जन-जन की सरकार अभियान कागज़ों तक सीमित न रहे, बने निर्णायक गेम चेंजर: धामी

सीएम धामी ने सख्त निर्देश दिए हैं कि “जन-जन की सरकार जन-जन के द्वार” कार्यक्रम के तहत दिव्यांगों, बुजुर्गों, महिलाओं एवं कमजोर वर्ग के ऐसे लाभार्थी जो शिविरों तक नहीं आ सकते, उनके घर तक अधिकारी स्वयं पहुँचें, मौके पर ही आवेदन भरवाएँ और समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करें। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह ने दो टूक कहा कि यह अभियान किसी भी स्थिति में औपचारिकता बनकर नहीं रहना चाहिए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज मुख्यमंत्री आवास में जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार कार्यक्रम की विस्तृत समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस समीक्षा का उद्देश्य कार्यक्रम को और अधिक गति देना, उसे परिणाम-केंद्रित बनाना और जनता तक वास्तविक लाभ पहुँचाना है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह कार्यक्रम निरीक्षण का नहीं बल्कि सेवा और समाधान का मंच है। बैठक में सचिव विनोद कुमार सुमन एवं अपर सचिव बंशीधर तिवारी उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि शिविरों की सूचना पूर्व से व्यापक स्तर पर दी जाए और इन्हें उत्सव के स्वरूप में आयोजित किया जाए। स्थानीय भाषाओं—गढ़वाली, कुमाऊँनी एवं अन्य स्थानीय बोलियों—में प्रचार-प्रसार अनिवार्य किया जाए, ताकि आमजन सहजता से जुड़ सकें। उन्होंने कहा कि लोगों को आवेदन के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े और प्रत्येक समस्या के समाधान के लिए स्पष्ट समयसीमा तय हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभियान केवल समस्याएँ सुनने तक सीमित न रहे, बल्कि समाधान की पूरी प्रक्रिया का हिस्सा बने। जहाँ समाधान तत्काल संभव हो, वहाँ मौके पर ही कार्रवाई की जाए। जहाँ समय लगे, वहाँ स्पष्ट समयसीमा और उत्तरदायित्व तय कर लाभार्थी को जानकारी दी जाए। यदि किसी क्षेत्र से फीडबैक संतोषजनक न आए तो वहाँ पुनः शिविर लगाया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने महिला मंगल दलों, स्वयं सहायता समूहों, युवक मंगल दलों और जनप्रतिनिधियों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। बार-बार सामने आ रही समस्याओं की सूची बनाकर शासन के समक्ष रखी जाए। साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट अनिवार्य रूप से मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी जाए और धीमी गति से कार्य करने वाले विभागों को चिन्हित किया जाए।

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस अभियान के अंतर्गत अब तक 56,550 से अधिक लोग प्रतिभाग कर चुके हैं। उन्होंने हाल ही में बिना पूर्व सूचना अल्मोड़ा के एक शिविर में पहुँचकर स्वयं जनता से फीडबैक लिया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि वे आगे भी शिविरों का औचक निरीक्षण करेंगे, ताकि वास्तविक स्थिति सामने आ सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनप्रतिनिधि भी मैदान में सक्रिय भूमिका निभाएँ। मंच तक सीमित न रहकर स्टॉल स्तर पर जाकर नागरिकों से संवाद करें। विशेष रूप से बुजुर्गों, महिलाओं, दिव्यांगजनों और कमजोर वर्ग को आवेदन, दस्तावेज़ एवं पात्रता से जुड़ी प्रक्रियाओं में प्रत्यक्ष सहायता दी जाए। केवल समाधान, सहयोग और संवाद पर केंद्रित रहें।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि शिविरों का व्यापक प्रचार किया जाए। स्थानीय बोलियाँ जानने वाले अधिकारियों को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए। डीएम/सीडीओ बिना पूर्व सूचना के भी शिविरों में पहुँचें। बड़े न्याय पंचायतों में एक से अधिक कैंप तथा सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिविर लगाए जाएँ। आधार कार्ड अपडेशन, आयुष्मान कार्ड निर्माण जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ। प्रत्येक कैंप के बाद फीडबैक सर्वे और रिपोर्टिंग प्रणाली लागू हो। लाभार्थियों से SMS/कॉल के माध्यम से समाधान की पुष्टि की जाए और यह चिन्हित किया जाए कि कौन-सी समस्या बार-बार आ रही है तथा कौन-सा विभाग अपेक्षित गति से कार्य नहीं कर रहा।

मुख्यमंत्री ने दोहराया कि जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार अभियान का उद्देश्य शासन को जनता के द्वार तक पहुँचाना है और जनता को यह स्पष्ट अनुभव होना चाहिए कि सरकार उनकी सुविधादाता है, बाधा नहीं।

