जनसुनवाई में प्राप्त प्रत्येक प्रकरण का गंभीरता से संज्ञान लेकर त्वरित निस्तारण करेंः धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का हल्द्वानी आगमन पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों और नागरिकों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। सर्किट हाउस, हल्द्वानी पहुंचने पर आयुक्त कुमाऊँ दीपक रावत एवं पुलिस उपमहानिरीक्षक (आई.जी.) कुमाऊँ रिद्धिमा अग्रवाल ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया।

मुख्यमंत्री धामी ने इसके उपरांत सर्किट हाउस के सभागार में जनता से सीधे संवाद स्थापित किया और उनकी समस्याएं, शिकायतें एवं सुझाव सुने। विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, व्यापारी संगठनों, महिला समूहों, युवाओं, किसानों एवं आम नागरिकों ने अपने-अपने क्षेत्रों की जनसमस्याओं से मुख्यमंत्री को अवगत कराया।

जनसुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जनभावनाओं के अनुरूप कार्य कर रही है और सरकार का उद्देश्य जनता की हर समस्या का शीघ्र समाधान सुनिश्चित करना है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जनसुनवाई में प्राप्त प्रत्येक प्रकरण का गंभीरता से संज्ञान लेकर त्वरित निस्तारण करें।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि शासन की सभी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पात्र लाभार्थियों तक बिना किसी भेदभाव के पहुँचे, यह सुनिश्चित करना सभी अधिकारियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जनता की समस्याओं का समाधान करना ही सरकार की प्राथमिकता है। प्रशासनिक तंत्र को आम नागरिकों की सुविधा के अनुरूप और अधिक संवेदनशील एवं जवाबदेह बनना होगा।

मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विकास कार्यों की गति को और तेज किया जाए, लंबित मामलों का शीघ्र निस्तारण किया जाए और जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप शासन की योजनाओं को धरातल पर उतारा जाए। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य पारदर्शी शासन व्यवस्था स्थापित करना है, जिसमें आमजन को प्रशासन के पास बार-बार भटकना न पड़े।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कुछ शिकायतों का मौके पर ही निस्तारण करने हेतु संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देश भी जारी किए। उन्होंने उपस्थित जनता से कहा कि राज्य सरकार हर नागरिक के साथ खड़ी है और शासन जनता के द्वार तक पहुँचाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है।

उन्होंने कहा कि “डबल इंजन की सरकार” का संकल्प उत्तराखण्ड को अग्रणी राज्य बनाने का है, और इसके लिए प्रत्येक स्तर पर जनसहभागिता आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि जनता से सीधा संवाद राज्य सरकार की पारदर्शी एवं संवेदनशील कार्यप्रणाली का प्रतीक है।

इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष दीपा दरमवाल, विधायक कालाढूंगी बंशीधर भगत, विधायक लालकुआं डॉ. मोहन सिंह बिष्ट, विधायक भीमताल रामसिंह कैड़ा, विधायक रामनगर दीवान सिंह बिष्ट, भाजपा जिला अध्यक्ष प्रताप बिष्ट, राज्य सरकार में विभिन्न दायित्वधारी, आयुक्त कुमाऊँ दीपक रावत, आईजी रिद्धिमा अग्रवाल, प्रभारी जिलाधिकारी अनामिका सहित अनेक जनप्रतिनिधि, अधिकारी एवं बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री धामी के आगमन से हल्द्वानी में जनसामान्य में उत्साह का वातावरण रहा। नागरिकों ने मुख्यमंत्री के जनसंपर्क कार्यक्रम को जनता के प्रति उनकी संवेदनशीलता और जनहित के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया।

हल्द्वानी में सीएम ने ली सोशल मीडिया पदाधिकारियों की बैठक

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हल्द्वानी पहुंचे, जहां उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के सोशल मीडिया प्रभारी और संगठन पदाधिकारियों के साथ समन्वय बैठक की। बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए “स्वदेशी अपनाओ अभियान” को अधिक प्रभावी बनाने के लिए सोशल मीडिया टीम को सक्रिय रूप से जनता से जुड़ने का आह्वान किया।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जीएसटी दरों में कमी कर स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहन देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि राज्य में भी इस अभियान को व्यापक स्तर पर फैलाने के लिए लगातार जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया टीम से कहा कि वे डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाएं, ताकि “हर घर स्वदेशी, घर-घर स्वदेशी” का संदेश आम जनता तक पहुंच सके।

मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि इस वर्ष राज्य में चारधाम यात्रा ऐतिहासिक और व्यवस्थित रही। उन्होंने बताया कि यात्रियों की सुविधा के लिए केंद्र सरकार की मदद से नई हेलीकॉप्टर सेवा नीति तैयार की गई है, जिससे हवाई सेवाओं को राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचाया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार आमजन की सुविधा और विकास के लिए हर संभव कदम उठा रही है और “विकसित उत्तराखंड” के लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर है।

सीएम से मुलाकात कर बोला बेरोजगार संघ, युवाओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए सरकार ने लिया पारदर्शी निर्णय

