सीएम से मुलाकात कर बोला बेरोजगार संघ, युवाओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए सरकार ने लिया पारदर्शी निर्णय

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखंड बेरोजगार संघ व तकनीकी डिप्लोमा प्राप्त छात्रों के प्रतिनिधिमंडल ने भेंट की। इस अवसर पर प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया कि राज्य सरकार ने युवाओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायतों पर गंभीरता से संज्ञान लिया और संबंधित परीक्षा को निरस्त करने का निर्णय लिया।

संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार द्वारा परीक्षा की पारदर्शिता एवं निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम युवाओं में विश्वास और आशा का संचार करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जिस तत्परता और संवेदनशीलता के साथ इस मुद्दे पर कार्रवाई की, वह युवाओं के हित में एक ऐतिहासिक निर्णय है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार योग्यता और पारदर्शिता पर आधारित भर्ती प्रक्रिया के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार का स्पष्ट संदेश है कि उत्तराखंड में किसी भी भर्ती परीक्षा में भ्रष्टाचार, नकल या अनुचित साधनों के लिए शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं की मेहनत और प्रतिभा के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने नकल विरोधी कानून लागू कर परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में सशक्त कदम उठाया है। इस कानून के लागू होने से अब कोई भी व्यक्ति या संगठन परीक्षा प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास करेगा तो उसके विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार लगातार इस दिशा में कार्य कर रही है कि हर पात्र युवक-युवती को निष्पक्ष अवसर मिले और राज्य के सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूर्ण पारदर्शिता और विश्वास का माहौल स्थापित हो। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के युवाओं की मेहनत, लगन और ईमानदारी ही राज्य के भविष्य की सबसे बड़ी पूंजी है, और सरकार उनके हितों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर है।

संघ के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि भविष्य की परीक्षाओं में नकल-रोधी प्रावधानों को और अधिक सुदृढ़ किया जाए तथा भर्ती प्रक्रिया को समयबद्ध रूप से संचालित किया जाए। मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधियों के सुझावों की सराहना करते हुए कहा कि पारदर्शी भर्ती ही सुशासन की पहचान है, और राज्य सरकार इसी दिशा में निरंतर कार्य कर रही है।

इस अवसर पर बेरोजगार संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

कृषि मेले किसानों, वैज्ञानिकों और उद्यमियों के बीच नवाचार व ज्ञान के प्रसारित करने का माध्यमः धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पंतनगर विश्वविद्यालय में आयोजित 118वे अखिल भारतीय किसान मेले एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने पंतनगर विश्वविद्यालय द्वारा उत्पादित नवीन दलहनी प्रजातियों का लोकार्पण व पंतनगर प्रवाह नामक पुस्तक का विमोचन किया।