स्वरोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर उत्तराखंड का निर्माण हमारा संकल्प: धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 3848 लाभार्थियों के बैंक खातों में 33.22 करोड़ रुपये की धनराशि का मुख्यमंत्री आवास से ऑनलाइन माध्यम से वितरण किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का संकल्प है कि उत्तराखंड का युवा नौकरी ढूंढने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बने। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना राज्य की उन प्रमुख योजनाओं में से एक है, जिसने वास्तविक रूप से पलायन को रोकने, रिवर्स माइग्रेशन को बढ़ावा देने और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के दौरान लौटे प्रवासी, युवा उद्यमी, कारीगर, हस्तशिल्पी एवं शिक्षित बेरोजगार इस योजना के प्रमुख लाभार्थी हैं। योजना के अंतर्गत राज्य के मूल और स्थायी निवासियों को विनिर्माण, सेवा एवं व्यापार क्षेत्र में राष्ट्रीयकृत, सहकारी एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के माध्यम से ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। विनिर्माण इकाइयों के लिए ₹25 लाख तक और सेवा एवं व्यापार इकाइयों के लिए ₹10 लाख तक की परियोजना लागत अनुमन्य है। योजना के अंतर्गत परियोजना लागत का 15 से 25 प्रतिशत तक मार्जिन मनी उपादान (सब्सिडी) के रूप में प्रदान किया जा रहा है। योजना के अंतर्गत लगभग 32 हजार लाभार्थियों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था, इस योजना से अब तक 35 हजार से अधिक लाभार्थी लाभान्वित हो चुके हैं। योजना के तहत अब तक ₹1,389 करोड़ से अधिक का ऋण वितरण किया गया है, जिससे लगभग 64,966 नए रोजगार सृजित हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रमाण है कि योजना केवल कागज़ों में नहीं, बल्कि धरातल पर सशक्त रूप से कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री ने इसे छोटे व्यापारियों और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रदेश के लिए एक “गेम चेंजर योजना” बताया। उन्होंने कहा कि योजना की सफलता को देखते हुए वर्ष 2025 से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना 2.0 (MSY 2.0) प्रारंभ की गई है, जिसमें MSY और नैनो योजना का एकीकरण किया गया है। नई व्यवस्था में सब्सिडी की सीमा 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत तक कर दी गई है। साथ ही भौगोलिक, सामाजिक और उत्पाद बूस्टर की अवधारणा के अंतर्गत अतिरिक्त 5 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान किया गया है, जिससे योजना आर्थिक के साथ-साथ सामाजिक रूप से भी सशक्त बनेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लाभार्थियों को सब्सिडी ऑनलाइन माध्यम से सीधे बैंक खातों में ट्रांसफर की गई है। यह सरकार की पारदर्शिता, टेक्नोलॉजी-आधारित और भ्रष्टाचार-मुक्त कार्यप्रणाली का प्रमाण है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना केवल एक योजना नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर उत्तराखंड की मजबूत नींव है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हर जिले में स्थानीय उद्यम, हर गांव में रोजगार और हर युवा के हाथ में काम हो। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करते हुए डबल इंजन सरकार उत्तराखंड के युवाओं को स्वरोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री ने इस दौरान मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से लाभार्थियों से संवाद भी किया। लोहाघाट, चंपावत के कमल सिंह पार्थोली ने कहा कि उन्होंने स्मार्ट लाइब्रेरी के लिए इस योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन लिया। अभी यहां 130 बच्चे पढ़ रहे हैं, वे अब ई-लाइब्रेरी भी बनाएंगे। उधम सिंह नगर के प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने गाड़ी सर्विस के कार्य के लिए 10 लाख रुपये का लोन लिया; वे पहले साइकिल रिपेयरिंग का कार्य करते थे। उत्तरकाशी के जसपाल ने बताया कि उन्होंने फिटनेस क्लब की स्थापना के लिए 10 लाख रुपये का लोन लिया, अब वे इसका और विस्तार कर रहे हैं। पौड़ी गढ़वाल के अयान मंसूरी ने बताया कि उन्होंने रजाई और गद्दा निर्माण के कार्य के लिए 10 लाख रुपये का लोन लिया, उनके साथ इस रोजगार से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कई लोग जुड़े हैं। इस साल उनका कारोबार तीन करोड़ रुपये होने का अनुमान है। बागेश्वर की चंपा देवी ने कहा कि उन्होंने मोबाइल सेल एंड सर्विस के लिए सात लाख रुपये का लोन लिया था। इस कार्य से उनकी आजीविका बढ़ी है।

