दिल्ली लौटते ही शाह से की मुलाकात, त्रिवेन्द्र भी पहुंचे घर

उत्तराखण्ड से राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी मुम्बई में उपचार पूर्ण होने के पश्चात दिल्ली लौट आये हैं। उन्होंने आज प्रातः सोशल मीडिया पर उपचार पूर्ण होने और दिल्ली लौटने की जानकारी दी।
वहीं, बलूनी ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। बतातें चले कि सांसद बलूनी गत साढ़े चार माह से मुंबई में उपचार करा रहे थे। सूत्रों की मानें तो इस मुलाकात में कई विषयों पर चर्चा हुई। वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने भी आज दिल्ली प्रवास के दौरान अनिल बलूनी के आवास पर जाकर हालचाल लिया और उनके पूर्ण स्वस्थ होने की कामना की।
सांसद बलूनी ने सोशल मीडिया पर अपने मित्रों, शुभचिन्तकों का आभार जताया। अस्वस्थता के दौरान निरन्तर मनोबल बढ़ाने, स्वस्थ होने की कामना करने हेतु धन्यवाद दिया। हमारे ब्यूरो से बातचीत में बलूनी ने कहा कि दिल्ली लौटकर वह फिर से अपने कार्यों को गति दे रहे है। उत्तराखंड के विकास में कोई कमी नही रहे, इसका वह प्रयास करेंगे।

नगर निगम की टीम ने मांस विक्रेताओं को नोटिस जारी किये

स्वास्थ्य अधिकारियों से जांच करवाए बिना मांस बेचने वालों पर नगर निगम का डंडा चला। इस दौरान निगम की टीम ने यहां दो मांस विक्रेताओं का चालान काटकर दस हजार रुपये जुर्माना वसूला है। साथ ही छह लोगों को स्वास्थ्य विभाग ने नोटिस भी जारी किया गया है।
नगर निगम और खाद्य सुरक्षा विभाग की संयुक्त टीम इंद्रा नगर स्थित मीट मार्केट पहुंची। इस दौरान सफाई निरीक्षक सचिन रावत ने मांस विक्रेताओं के लाइसेंस और नालियों का निरीक्षण लिया। इसमें अधिकांश के लाइसेंस की वैधता समाप्त पाई गई। इस पर सफाई निरीक्षक ने शीघ्र ही ऑनलाइन लाइसेंस नवीनीकरण कराने का निर्देश दिया। इस दौरान उन्होंने दो मांस विक्रेताओं का चालान कर दस हजार रुपये का जुर्माना वसूला। खाद्य सुरक्षा अधिकारी संजय तिवारी ने यहां बिक रहे मांस का परीक्षण किया। इसमें उन्होंने छह मीट विक्रेताओं को बिना मांस की जांच कराए बिक्री करने पर नोटिस जारी किया है। उन्होंने कहा कि स्लाटर हाउस में मांस कटना चाहिए। साथ ही वहीं डॉक्टरों को मांस का निरीक्षण करवाना चाहिए। उनकी लिखित सहमति के बाद ही मांस को बेचा जा सकता है। इस अवसर पर सहायक नगर आयुक्त विनोद लाल भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री से जुड़ें फेसबुक लाइव में और बताएं कैसा हो बजट