मेले में आयोजित रजत जयंती राज्य स्थापना गोष्ठी एवं संवाद कार्यक्रम में संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस वर्ष के किसान मेले और कृषि प्रदर्शनी में 400 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें से 200 से अधिक स्टॉल देश के विभिन्न राज्यों से आए कृषि क्षेत्र से जुड़े उद्योगों, स्टार्टअप्स और उद्यमियों द्वारा लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन मात्र कृषि उत्पादों और यंत्रों के प्रदर्शन तक सीमित नहीं होते, बल्कि ये किसानों, वैज्ञानिकों और उद्यमियों के बीच ज्ञान, अनुभव और नवाचार के आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण माध्यम भी होते हैं। इस प्रकार के कृषि मेलों के माध्यम से जहां एक ओर हमारे किसान भाई एक ही स्थान पर नवीनतम कृषि तकनीकों, उन्नत बीजों, आधुनिक यंत्रों और नई शोधों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, वहीं उन्हें विशेषज्ञों के अनुभवों से सीखने और अपने अनुभव साझा करने का अवसर भी मिलता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस मेले में प्रदर्शित की जा रही आधुनिक तकनीकों और नवाचारों के माध्यम से हमारे किसान भाई पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ नई वैज्ञानिक विधियों को अपनाकर अपनी खेती को और भी अधिक उत्पादक, टिकाऊ और लाभकारी बना पाएंगे। उन्होंने कहा कि जिससे न केवल उनकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि प्रदेश की कृषि व्यवस्था भी सशक्त और समृद्ध बनेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में आज भारत विकसित राष्ट्र के संकल्प को साकार करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसी संकल्प के साथ केंद्र सरकार द्वारा हमारे अन्नदाताओं की आय को दोगुना करने हेतु निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज, देशभर के 11 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के माध्यम से आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है, जिसके अंतर्गत उत्तराखंड के भी लगभग 9 लाख के करीब अन्नदाताओं को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए सहायता राशि प्रदान की जा रही है। आज जहां एक ओर सभी प्रमुख फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (डैच्) में अभूतपूर्व वृद्धि कर किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य प्रदान किया जा रहा है। वहीं, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से किसान को प्राकृतिक आपदाओं, फसल रोगों और कीटों से होने वाले नुकसान हेतु सुरक्षा कवच भी प्रदान किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के द्वारा खेतों की मिट्टी की वैज्ञानिक जांच कर किसानों को पोषक तत्वों की कमी और आवश्यक उर्वरकों की जानकारी भी दी जा रही है, जिससे उनकी उपज की गुणवत्ता और भूमि की उर्वरता दोनों में सुधार हो रहा है, और इसके साथ ही, किसान मानधन योजना, मिलेट मिशन, बागवानी विकास मिशन, कृषि यंत्र सब्सिडी, बूंदबूंद सिंचाई योजना, डिजिटल कृषि मिशन जैसी अनेकों योजनाओं द्वारा किसानों को लाभ पहुंचाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में कृषि को विकास का प्रमुख इंजन मानते हुए जहां एक ओर किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट को 3 लाख रुपये से बढाकर 5 लाख रुपये करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है, वहीं प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ सिंचाई और कृषि तकनीकों के विकास पर भी विशेष फोकस किया गया है। उन्होंने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने देश के अन्नदाताओं को बड़ी सौगात देते हुए 24 हजार करोड़ रुपये की पीएम धन धान्य कृषि योजना और दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु लगभग 11 हजार 500 करोड़ रुपये की लगात के दलहन उत्पादकता मिशन का शुभारंभ किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व और मार्गदर्शन में हमारी राज्य सरकार भी प्रदेश के किसानों के उत्थान एवं समृद्धि हेतु संकल्पित होकर निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि हम एक ओर जहां प्रदेश में किसानों को तीन लाख रुपए तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध करा रहे हैं, वहीं कृषि उपकरण खरीदने हेतु फार्म मशीनरी बैंक योजना के माध्यम से 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने किसानों के हित में नहरों से सिंचाई को पूरी तरह मुफ्त करने का काम किया है। साथ ही, हमने किसानों की आय बढ़ाने के लिए पॉलीहाउस के निर्माण हेतु 200 करोड़ रूपए की राशि का प्रावधान भी किया है। जिसके अंतर्गत अब तक राज्य में लगभग 115 करोड़ रुपए की सहायता से करीब 350 पॉलीहाउस स्थापित किए जा चुके हैं। इतना ही नहीं, हम जहां एक ओर गेहूं खरीद पर किसानों को 20 रूपए प्रति क्विंटल का बोनस प्रदान रहे हैं, वहीं हमने गन्ने के रेट में भी 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की है। उन्होंने कहा कि हमने उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा आधारित खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए लगभग 1,000 करोड़ रुपये की लागत से उत्तराखंड क्लाइमेट रिस्पॉन्सिव रेन-फेड फार्मिंग प्रोजेक्ट भी स्वीकृत किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार सब्जियों की तरह ही फलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी विभिन्न स्तरों पर काम कर रही है। हाल ही में हमारी सरकार ने 1200 करोड़ रुपये की लागत से नई सेब नीति, कीवी नीति, स्टेट मिलेट मिशन और ड्रैगन फ्रूट नीति जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू किया है। उन्होंने कहा कि इन नीतियों के तहत बागवानी को प्रोत्साहन देने के लिए किसानों को 80 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की जा रही है। हम किसानों की उपज की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए ग्रेडिंग सॉर्टिंग यूनिट के निर्माण के लिए भी अनुदान प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज इस अवसर पर मैं, आप सभी कृषि वैज्ञानिकों से आग्रह करना चाहता हूँ कि आप हमारी पारंपरिक कृषि व्यवस्था पर भी अनुसंधान करें, और जानें कि हमारे पूर्वजों ने हजारों वर्षों से अपनी कृषि सभ्यता को कैसे संरक्षित रखा, अपनी धरती की उर्वरकता को कैसे बनाए रखा और उत्पादन की गुणवत्ता को भी निरंतर सुनिश्चित किया। उन्होंने वैज्ञानिकों से आग्रह करते हुए कहा कि आप लोग अपने शोध कार्य और नवीनतम तकनीकी ज्ञान को शीघ्रता से किसानों तक पहुँचाएँ, ताकि ये ज्ञान उनके उत्पादन और आय में वृद्धि का माध्यम बन सके और हमारी कृषि अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के इस अवसर पर हम किसानों की प्रगति पर चर्चा करने के साथ-साथ प्रदेश में नकल विरोधी कानून और समान नागरिक संहिता पर संवाद करने के लिए भी एकत्रित हुए हैं। उक्त दोनों विषयों पर जीबी पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की छात्रा पूजा जोशी ने समान नागरिक संहिता, नीति शर्मा ने किसान मेले की प्रगति एवं छात्र निधि अवस्थी ने नकल विरोध कानून पर अपने विचार साझा किए जबकि समृद्धि किसान उत्पादक संगठन की सीमा रानी ने अपने सफल खेती के अनुभव साझा किए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू कर सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून और अधिकार स्थापित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि हमने अनुभव किया कि समाज में कुछ समुदायों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानूनों के कारण भेदभाव, असमानता और अन्याय की स्थिति बनी हुई है। समान नागरिक संहिता का उद्देश्य इन्हीं भेदभावों को समाप्त कर राज्य के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानूनी व्यवस्था सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि यूसीसी के लागू होने से न केवल राज्य से सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हुए हैं, बल्कि प्रदेश में महिला सशक्तिकरण को भी बल मिला है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं,यह भी स्पष्ट करना चाहता हूं कि समान नागरिक संहिता किसी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं, बल्कि समाज की कुप्रथाओं को मिटाकर सभी नागरिकों के बीच समानता से समरसता स्थापित करने का एक संवैधानिक उपाय है। परन्तु ये देश का दुर्भाग्य रहा कि स्वतंत्रता के पश्चात कई दशकों तक देश में एक ऐसी पार्टी का शासन रहा जिसने अपने वोट बैंक के चक्कर में यूसीसी को लागू नहीं होने दिया। जबकि विश्व के प्रमुख मुस्लिम देशों सहित दुनिया के सभी सभ्य देशों में पहले से ही समान नागरिक संहिता लागू है। उन्होंने कहा कि हम भली-भांति जानते थे कि भारत में सर्वप्रथम यूसीसी लागू करने का मार्ग सरल नहीं होगा परंतु जब नीयत साफ हो और जनभावना साथ हो, तो कोई भी बदलाव असंभव नहीं रहता। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार देवभूमि उत्तराखंड के सांस्कृतिक मूल्यों और डेमोग्राफी को संरक्षित रखने के प्रति भी पूर्ण रूप से संकल्पबद्ध होकर काम कर रही है।