इस अवसर पर सचिव उद्योग विनय शंकर पांडेय, महानिदेशक उद्योग एवं एमडी सिडकुल डॉ. सौरभ गहरवार, उप सचिव शिव शंकर मिश्रा, उद्योग विभाग से अपर निदेशक मृत्युंजय सिंह, संयुक्त निदेशक अनुपम द्विवेदी, दीपक मुरारी, उप निदेशक महावीर सजवान, राजेंद्र कुमार, उद्योग मित्र अभिषेक नैनवाल एवं अनुराग गुप्ता मौजूद थे।

आयुष्मान योजना के अंतर्गत प्रदेश के लगभग 17 लाख से अधिक मरीजों का 3300 करोड़ रुपये से अधिक का हुआ कैशलेस उपचार: धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सेवक सदन, मुख्यमंत्री आवास, देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से चयनित राजकीय मेडिकल कॉलेजों में 142 असिस्टेंट प्रोफेसर्स को नियुक्ति पत्र वितरित किए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नव नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर्स को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ये अवसर चिकित्सा के क्षेत्र को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा। मुख्यमंत्री ने सभी से आग्रह करते हुए कहा कि सभी अपने छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ उनके भीतर संवेदनशीलता, सहानुभूति और सेवा की भावना भी विकसित करें। जिससे वे कुशल और दक्ष चिकित्सक बनने के साथ समाज के प्रति अपने कर्तव्यों और मानवता के प्रति अपने उत्तरदायित्व को भी पूरी ईमानदारी से निभाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य सरकार, प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और सुदृढ़ीकरण पर निरंतर कार्य कर रही है। राज्य के प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय सुविधाएँ सस्ती दरों पर उपलब्ध कराई जा रही हैं। आयुष्मान योजना के अंतर्गत अब तक करीब 61 लाख आयुष्मान कार्ड वितरित किए गए हैं। जिसके माध्यम से प्रदेश के लगभग 17 लाख से अधिक मरीजों का 3300 करोड़ रुपये से अधिक का कैशलेस उपचार किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा राज्य सरकार प्रत्येक जिले में एक मेडिकल कॉलेज स्थापित कर रही है। जिससे सुदूरवर्ती क्षेत्रों के लोगों को उनके जिले में ही आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी। इनमें से पाँच मेडिकल कॉलेज पहले से ही संचालित किए जा चुके हैं, जबकि दो और मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है। देहरादून, हल्द्वानी और श्रीनगर मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशियलिटी विभाग भी स्थापित किए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा हल्द्वानी में राज्य के प्रथम आधुनिक कैंसर संस्थान का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है। साथ ही हेली एंबुलेंस, आपातकालीन परिस्थितियों में सुदूरवर्ती क्षेत्रों के लोगों के लिए जीवन रक्षक साबित हो रही है। राज्य में मरीजों को पैथोलॉजिकल जांचों की भी निःशुल्क सुविधा प्रदान की जा रही है। टेलीमेडिसिन सेवाओं के माध्यम से दूरदराज के गाँवों में विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा परामर्श सुविधा भी प्रदान किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में स्टाफ की कमी को दूर किया जा रहा है। 142 असिस्टेंट प्रोफेसरों को नियुक्ति पत्र प्रदान कर रहे हैं, साथ ही 356 असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी गतिमान है। 1248 नर्सिंग अधिकारियों और 170 टैक्नीशियनों को भी नियुक्तियां प्रदान की गई है और करीब 600 नर्सिंग अधिकारियों की चयन प्रक्रिया भी गतिमान है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पहले भर्तियों में भारी पक्षपात, धांधली और भ्रष्टाचार हुआ करता था। हमने, राज्य में देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया। आज सभी चयन प्रक्रियाएँ मेरिट के आधार पर सुनिश्चित की जा रही हैं, जिससे योग्य उम्मीदवारों को उनके कौशल और परिश्रम का पूरा लाभ मिल रहा है। अब तक प्रदेश के लगभग 27 हजार युवा सरकारी नौकरी पाने में सफल हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा जहां भी पद रिक्त हैं, उन्हें जल्द से जल्द आयोग के माध्यम से भरा जायेगा।

कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि आज मेडिकल कॉलेज में 62 प्रतिशत परमानेंट फैकल्टी हैं। भविष्य में ये संख्या और बढ़ने वाली है। उन्होंने कहा पिथौरागढ़ और रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज का काम 70 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। अगले सत्र से दोनों मेडिकल कॉलेज शुरू हो जाएंगे। राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 625 बच्चे एमबीबीएस और 256 बच्चे पीजी कर रहे हैं। राज्य में करीब 100 कॉलेज हैं, जिसमें से 14 हजार बच्चे हर साल नर्सिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा हाल ही में नियुक्त हुए 3000 नर्सिंग स्टाफ में 100 प्रतिशत लोग उत्तराखंड राज्य के हैं। उन्होंने कहा राज्य में 32 लाख लोगों की निःशुल्क जांच, 350 लोगों को एयर एम्बुलेंस से हाइय सेंटर रेफर किया गया है।

