भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टोलरेंस हर परिस्थिति में लागूः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भराड़ीसैंण विधानसभा परिसर में कहा कि स्थानान्तरण अधिनियम(ट्रांसफर एक्ट) को लाकर सरकार ने जनता की आशाओं को विश्वास में बदला है। इससे राज्य की सरकारी मशीनरी को एक नई ऊर्जा मिलेगी।
बहुत दिनों से तमाम कर्मचारी संगठनों द्वारा की जा रही पारदर्शी सुदृृढ़ स्थानान्तरण अधिनियम की मांग को सरकार ने पूरा किया है। अल्मोड़ा आवासीय विश्वविद्यालय विधेयक-2017 भी पारित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विधानसभा सत्र में रूपये 3015 करोड का अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया गया है। इसमें स्वच्छ भारत मिशन के लिए रू. 107 करोड का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही ग्रामीण खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए रू. 08 करोड़, प्लास्टिक इंजीनियरिंग संस्थान (सीपैट) के लिए रू. 09 करोड़, आशा कार्यकत्रियों के लिए रू. 33 करोड़, औली में इंटरनेशनल स्कींइग प्रतियोगिता के लिए रू. 12 करोड़ एवं मुजफ्फरनगर-रूड़की रेल लाइन के लिए रू. 120 करोड़ की बजट व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनवरी, 2018 से सीपैट की कक्षाएं संचालित होने लगेंगी। उत्तर प्रदेश के साथ प्रस्तावित जमरानी बांध एवं परिवहन विभाग से संबंधित एम.ओ.यू. तैयार कर लिया गया है, शीघ्र ही इस पर कार्यवाही की जायेगी। केदारनाथ उत्थान चौरिटेबिल ट्रस्ट का गठन और चतुर्थ वित्त आयोग की संस्तुति पर ग्राम पंचायतों को 2.5 प्रतिशत का अधिक अनुदान का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है। मुुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार श्री केदारनाथ के भव्यतम स्वरूप को स्थापित करने के लिए संकल्पबद्ध है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्री केदारनाथ पुनर्निर्माण के लिए सीएसआर में योगदान देने हेतु कॉरपोरेट घरानों का आह्वान किया है। ट्रस्ट के माध्यम से श्री केदारनाथ में अवस्थापना सुविधाओं के विकास में गति आयेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम ऑल वेदर रोड के लिए मुआवजा वितरण कार्य सहित अन्य कार्य तेजी से किये जा रहे है। मुजफ्फरनगर-रूड़की रेलवे लाइन सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है।
लोकायुक्त एक्ट पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता की इच्छा और भावना के अनुरूप राज्य में भ्रष्टाचार को कोई स्थान नहीं मिलेगा। सरकार का भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरोटोलरेंस का सिद्धांत हर परिस्थिति में लागू किया जा रहा है। एन.एच.74 मुआवजा वितरण प्रकरण पर दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जा रही है। 10 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। कोई कितना भी बड़ा हो उसे छोडा नहीं जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने नौ माह के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अन्तर्गत स्टेट कम्पोनेंट के तहत प्रशिक्षण केन्द्र प्रारम्भ करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। अभी तक दो प्रशिक्षण केन्द्र प्रारम्भ हो चुके है। सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में एक लाख युवाओं को स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग दी जाए। किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से कृषकों को दो प्रतिशत ब्याज पर एक लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराने हेतु दीन दयाल उपाध्याय किसान कल्याण योजना चालू की गई है। ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग का गठन करने के बाद पौड़ी को इसका मुख्यालय बनाया गया है। देहरादून की ऋषिपर्णा (रिस्पना) नदी एवं अल्मोडा की कोसी नदी के पुनर्जीवीकरण का अभियान शुरू किया गया है। रिस्पना नदी के लिए एक ही दिन में उद्गम से संगम तक पौधरोपण और साफ-सफाई अभियान का लक्ष्य रखा गया है।

