योगी सरकार ने श्रीकृष्ण की जन्मभूमि को किया तीर्थस्थल घोषित

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा के वृंदावन और बरसाना को पवित्र तीर्थस्थल बनाने का ऐलान किया है।
योगी आदित्यनाथ की यह सारी कवायद उत्तर प्रदेश में पर्यटन को और खासकर हिंदू धर्मस्थलों को बढ़ावा देने की दिशा में उठाए गए कदम के तौर पर भी देखा जा रहा है।

मांस-मदिरा का क्रय-विक्रय, सेवन प्रतिबंधित
वृंदावन और बरसाना को धार्मिक नगरी का दर्जा देने का मतलब होगा कि अब कृष्ण भक्तों की इस नगरी में मांस-मदिरा का न तो क्रय विक्रय हो सकेगा और न ही इनका सेवन किया जा सकेगा, बल्कि इसे अपराध माना जाएगा। कृष्ण लीला की इस नगरी को धार्मिक नगरी घोषित करने से कृष्ण भक्तों की बड़ी तादाद खुश है, क्योंकि यहां के लगभग सभी वैष्णव संगठन इसकी मांग करते रहे थे।
तीन दिन पहले ही योगी आदित्यनाथ ने चंदौली में कहा था कि उत्तर प्रदेश में सामान्य पर्यटन के साथ-साथ स्पिरिचुअल टूरिज्म की भी अपार संभावनाएं हैं और सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले दिनों में यूपी में पर्यटकों की संख्या में दस गुना बढ़ोत्तरी हो।

अधिसूचना जारी

मथुरा और वृंदावन को पवित्र तीर्थस्थल घोषित कर योगी ने यूपी को स्पिरिचुअल टूरिज्म स्टेट बनाने की दिशा में पहलकदमी शुरू भी कर दी है। इसके लिए सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। साथ ही धर्मार्थ कार्य विभाग को भी अवगत करा दिया है।

इस बात की जानकारी देते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मथुरा जिले का वृंदावन क्षेत्र भगवान कृष्ण की जन्मस्थली एवं भगवान कृष्ण तथा उनके बड़े भाई बलराम की क्रीड़ा स्थली के रूप में विश्वविख्यात है। साथ ही बरसाना राधा रानी की जन्मस्थली एवं क्रीड़ास्थली भी है। इन पवित्र स्थानों पर देश विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने एवं पुण्यलाभ के लिए आते हैं. इन तीर्थस्थलों के पौराणिक एवं पर्यटन की दृष्टि से इनके अत्यधिक महत्व को देखते हुए तीर्थस्थल घोषित किया गया है।
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चंडीगढ़ में ली शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज ने अंतिम सांसे

उत्तराखंड क्षेत्र से शंकराचार्य के पद पर सुशोभित होने वाले पहले संन्यासी शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम जी महाराज ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में अंतिम सांसे ली।
शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज भारत के बदरीनाथ तीर्थ के समीप जोशीमठ तीर्थ स्थित ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य थे। वर्ष 1993 से ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य पद पर आसीन माधवाश्रम महाराज ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में देह त्याग दिया। महाराज लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके पार्थिव शरीर को देर शाम तक ऋषिकेश स्थित दंडीबाड़ा आश्रम में लाया जाएगा। पार्थिव शरीर को ऋषिकेश स्थित दण्डीबाड़ा श्रीजनार्दन आश्रम में आम लोगों के दर्शनार्थ के लिए रखा जाएगा। इसके बाद विधि विधान के साथ आश्रम में जलसमाधि दी जाएगी। उनके अनुयायियों का तीर्थनगरी पहुंचने का क्रम शुरू हो गया है। स्वामी जी उत्तराखण्ड मूल से शंकराचार्य के पद पर सुशोभित होने वाले पहले संन्यासी थे। वे अखिल भारतीय धर्म संघ समेत विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के अघ्यक्ष एवं सदस्य रहे।
गढ़वाल मंडल के रूद्रप्रयाग जिले में जन्में थे शंकराचार्य माधवाश्रम महाराज
स्वामी माधवाश्रम महाराज का जन्म उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के अन्तर्गत बेंजी ग्राम में हुआ था। इनका मूल नाम केशवानन्द था। आरम्भिक विद्यालयी शिक्षा के पश्चात इन्होंने हरिद्वार, अम्बाला में सनातन धर्म संस्कृत कॉलेज, वृंदावन में बंशीवट में श्री प्रभुदत्त ब्रह्मचारी जी के आश्रम एवं वाराणसी समेत देश के विभिन्न स्थानों पर वेदों एवं धर्मशास्त्रों की दीक्षा ली। विवाह के उपरान्त कुछ वर्ष पश्चात इन्होंने संन्यास ग्रहण किया। इनकी विद्वता को देखते हुए धर्म संघ के तत्वाधान में धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी के आशीर्वाद से जगन्नाथ पुरीपीठ के तत्कालीन शंकराचार्य स्वामी निरंजनदेव तीर्थ जी ने इन्हें ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य नियुक्त किया। तब से वे इस परम्परा का बखूबी पालन कर रहे थे। स्वामी माधवाश्रम महाराज धर्मप्रचार एवं गौहत्या विरोधी विभिन्न आंदोलनों एवं संगठनों से जुड़े थे।