इस अवसर पर विधायक सविता कपूर, विधायक खजान दास, सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. अजय आर्य एवं मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य मौजूद थे।

सीएम धामी ने किया ‘वन क्लिक’ से 13982.92 लाख की पेंशन किश्त का भुगतान, 9.38 लाख लाभार्थी हुए लाभान्वित

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज मुख्यमंत्री आवास में समाज कल्याण विभाग द्वारा “पेंशन किश्त का वितरण” कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें उन्होंने राज्यभर के पेंशन लाभार्थियों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए। मुख्यमंत्री ने कड़े शब्दों में कहा कि समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत दी जाने वाली सभी पेंशन राशि प्रत्येक माह की 5 तारीख तक अनिवार्य रूप से लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुँचना सुनिश्चित की जाए, ताकि किसी भी वृद्धजन, दिव्यांगजन, विधवा, किसान या कमजोर वर्ग को आर्थिक परेशानियों का सामना न करना पड़े। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पेंशन भुगतान में किसी भी प्रकार की देरी स्वीकार्य नहीं होगी।

मुख्यमंत्री ने आज कार्यक्रम में वन क्लिक के माध्यम से माह नवंबर 2025 की 13982.92 लाख रुपये की पेंशन किस्त का भुगतान करते हुए 9,38,999 लाभार्थियों को प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित किया। उन्होंने विभाग को पेंशन योजनाओं की पूरी प्रणाली को और अधिक सरल, तेज़, समयबद्ध और प्रभावी बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य की सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ समाज के सबसे कमजोर, जरूरतमंद और वंचित वर्गों के लिए जीवनरेखा हैं। इसलिए इन योजनाओं की पारदर्शिता, सत्यापन और क्रियान्वयन सर्वोच्च प्राथमिकता पर होना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने सभी विभागीय अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि पेंशन योजनाओं का आंतरिक ऑडिट (Internal Audit) नियमित रूप से किया जाए, ताकि किसी भी अयोग्य व्यक्ति को लाभ न मिले। उन्होंने कहा कि सरकार की सहायता उसी तक पहुँचे जो वास्तव में उसका पात्र है। साथ ही उन्होंने निर्देश दिया कि समान प्रकृति वाली सभी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को इंटीग्रेशन के माध्यम से एकीकृत किया जाए, जिससे डुप्लीकेसी समाप्त हो और योजनाओं का लाभ तेज़ी से सही व्यक्ति तक पहुँचना सुनिश्चित हो सके।

मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी सरकारी समारोहों और कार्यक्रमों में स्थानीय उत्पादों को पूर्ण प्राथमिकता देने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह के स्मृति-चिह्न, उपहार या सम्मान सामग्री में उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों का ही उपयोग किया जाए। उन्होंने बुके की जगह “बुक” देने की नई परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इसे समय, धन और संसाधन बचत वाला नवाचार बताया। मुख्यमंत्री ने सभी कार्यक्रमों को अधिक सादगीपूर्ण बनाने की बात कहते हुए कहा कि यह न सिर्फ एक अच्छी प्रशासनिक परंपरा है बल्कि सुशासन व उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने वाला कदम भी है।

समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन, किसान पेंशन, परित्यक्ता पेंशन, भरण-पोषण अनुदान, तीर्थ पुरोहित पेंशन तथा बौना पेंशन—इन आठों योजनाओं के अंतर्गत 9.38 लाख से अधिक लाभार्थियों को प्रतिमाह पेंशन डीबीटी प्रणाली से सीधे खाते में भेजी जा रही है। डिजिटल लेन-देन की यह व्यवस्था न केवल पारदर्शिता और सुशासन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि इससे लाभार्थियों को कार्यालयों के अनावश्यक चक्कर लगाने से भी मुक्ति मिलती है।

विभाग द्वारा संचालित सभी योजनाओं के लिए प्रतिवर्ष 13982.92 लाख रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है, जो सामाजिक सुरक्षा एवं जनकल्याण के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि डिजिटल इंडिया की सोच के अनुरूप उत्तराखंड की पेंशन प्रणाली अब एक आदर्श मॉडल के रूप में विकसित हो रही है, जहाँ पारदर्शिता, जवाबदेही और समय पर सेवा—तीनों सुनिश्चित हो रहे हैं।

कार्यक्रम में विभागीय अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान पेंशन भुगतान व्यवस्था राज्य में सुशासन की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है और सरकार के निर्देशों के अनुरूप इसे और अधिक मजबूत और जन-केंद्रित बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि जनसेवा ही शासन का वास्तविक उद्देश्य है, तथा पेंशन योजनाओं को बेहतर बनाना सरकार की निरंतर प्राथमिकता रहेगी।

