अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में हिंदू पक्ष के वकील के परासरन को बनाया ट्रस्टी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए नवगठित ट्रस्ट को एक रूपए का दान किया है। गृह मंत्रालय में अवर सचिव ने सरकार की ओर से यह राशि दी। ट्रस्ट बिना किसी शर्त के दान, अनुदान, चंदा, मदद या योगदान नकद, अचल संपत्ति के तौर पर स्वीकार करेगा।
अयोध्या विवाद में हिंदू पक्ष के मुख्य वकील रहे 92 वर्षीय के परासरन को राम मंदिर ट्रस्ट में ट्रस्टी बनाया गया है। परासरन के अलावा इस ट्रस्ट में एक शंकराचार्य समेत पांच सदस्य धर्मगुरु ट्रस्ट में शामिल हैं। साथ ही अयोध्या के पूर्व शाही परिवार के राजा विमलेंद्र प्रताप मिश्रा, अयोध्या के ही होम्योपैथी डॉक्टर अनिल मिश्रा और कलेक्टर को ट्रस्टी बनाया गया है।
बतादें कि 30 साल पहले केंद्र की तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी सरकार की अनुमति के बाद 9 नवंबर 1989 को प्रस्तावित राममंदिर की नींव पड़ी थी। शिलान्यास के लिए पहली ईंट विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन संयुक्त सचिव कामेश्वर चौपाल ने रखी थी। चौपाल का नाता बिहार से है और वे दलित समुदाय से आते हैं।
पांच एकड़ जमीन पर बनेगी मस्जिदः योगी सरकार
पीएम के एलान के कुछ देर बाद ही यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक हुई। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि अयोध्या मुख्यालय से 18 किमी दूर ग्राम धानीपुर, तहसील सोहावल रौनाही थाने के 200 मीटर के पीछे पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने के लिए मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी। यह जमीन लखनऊ-अयोध्या हाईवे पर अयोध्या से करीब 22 किमी पहले है।

10 करोड़ रूपए की लागत से तैयार हो रहा ट्रांजिट कैंप

विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा जाने वाले पर्यटकों के लिए पर्यटन विभाग की भूमि पर ट्रांजिट कैंप- रजिस्ट्रेशन कार्यालय का निर्माण कार्य इन दिनों तीव्र गति से जारी है। इसे पर्यटकों की मूलभूत सुविधाओं को ध्यान में रखकर 10 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है। कार्यदायी संस्था के अनुसार कैंप का कार्य अगले वर्ष 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा।

2013 की आपदा के बाद राज्य सरकार ने यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए ट्रांजिट हॉस्टल योजना पर काम करना शुरू किया। चंद्रभागा और गोपालनगर से लगती 3.70 हेक्टेअर वन भूमि को जनवरी 2019 में पर्यटन विभाग को ट्रांसर्फर किया गया। करीब साल बीतने के बाद आखिरकार पिछले कुछ दिनों पूर्व कार्यदायी संस्था बिडकुल ने यहां में काम शुरू कर दिया है। वर्तमान में 45 मीटर लंबी और चौड़ी बिल्डिंग निर्माण के लिए खुदाई का कार्य पूरा हो चुका है। बिडकुल के जेई राहुल ने बताया कि पर्यटन विभाग के निर्देश पर ट्रांजिट कैंप का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। मौसम आदि का कोई व्यवधान नहीं हुआ तो जुलाई 2021 तक ट्रांजिट कैंप का कार्य पूरा हो जाएगा।

ट्रांजिट कैंप का निर्माण भूतल, प्रथम और घ्द्वितीय तल में होगा। इसमें भूतल में दो मल्टीपल टिकट काउंटर होंगे। इसमें महिला, पुरूष के अलावा सिनियर सिटीजन और विकलांगों के लिए अलग से सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अलावा इसी तल में बैंक व एटीएम सुविधा भी उपलब्ध होगी। पर्यटन विभाग और चारधाम यात्रा से जुड़ा संयुक्त रोटेशन का कार्यालय भी यहां होगा। प्रथम तल में दुकानें लगेंगी। इन दुकानों में यात्रियों के लिए भोजन आदि सुविधाएं उपलब्ध होंगी। द्वितीय तल मेें यात्रियों के लिए ठहरने की व्यवस्था होगी। करीब एक समय में 150 यात्री यहां ठहर सकेंगे। इसके अलावा यहां 250 बसों के लगभग पार्किंग की सुविधा भी होगी।