बुलेट ट्रेन से भी तेज है इसकी स्पीड, चंद मिनट में होगी यात्रा

दुनिया के 26,00 शहरों में से भारत के चार शहरों को हाइपरलूप प्रोजेक्ट लिए चुना गया है। जनवरी में कंपनी ने ग्लोबल चैलेंज के तहत दुनिया भर में हाइपरलूप के लिए रूट की पहचान की गई जहां इसका सेटअप किया जा सकता है। इसके लिए पहले 2,600 जगहों को चुना गया जिसके बाद सेमीफाइनल के तौर पर सिर्फ 17 देशों को चुना गया। आखिरकार अब कंपनी ने पांच देशों को फाइनल किया है
क्या है हाईपरलूप?
आने वाले वक्त में ट्रेन के सफर के तरीके और समय में बड़ा बदलाव आ सकता है। ये संभव होगा हाइपरलूप तकनीक से। हाइपरलूप एक ऐसा माध्यम है जिसे लंबी दूरी मिनटों में तय की जा सकती है। अमेरिकी कंपनी टेस्ला और स्पेस एक्स ने मिलकर इसे शुरू किया है।
हाईपरलूप में एक सील की ट्यूब की सीरीज होती है जिसके जरिए किसी भी घर्षण और हवा के रूकावट के बिना लोगों को एक जगह से दूसरी जगह की यात्रा कराई जा सकती है। इसमें ट्रेन जैसे ही लोगों के लिए जगह होगी।
हाइपरलूप वन ने काफी पहले से एक कॉन्टेस्ट आयोजित किया था, जिसमें दुनिया भर के जगहों को हाइपरलूप के लिए चुना जाना था। अब कंपनी ने 10 जगहों को चुना है, जहां दुनिया के पहले हाइपरलूप ट्रैक बनाए जा सकते हैं।
पांच देशों के इन 10 जगहों में भारत भी शामिल है। इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, मैक्सिको और कनाडा जैसे देश शामिल है। जहां हाइपरलूप का ट्रैक तैयार किया जा सकता है। गौरतलब है कि 26 आवेदन में सिर्फ 10 जगहों को चुना गया है।
कंपनी ने पहले 2,600 जगहों को चुना जहां हाइपरलूप ट्रैक लगाना संभव हो और आखिरकार 10 को चुना गया है। इस कॉन्टेस्ट में दुनिया भर के वैज्ञानिक, इंजीनियर और इनोवेटर्स ने लूप्स के लिए अपने आवेदन दिए हैं। लूप उस टनल को कहा जाता है जो जिसके जरिए हाइपरलूप वन अपने पॉड्स भेजेगा जिसमें यात्री होंगे। हाइपरलूप की तेजी का अंदाजा इस बात से ही लगा सकते हैं कि यह हवाई जहाज और बुलेट ट्रेन से भी फास्ट हो सकता है। अगर कॉन्सेप्ट असल जिंदगी में आया तो पैंसेंजर ट्यूब में पॉड के सहारे यात्रा कर सकते हैं। इस पॉड में मैग्नेटिक लेविएशन और कम फ्रिक्शन यूज किया जाएगा जिससे इसका मूवमेंट काफी फास्ट होगा।
भारत में अगर यह सेटअप ट्रैक लगाया गया और सफल परीक्षण हुआ तो बंगलुरू से चेन्नई की दूरी सिर्फ 23 मिनट में तय की जा सकेगा। आपको बता दें कि चेन्नई से बंगलुरू 334 किलोमीटर है। मुंबई से चन्नई की दूरी 1102 किलोमीटर है और हाइपरलूप प्रोजेक्ट से यह सिर्फ 63 मिनट में तय की जा सकेगी।