नये बजट के स्वरूप को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत मुख्यमंत्री आवास में फेसबुक लाईव के माध्यम से जनता से करेंगे सीधा संवाद।
प्रदेश के आगामी बजट में जन सुझावों पर भी ध्यान दिया जायेगा। इसके लिए आपका बजट आपका सुझाव कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री आम जनता से शनिवार 8 फरवरी, 2020 को मुख्यमंत्री आवास में सांय 6ः30 बजे से 7ः30 बजे तक फेसबुक लाईव द्वारा जन-संवाद करेंगे। हर साल राज्य सरकार द्वारा बजट पर लोगों के सुझाव प्राप्त किये जाते हैं। सुझाव जनहित में पाए जाने पर बजट में शामिल भी किए जाते रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता जन आकांक्षाओं के अनुरूप प्रदेश का विकास है। उन्होंने सरकार में जनभागीदारी को भी जरूरी बताया है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता से फेसबुक लाईव में शामिल होकर अपने अमूल्य सुझाव देने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उपयोगी सुझावों को अमल में लाया जाएगा। प्रदेश के बजट को अंतिम रूप देने से पहले समाज के सभी वर्गों से सुझाव आमंत्रित किये जाने से समावेशी बजट की अवधारणा को भी मजबूती मिलेगी।
ज्ञातव्य है कि पहले यह कार्यक्रम 8 फरवरी को पूर्वाह्न 11ः00 बजे वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली सभागार सचिवालय में निर्धारित था जिसे अब संशोधित कर मुख्यमंत्री आवास में शनिवार को सांय 6ः30 बजे से 7ः30 बजे निर्धारित किया गया है।

केन्द्रीय बजट में लॉजिस्टिक्स नीति जारी करने की घोषणा

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के जरिये निवेशकों को आकर्षित करने, छोटे और मझोले कारोबारियों को उत्पीड़न से बचाने और प्रतिस्पर्धी बाजारों में उनके लिए मौका बनाए रखने की कोशिश कर रही केंद्र सरकार निवेश से लेकर निर्यात तक, नियमन, प्रमाणन और परिवहन संबंधी खर्चे घटाएगी। साथ ही इनसे संबंधित झंझट भी खत्म करेगी। हालांकि सरकार लॉजिस्टिक्स नीति बनाने की घोषणा कर इस दिशा में पहले ही आगे बढ़ चुकी है, लेकिन बजट में कुछ प्रावधान कर इसे जल्द ही अमली जामा पहनाने का भी संकेत दिया गया है। वित्त मंत्री ने सिंगल विंडो ई-लॉजिस्टिक्स मार्केटप्लेस की सुविधा के साथ लॉजिस्टिक्स नीति जारी करने की घोषणा बजट में की है।
सिंगल विंडो
सिंगल विंडो से नियमन-प्रमाणन में लगने वाला वक्त बचेगा, दुश्वारियां घटने के साथ लॉजिस्टिक्स मद में लागत कम होगी। अभी इस मद में सकल घरेलू उत्पाद का 14 फीसद से अधिक खर्च होता है, जिसे वर्ष 2022 तक 10 फीसद के नीचे लाने का लक्ष्य रखा गया है। भारत का लॉजिस्टिक्स सेक्टर 20 से अधिक सरकारी एजेंसियों, सरकार की 40 सहायक पार्टनर कंपनियों, 37 निर्यात संवर्धन परिषद और 500 से अधिक प्रमाणपत्रों के साथ बेहद जटिल है। अभी 16,000 करोड़ डॉलर (करीब 12 लाख करोड़ रुपये) के बाजार वाले इस सेक्टर में 200 शिपिंग कंपनियां, 36 लॉजिस्टिक्स सेवाएं, 129 इनलैंड कंटेनर डिपो, 168 कंटेनर फ्रेट स्टेशन और 50 से अधिक आइटी सिस्टम व बैंक शामिल हैं, जो 10 हजार से अधिक वस्तुओं के परिवहन में अपनी भूमिका निभाते हैं।
यह क्षेत्र 1.20 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है। इतनी अहम भूमिका निभाने वाले इस सेक्टर की जटिलता यहीं खत्म नहीं होती। आयात-निर्यात के मामले में भी 81 प्राधिकरणों और 500 प्रमाणपत्रों की जरूरत पड़ती है। नियमन, प्रमाणन के बाद ही परिवहन के जाल में उलझे इस सेक्टर से संबंधित कार्यशैली पर आर्थिक सर्वेक्षण में भी सवाल उठाए गए थे। निर्यात के लिए दिल्ली से जा रहे माल के बंदरगाह तक पहुंचने में 19 दिन लगने का उदाहरण देकर सर्वे रिपोर्ट में खामी से निजात पाने का सुझाव दिया गया था।
वित्त मंत्री ने बजट पेश करने के दौरान अलग-अलग क्षेत्रों के लिए लॉजिस्टिक्स के संबंध उन सभी उपायों और सुविधाओं की घोषणा की है, जिससे परिवहन, प्रमाणन और नियमन में खर्च घटेगा। बजट में ब्लॉकध्तालुका स्तर पर भंडारण गृह, गांव स्तर पर बीज भंडार गृह, रेल और हवाई सेवा से जुड़ी कोल्ड चेन की व्यवस्था की गई है। सरकार का मानना है कि इससे लॉजिस्टिक्स खर्च घटेगा और निर्यात में 5-8 फीसद की वृद्धि होगी। उद्यमी गुणवत्ता पूर्ण निर्माण करेंगे। इसके अलावा सरकार ने लॉजिस्टिक्स बाजार को 2022 तक 250 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है। वह मान रही है तब इस क्षेत्र में करीब 2.20 करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा।
इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस सेल
निवेशकों के लिए एंड-टु-एंड यानी शुरू से लेकर अंत तक हर स्तर पर सुविधाएं देने के लिए इस सेल का प्रावधान किया गया है। इसमें निवेशक को निवेश से पहले सलाह, भूमि की उपलब्धता के साथ केंद्र और राज्य से अनुमति दिलाने की सुविधा भी शामिल होगी। यह सेल भी फेसलेस होगा यानी इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस सेल का पोर्टल बनेगा और आवेदन से लेकर निस्तारण तक पूरी व्यवस्था ऑनलाइन होगी।
निर्यातकों के लिए ई-रिफंड
केंद्र, राज्य एवं स्थानीय स्तर पर निर्यातित वस्तु पर लिए गए शुल्क व कर की वापसी ई-रिफंड से होगी। निर्यातकों को विभागों के चक्कर नहीं काटने होंगे। इसके लिए सरकार योजना लांच करने जा रही है।