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखंड बेरोजगार संघ व तकनीकी डिप्लोमा प्राप्त छात्रों के प्रतिनिधिमंडल ने भेंट की। इस अवसर पर प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया कि राज्य सरकार ने युवाओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायतों पर गंभीरता से संज्ञान लिया और संबंधित परीक्षा को निरस्त करने का निर्णय लिया।

संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार द्वारा परीक्षा की पारदर्शिता एवं निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम युवाओं में विश्वास और आशा का संचार करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जिस तत्परता और संवेदनशीलता के साथ इस मुद्दे पर कार्रवाई की, वह युवाओं के हित में एक ऐतिहासिक निर्णय है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार योग्यता और पारदर्शिता पर आधारित भर्ती प्रक्रिया के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार का स्पष्ट संदेश है कि उत्तराखंड में किसी भी भर्ती परीक्षा में भ्रष्टाचार, नकल या अनुचित साधनों के लिए शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं की मेहनत और प्रतिभा के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने नकल विरोधी कानून लागू कर परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में सशक्त कदम उठाया है। इस कानून के लागू होने से अब कोई भी व्यक्ति या संगठन परीक्षा प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास करेगा तो उसके विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार लगातार इस दिशा में कार्य कर रही है कि हर पात्र युवक-युवती को निष्पक्ष अवसर मिले और राज्य के सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूर्ण पारदर्शिता और विश्वास का माहौल स्थापित हो। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के युवाओं की मेहनत, लगन और ईमानदारी ही राज्य के भविष्य की सबसे बड़ी पूंजी है, और सरकार उनके हितों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर है।

संघ के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि भविष्य की परीक्षाओं में नकल-रोधी प्रावधानों को और अधिक सुदृढ़ किया जाए तथा भर्ती प्रक्रिया को समयबद्ध रूप से संचालित किया जाए। मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधियों के सुझावों की सराहना करते हुए कहा कि पारदर्शी भर्ती ही सुशासन की पहचान है, और राज्य सरकार इसी दिशा में निरंतर कार्य कर रही है।

इस अवसर पर बेरोजगार संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

कृषि मेले किसानों, वैज्ञानिकों और उद्यमियों के बीच नवाचार व ज्ञान के प्रसारित करने का माध्यमः धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पंतनगर विश्वविद्यालय में आयोजित 118वे अखिल भारतीय किसान मेले एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने पंतनगर विश्वविद्यालय द्वारा उत्पादित नवीन दलहनी प्रजातियों का लोकार्पण व पंतनगर प्रवाह नामक पुस्तक का विमोचन किया।