प्रयागराज कुम्भ मेले की तरह होंगी हरिद्वार कुंभ मेले की व्यवस्थाएंः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में कुम्भ मेला-2021 की तैयारियों के संबंध में बैठक संपन्न हुई। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मेलाधिकारी प्रयागराज कुम्भ मेला 2019 श्री विजय किरन आनन्द ने प्रयागराज कुम्भ मेला 2019 हेतु की गई तैयारियों पर प्रस्तुतीकरण दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2021 में होने जा रहे कुम्भ मेले में 15 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की सम्भावना है। इतनी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कुम्भ क्षेत्र का विस्तार किया जाना आवश्यक है। उन्होंने अवस्थापना संबंधी कार्यों जैसे सडक, विद्युत, पेयजल आपूर्ति, कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने, चिकित्सा सुविधा, स्वच्छता व कूड़ा निस्तारण, आवासीय व पार्किंग व्यवस्था व कुम्भ मेला क्षेत्र विस्तार योजना पर तेजी से कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को सभी आवश्यक व्यवस्थाएं समय से सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी सेक्टर ऑफिसर्स को भी शीघ्र तैनात करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रयागराज में आयोजित कुम्भ पूर्ण रूप से सफल रहा था। उन्होंने प्रयागराज कुम्भ 2019 का अध्ययन एवं मेलाधिकारी श्री विजय किरन आनन्द के अनुभवों की सहायता से कुम्भ 2021 को सफल बनाने हेतु हर सम्भव प्रयास किये जाने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी आवश्यक शासनादेश भी शीघ्र जारी करने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश, मेलाधिकारी कुम्भ मेला 2021 दीपक रावत, महानिदेशक पुलिस अशोक कुमार, सचिव अमित नेगी, दिलीप जावलकर एवं सौजन्या सहित शासन के उच्चाधिकारी भी उपस्थित थे।

रानी लक्ष्मीबाई चौक के नाम से जाना जाएगा चौदहबीघा चौक

यत्र नारिस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता, जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते है। लोगों में नारियों के प्रति सम्मान जगाने के लिए चौदहबीघा पुल चौक पर 10 फीट ऊंची रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा लगाने जा रही है। इससे चौदहबीघा पुल चौक को भी रानी लक्ष्मीबाई चौक के रूप में भी पहचान मिलेगी। इस वहन नगर पालिका मुनिकीरेती करेगी।

नगर पालिका परिषद मुनिकीरेती-ढालवाला के वार्ड संख्या सात के सभासद गजेन्द्र सजवाण ने बताया कि वर्तमान में नारियों के प्रति सम्मान लोगों में कम हो रहा है, जबकि देश को आजाद कराने में नारियों की भी अहम भूमिका रही है। यही बात पर उन्होंने अपने वार्ड में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाली वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा लगाने की ठानी और बोर्ड की पहली ही बैठक में इसका प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव को पालिकाध्यक्ष रोशन रतूड़ी सहित बोर्ड के सभी सदस्यों ने सर्व सहमति से पास कर दिया। बैठक में तय हुआ कि प्रतिमा 10 फीट ऊंची रहेगी और इसे चौदहबीघा पुल चौके समीप लगाया जाएगा। प्रतिमा का निर्माण जयपुर राजस्थान में किया जा रहा है।

सभासद ने बताया कि प्रतिमा लगाने का मकसद प्रत्येक नागरिक खासतौर पर युवाओं में नारियों के प्रति सम्मान जगाना है। उन्होंने बताया कि प्रतिमा के चारों और फैंसी लाइटें लगाई जाएंगी। इससे यह सेल्फी प्वाइंट के रूप में भी विकसित हो सकेगा। उन्होंने बताया कि प्रतिमा लगाने में करीब 15 लाख रुपए खर्च होंगे। सभासद गजेन्द्र सजवाण ने प्रतिमा लगाने के लिए पालिकाध्यक्ष रोशन रतूड़ी और अधिशासी अधिकारी बद्री प्रसाद भट्ट का आभार व्यक्त किया है।

