चीन सीमा पर सेना की चौकियों में संचार सेवा दो माह से है बंद

भारत-चीन सीमा क्षेत्र में स्थित नीती घाटी के 11 गांवों का संपर्क दो माह से देश-दुनिया से कटा हुआ है। घाटी में संचार सेवा ठप पड़ी हुई है। ग्रामीणों के साथ ही आईटीबीपी, सेना और बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) की चौकियों में भी संचार सेवा ठप पड़ी हुई है।

भारत संचार निगम लिमिटेड के अधिकारियों का कहना है कि सेटेलाइट में आई तकनीकी खामियों के चलते घाटी में संचार सेवा ठप पड़ी हुई है। चमोली जिले से लगे चीन सीमा क्षेत्र के ग्राम पंचायत गमशाली, नीती, बांपा, मेहरगांव, कैलाशपुर, मलारी, फरकिया, कोषा, झेलम, द्रोणागिरी, कागा और गरपक के ग्रामीणों को संचार सेवा से जोड़ने के लिए बीएसएनएल की ओर से क्षेत्र में सेटेलाइट फोन वितरित किए गए थे।

सेना, आईटीबीपी और सीमा सड़क संगठन के अधिकारी और जवान भी सेटेलाइट फोन से ही एक दूसरे से संपर्क करते हैं। लेकिन पिछले दो माह से क्षेत्र में फोन डेड पड़े हुए हैं। मेहरगांव के प्रधान रणजीत सिंह टोलिया, रक्मणी देवी, धर्मेंद्र पाल और धीरेंद्र सिंह गरोड़िया ने बताया कि नीती घाटी में संचार सेवा ठप पड़ जाने से करीब छह हजार की आबादी का देश-दुनिया से संपर्क कटा हुआ है।

बीएसएनएल के अधिकारियों को कई बार अवगत कराने के बावजूद भी सेटेलाइट फोन ठीक नहीं किए जा रहे हैं। इधर, बीएसएनएल के महाप्रबंधक विजयपाल का कहना है कि भूसमकालिक कक्षा में स्थापित सेटेलाइट से नीती घाटी में सिग्नल नहीं मिल पा रहे हैं। जिससे सेटेलाइट फोन ने काम करना बंद कर दिया है। इस संबंध में उच्च अधिकारियों से वार्ता की जा रही है। जल्द ही सेवा बहाल कर दी जाएगी।

हेमकुंड साहिब यात्रा को पॉलिथीन मुक्त बनाने की गुरूद्वारा ट्रस्ट ने की पहल

माता वैष्णो देवी की तरह ही श्रीहेमकुंड साहिब में भी श्रद्धालुओं को डिग्रेडेबल थैले में प्रसाद दिया जाएगा। यात्रा को पॉलिथीन मुक्त बनाने के लिए गुरुद्वारा श्रीहेमकुंड मैनेजमेंट ट्रस्ट इस साल से यह पहल करने जा रहा है। इसके लिए उसने पूरी तैयारी भी कर ली है। यह थैला दिखने में प्लास्टिक की तरह ही होगा, लेकिन जमीन पर पड़ा रहने पर यह 180 दिन यानी छह माह में खाद में बदल जाएगा।

यह पूरी तरह सल्फर और गंध मुक्त होगा। अभी तक होता यह है कि रोक के बावजूद यात्रा पर पहुंचने वाले श्रद्धालु पॉलिथीन का उपयोग धड़ल्ले से करते हैं। इस पर रोक के लिए यह पहल की जा रही है। ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सरदार नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा के मुताबिक यात्रियों से पॉलिथीन का कोई भी सामान यात्रा मार्ग पर उपयोग न करने की विशेष अपील की गई है। ट्रस्ट का मानना है कि उसकी पहल से श्रद्धालु यहां की सकारात्मक छवि लेकर अपने यहां लौटेंगे। पिछले वर्ष श्री हेमकुंड साहिब के लिए करीब ढाई लाख श्रद्धालु दर्शन को पहुंचे थे।

पहला जत्था 30 मई को होगा रवाना
चारधाम यात्रा की तरह श्रीहेमकुंड यात्रा को भी संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति की संचालित करती है। इस वर्ष काफी बर्फवारी होने के चलते एक जून से श्री हेमकुंड साहिब के कपाट खुलेंगे। इसके लिए पहला जत्था 30 मई को रवाना होगा। रोटेशन के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बृज भानु प्रकाश गिरी ने बताया कि इस वर्ष एक जून से हर रोज गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट को चार बसें प्रदान की जाएंगी। डिमांड बढ़ने पर यह संख्या बढ़ाई भी जा सकती है।