कथा के श्रवण को दक्षिण भारत से पहुंचे हजारो लोग

तीर्थनगरी ऋषिकेश में सनातन धर्म के श्रुति धर्मगं्रथ उपनिषद कथा का भव्य शुभारंभ हुआ। कथा में दक्षिण भारत से हजारों लोंगों का दल यहां पहुंचा।
परमार्थ निकेतन गंगातट पर कथा का भव्य शुभारंभ आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी असंगानंद सरस्वती महाराज, आश्रम परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज व दक्षिण भारत से आए कथा व्यास नेच्चुर वेंकटरमण ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी असंगानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि आत्मा ही सबसे बड़ा तीर्थ है। आत्मा ही सत्य है। मन यदि स्वच्छ होगा तो आत्मा भी पवित्र होगी और जब आत्मा पवित्र होती है तब हम परमात्मा की प्राप्ति का लक्ष्य अतिशीघ्र हासिल कर लेते हैं। आश्रम परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि हिमालय की धरती आरण्यक संस्कृति है। इस धरती ने हमारी सभ्यता, संस्कृति एवं संस्कारों को जन्म दिया है। पूरे विश्व को वसुधैव कुटुंबकम का मंत्र दिया व सर्वे भवंतु सुखिनरू की संस्कृति दी। आज उसी धरती पर उपनिषदों के गहन ज्ञान की धारा प्रवाहित हो रही है। कथा व्यास नेच्चुर वेंकटरमण के सानिध्य में यह कथा सात दिनों तक आयोजित होगी। इस अवसर पर आश्रम परिवार ने कथा व्यास वेंकटरमण को शिवत्व का प्रतीक रुद्राक्ष का पौधा भी भेंट किया।