मेले में आयोजित रजत जयंती राज्य स्थापना गोष्ठी एवं संवाद कार्यक्रम में संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस वर्ष के किसान मेले और कृषि प्रदर्शनी में 400 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें से 200 से अधिक स्टॉल देश के विभिन्न राज्यों से आए कृषि क्षेत्र से जुड़े उद्योगों, स्टार्टअप्स और उद्यमियों द्वारा लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन मात्र कृषि उत्पादों और यंत्रों के प्रदर्शन तक सीमित नहीं होते, बल्कि ये किसानों, वैज्ञानिकों और उद्यमियों के बीच ज्ञान, अनुभव और नवाचार के आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण माध्यम भी होते हैं। इस प्रकार के कृषि मेलों के माध्यम से जहां एक ओर हमारे किसान भाई एक ही स्थान पर नवीनतम कृषि तकनीकों, उन्नत बीजों, आधुनिक यंत्रों और नई शोधों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, वहीं उन्हें विशेषज्ञों के अनुभवों से सीखने और अपने अनुभव साझा करने का अवसर भी मिलता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस मेले में प्रदर्शित की जा रही आधुनिक तकनीकों और नवाचारों के माध्यम से हमारे किसान भाई पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ नई वैज्ञानिक विधियों को अपनाकर अपनी खेती को और भी अधिक उत्पादक, टिकाऊ और लाभकारी बना पाएंगे। उन्होंने कहा कि जिससे न केवल उनकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि प्रदेश की कृषि व्यवस्था भी सशक्त और समृद्ध बनेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में आज भारत विकसित राष्ट्र के संकल्प को साकार करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसी संकल्प के साथ केंद्र सरकार द्वारा हमारे अन्नदाताओं की आय को दोगुना करने हेतु निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज, देशभर के 11 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के माध्यम से आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है, जिसके अंतर्गत उत्तराखंड के भी लगभग 9 लाख के करीब अन्नदाताओं को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए सहायता राशि प्रदान की जा रही है। आज जहां एक ओर सभी प्रमुख फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (डैच्) में अभूतपूर्व वृद्धि कर किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य प्रदान किया जा रहा है। वहीं, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से किसान को प्राकृतिक आपदाओं, फसल रोगों और कीटों से होने वाले नुकसान हेतु सुरक्षा कवच भी प्रदान किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के द्वारा खेतों की मिट्टी की वैज्ञानिक जांच कर किसानों को पोषक तत्वों की कमी और आवश्यक उर्वरकों की जानकारी भी दी जा रही है, जिससे उनकी उपज की गुणवत्ता और भूमि की उर्वरता दोनों में सुधार हो रहा है, और इसके साथ ही, किसान मानधन योजना, मिलेट मिशन, बागवानी विकास मिशन, कृषि यंत्र सब्सिडी, बूंदबूंद सिंचाई योजना, डिजिटल कृषि मिशन जैसी अनेकों योजनाओं द्वारा किसानों को लाभ पहुंचाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में कृषि को विकास का प्रमुख इंजन मानते हुए जहां एक ओर किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट को 3 लाख रुपये से बढाकर 5 लाख रुपये करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है, वहीं प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ सिंचाई और कृषि तकनीकों के विकास पर भी विशेष फोकस किया गया है। उन्होंने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने देश के अन्नदाताओं को बड़ी सौगात देते हुए 24 हजार करोड़ रुपये की पीएम धन धान्य कृषि योजना और दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु लगभग 11 हजार 500 करोड़ रुपये की लगात के दलहन उत्पादकता मिशन का शुभारंभ किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व और मार्गदर्शन में हमारी राज्य सरकार भी प्रदेश के किसानों के उत्थान एवं समृद्धि हेतु संकल्पित होकर निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि हम एक ओर जहां प्रदेश में किसानों को तीन लाख रुपए तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध करा रहे हैं, वहीं कृषि उपकरण खरीदने हेतु फार्म मशीनरी बैंक योजना के माध्यम से 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने किसानों के हित में नहरों से सिंचाई को पूरी तरह मुफ्त करने का काम किया है। साथ ही, हमने किसानों की आय बढ़ाने के लिए पॉलीहाउस के निर्माण हेतु 200 करोड़ रूपए की राशि का प्रावधान भी किया है। जिसके अंतर्गत अब तक राज्य में लगभग 115 करोड़ रुपए की सहायता से करीब 350 पॉलीहाउस स्थापित किए जा चुके हैं। इतना ही नहीं, हम जहां एक ओर गेहूं खरीद पर किसानों को 20 रूपए प्रति क्विंटल का बोनस प्रदान रहे हैं, वहीं हमने गन्ने के रेट में भी 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की है। उन्होंने कहा कि हमने उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा आधारित खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए लगभग 1,000 करोड़ रुपये की लागत से उत्तराखंड क्लाइमेट रिस्पॉन्सिव रेन-फेड फार्मिंग प्रोजेक्ट भी स्वीकृत किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार सब्जियों की तरह ही फलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी विभिन्न स्तरों पर काम कर रही है। हाल ही में हमारी सरकार ने 1200 करोड़ रुपये की लागत से नई सेब नीति, कीवी नीति, स्टेट मिलेट मिशन और ड्रैगन फ्रूट नीति जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू किया है। उन्होंने कहा कि इन नीतियों के तहत बागवानी को प्रोत्साहन देने के लिए किसानों को 80 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की जा रही है। हम किसानों की उपज की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए ग्रेडिंग सॉर्टिंग यूनिट के निर्माण के लिए भी अनुदान प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज इस अवसर पर मैं, आप सभी कृषि वैज्ञानिकों से आग्रह करना चाहता हूँ कि आप हमारी पारंपरिक कृषि व्यवस्था पर भी अनुसंधान करें, और जानें कि हमारे पूर्वजों ने हजारों वर्षों से अपनी कृषि सभ्यता को कैसे संरक्षित रखा, अपनी धरती की उर्वरकता को कैसे बनाए रखा और उत्पादन की गुणवत्ता को भी निरंतर सुनिश्चित किया। उन्होंने वैज्ञानिकों से आग्रह करते हुए कहा कि आप लोग अपने शोध कार्य और नवीनतम तकनीकी ज्ञान को शीघ्रता से किसानों तक पहुँचाएँ, ताकि ये ज्ञान उनके उत्पादन और आय में वृद्धि का माध्यम बन सके और हमारी कृषि अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के इस अवसर पर हम किसानों की प्रगति पर चर्चा करने के साथ-साथ प्रदेश में नकल विरोधी कानून और समान नागरिक संहिता पर संवाद करने के लिए भी एकत्रित हुए हैं। उक्त दोनों विषयों पर जीबी पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की छात्रा पूजा जोशी ने समान नागरिक संहिता, नीति शर्मा ने किसान मेले की प्रगति एवं छात्र निधि अवस्थी ने नकल विरोध कानून पर अपने विचार साझा किए जबकि समृद्धि किसान उत्पादक संगठन की सीमा रानी ने अपने सफल खेती के अनुभव साझा किए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू कर सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून और अधिकार स्थापित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि हमने अनुभव किया कि समाज में कुछ समुदायों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानूनों के कारण भेदभाव, असमानता और अन्याय की स्थिति बनी हुई है। समान नागरिक संहिता का उद्देश्य इन्हीं भेदभावों को समाप्त कर राज्य के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानूनी व्यवस्था सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि यूसीसी के लागू होने से न केवल राज्य से सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हुए हैं, बल्कि प्रदेश में महिला सशक्तिकरण को भी बल मिला है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं,यह भी स्पष्ट करना चाहता हूं कि समान नागरिक संहिता किसी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं, बल्कि समाज की कुप्रथाओं को मिटाकर सभी नागरिकों के बीच समानता से समरसता स्थापित करने का एक संवैधानिक उपाय है। परन्तु ये देश का दुर्भाग्य रहा कि स्वतंत्रता के पश्चात कई दशकों तक देश में एक ऐसी पार्टी का शासन रहा जिसने अपने वोट बैंक के चक्कर में यूसीसी को लागू नहीं होने दिया। जबकि विश्व के प्रमुख मुस्लिम देशों सहित दुनिया के सभी सभ्य देशों में पहले से ही समान नागरिक संहिता लागू है। उन्होंने कहा कि हम भली-भांति जानते थे कि भारत में सर्वप्रथम यूसीसी लागू करने का मार्ग सरल नहीं होगा परंतु जब नीयत साफ हो और जनभावना साथ हो, तो कोई भी बदलाव असंभव नहीं रहता। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार देवभूमि उत्तराखंड के सांस्कृतिक मूल्यों और डेमोग्राफी को संरक्षित रखने के प्रति भी पूर्ण रूप से संकल्पबद्ध होकर काम कर रही है।