इन देेशों से पहुंचेंगे श्रद्धालु
श्री हेमकुंड साहिब के दर्शन के लिए भारत के सभी प्रांतों के श्रद्धालुओं के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, कनाडा, बैंककॉक, न्यूजीलैंड, इटली, बेल्जियम, पाकिस्तान सहित कई देशों के श्रद्धालु दर्शन को हर वर्ष पहुंचते हैं।

औली में नेशनल स्कीइंग प्रतियोगिता का शुभारंभ

विश्व प्रसिद्ध हिमक्रीडा केन्द्र औली में तीन दिवसीय नेशनल नाॅर्डिक एवं एल्पाईन स्कीइंग और स्नो वोर्डिंग प्रतियोगिता का रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मंगलवार को मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने विधिवत शुभारंभ किया। इस प्रतियोगिता में आर्मी, आईटीबीपी, हिमांचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, दिल्ली तथा उत्तराखण्ड की टीमें प्रतिभाग कर रही है। आईटीबीपी के व्यू प्वाइंट प्रांगण में आयोजित उद्घाटन समारोह में सभी टीमों ने राष्ट्रीय घ्वज के साथ नेशनल प्रतियोगिता मनाली के विजयी खिलाडी अतुल भट्ट की अगुवाई में मार्च पास कर मुख्य अतिथि को सलामी दी। इस दौरान प्रसिद्व लोक गायक दरवान नैथवाल, पूनम सती एवं उनकी टीम ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने विश्व प्रसिद्व औली में नेशनल स्कीइंग प्रतियोगिता के आयोजन की जमकर सराहना करते हुए औलम्पिक एसोशिएसन आॅफ इंडिया, उत्तराखण्ड औलम्पिक एसोशिएशन, आईटीबीपी और प्रशासन को बधाई दी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि औली के विश्व प्रसिद्ध स्कीईंग ढलानों को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के पूरे प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग और औलम्पिक एसोशिएसन आॅफ उत्तराखण्ड के प्रयास निश्चय ही शीतकालीन खेलों को विश्व मानचित्र में इस प्रमुख स्थान दिलाने में समर्थ होंगे।

क्षेत्रीय विधायक महेन्द्र भट्ट ने औली को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने हेतु आईओए और यूओए के प्रयासों के लिये धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि औली में हर वर्ष स्कीइंग प्रतियोगिताऐ होनी चाहिए। कहा कि औली की प्रसिद्व ढलानों में जहाॅ देश के कोने-कोने से आये खिलाडियों को अच्छा प्रशिक्षण मिलेगा वही स्थानीय खिलाडियों को भी इससे काफी कुछ सीखने को मिलेगा।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में भरपूर सम्भावनाएं है। कहा कि प्रदेश में साहसिक खेल गतिविधियों को बढाने तथा पर्यटन की सम्भावनाओं के लिए निरन्तर प्रयास किये जा रहे है। सीएस ने कहा कि पिछले वर्ष भी औली में फिस रेस के आयोजन के लिए पूरे प्रयास किये गये थे, लेकिन बर्फ न पडने के कारण गेम का आयोजन नही हो सका। उन्होंने कहा कि अन्तराष्ट्रीय मानकों के अनुसार औली में स्कीइंग प्रतियोगिताओं के लिए बेहतर स्लोप की सुविधा मौजूद है। उन्होंने कहा कि शासन की ओर से हर वर्ष औली में कोई न कोई खेल का आयोजन कराया जायेगा, ताकि राज्य और देश की प्रतिभाओें को पूर्ण विकसित होने का मौका मिले।
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि औली के 1300 मीटर स्नो स्लोप पर तीन दिवसीय नेशनल नाॅर्डिक एवं एल्पाईन स्कीइंग और स्नोबोर्डिंग प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। प्रतियोगिता के पहले दिन 1100 मीटर दूरी की सुपर जांइट सलाम स्नो रेस (सुपर जी) प्रतियोगिता संपन्न हुई। जिसमें एसएससीबी आर्मी टीम के देवेन्द्र गुरंग ने 55.66सेंकड में रेस पूरी कर पहला स्थान हासिल किया। जबकि हिमांचल प्रदेश की टीम के प्रतिभागी हीरा लाल ने 56.58 सेकंड में तथा एसएससीबी आर्मी के त्वेसिंह ने 57.03 सेकंण्ड में रेस पूरी करते हुए क्रमश दूसरा और तीसरा स्थान पर रहे। इससे पूर्व आईटीबीपी के जवानों ने औली स्की स्लोप पर अनके स्कीइंग खेल करतब भी दिखाये, जिसका दर्शकों ने जमकर आनंद उठाया। औली मे सुपर जी और क्रासकन्टी महिला और पुरूष वर्ग की स्कीइंग प्रतियोगिता संपन्न हुई।

