जानिए कौन से हैं उत्तराखंड के कुमाऊँ व गढ़वाल क्षेत्रों के लोकप्रिय व्यंजन

अब उत्तराखण्ड के कई रेस्तरां भी अपने मेनू में राज्य के स्थानीय व्यंजनों को प्रमुखता से स्थान दे रहे हैं। दूसरे प्रकार के व्यंजनों से लेकर सैंडविच की दुकानों तक सभी प्रकार के विभिन्न रेस्तरांओं में भी पहाड़ी व्यंजन अपनी जगह बना रहे हैं। ये स्थानीय व्यंजन इन्हें सही मायने में प्रतिस्पर्धा से अलग खड़ा करने और पर्यटकों को इम्युनिटी बूस्टर के विदेशी स्रोतों के विकल्पों की पेशकश कर रहे हैं।

आइए कुछ विशेष लोकप्रिय व्यंजनों की खासियत समझते हैं-
काफुली -उत्तराखंड के कुमाऊँ व गढ़वाल क्षेत्र में प्रसिद्ध शाकाहारी पकवानों में से एक काफुली काफी स्वादिष्ट व्यंजन है जिसका आनंद ज्यादातर सर्दियों के मौसम में लिया जाता है। इसे पालक, लाई और मेथी के पत्तों से बनाया जाता है। लोहे की कड़ाही में पकाया जाने वाले इस स्थानीय व्यंजन को गर्म चावल के साथ खाने का आनंद ही अलग है। स्थानीय भाषा में इसे कापा भी कहा जाता है, यह एक पौष्टिक व्यंजन है जो आयरन, कैल्शियम, विटामिन सी और ई जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध है।

पहाड़ी मसूर की दाल – मसूर की दाल उत्तराखंड के कुमाऊँ व गढ़वाल दोनों क्षेत्रों का प्रसिद्ध स्थानीय व्यंजन है। स्वास्थ्य लाभ के संदर्भ में, यह रक्त कोशिकाओं के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है, हड्डियों को मजबूत और आंखों की दृष्टि शक्ति बढ़ाने में मदद करता है। देसी घी, चपातियों और चावल के साथ इस पहाड़ी मसूर दाल का आनंद लिया जाता है।

भट्ट के डूबके -भट्ट के डूबके कुमाऊँ क्षेत्र का एक पारंपरिक पकवान है। उच्च प्रोटीन और फाइबर के साथ समृद्ध, यह भट्ट या काले सोयाबीन के साथ बनाया जाता है। इस पारंपरिक पकवान को देखते हुए मुंह में पानी आने लगता है, भट्ट के डूबके पाचन में मदद करने के साथ ही रक्तचाप को कम करता है और विटामिन ई और अमीनो एसिड का एक बड़ा स्रोत भी है

झंगोरे की खीर -उत्तराखंड में पैदा होने वाला झंगोरा एक प्रकार का अनाज है जिससे गढ़वाल क्षेत्र में झंगोरे की खीर बनाई जाती है। यह एक स्वादिष्ट स्वीट डिश के रूप में उत्तराखंड में काफी लोकप्रिय है। झंगोरे की खीर में दूध को मिलाया जाता है जिससे एक अनूठा स्वाद आता है।

भांग की चटनी -उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले व्यंजनों में भांग की चटनी है। यह भुने हुए भांग के बीज और भुने जीरे के साथ नींबू का रस, मिर्च और हरी धनिया पत्ती से तैयार किया जाता है। स्वाद बढ़ाने के लिए अन्य व्यंजनों के साथ प्रोटीन से समृद्ध भांग की चटनी को खाने के लिए परोशा जाता है। भांग का प्रयोग सर्दियों में पहाड़घ्ी सब्जियों में भी किया जाता है।

कंडाली का साग -कंडाली का साग उत्तराखंड में तैयार किए जाने वाले लोकप्रिय गढ़वाली व्यंजनों में से एक है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध स्थानीय पौधों में से एक कंडाली का उपयोग इस व्यंजन को तैयार करने में किया जाता है। कंडाली का साग आयरन, फॉर्मिक एसिड, विटामिन ए और फाइबर से समृद्ध होता है। पर्यटक राज्य में आकर चपाती या चावल के साथ इस व्यंजन का आनंद ले सकत हैं।

उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन और व्यंजनों को लोकप्रिय बनाने के लिये किये जा रहे प्रदेश सरकार के प्रयासों का लाभ पर्यटकों को आकर्षित करने में मिलेगा। कोविड महामारी के दौरान लोगों के खानपान के व्यवहार में जो बदलाव आया है, उसका लाभ उत्तराखंड को उसके व्यंजनों की विविधता के चलते मिलना सुनिश्चित है। प्रदेश सरकार का मिशन और विजन उत्तराखंड को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अग्रणी पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में स्थान दिलाना है।

सीएम त्रिवेंद्र ने पर्वतारोहियों को प्रशस्ति पत्र देकर किया सम्मानित

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आईटीबीपी सीमाद्वार परिसर में गंगोत्री-2 पर्वतारोहण एवं 6 पीक आरोहण फ्लैग इन सैरेमनी में प्रतिभाग किया। आईटीबीपी द्वारा सितम्बर माह में 06 अनाम चोटियों पर पर्वतारोहण हेतु दल भेजा गया जिसका नेतृत्व सैक्टर देहरादून आईटीबीपी की उपमहानिरीक्षक अर्पणा कुमार द्वारा किया गया। 08 सदस्यों के दल ने उत्तराखण्ड के उच्च हिमालय की 06 हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाली चोटियों का आरोहण किया। आईटीबीपी द्वारा एक और पर्वतारोहण अभियान उप सेनानी दीपेन्द्र मान के नेतृत्व में उत्तरकाशी से 21615 फीट की ऊंचाई पर गंगोत्री-2 चोटी का सफलतापूर्वक आरोहण कर तिरंगा फहराया। इस दल में 26 पर्वतारोही थे।

मुख्यमंत्री ने इन सभी पर्वतारोहियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि आईटीबीपी के जवानों ने शौर्य, दृढ़ता एवं कर्मनिष्ठा का परिचय देते हए अपनी ड्यूटी के साथ पर्वतारोहण के क्षेत्र में नया रिकॉर्ड कायम किया है। आशा है कि चुनौतियों को स्वीकार करने वाले इन हिमवीरों ने आगे भी लक्ष्य तय किये होंगे। उन्होंने कहा कि आईटीबीपी और उत्तराखण्ड का गहरा रिश्ता है। अभी उत्तराखण्ड के 11 हजार लोग आईटीबीपी में सेवारत हैं एवं उत्तराखण्ड से 40 हजार लोग अपनी सेवाएं आईटीबीपी में दे चुके हैं। आईटीबीपी शौर्य एवं संवेदना का दूसरा नाम है। अपने परिवार से दूर रहकर हमारे जवान सीमान्त क्षेत्रों में सेवाएं देकर देश की रक्षा के लिए अपने शौर्य का परिचय दे रहे हैं। उत्तराखण्ड आपदा की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है, आईटीबीपी ने आपदाओं के समय राज्य सरकार को पूरा सहयोग दिया है। दुर्गम क्षेत्रों में जाकर इन जवानों ने अपना लोहा मनवाया है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आईटीबीपी के साथ मजबूती के साथ खड़ी है। राज्य सरकार की ओर से आईटीबीपी को हर संभव सहयोग दिया जायेगा। आज उत्तराखण्ड विश्वभर में पर्यटन के क्षेत्र में आकर्षण का केन्द्र है। पर्यटन गतिविधियों में प्रदेश में चारधाम यात्रा, ईको टूरिज्म, ट्रेकिंग, एडवेंचर, विंटर स्पोर्ट्स शामिल हैं। 13 डिस्ट्रिक 13 न्यू डेस्टीनेशन पर राज्य सरकार कार्य कर रही है। उत्तराखण्ड शासन ने आईटीबीपी के साथ एक एमओयू हस्ताक्षरित किया है, जिसमें माँ गंगा के सौन्दर्यीकरण के साथ-साथ वाटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए टिहरी बांध से में व्यावसायिक क्षमता, उत्कृष्ट कार्य, पर्यटन व स्वरोजगार बढ़ाने के लिए मिलकर कार्य करेंगे। टिहरी लेक में एडवेंचर की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए आईटीबीपी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

