प्रयागराज कुम्भ मेले की तरह होंगी हरिद्वार कुंभ मेले की व्यवस्थाएंः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में कुम्भ मेला-2021 की तैयारियों के संबंध में बैठक संपन्न हुई। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मेलाधिकारी प्रयागराज कुम्भ मेला 2019 श्री विजय किरन आनन्द ने प्रयागराज कुम्भ मेला 2019 हेतु की गई तैयारियों पर प्रस्तुतीकरण दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2021 में होने जा रहे कुम्भ मेले में 15 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की सम्भावना है। इतनी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कुम्भ क्षेत्र का विस्तार किया जाना आवश्यक है। उन्होंने अवस्थापना संबंधी कार्यों जैसे सडक, विद्युत, पेयजल आपूर्ति, कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने, चिकित्सा सुविधा, स्वच्छता व कूड़ा निस्तारण, आवासीय व पार्किंग व्यवस्था व कुम्भ मेला क्षेत्र विस्तार योजना पर तेजी से कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को सभी आवश्यक व्यवस्थाएं समय से सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी सेक्टर ऑफिसर्स को भी शीघ्र तैनात करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रयागराज में आयोजित कुम्भ पूर्ण रूप से सफल रहा था। उन्होंने प्रयागराज कुम्भ 2019 का अध्ययन एवं मेलाधिकारी श्री विजय किरन आनन्द के अनुभवों की सहायता से कुम्भ 2021 को सफल बनाने हेतु हर सम्भव प्रयास किये जाने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी आवश्यक शासनादेश भी शीघ्र जारी करने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश, मेलाधिकारी कुम्भ मेला 2021 दीपक रावत, महानिदेशक पुलिस अशोक कुमार, सचिव अमित नेगी, दिलीप जावलकर एवं सौजन्या सहित शासन के उच्चाधिकारी भी उपस्थित थे।

उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड राज्य में धार्मिक पर्यटन की तस्वीर को बदल कर रख देगा

उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने राज्य में स्थापित मंदिरों की व्यवस्था को एकरूपता देने और राज्य में चार धाम यात्रा को और बेहतर बनाने के लिए उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड बनाकर एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार को उम्मीद है कि इस व्यवस्था के बाद राज्य में चार धाम यात्रा पहले के कहीं अधिक सुचारू रूप से चलेगी। राज्य में मंदिरों की देखभाल ठीक तरीके से हो सकेगी और देवसंस्कृति के वाहक पुरोहित समाज को भी पहले से अधिक सुविधाएं मिल दी जा सकेंगी। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बोर्ड के गठन के बाद न सिर्फ उत्साहित हैं बल्कि उम्मीद जता रहें हैं कि ये बोर्ड राज्य में धार्मिक पर्यटन की तस्वीर को बदल कर रख देगा।

इंफ्रास्ट्रक्चर होगा बेहतर
देवस्थानम बोर्ड बनाने के पीछे उत्तराखंड सरकार का प्रमुख उद्देश्य राज्य के  मंदिरों में आधारभूत ढांचागत विकास करना है। इस बोर्ड के अधीन राज्य के चारों धाम और 51 मंदिर आएंगे। इन मंदिरों में देश ही नहीं विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। ऐसे में इन मंदिरों में विश्व स्तरीय सुविधाओं का विकास भी किया जाएगा। सरकार अब राज्य में धार्मिक पर्यटन पर आने वालों के लिए सिंगल प्वाइंट अरेंजमेंट की ओर कदम बढ़ा रही है।