कार्यक्रम में सचिव श्रीधर बाबू अदाकी, अपर सचिव बंशीधर तिवारी सहित समाज कल्याण विभाग के अधिकारी मौजूद रहे |

उत्तराखंड: नए विषयों से बढ़ेगा युवाओं का दायरा, मजबूत होगी स्वास्थ्य सेवाएँ

उत्तराखंड में स्वास्थ्य शिक्षा को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप आधुनिक, पारदर्शी और रोजगारोन्मुख बनाने की दिशा में आज एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्पष्ट निर्देशों और दूरदर्शी नेतृत्व और स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय सहबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख वृत्ति आयोग अधिनियम–2021 (National Commission for Allied and Healthcare Professions Act – 2021) के तहत उत्तराखंड राज्य सहबद्ध एवं स्वास्थ्य देखरेख परिषद के गठन की प्रक्रिया को तेजी देने हेतु सचिवालय में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने की। बैठक की शुरुआत में स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय और आपदा–संवेदनशील राज्य में आधुनिक, प्रशिक्षित और प्रमाणित allied health workforce का विकास अत्यंत आवश्यक है। परिषद के गठन से न केवल शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता बढ़ेगी बल्कि देशभर में प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार करने में उत्तराखंड अग्रणी भूमिका निभाएगा।

*परिषद गठन पर विस्तृत चर्चा, चयन समिति के गठन का निर्णय*
बैठक में परिषद के गठन, उसकी संरचना, भविष्य की आवश्यकताओं और कार्य प्रणालियों पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया। यह तय किया गया कि परिषद के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए “तलाश–सह–चयन समिति” बनाई जाएगी, जो निर्धारित योग्यताओं और अनुभवों के आधार पर नामों का चयन करेगी। स्वास्थ्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि परिषद के सुचारू संचालन के लिए प्रारंभिक बजट, कार्यालय संरचना, तकनीकी सहायता और मानव संसाधन की उपलब्धता तुरंत सुनिश्चित की जाए, ताकि परिषद अपने दायित्वों का निर्वहन शीघ्र आरंभ कर सके।

वर्तमान में राज्य में पैरामेडिकल शिक्षा उत्तराखंड पैरामेडिकल अधिनियम–2009 और स्टेट मेडिकल फैकल्टी के माध्यम से संचालित होती है। यहाँ स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर 22 विषयों के पाठ्यक्रम चल रहे हैं। राष्ट्रीय अधिनियम लागू होने के बाद इन सभी पाठ्यक्रमों को और अधिक मानकीकृत, रोजगारोन्मुख, और कौशल आधारित बनाया जाएगा। नए अधिनियम में कुल 10 श्रेणियों में 56 प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं को मान्यता दी गई है। इससे विद्यार्थियों को न सिर्फ व्यापक करियर अवसर प्राप्त होंगे, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग्यता को उच्च पहचान मिलेगी।

*मजबूत होगी स्वास्थ्य सेवाएँ*
बैठक में विशेषज्ञों ने बताया कि अधिनियम के तहत कई नए और महत्वपूर्ण विषय शामिल होंगे—
पोषण विज्ञान, स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन, क्लिनिकल साइकोलॉजी, डायलिसिस तकनीशियन, एनेस्थीसिया एवं ऑपरेशन थिएटर तकनीशियन, आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन आदि। इन विषयों के शामिल होने से राज्य के युवाओं को विस्तृत करियर विकल्प, निजी और सरकारी क्षेत्र में बेहतर प्लेसमेंट, तथा शोध और उन्नत स्वास्थ्य सेवाओं में अवसर मिलेंगे। अधिकारियों ने कहा कि यह कदम उत्तराखंड को स्वास्थ्य शिक्षा और allied health services के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करेगा और भविष्य में राज्य एक “हेल्थ एजुकेशन हब” के रूप में स्थापित होगा।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार का बयान
उत्तराखंड सरकार स्वास्थ्य शिक्षा को सुदृढ़, सुगठित और राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य सहबद्ध एवं स्वास्थ्य देखरेख परिषद का गठन हमारे लिए परिवर्तनकारी कदम साबित होगा। इससे पैरामेडिकल तथा allied health शिक्षा में एकरूपता आएगी, पाठ्यक्रमों का मानकीकरण होगा और पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग प्रक्रिया बेहद सरल और पारदर्शी बनेगी। नए अधिनियम के तहत कई उभरते विषय और विशेषज्ञताएँ शामिल होंगी, जिससे युवाओं को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने का अवसर मिलेगा। हमारा लक्ष्य है कि उत्तराखंड गुणवत्ता–आधारित स्वास्थ्य शिक्षा और हेल्थकेयर स्किल डेवलपमेंट का मॉडल राज्य बनकर उभरे।

