सीएम के प्रयासों से गढ़वाली व कुमाऊंनी बोली को मिलेगा बढ़ावा

गढ़वाली व कुमाऊंनी बोली के प्रचार-प्रसार के लिए एक अनूठी पहल की गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गढ़वाली व कुमाऊंनी बोली को संविधान की 8 वीं अनुसूची में शामिल किए जाने के प्रयास किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि गढ़वाली व कुमाऊंनी बोली को दर्जा दिलाने की मांग पहले भी संसद में भी उठाई जा चुकी है और यह प्रयास जारी है।
उत्तराखंड की लोक भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र द्वारा सोशल मीडिया में भी गढ़वाली, कुमाऊंनी व उत्तराखंड की अन्य बोली भाषा में आम-जन से संवाद स्थापित किया जा रहा है। जिसकी शुरूआत आज मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीटर अकाउंट में गढ़वाली व कुमाऊंनी बोली में ट्वीट कर की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सदैव अपनी संस्कृति, बोली भाषा से जुड़ाव रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज का युवा सोशल मीडिया में अधिक सक्रिय है। सोशल मीडिया में अपनी लोक भाषा गढ़वाली, कुमाऊंनी व उत्तराखंड की अन्य बोली भाषा में संवाद करने से युवा पीढ़ी के साथ-साथ भावी पीढ़ी को भी अपनी बोली व संस्कृति से जुड़ने का मौका मिलेगा। सीएम ने लोगों से अपेक्षा की है कि वे समय-समय पर सोशल मीडिया पर गढ़वाली, कुमाऊंनी व उत्तराखंड की अन्य बोली भाषा में भी उनसे संवाद स्थापित करेंगे।

पंतजलि के सहयोग से बदलेगी प्रदेश के किसानों की आर्थिकी

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और बाबा रामदेव की मौजूदगी में राज्य सरकार और पतंजलि के बीच सहयोग कार्यक्रम पर विस्तृत विचार विमर्श किया गया। इस दौरान मुख्य रूप से 5 क्षेत्रों में आपसी सहयोग पर सहमति बनी।
मुख्यमंत्री आवास पर हुए इस कार्यक्रम में उत्तराखण्ड को जैविक कृषि और जड़ीबूटी राज्य बनाना, राज्य के मोटे अनाज की व्यवसायिक खपत को बढ़ाना, राज्य में आयुष ग्रामों की स्थापना करना, एक विशाल गोधाम (गाौ शाला) की स्थापना करना और पर्यटन को बढ़ावा देना सम्मिलित है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि यह सारे सेक्टर राज्य की समृद्धि और खुशहाली की दृष्टि से गेम चेंजर साबित होंगे। इन सारे क्षेत्रों में संभावनाओं पर अभी तक काफी विचार-विमर्श हुआ है, लेकिन अब इस क्षेत्र में कुछ कर दिखाने की जरूरत है। उन्होंने ये भी कहा कि सरकार कड़े और साहसिक फैसले लेने से नहीं हिचकेगी।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वो एक महीन के अन्दर सभी क्षेत्रों में ठोस कार्ययोजना तैयार करें, जिसको लेकर ठीक एक महीने बाद समीक्षा बैठक की जाएगी और ठोस कार्ययोजना के आधार पर राज्य सरकार और पतंजलि के बीच आवश्यक समझौते भी किये जायेंगे। मुख्यमंत्री का कहना है कि जड़ीबूटी, औद्यानिकी, योग, आयुर्वेद और पर्यटन से राज्य के लोगों की आमदनी बढ़ाने पर कार्य किया जायेगा। पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन रोकना और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना बहुत आवश्यक है।

किसानों की मदद करेगा पतंजलि
इस दौरान स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि संस्थान उत्तराखण्ड के किसानों को उनके उत्पादों के लिए प्रतिवर्ष एक हजार करोड़ रूपये से अधिक का भुगतान करने में सक्षम है। सिक्किम जिसे हाल ही में ऑर्गेनिक स्टेट का दर्जा दिया गया है, उससे कही अधिक भूभाग पर उत्तराखण्ड में ऑर्गेनिक खेती हो रही है।

