राज्य में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के जाति प्रमाण पत्र के हर तीन साल में नवीनीकरण (रिन्यू) कराने की बाध्यता हटाने की तैयारी चल रही है। शासन स्तर पर इस प्रस्ताव पर मंथन शुरू हो गया है। इसके लिए समाज कल्याण विभाग को निर्देश मिले है कि वह प्रस्ताव बनाकर शासन को रिपोर्ट भेजे। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने इसकी पुष्टि की है।
जानकारी के मुताबिक राज्य में पूर्व में ओबीसी जाति प्रमाण पत्र के नवीनीकरण की अवधि छह महीने थी। विजय बहुगुणा सरकार ने इस अवधि को बढ़ाकर तीन साल कर दिया था। मगर, अब जाति प्रमाण पत्र से समय सीमा हटाने की मांग हो रही है।
यह भी है वजह
ओबीसी जाति प्रमाण पत्र की तीन साल की बाध्यता के पीछे की सबसे प्रमुख वजह केंद्र व प्रदेश सरकार की छात्रवृत्ति व अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लाभ और सरकार नौकरियों में आवेदन व साक्षात्कार से जुड़ी है। इस वर्ग से जुड़े लोगों का तर्क है कि प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी में जुटे अभ्यर्थी कई बार प्रमाणपत्र का समय पर नवीनीकरण कराना भूल जाते हैं।
इससे कई बार उनका चयन इस आधार पर लटक जाता है कि उन्होंने ओबीसी जाति प्रमाण पत्र को रिन्यू नहीं कराया। इसके अलावा यही समस्या अन्य योजनाओं में आ रही है। इस मामले में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह का कहना है कि ओबीसी जाति प्रमाण पत्र की तीन साल की बाध्यता समाप्त करने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। इसमें चूंकि क्रीमिलेयर की बात आती है। इसे देखना आवश्यक होता है। इसी वजह से इसमें रेगुलर इंटरवल पर सर्टिफिकेट बनवाने की जरूरत होती है। इस बारे में विचार हो रहा है। हम चाहते हैं कि कोई ऐसा हल निकले कि ओबीसी के अभ्यर्थियों को कम से कम परेशानी हो।