2 लाख कंपनियों के बैंक खाते बंद

नोटबंदी के बाद रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज की तरफ से जिन दो लाख कंपनियों को बंद किया गया था, उनके बैंक खातों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। जानकारी वित्त मंत्रालय की तरफ से यह जानकारी 5 सितम्बर को दी गई।
वित्त मंत्रालय ने एक अधिकारिक बयान जारी करके कहा कि 2,09,032 कंपनियों को रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज की तरफ से बंद कर दिया गया था। ऐसी कंपनियों के निदेशकों और अधिकारी अब पूर्व डायरेक्टर और पूर्व अधिकारी बन जाएंगे। इसमें आगे कहा गया है कि जब तक यह मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनक्लैट) से कानून सुलझ नहीं जाता, तब तक इनके बैंक खाते ऑपरेट नहीं होंगे। वित्त मंत्रालय के अधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी यह जानकारी ट्वीट की गई है। वित्त विभाग ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि इन कंपनियों के खातों को प्रतिबंधित करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। इस कार्रवाई को सरकार की तरफ से फर्जी कंपनियों (शेल कंपनियां) के खिलाफ उठाए गए अगले कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
अन्य कंपनियों को चेतावनी बयान में अन्य कंपनियों को भी चेताते हुए कहा गया है कि बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने कर्मचारियों से कहें कि ऐसी कंपनियों के साथ व्यवहार करते समय कर्मठता दिखाएं और उन कंपनियों पर नजर रखें, जो फाईनेंशियल स्टेटमेंट और सालाना रिटर्न फाइल करने में गड़बड़ी कर रही हैं।

अगले साल के अंत तक पूरी हो जाएगी चार धाम सड़क परियोजना

केंद्रीय सड़क, परिवहन, राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उत्तराखंड में ‘चार धाम’ सड़क संपर्क परियोजना को सरकार 2018 के अंत तक पूरा कर लेगी। 12 हजार करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी परियोजना से जुड़े 10 प्रस्तावों को पर्यावरण मंजूरी भी मिल गई है।
उन्होंने बताया कि पर्यावरण मंजूरी मिलने के बाद सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय ने परियोजना पर काम तेज कर दिया है। जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के एजेंडे में शीर्ष पर है। इस परियोजनाओं से जुड़े अन्य अटके प्रस्तावों को भी जल्द ही मंजूरी प्राप्त हो जाएगी। क्योंकि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय समेत विभिन्न मंत्रालयों के साथ बैठकें जारी हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह लोगों को सबसे बड़ा उपहार होगा। क्योंकि आस्था से जुड़ी चार धाम यात्रा लोगों के एजेंडे में शीर्ष पर रहती है। विदेश से भी बड़ी संख्या में लोग चार धाम यात्रा के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि 900 किमी के नए अलाइनमेंट पर राजमार्गो का निर्माण किया जा रहा है और सुरंगों का निर्माण भी तेज गति से हो रहा है। यह मार्ग सभी मौसम में खुले रहेंगे।
मालूम हो कि इसी महीने की शुरुआत में गडकरी ने आधारभूत ढांचे पर एक बैठक की अध्यक्षता की थी। इसमें उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों से मंजूरियों के अभाव में लटके चार धाम यात्रा के 18 प्रस्तावों में तेजी लाने का अनुरोध किया था। चार धाम परियोजना की आधारशिला पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी।