नए पर्यटक स्थलों पर स्थापित होंगे पतंजलि आयुष ग्राम
कहा कि पतंजलि राज्य के उत्पादों के लिए बाईबैक सिस्टम बना रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के 13 जिले 13 नये पर्यटन स्थल बनाने के लक्ष्य की सराहना करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि सभी नये पर्यटन स्थलों पर पतंजलि आयुष ग्राम की स्थापना में सहयोग देने को तैयार है।

विशाल गौशाला तैयार करने की योजना
यह भी कहा कि राज्य सरकार के सहयोग से एक विशाल गोशाला की स्थापना करने की योजना है, जिसमें 40 से 60 लीटर दूध देने वाली गायों की नस्ल तैयार की जायेगी। वहीं कार्यक्रम में मौजूद आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि की रिसर्च लैब और अन्य सुविधाओं को आयुर्वेद के शोधार्थियों और शिक्षकों के लिए खोला जायेगा। पतंजलि के 300 से अधिक वनस्पति विज्ञानी राज्य की एक-एक जड़ीबूटी और पौधे का सर्वेक्षण कर उनका डॉक्यूमेंटेशन कर सकते हैं।

हार के बाद कौन सा दांव खेल रहे हरीश रावत

देहरादून।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को विधानसभा चुनाव ने भले ही मायूस किया हो, लेकिन उनके हौसले अभी पस्त नहीं हुए हैं। दावतों का सिलसिला जारी रख वह खुद को सूबे की सियासत के केंद्र में बनाए रखने का कोई मौका चूकने को तैयार नहीं हैं। लेकिन, दो माह के भीतर उनकी दावतों का अंदाज कुछ अलहदा ही है।
विधानसभा चुनाव में हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर की जिन दो सीटों पर मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने जो दांव खेला था, उसमें उन्हें कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने दून शहर से दूरी बनाकर पहाड़ की तलहटी को अपने आशियाने के लिए चुना। इसके बाद पहाड़ को केंद्र में रखकर उनकी दावतों का जो सिलसिला शुरू हुआ, उससे पार्टी के बाहर और भीतर उनके प्रतिद्वंद्वी भी खासे सकते में हैं। हरदा सुर्खिया बटोरने में उनसे कहीं आगे हैं।
पहाड़ के उत्पादों को उनकी दावतों में मिल रही तरजीह को उनके पहाड़ को केंद्र में रखकर बुने जा रहे सियासी एजेंडे से जोड़कर देखा जा रहा है। इस एजेंडे के निशाने पर वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव भी हैं। विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जा चुका है, लिहाजा हरीश रावत यह जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में उनकी सियासी हैसियत उनकी सक्रियता से ही साबित होनी है। ऐसे में हरदा अभी से फूंक-फूंककर कदम बढ़ाते दिख रहे हैं। पहाड़ की सियासत में रिवर्स पलायन को उनकी रणनीति का ही हिस्सा माना जा रहा है। इसके बूते ही पलायन से शहरों में उभर गए मतदाताओं के पहाड़ों पर भी उनकी नजरें टिकी हैं।

अजीब नाम से क्या पर्यटक डर जाते है?