कुलपति डॉ मनमोहन सिंह चौहान ने यूसीसी व नकल विरोधी कानून लागू करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन व निर्देशन में विश्वविद्यालय शोध व प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में पूरे प्रदेश में इंटिग्रेटेड फार्मिंग पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आज प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 2 लाख 61 हजार हो गई है जो 26 प्रतिशत ग्रोथ रेट पर है। उन्होंने बताया कि मेले में 507 स्टॉल लगाए गए हैं व अभी तक लगभग 20 हजार किसानों द्वारा प्रतिभाग किया गया है।

कार्यक्रम में विधायक शिव अरोरा, त्रिलोक सिंह चीमा, सुरेश गाड़िया, पूर्व विधायक राजेश शुक्ला, जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा सभी जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद थे।

छात्र हित में धामी का फैसला, भर्ती परीक्षा की रद्द, तीन माह में पुनः आयोजित होगी परीक्षा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को यूं ही युवा दिलों की धड़कन और युवा हितैषी नहीं कहा जाता। वे युवाओं की बातों को न सिर्फ गौर से सुनते हैं बल्कि, उन्हें पूरा करने से भी पीछे नहीं हटते। 21 सितंबर को यूकेएसएसएससी पेपर लीक का प्रकरण सामने आने के बाद युवाओं ने पेपर को रद्द कर पुनः कराने और सीबीआई जांच की मांग करी तो सीएम धामी ने इस पर तत्काल एक्शन लेते हुए 10 दिन के भीतर ही पेपर को रद्द कर पुनः परीक्षा आयोजित कराने के निर्देश दे डाले। इसके साथ ही, पुनः आयोजित होने वाली इस परीक्षा में वही छात्र शामिल होंगे, जिन्होंने पहले भी यह परीक्षा दी थी। इन छात्रों की फीस का पूरा वहन राज्य सरकार उठाएगी। पुनः आयोजित होने वाली यह परीक्षा अन्य परीक्षाओं के कार्यक्रम पर कोई असर नहीं डालेगी।

ये निर्णय इस बात का प्रमाण है कि सीएम धामी के दिल में युवा और युवाओं के दिल में सीएम धामी बसते हैं। इससे पहले सीएम धामी ने खुद परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर जाकर प्रदर्शनकारी युवाओं से वार्ता कर उन्हें मामले की जांच का आश्वासन दिया था। राज्य गठन के इतिहास में यह पहला मौका था कि जब सूबे का मुखिया खुद धरना स्थल पर प्रदर्शनकारियों से वार्ता करने गया हो। यह इस बात का प्रमाण है कि सीएम धामी युवाओं के प्रति बेहद ही संवेदनशील हैं। जिस कारण वह उनके हितों में निर्णय लेने से एक कदम भी पीछे नहीं हटते।

चार साल में युवाओं के लिए नौकरी के द्वार खोलना और 25000 पदों पर उन्हें नियुक्ति प्रदान करना भी इस बात का बड़ा प्रमाण है कि सीएम धामी युवा हितैषी हैं।

21 सितंबर को आयोजित स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में पेपर में अनियमितताओं की खबरें बाहर आने के बाद छात्रों ने प्रदेशभर में प्रदर्शन किया था। जिस पर सीएम धामी ने खुद परेड ग्राउंड जाकर छात्रों को आश्वासन देते हुए मामले की पारदर्शी जांच के निर्देश दिए थे। इसके लिए एसआईटी गठन के साथ ही जांच आयोग भी बनाया गया था। जांच आयोग की रिपोर्ट के आधार पर अब आयोग ने परीक्षा को रद्द कर दिया है।