उत्तराखंड की धामी सरकार में मेडिकल शिक्षा में हुआ सुधार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा-निर्देशों के बाद उत्तराखंड में मेडिकल एजुकेशन का विस्तार अभूतपूर्व रफ्तार पकड़ चुका है। राज्य सरकार हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लक्ष्य की ओर तीव्रता से बढ़ रही है, और उसी अभियान का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना है सीमांत पिथौरागढ़। कठिन भूगोल और सीमित संसाधनों के बावजूद यहां राजकीय मेडिकल कॉलेज का निर्माण तेजी से आगे बढ़ रहा है और अब यह परियोजना अपने निर्णायक चरण में प्रवेश कर चुकी है।

मेडिकल कॉलेज परिसर अब लगभग पूरा आकार ले चुका है। विशाल इमारतें, सुव्यवस्थित ब्लॉक और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर—यह सब पिथौरागढ़ को पहाड़ का एक प्रमुख चिकित्सा केंद्र बनाने की दिशा में बड़े कदम साबित हो रहे हैं। स्थानीय जनता इस परियोजना को लेकर काफी उत्साहित है। लोगों की मानें तो मेडिकल कॉलेज शुरू होने के बाद अब गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए हल्द्वानी, देहरादून या बाहरी राज्यों की ओर जाने की मजबूरी खत्म होगी। रोजगार, व्यवसाय और आवागमन के नए अवसर भी जिले में उभरेंगे। सरकार ने 31 मार्च 2026 तक मेडिकल कॉलेज को पूरी तरह तैयार करने का लक्ष्य रखा है। अगर निर्माण की यही गति बनी रही तो यह लक्ष्य समय पर पूरा होता नजर आ रहा है।

पेयजल निगम की नवीनतम प्रगति रिपोर्ट बताती है कि पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज के अधिकांश प्रमुख ब्लॉक 70 से 95 प्रतिशत तक पूरे हो चुके हैं। यह न केवल विभाग की कार्यकुशलता का प्रमाण है, बल्कि सीमांत जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का भविष्य भी उज्जवल होने जा रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार फैकल्टी ब्लॉक, लैबोरेट्री ब्लॉक और परीक्षा–लेक्चर थिएटर ब्लॉक 65 से 80 प्रतिशत तक बन चुके हैं। एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक में भी 45 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन भवनों के लगभग तैयार हो जाने से आने वाले दिनों में फैकल्टी नियुक्ति, विभागों की स्थापना और शैक्षणिक सत्र शुरू करने की दिशा में बड़ा रास्ता साफ होगा।

हॉस्टल भवनों में निर्माण कार्य सबसे तेज रहा है। बॉयज़ हॉस्टल 90 प्रतिशत और गर्ल्स हॉस्टल 80 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। गर्ल्स डाइनिंग ब्लॉक 78 प्रतिशत और बॉयज़ डाइनिंग 35 प्रतिशत निर्माण स्तर पर है। वहीं आवासीय ब्लॉकों में टाइप-6 और टाइप-4 श्रेणियां 85 से 96 प्रतिशत तक पूरी हो चुकी हैं। यह पूरी संरचना मेडिकल कॉलेज के संचालन को सुचारू बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, क्योंकि इससे डॉक्टरों, नर्सों, फैकल्टी और छात्रों को बेहतर रहने की व्यवस्था उपलब्ध होगी।

अस्पताल परिसर में भी प्रगति उल्लेखनीय है। इमरजेंसी ब्लॉक रिमॉडलिंग 90 प्रतिशत और IPD-1 में 75 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। OPD-2 (35%), जूनियर रेजिडेंट हॉस्टल (20%), और इंटर्न होस्टल (25–65%) में काम जारी है। कुछ नए ब्लॉक जैसे IPD-2, IPD-3, नर्स हॉस्टल, BMW ब्लॉक और मोर्चरी अभी शुरुआती चरण में हैं, लेकिन विभाग का दावा है कि जल्द ही इनके निर्माण में भी तेजी आएगी।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार का बयान

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि, “पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज मुख्यमंत्री धामी जी की प्राथमिकता वाली परियोजनाओं में शामिल है। सीमांत जिले में अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराना हमारा संकल्प है। अधिकांश प्रमुख ब्लॉकों में तेज़ प्रगति हुई है और शेष कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिए गए हैं। हमारा लक्ष्य सिर्फ एक मेडिकल कॉलेज बनाना नहीं, बल्कि इसे राज्य का ‘मॉडल मेडिकल इंस्टीट्यूट’ बनाना है। आने वाले वर्षों में यहाँ चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का एक मजबूत केंद्र विकसित होगा।”

सीएम निर्देशः ठंड व शीतलहर से बचाव को प्रदेश में अलावा व रजाई की समुचित व्यवस्था हो

