयें प्रति सीट प्रति मास की दर को 50 रूपये प्रति सीट प्रति मास रखा गया है। मैदानी मार्गों में संचालित मंजिली गाडियों की वर्तमान दर में लगभग 18 प्रतिशत मामूली की वृद्धि की गई है।

6. राजस्व वृद्धि को ध्यान में रखते हुए अस्थाई रूप से पंजीकृत मोटर यानों तथा डीलर के कब्जे में रखी गई वाहनों की दरों में मामूली वृद्धि की गई है।
7. पेट्रोल चलित यानों की तुलना में डीजल चालित यानों पर ग्रीन उपकर की दरें अधिक रखी गई है।
(क) पेट्रोल चालित कार- 1500.00
(ख) डीजल चालित कार- 3000.00
पर्यावरण को प्रदूषित रहित बनाने के उद्देश्य से क्लीन फ्यूल (सौर ऊर्जा बैटरी सीएनजी) से संचालित वाहनों को कर मुक्त कर दिया गया है।

8. मेलों, धार्मिक सभाओं में यात्रियों को लाने ले जाने के लिए अस्थाई परमिट पर चलने वाले वाहनों तथा बारात, पर्यटक यात्रियों या अन्य आरक्षित पार्टियों की सवारियों के लिए विशेष परमिट पर संचालित वाहनों के लिए विशेष कर की वर्तमान 08 रूपये प्रति सीट कर की दर में मामूली वृद्धि करते हुए 10 रूपये प्रति सीट की गई है।

9. अन्य राज्यों से अस्थाई परमिट पर उत्तराखण्ड राज्य में आने वाले माल यानों एवं ठेका यानों आदि, के लिए कर की दरें तर्कसंगत किया गया है।

10. ऐसे निजी मोटर यान जो परिवहन यान के रूप में चलते हुए पाये जायें, के द्वारा किये जा रहे अनधिकृत संचालन को रोकने के लिए और ऐसी प्रवृति को हतोत्साहित करने के लिए कर की दरें निर्धारित की गई है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुभारती मेडिकल कॉलेज हुआ सील

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब उत्तराखंड सरकार सुभारती मेडिकल कॉलेज को चलायेगी। गुरूवार को प्रशासन और पुलिस ने कॉलेज को सील कर दिया।

विदित हो कि दो साल पूर्व मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआई) ने सुभारती मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण कर तमाम खामियां पाई थी। इस पर एमसीआई ने कॉलेज की मान्यता का आवेदन स्वीकार नहीं किया था। 30 अगस्त 2017 को कॉलेज प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में एमबीबीएस में दाखिले कराने की अर्जी दायर की। इस पर कोर्ट ने एक सितंबर 2017 में दाखिले के आदेश जारी किये थे।

मगर, इसके बाद मनीष वर्मा नाम के व्यक्ति ने खुद को सपंत्ति का मालिक बताकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली। वहीं, कॉलेज के छात्रों ने भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यह सभी छात्र कॉलेज की मान्यता को लेकर आशंकित थे। छात्रों ने स्वयं को अन्य कॉलेज में भेजने की याचिका दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और मेडिकल कांउसिल आफ इंडिया का पक्ष जाना।

सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि उक्त संपत्ति श्रीदेव सुमन सुभारती मेडिकल कॉलेज की है ही नहीं। कॉलेज संचालकों ने कोर्ट में गलत तथ्यों को पेश किया। इसके बाद न्यायधीश रोहिंटन फली नरीमन व एमआर साह की पीठ ने पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड को आदेश दिए कि कॉलेज को तत्काल सील किया जाये। साथ ही एमसीआई के नियमों के अनुरूप एचएनबी उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय से संबद्ध किया जाए। फैकल्टी व अन्य आवश्यक संसाधन की पूर्ति भी राज्य सरकार के स्तर पर की जाएगी।

उत्तराखंड में पहली बार इंवेस्टर्स समिट होना बहुत बड़ी बातः राजनाथ

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तराखंड के इतिहास में इंवेस्टर्स समिट का अध्याय भी जुड़ गया है। उत्तराखंड में पहली बार इंवेस्टर्स समिट आयोजित होने पर राजनाथ सिंह ने राज्य सरकार को बधाई दी।

इन्वेस्टर्स समिट के समापन सत्र में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में उत्तराखंड सरकार की तारीफ की। साथ ही क्रिकेटर पृथ्वी शॉ का भी उदाहरण दिया। इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री ने ये भी कहा कि उत्तराखंड में प्राकृतिक संसाधन और मानव संसाधन की नहीं बल्कि सामंजस्य की कमी। जिसे दूर करने की जरूरत।

कानून व्यवस्था और सुरक्षा में उत्तराखंड आदर्श राज्य

कानून व्यवस्था का जिक्र करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि कानून व्यवस्था और सुरक्षा के रूप में उत्तराखंड आदर्श राज्य है। निवेश के लिए इससे बेहतर कोई दूसरी स्थिति नहीं है।

सीएम ने किया प्रदर्शनी का अवलोकन
इससे पहले सीएम त्रिवेंद्र रावत ने इन्वेस्टर्स समिट में प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने प्रत्येक स्टाल का निरीक्षण कर उत्पादों के बारे में जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने मंडुवे के बिस्किट का स्वाद भी लिया। इतना ही नहीं सीएम ने हॉर्टिकल्चर से सम्बंधित उत्पादों के बारे भी जानकारी ली।

बाद में पत्रकारों से बातचीत ने सीएम ने कहा कि समिट को लेकर निवेशकों के साथ ही सरकार में भी खास उत्साह है। ये पहल राज्य के लिए वरदान साबित होगा। सीएम ने ये भी कहा कि यह दीर्घकालीन प्रोजेक्ट है और इसे आकार लेने में वक्त लगेगा। आने वाले चार से पांच सालों में अच्छे परिणाम सामने आएंगे।