पुरोहितों के हित सुरक्षित
देवस्थानम बोर्ड के गठन के ऐलान के साथ ही इसका विरोध भी पटल पर आ गया। बड़ी संख्या में पुरोहित समाज के लोगों ने इस बोर्ड के गठन के विरोध में मोर्चा खोल दिया। हालांकि इस बोर्ड गठन के बाद अब पुरोहित समाज का बड़ा तबका इसके समर्थन में आ गया है। वहीं सरकार शुरुआत से इस बात का दावा करती रही है कि इस बोर्ड के गठन से पुरोहित समाज के हितों की अनदेखी किसी स्तर पर नहीं होगी। रावत और पुरोहितों की सदियों पुरानी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं आएगा। प्रबंधन के स्तर पर बोर्ड व्यवस्थाओं को बेहतर करेगा। इसी लिहाज से सरकार ने बोर्ड में चारों धामों के प्रतिनिधियों को भी स्थान दिया है। सरकार की माने तो इस बोर्ड के गठन के बाद चारों धामों की व्यवस्था में समन्वय बनेगा।

देखे वीडियो
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=3015510595136108&id=625450290808829

भविष्य के लिए जरूरी
त्रिवेंद्र सरकार राज्य में धार्मिक तीर्थाटन को भविष्य के लिहाज से व्यवस्थित करना चाहती है। वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी जैसे मंदिरों में की गई व्यवस्थाओं के मुताबिक ही त्रिवेंद्र सरकार उत्तराखंड के मंदिरों में भी व्यवस्थाएं करना चाहती है। सरकार को उम्मीद है कि इससे राज्य के मंदिरों में धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा। हालांकि सरकार के प्रयासों से चार धामों में आने वाले यात्रियों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। फिलहाल तकरीबन चालीस लाख पर्यटक पहुंच रहें हैं। राज्य में जारी ऑल वेदर रोड और ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन के निर्माण के बाद पर्यटकों की संख्या करोड़ों में पहुंच सकती है। ऐसे में राज्य के मंदिरों की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए सरकार को इस तरह के बोर्ड के गठन की जरूरत महसूस हो रही थी।