नाम में क्या रखा है ? शैक्सपीयर ने भले कहा हो कि गुलाब का नाम कुछ और रख देने से उसकी खुशबू थोड़े ही बदल जायेगी ? लेकिन नैनीताल के विधायक संजीव आर्य शैक्सपीयर के इस कथन से सहमत नहीं हैं। वे नैनीताल की कुछ झीलों के नाम तो बदलना चाहते हैं जिनके नाम अजीब हैं। जैसे यहां एक झील का नाम है-‘सुसाइड प्वाइंट’, तो दूसरी ‘फांसी गधेरा’ कहलाती है तो तीसरी सादिया (नष्ट हो रही ) ताल। आर्य इस बारे में सरकार को पत्र लिख रहे है कि इन नामों के सुनने से पर्यटकों को धक्का लगता है। गौरतलब हो कि पिछले साल भी कुमाऊ में ही चोरगलिया का नाम बदले जाने का अभियान चला था।
विधायक संजीव आर्य का कहना है कि कुछ पर्यटक स्थलों के नाम सुनकर पर्यटकों को अजीब लगता है। विधायक ने जनता से इन और ऐसे नामों की जगह वैकल्पिक नामों के सुझाव मांगें हैं। उनका कहना है कि इनमें बहुत से नाम तो अधिकृत भी नही हैं। जैसे कि सुसाईड प्वाइंट नाम तो कुछ गाइडों और घोड़े वालों ने पर्यटकों के बीच केवल उत्सुकता पैदा करने को रख दिया और इसके समर्थन में मन गढ़ंत कहानियां तक सुनानी शुरू कर दी। जिसके पीछे कोई तर्क नहीं है। जबकि इस स्थल का नाम यहां की साहसिक संभावनाओं के दोहन को होना चाहिये। उन्होने बताया कि कुछ साल पहले जब सादिया ताल का सौन्दर्यीकरण किया गया तो इसका नाम सरिता ताल रखा गया था लेकिन प्रचलन में अभी सादिया ताल ही है। विधायक संजीव आर्य ने नगर पालिका से भी इनके नामकरण से संबंधित रिकार्ड खंगालने को कहा है ताकि इसके बाद मुख्यमंत्री और शहरी विकास मंत्री से इस बारे मे बातचीत की जा सके।
अलबत्ता, इतिहास में रूचि रखने वाले जानकारों का कहना है कि सुसाइड प्वाइंट नाम तो कभी अस्तित्व में ही नही रहा लेकिन बाकी दो का नाम इतिहास में है और उनका नाम न ही बदला जाये, तो अच्छा होगा। उदाहरण को फांसी गधेरा प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों के रोहिलाओं को फांसी दिये जाने की याद दिलाता है जिन्होने 1857 में हल्द्वानी पर हमला किया था। इसका नाम बदलने का अर्थ होगा, इतिहास को भुलाना। इसी प्रकार सादिया ताल मूलतः वेटलेंड और क्षेत्र के जल प्रबंधन का हिस्सा है। यहीं पर कुमाऊ कमिश्नर सर हेनरी रैमजे ने पहली बार 1856 में आलू की खेती शुरू कराई थी।

उत्तराखंडी फिल्म बोडिगे गंगा के पोस्टर और म्यूजिक का लोकार्पण

ऋषिकेश।
बुधवार को नगर पालिका सभागार में ड्रीम्स अनलिमिटेड फिल्म प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले बनी उत्तराखंडी फीचर फिल्म के पोस्टर और म्यूजिक का लोकार्पण विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने किया। व्यवस्था परिवर्तन मंच की ओर से आयोजित कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल, पालिकाध्यक्ष दीप शर्मा एवं भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष अनीता ममगाईं ने शिरकत की। निर्माता निदेशक अनिरूद्ध गुप्ता के निर्देशन में बन रही फिल्म बोडिगे गंगा की पटकथा अरूण प्रकाश बडोनी ने लिखी है। जानकारी देते हुए निदेशक ने बताया कि फिल्म पलायन के साथ ही त्रिकोणीय प्रेम कहानी पर आधारित है। जिसमें अधिकतर कलाकार ऋषिकेश के है।
फिल्म के अभिनेता प्रशांत मशहूर हास्य अभिनेता घनानंद (घन्ना) के पुत्र हैं। फिल्म में दूसरे अभिनेता रणवीर चौहान है, जो श्यामपुर के रहने वाले है, जबकि अभिनेत्री शिवांगी भंडारी तपोवन की रहने वाली है। फिल्म के कलाकार कई सीरियल और फिल्मों में काम कर चुके हैं। व्यवस्था परिवर्तन मंच के अध्यक्ष डॉ. राजे नेगी एवं डॉ. सुनील थपलियाल के संचालन में चले कार्यक्रम में पुरुषोत्तम जेठूडी, ममता गुप्ता, रवि कुकरेती, धूम सिंह, विनोद जुगरान, संजीव चौहान, बलराम शाह, राजा ढींगरा, हर्षित गुप्ता, वेदप्रकाश शर्मा, संदीप शास्त्री, अमित गांधी, रिंकी भारद्वाज आदि मौजूद थे।