सीता माता मंदिर निर्माण को बनेगा राज्य स्तरीय ट्रस्ट, सीएम होंगे अध्यक्ष

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को सचिवालय में सीतोंस्यू में सीता माता मंदिर बनाये जाने के सबंध में बैठक ली। सीता माता के मन्दिर निर्माण के लिए एक राज्य स्तरीय ट्रस्ट बनाया जायेगा, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मंदिर धार्मिक संस्थाओं एवं जन सहयोग से बनाया जाएगा। इस मन्दिर के लिए सीता माता से जुड़े सभी स्थानों की शिला, मिट्टी एवं जल लाया जायेगा साथ ही उत्तराखण्ड के सभी 13 जनपदों से कुछ लोगों की कमेटी बनाकर उत्तराखण्ड के मंदिरों की शिला एवं मिट्टी सीता माता मंदिर के लिए लाई जाएगी।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सीता माता मंदिर के समीप जटायु का मंदिर बनाया जायेगा। यह मंदिर ऐसे स्थान पर बनाया जायेगा, जहां से सीता माता मंदिर के दर्शन भी हों। सीतोंस्यू में जिस स्थान पर सीता माता ने समाधि ली थी, उस स्थान पर प्राचीन स्वरूप को वैसा ही रखा जायेगा। उन्होंने कहा कि देवप्रयाग से सीतासैंण तक श्रद्धालुओं के लिए आवागमन हेतु उचित व्यवस्थाएं की जाएंगी।

मुनिकीरेती नगर पालिका 100 फीट ऊंचे झंडे को फहराने जा रही

युवाओं में देश प्रेम की अलख जगाने के लिए नगर पालिका परिषद मुनिकीरेती-ढालवाला के सुमन पार्क में 100 फीट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ लगाने जा रही है। इस स्थान को पर्यटन स्थल का रूप देने के लिए सेल्फी प्वाइंट विकसित किया जाएगा। यहां राष्ट्रीय पशु, पुष्प, पक्षी, खेल तथा करेंसी की विशालकाय मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। अपनी तरह का यह अनूठा पर्यटन स्थल न सिर्फ राष्ट्र प्रेम बल्कि बच्चों में देश से जुड़ी अहम जानकारियों से रूबरू कराएगा।

पालिका की ओर से इसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं। नगर पालिका परिषद मुनिकीरेती-ढालवाला के अध्यक्ष रोशन रतूड़ी ने बताया कि यह सेल्फी प्वाइंट फरवरी तक तैयार हो जाएगा। बताया कि इस सेल्फी प्वाइंट का आइडिया दिल्ली के कनाट प्लेस से मिला। वहां 100 फीट ऊचे तिरंगे को देख सभी लोग अभिवादन कर रहे थे। इस दृश्य से लोगों के अंदर स्वतरू ही राष्ट्रप्रेम व्यक्त हो रहा था। बताया कि इसी को देखते हुए एक प्रस्ताव तैयार कर नगर पालिका बोर्ड की बैठक में रखा गया। प्रस्ताव पर सभी सदस्यों ने अपनी सहमति दी। पालिकाध्यक्ष के मुताबिक तिरंगा की छांव में विकसित होने वाले सेल्फी प्वाइंट को विकसित करने में करीब 14 लाख रुपये खर्च होंगे।

ये होगी सेल्फी प्वाइंट की खासियत
ढालवाला के सुमन विहार में लगने वाला 100 फीट ऊंचा झंडा राजस्थान में तैयार किया जा रहा है। इसे पैराशूट के कपड़े से तैयार किया जा रहा है। यह कपड़ा तुलनात्मक रूप से काफी हल्का, मजबूत और पक्के रंग का होता है। इस कारण यह ऊंचाई पर लहराता रहता है। झंडे को प्रत्येक छह माह में बदला जाएगा। इस ध्वज की लंबाई 30 मीटर तथा चौड़ाई 20 मीटर होगी। इस ध्वज को रात्रिकाल में आकर्षक बनाने के लिए चार बड़ी वॉर्म लाइटें लगाई जाएंगी, जो 400 वॉट की होंगी।

लखनऊ में बनाई जा रहीं मूर्तियां
झंडे के चारों तरफ राष्ट्रीय प्रतीकों को जगह दी जाएगी। इसके तहत राष्ट्रीय पहचान मोर, टाइगर, कमल, हॉकी, करेंसी की प्रतिमा लखनऊ में बनाई जा रही हैं। पालिकाध्यक्ष ने बताया कि इन राष्ट्रीय प्रतीकों को झंडे के चारों ओर लगाया जाएगा।

मानव बम से मिली दुर्गा मंदिर को उड़ाने की धमकी, डीआईजी ने कहा जो भी होगा कार्रवाई होगी

ऋषिकेश कोतवाली क्षेत्रांतर्गत श्री दुर्गा मंदिर को मानव बम से उड़ा देने की धमकी मिली है। इस मामले में पर्वतीय सांस्कृतिक एवं जन कल्याण समिति के नेतृत्व में मंदिर के पुजारी और श्रद्धालुओं ने एसडीएम से मिलने के बाद अज्ञात के खिलाफ तहरीर दी है।