मुख्यमंत्री ने एक माह में सभी विभागों को पलायन रोकने के लिए कार्ययोजना बनाने के दिए निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य के चयनित ब्लॉकों में पलायन पर केंद्रित विशेष योजना संचालित करने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने माइग्रेशन मिटीगेशन फंड स्थापित करने और एक माह में सभी विभागों को पलायन को रोकने के लिए कार्ययोजना प्रस्तुत करने को भी कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि भू-अभिलेखों में महिलाओं का नाम प्राथमिकता के आधार पर दर्ज किया जाये। इको-टूरिज्म पॉलसी को शीघ्र अमलीजामा देने के भी निर्देश दिये। विश्वकर्मा भवन, सचिवालय में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन को लेकर आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने यह बातें कही।
सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए बनें फ्लेक्सीबल योजनाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों पर खास फोकस किया जाए। वहां पलायन को रोकने बनाई जाने वाली योजनाएं फ्लेक्सीबल हों। कोशिश की जाए कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले अधिक से अधिक स्थानीय लोग वहां रहने के लिए प्रेरित हों। सामरिक संवेदनशीलता को देखते हुए यह बहुत जरूरी है।
भू-अभिलेखों में महिलाओं का नाम भी दर्ज किए जाने की व्यवस्था हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों के गांवों में महिलाओं का अनुपात अधिक है। गांवों में संचालित योजनाओं को महिला केंद्रित हों। जरूरी है भू-अभिलेखों में उनका नाम भी दर्ज हो। इससे उन्हें कृषि, पशुपालन, स्वरोजगार आदि के लिए ऋण मिलने में आसानी रहेगी। राजस्व विभाग इसके लिए आवश्यक प्रावधान करे।
इको टूरिज्म पॉलिसी जल्द से जल्द बनाने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग को इको टूरिज्म पॉलिसी जल्द से जल्द बनाने के लिए निर्देशित किया। इको टूरिज्म के लिए वन विभाग व पर्यटन विभाग आपसी समन्वय से काम करें। उन्होंने कहा कि होम स्टे को दूसरी पर्यटन गतिविधियों व मार्केट से लिंक किया जाए। होम स्टे करने वालों को हॉस्पिटेलिटी के प्रशिक्षण की व्यवस्था हो। एडवेंचर स्पोर्ट्स को प्राथमिकता दी जाए। पर्यटन विभाग एक मोबाईल एप बनाए जिसमें जिलावार वहां के वन्य जीवन, वनस्पति, पर्यटन स्थलों, ट्रेकिंग स्थलों, होटल, होम स्टे आदि की जानकारी मौजूद हो।
ग्रामीण क्षेत्रों में फील्ड स्टाफ की कमी को दूर करने की आवश्यकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों में फील्ड स्टाफ की कमी को दूर करने की आवश्यकता है। पेयजल की उपलब्धता पर भी विशेष ध्यान देना होगा। किसानों की आय दुगुनी करने के लिए ऑफ सीजन सब्जियों के उत्पादन, मत्स्य पालन, बकरी पालन, फ्लोरीकल्चर महत्वपूर्ण हो सकते हैं। क्लस्टर बेस्ड एप्रोच अपनानी होगी। एमएसएमई के तहत पर्वतीय क्षेत्रों के युवाओं को स्वरोजगार के लिए लघु ऋणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
रेखीय विभाग करें गैप एनालिसिस
मुख्यमंत्री ने कहा कि पलायन से सर्वाधिक प्रभावित गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा आदि रेखीय विभाग गैप एनालिसिस करें। और जहां कमी नजर आती है, उसे प्राथमिकता से दूर किया जाए। एक माईग्रेशन मिटिगेशन फंड स्थापित किया जाए। राज्य के चिन्हित ब्लॉकों में पलायन पर केंद्रित विशेष योजना संचालित की जाए। मुख्यमंत्री सीमावर्ती क्षेत्र विकास योजना को फ्लेक्सीबल बनाया जाए। सभी विभाग पलायन को लेकर एक माह में कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत करें।
उत्तराखण्ड ग्रामीण विकास व पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी ने बताया कि राज्य के 36 विकासखण्ड चिन्हित किए गए हैं जहां ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन की अधिक समस्या रही है। इनमें अल्मोड़ा के 7, बागेश्वर के 1, चमोली के 5, पौड़ी के 12, पिथौरागढ़ के 5, रूद्रप्रयाग का 1 और टिहरी के 5 ब्लॉक शामिल हैं। गांवों से निकटवर्ती छोटे कस्बों में बसने की प्रवृत्ति देखने को मिली है। योजनाओं को महिला केंद्रित किए जाने की जरूरत है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए मार्केट से लिंक करना होगा। कई क्षेत्रों में बकरी पालन आय का बड़ा जरिया बना है।