उन्होंने बताया कि सुपर जे पुरूष वर्ग मे एसएससीबी आर्मी के देवेन्द्र गुरंग पहले, हिमाचल के हीरा लाल दूसरे, एसएससीबी आर्मी त्वेसिंग तीसरे स्थान पर रहे। महिला वर्ग मे संध्या, आंचल और वर्षा ने क्रमशः पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। ये तीनो हिमाचल के खिलाड़ी हैं। क्रासकन्टी 15 किलोमीटर स्कीइंग में पुरूष वर्ग में मन बहादुर गुरंग, रमीज अहमद, टी हुसैन ने क्रमशः पहला दूसरा.और तीसरा स्थान हासिल किया। ये तीनो खिलाड़ी एसएससीबी आर्मी के खिलाड़ी है। वही महिला वर्ग की क्रासकन्टी स्कीइंग में बबीता, भावना खोलिया तथा पार्वती खम्पा ने क्रमशः पहला दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया। ये तीनो खिलाड़ी आईटीबीपी टीम से है।
इस दौरान गढवाल मंडल आयुक्त डा. बीवीआरसी पुरूषोत्तम, उत्तराखण्ड ओलंपिक एशोसिएशन के महासचिव डी के सिंह, जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया, पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह, उत्तराखण्ड ओलंपिक एशोसिएशन के प्रवीण शर्मा, तकनीकि सलाहकार शिव पैनोली, आईटीबीपी स्कीइंग और माउंटनेयरिंग स्थान के प्राचार्य डीआईजी एस चैहान, नगर पालिका जोशीमठ के पूर्व अध्यक्ष रामकृष्ण सिंह रावत सहित गणमान्य नागरिक व जनप्रतिनिधि, देश विदेश से आये पर्यटक व स्थानीय लोग मौजूद रहे।

चमोली में चार किमी अंदर तक की चीनी सैनिकों ने घुसपैठ

चमोली में चीनी सैनिकों के घुसने की जानकारी मिली हैं। हालांकि चमोली डीएम ने इस बार से इंकार किया है। उनका कहना है कि इस बारे में सेना ही बता सकती है। जानकारी के मुताबिक बाड़ाहोती क्षेत्र में चीनी सैनिक चार किमी अंदर तक घुस गये है।

विदित हो कि इससे पहले भी चीन सैनिकों ने 26 जुलाई को भारतीय सीमा में घुसपैठ की थी। चमोली के बाड़ाहोती क्षेत्र में करीब डेढ़ सौ से दो सौ चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस आए थे। आइटीबीपी की अग्रिम चौकी रिमखिम पर तैनात जवानों से नियमित गश्त के दौरान उनका सामना हुआ था। आइटीबीपी जवानों के देखते ही चीनी सैनिकों का दल लौट गया था।

जोशीमठ से 105 किलोमीटर दूर चमोली में चीन से जुड़ी भारतीय सीमा घुसपैठ की दृष्टि से संवेदनशील मानी जाती है। विशेषकर 80 वर्ग किलोमीटर में फैला बाड़ाहोती चारागाह। यहां स्थानीय लोग अपने मवेश्यिों को लेकर आते हैं। जून के दूसरे सप्ताह में इस क्षेत्र में दो चीनी हेलीकॉप्टर देखे गए थे। घटना के बाद प्रशासन का एक दल क्षेत्र का जायजा लेने भी गया था। इसके बाद जुलाई माह 18 जुलाई को प्रशासन का 17 सदस्यीय दल सीमावर्ती क्षेत्र का जायजा लेने रवाना हुआ था, लेकिन भारी बारिश के कारण रास्ते क्षतिग्रस्त होने से टीम 18 जुलाई को वापस आ गई थी। गौरतलब है कि वर्ष में चार बार प्रशासन की टीम बाड़ाहोती का जायजा लेने जाती है।