इस अवसर पर आईटीबीपी के महानिरीक्षक उत्तरी सीमांत नीलाभ किशोर, उपमहानिरीक्षक कुंवर पाल सिंह, मंधीर एक्का, रणजीत सिंह, निम के कर्नल अमित बिष्ट आदि उपस्थित थे।

साथी ऐप को उत्तराखंड सरकार ने किया शुरू, पर्यटकों का बढ़ेगा भरोसा

केंद्र सरकार के सभी राज्यों द्वारा एक नई पहल के अंतर्गत साथी ऐप बनाया गया है जो आतिथ्य उद्योग के मूल्यांकन, जागरूकता और प्रशिक्षण प्रणाली के लिए है। इसी क्रम में साथी ऐप को प्रदेश सरकार ने भी शुरू किया है। जो पर्यटकों और हितधारकों के बीच भरोसा और विश्वास बनाये रखने पर केंद्रित है

यह पहल वर्तमान में होटल, रेस्तरां, बी2बी-होमस्टे पर लागू है। साथी ऐप को तीन चरणों में विभाजित किया गया हैं। कोविड 19 के दिशा-निर्देशों का सही तरीके से पालन करने के लिए सेल्फ सर्टिफिकेशन, क्षमता निर्माण, जो होटल व्यवसायी, रेस्तरां और अन्य लोगों की क्षमता बनाने में मदद करेगा। साइट मूल्यांकन, जो अंतराल की पहचान करने के लिए भूमि कार्यान्वयन पर जाँच करता है। अभी तक साथी ऐप में प्रदेश के 320 इकाइयों ने अपना पंजीकरण कराया है।

भारत सरकार द्वारा चलायी जा रही इस पहल के बारे में बात करते हुए, पर्यटन मंत्री, सतपाल महाराज ने कहा, ‘‘साथी कोविड-19 की चुनौतियों का सामना करने के लिए आतिथ्य उद्योग के साथ मदद और भागीदारी है। इस पहल के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह हमारे माननीय पीएम नरेंद्र मोदी की आत्म निर्भर भारत के विजन के साथ जुड़ा हुआ है। मैं उत्तराखंड के सभी संबंधित हितधारकों से अनुरोध करूंगा कि वे इस पहल में सक्रिय रूप से खुद को पंजीकृत करें और इसका पूरा लाभ उठाएं। उन्होंने कहा कि साथी को अधिक लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है इसके लिए यात्रा एग्रीगेटर जैसे मेकमाईट्रिप, गोआईबीबो के साथ जोड़ा जा सकता है, ताकि बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच बनायी जानी संभव हो सके।

सचिव पर्यटन, दिलीप जावलकर ने कहा, “साथी ऐप के माध्यम से संसाधनों का प्रचार-प्रसार होने से उत्तराखण्ड राज्य में पर्यटन को नया आयाम मिलेगा। साथी ऐप से पर्यटन उद्योग में हमारे हितधारकों को सशक्त बनाने के साथ ही स्वरोजगार के अवसर भी सुलभ होंगे।

दो चरणों में होगा लच्छीवाला नेचर पार्क का पुननिर्माण

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने लच्छीवाला नेचर पार्क के पुनर्निमाण संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस नेचर पार्क का निर्माण दो चरणों में किया जायेगा। जिस पर 1008.35 लाख का व्यय आगणित है। इसके लिये कैम्पा मद में भी एक करोड़ की धनराशि प्रविधानित है।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा जनपद पौड़ी के विधानसभा क्षेत्र चैबटाखाल के विकासखण्ड एकेश्वर में पाटीसैंण तछवाड़ एकेश्वर मोटर मार्ग के सुधारीकरण एवं डामरीकरण के लिये 306.42 लाख तथा विधानसभा क्षेत्र घनसाली के अंतर्गत कोट से चैठारा होते हुए हुन्ण तक मोटर मार्ग निर्माण हेतु 28.04 लाख की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री घोषणा के तहत विकास खण्ड जयहरीखाल के अन्तर्गत मोलखण्डी अकरी तथा मोलखण्डी सकरी हेतु मोटर मार्ग नव निर्माण हेतु भी मुख्यमंत्री द्वारा 17.24 लाख की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की पौत्रियों के विवाह को सरकार ने दी धनराशि
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जनपद देहरादून, पौड़ी उत्तरकाशी एवं बागेश्वर के 06 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की पौत्रियों के विवाह हेतु 3 लाख की धनराशि स्वीकृत की है। इस प्रकार 50 हजार की धनराशि प्रति आवेदक को उपलब्ध होगी।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा उत्तराखण्ड मुक्त विश्व विद्यालय हल्द्वानी में अतिथि गृह, कुलपति आवास एवं बहुउदेश्यीय भवन हेतु फर्नीचर फिक्सिंग कार्य हेतु 928.55 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की है। यह धनराशि विश्व विद्यालय द्वारा स्वयं के संसाधनों से व्यय की जायेगी।