प्रधानमंत्री से मिले मुख्यमंत्री, राज्य के विकास कार्यों की दी जानकारी

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भेंट कर वर्ष 2021 में हरिद्वार में होने वाले महाकुम्भ की तैयारियों की जानकारी दी। कुम्भ मेले के कुशल प्रबन्धन के लिए जनवरी 2021 से अप्रैल 2021 के मध्य चलने वाले महाकुम्भ के सफल संचालन हेतु लगभग एक हजार करोड़ रूपए से अधिक के कार्य किये जायेंगे। मुख्यमंत्री ने राज्य के सीमित संसाधनों को देखते हुए केन्द्र सरकार से आर्थिक सहयोग का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में हरिद्वार में आयोजित कुम्भ मेले में देश-विदेश से 8 करोड़ श्रद्धालु आए थे। 2021 में होने जा रहे कुम्भ मेले में 15 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की सम्भावना है। इतनी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए वृहद स्तर पर स्थाई व अस्थाई सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। कुम्भ क्षेत्र का विस्तार किया जा रहा है। अवस्थापना संबंधी कार्यों जैसे सडक, विद्युत, पेयजल आपूर्ति, कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने, चिकित्सा सुविधा, स्वच्छता व कूड़ा निस्तारण, आवासीय व पार्किंग व्यवस्था व कुम्भ मेला क्षेत्र के विस्तार का काम किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के साथ भेंट के दौरान मुख्यमंत्री ने केदारनाथ पुनर्निर्माण के कार्यों की जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि केदारनाथ का निर्माण कार्य मिशन मोड पर किया जाए। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को जानकारी दी कि बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री एवं उनके निकटवर्ती प्रमुख मंदिरों के लिए राज्य में देवस्थानम बोर्ड बनाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सीमांत क्षेत्र के गांवों में आजीविका एवं बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना शुरू की जा रही है। इसके लिए उन्होंने केन्द्र सरकार से विशेष पैकेज दिए जाने का अनुरोध किया। प्रदेश के सीमान्त क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए राज्य सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अप्रेल 2020 में होने वाले ‘वैलनेस समिट’ के शुभारम्भ के लिए अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 305 वैलनेस सेंटर का कार्य पूर्ण हो चुका है। सभी 462 वैलनेस सेंटर मार्च 2020 तक पूर्ण कर लिये जायेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश का सबसे बड़ा मोटर केबल पुल डोबरा चांटी का कार्य पूर्ण हो चुका है। इस पुल के लोकार्पण के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया।
राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर संतोष व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रदेश में वित्तीय संसाधन बढ़ाने के लिए जीएसटी कलेक्शन की दिशा में विशेष प्रयास किये जायें। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को जानकारी दी कि उत्तराखण्ड में इंवेस्टर्स समिट 2018 के बाद अभी तक 19 हजार करोड़ रूपए के निवेश की ग्राउडिंग हो चुकी है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 300 मेगावाट की लखवाड़ विद्युत परियोजना की भारत सरकार से मंजूरी हेतु अनुरोध किया, साथ ही यमुना की अविरलता एवं प्रवाह के सम्बन्ध में भी चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को बताया कि नीति आयोग द्वारा वर्ष 2019 में दी गयी गवर्नेंस इंडेक्स में उत्तराखण्ड को अच्छी रैंकिंग मिली है। कामर्स एवं इंडस्ट्री के क्षेत्र में उत्तराखण्ड को हिमालयी राज्यों में प्रथम व देश में 9 वीं रैंक मिली है, मानव संसाधन विकास में हिमालयी राज्यों में द्वितीय एवं देश में 6वीं रैंक मिली है। पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में हिमालयी राज्यों में प्रथम एवं देश में 10वीं रैंक मिली है, ईकॉनामिक गवर्नेंस में हिमालयी राज्यों में प्रथम एवं देश में द्वितीय रैंक मिली है, जबकि नीति आयोग की समग्र रैंकिंग में उत्तराखण्ड को हिमालयी राज्यों में द्वितीय एवं देश में 10वां स्थान मिला है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को ऑल वेदर रोड एवं ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की कार्य प्रगति की जानकारी भी दी, जिस पर प्रधानमंत्री ने संतोष व्यक्त किया।