सीएम धामी का स्पष्ट संदेश है कि उत्तराखंड में छात्र हमेशा सरकार के लिए सर्वाेच्च प्राथमिकता हैं। सरकार छात्रों के हितों के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं होने देगी और हर छात्र को निष्पक्ष अवसर और भरोसेमंद परीक्षा प्रणाली उपलब्ध कराना हमारी प्रतिबद्धता है। उनका यह युवा हितैषी कदम छात्रों के विश्वास को पुनः मजबूत करता है और यह दिखाता है कि उत्तराखंड में नेतृत्व केवल आदेश देने वाला नहीं, बल्कि युवाओं की भावनाओं और भविष्य की जिम्मेदारी समझने वाला भी है।

कफ सिरप पर सीएम सख्त, 350 से अधिक सैंपल लेकर दर्जनों मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस रद्द

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के सख्त दिशा-निर्देशों पर उत्तराखंड में बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर औषधि विभाग ने बड़ा अभियान हुआ छेड़ा है। औषधि विभाग ने बच्चों की सुरक्षा को सर्वाेच्च प्राथमिकता देते हुए प्रदेश के सभी जिलों में छापेमारी का सिलसिला तेज कर दिया है। प्रदेशभर में कफ सिरप की गुणवत्ता और उसकी वैधानिकता की जांच के लिए मेडिकल स्टोर्स, होलसेल डिपो, फार्मा इंडस्ट्री और बच्चों के अस्पतालों पर औचक निरीक्षण लगातार जारी हैं। देहरादून, ऋषिकेश, हल्द्वानी, अल्मोड़ा और बागेश्वर सहित अन्य जिलों में औषधि निरीक्षकों की टीमों ने औचक निरीक्षण अभियान चलाया। अब तक 350 से अधिक सैंपल जांच के लिए लिए जा चुके हैं, जबकि एक दर्जन से अधिक मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस निरस्त किए जा चुके हैं। कई अन्य को कड़ी चेतावनी दी गई है। प्रदेश सरकार ने सभी बाल चिकित्सकों से अपील की है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी स्थिति में प्रतिबंधित सिरप न लिखें। इस पूरे अभियान की मॉनिटरिंग स्वयं स्वास्थ्य सचिव एवं खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (थ्क्।) आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार कर रहे हैं, जो प्रतिदिन टीमों से फीडबैक लेकर कार्रवाई की प्रगति की समीक्षा कर रहे हैं। अभियान का नेतृत्व अपर आयुक्त (एफडीए) ताजबर सिंह जग्गी कर रहे हैं, जिनके दिशा-निर्देशों में राज्यभर की औषधि निरीक्षक टीमें सक्रिय हैं। विभाग ने चेतावनी दी है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

देहरादून में औषधि विभाग की कार्रवाई
बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए औषधि विभाग ने शहरभर में औचक निरीक्षण अभियान चलाया। आयुक्त और अपर आयुक्त (एफडीए) के निर्देशों पर औषधि निरीक्षक मानेंद्र सिंह राणा के नेतृत्व में टीम ने पलटन बाजार, घंटाघर, ऋषिकेश रोड, जॉलीग्रांट, अजबपुर और नेहरू कॉलोनी क्षेत्रों में मेडिकल स्टोर्स और थोक विक्रेताओं की जांच की। निरीक्षण के दौरान बच्चों की सर्दी-खांसी की कुछ दवाएं अलग से भंडारित पाई गईं, जिन्हें मौके पर सील कर दिया गया और बिक्री पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई। अधिकांश विक्रेताओं ने प्रतिबंधित सिरप की बिक्री पहले ही बंद कर दी थी, जबकि जहां स्टॉक मिला, उसे पेटियों में डालकर सील किया गया। कार्रवाई के दौरान एक मेडिकल स्टोर को बंद किया गया और 11 औषधियों के नमूने जांच के लिए लिए गए। टीम ने बताया कि ैल्च्. ब्वसकतप,ि ैल्च्. त्मेचपतिमेी-ज्त् और ैल्च्. त्मसपमि जैसी दवाएँ स्टोर्स पर नहीं मिलीं। औषधि निरीक्षकों विनोद जागुड़ी और निधि रतूड़ी की मौजूदगी में हुई इस कार्रवाई को आगे भी जारी रखा जाएगा।

ऋषिकेश में बड़ी कार्रवाई, कफ सिरप भंडारण पर रोक
औषधि निरीक्षक निधि रतूड़ी ने ऋषिकेश क्षेत्र में स्थित राजकीय एसपीएस चिकित्सालय देहरादून रोड और जॉलीग्रांट के आसपास मेडिकल स्टोर्स का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कुछ स्टोर्स में बच्चों की सर्दी-खांसी की दवाइयाँ (सिरप) अलग से भंडारित थीं। टीम ने मौके पर ही इन दवाओं को सील कर दिया और स्पष्ट निर्देश दिए कि अगली आदेश तक इनकी बिक्री प्रतिबंधित रहेगी। औषधि निरीक्षक के अनुसार अधिकांश मेडिकल स्टोर्स ने शासन के आदेशों का पालन करते हुए प्रतिबंधित सिरप की बिक्री पहले ही रोक दी है। निरीक्षण के दौरान कुल 06 औषधियों के नमूने गुणवत्ता जांच हेतु संकलित किए गए।