हिन्दुत्व की रक्षा में स्वामी दयानंद का अहम योगदान

स्वामी दयानंद आश्रम, ऋषिकेश में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल डॉ.कृष्ण कांत पाल व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी दयानंद सरस्वती जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। राज्यपाल ने स्वामी जी की पुण्य स्मृति में नमन करते हुए कहा कि पूज्य स्वामी दयानंद सरस्वती जी ज्ञान, दर्शन व आध्यात्मिकता की अद्भुत मिसाल थे। अध्यात्म के साथ ही मानव जाति की सेवा में भी उनका अविस्मरणीय योगदान रहा है। स्वामीजी ने ज्ञानदर्शन व सेवा भाव का जो रास्ता हमें दिखाया है, उस पर चलकर ही मानव कल्याण सम्भव है। मेरा परम सौभाग्य है कि सितम्बर 2015 में प्रधानमंत्री के साथ आश्रम में आने पर मुझे स्वामीजी का आर्शीवाद मिला था। राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने पूज्य स्वामी जी द्वारा समयसमय पर विभिन्न अवसरों पर दिए गए व्याख्यानों व व्यक्त किए गए विचारों के संकलन पर आधारित ग्रन्थ का विमोचन भी किया। राज्यपाल ने इसे पुनित कार्य बताते हुए कहा कि ये ग्रन्थ समाज का दिशा निर्देश करने के साथ ही मानव उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान करेगा। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है। अन्य समकालीन सभ्यताओं में से बहुत सी सभ्यताएं पूरी तरह समाप्त हो चुकी हैं। यह भारतीय सभ्यता ही है जो कि 5 हजार वर्षों से अपना मौलिक स्वरूप बनाए हुए है। धर्म, अध्यात्म व मूल्य आधारित व्यवस्था ही वे ताकतें हैं जिनके कारण भारतीय सभ्यता सदियों से कभी न रूकने वाली धारा की तरह लगातार प्रवाहित हो रही है। राज्यपाल ने कहा कि हमारे ऋषिमुनियों व विद्वानों के हजारों वर्षों के गहन चिंतन से रचित वेद, उपनिषद, महाकाव्य, पुराण आदि महान मार्गदर्शी रचनाएं, मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं। हमारा दायित्व है कि हम अपने अध्यात्म, ज्ञान व दर्शन की विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए संजो कर रखें। विश्व शांति, विश्व कल्याण और विश्वबंधुत्व की भारतीय दर्शन की अवधारणा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पूरी दुनिया के लिए और भी अधिक प्रासंगिक हो गई है। वेदांतों में वर्णित ज्ञान से सम्पूर्ण मानवता का कल्याण सम्भव है। स्वामी दयानंद सरस्वती जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि भारत, भारतीयता एवं हिन्दुत्व की रक्षा में स्वामी जी का योगदान भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में स्वीकार्य है। जब भारत एवं भारत की संस्कृति की बात होती है तो उनका स्मरण स्वाभाविक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी परम्परा आदि शंकराचार्य से प्रारंभ हुई, जिसे अग्रदूत के रूप में आगे बढ़ाने का कार्य स्वामी जी ने किया। आज उनके लाखों भक्त इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भारत की संस्कृति में प्रहार हो रहे हैं। स्वामी जी के अनुयायी निश्चित रूप से ऐसा नहीं होने देंगे। मैं इस अवसर पर स्वामी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उनके द्वारा दिया गया ज्ञान हम सब का आगे भी मार्गदर्शन करता रहेगा।

भगवान विश्वकर्मा के पूजन से मिलता है फल

रावण की सोने की लंका बनाने वाले भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पूरी तन्मयता के साथ पूजा करने से भगवान विश्वकर्मा खुश होते हैं और अपने भक्तों पर अपना आर्शीवाद हमेशा बनाये रखते है।
शास्त्रों के मुताबिक हिन्दू धर्म में भगवान् विश्वकर्मा को निर्माण, सृजन का देवता माना जाता है। विश्वकर्मा ने ही सृष्टि का निर्माण, रावण की सोने की लंका, पुष्पक विमान का निर्माण, कर्ण का कुण्डल, विष्णु जी का सुदर्शन चक्र, शिव जी का त्रिशूल और यमराज का कालदण्ड जैसी तमाम वस्तुओं का निर्माण किया था। जिससे इन्हें देवताओं के इंजीनियर के रूप में जाना जाता है। विश्वकर्मा जंयती पर निर्माण कार्य में प्रयोग होने वाले सभी औजारों और मशीनों जैसे कंप्यूटर, संयंत्रों, मशीनरी से जुड़े दूसरे उपकरणों व वाहनों की पूजा की जाती है।
भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर उनकी पूजा और यज्ञ करना अनिवार्य माना जाता है। इस पूजा में बैठने से पहले स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करने के बाद एक चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित करें। इसके पश्चात अपने दाहिने हाथ में फूल, अक्षत लेकर मंत्र पढ़े और अक्षत को चारों ओर छिड़के दें और फूल को जल में छोड़ दें। इस दौरान इस मंत्र का जाप करें। ऊं आधार शक्तपे नमः और ऊं कूमयि नमः, ऊं अनन्तम नमः, ऊं पृथिव्यै नमः। इसके बाद हाथ रक्षासूत्र मौली या कलावा बांधे। भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करने के बाद उनकी विधिवत पूजा करें। पूजा के बाद विविध प्रकार के औजारों और यंत्रों आदि को जल, रोली, अक्षत, फूल और मिठाई से पूजें। तत्पश्चात हवन करें।

अब फर्जी बाबाओं का सामूहिक बहिष्कार होगा, ये बाबा हैं लिस्ट में..

डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत को दुष्कर्म मामलों में 20 साल जेल की सजा होने के बाद अब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने 11 बाबाओं को फर्जी मानते हुए उनकी सूची तैयार की है। इस सूची में आसाराम, राधे मां व निर्मल बाबा के भी नाम हैं। बताया जा रहा है कि यह सूची 10 सितंबर को इलाहाबाद के मठ बाघंबरी गद्दी में बुलाई गई बैठक में सार्वजनिक की जाएगी। बैठक में उनके सामूहिक बहिष्कार का भी फैसला किया जाएगा। परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि फर्जी धर्मगुरुओं से सनातन धर्म के स्वरूप को काफी नुकसान पहुंचा है। हम फर्जी धर्मगुरओं की सूची बनाकर उसे केंद्र व सभी राज्य सरकारों, चारों पीठ के शंकराचार्य व 13 अखाड़ा के पीठाधीश्वरों को भेजकर सामूहिक बहिष्कार करेंगे। उन्होंने बताया कि सूची में शामिल शमिल फर्जी बाबाओं को कुंभ, अर्द्वकुंभ और अन्य धार्मिक मेलों में सरकारी सुविधा न मिले, यह पहल भी होगी।
सूची में ये हैं फर्जी बाबा
आसाराम बापू, नारायण साई, इच्छाधारी भीमानंद, राधे मां, बाबा ओमानंद, निर्मल बाबा, रामपाल, गुरमीत राम रहीम, बाबा ओम नमरू शिवाय, स्वामी अच्युतानंद तीर्थ और योगी सत्यम।

ईद उल अजहा में नमाज को खुले गुरूद्वारे

जहां एक और धर्म, मजहब के नाम पर रार मची है। वहीं देवभूमि उत्तराखंड में धार्मिक सहिष्णुता की नजीर पेश हुई है। आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली जोशीमठ में गुरुद्वारे में ईद-उल-अजहा (बकरीद) की नमाज मुस्लिम भाईयों ने पढ़ी। बारिश और ठंड को देखते हुए गुरुद्वार प्रबंधन ने नमाज पढ़ने के लिए गुरुवारे के द्वार खोल दिए।
जानकारी के अनुसार चमोली जिले के जोशीमठ में रात भर से भारी वर्षा और ठंड हो रही है। ईद के मौके पर मुस्लिम समाज के लोग नमाज पढ़ना चाहते थे। लेकिन भारी बारिश से खुले मैदान में नमाज पढ़ना मुश्किल हो रहा था। लगभग 600 लोग नमाज अता करने के लिए गांधी मैदान की तरफ आ रहे थे। बारिश और ठंड को देखते हुये जोशीमठ के गुरुद्वारे प्रबंधक ने मुस्लिम भाईयों से गुरुद्वारे में नमाज अता करने के लिए आमंत्रित किया। सभी मुस्लिम समाज के लोगों ने यहां गुरुद्वारे में नमाज पढ़ी। यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईद-उल-अजहा की नमाज पढ़ी। इस दौरान देश की एकता और तरक्की की दुआ मांगी गई। नमाज के बाद अन्य धर्म के लोगों ने भी ईद की मुबारक दी और एक दूसरे के गले लगे।

बाबा के वकील सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में जाने की तैयारी!

रेप केस में दोषी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के लिए सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सजा का ऐलान कर दिया है। उसे दो अलग-अगल मामलों में बीस साल की सजा सुनाई गई है। सजा पर बहस पूरी होने के बाद राम रहीम जज के सामने रहम की भीख मांगने लगा। इस केस की सुनवाई के लिए रोहतक जेल के अंदर कोर्ट रूम बनाया गया था। बलात्कारी बाबा राम रहीम को सीबीआई कोर्ट द्वारा बीस साल की सजा दिए जाने पर लोग अपनी खुशी तो जता रहे हैं लेकिन वो ये भी चाह रहे हैं कि उसे फांसी की सजा दी जाती तो ज्यादा बेहतर होता। खुद बलात्कारी राम रहीम के वकील ने बताया, ‘हम पूरे फैसले को विस्तार से पढ़ेंगे और हाईकोर्ट में अपील करेंगे। कोर्ट राम रहीम को अलग-अलग मामलों में दस-दस साल की सजा सुनाई है। 30 लाख का जुर्माना लगाया है। राम रहीम को कुल बीस साल की सजा दी गई है जो उन्हें लगातार नहीं काटनी होगी।’ बलात्कारी बाबा के वकील एसके नरवाना ने आगे बताया कि राम रहीम को धारा 376 और 506 के तहत ये सजा सुनाई गई है।