इससे पहले वर्ष 2014 में भी यहां चीन का विमान देखा गया था। इसके बाद जुलाई 2016 में क्षेत्र के निरीक्षण को गई राजस्व टीम से चीनी सेना का सामना हुआ था। सैनिकों ने टीम को लौट जाने का इशारा भी किया। इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भी भेजी गई थी। वर्ष 2015 में चीनी सैनिकों द्वारा चरवाहों के खाद्यान्न को नष्ट करने की घटना भी सामने आई थी।

फूलों की घाटी के दीदार को पहुंचे पर्यटक

फूलों की घाटी को पर्यटकों के लिये खोल दिया गया है। विश्व प्रसिद्ध यह घाटी में पर्यटकों की आमद हमेशा बनी रहती है। इस वर्ष फूलों की घाटी में जाने वाले पर्यटकों को रास्ते व घाटी में हिमखंड के दीदार कर रहे है। विदित है कि फूलों की घाटी में 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते है।

फूलों की घाटी में 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते है। 87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली फूलों की घाटी में जैव विविधता का खजाना है। फूलों की घाटी में हर 15 दिनों में अलग रंग के फूल खिलते हैं। इसलिए इसलिए फूलों की घाटी में पर्यटक बार-बार आने आवाजाही करते हैं। फूलों की घाटी को दो अक्टूबर 2005 को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया था।

फूलों की घाटी की खोज 1931 में कॉमेट पर्वतारोहण के बाद ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रेक स्मिथ ने की थी। वे घाटी की सौन्दर्य से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने ही इस पर वैली ऑफ फ्लावर किताब लिख कर फूलों की घाटी का नामकरण किया। फूलों की घाटी नेशनल पार्क के वन क्षेत्राधिकारी वृजमोहन भारती ने बताया कि फूलों की घाटी पयर्टकों के लिए खोल दी गई है।

फूलों की घाटी के लिए घाघरिया से तीन किमी पैदल चलकर पहुंचा जा सकता है। फूलों की घाटी यात्रा का बेस केंप घाघरिया है। गोविंदघाट से 14 किमी पैदल चलकर घांघरिया पहुंचा जा सकता है। इसके बाद भी लोगों को फूलों की घाटी से उम्मीदें हैं। आपदा में फूलों की घाटी का पैदल रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया था। वर्ष 2017 में फूलो की घाटी मे रिकार्ड तोड़ पर्यटक आए थे। वन विभाग को पर्यटको की अच्छी खासी आमद बढ़ने से आय में इजाफा हुआ था।

जल्द हटेगा अंग्रेजों कानून, पटवारी के बजाए पुलिस संभालेगी कानून व्यवस्था

अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड के लगभग बारह हजार गांवों में अंग्रेजों के बनाये कानून को दरकिनार करते हुये पर्वतीय जिलों में सभी जगह पुलिस थानों खोले जायेंगे।

दरअसल, अंग्रेजी हुकूमत के दौरान वर्ष 1816 में कुमाऊं के तत्कालीन ब्रिटिश कमिश्नर ने पटवारियों के 16 पद सृजित किए थे। इन्हें पुलिस, राजस्व संग्रह, भू अभिलेख का काम दिया गया था। साल 1874 में पटवारी पद का नोटिफिकेशन हुआ। रजवाड़ा होने की वजह से टिहरी, देहरादून, उत्तरकाशी में पटवारी नहीं रखे गए। साल 1916 में पटवारियों की नियमावली में अंतिम संशोधन हुआ। 1956 में टिहरी, उत्तरकाशी, देहरादून जिले के गांवों में भी पटवारियों को जिम्मेदारी दी गई।

वर्ष 2004 में नियमावली में संशोधन की मांग उठी तो 2008 में कमेटी का गठन किया गया और 2011 में रेवेन्यू पुलिस एक्ट अस्तित्व में आया। मगर गौर करने वाली बात यह कि रेवेन्यू पुलिस एक्ट बना तो दिया गया, लेकिन आज तक कैबिनेट के सामने पेश नहीं किया गया।