इस पर डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने शरारत करने वाले लोगों को चिह्नित कर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जानकारी के अनुसार, बृहस्पतिवार की सुबह श्री दुर्गा मंदिर के पुजारी भूपेंद्र बडोनी रोजाना की तरह मंदिर के कपाट खोलने पहुंचे।

कपाट खोलकर देखा तो वहां एक पत्र पड़ा हुआ मिला। पुजारी ने पत्र उठाकर देखा तो उसमें दुर्गा मंदिर को मानव बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। तीन लाइन के पत्र के बीच आईएसआईएस लिखा हुआ है।

पुजारी ने तत्काल सूचना मंदिर समिति के अन्य पदाधिकारियों और पार्षद विपिन पंत को दी। सूचना पाकर सभी मंदिर पहुंचे और पत्र पढ़ा। इसके बाद सभी उप जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और एसडीएम प्रेमलाल को मामले में संज्ञान लेकर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की।

पार्षद विपिन पंत ने कहा कि इस तरह से धमकी देने का मामला पूर्व में कभी नहीं हुआ है। डीआईजी अरूण मोहन जोशी ने कहा कि पत्र डालने के पीछे किसकी शरारत है। पुलिस को ऐसे तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने को कहा गया है। इस घटना में जो भी संदिग्ध व्यक्ति मिलेंगे, उनका हस्तलेख मिलान किया जायेगा।

लोकतंत्र के प्रति देशवासियों का बढ़ा विश्वासः ओम बिरला

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने बुधवार को भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों एवं सचिवों के 79वें वार्षिक सम्मेलन का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारम्भ किया। भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों एवं सचिवों का उत्तराखण्ड में पहला सम्मेलन है।

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहां पूरी पारदर्शिता के साथ चुनाव होते हैं। लोकतंत्र के प्रति देशवासियों का विश्वास बढ़ा है, इसके परिणामस्वरूप 17वें लोक सभा चुनाव में 67.40 प्रतिशत मतदान हुआ। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि संसदीय सत्र में सभी सदस्यगणों को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका मिले। 17वीं लोक सभा के गठन के बाद पहला सत्र 37 दिन तक चला।, इसमें 35 विधेयक पारित हुए। इस दौरान एक दिन भी संसद की कार्यवाही स्थगित नहीं हुई। प्रश्नकाल एवं शून्यकाल में सदस्यों के अधिकतम प्रश्नों को रखने का मौका दिया। पहली बार निर्वाचित होने वाले सदस्यों को सदन में अधिक से अधिक बोलने के लिए आग्रह किया। पहले सत्र में संसद की 125 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी रही। दूसरे सत्र में भी सदस्यों को चर्चा करने के लिए पर्याप्त अवसर दिया गया, इस सत्र में भी 115 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी रही।

लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि 2021 में इस सम्मेलन को 100 साल पूरे होंगे, जबकि 2022 में भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनायेगा। हमारा प्रयास है कि लोकतंत्र के इन मंदिरों में सभी की जनता के प्रति जवाबदेही हो। विधानसभा सदन अधिक से अधिक चले इसके लिए भी इस सम्मेलन में चर्चा होगी। हमारा प्रयास होगा कि जो भी लक्ष्य निर्धारित करें, वह अवश्य पूर्ण हो।

सदन का अध्यक्ष एक अभिभावक की तरहः सीएम
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने इस सम्मेलन में प्रतिभाग कर रहे सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह पहला मौका है जब उत्तराखंड को इस तरह के आयोजन की मेजबानी मिली है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। एक स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र में आप जैसे लोगों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सदन का अध्यक्ष एक अभिभावक की तरह होता है। सदन में सबको अधिकतम अवसर देना, सबकी सुनने का दायित्व होता है, इसके लिए विशेष कौशल की जरूरत होती है, जिसका सभी बड़ी कुशलता से निर्वहन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जिस तरह लोक सभा में कार्य हो रहा है, वह एक ऐतिहासिक कार्य हो रहा है। लोकसभा अध्यक्ष श्री बिड़ला जी ने कुशलता से सदन को संचालित किया है। उत्तराखण्ड में भी विधानसभा अध्यक्ष जी ने विधानसभा में सदस्यों को अधिकतम प्रश्न उठाने का मौका दिया है।