वीडीओ वायरल, हम बुरी सोच नही रखते
ऐसे में बलात्कारी बाबा राम रहीम का एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है। जिसे फेसबुक पर एक यूजर्स ने शेयर किया है। वीडियो शेयर किए जाने के बाद से ही इस चंद घंटों में 64 हजार लोग देख चुके हैं। जबकि दो हजार से ज्यादा लोगों ने वीडियो को शेयर किया है। वीडियो में राम रहीम से रिपोर्टर द्वारा एक सवाल पूछा गया है। रिपोर्टर पूछते हैं कि बाबा आप सभी काम करते हो। आप डांस करते हो। गाना गाते हो। वो कौन सी चीज है जो आप नहीं करते हैं? जिसका जवाब देते हुए राम रहीम ने कहा, ‘बस हम बुरी सोच कभी नहीं रखते हैं और बुरा काम कभी नहीं करते। बाकि हर काम कर लेते हैं।’ वहीं वीडियो पर कई यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। हर्षवीर सिंह लिखते हैं, ‘ जहां पूरी राजनीति एक बाबा के चरणों मे नतमस्तक हैं वहां आप जैसे वीर आईपीएस का ये कटाक्ष काबिल ए तारीफ हैं।’ राम लिखते हैं, ‘मेरा बस चले तो ऐसे बाबाओं को बीच सड़क पर लटकाकर गोली मार दूं।’ विजय लिखते हैं, ‘आम लोगों का अंधविश्वास ही इन बाबा लोगो को प्रोत्साहन देता है। और एक दिन कोई भी बाबा इसका फायदा उठाकर मानवता को शर्मासर करने वाले कार्य को अंजाम देता है।’

घसीट कर ले गए कोर्ट रुम से बाहर
रोहतक जेल में 20 साल की कैद की सजा सुनाए जाने के बाद भी बलात्कारी बाबा कोर्ट रूम से बाहर नहीं जा रहा था। वो लगातार जज जगदीप सिंह से रहम की भीख मांग रहा था। वो बार-बार जज के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ा रहा था, मुझे माफ कर दो, गलती हो गई लेकिन जज का दिल नहीं पसीजा। इसके बाद गुरमीत राम रहीम सिंह कोर्ट रूम में ही बैठकर रोने लगा। इससे पहले उसने बीमारी का भी बहाना बनाया मगर कोर्ट रूम में पहुंची मेडिकल टीम ने जांच कर उसे मेडिकली फिट करार दे दिया। इसके बाद पुलिस के जवान उसे घसीटते हुए जेल के बैरक तक ले गए, जहां वो पिछले दो दिनों से कैदी नंबर 1997 बनकर रह रहा है। राम रहीम के वकील ने जज से गुजारिश की कि राम रहीम समाजसेवी हैं, इसलिए उन्हें माफी दी जाय। बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट को यह भी दलील दी कि बाबा ने स्वास्थ्य शिविर लगवाए, रक्त दान कैम्प लगवाए हैं। इस पर जज ने कहा, लगवाए होंगे और किए होंगे सामाजिक काम लेकिन उन्होंने बलात्कार भी किया है, इसलिए उन्हें सजा भी मिलेगी। इससे पहले जज ने दोनों पक्षों को अपनी-अपनी बात रखने के लिए 10-10 मिनट का वक्त दिया। सीबीआई के वकील ने मामले में अधिकतम सजा देने की मांग करते हुए राम रहीम को उम्रकैद देने की मांग की थी।