हल्द्वानी में सात मेडिकल स्टोर्स की जांच
हल्द्वानी मुखानी क्षेत्र में औषधि विभाग की टीम ने सात मेडिकल स्टोर्स का निरीक्षण किया। इस दौरान दो कफ सिरप के नमूने जांच के लिए लिए गए। टीम ने सभी विक्रेताओं को शासन-प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए।

अल्मोड़ा और बागेश्वर में भी हुई जांच
अल्मोड़ा जिले में औषधि विभाग की टीम ने औचक निरीक्षण के दौरान एक मेडिकल स्टोर से कफ सिरप का एक नमूना परीक्षण के लिए लिया। वहीं, बागेश्वर जिले के गरुर क्षेत्र में दो मेडिकल स्टोर्स पर जांच की गई, जहाँ से दो बाल चिकित्सा सिरप के नमूने गुणवत्ता परीक्षण हेतु संकलित किए गए।

मुख्यमंत्री का स्पष्ट संदेश ष्बच्चों की सुरक्षा सर्वाेपरिष्
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि उत्तराखंड सरकार बच्चों की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक मेडिकल स्टोर, अस्पताल और फार्मा यूनिट की जांच सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा हमारा लक्ष्य है कि उत्तराखंड में ऐसा कोई सिरप न बिके, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बने। यह सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा है।

स्वास्थ्य मंत्री की अपील, डॉक्टर जिम्मेदारी निभाएं
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने प्रदेश के सभी डॉक्टरों से अपील की है कि वे बच्चों के लिए दवा लिखते समय विशेष सतर्कता बरतें। उन्होंने कहा कि दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी स्थिति में प्रतिबंधित सिरप न दी जाए। डॉक्टर और फार्मासिस्ट दोनों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों की सेहत को सर्वाेपरि रखें।

स्वास्थ्य सचिव की सख्त चेतावनी
स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त (थ्क्।) डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि बच्चों की सेहत से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभियान के तहत हर जिले की टीम से प्रतिदिन रिपोर्ट ली जा रही है, और जहाँ लापरवाही पाई जाएगी, वहाँ लाइसेंस निरस्तीकरण सहित कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि यह अभियान न केवल मेडिकल स्टोर्स और होलसेल दवा डिपो तक सीमित है, बल्कि फार्मा कंपनियों और बाल चिकित्सालयों तक भी विस्तारित किया गया है।

चरणबद्ध तरीके से जारी रहेगा अभियान
अपर आयुक्त (एफडीए) ताजबर सिंह जग्गी ने स्पष्ट किया है कि यह अभियान यहीं नहीं रुकेगा। राज्यभर में बच्चों के लिए असुरक्षित दवाओं की बिक्री और भंडारण पर सख्त निगरानी रखी जाएगी। अपर आयुक्त (एफडीए) ने कहा है कि सरकार की प्राथमिकता स्पष्ट है राज्य के नागरिकों, विशेषकर बच्चों को केवल सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण औषधियां ही मिलें।

उत्तराखंड में औषधि विभाग की यह कार्रवाई राज्य सरकार के उस सुरक्षित स्वास्थ्य मिशन का हिस्सा है, जिसके तहत बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित दवाइयाँ उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार ने साफ किया है यह अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक प्रदेश से असुरक्षित औषधियों का पूर्ण उन्मूलन नहीं हो जाता।

सीएम ने दुर्गम क्षेत्रों में तैनात वन कर्मियों को आवासीय भत्ता देने का लिया बड़ा फैसला

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार अपने कर्मचारियों के कल्याण के लिए निरंतर संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाए हुए है। इसी क्रम में वन विभाग के अंतर्गत दुर्गम क्षेत्रों में तैनात वन कर्मियों को अब आवासीय भत्ता दिए जाने का निर्णय लिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि “हमारे वनकर्मी प्रदेश की बहुमूल्य वन संपदा और वन्यजीवों की रक्षा में दिन-रात कठिन परिस्थितियों में कार्य करते हैं। दूरस्थ और दुर्गम चौकियों पर तैनाती के दौरान उन्हें अपने परिवार से दूर रहना पड़ता है। ऐसे में उनके परिवार के लिए अलग से आवास व्यवस्था करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती होती है। सरकार ने इस कठिनाई को समझते हुए यह निर्णय लिया है कि दुर्गम क्षेत्रों में जहां स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसी सामान्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, वहां तैनात वन कर्मियों को आवासीय भत्ता अनुमन्य किया जाएगा।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निर्णय उन वनकर्मियों के लिए राहत लेकर आएगा जो जंगलों की सुरक्षा में लगातार जुटे रहते हैं। शासन द्वारा वित्त विभाग की सहमति से ऐसे दुर्गम क्षेत्रों की पहचान की जाएगी, जहां यह सुविधा लागू होगी।