कुलपति डॉ मनमोहन सिंह चौहान ने यूसीसी व नकल विरोधी कानून लागू करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन व निर्देशन में विश्वविद्यालय शोध व प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में पूरे प्रदेश में इंटिग्रेटेड फार्मिंग पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आज प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 2 लाख 61 हजार हो गई है जो 26 प्रतिशत ग्रोथ रेट पर है। उन्होंने बताया कि मेले में 507 स्टॉल लगाए गए हैं व अभी तक लगभग 20 हजार किसानों द्वारा प्रतिभाग किया गया है।

कार्यक्रम में विधायक शिव अरोरा, त्रिलोक सिंह चीमा, सुरेश गाड़िया, पूर्व विधायक राजेश शुक्ला, जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा सभी जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद थे।

छात्र हित में धामी का फैसला, भर्ती परीक्षा की रद्द, तीन माह में पुनः आयोजित होगी परीक्षा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को यूं ही युवा दिलों की धड़कन और युवा हितैषी नहीं कहा जाता। वे युवाओं की बातों को न सिर्फ गौर से सुनते हैं बल्कि, उन्हें पूरा करने से भी पीछे नहीं हटते। 21 सितंबर को यूकेएसएसएससी पेपर लीक का प्रकरण सामने आने के बाद युवाओं ने पेपर को रद्द कर पुनः कराने और सीबीआई जांच की मांग करी तो सीएम धामी ने इस पर तत्काल एक्शन लेते हुए 10 दिन के भीतर ही पेपर को रद्द कर पुनः परीक्षा आयोजित कराने के निर्देश दे डाले। इसके साथ ही, पुनः आयोजित होने वाली इस परीक्षा में वही छात्र शामिल होंगे, जिन्होंने पहले भी यह परीक्षा दी थी। इन छात्रों की फीस का पूरा वहन राज्य सरकार उठाएगी। पुनः आयोजित होने वाली यह परीक्षा अन्य परीक्षाओं के कार्यक्रम पर कोई असर नहीं डालेगी।

ये निर्णय इस बात का प्रमाण है कि सीएम धामी के दिल में युवा और युवाओं के दिल में सीएम धामी बसते हैं। इससे पहले सीएम धामी ने खुद परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर जाकर प्रदर्शनकारी युवाओं से वार्ता कर उन्हें मामले की जांच का आश्वासन दिया था। राज्य गठन के इतिहास में यह पहला मौका था कि जब सूबे का मुखिया खुद धरना स्थल पर प्रदर्शनकारियों से वार्ता करने गया हो। यह इस बात का प्रमाण है कि सीएम धामी युवाओं के प्रति बेहद ही संवेदनशील हैं। जिस कारण वह उनके हितों में निर्णय लेने से एक कदम भी पीछे नहीं हटते।

चार साल में युवाओं के लिए नौकरी के द्वार खोलना और 25000 पदों पर उन्हें नियुक्ति प्रदान करना भी इस बात का बड़ा प्रमाण है कि सीएम धामी युवा हितैषी हैं।

21 सितंबर को आयोजित स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में पेपर में अनियमितताओं की खबरें बाहर आने के बाद छात्रों ने प्रदेशभर में प्रदर्शन किया था। जिस पर सीएम धामी ने खुद परेड ग्राउंड जाकर छात्रों को आश्वासन देते हुए मामले की पारदर्शी जांच के निर्देश दिए थे। इसके लिए एसआईटी गठन के साथ ही जांच आयोग भी बनाया गया था। जांच आयोग की रिपोर्ट के आधार पर अब आयोग ने परीक्षा को रद्द कर दिया है।

सीएम धामी का स्पष्ट संदेश है कि उत्तराखंड में छात्र हमेशा सरकार के लिए सर्वाेच्च प्राथमिकता हैं। सरकार छात्रों के हितों के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं होने देगी और हर छात्र को निष्पक्ष अवसर और भरोसेमंद परीक्षा प्रणाली उपलब्ध कराना हमारी प्रतिबद्धता है। उनका यह युवा हितैषी कदम छात्रों के विश्वास को पुनः मजबूत करता है और यह दिखाता है कि उत्तराखंड में नेतृत्व केवल आदेश देने वाला नहीं, बल्कि युवाओं की भावनाओं और भविष्य की जिम्मेदारी समझने वाला भी है।