पशुपालन और पंतजलि गो मूत्र और साइलेज का कारोबार करेंगे

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित एक बैठक में पतंजलि संस्था के साथ प्रस्तावित ’सहयोग’ कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा की। इस अवसर पर वन मंत्री डाॅ.हरक सिंह रावत तथा पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने विभागों को निर्देश दिये कि जिन बिन्दुओं पर सहमति बनी है उनके क्रियान्वयन हेतु सभी पक्षो पर विचार कर विस्तृत एम.ओ.यू. तैयार कर अग्रिम कार्यवाही की जाए। उन्होंने जड़ी-बूटी उत्पादन विपणन को प्रोत्साहित करने के लिये सिंगल विण्डो सिस्टम की आवश्यकता बताई। जड़ी-बूटी खेती को किसानों के लिये लाभकारी बनाना होगा। जड़ी बूटियों के लिये बीज और नर्सरी उपलब्ध कराना जरूरी है। गांवों में पर्यटन और आयुष गतिविधियों पर आधारित रोजगार के अवसर उत्पन्न करने जरूरी है। पशुपालन और औद्यानिकी को क्लस्टर्स में योजनाबद्ध तरीके से बढ़ाना होगा। उन्होंने पतंजलि द्वारा इस दिशा में सकारात्मक सहयोग पर संतोष व्यक्त करते हुए बाबा रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण को धन्यवाद भी दिया।
बैठक में उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के शोधार्थियों हेतु पतंजलि द्वारा लैब सुविधाएं उपलब्ध कराने पर सहमति बनी। पतंजलि संस्था लैब कार्यों के लिये शीघ्र ही ’आइटमाइज्ड’ दरें उपलब्ध करायेगी, जो बाजार दरो से कम होगी। उत्तराखण्ड के किसानों से मोटे अनाज के क्रय हेतु पतंजलि को क्लस्टरवार विपणन हेतु उपलब्ध अनाज उत्पादन का विवरण उपलब्ध कराया जायेगा। इसके साथ ही पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में पतंजलि किसी एक ग्राम या क्लस्टर में कान्ट्रैक्ट फार्मिंग भी शुरू करेगी। पतंजलि को राज्य सरकार उपलब्ध जड़ी बूटियों की सूची तथा उनके बीज की उपलब्धता का विवरण देगी। पतंजलि द्वारा जडी बूटियों के लिये शीघ्र ही न्यूनतम क्रय मूल्य घोषित किया जायेगा।
पतंजलि मुनिकीरेती में वन विभाग के डाॅ.सुशीला तिवारी हर्बल गार्डेन को माॅडल हर्बल गार्डेन एवं नर्सरी में विकसित करेगा। इस हर्बल गार्डेन को पर्यटक आकर्षण का केन्द्र भी बनाया जायेगा। पशुपालन विभाग के पास गो-मूत्र उपलब्ध है जबकि पतंजलि के पास साइलेज (पशुचारा) की उपलब्धता है। दोनो परस्पर विनियम की शर्तें निर्धारित करते हुए गो-मूत्र एवं साइलेज का आदान प्रदान करेंगे। अगले तीन माह के लिये पशुपालन विभाग द्वारा 1073 मीट्रिक टन साइलेज की मांग की गई। पशुपालन विभाग द्वारा टेस्टिंग प्रक्रिया के रूप में पतंजलि को दूध आपूर्ति भी की जा रही है। शीघ्र ही 12000 लीटर दूध की आपूर्ति प्रारम्भ की जायेगी। इसके साथ ही चंपावत में नरियाल गांव में बद्री गाय संवर्द्धन योजना को भी पतंजलि द्वारा संचालित किया जायेगा। पर्यटन विभाग द्वारा प्रस्ताव दिया गया कि राज्य में ऐसे 12 गांवों में जहां ए.डी.बी. द्वारा अवस्थापना सुविधाएं विकसित की जा रही है वहां स्थानीय लोगों को पतंजलि के माध्यम से पंचकर्म, योग आदि में प्रशिक्षित कर पर्यटक केन्द्र विकसित किया जा सकता है। इसी प्रकार बंद पडे टूरिस्ट सेंटरों में से कुछ सेंटर पतंजलि पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में ले सकता है। पतंजलि संस्था द्वारा हरिद्वार जनपद के सभी आंगनबाडी केन्द्रों पर हाईजीन सुविधाएं विकसित करने हेतु सहमति दी गई। बैठक में सहकारिता, एरोमैटिक प्लांट, मधुमक्खी पालन, जड़ी बूटी पादप डाक्यूमेंटेशन आदि विषयों पर भी चर्चा हुई।

शराब के ठेकों में डिजिटल पेमेंट से शराब बिक्री को बढ़ावा!