जून प्रथम सप्ताह में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय हरित ऊर्जा विकास के आयामों पर होगी चर्चा

इस वर्ष जून के प्रथम सप्ताह में प्रदेश में अन्तर्राष्ट्रीय हरित ऊर्जा सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा। इस सम्बन्ध में शुक्रवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया। सम्मेलन में केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, वन एवं पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन जलशक्ति मंत्रालय के मंत्रीगणों के साथ ही नीति आयोग के उपाध्यक्ष के साथ ही जिन देशों का रिनोवेशन इनर्जी पर ज्यादा फोकस है उनमें चौक रिपब्लिक, नार्वे, स्वीडन, कनाडा, नीदरलैंड, स्पेन, यू.ए.ई. आदि देशों के प्रतिनिधि भी प्रतिभाग करेंगे।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि रिनोवेशन एनर्जी भविष्य की जरूरत है। इस दिशा में गंभीरता से सोचने की जरूरत हैं। उन्होंने कहा कि इस दिशा में हम कैसे आगे बढ़े इस पर भी चिन्तन की जरूरत है। देहरादून को ग्रीन सिटी के रूप में चयनित होने से इस दिशा में हमारी जिम्मेदारी भी बढ़ी है। इस सम्मेलन के रूप में इस दिशा में यह प्रभावी पहल होगी। उन्होंने इस प्रकार के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन देश-विदेश के समय-समय पर आयोजित होते रहे है। हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इस क्षेत्र में पहचान बनाने के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाना प्रस्तावित है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमे सम्मेलन में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय हरित ऊर्जा विकास के आयामों, ऊर्जा परियोजनाओं के विकास हेतु वाध्यतायें एवं सीमायें, ऊर्जा परियोजनाओं के वित्तीय प्रबंधन इस क्षेत्र के विभिन्न अधिनियम एवं नीतियों के साथ ही ऊर्जा क्षेत्र में नवीन तकनीकि एवं आविष्कार जैसे विषयों पर हम क्षेत्र के विषय-विशेषज्ञों द्वारा अपने विचार व्यक्त किये जायेंगे। उनके सुझाव भी इस दिशा में कारगर साबित होंगे। उन्होंने कहा कि हाइड्रो व थर्मल पावर की सीमायें और सीमित हो रही है। अब भविष्य के लिए वैकल्पिक ऊर्जा के साधनों पर ही हमें ध्यान देना होगा। इस दृष्टि से भी यह सम्मेलन उपयोगी सिद्व होगी।