सर्वे ऑफ़ इंडिया के सहयोग से चकबंदी में मिलेगी मदद

उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में कृषि भूमि की चकबंदी के लिए सरकार थ्री डी मैपिंग कराने जा रही है। इससे कृषि भूमि के खसरा नंबर की वास्तविक स्थिति का पता लग सकेगा। राजस्व विभाग सर्वे ऑफ इंडिया के माध्यम से थ्री डी मैप तैयार करवा रहा है। पहाड़ों में चकबंदी न होने के कारण सरकार की अनुबंध खेती की योजना परवान नही चढ़ पा रही है। पौड़ी जनपद के पांच गांवों में भी अभी तक चकबंदी नहीं हो पाई है। अब निर्णय लिया गया है कि इन गांवों में ड्रोन के जरिये एरियल सर्वे कराया जाएगा।
पर्वतीय क्षेत्रों में बिखरी कृषि जोत होने से किसानों को मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है और खेती से मुनाफा कम होने के चलते लोगों का कृषि से रुझान कम हो रहा है। गौरतलब है कि सरकार ने पहाड़ों के लिए आंशिक और स्वैच्छिक चकबंदी को कानूनी रूप से मान्य किया है। लेकिन अभी तक पर्वतीय क्षेत्रों में एक भी गांव में चकबंदी नहीं हो पाई है। सरकार ने पौड़ी जनपद के पांच गांवों से आंशिक व स्वैच्छिक चकबंदी की शुरुआत की है।
इनमें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के गांव खैरासैंण, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गांव पंचूर, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का गांव औणी समेत दो अन्य गांव शामिल हैं। इन गांवों में कृषि भूमि अभिलेखों का डाटा तैयार कर लिया है। अब ड्रोन से एरियल सर्वे किया जाएगा। प्रदेश में भूमि बंदोबस्त न होने के कारण चकबंदी करने में सबसे बड़ी समस्या आ रही है। एक ही जमीन के गोल खाते में कई हिस्सेदार हैं, लेकिन उन्हें यह पता नहीं है कि उनकी जमीन कहां पर है। अब सरकार चकबंदी को बढ़ावा देने के लिए सर्वे ऑफ इंडिया के माध्यम से पर्वतीय क्षेत्रों में थ्री डी मैपिंग करेगी।
वहीं, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जनपद में अनिवार्य चकबंदी की प्रक्रिया चल रही है। जिसमें हरिद्वार में 108 और ऊधमसिंह नगर में 50 गांव शामिल हैं। जबकि पर्वतीय जनपद पौड़ी के मात्र पांच गांवों में चकबंदी हो रही है। मैदानी जनपदों की तुलना में पहाड़ों में चकबंदी करना मुश्किल है।
अपर सचिव एवं आयुक्त, चकबंदी, बीएम मिश्र ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में चकबंदी के लिए सर्वे ऑफ इंडिया के माध्यम से थ्री डी मैप तैयार किया जाएगा। इससे पहाड़ों में गोल खातों व बिखरी कृषि जोत की वास्तविक स्थिति सामने आने से चकबंदी में आसानी होगी।

छह मिनट के वीडियो गीत में दिखेगी उत्तराखंड की सौंदर्यता, सीएम ने किया लोकार्पण

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में रमेश भट्ट द्वारा गाए उत्तराखंडी वीडियो गीत ‘जै जै हो देवभूमि’ को रिलीज किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ छह मिनट में देवभूमि उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं नैसर्गिक प्राकृतिक सौन्दर्य को प्रस्तुत करने का प्रयास रमेश भट्ट ने अपने इस वीडियो गीत में किया है। उनका यह प्रयास उत्तराखण्ड को नई पहचान दिलाने में मददगार होगा। उन्होंने कहा कि इस वीडियो गीत के माध्यम हम समूचे उत्तराखण्ड का सिंहावलोकन कर सकते हैं।

यह गीत प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सांस्कृतिक विरासत व लोक संस्कृति को भी बढ़ावा देने में सहायक होगा। उनकी भावनायें उत्तराखण्ड से जुड़ी हैं, उनके इस गीत में गीत संगीत अभिनय की व्यापक झलक मिलती है।

रमेश भट्ट बहुमुखी प्रतिभा के धनीः त्रिवेन्द्र
सीएम ने रमेश भट्ट को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताते हुए राज्य के प्रति उनके लगाव एवं समर्पण की भी सराहना की। उन्होंनें कहा कि समाज में छिपी प्रतिभाओं को निखारने तथा उन्हें अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान किये जाने के प्रयास किये जाने चाहिए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा जागर गायिका पद्म बसंती बिष्ट, शिक्षक प्रोफेसर के.डी. सिंह आदि को सम्मानित भी किया गया।