बदरीनाथ महानिर्माण योजना पीएम की दूरदर्शी योजना में शामिलः पर्यटन सचिव

पर्यटन-धर्मस्व एवं संस्कृति सचिव दिलीप जावलकर ने स्थानीय ब्यापारियों एवं तीर्थ पुरोहितों तथा हक-हकूकधारियों से बदरीनाथ महानिर्माण योजना के विषय में बैठक की तथा मास्टर प्लान के संबंध में लोगों की आपत्तियों एवं शंकाओं का निवारण भी किया। पर्यटन सचिव ने कहा कि बदरीनाथ महानिर्माण योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में लागू हो रही दूरदर्शी योजना है। महानिर्माण योजना पर 424 करोड़ का बजट प्रस्तावित है, जिससे स्थानीय लोगों को लाभ पहुंचेगा तथा बदरीनाथ धाम में यात्री सुविधाओं में वृद्दि होगी। उन्होंने कहा कि बदरीनाथ मास्टर प्लान को केंद्र के सहयोग से लागू हो रही महत्त्वपूर्ण परियोजना है मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बदरीनाथ धाम को अधिक आध्यात्मिक नगरी के रूप में सुविधा-संपन्न बनाने हेतु

उल्लेखनीय है कि यात्री सुविधाओं हेतु मास्टर प्लान तीन चरणों में प्रस्तावित है पहले चरण में शेष नेत्र एवं बदरीश झील का सौंदर्यीकरण शामिल है। दूसरे चरण में बदरीनाथ धाम परिसर तथा आसपास के स्थलों का सोंदर्यीकरण तथा विस्तारीकरण होना है तत्पश्चात तीसरे चरण में शेष नेत्र से बदरीनाथ मंदिर तक आस्थापथ निर्माण प्रस्तावित है।
पर्यटन सचिव ने बदरीनाथ मास्टर प्लान को आध्यात्मिक क्षेत्र बदरीनाथ धाम के विकास हेतु महत्त्वपूर्ण महायोजना बताया है। इससे पहले पर्यटन सचिव ने बदरीनाथ मंदिर में दर्शन किये तथा ब्यवस्थाओं का भी निरीक्षण किया।

बैठक के पश्चात पर्यटन सचिव ने मंदिर के निकटवर्ती स्थानों नारायण पर्वत, मातामूर्ति मार्ग, ब्रह्मकपाल, तप्तकुंड क्षेत्र, बामणी गांव मार्ग आदि स्थानों का पैदल चलकर अवलोकन किया।
इस अवसर पर उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह, उप जिलाधिकारी अनिल चन्याल, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, बदरीनाथ नगर पंचायत अधिशासी अधिकारी सुनील पुरोहित, नगर पंचायत अध्यक्ष अरविंद शर्मा, व्यापार सभा के विनोद नवानी आदि मौजूद रहे।

केदारनाथ में नेपाल भवन को संग्रहालय के रूप में संरक्षित करने का प्रस्ताव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निगरानी में किए जा रहे अवस्थापना स्थापना संबंधी कार्यों की प्रगति का जायजा लेने सचिव संस्कृति, भारत सरकार राघवेंद्र सिंह तथा सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर केदारनाथ धाम पहुंचे। उन्होंने आदि शंकराचार्य की समाधि, नेपाल भवन तथा केदारनाथ लिंचोली मार्ग का निरीक्षण किया।