राज्य में जीएसटी में पिछले एक माह में हुआ 32 प्रतिशत सुधारः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि शीघ्र ही देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ेगी। कृषि, पशुपालन एग्रोबेस लघु, मझोले एवं कुटीर उद्योग अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेंगे। प्रमुख अर्थशास्त्रियों का भी मानना है कि अर्थव्यवस्था की मंदी का यह दौर अस्थायी है। आटोमोबाइल सहित अन्य विभिन्न क्षेत्रों में तेजी आनी शुरू हो गयी है।
उत्तराखण्ड के परिपेक्ष्य में राज्य के विकास की दिशा में किये जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जीएसटी के क्षेत्र में पिछले एक महीने में 32 प्रतिशत तक सुधार हुआ है। हम राज्य में सर्विस सेक्टर को बढ़ावा दे रहे हैं। फिल्मांकन, पर्यटन, सोलर पावर, वैलनेस, साहसिक खेलों जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
शुक्रवार को हरिद्वार बाईपास रोड स्थित होटल में आयोजित जी बिजिनेस लीडरशिप कानक्लेव को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रदेश में 13 जिले 13 नये पर्यटन गंतव्य की दिशा में मजबूत पहल हुई है। इसकी डीपीआर तैयार की जा रही है। पिथौरागढ़ में 50 एकड में ट्यूलिप गार्डन तथा 1200 करोड़ के प्रोजेक्ट टिहरी के लिये चयनित किये गये हैं। देश व दुनिया के पर्यटक यहां आये इसकी व्यवस्था की जा रही है। राज्य के नैसर्गिक सौन्दर्य के प्रति अधिक से अधिक लोग आकर्षित हो इसके प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य में फिल्म संस्थान की स्थापना की जायेगी जहां राज्य के युवाओं को कन्टेन्ट राइटिंग व एक्टिंग आदि विधाओं का प्रशिक्षण मिलेगा।
फिल्मकार राज्य के प्रति बड़ी संख्या में आकर्षित हो रहे हैं।
कुंभ मेले के सफल आयोजन की व्यवस्थाओं का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी कोशिश इसके बेहतर आयोजन की है, इसके लिए अब तक 27 बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। सभी अखाड़ों व सन्त महात्माओं का इसमें सहयोग लिया जा रहा है, उनसे भी निरंतर संवाद बनाया जा रहा है जो इस क्षेत्र के अनुभवी लोग हैं।