ओवर रेट की शिकायतों को देखते हुए प्रशासन अब डिजिटल पेमेंट से शराब खरीदने को बढ़ावा देने जा रहा है। इसके लिए शराब की दुकानों में स्वैप मशीन लगाने की तैयारी की जा रही है। अधिकारियों की मानें तों इससे ओवर रेट में शराब बिकने पर रोक तो लग ही जायेंगी। वहीं केन्द्र सरकार की योजना डिजिटल पेंमेट को भी बढ़ावा मिलेगा। गौरतलब है कि आये दिन राज्य में ओवर रेट पर शराब बेचने के मामले निकल कर सामने आते है। नतीजतन सरकार लगातार ओवर रेट पर लगाम लगाने की बात तो कहती रहती है, लेकिन ओवर रेटिंग रुकने का नाम नही ले रही है। जिसको देखते हुए सरकार अब सभी शराब की दुकानों में स्वैप मशीन लगाने जा रही है, विभाग का दावा है कि कई दुकानों में तो मशीन लग चुकी है जबकि बाकी दुकानों में जल्द ही स्वैप मशीन लगाई जाएगी। स्वैप मशीन लगने से न सिर्फ ओवर रैट पर लगाम लगेगी साथ ही डिजिटल लेन देन को भी बढ़ावा मिलेगा। जिला आबकारी अधिकारी मनोज कुमार उपाध्याय ने डिजिटल पेमेंट से शराब बिक्री को बढ़ावा देने की बात कही है।

कॉल ड्रॉप हुयी तो उपभोक्ता कंपनी पर लगा सकता है जुर्माना

भारत में हर व्यक्ति के पास दो मोबाइल फोन है। नेटवर्क की समस्या से जुझ रहे उपभोक्ता कॉल ड्रॉप होने और नेटवर्क परेशानी के चलते दो फोन रख रहा है। पिछले कुछ समय से कॉल ड्रॉप की ज्यादा शिकायतें दर्ज हो रही है। कंपनी ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में उपभोक्ताओं की कॉल ड्रॉप कर रही है। जिससे ग्राहकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
लेकिन अब ट्राई ने अधिक कॉल ड्रॉप होने पर टेलीकॉम कंपनियों पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान रखा है। कॉल ड्रॉप प्रतिशत को अब पूरे सर्किल के औसत के बजाय मोबाइल टावर के स्तर पर मापा जाएगा। ट्राई की ओर से मोबाइल कॉल की गुणवत्ता के बारे में निर्धारित नए नियमों में ये कड़ी शर्तें लादी गई हैं। ये नियम एक अक्टूबर से लागू होंगे।
टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के चेयरमैन आरएस शर्मा ने कहा, हमने 1-5 लाख रुपए तक के वित्तीय दंड का प्रावधान किया है। नेटवर्क के प्रदर्शन के आधार पर यह ग्रेडवार जुर्माने की व्यवस्था है।
ट्राई के प्रभारी सचिव एसके गुप्ता ने कहा, यदि कोई ऑपरेटर लगातार दूसरी तिमाही में कॉल ड्रॉप के बेंचमार्क को पूरा करने में विफल रहता है तो उस पर डेढ़ गुना और यदि तीसरी तिमाही में भी विफल रहता है तो तीन गुना जुर्माना लगेगा। लेकिन किसी भी स्थिति में जुर्माना 10 लाख रुपए से ज्यादा नहीं होगा। अब तक के नियमों में किसी सर्किल में निर्धारित से ज्यादा कॉल ड्रॉप होने पर प्रति तिमाही एक लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।

देश में बैंकिंग महंगी होने के पीछे नोटबंदी और जीएसटी का असर!