प्रदेशभर में स्किल गैप असेसमेंट कराया जाएः बर्द्धन

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के युवाओं को प्रदेश के भीतर एवं अन्य राज्यों सहित भारत के बाहर विदेशों में नौकरी के अवसर नौकरी दिलाने की दिशा में काम किए जाने की जरूरत है। उन्होंने इसके लिए ओवरसीज एंप्लॉयमेंट सेल और पैनलबद्ध भर्ती एजेंसियों के माध्यम से विदेशों में नौकरी के अवसर उपलब्ध कराए जाएं।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेशभर में स्किल गैप असेसमेंट करा लिया जाए। उन्होंने अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों में नर्सिंग का टूर गाइड्स एवं पर्यटन की बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए वाइल्ड लाइफ गाइड प्रशिक्षण को भी शामिल किया जाए। इसके लिए विभाग को युवाओं को प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के साथ ही हैंड होल्डिंग किए जाने की आवश्यकता है।

मुख्य सचिव ने कहा कि विदेशों में नौकरी की संभावनाओं को देखते हुए युवाओं को अपेक्षित प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा कि युवाओं की हैंड होल्डिंग के साथ ही इच्छुक अभ्यर्थियों को इंटेंसिव ट्रेनिंग भी कराई जा सकती है। उन्होंने कहा कि विदेश में जॉब के लिए जाने वाले अभ्यर्थियों को विदेशी भाषाओं व्यावहारिक बातचीत का प्रशिक्षण भी अनिवार्य रूप से कराया जाए ताकि विदेशों में सामान्य बोलचाल की समस्या उत्पन्न न हो। मुख्य सचिव ने कहा कि विभाग द्वारा विदेशों में नौकरी के अवसर का भी लक्ष्य निर्धारित किया जा सकता है, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें।

सचिव सी. रविशंकर ने बताया कि विभाग द्वारा ओवरसीज एम्प्लॉयमेंट सेल का गठन कर लिया गया है। अभी तक 63 युवाओं को जापान और सऊदी अरेबिया में प्रशिक्षण और रोजगार प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के माध्यम से 351 युवाओं को प्रशिक्षण उपलब्ध कराया गया है, जिसमें से 315 को प्लेसमेंट मिल गया है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में वर्तमान में 169 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

इस अवसर पर सचिव सी रविशंकर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

राइजिंग टिहरी का सीएम धामी ने किया शुभारंभ, अब गांवों में होगी जेईई-नीट की तैयारी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऋषिकेश में आयोजित ’’सरस आजीविका मेले’’ में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के सी.एल.एफ. हेतु 1.20 करोड़ रुपये की 12 आर्थिक गतिविधियों का लोकार्पण किया, इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने 10 अन्य सी.एल.एफ. के लिए 1 करोड़ रुपये की प्रस्तावित आर्थिक गतिविधियों का शिलान्यास भी किया। उन्होंने आज Rising Tehri – Physics Wala Online Coaching Class का भी लोकार्पण किया गया है। इस कोचिंग क्लास में अब युवा जेईई और नीट आदि की प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी अपने गाँव-घर में रहते हुए भी कर सकेंगे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मेले में ग्राम्य विकास विभाग और जिला प्रशासन द्वारा ’ग्रामोत्थान परियोजना’ के अंतर्गत की गई पहल की सराहना की।