बिना मिलीभगत के संभव नही ई-वे बिल का 8500 करोड़ का फर्जीवाड़ा

जीएसटी में पंजीयन और ई-वे बिल की आसान प्रक्रिया का फायदा उठाकर उत्तराखंड में 8500 करोड़ रुपये मूल्य के फर्जी ई-वे बिल बनाने का मामला सोमवार को सामने आया। मात्र दो माह के अंतराल में यह बिल बनाए गए और इसके लिए प्रदेश में 70 फर्जी फर्मों को कागजों में उत्तराखंड में संचालित दिखाया गया। दो माह की मशक्कत के बाद पकड़ में आए इस मामले का खुलासा राज्य कर विभाग ने सोमवार को किया।
सोमवार को सचिवालय में आयोजित प्रेस वार्ता में राज्य कर आयुक्त सौजन्या ने बताया कि विभाग को इस बड़े फर्जीवाड़े की भनक करीब दो माह पूर्व लगी। जीएसटी में पंजीयन और ई-वे बिल के सरल तरीका का फायदा उठाकर 70 फर्जी फर्मों को उत्तराखंड के भिन्न हिस्सों में किराए पर लिए भवनों में दिखाया गया।
इन फर्मों में से 26 ने चप्पल की बिक्री अन्य राज्यों आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में दिखाई। इसी के आधार पर 34 फर्मों ने 8500 करोड़ रुपये मूल्य के 12204 ई-वे बिल ऑनलाइन जनरेट किए। इसके जरिए करीब 1200 करोड़ रुपये से लेकर 8500 करोड़ रुपये तक का मूल्य वर्धन उत्पादों में दिखाया।
बड़ी संख्या में भारी मूल्य के ई-वे बिल सामने आने पर राज्य कर विभाग के अधिकारियों को शक हुआ और इसकी जांच की गई। राज्य कर विभाग की 55 टीमों ने ऊधम सिंह नगर और देहरादून में 70 फर्मों के ठिकानों पर दबिश दी। इन फर्मों ने उत्तराखंड में किराए के स्थानों से कारोबार किया जाना दिखाया था। छापेमारी में एक भी किरायानामा सही नहीं पाया गया और न ही कहीं उत्पादन होता मिला। साफ था कि सिर्फ कागजों में ही यह व्यापार किया जा रहा था।
सौजन्या के मुताबिक 80 लोगों ने 21 मोबाइल नंबर और ई मेल आईडी का उपयोग कर दो-दो की साझेदारी में 70 फर्म पंजीकृत कीं। पंजीयन लेते समय सभी साझीदारों ने स्वयं को हरियाणा या दिल्ली का रहने वाला बताया और उत्तराखंड में किराए पर व्यापार स्थल को दिखाते हुए पंजीयन हासिल किया। पंजीयन लेते समय बिजली के बिलों और किराएनामे का उपयोग किया गया और यह सब फर्जी पाया गया। इसमें करीब 1455 करोड़ रुपये के कर अपवंचन का मामला बन रहा है।
12 उपायुक्त, 55 अपर आयुक्त, 55 स्टेट टैक्स अधिकारी और 55 स्टेट टैक्स अधिकारी इस मुहिम में शामिल हैं। इसके अलावा मुख्यालय के दस अधिकारियों की कोर टीम भी इसमें शामिल रही। ये सभी अधिकारी पिछले 15 दिन से जांच में जुटे हुए थे। राज्य कर आयुक्त सौजन्या के मुताबिक जांच अभी जारी है। इन अधिकारियों ने सोमवार को करीब 55 स्थानों पर अलग-अलग छापेमारी की। राज्य कर आयुक्त, सौजन्या ने बताया कि इस तरह के फर्जी मामलों के लिए उत्तराखंड को किसी भी तरह से सेफ हेवन नहीं बनने दिया जाएगा। इस तरह के फर्जीवाड़ों की रोकथाम के लिए राज्य कर विभाग लगातार काम करता रहेगा।