विस अध्यक्ष और सांसद ने की सराहना
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल तथा सांसद अजय भट्ट ने भी रमेश भट्ट के इस प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमारी लोक संस्कृति हमारी पहचान है। यह वीडियो देश व दुनिया के लोगों को उत्तराखण्ड आने का भी आमन्त्रण देता है। रमेश भट्ट के गुरू श्री के.डी.सिंह ने कहा कि इस अवसर पर उन्हें सम्मान देकर श्री भट्ट ने गुरू शिष्य परम्परा को जीवन्तता प्रदान की है। उन्होंने इस प्रयास को मिट्टी के ऋण से उऋण होने जैसा प्रयास बताया।

गीत से राज्य की अदभुत संुदरता के होंगे दर्शनः रमेश भट्ट
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने कहा कि इस गीत में उत्तराखंड की सुंदरता के अद्भुत दृश्य दिखाने के प्रयास किये गये हैं। इसमें उत्तराखंड के उच्च हिमालयी चोटियों, आध्यात्मिक- धार्मिक स्थलों, सांस्कृतिक मेलों, पहाड़ की संस्कृति और जैव विविधता के दर्शन होंगे। इस गीत के बोल स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी ने लिखे हैं। इस गीत को नए कलेवर में पेश करने का उन्होंने प्रयास किया है।

कई विस अध्यक्षों ने सदस्यों के दल बदल पर जताई चिंता

सदस्यों के दल बदल पर विधानसभा अध्यक्षों के फैसले को न्यायालयों से मिल रही चुनौती से विधायिका चिंतित है। सवाल साख पर खड़ा होने लगा है, लेकिन इसका हल जल्द निकलता नहीं दिख रहा है। देहरादून में चल रहे दो दिवसीय सम्मेलन में कई पीठासीन अधिकारी इसका फैसला राजनीतिक दल पर छोड़ देने के पक्ष में नहीं दिखे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा गठित समिति इस पर अगले वर्ष लखनऊ की बैठक में अपने सुझाव देगी।
संविधान की दसवीं अनुसूची और अध्यक्ष की भूमिका विषयक परिचर्चा में लोकसभा अध्यक्ष ने आग्रह करते हुए कहा कि दल बदल पर अध्यक्ष ऐसा निर्णायक और निष्पक्ष फैसला लें, जिस पर कोई सवाल नहीं उठे। अगर न्यायपालिका निष्पक्षता पर सवाल करने लगे, तो यह हम सब के लिए चिंता की बात है। बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय चैधरी ने इस पर प्रस्ताव रखा, जिस पर व्यापक चर्चा हुई। विजय चैधरी ने कहा कि संविधान की 10 वीं अनुसूची में एक बार फिर सुधार की जरूरत है। इसमें अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि अध्यक्ष को कितने दिनों में इस पर फैसला लेना है।
ऐसे में इसके दुरुपयोग के मामले सामने आते हैं। इसी तरह इसे भी स्पष्ट करने की जरूरत है कि पार्टी के व्हिप के खिलाफ पड़े मत का क्या होगा, जिसे अभी तक मान्य किया जाता है। इसे अमान्य करने से इस समस्या का समाधान हो जाएगा। वैसे, कई विधानसभा अध्यक्ष सदस्यों द्वारा इस्तीफा देकर दूसरी पार्टी को समर्थन देने के नए तरीके पर चिंतित दिखे। कर्नाटक के हाल के मामले का जिक्र करते हुए राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने दल बदल का निर्णय उसी राजनीतिक दल पर डालने की पैरोकारी की, जिसके टिकट पर वह जीत कर आए हैं। उन्होंने तर्क दिया कि पार्टी के चिह्न, विचारधारा और घोषणापत्र पर जनप्रतिनिधियों का चुनाव होता है। मूलतः देश दल आधारित लोकतंत्र है। ऐसे में पार्टी के सुझाव पर चुनाव आयोग को इस पर फैसला लेना चाहिए। अध्यक्ष को विधायिका के सकुशल संचालन तक की ही भूमिका होनी चाहिए। वहीं दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने दल बदल को भी अपराध श्रेणी में डालने की वकालत करते हुए कहा कि ऐसे प्रविधान होने चाहिए, जिसमें पार्टी बदलने वाले को एक निश्चित अवधि तक चुनाव लडने पर पाबंदी लगा दी जाए। इसके साथ उन्होंने सभी विधानसभाओं के रूलबुक को एक समान रखने की जरूरत बताई।