मेले में बड़ी संख्या में उपस्थित स्वयं सहायता समूह के लोगों एवं ग्रामीण उद्यमियों को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह मेला हमारे ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा, कौशल और उद्यमिता को प्रदर्शित करने का एक अनूठा प्रयास है। आजीविका मेलों के माध्यम से, जहाँ एक ओर स्थानीय उत्पादों को प्रदर्शित करने का एक उत्कृष्ट मंच मिलता है, वहीं ये मेले आदरणीय प्रधानमंत्री जी के ’’आत्मनिर्भर भारत’’ और ‘’वोकल फॉर लोकल’’ के मंत्र को भी साकार करने में सहायक सिद्ध होते हैं। ऐसे मेलों के माध्यम से हम ग्रामीण कारीगरों, महिला स्वयं सहायता समूहों, हस्तशिल्पियों, ग्रामीण उद्यमियों के साथ साथ कृषि उत्पादों और ग्रामीण कौशल को भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इस मेले में स्वयं सहायता समूहों द्वारा लगाए गए स्टॉल ’’स्वदेशी अपनाओ’’ के उस संदेश को आगे बढ़ा रहे हैं, जिसमें हमें अपने गाँव, अपने प्रदेश और अपने देश में बने उत्पादों को प्राथमिकता देने का संकल्प लेना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम स्वदेशी उत्पाद खरीदते हैं तो वो सिर्फ एक सामान की खरीद नहीं होती, बल्कि वो हमारे ग्रामीण कारीगरों, मातृशक्ति और उद्यमियों के सपनों में निवेश होता है। इसलिए स्वदेशी अपनाना न केवल हमारी संस्कृति और परंपरा को जीवित रखता है, बल्कि यह हमारे किसानों, हस्तशिल्पियों और स्थानीय उद्यमियों की आजीविका को भी सुरक्षित करता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि आत्मनिर्भर भारत की नींव स्वदेशी पर टिकी है। यह मेला उसी दिशा में एक सशक्त कदम है, जो हमारे स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का माध्यम बनेगा। प्रधानमंत्री जी के इस आव्हान को हमारी मातृशक्ति ने सबसे पहले आत्मसात किया और आज हमारे स्वयं सहायता समूहों की दीदियाँ अपने श्रम और कौशल से स्वदेशी उत्पादों को नए आयाम दे रही हैं। आप सभी से अपील करता हूँ कि इस मेले में लगे स्टॉल से स्वदेशी उत्पादों को खरीद कर ’’स्वदेशी अपनाओ’’ के अभियान को और मजबूती प्रदान करने के साथ महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब एक महिला आर्थिक रूप से सशक्त होती है तो वो न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे समाज को सशक्त बनाने का कार्य करती है। इसी को देखते हुए हमने ’‘लखपति दीदी योजना’’, ‘’मुख्यमंत्री सशक्त बहना उत्सव योजना’’ और ‘’मुख्यमंत्री महिला स्वयं सहायता समूह सशक्तिकरण योजना’’ के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष फोकस किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लखपति दीदी योजना के तहत अब तक हमारे राज्य की 1.65 लाख रुपए से अधिक महिलाओं ने लखपति बनने का गौरव प्राप्त किया है।साथ ही, ’’मुख्यमंत्री सशक्त बहना उत्सव योजना’’ के अर्तंगत महिलाओं द्वारा लगभग 2000 स्टाल लगाकर लगभग 5.5 करोड़ रुपये के विपणन ने उद्यमशीलता की एक नई मिसाल कायम की है। इतना ही नहीं, हमारी सरकार द्वारा लॉन्च किए गए ’‘हाउस ऑफ हिमालयाज’’ ब्रांड के माध्यम से भी हमारी बहनों द्वारा बनाए जा रहे विभिन्न स्थानीय उत्पाद अब विश्व के कोने-कोने तक पहुंच रहे हैं। राज्य में ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 68 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूहों में 5 लाख से अधिक सदस्य जुड़े हैं, साथ ही, साढ़े सात हजार से अधिक ग्राम संगठन और 534 क्लस्टर स्तर के संगठन भी बनाए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार महिला किसानों को भी सशक्त बनाने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। हमने फार्म लाइवलीहुड और महिला किसान सशक्तिकरण योजना के तहत राज्य की लगभग 3 लाख से अधिक महिला किसानों की क्षमता एवं कौशल का विकास करने का काम किया है। इसके अलावा हमने 2.5 लाख एग्रीन्यूट्री गार्डन और किचन गार्डन की स्थापना की है और लगभग 500 फार्म मशीनरी बैंक भी उपलब्ध कराए हैं। इतना ही नहीं हमारी सरकार राज्य की 5 हजार से अधिक महिला किसानों को आर्गेनिक खेती से जोड़ने का कार्य भी कर रही है। इन सभी प्रयासों के माध्यम से आज हमारे प्रदेश की महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है।आज मातृशक्ति आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रही हैं, जो इस सरस मेले में भी स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहा है।

कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, सुबोध उनियाल, स्वयं सहायता समूह के सदस्य, ग्रामीण उद्यमी तथा स्थानीय लोग उपस्थित रहे।

मेडिकल स्टोर्स पर एफडीए की छापेमारी शुरू, सीएम ने प्रतिबंधित कफ सिरप पर सख्त कार्रवाई के दिए थे निर्देश

बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को सर्वाेच्च प्राथमिकता देते हुए उत्तराखंड सरकार ने प्रदेशभर में प्रतिबंधित कफ सिरप और औषधियों के खिलाफ सख्त अभियान शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफ.डी.ए.) की संयुक्त टीमें प्रदेश के सभी जिलों में मेडिकल स्टोर्स, थोक विक्रेताओं और अस्पतालों की औषधि दुकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही हैं। यह अभियान हाल ही में राजस्थान और मध्य प्रदेश में खांसी की दवा (कफ सिरप) के सेवन से बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद शुरू किया गया है। उत्तराखंड सरकार ने इसे जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मामला मानते हुए तत्परता से कार्रवाई प्रारंभ की है।

केंद्र की एडवाइजरी पर तुरंत कार्रवाई
स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफ.डी.ए.) डॉ. आर. राजेश कुमार ने सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को आदेश जारी करते हुए कहा कि भारत सरकार की एडवाइजरी को प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लागू कराया जाए। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य से बड़ा कोई विषय नहीं हो सकता। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि औषधि निरीक्षक चरणबद्ध तरीके से कफ सिरपों के नमूने एकत्र करें और उनकी गुणवत्ता की प्रयोगशाला जांच कराएं, ताकि किसी भी दोषपूर्ण या हानिकारक दवा को बाजार से तत्काल हटाया जा सके।