मलासी सम्मान से नवाजीं गई कुसुम जोशी

ऋषिकेश।
मुनिकीरेती स्थित आश्रम परिसर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान स्वामी शंकर तिलक महाराज ने मैती स्वयंसेवी संस्था की संस्थापक अध्यक्ष कुसुम जोशी को स्व. द्वारिका प्रसाद मलासी सम्मान प्रदान किया। उन्हें बतौर सम्मान उत्तरीय, माता की चुनरी और स्मृति चिह्न दिया गया। इसबीच शादी विवाह और मांगलिक समाराहों में कॉकटेल के खिलाफ संघर्ष और मैती आंदोलन की तर्ज पर पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय जोशी के उल्लेखनीय कार्यों पर प्रकाश डाला गया। स्वामी शंकर तिलक ने उनके प्रयासों को समाज के लिए अनुकरणीय बताया। कार्यक्रम में कुसुम जोशी ने नशा विरोधी अभियान के दौरान आई दिक्कतों को भी साझा किया।
रामायण प्रचार समिति के पंडित रवि शास्त्री ने कहा कि कुसुम जोशी जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं का सम्मान जरूरी है। इससे युवा पीढ़ी को भी मार्गदर्शन मिल सकेगा। कहा कि अन्य संस्थाओं को भी सामाजिक बुराईयों के विरूद्ध आगे आना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता अगनानंद सरस्वती और संचालन डा. सुनील दत्त थपलियाल ने किया। इस अवसर पर मनोज मलासी, जयेंद्र पुंडीर, सुरेंद्र गुसाईं, हर्षित उनियल, स्वतंत्रता चैतन्य, पवित्रता चैतन्य, गौरी चैतन्य, गुरू मंडला, चेतली चैतन्य, बानवी आदि उपस्थित थे।

गंगा स्वच्छता को जन अदालत की मांग ने पकड़ा जोर

ऋषिकेश।
नगर पालिका ऋषिकेश के सभागार में गंगा स्वच्छता पखवाड़े को लेकर बैठक आयोजित की गई। जिसमें नमामि गंगे योजना के तहत किये जाने वाले कार्यों की जानकारी दी गई। सीडीओ देहरादून हरबीर सिंह ने बताया कि गंगा स्वच्छता पखवाड़ा देशभर में मनाया जा रहा है। ऋषिकेश में 23 मार्च को त्रिवेणीघाट पर गंगा स्वच्छता की शपथ दिलाई जाएगी। इस दौरान सफाई अभियान भी चलाया जाएगा। कहा कि गंगा स्वच्छता पखवाड़े का मुख्य उद्देश्य धार्मिक आस्था की प्रतीक गंगा को स्वच्छ और निर्मल करना है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, तट विकास, घाटों की सफाई के प्रति जागरूक कर अभियान को सफल बनाना है। उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के महामंत्री जयदत्त शर्मा ने नमामि गंगे योजना का दफ्तर राजधानी में होने पर नाराजगी जताई। कहा कि योजना का ऑफिस गंगातट पर होना चाहिए। उन्होंने गंगा स्वच्छता को ऋषिकेश में ही जन अदालत लगाने का सुझाव दिया। उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार अग्रवाल ने गंगा में गिर रहे सीवर पर चिंता जताई। कहा कि शिकायत के बावजूद नगर पालिका के सीवर का गंदा पानी गंगा में मिल रहा है। इस लिये अधिकारियों को धरातल पर कार्य करना चाहिए।
इस अवसर पर व्यापारी नेता श्रवण जैन, कपिल गुप्ता, पंकज गुप्ता, संजय व्यास, तहसीलदार रेखा आर्य, पालिका के सहायक अभियंता आनंद मिश्रवाण सहित अन्य उपस्थित थे।

व्यापारियों ने किया विरोध
नगर के व्यापारियों ने बैठक में अधिकारियों के लेट आने पर नाराजगी जताई। बैठक का समय सुबह 11 बजे निर्धारित किया गया था, लेकिन सीडीओ 12 बजे तक भी बैठक में नहीं पहुंचे। जिस पर व्यापारियों ने लौटना शुरू कर दिया। इस बीच मौके पर मौजूद अधिकारियों ने किसी तरह व्यापारियों को समझाकर रोका। करीब साढ़े बारह बजे सीडीओ बैठक में पहुंचे।