अंग्रेजों ने अपनी नीतियों के लिहाज से राजस्व वसूली और कानून व्यवस्था संभालने के लिए दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में पटवारी पद सृजित किए थे। तब से लेकर आज तक पर्वतीय जिलों में इसके मुताबिक काम हो रहा है। इन जिलों में सिविल पुलिस नहीं है। हालांकि, उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पटवारियों ने ब्रिटिश कमिश्नर की नियमावली में संशोधन की मांग उठाई, मगर उनकी आवाज दबकर रह गई।
कैबिनेट मंत्री एवं प्रवक्ता राज्य सरकार मदन कौशिक का कहना है कि पर्वतीय राज्यों में पुलिस थाने खोलने के संबंध में आए हाइकोर्ट के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। इसके बाद सरकार इस दिशा में आगे कदम बढ़ाएगी।

इस संबंध में एडीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार का कहना है कि पर्वतीय जिलों में पुलिस थाने खोलने के संबंध में हाइकोर्ट के आदेश को पढने के बाद आगे कदम उठाए जाएंगे।

सीएम ने आईपीएस की कविता “ख्वाबों के खत“ का किया विमोचन

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता मिलन हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में तृप्ति भट्ट द्वारा रचित “ख्वाबों के खत“ नामक कविता संकलन का विमोचन किया। इस अवसर पर प्रख्यात कवि डॉ.हरिओम पंवार, प्रख्यात अदाकारा और कलाकार शबाना आजमी, कवि असीम शुक्ल और प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार रतूड़ी भी उपस्थित थे। ज्ञातव्य है कि तृप्ति भट्ट एक आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में चमोली जनपद की पुलिस अधीक्षक भी हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने तृप्ति भट्ट की सराहना की कि एक पुलिस अधिकारी के रूप में अपने व्यस्त दिनचर्या के बीच भी वे लेखन और कला के लिए समय निकालती हैं। उन्होंने कहा कि लेखन सदैव ही मानवीय संवेदनाओं को स्पर्श करता है और एक पुलिस अधिकारी के रूप में लेखन करना यह दर्शाता है कि अधिकारी एक संवेदनशील अधिकारी है। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा पुस्तक विमोचन के कुछ संस्मरणों को भी सुनाया। डॉ.हरिओम पंवार ने कहा कि यदि पुलिस अधिकारी एक कवि है तो उसके हाथों कभी अन्याय नहीं हो सकता और ऐसा अधिकारी कभी किसी दुर्बल को नहीं सताएगा। शबाना आजमी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भट्ट के कविता लेखन की सराहना की और जिस प्रकार से कविता संकलन में विभिन्न विषयों को स्पर्श किया गया है उसकी प्रशंसा भी की। पुलिस महानिदेशक ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को उनके कार्य क्षेत्र की एकरसता से बचाने और अपनी आत्मा पर से धूल झाड़ने के लिए कला से बेहतर कोई मौका नहीं मिलता। उन्होंने एसपी तृप्ति भट्ट की प्रशंसा की थी। उन्होंने अपने कैरियर के बहुत प्रारंभिक चरण में ही अपने कार्य के साथसाथ लेखन के क्षेत्र को भी चुना है।

माउंटेन रेजीमेंट के हवाले होगी उत्तराखंड की सीमाएं

भारतीय सीमाओं में चीन की लगातार घुसपैठ की खबरों के बीच अब सेना भी उत्तराखंड में सैन्य क्षमता बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत सेना सूबे में आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के साथ ही यहां अनमैन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी) तैनात करने की तैयारी कर रही है। साथ ही हैवी फायरिंग रेंज बनाने को भूमि भी तलाशी जा रही है। अब सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने राज्य में माउंटेन रेजीमेंट की स्थापना की बात कही है।
दून पहुंचे थल सेनाध्यक्ष ने कहा कि उत्तराखंड की सरहद, देश की किसी भी अन्य सीमा से कम या ज्यादा संवेदनशील नहीं है। हमारे पास यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त ताकत है कि यहां कोई घुसपैठ न हो। हम राज्य में माउंटेन रेजीमेंट स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं और इसके लिए काम चल रहा है।
माउंटेन रेजीमेंट की खासियत
विशेषज्ञ माउंटेन रेजीमेंट की खासियत शत्रु पर सीधे प्रहार की होती है। इसके जवान अत्याधुनिक हथियारों से लैस होते हैं। इसमें उन्हीं जवानों को लिया जाता है जो लंबे वक्त तक पहाड़ी और बर्फीले इलाकों में रहने के आदी होते हैं। इनको खास तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। ये चीते की तरह फुर्तीले और सबसे कम वक्त में सबसे तेज तरीके से किसी भी आपरेशन को अंजाम देने में सक्षम होते हैं।