बच्चों के लिए प्रतिबंधित सिरप न लिखें डॉक्टर
डॉ. आर. राजेश कुमार ने प्रदेश के सभी चिकित्सकों से आग्रह किया है कि केंद्र सरकार की एडवाइजरी का संज्ञान लेते हुए वे बच्चों के लिए प्रतिबंधित कफ सिरप न लिखें। डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा यदि चिकित्सक इन सिरपों को लिखेंगे तो मेडिकल स्टोर भी उन्हें बेचेंगे। इसलिए ज़रूरी है कि डॉक्टर स्वयं भी जिम्मेदारी दिखाएं और प्रतिबंधित दवाओं से परहेज़ करें।

कौन-सी दवाएं प्रतिबंधित हैं

भारत सरकार की एडवाइजरी के अनुसार कृ

दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी प्रकार की खांसी या जुकाम की दवा नहीं दी जानी चाहिए।

पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में इन दवाओं का सामान्य उपयोग अनुशंसित नहीं है।

केवल विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह, सही खुराक और न्यूनतम अवधि के लिए ही इनका उपयोग किया जा सकता है।

सरकार ने विशेष रूप से Dextromethorphan युक्त सिरप और Chlorpheniramine Maleate + Phenylephrine Hydrochloride संयोजन वाली दवाओं को चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित किया है।

प्रदेशभर में छापेमारी और सैंपलिंग अभियान
प्रदेश में इस आदेश के बाद अपर आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन एवं ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी के नेतृत्व में राज्यभर में युद्धस्तर पर छापेमारी की जा रही है। स्वयं अपर आयुक्त ने देहरादून के जोगीवाला, मोहकमपुर समेत कई क्षेत्रों में औषधि दुकानों का निरीक्षण किया। सभी जिलों में औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस माह के भीतर सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और खुदरा दुकानों से सिरपों के नमूने लेकर प्रयोगशाला परीक्षण करवाएँ। ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि एफ.डी.ए. की टीमें प्रदेशभर में सक्रिय हैं। यदि किसी भी स्तर पर दोष पाया गया तो संबंधित कंपनी या विक्रेता के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का सख्त संदेश दृ जनस्वास्थ्य सर्वाेपरि
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और जनता के स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि प्रदेश में बिकने वाली हर दवा सुरक्षित और मानक गुणवत्ता वाली हो। जनस्वास्थ्य हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता है, और बच्चों की सुरक्षा पर किसी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि सरकार प्रदेश में औषधि गुणवत्ता निगरानी प्रणाली को और सुदृढ़ करने की दिशा में भी काम कर रही है।

बच्चों की दवा में लापरवाही अस्वीकार्य- डॉ. धन सिंह रावत
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा राज्य सरकार केंद्र की एडवाइजरी का पूरी गंभीरता से पालन कर रही है। बच्चों की दवाओं से जुड़ी किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी चिकित्सकों और औषधि विक्रेताओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रतिबंधित सिरप को न लिखें और न बेचें। यह कदम बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

जनता से अपील दृ डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों को दवा न दें
एफ.डी.ए. ने राज्यभर में कफ सिरप की सैंपलिंग शुरू कर दी है। अपर आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन एवं ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने जनता से अपील की है कि वे बच्चों को कोई भी दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। यदि किसी दवा के सेवन से कोई प्रतिकूल प्रभाव दिखाई दे तो तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र या अस्पताल से संपर्क करें।

उत्तराखंड सीएम ने परेड ग्राउंड में आंदोलन कर रहे युवाओं से की मुलाकात, सीबीआई जांच की संस्तुति दी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परेड ग्राउंड में आंदोलन कर रहे युवाओं के बीच पहुंचकर उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की गत सप्ताह आयोजित परीक्षा प्रकरण की सीबीआई जांच कराने पर सहमति दे दी है।

आज दोपहर बाद सीएम धामी अचानक, परेड ग्राउंड में आंदोलनरत युवाओं के बीच पहुंच गए। यहां सीएम ने युवाओं का पक्ष सुनने के बाद कहा कि युवा इस त्योहारी सीजन में इतनी गर्मी के बीच आंदोलन कर रहे हैं, इससे खुद उन्हें भी अच्छा नहीं लग रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार का एक ही संकल्प है कि परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए। विगत चार साल में सरकार ने इसी संकल्प के अनुसार काम किया है।

मुख्यमंत्री धामी ने युवाओं से भावुक अपील करते हुए कहा कि वो जानते हैं कि उत्तराखंड के युवा और छात्र पढ़ाई के बाद सरकारी नौकरी के लिए तैयारी करते हैं। इसी आधार पर उनके पास जीवन के लिए खूबसूरत सपने होते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने खुद ऐसी परिस्थितियों को देखा है, छात्रों और युवाओं के बीच काम करते हुए, इसका अनुभव लिया है।

युवाओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विगत दिनों सामने आए प्रकरण की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एसआईटी द्वारा की जा रही है। कमेटी ने काम भी शुरु किया है, लेकिन फिर भी युवा सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं, इस कारण सरकार इस मामले में सीबीआई जांच की संस्तुति करेगी। इसमें कोई रुकावट नहीं आएगी।