पूर्व मिस इंडिया एशिया पैसेफिक ने उड़ान स्कूल में मनाया फूलदेई त्योहार

ऋषिकेश।
बुधवार को मायाकुंड स्थित उड़ान स्कूल में पहुंची अनुकृति गुसाईं ने स्कूली बच्चों के साथ उत्तराखंड का लोकपर्व फूलदेई का त्योहार मनाया। इस मौके पर उन्होंने बच्चों को पाठ्य सामग्री भी वितरित की। अनुकृति ने कहा कि उड़ान स्कूल निशुल्क शिक्षा देने वाली संस्था है। मेरा सपना है कि इस संस्था की पूरे प्रदेश में शाखाएं खोली जाएं। उन्होंने स्कूल प्रबंधन की ओर से गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा बच्चों को सिखाए जाने की भी प्रशंसा की।
स्कूल निदेशक डॉ. राजे नेगी ने स्कूली बच्चों को फूलदेई का महत्व समझाया। कहा कि फूलदेई चैत्र मास में मनाए जाने वाला पर्व है। इस त्योहार में वसंत ऋतु में खिलने वाले फूलों से घरों की देहली को पूजा जाता है। इसके पीछे धारणा है कि घर परिवार में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है।
कार्यक्रम में लोक गायक धूम सिंह रावत ने फूलदेई पर लोक गीत घुघुती घुरान लगी मेरे मैते की..गाकर सुनाया। मौके रमेश लिंगवाल, उत्तम असवाल, राजा ढींगरा, रवि कुकरेती, पूजा नेगी, दिव्या सक्सेना, निधि शर्मा, प्रिया क्षेत्री, हिमित कक्कड़ आदि उपस्थित रहे।

ऋषिनगरी में कुमाउनी होली पर झूमीं महिलाएं

होली खेल रहे नंद लाल मथुरा की कुंज गलिन में…

ऋषिकेश।
कुर्मांचल परिषद की ओर से गुरुवार को होली मिलन समारोह का आयोजन हुआ। हरिद्वार रोड स्थित एकांत कुटी में एक तरफ महिला और दूसरी तरफ पुरुषों ने पंगत बनाकर होली गाई। जैसे-जैसे होली के गीतों का रस बढ़ता गया वैसे ही महिला और पुरुष नृत्य करने लगे। इन दिनों एकादशी के बाद नगर में विभिन्न स्थानों पर कुमाउनी होली शुरू हो गई है।
कैलै बांधी चीर, हो रघुनंदन राजा, अंबा के भवन में विराजे होली, होली खेलें पशुपतिनाथ, नगर नैपाले में आदि भगवान की होली से कार्यक्रम की शुरुआत की गई। उसके बाद झनकारो, झनकारो, झनकारो गौरी प्यारो लगो तेरो झनकारो, छल के बुलाबी रंग डारो रे, होली आई रे, होली खेले रघुबीरा अवध में, होली खेल रहे नंदलाल मथुरा की कुंज गलिन में आदि होली गीतों को गाया गया।
पहले बैठकर, फिर खड़े होकर होल्यारों ने होली गाई। एक दूसरे को गुलाल लगाकर लोगों ने बधाई दी। कार्यक्रम के अंत में लोगों ने फूलों की होली खेली। मौके पर गिरीश चन्द्र सौंठा, नन्दन जोशी, विवेक तिवारी, हरीश तिवाड़ी, प्रभा जोशी, कृष्णा तिवारी, प्रकाश पंत, अशोक अवस्थी, प्रकाश जोशी, चन्द्रशेखर पांडे, कमला लोहानी, महेश पाठक, बालादत्त पांडे, हरीश उप्रेती, जगदीश चन्द्र, दुर्गापाल आदि मौजूद रहे।

महिला विकास मंच की ओर से होली मिलन समारोह

ऋषिकेश।
महिला विकास मंच ऋषिकेश ग्रामीण की संयोजक पुष्पा मित्तल के नेतृत्व में क्षेत्र की महिलाओं ने होली मिलन और महिला दिवस कार्यक्रम आयोजित किया। सुनीता खंडूरी की अध्यक्षता में चले होली मिलन कार्यक्रम में महिलाएं पारम्परिक वेशभूषा में सज धज कर पहुंचीं। उन्होंने गढ़वाली, नेपाली और पंजाबी नृत्य गीत पेश कर खूब मनोरंजन किया। इस दौरान समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित भी किया गया। महिलाओं ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर ऋषिकेश जिला पंचायत सदस्य सुनीता उपाध्याय, लक्ष्मी सजवाण, मैती स्वयंसेवी संस्था की अध्यक्ष कुसुम जोशी, हेमलता बहन, सुशीला बिष्ट, राजेश्वरी कंडवाल, स्नेहलता झा, परमा नौटियाल आदि उपस्थित थीं। कार्यक्रम का संचालन प्रभा थपलियाल ने किया।