मुख्यमंत्री धामी का निर्देश प्रदेशभर के ठंड एवं शीतलहर से बचाव हेतु सार्वजनिक स्थानों में अलाव के साथ ही सभी रेन बसेरों में आवश्यक रजाई-कंबल आदि की पुख्ता व्यवस्था हो

अपने नैनीताल भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बढ़ रहे ठंड को देखते हुए प्रदेशभर में रेन बसेरों में आवश्यक सुविधाओं को सुदृढ़ करने के साथ ही ठंड एवं शीतलहर से बचाव हेतु अलाव जलाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि रेन बसेरों में सभी उचित व्यवस्था की जाए तथा जरूरतमंदों को ठंड से बचाव हेतु कंबल उपलब्ध कराए जाए।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि हर जिले में टीमों को सक्रिय रखते हुए शहरों, कस्बों और प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर प्रभावी निगरानी सुनिश्चित की जाए, ताकि असहाय एवं बेघर लोगों को समय पर राहत मुहैया कराई जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है। उन्होंने नगरीय क्षेत्रों के साथ ही कस्बों में भी सायंकाल में ठंड अधिक होने पर नियमित रूप से अलाव जलाने के साथ ही नियमित उनकी मॉनिटरिंग के भी निर्देश दिए।

इसके साथ ही उन्होंने प्रशासन से आवश्यक सामग्री की उपलब्धता, वितरण और निगरानी की दैनिक रिपोर्ट उपलब्ध कराने को भी कहा है।

रोजगारः विभिन्न विभागों के लिये चयनित 178 अभ्यर्थियों को सीएम ने दिए ज्वाइनिंग लेकर

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयनित अर्थ एवं संख्या, कृषि एवं उद्यान तथा महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के 178 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए। जिसमें अर्थ एवं संख्या विभाग के 117, कृषि विभाग के 12 उद्यान विभाग के 30 तथा महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के 19 अभ्यर्थी शामिल है। उन्होंने नवनियुक्त अभ्यर्थियों को बधाई देते हुए विश्वास व्यक्त किया कि सभी ईमानदारी, निष्ठा एवं समर्पण के साथ दायित्वों का निर्वहन कर उत्तराखंड को विकसित, आत्मनिर्भर एवं देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने के संकल्प को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।

मुख्यमंत्री ने नव-चयनित अभ्यर्थियों को बधाई देते हुए कहा कि गुणवत्तापूर्ण, विश्वसनीय एवं समयबद्ध आँकड़े ही योजनाओं की प्रभावी रूपरेखा, क्रियान्वयन और मूल्यांकन का आधार हैं तथा अर्थ एवं संख्या विभाग राज्य में डेटा संग्रह एवं विश्लेषण का नोडल विभाग होने के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि सहायक सांख्यिकी अधिकारी सरकार की विभिन्न योजनाओं और नीतियों के प्रभाव का आकलन कर तंत्र को तथ्यपरक फीडबैक उपलब्ध कराएँ, ताकि आवश्यकतानुसार सुधारात्मक कदम समय पर उठाए जा सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पिछले साढ़े चार वर्षों के दौरान साढ़े 26 हजार से अधिक युवाओं को पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से सरकारी सेवा में अवसर प्रदान किए गए हैं, जो राज्य के गठन के बाद पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल की तुलना में दोगुने से भी अधिक हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने नकल माफियाओं पर कड़ा प्रहार करते हुए सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया है, जिससे भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, गति और विश्वसनीयता सुनिश्चित हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, नई स्टार्टअप एवं उद्यमिता नीति, नई पर्यटन नीति, कृषि एवं फल उत्पादन तथा होम-स्टे जैसी योजनाओं के माध्यम से राज्य में रोजगार एवं स्वरोजगार के व्यापक अवसर सृजित हुए हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्रदेश में रिवर्स माइग्रेशन के आँकड़ों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।

इस अवसर पर कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, रेखा आर्या, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, विधायक भरत चौधरी, सविता कपूर, 20 सूत्रीय कार्यक्रम एवं क्रियान्वयन समिति के उपाध्यक्ष ज्योति प्रसाद गैरोला, प्रमुख सचिव आर.मीनाक्षी सुंदरम, सचिव एस.एन. पाण्डेय एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

धामी कैबिनेट में इन सात अहम बिंदुओं पर हुआ फैसला, आप भी जानिए…

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट की अहम बैठक हुई। सचिवालय में होने वाली इस बैठक में लोक निर्माण विभाग, शिक्षा, आवास व वित्त विभाग समेत अन्य विभागों से जुड़े विषयों पर निर्णय लिए गए। बैठक में कुल 10 प्रस्ताव आए, जिनमें से सात को मंजूरी दी गई। इस दौरान पूर्व मंत्री दिवाकर भट्ट को कैबिनेट ने दी श्रद्धांजलि। दो मिनट का मौन रखा गया।