उत्तराखंड धर्म एवं आध्यात्म का केंद्रः प्रेमचंद
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों एवं सचिवों को सम्मेलन पहली बार आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन में संविधान की दसवीं अनुसूची, शून्य काल सहित सभा के अन्य साधनों के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र का सुदृढ़ीकरण, क्षमता तथा निर्माण आदि विषयों पर चर्चा होगी। इस अवसर पर उन्होंने उत्तराखण्ड के धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक पहचान पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में जो भी मंथन होगा, उसके भविष्य में बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड विधानसभा को प्लास्टिक मुक्त किया गया है। उत्तराखण्ड गंगा, यमुना का उद्गम स्थल है, इसके साथ ही उत्तराखण्ड के चारों धामों सहित ऋषिकेश एवं हरिद्वार का पौराणिक काल से धार्मिक महत्व है। उत्तराखण्ड धर्म एवं आध्यात्म का केन्द्र रहा है। उत्तराखण्ड में नंदा देवी राजजात यात्रा का ऐतिहासिक महत्व है।

हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रशासन की टीम ने किया परमार्थ निकेतन का निरीक्षण, हुआ चौकाने वाला खुलासा

51 वर्षों से बिना लीज अनुबंध के परमार्थ निकेतन चल रहा है। इसका खुलासा शनिवार को हुई पैमाइश के बाद हुआ है। हाईकोर्ट के आदेश पर जिलाधिकारी पौड़ी धीरज गर्ब्याल ने प्रशासन की एक टीम को पैमाइश करने के लिए परमार्थ निकेतन भेजा। इस दौरान राजस्व, सिंचाई और वन विभाग के अधिकारियों ने परमार्थ निकेतन स्थित गंगा घाट की पैमाइश की। इस दौरान सामने 51 वर्ष पहले ही परमार्थ निकेतन की वन विभाग से हुई लीज डीड की अवधि समाप्ति वाली बात निकलकर आई।

हाईकोर्ट ने पौड़ी डीएम को सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे के मामले में 16 दिसंबर को रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने यह आदेश एक याचिका के बाद दिया है। याचिका में यह आरोप है कि परमार्थ निकेतन ने सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण किया है। पैमाइश के दौरान खुलासा हुआ कि वन विभाग ने परमार्थ निकेतन को 2.3912 एकड़ भूमि लीज पर दी थी। लीज की अवधि वर्ष 1968 में ही समाप्त हो चुकी है। इस तथ्य की पुष्टि राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक पीके पात्रो ने की है। उन्होंने बताया कि परमार्थ निकेतन का वन विभाग के साथ केवल 15 वर्षों का अनुबंध हुआ था, लेकिन लीज अनुबंध खत्म होने के बाद अफसरों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। पैमाइश करने वाली टीम में एसडीएम श्याम सिंह राणा, सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता सुबोध मैठाणी, रेंज अधिकारी धीर सिंह, पटवारी कपिल बमराड़ा शामिल थे।

परमार्थ निकेतन का भूमि संबंधी विवाद वीरपुर खुर्द में भी जोर पकड़ रहा है। दरअसल यहां परमार्थ की ओर से संचालित गुरुकुल भी वन विभाग की भूमि पर संचालित है। आरोप है कि निकेतन ने यहां 27 एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है। इस संदर्भ में पशुपालन विभाग ने भी कोर्ट में काउंटर दाखिल कर स्पष्ट किया है कि उक्त भूमि वन विभाग की है। इस मामले में डीएफओ देहरादून राजीव धीमान का कहना है कि परमार्थ निकेतन की ओर से वीरपुर खुर्द में संचालित गुरुकुल का लीज अनुबंध 1978 में समाप्त हो चुका है। फिलहाल यहां हुए अवैध कब्जे को खाली करवाने के मामले में अफसर अभी चुप्पी साधे हुए हैं। परमार्थ निकेतन के प्रभाव को देखते हुए अफसरों में भी कार्रवाई को लेकर संशय बना हुआ है।

उधर, टाईगर रिजर्व के निदेशक पीके पात्रों ने अनुसार केवल 15 वर्षों के लिए परमार्थ को लीज पर भूमि दी गई थी। वर्ष 1968 में परमार्थ निकेतन के साथ वन विभाग का लीज अनुबंध समाप्त हो गया था। वर्ष 2003 तक परमार्थ निकेतन टाईगर रिजर्व को कर शुल्क जमा करता रहा। लीज के नवीनीकरण के लिए आश्रम की ओर से कई बार कहा गया। वर्ष 1980 में वन अधिनियम के तहत लीज पर देने का प्रावधान खत्म कर दिया गया है। इस कारण लीज के नवीनीकरण का मामला रुक गया।