आइएमए परेडः 306 नौजवान भारतीय सेना का हिस्सा बनें

आइएमए गीत पर कदमताल करते हुए जैसे ही जेंटलमैन कैडेट ड्रिल स्क्वायर पहुंचे, तो दर्शक दीर्घा में बैठे हर व्यक्ति के अंदर एक जोश भर कर गया। एक साथ उठते कदम और गर्व से तने सीने हर किसी को अपने ओर आर्कषित कर रहे थे। शनिवार को भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में अंतिम पग भरते ही 306 नौजवान भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। इसके साथ ही 71 विदेशी कैडेट भी पास आउट हुए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने परेड की सलामी ली। उन्होंने कहा कि पासिंग आउट परेड का रिव्यू करते मुझे बेहद खुशी हो रही है। क्योंकि आज भारतीय सेना की गौरवशाली परम्परा की नयी कड़ी को जुड़ते हुए मैं प्रत्यक्ष देख रहा हूं। अपने नपे तुले और सधे कदमों से कदमताल करते कैडेटों में सुरक्षित और सुनहरे भारती की तस्वीर दिख रही है। सुबह 08 बजकर 45 मिनट पर मार्कर्स कॉल के साथ परेड का आगाज हुआ। कंपनी सार्जेंट मेजर रोनिश कुमार, हर्षित मिश्रा, संजय सिंह, शिवकुमार सारंग, मंजिल राय, विश्वन काटल, सबा उमा महेश व सत्यम पंत ने ड्रिल स्क्वायर पर अपनी-अपनी जगह ली। 8 बजकर 50 मिनट पर एडवास कॉल के साथ ही छाती ताने देश के भावी कर्णधार असीम हिम्मत और हौसले के साथ कदम बढ़ाते परिमल पराशर के नेतृत्व में परेड के लिए पहुंचे। परेड कमांडर विनय विलास गरड़ ने ड्रिल स्क्वायर पर जगह ली। कैडेट्स ने शानदार मार्चपास्ट से दर्शक दीर्घा में बैठे हर शख्स को मंत्रमुग्ध किया।
युवा सैन्य अधिकारी अंतिम पग भर रहे थे, तो आसमान से हेलीकाप्टरों के जरिए उन पर पुष्प वर्षा हो रही थी। रक्षा मंत्री ने कैडेटों को ओवरऑल बेस्ट परफारमेंस व अन्य उत्कृष्ट सम्मान से नवाजा। उन्होंने कहा इस पूरी ड्रिल में कैडेटों की मेहनत व लगन के साथ ही प्रशिक्षण का प्रतिबिंब भी साफ-साफ दिख रहा है। कदम से कदम और कंधे से कंधा मिलाकर चलने की यह काबिलियत किसी बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होती है। यही काबिलियत हमारी सशस्त्र सेनाओं को मजबूत भी बनाती है।
भारतीय सैन्य अकादमी, भारत की उस शौर्य परम्परा से जुड़ी हुई है जिसने हमें देश और समाज के मान-सम्मान व स्वाभिमान के लिए मरते दम तक बलिदान देने की प्रेरणा दी है। कैडेटों से कहा कि जितना गर्व आपको अपनी वर्दी पर है उतना ही गर्व उन माता-पिता को भी है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने कलेजे के टुकड़े को समर्पित कर दिया। इसलिए यह दिन आपके परिवार के लिए भी खास है। क्योंकि उन्हें आज यह गौरव मिला है जिसका सपना उनकी आंखों में वर्षों से पल रहा था। रक्षा मंत्री ने सभी अभिभावकों का आभार जताया कि उन्होंने अपने बच्चे देश की हिफाजत के लिए भारतीय सेना को सौंप दिए हैं।