वन विभाग के कर्मचारियों ने इस निर्णय पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और वन मंत्री सुबोध उनियाल का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय से उन्हें अपने परिवारों की देखभाल करने में सहूलियत मिलेगी और वे राज्य की वन संपदा की रक्षा में और अधिक मनोयोग से कार्य कर सकेंगे।

सभी जनपदों के प्रभारी सचिव नियमित भ्रमण कर जनता से संवाद स्थापित करेंः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश की सभी सड़कों को शीघ्र गड्ढा मुक्त किया जाए, ताकि आम जनता को बेहतर यातायात सुविधा मिल सके। बैठक में जानकारी दी गई कि अब तक 52 प्रतिशत पैच वर्क का कार्य पूर्ण हो चुका है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शेष कार्यों को त्वरित गति से पूरा किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी जनपदों के प्रभारी सचिव अपने-अपने जनपदों का नियमित भ्रमण कर जनता से संवाद स्थापित करें और सरकार की विभिन्न विकास एवं जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाएं।

बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण और पुनर्निर्माण कार्यों को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक आधारभूत संरचनाओं का जल्द पुनर्निर्माण किया जाए, ताकि स्थानीय जनता को राहत मिल सके। मुख्यमंत्री ने क्षतिग्रस्त पुलों के शीघ्र निर्माण और नए पुलों के निर्माण कार्यों में तेजी लाने पर भी बल दिया।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि कार्यों में गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जनता को सुरक्षित, सुविधाजनक और बेहतर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए सभी विभागों को समन्वय और सजगता के साथ कार्य करना होगा।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव श्री आर.के सुधांशु, सचिव शैलेश बगौली, सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय, अपर सचिव विनीत कुमार एवं लोक निर्माण विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवसः 326 मेधावी बालिकाओं को सीएम ने वितरित किए स्मार्टफोन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय स्थित मुख्य सेवक सदन में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर आयोजित बालिका शिक्षा प्रोत्साहन कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में 326 मेधावी बालिकाओं को स्मार्टफोन प्रदान किए गए। जनपद स्तर पर हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा के प्रथम तीन टॉपर बालिकाओं एवं विकासखण्ड स्तर पर टॉपर बालिकाओं को मुख्यमंत्री द्वारा पुरस्कृत किया गया।

मुख्यमंत्री ने सभी को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि इस वर्ष भी बेटियों ने अपने परिश्रम, प्रतिभा और संकल्प के बल पर बोर्ड परीक्षाओं में अद्भुत प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष हाईस्कूल की परीक्षा में कुल 90 प्रतिशत विद्यार्थी सफल हुए, जिसमें बालिकाओं का सफलता प्रतिशत 93 प्रतिशत से अधिक रहा और इंटरमीडिएट परीक्षा में 83 प्रतिशत विद्यार्थी सफल रहे, जिनमें बालिकाओं का सफलता प्रतिशत 86 प्रतिशत से अधिक रहा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज की तरक्की नारी शक्ति से होती है। यदि किसी राज्य की नारी शक्ति प्रगति कर रही है, तो उस राज्य के विकास को कोई भी ताकत नहीं रोक सकती। उन्होंने कहा कि बेटियों के शिक्षित होने से आने वाली पीढ़ियों का भविष्य भी संवरता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से राज्य सरकार ने राज्य में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण देने के साथ ही मुख्यमंत्री नारी सशक्तिकरण योजना, मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना, नंदा गौरा योजना जैसी योजनाएँ प्रारम्भ की हैं। इन योजनाओं के माध्यम से प्रदेश की बेटियाँ सरकारी सेवाओं में चयनित हो रही हैं एवं स्वयं सहायता समूहों, स्टार्टअप्स और लघु उद्योगों के माध्यम से भी आत्मनिर्भर बन रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नारी सशक्तिकरण की दिशा में कई ऐतिहासिक कदम उठाए जा रहे हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, बालिका समृद्धि योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से बालिकाओं की शिक्षा, सुरक्षा और समृद्धि को सुनिश्चित किया जा रहा है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम, उज्ज्वला योजना, लखपति दीदी योजना जैसी पहलों के माध्यम से मातृशक्ति का सम्मान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा महिला छात्रावास के निर्माण, मुफ्त साइकिल योजना और ‘बालिका शिक्षा प्रोत्साहन कार्यक्रम’ जैसी योजनाओं के माध्यम से राज्य में बालिकाओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कई बेटियाँ आगे चलकर सरकारी नौकरी में जाने का सपना देख रही हैं। उनके सपनों को साकार करने के लिए राज्य में देश का सबसे कठोर नकल-विरोधी कानून लागू किया गया है, जिसका परिणाम है कि पिछले 4 वर्षों में राज्य में लगभग 25 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी पाने में सफलता प्राप्त हुई है।

महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में और प्रदेश में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों से महिला सशक्तिकरण की दिशा में अनेक कार्य हुए हैं। प्रधानमंत्री द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चलाया गया। कन्या जन्म को प्रोत्साहित करना, बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देना और महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहन देना इसके मुख्य उद्देश्य हैं, जिन दिशा में तेजी से कार्य हुए हैं। राज्य में भी इस अभियान के बाद बेटियों के लिंगानुपात में सुधार हुआ है।

इस अवसर पर विधायक सविता कपूर, राज्य औषधीय पादप बोर्ड के उपाध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार, सचिव चन्द्रेश कुमार तथा महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

840 राजकीय विद्यालयों में हाइब्रिड मोड में संचालित वर्चुअल एवं स्मार्ट कक्षाओं का सीएम ने किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजीव गांधी नवोदय विद्यालय, ननूरखेड़ा (देहरादून) में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए समग्र शिक्षा उत्तराखण्ड द्वारा विद्यालयी शिक्षा में आई.सी.टी. योजना के अंतर्गत 840 राजकीय विद्यालयों में हाइब्रिड मोड में संचालित वर्चुअल एवं स्मार्ट कक्षाओं के केन्द्रीयकृत स्टूडियो का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों से वर्चुअल माध्यम से संवाद भी किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने की इस ऐतिहासिक पहल के हम सभी साक्षी बन रहे हैं, जिससे प्रदेश के बच्चों का भविष्य उज्जवल होगा। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि डिजिटल तकनीक, वर्चुअल प्लेटफॉर्म और स्मार्ट कक्षाओं के माध्यम से अनेक संभावनाओं के द्वार खुल रहे हैं। इन नवाचारों के माध्यम से पाठ्यक्रम अधिक रोचक और सरल बन रहा है तथा दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यार्थी भी विशेषज्ञों और शिक्षकों से सीधे संवाद कर पा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में 226 विद्यालयों को पीएम श्री विद्यालय के रूप में स्थापित किया गया है तथा 500 विद्यालयों में वर्चुअल कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि अब विद्यार्थी ‘उत्तराखंड वर्चुअल लर्निंग एप्लीकेशन’ के माध्यम से घर बैठे आधुनिक एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। इसके माध्यम से बच्चे स्वयं अपना मूल्यांकन भी कर सकेंगे। इस ऐप के जरिए विद्यार्थियों को देश और राज्य के जाने-माने शिक्षकों से सीखने का अवसर मिलेगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यार्थियों तक ऑनलाइन शिक्षा पहुँचाने के लिए 5-पीएम ई-विद्या चौनल भी संचालित कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कक्षा 6 से 12 तक के मेधावी छात्र-छात्राओं को मुख्यमंत्री मेधावी छात्र प्रोत्साहन छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत लाभ दिया जा रहा है। राज्य के प्रत्येक विकासखंड के 10वीं एवं 12वीं के मेधावी छात्रों को भारत भ्रमण पर भेजा जा रहा है। राज्य के माध्यमिक विद्यालयों में 8 ट्रेडों में व्यावसायिक शिक्षा प्रारंभ की गई है, जिससे 42 हजार से अधिक विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं। राज्य में पहली बार 12वीं के व्यावसायिक छात्रों के लिए रोजगार मेलों का आयोजन किया गया, जिसके माध्यम से 146 विद्यार्थियों का चयन प्रतिष्ठित कंपनियों में हुआ है। इस पहल की सराहना केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने भी की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहाँ बुनियादी शिक्षा के लिए राज्य पाठ्यचर्या रूपरेखा तैयार की गई है। विद्यालयों में ‘बस्तारहित दिवस’ को शामिल किया गया है। सरकार द्वारा स्थानीय भाषा एवं संस्कृति के संरक्षण हेतु गढ़वाली, कुमाऊँनी और जौनसारी भाषाओं में पुस्तकें तैयार की गई हैं। थारू, बोक्सा और रवांल्टी भाषाओं में शब्दकोश भी बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘हमारी विरासत’ पुस्तक के माध्यम से कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों को भारत की संस्कृति, लोक परंपरा और महान विभूतियों के बारे में अवगत कराया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू की गई है। आईसीटी योजना के अंतर्गत विद्यार्थियों को डिजिटल शिक्षण संसाधनों और वर्चुअल कक्षाओं के माध्यम से आधुनिक शिक्षा से जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में उत्तराखंड राज्य ने देश में सर्वप्रथम राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की। इसके अंतर्गत वर्ष 2022 में ‘बाल वाटिका’ की शुरुआत की गई है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सभी सरकारी विद्यालयों में एन.सी.ई.आर.टी. की पाठ्यपुस्तकें अनिवार्य की गई हैं तथा राजकीय एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों में कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों को निःशुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराई जा रही हैं।

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, विधायक उमेश शर्मा ‘काऊ’, अपर सचिव शिक्षा रंजना राजगुरु, महानिदेशक शिक्षा दीप्ति सिंह, शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी तथा वर्चुअल माध्यम से राज्यभर के विद्यालयों के विद्यार्थी एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।