सचिव पर्यटन जावलकर ने सचिव, भारत सरकार को केदारनाथ में चल रहे विकास कार्यों की प्रगति से रूबरू कराया। कहा कि आदि शंकराचार्य की समाधि पर चल रहे कार्यों को यथाशीघ्र पूर्ण करने के निर्देश कार्यदाई संस्था को दिए गए। इस दौरान उनके साथ प्रसिद्ध उद्योगपति सज्जन जिंदल भी उपस्थित रहे। ज्ञातव्य है कि जिंदल स्टील वक्र्स द्वारा केदारनाथ विकास कार्यों के लिए बड़ी मात्रा में सहयोग राशि उपलब्ध करवाई गई है जिसके माध्यम से शंकराचार्य समाधि स्थल पर निर्माण कार्य संचालित किए जा रहे हैं। भारत सरकार के संस्कृति सचिव द्वारा इस अभूतपूर्व योगदान के लिए उद्योगपति जिंदल का विशेष आभार व्यक्त किया गया।

मौके पर अधिकारियों ने नेपाल भवन का भी निरीक्षण किया और स्थान स्वामी से वार्ता कर इसे संग्रहालय के रूप में संरक्षित करने का प्रस्ताव दिया। सचिव, भारत सरकार की ओर से कुछ स्थानीय घरों का भी निरीक्षण किया गया, इसमें अस्थाई तौर पर संग्रहालय को संचालित किया जा सके। भारत सरकार के संस्कृति सचिव द्वारा केदारनाथ लिंचोली मार्ग का भ्रमण किया गया। जिसमें उनके द्वारा किन्ही चार स्थलों (पडावौं) को धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु ध्यान केंद्र के रूप में विकसित करने का विश्वास दिलाया गया।

देवस्थानम बोर्ड को शासन से पूर्ण सहयोग मिल रहाः सचिव पर्यटन

पर्यटन सचिव जावलकर ने कहा कि राज्य में पर्यटकों के लिए आवाजाही खोल दी गई है। देशभर के श्रद्धालुगण अब देवस्थान पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा कर चार धामों की यात्रा पर आ सकते हैं। कहा कि देवस्थानम बोर्ड को अपना कार्य केवल पूजा अर्चना तक सीमित न रखते हुए यात्रियों की सेवा के लिए अतिरिक्त कार्य करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड को शासन की ओर से पूर्ण सहयोग दिया जा रहा है। बोर्ड के अधिकारी- कर्मचारियों से इस बात की अपेक्षा है कि वे वृहद स्तर पर उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु अपने विजन को विशाल करेंगे।

30 हजार श्रद्धालु कर चुके हैं बाबा केदार के दर्शन
उन्होंने बताया कि अब तक 30,000 श्रद्धालुओं द्वारा बाबा केदार के दर्शन किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि पर्यटकों के लिए राज्य के द्वार खोले जाने से चारों धामों में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है इससे स्थानीय होटल एवं रिजॉर्ट व्यवसायी, घोड़ा व्यवसाई, छोटे कारोबारियों तथा पर्यटन क्षेत्र के अन्य हित धारकों को लाभ पहुंचेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

उत्तराखंड में फिल्म सिटी बनाने में अभिनेत्री भाग्यश्री ने जताई इच्छा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मुख्यमंत्री आवास में फिल्म अभिनेत्री भाग्यश्री एवं उनके पति हिमालय दासानी ने भेंट की। उन्होंने उत्तराखण्ड में फिल्म सिटी के क्षेत्र में कार्य करने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में फिल्मी हस्तियों का रूझान बढ़ा है। राज्य में युवाओं को फिल्म के क्षेत्र में विभिन्न प्रशिक्षण दिये जाय तो युवा इस क्षेत्र में अच्छा करियर बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि फिल्म क्षेत्र के साथ ही आर्गेनिक उत्पादों के क्षेत्र में भी उत्तराखण्ड में काफी सम्भावनाएं हैं। उत्तराखण्ड में ऑर्गनिक नेचर को बढ़ावा देना जरूरी है। ऑर्गेनिक उत्पादों की डिमांड बहुत अधिक है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में फिल्म सिटी बनाने के लिए भूमि तलाशी जा रही है। फिल्म सिटी के लिए भूमि अधिक चाहिए एवं इसके लिए स्थान भी एयरपोर्ट से कम दूरी पर तलाशने के प्रयास किये जा रहे हैं। उत्तराखण्ड के युवाओं को सही दिशा देने की जरूरत है। यदि उन्हें यहां पर फिल्म के क्षेत्र में प्रशिक्षण मिलता है, तो वे इस क्षेत्र में अच्छा भविष्य बना सकते हैं। उत्तराखण्ड में फिल्म सिटी बनने से लोगों की आर्थिकी में भी सुधार होगा। इस अवसर पर विधायक गोपाल रावत, सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव आशीष चैहान आदि मौजूद रहे।