पर्वतीय समाज के मेलों का स्वरूप अपने में ही एक आकर्षण का केंद्रः त्रिवेन्द्र सिंह

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को जनपद चमोली के सीमांत क्षेत्र लोहाजंग में पूर्व विधायक स्व. शेर सिह दानू की स्मृति में सांस्कृतिक एवं औद्योगिक पर्यटन विकास मेले का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने पूर्व विधायक स्व. शेर सिंह दानू को याद करते हुए कहा कि उन्होंने इस क्षेत्र के विकास के लिए अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है इसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मेले हमारी संस्कृति एवं सभ्यता के प्रतीक है। पर्वतीय समाज के मेलों का स्वरूप अपने में ही एक आकर्षण का केन्द्र है। उन्होंने कहा कि मेले लोगों को आपसी मिलन के अवसर प्रदान करने के साथ ही अपनी संस्कृति, विचारों एवं आवश्यकताओं के भी साधन स्थल रहे है।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने पूर्व विधायक स्व. शेर सिंह दानू के गांव पिनाऊ तक सड़क, महाविद्यालय तलवाडी को 10 लाख रुपये देने, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र देवाल में रेडियोलॉजी व टेलीमेडिसिन सेवा शुरू करने, लोहाजंग में नया प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने, थराली व देवाल बाजार में स्ट्रीट लाईट एवं बाढ सुरक्षात्मक कार्य करवाने, लोहाजंग में टैक्सी स्टैण्ड बनाने तथा काण्डई से बमनबेरा तक 3 किलोमीटर सड़क निर्माण की घोषणा भी की।

जिस देश में वीरों को सम्मान नहीं, वहां अधिक समय तक आजादी नहींः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को जनपद चमोली में वार मैमोरियल फाउंडेशन द्धारा सैंज खैतोलीखाल में आयोजित वीसी दरवान सिंह नेगी शौर्य महोत्सव में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने महोत्सव में शिरकत करने से पहले वीसी दरवान सिंह नेगी के चित्र पर पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें सलामी दी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि हमें वीसी दरवान सिंह नेगी की शौर्य गाथा पर गर्व है। उन्होंने कहा कि जिस देश मे वीरों का सम्मान नही होता वह देश अधिक समय तक आजाद नही रह सकता।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने वीसी दरवानसिंह नेगी की स्मृति को चिरस्थाई बनाये रखने के लिए शौर्य महोत्सव को राजकीय मेला घोषित करते हुए प्रति वर्ष इसके आयोजन हेतु 5 लाख की धनराशि देने की घोषणा की। उन्होंने वीसी दरवान सिंह नेगी के पैतृक आवास का जीर्णोद्धार कर उसे संग्रहालय के रूप में विकसित किए जाने के निर्देश जिलाधिकारी को दिए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने क्षेत्र के शहीदों की स्मृति में शहीद म्यूजियम बनाने की भी घोषणा की, जिसमें शहीदों के मेडल्स, कपडे, बाक्स आदि यादगार चीजों को लोगों के दर्शन के लिए रखे जायेंगे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर रा.इ.कालेज चोपता मे चार अतिरिक्त कक्षों के निर्माण की भी स्वीकृति दी।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा की इस क्षेत्र में संचार व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए जियो कंपनी के माध्यम से आपटिकल फाइबर केविल विछाई जा रही है ताकि टेलीमेडिसिन स्वास्थ्य सेवाओं और सभी स्कूलों मे ई लर्निंग शुरू हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए सड़क, स्वास्थ्य, संचार, बिजली, पानी राज्य सरकार की प्राथमिकता मे शामिल है, इस दिशा में राज्य सरकार निरन्तर प्रयासरत है हमारे इन प्रयासों के लिए केन्द्र सरकार ने भी सराहा है। क्षेत्रीय जनता की सैनिक स्कूल की मांग पर मुख्यमंत्री ने इसका परीक्षण करने के साथ ही आवश्यक कारवाई किए जाने का आश्वासन दिया।