प्रकृति संरक्षण में सहायक है नमामि गंगेः किंग कार्ल-16 गुस्ताफ

बृहस्पतिवार को स्वीडन के किंग कार्ल-16 गुस्ताफ, क्वीन सिल्विया, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत व उत्तराखण्ड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने हरिद्वार के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन किया। बता दें कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नमामि गंगे के अंतर्गत 14 एमएलडी क्षमता का है तथा इसकी लागत 41.40 करोड़ रूपए है।

किंग कार्ल 16 गुस्ताफ ने कहा कि उन्हें यहां आकर बहुत ही प्रसन्नता हो रही है। भारत एवं भारत के लोगों में बहुत सी सम्भावनाएं हैं। उन्होंने गंगा नदी के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये किये जा रहे प्रयासों को सराहनीय बताते हुए नमामि गंगे प्रोजेक्ट की सफलता की कामना की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारत में प्रकृति और वन्यजीवन के संरक्षण के लिए किये जा रहे प्रयासों से प्रकृति के संरक्षण में सहायता मिलेगी।

गंगा की निर्मलता के लिए गम्भीरता से प्रयास किए जा रहे हैं
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने स्वीडन के किंग कार्ल 16 गुस्ताफ का उत्तराखण्ड आगमन पर स्वागत एवं अभिनन्दन करते हुए कहा कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गंगा की निर्मलता एवं अविरलता के क्षेत्र में ठोस पहल हुई। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार जलीय जीवों के लिए गम्भीरता से प्रयास कर रही है, जिसके अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं।

रसायनों के प्रयोग को कम करने की आवश्यकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि इतने कम समय में गंगा की निर्मलता के लिए सराहनीय कार्य हुए हैं। खेतों में प्रयोग किए जाने वाले रसायन का गंगा के प्रदूषण में महत्वपूर्ण भाग है, जिसे रोकने की जरूरत है। गंगा की निर्मलता को बनाये रखने के लिए औद्योगिक कचरे के उपचार की नितान्त आवश्यकता है। साथ ही, कृषि में इस्तेमाल होने वाले रसायनों के प्रयोग को अत्यधित न्यून करने की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री ने अपने आस-पास के नदी-नालों को स्वच्छ रखने में आमजन के सहयोग की अपील करते हुए कहा कि हमें सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग को बंद करके अपने प्रदेश के साथ ही देश को स्वच्छ बनाने में अपना सहयोग देना चाहिए।

उत्तराखण्ड में सीवेज ट्रीटमेंट प्लान के 34 प्रोजेक्ट्स में 23 प्रोजेक्ट्स पूर्ण
केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने स्वीडन के किंग कार्ल 16 गुस्ताफ एवं क्वीन सिल्वा का देवभूमि उत्तराखण्ड में स्वागत करते हुए कहा कि यह देवभूमि विश्व प्रसिद्ध पावन नदी गंगा का उद्गम स्थल भी है। उन्होंने कहा कि गंगा नदी भारत के 32 प्रतिशत भूभाग को सिंचित करती है और भारत की लगभग 42 प्रतिशत जनसंख्या को आजीविका का साधन उपलब्ध कराती है।

केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि गंगा नदी के संरक्षण के साथ ही स्वच्छ एवं अविरल बनाये रखने के लिए भारत सरकार द्वारा नमामि गंगे प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इस अभियान के अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। पृथ्वी की ईकोलॉजी एवं स्वस्थ नागरिक जीवन के लिए प्रोपर वेस्ट मैनेजमेंट की बहुत ही आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में सीवेज ट्रीटमेंट प्लान के 34 प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए हैं, जिनमें से 23 प्रोजेक्ट्स पूर्ण हो चुके हैं।

इससे पूर्व स्वीडन के किंग कार्ल-16 गुस्ताफ, क्वीन सिल्विया का जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट, देहरादून पहुंचने पर राज्य के प्रोटोकॉल मंत्री धनसिंह रावत ने स्वागत किया। यहां से किंग कार्ल-16 गुस्ताफ और क्वीन सिल्विया ऋषिकेश गए जहां उन्होंने प्रसिद्ध रामझूला पुल, गंगा माता मंदिर व स्नान घाट का भ्रमण किया एवं पूजा अर्चना भी की।