मैं भी आया हूं धरना स्थल पर
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वो चाहते तो ये बातचीत कार्यालय में भी हो सकती थी, लेकिन युवाओं के कष्ट को देखते हुए, उन्होंने खुद धरना स्थल पर आने का निर्णय लिया है, वो पूरी तरह युवाओं के साथ हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछले चार साल में पारदर्शी तरीके से 25 हजार से अधिक सरकारी भर्तियां की है, इसमें कहीं कोई शिकायत नहीं आई है। सिर्फ एक प्रकरण में यह शिकायत आई है, इसलिए युवाओं के मन से हर तरह की शंका को मिटाने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सीएम धामी ने कहा कि विगत सप्ताह भी जब युवा उनसे मिले थे तो उन्होंने तब ही स्पष्ट कर दिया था कि सरकार चाहती है कि युवाओं के मन में कोई अविश्वास, संदेह या शंका न रहे। इसलिए वो बिना किसी को बताए सीधे यहां परेड ग्राउंड में चले आए हैं।

मुकदमें वापस होंगे
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आंदोलन के दौरान यदि युवाओं पर कहीं कोई मुकदमें दर्ज हुए हैं तो उन्हें वापस लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अमृतकाल के विकसित भारत में उत्तराखंड देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बने, इसमें युवाओं की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

सरकार छात्रोें के हित में निर्णय लेने के लिये एक प्रतिशत भी पीछे नहीं हटेगीः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया से अनौपचारिक वार्ता करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता से लेकर मीडिया जगत तक, सभी इस तथ्य के साक्षी हैं कि हमारी सरकार ने देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू कर 100 से अधिक नकल माफियाओं को सलाखों के पीछे भेजा है और योग्यता व प्रतिभा के आधार पर पिछले 4 सालों में 25,000 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी दी गई है। जिनकी परीक्षाएं बिना किसी भ्रष्टाचार और नकल के पारदर्शिता के साथ संपन्न हुई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार छात्रोें के हित में निर्णय लेने के लिये एक प्रतिशत भी पीछे नहीं हटेगी। जब तक वे जीवित हैं तब तक उत्तराखण्ड के एक-एक छात्र को न्याय दिलाने का उनका संकल्प है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में आयोजित होने वाली परीक्षाओं में जो भी व्यक्ति नकल कराने के अपराध में शामिल होकर हमारे बेटे बेटियों, भाई बहनों, छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास करेंगे उनके विरूद्ध कठोर से कठोर कार्यवाही की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे अपने जीते जी छात्र-छात्राओं के हितों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय नहीं होने देंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा प्रदेश में अगले एक साल में 10 हजार नियुक्तियां होनी हैं उनका कैलेंडर जारी कर दिया गया है ये नियुक्तियां पारदर्शिता एवं निष्पक्षता के साथ कराई जायेंगी। मुख्यमंत्री ने विश्वास दिलाया कि छात्र-छात्राओं के हितों के साथ कोई भी कुठाराघात नहीं होने दिया जाएगा।

हिमालय में पाई जाने वाली दुर्लभ वनस्पतियां और जीव-जंतु भी हमारे पर्यावरण की महत्वपूर्ण धरोहरः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार हिमालय संरक्षण को लेकर पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है, इस महत्वपूर्ण काम में हम सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी।

आईआरडीटी सभागार में आयोजित हिमालय दिवस समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी को हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिमालय मात्र बर्फीली चोटियों और विस्तृत पर्वतमालाओं का समूह नहीं है बल्कि ये सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप का जीवन स्रोत भी है। हिमालय न केवल भारत के उत्तर में अटल प्रहरी का काम करता है, बल्कि इसकी पर्वतीय नदियाँ पूरे देश की जीवनधारा हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय की ऊंची चोटियां, विस्तृत ग्लेशियर, नदियां और जैव विविधता से भरपूर वन हमें न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव कराते हैं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां हिमालय से निकलने वाली नदियां देश के करोड़ों लोगों की प्यास बुझाती हैं वहीं इस पर पाए जानी वाली दुर्लभ जड़ी बूटियां आयुर्वेद का आधार हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज हमारी इस अमूल्य धरोहर को गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है। जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित विकास, और प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन हिमालय के संतुलन को बिगाड़ रहे हैं। इसके ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जो आने वाले समय में गंभीर जल संकट और पारिस्थितिकीय असंतुलन की बड़ी चुनौती बन सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब हिमालयी क्षेत्र में वर्षा की तीव्रता लगातार बढ़ रही है और अप्रत्याशित क्लाउड बर्स्ट तथा उनके परिणामस्वरूप भूस्खलन जैसी आपदाएँ बार-बार घटित हो रही हैं। इन घटनाओं की आवृत्ति और उनके प्रभाव दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में हमारे राज्य को कई भीषण प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है। इन गंभीर चुनौतियों से प्रभावी रूप से निपटने के लिए वैज्ञानिक संस्थानों और विशेषज्ञों के बीच समन्वय स्थापित करना अत्यंत आवश्यक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए, गत वर्ष सरकार ने उच्च स्तरीय समिति के गठन के लिए निर्देश जारी किए थे। अब इस वर्ष नवंबर में राज्य में जलवायु परिवर्तन पर ‘विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन’ का भी आयोजन किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हिमालय की सुरक्षा केवल सरकार का ही कार्य नहीं है, बल्कि ये देश के प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोग एवं मार्गदर्शन में राज्य सरकार हिमालय संरक्षण को लेकर पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। इसी क्रम में सरकार डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम, ग्लेशियर रिसर्च सेंटर, जल स्रोत संरक्षण अभियान और जनभागीदारी कार्यक्रमों के माध्यम से हिमालय के दीर्घकालिक संरक्षण की दिशा में कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में प्लास्टिक वेस्ट के प्रबंधन के लिए डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम प्रारम्भ किया गया है। इस एक छोटी सी पहल से हिमालयी क्षेत्र में 72 टन कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सफलता मिली है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें पर्यटन क्षेत्र में भी पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में ध्यान देना होगा क्योंकि अनियंत्रित और असंवेदनशील पर्यटन हिमालय के पर्यावरण के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। इसके लिए हमें ‘’सस्टेनेबल टूरिज्म’’ को बढ़ावा देना होगा, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना पर्यटन का विकास किया जा सके।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका है। उनका ज्ञान, परंपराएं और जीवनशैली हमें सिखाती हैं कि किस प्रकार हम प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर जीवन जी सकते हैं। हमें उनके अनुभवों और पारंपरिक ज्ञान का सम्मान करते हुए उसे भी अपनी पर्यावरण संरक्षण नीति में सम्मिलित करना चाहिए। छोटे-छोटे प्रयास, जैसे पानी की बचत, पेड़ों को लगाना और प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करना, हिमालय की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी क्रम में सरकार ने दो से नौ सितंबर तक प्रतिवर्ष हिमालय जनजागरुकता सप्ताह मनाने का निर्णय लिया है।