अतिथि देवो भवः की हमारी को उत्तराखंड ने सदैव कायम रखाः त्रिवेंद्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड पर्यटन, वेलनेस टूरिज्म तथा आयुष के क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है। प्रदेश का नैसर्गिक प्राकृतिक सौन्दर्य सदियों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। जबकि यहां के चारधाम देश व दुनिया के करोड़ों लोगों के आस्था के केंद्र है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने मे पर्यटन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसी के दृष्टिगत राज्य में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि ‘अतिथि देवो भवः’ की हमारी परम्परा रही है। हमें अपनी इस परम्परा को सदैव कायम रखना होगा। उन्होंने कहा कि पर्यटन दिवस को मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य, दुनियाभर में लोगों को पर्यटन के महत्व के प्रति जागृत करना है। उन्होंने कहा कि पर्यटन की किसी भी देश के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के पर्यटन को वर्षभर स्थानीय निवासियों के लिए आर्थिक गतिविधियों का स्रोत बनाये जाने का हमारा प्रयास है। प्रदेश में पर्यटन को बढावा देने के लिये ’13 जिले-13 नए पर्यटन गंतव्य’, स्थापित किये जाने के साथ ही अनेक अन्य पर्यटन गंतव्य विकसित करने की दिशा में भी पहल की जा रही है। चारधाम सड़क योजना एवं ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाईन का निर्माण तेजी से हो रहा है। इससे प्रदेश में आने वाले पर्यटकों, तीर्थयात्रियों को आवागमन में आसानी होगी। श्री केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण कार्य अंतिम चरण पर है। इसे विश्व स्तरीय धार्मिक स्थल बनाया जा रहा है। बद्रीनाथ मन्दिर के सौन्द्रयीकरण की दिशा में पहल की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड 19 का प्रभाव अन्य क्षेत्रों की भांति प्रदेश के पर्यटन व्यवसाय पर भी पड़ा है। पिछले छः माह से पर्यटन व्यवसाय में आये ठहराव को अब आगे बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे है। होटल, राफ्टिंग, फिल्म शूटिंग, चारधाम यात्रा जैसे क्षेत्रों को शुरू करने की दिशा में कदम बढ़ाये जा रहे हैं। इसके लिए एसओपी के तहत गाइड लाइन भी तैयार की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शीघ्र ही वैश्विक महामारी का यह दौर भी समाप्त होगा तथा देवभूमि में पर्यटन व्यवसाय चार धाम यात्रा तथा यहां के नैसंर्गिक प्राकृतिक स्थलों पर फिल्मांकन आदि व्यवसाय अपने पूर्व स्वरूप में दृष्टिगोचर होने लगेगा।

शपथ पत्र देकर अब उत्तराखंड में वाटर स्पोर्ट्स और एडवेंचर को मंजूरी

उत्तराखंड में वाटर स्पोर्ट्स और एडवेंचर को मंजूरी मिल गई हैं। इससे पूर्व कोरोना संक्रमण के चलते राज्य में इस पर रोक लगा दी गई थी। अब मंजूरी मिलने के बाद जिला प्रशासन को गाइडलाइन का पालन कराना होगा।

मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने आदेश जारी कर कहा कि वाटर स्पोर्ट्स, ट्रैकिंग, पर्वतारोहण, ऐरो स्पोर्ट्स, कैंपिंग संचालित करने वालों को सशर्त मंजूरी दी जा रही है। कंपनी, एजेंसी, टूर ऑपरेटर्स को कोरोना संक्रमण रोकने को लेकर अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना होगा।

कहा कि एजेंसियों को जिला प्रशासन, जिला पर्यटन अधिकारियों को शपथ पत्र देना होगा। गाइडलाइन के तहत गतिविधियां संचालित होंगी। आरोग्य सेतु एप हर व्यक्ति को अपने मोबाइल फोन पर डाउनलोड करना होगा।

आनंद वन पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनेगा, सीएम ने सिटी फाॅरेस्ट का किया लोकार्पण

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं वन मंत्री डॉ. हरक सिह रावत ने झाझरा वन रेंज परिसर में उत्तराखण्ड सिटी फॉरेस्ट ‘आनंद वन’ का लोकार्पण किया। झाझरा में विकसित किये गये इस सिटी फारेस्ट में उत्तराखण्ड के विभिन्न प्रजातियों की जीव-जन्तुओं एवं प्राकृतिक दृश्यों को प्रतिकृतियों के माध्यम से दिखाया गया। इसे नेचर एजुकेशन सेंटर के रूप में विकसित किया गया है। जिसमें विभिन्न प्रजातियों के जीव-जन्तुओं एवं वनस्पतियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इस वर्ष नवरात्रि के प्रथम दिवस से यह सिटी फारेस्ट सेंटर आम जन के लिए खोला जायेगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि झाझरा में वन विभाग द्वारा प्रकृति से छेड़छाड़ किये बिना अच्छी सिटी फॉरेस्ट तैयार किया गया है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि इसमें केवल प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया गया है। आनंद वन में उत्तराखण्ड की उपकृति को दिखाने का अच्छा प्रयास किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की जो संस्कृति ग्राम की परिकल्पना है। इसकी झलक भी लोगों को यहां पर देखने को मिले। जिसमें उत्तराखण्ड की संस्कृति, शिल्प, देवस्थानों एवं परम्पराओं के बारे में भी लोगों को जानकारी मिले। इसके बारे में जरूर विचार किया जाय, कि यहां पर उत्तराखण्ड की आंशिक झलक लोगों को देखने को मिले। उन्होंने कहा कि यह सिटी पार्क पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केन्द्र बनेगा। मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि इस सिटी पार्क पर एक लघु फिल्म बनाई जाय।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि एक सिटी फॉरेस्ट हल्द्वानी में विकसित किया जा रहा है। प्रकृति से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। मनुष्य ने जो भी प्राप्त किया है, वह प्रकृति से सीखकर किया है। प्रकृति और मानव के बीच संतुलन बनाये रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। दुनिया प्रकृति के संरक्षण के लिए जागरूक हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में उत्तराखण्ड में जल संरक्षण की दिशा में अनेक कार्य किये गये। 25 मई 2017 से व्यापक स्तर पर जल संचय अभियान चलाया गया। कोसी एवं रिस्पना नदी के पुनर्जीवीकरण के लिए व्यापक स्तर पर पौधारोपण किया गया।

कैंपा के जरिए 10 हजार लोगों को मिलेगा रोजगारः डा. हरक
वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि यह सिटी फॉरेस्ट वन विभाग द्वारा समाज को एक धरोहर के रूप में सौंपा जा रहा। हल्द्वानी और ऋषिकेश में भी थीम बेस्ड सिटी पार्क बनाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने वन विभाग को 10 हजार लोगों को रोजगार का जो लक्ष्य दिया गया है, वह पूरा किया जायेगा। इस वर्ष कैम्पा के माध्यम से 400 करोड़ रूपये के कार्य किये जायेंगे। जिसमें 10 हजार से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा जायेगा। भारत सरकार के सहयोग से देहरादून एवं कोटद्वार में नगर वन बनाने की योजना बनाई जा रही है। राज्य के अनेक विकासखण्डों में नेचर वन बनाने की योजना बनाई गई है। जल संवर्द्धन के साथ ग्रेविटी वाटर की दिशा में वन विभाग द्वारा कार्ययोजनाएं बनाई गई हैं।