ये हैं अहम प्रस्‍ताव
1- उत्तराखंड में मानव वन्य जीव संघर्ष में मृतक के स्वजनों को अब मिलेगी 10 लाख रुपए की अनुग्रह राशि। पहले यह थी छह लाख। मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप वन्यजीवों के हमले में घायलों के उपचार का पूरा खर्च उठाएगी सरकार।

2- दुकानों, प्रतिष्ठानों में कार्यरत महिलाओं को रात्रि पाली में रात्रि 9 बजे से सुबह 6 बजे तक कार्य करने को मंजूरी। लेकिन, महिला कर्मियों को लिखित में देनी होगी सहमति।

3- देहरादून शहर में सार्वजनिक प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने नियो मेट्रो के विकल्प के तौर पर ईबीआरटीएस (एलिवेटेड बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) की तरफ कदम बढ़ाए हैं। केंद्रीय आवासन मंत्रालय द्वारा सुझाए गए प्रस्ताव को किया जाएगा शामिल।

4-अभियोजन विभाग के नए ढांचे को दी गई मंजूरी, कुल 86 पद स्वीकृत करने को मंजूरी।

5-ऊर्जा निगम के वार्षिक प्रतिवेदन को विधानसभा की पटल पर रखने को मंजूरी।

6- पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के वार्षिक प्रतिवेदन को विधानसभा की पटल पर रखने को मंजूरी।

7- दुकान अवस्थापना अधिनियम में संशोधन को मंजूरी। केंद्रीय श्रम सहिता को किया अंगीकृत।

पीएमश्री स्कूलों में पुस्तकालयों के लिए शीघ्र बजट आबंटित किया जाएः बर्द्धन

पीएमश्री स्कूलों में कम्प्यूटर लैब एवं पुस्तकालयों के स्थापना में तेजी लायी जाए। कम्प्यूटर लैब अगले एक माह में की जाए स्थापित। यह निर्देश मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में पीएमश्री स्कूलों की समीक्षा के दौरान दिए। उन्होंने कहा कि स्कूलों में पुस्तकालयों के लिए शीघ्र बजट आबंटित किया जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि 32 पीएमश्री स्कूलों में एकीकृत विज्ञान प्रयोगशालाओं की स्थापना में भी तेजी लायी जाए। जिनका बजट जारी किया जाना है, एक माह के भीतर बजट जारी कराया जाए। उन्होंने टिंकरिंग लैब शीघ्र उपलब्ध कराए जाने के लिए आईआईटी कानपुर से लगातार संवाद कर निर्धारित समय सीमा के अंदर कार्य को पूर्ण कराए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी पीएमश्री स्कूलों में खेल के मैदान उपलब्ध कराए जाने पर भी शीघ्रातिशीघ्र कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए हैं।

बैठक के दौरान बताया गया कि प्रदेश में कुल 226 विद्यालयों को पीएमश्री विद्यालयों के रूप में चुना गया है। इसमें 34 प्राथमिक एवं 192 माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं। इसके साथ ही 15 और अन्य विद्यालयों को स्वीकृति मिली है। बताया गया कि पीएमश्री के 22 कम्पोनेंट्स में से 16 को 100 प्रतिशत लागू कर लिया गया है। बाकि 6 कम्पोनेंट्स का कार्य विभिन्न चरणों में गतिमान है।
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जाइका से वित्त पोषित उत्तराखण्ड एकीकृत उद्यान विकास परियोजना की उच्च स्तरीय समिति की बैठक संपन्न

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में जाइका से वित्त पोषित उत्तराखण्ड एकीकृत उद्यान विकास परियोजना की उच्च स्तरीय/संचालन समिति की बैठक संपन्न हुई। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने अधिकारियों को परियोजना का वित्तीय एवं भौतिक प्लान तैयार किए जाने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने वरिष्ठ अधिकारियों को जनपदों में भ्रमण कर समीक्षा कर फीडबैक लेने के लिए लगातार दौरे करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने निर्देश दिए कि अन्य विभागों की फल एवं सब्जियों से जुड़े आजीविका की योजनाओं को भी इसमें शामिल किया जाए।

मुख्य सचिव ने वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए वार्षिक कार्ययोजना जनवरी माह तक पूर्ण किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि निर्धारित अवधि में कार्य पूर्ण हो सकें इसके लिए जनपदों के लिए भी लक्ष्य निर्धारित किए जाएं। संपूर्ण प्रोजेक्ट का भी वर्षवार लक्ष्य निर्धारित करते हुए प्लान तैयार कर लिया जाए।

इस अवसर पर सचिव श्रीधर बाबू अद्दांकी, डॉ. एस.एन. पाण्डेय, महानिदेशक कृषि एवं उद्यान वंदना सहित कृषि, उद्यान एवं सगन्ध पौधा केंद्र के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।