कुमॉउ में नंदा देवी मेले की है अलग पहचान

कुमॉउ का प्रसिद्ध मॉं नंदा देवी मेले की आज विधिवत शुरुआत हो गई। यह मेला इस लिए भी खास है कि कुमॉउ में मां नन्दा देवी को अपनी आराध्य माना जाता है। मॉं नंदा देवी मंदिर में आज मॉं नंदा सुनंदा की मूर्तियों के लिए लाये गये कदली वृक्षों का पूजन किया गया। मौके पर चंद वंष के वंषज केसी बाबा पूर्व सांसद नैनीताल ने पूजा सम्पन्न कराई। प्रदेष के पर्यटन, सिंचाई व संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने भी पूजा कार्यक्रम में षिरकत की। मॉं नंदा देवी मेला समिति के अध्यक्ष मनोज वर्मा ने बताया कि मॉं नंदा देवी उत्तराखण्ड की अधिष्ठात्री देवी के रुप में पूज्य है। अल्मोड़ा मॉं नंदा देवी मेला ऐतिहासिक पहचान रखता है। मेले को भव्य बनाने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।

जब्त गाड़ी से पुलिस को आपत्तिजनक सामान बरामद

पंचकूला में हुई हिंसा के दौरान पुलिस ने बाबा गुरमीत की कई संदिग्ध गाड़ियां जब्त की थी। जो फिलहाल पंचकूला के मनसा देवी पुलिस स्टेशन में खड़ी हैं। पुलिस ने जब इन गाड़ियों की तलाशी ली तो पाया कि यह लग्जरी गाड़ियों में ऐशगाह का वह सारा सामान है, जो किसी पांच सितारा होटल में होता है। पुलिस को गाड़ी में से कई आपत्तिजनक सामान भी मिले है। जिसमें महिलाओं के सेनेटरी नैपकिन भी शामिल हैं।
पुलिस के मुताबिक, हंगामे के दौरान पकड़ी गई इन गाड़ियों से जो चीजें मिली उससे पता चलता है कि बाबा को कैसे भगाना था। पुलिस थाने में मौजूद फायर ब्रिगेड की गाड़ी में एक 5/4 का बॉक्स मिला है। यह बॉक्स आमतौर पर किसी भी फायर टेंडर के अंदर नहीं होता है। इस बॉक्स में जांच करने के बाद सामने आया कि इसमें पेट्रोल डाला गया था। ये पेट्रोल वहीं से पानी में सप्लाई करना था और आग लगाई जानी थी। गाड़ियों में से कुछ हथियार भी मिले हैं। इन गाड़ियों में से कुछ लिफाफे मिले हैं जो साल 2017 के हथियारों के लिए यूज किए जाते हैं। लेकिन इसमें से हथियार गायब हैं। लग्जरी गाड़ियों में मिले सूटकेसों में कई कपड़े भी मिले हैं। इससे साफ होता है कि गुरमीत को भगाकर ले जाने के लिए प्लानिंग की गई थी। रामरहीम के काफिले से जब्त की गई इन गाड़ियों में महंगे पर्दे और सीट कवर लगाए गए थे। वहीं, सीटें आरामदायक सौफे की तरह थी।
साजिश के तहत कोर्ट में दोषी साबित होने के बाद गुरमीत सिंह को बाहर लाया गया, तो गुरमीत के गनमैनों ने एक आईपीएस अधिकारी के साथ हाथापाई की। वहीं पर बलात्कारी बाबा को भगाने की कोशिश की गई थी। इस दौरान कई गाड़ियों का काफिला डेरा मुखी के काफिले के पीछे भागा था। प्लानिंग के दौरान जब ये झगड़ा हो रहा था, इसी दौरान आदित्य सहित बाकी लोगों ने यहां सेक्टर 2/4 के चौक पर पहले से ही प्लांड प्रोग्राम के तहत दंगा करवा दिया था। प्लानिंग थी कि दंगा होने के बाद सारी पुलिस फोर्स का ध्यान पब्लिक पर हो जाएगा। पब्लिक भी अच्छी संख्या में है, जो पूरे जोश में थी। ऐसे में दंगा को फैलाने की साजिश करने वाले यहां दंगा होने पर वहां से निकल गए।