इस मौके पर पद्मभूषण डॉ अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि इस साल समूचे हिमालयी क्षेत्र में आपदाएं आई हैं, अब साल दर साल इस तरह की घटनाओं से मानसून काल डराने लगा है। हमें हिमालय के पर्यावरण को बचाने के लिए नए सिरे से सोचना होगा।

इस मौके पर विधायक किशोर उपाध्याय, मेयर सौरभ थपलियाल, दर्जाधारी मधु भट्ट, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत, सूर्यकांत धस्माना सहित प्रमुख लोग शामिल हुए।

आपदा प्रभावित मृतकों को पांच लाख रूपये का मुआवजा तत्काल देने के निर्देश

सीएम धामी ने शनिवार रात्रि आपदा परिचालन केंद्र देहरादून में थराली (चमोली) आपदा राहत कार्यों की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि क्षतिग्रस्त मकानों हेतु ₹ 5 लाख की सहायता राशि तत्काल प्रभावितों को जारी की जाए। इसके साथ ही उन्होंने मृतकों के परिजनों को भी ₹5 लाख की सहायता राशि तत्काल प्रदान करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि स्याना चट्टी से पानी की निकासी की व्यवस्था जल्द से जल्द की जाए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को स्पष्ट किया कि थराली में जो लोग बेघर हुए हैं तात्कालिक रूप से उनके लिए बेहतरीन व्यवस्था की जाए तथा इसके साथ ही पुनर्वास का काम भी तेजी से आरंभ किया जाए। प्रभावितों को राहत सामग्री तत्परता से मिल जाए और सभी आवश्यक सामान एक साथ दिया जाए।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिलाधिकारी एवं संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं थराली आपदा प्रभावित क्षेत्र में बिजली, पानी, सड़क नेटवर्क सहित सभी मूलभूत जरूरत को जल्द से जल्द बाहर किया जाए द्य प्रभावितों को बांटी जाने वाली राशन सहित सभी प्रकार की राहत सामग्री की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए।
थराली आपदा के दौरान जिलाधिकारी चमोली की तत्काल मौके पर पहुंचने, प्रभावितों को तत्परता से राहत पहुंचाने एवं बेहतरीन प्रबंधन हेतु सराहना करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अन्य आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में भी इसी प्रकार प्रभावी समन्वय के साथ तत्परता से राहत एवं बचाव कार्य सुनिश्चित किए जाने चाहिए। मुख्यमंत्री ने थराली आपदा में प्रभावी राहत एवं बचाव कार्यों के लिए एसडीआरएफ तथा एनडीआरएफ की भी प्रशंसा की। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने राज्य में अगले दो दिन ऑरेंज अलर्ट के दृष्टिगत सभी जिलाधिकारियों को तैयारी पूरी रखने व आपदा प्रबंधन सामग्री उपकरण आदि संवेदनशील स्थानों पर रखने के निर्देश दिए है।
मुख्यमंत्री ने हाल ही में धराली, सैजी (पौड़ी) एवं धराली में आई आपदाओं की पैटर्न के अध्ययन के लिए विभिन्न प्रतिष्ठित एजेंसियों के विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों की एक कमेटी गठित कर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

बैठक में मुख्य सचिव आनंद वर्धन, प्रमुख सचिव आर के सुधांशु, आर मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगौली सहित सभी संबंधित अधिकारी तथा वर्चुअल माध्यम से जिलाधिकारी चमोली तथा उत्तरकाशी सहित सभी डीएम मौजूद थे।