ईद उल अजहा में नमाज को खुले गुरूद्वारे

जहां एक और धर्म, मजहब के नाम पर रार मची है। वहीं देवभूमि उत्तराखंड में धार्मिक सहिष्णुता की नजीर पेश हुई है। आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली जोशीमठ में गुरुद्वारे में ईद-उल-अजहा (बकरीद) की नमाज मुस्लिम भाईयों ने पढ़ी। बारिश और ठंड को देखते हुए गुरुद्वार प्रबंधन ने नमाज पढ़ने के लिए गुरुवारे के द्वार खोल दिए।
जानकारी के अनुसार चमोली जिले के जोशीमठ में रात भर से भारी वर्षा और ठंड हो रही है। ईद के मौके पर मुस्लिम समाज के लोग नमाज पढ़ना चाहते थे। लेकिन भारी बारिश से खुले मैदान में नमाज पढ़ना मुश्किल हो रहा था। लगभग 600 लोग नमाज अता करने के लिए गांधी मैदान की तरफ आ रहे थे। बारिश और ठंड को देखते हुये जोशीमठ के गुरुद्वारे प्रबंधक ने मुस्लिम भाईयों से गुरुद्वारे में नमाज अता करने के लिए आमंत्रित किया। सभी मुस्लिम समाज के लोगों ने यहां गुरुद्वारे में नमाज पढ़ी। यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईद-उल-अजहा की नमाज पढ़ी। इस दौरान देश की एकता और तरक्की की दुआ मांगी गई। नमाज के बाद अन्य धर्म के लोगों ने भी ईद की मुबारक दी और एक दूसरे के गले लगे।

डेरा प्रमुख के बहाने चीन ने कसा भारत पर तंज, कहा भारत पहले अपने आंतरिक मामले सुझलाए

चीन अब डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के मामले में भी कूद पड़ा है और भारत पर तंज कसते हुए कहा है कि वह पहले अपने आंतरिक मामले सुलझा ले।
ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में कहा गया है कि भारत पहले अपने आंतरिक मामलों को सुलझाए। उसमें यह भी कहा गया है कि डेरा सच्चा सौदा की लोकप्रियता और ताजा हिंसा ने भारत की राजनीतिक और सामाजिक समस्या को सबके सामने लाकर रख दिया है।
लेख के जरिए चीन एक बार फिर अपना पुराना राग भी अलापा है। इसमें भारतीय जवानों को वापस बुलाने की मांग की गई है। गौरतलब है कि डोकलाम को लेकर पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई। जब चीन ने भारतीय जवानों पर सिक्किम सीमा पार करने और डोकलाम में चल रहे एक सड़क निर्माण के काम में बाधा डालने का आरोप लगाया। इस विवाद को दो महीने से ज्यादा समय हो गए और चीन लगातार भारत से अपने जवानों को वापस बुलाने की मांग कर रहा है।
राम रहीम का जिक्र करते हुए लेख में लिखा गया है कि पिछले हफ्ते अपने साध्वियों के साथ दुष्कर्म मामले में एक धार्मिक गुरु को दोषी करार दिए जाने के बाद 36 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों जख्घ्मी हो गए। हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश, दिल्ली में हिंसा फैल गई है।
इस धर्म गुरु की जबरदस्त लोकप्रियता दर्शाती है कि भारत एक हाथी की तरह फंस गया है, जो परंपरा और आधुनिकता की मुश्किल से जूझ रहा है। भारतीयों ने दुनिया में हमेशा अपने देश को पवित्रता का गढ़ बताया है, मगर अंधविश्वास और दकियानूसी परंपरा वाली सोच उसके आधुनिकीकरण में मुश्किल बनी है। हम चिंतित हैं कि भारत आंतरिक हिंसा से ध्यान भटकाने के लिए डोकलाम विवाद का इस्तेमाल कर सकता है। राम रहीम की घटना दर्शाती है कि भारत की जनता देश की पारंपरिक राजनीति से मायूस है। बड़ी संख्या में ऐसे नाखुश भारतीय गैर-पारंपरिक धार्मिक गुटों की ओर जा रहे हैं।