ईमानदारी से हर क्षेत्र में कार्य करने की जरुरतः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश में स्वस्थ औद्योगिक वातावरण के सृजन हेतु समेकित प्रयासों के साथ ही ईमानदारी, पारदर्शिता एवं परस्पर विश्वास की भावना से कार्य करने पर बल दिया है। उन्होंने उद्यमियों से पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना पर भी ध्यान देने को कहा है, पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन, खाद्य प्रसंस्करण के साथ ही सौर उर्जा के क्षेत्र में काफी संभावनाये हैं। सौर उर्जा के क्षेत्र में लगभग 800 करोड़ का निवेश इन क्षेत्रों में हुआ है। जबकि टाटा ग्रुप द्वारा भी प्रदेश में सौर ऊर्जा सहित अन्य क्षेत्रों में निवेश की इच्छा जतायी है।
श्रम विभाग एवं इंडस्ट्रीज ऑफ उत्तराखण्ड (आई.ए.यू.) के संयुक्त तत्वाधान में श्रम कानूनों एवं अग्नि सुरक्षा प्राविधानों में सुधार से सम्बन्धित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में उद्योगों के अनुकूल वातावरण बनाये जाने के साथ ही श्रमिकों की समस्याओं का भी तत्परता से समाधान हो इसके भी प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने उद्यमियों को सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जा रही सुविधाओं तथा उनके व्यापक हित में लिये गये सुधारात्मक प्रयासों की जानकारी उन्हें उपलब्ध कराने के लिए ऐसे आयोजनों को सराहनीय प्रयास बताया।
मुख्यमंत्री ने उद्यमियों से पर्वतीय क्षेत्रों में सौर उर्जा, पर्यटन व खाद्य प्रसंस्करण से सम्बन्धित उद्योगों की स्थापना पर ध्यान देने की अपेक्षा करते हुए कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में जिन खेतों का उपयोग नहीं हो रहा है वहां पर 5 मेगावाट तक के सौलर प्लांट स्थानीय लोगों के लिये आवंटित किये जा रहे हैं। ये योजनायें स्थानीय लोगों की आपसी सहमति से ज्वाइंट वेंचर में भी स्थापित की जा सकती है। इन क्षेत्रों में फिल्मांकन की भी व्यापक संभावनाएं हैं। ग्रामीण आर्थिकी की मजबूती के लिये प्रदेश की न्याय पंचायत स्तर पर ग्रोथ सेंटरों की स्थापना की जा रही है। अब तक 82 ग्रोथ सेंटरों को स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। स्थापित होने वाले ग्रोथ सेंटर न्याय पंचायतों में भविष्य की नई टाउन शिप विकसित करने तथा अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मददगार होंगे। इससे इन क्षेत्रों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा तथा उनकी प्रोसेसिंग व माक्रेटिंग की भी व्यवस्था होगी। यहां पर अच्छे स्कूल व अस्पतालों की भी सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बेहतर कार्य संस्कृति विकसित कर जन समस्याओं का निराकरण किया जा रहा है। अधिकारी टीम भावना के साथ कार्य कर रहे हैं।
प्रमुख सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम एवं उद्योग मनीषा पंवार, ने कहा कि सिंगल विंडो के माध्यम से प्रदेश में श्रम कानूनों के लिये ऑनलाइन व्यवस्था का प्रावधान किया गया है एवं उद्योग विभाग लगातार प्रयासरत है कि उद्योगों को आ रही कठिनाइयों को निरन्तर दूर किया जाय। श्रम आयुक्त डा. आनन्द श्रीवास्तव ने बताया कि श्रम विभाग की वेबसाइट पर श्रम कानूनों के अन्तर्गत उद्यमियों के लिये ऑनलाइन व्यवस्था कर दी गयी है, इसके अन्तर्गत फैक्टरी एक्ट, बॉयलर्स एक्ट, कान्ट्रेक्ट लेवर रेगुलेशन एक्ट, उत्तराखण्ड दुकान एवं वाणिज्यिक अधिष्ठान अधिनियम, मोटर ट्रान्सपोर्ट वर्कर एक्ट एवं इन्टरस्टेट माइग्रेट वर्कर एक्ट, पंजीकरण, नवीनीकरण एवं वार्षिक विवरणी तथा निरीक्षण, रिपोर्ट आदि सभी प्रावधानों के लिये अब वेबसाइट के माध्यम से यह सारी सुविधायें उपलब्ध होगी।
इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड (आई.ए.यू.) के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि इस कार्यशाला में श्रम विभाग के द्वारा विभिन्न श्रम कानूनों, कारखाना तथा ब्वॉयलर अधिनियम में अभी हाल ही में हुये बदलावों को जिनका समुचित प्रचार प्रसार ना होने से उद्यमियों एवं व्यापारियों एवं अन्यों को इनकी जानकारी नहीं हो पाती है, इसी को दृष्टिगत रखते हुये इस जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया है ताकि उद्यमियों एवं व्यापारियों का इन बदलावों की समुचित जानकारी उपलब्ध हो सकें।
इस अवसर पर महानिदेशक उद्योग एल. फेनई, महानिरीक्षक अग्निशमन पुष्पक ज्योति, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल वरिष्ठ उपाध्यक्ष, इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड राजीव अग्रवाल, अनिल गोयल, राकेश ओबराय, अनिल गुप्ता के साथ ही उद्यमी एवं विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधि एवं अधिकारीगण उपस्थित थे।

हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रशासन की टीम ने किया परमार्थ निकेतन का निरीक्षण, हुआ चौकाने वाला खुलासा

51 वर्षों से बिना लीज अनुबंध के परमार्थ निकेतन चल रहा है। इसका खुलासा शनिवार को हुई पैमाइश के बाद हुआ है। हाईकोर्ट के आदेश पर जिलाधिकारी पौड़ी धीरज गर्ब्याल ने प्रशासन की एक टीम को पैमाइश करने के लिए परमार्थ निकेतन भेजा। इस दौरान राजस्व, सिंचाई और वन विभाग के अधिकारियों ने परमार्थ निकेतन स्थित गंगा घाट की पैमाइश की। इस दौरान सामने 51 वर्ष पहले ही परमार्थ निकेतन की वन विभाग से हुई लीज डीड की अवधि समाप्ति वाली बात निकलकर आई।

हाईकोर्ट ने पौड़ी डीएम को सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे के मामले में 16 दिसंबर को रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने यह आदेश एक याचिका के बाद दिया है। याचिका में यह आरोप है कि परमार्थ निकेतन ने सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण किया है। पैमाइश के दौरान खुलासा हुआ कि वन विभाग ने परमार्थ निकेतन को 2.3912 एकड़ भूमि लीज पर दी थी। लीज की अवधि वर्ष 1968 में ही समाप्त हो चुकी है। इस तथ्य की पुष्टि राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक पीके पात्रो ने की है। उन्होंने बताया कि परमार्थ निकेतन का वन विभाग के साथ केवल 15 वर्षों का अनुबंध हुआ था, लेकिन लीज अनुबंध खत्म होने के बाद अफसरों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। पैमाइश करने वाली टीम में एसडीएम श्याम सिंह राणा, सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता सुबोध मैठाणी, रेंज अधिकारी धीर सिंह, पटवारी कपिल बमराड़ा शामिल थे।

परमार्थ निकेतन का भूमि संबंधी विवाद वीरपुर खुर्द में भी जोर पकड़ रहा है। दरअसल यहां परमार्थ की ओर से संचालित गुरुकुल भी वन विभाग की भूमि पर संचालित है। आरोप है कि निकेतन ने यहां 27 एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है। इस संदर्भ में पशुपालन विभाग ने भी कोर्ट में काउंटर दाखिल कर स्पष्ट किया है कि उक्त भूमि वन विभाग की है। इस मामले में डीएफओ देहरादून राजीव धीमान का कहना है कि परमार्थ निकेतन की ओर से वीरपुर खुर्द में संचालित गुरुकुल का लीज अनुबंध 1978 में समाप्त हो चुका है। फिलहाल यहां हुए अवैध कब्जे को खाली करवाने के मामले में अफसर अभी चुप्पी साधे हुए हैं। परमार्थ निकेतन के प्रभाव को देखते हुए अफसरों में भी कार्रवाई को लेकर संशय बना हुआ है।

उधर, टाईगर रिजर्व के निदेशक पीके पात्रों ने अनुसार केवल 15 वर्षों के लिए परमार्थ को लीज पर भूमि दी गई थी। वर्ष 1968 में परमार्थ निकेतन के साथ वन विभाग का लीज अनुबंध समाप्त हो गया था। वर्ष 2003 तक परमार्थ निकेतन टाईगर रिजर्व को कर शुल्क जमा करता रहा। लीज के नवीनीकरण के लिए आश्रम की ओर से कई बार कहा गया। वर्ष 1980 में वन अधिनियम के तहत लीज पर देने का प्रावधान खत्म कर दिया गया है। इस कारण लीज के नवीनीकरण का मामला रुक गया।