कई दशकों से बैकों के कर्ज और कर्ज माफी से उनकी सेहत खराब हो चुकी है। सरकारी बैंकों का इंफ्रा और पॉवर सेक्टर में निवेश डूबा है जिसके चलते उन्हें 6.1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस नुकसान से बैंकों की कारोबारी तेजी लाने के लिए नया कर्ज देने की क्षमता को भी नुकसान हुआ है। वहीं सबसे ज्यादा डूबा कर्ज स्टील, टेक्सटाइल, पॉवर और इंफ्रा क्षेत्र में रहा है। गौरतलब है कि इन क्षेत्रों को दिए गए कर्ज यदि सही कंपनियों को दिए गए होते तो आज बैंकों को सबसे बड़ा मुनाफा इन्ही कर्ज के ब्याज पर होती और ग्राहकों को अच्छी से अच्छी सुविधा सस्ती दरों पर दी जा सकती थी, लेकिन अब बीमार पड़े बैंकों के पास ग्राहकों से धनउगाही कर अपनी लागत घटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
नोटबंदी और जीएसटी ने देश में बैंकिंग को महंगा कर दिया। नवंबर 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद बैंकों द्वारा मिलने वाली कई मुफ्त सेवाओं पर चार्ज लगा दिया गया था। फिर जुलाई से लागू जीएसटी ने इन चार्जेस पर टैक्स लगाकर आम आदमी के लिए बैंकिंग सेवा को महंगा कर दिया। देश में बैंकों ने बढ़े हुए बैंकिग चार्जेस को अच्छी सुविधा देने क लिए जरूरी बताया तो रिजर्व बैंक ने कहा कि इससे बैंक को चलाने का खर्च कम किया जा सकेगा।
लेकिन अब बैंक ग्राहकों को केन्द्र सरकार और आरबीआई की दलील रास नहीं आ रही है जिसके चलते अलग-अलग फोरम पर बैंकों द्वारा वसूले जा रहे चार्जेस को मनमाने ढंग के उगाही तक कहा जा रहा है। लगातार बढ़ती शिकायतों के चलते केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक भी अब मामले पर गंभीरता से विचार कर रही है।

कैसे चार्ज वसूल रहा बैंक
– बैंक ब्रांच और एटीएम से सीमित मुफ्त निकासी के बाद खाताधारकों से ट्रांजैक्शन चार्ज वसूला जा रहा है
– इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर जैसे नेफ्ट, आरटीजीएस और यूपीआई सेवाओं का इस्तेमाल करने के चार्ज में इजाफा
– एक फ्री चेकबुक के बाद नई चेकबुक लेने पर बैंक द्वारा फीस ली जा रही है
– ग्राहकों द्वारा मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल करने पर बैंक फीस ले रही है
– इन सभी चार्जेस पर बैंक द्वारा जीएसटी के नाम पर भी ग्राहकों से पैसा वसूला जा रहा है

ये है बैंकों की सफाई
अब बैंक में पैसा रखने पर ग्राहकों को मिलने वाले ब्याज दर में भी कटौती कर बैंकों ने अपनी कमाई बढ़ा ली है। इन सभी कदमों को जायज ठहराने के लिए बैंक की दलील है कि इस कदम से उनके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर कॉस्ट में लगातार इजाफा हो रहा है। बैंकों को अपनी सेवाओं का विस्तार करने की लागत और मौजूदा ब्रांचेस को चलाने का खर्च बढ़ रहा है। इसके अलावा बैंकों की दलील है कि पहले के मुकाबले देश में बैंकिंग सुविधा में बड़ा सुधार दर्ज हुआ है। इस सुधारी हुई बैंकिंग की लागत को ग्राहकों को भी वहन करने की जरूरत है। वहीं बैंकों की यह भी दलील है कि ट्रांजैक्शन चार्ज केवल भारत में नहीं लिया जा रहा है। दुनियाभर के बैंकों में ग्राहकों से ऐसे चार्ज वसूले जाते है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दी राहत, शराब की दुकानें होंगी बहाल

राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में हाईवे पर शराब के ठेके और बार खुल सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने नौ पहाड़ी जिलों में हाईवे पर 500 और 220 मीटर दूरी की बाध्यता खत्म कर दी है। देहरादून और नैनीताल की सात तहसीलों को भी इस छूट का लाभ दिया गया है।
शुक्रवार को इसके आदेश मिलने के बाद आबकारी विभाग ने इस पर काम शुरू कर दिया है। राज्य सरकार ने सिक्कम में हाईवे पर दुकान खोलने के लिए दूरी में दी जा रही छूट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। जिसमें कहा गया था कि उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों की परिस्थितियां भी सिक्किम की तरह हैं। ऐसे में यहां भी उसी आधार पर हाईवे में शराब की दुकानें, ठेके और बार खोलने में दूरी की छूट दी जाए।
इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने शुक्रवार को सरकार के पक्ष में फैसला दिया। जिसमें कहा गया कि सिक्कम के लिए मार्च में दी गई छूट के आधार पर ही उत्तराखंड के नौ पहाड़ी जिलों में दुकानें या बार खोलने के लिए हाईवे से 500 मीटर और 220 मीटर दूरी की बाध्यता नहीं रहेगी। आबकारी आयुक्त युगल किशोर पंत ने इसकी पुष्टि की है।

इन जिलों में मिलेगी छूट
कोर्ट के इस फैसले से चमोली, चंपावत, पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, बागेश्वर और रुद्रप्रयाग में अब ठेके खोलने के लिए हाईवे से 500 मीटर या 220 मीटर की दूरी नहीं रखनी पड़ेगी। इससे विभाग को राजस्व का भी फायदा होगा।

एक्जीक्यूटिव इंजीनियर की अनुमति के शटडाउन नही होगा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को सचिवालय में ऊर्जा एवं वैकल्पिक ऊर्जा विभाग की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने ऊर्जा विभाग को गत वर्ष के राजस्व में न्यूनतम 200 करोड़ रूपये की वृद्धि करने का लक्ष्य दिया। मुख्यमंत्री ने ऊर्जा विभाग को प्रदेश में निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए हर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये। उन्होने कहा कि जे0ई0 और ए0ई0 ही नही बल्कि एक्जीक्यूटिव इंजीनियर भी फील्ड में दिखें। विद्युत चोरी के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया जाय और विशेष रूप से बड़े बिजली चोरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाय। बिजली चोरी रोकने तथा राजस्व वृद्धि के लिये जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी जो वर्षो से एक ही जगह पर जमे हों उनका स्थानांतरण किया जाय। बिना एक्जीक्यूटिव इंजीनियर की अनुमति के शटडाउन न किया जाय। जब भी किसी आवश्यक कार्य के लिए बिजली शटडाउन लेना हो तो उसका जनता में व्यापक प्रचार किया जाए। अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही से बिजली आपूर्ति में बाधा स्वीकार नहीं की जाएगी। जूनियर इंजीनियर से लेकर वरिष्ठ अधिकारी तक की चरित्र पंजिका में उनकी परफॉर्मेंस बिजली सप्लाई की नियमितता के आधार पर भी देखी जाएगी। मुख्यमंत्री ने राज्य की सौर ऊर्जा नीति में 5 मेगावाट तक के प्रोजेक्ट केवल उत्तराखण्ड के निवासियों के लिए रखने के निर्देश दिये। इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जायेगा। बताया गया कि वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों से राज्य में 597 मिलियन यूनिट बिजली की खपत कम हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उपजाऊ भूमि पर सोलर प्लाण्ट परियोजनाए न लगाई जायें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली सप्लाई में ए0टी0 एण्ड टी0 (एग्रीगेट टेक्निीकल एण्ड कमर्शियल लॉसेस) को कम किया जाए। वर्ष 2016-17 के 16.72 प्रतिशत हानियों को इस वर्ष अधिकतम 15 प्रतिशत तक सीमित किया जाय। उल्लेखनीय है कि एक प्रतिशत ए0टी0 एण्ड टी0 हानियां कम होने पर राज्य को लगभग 100 करोड रुपए तक की बचत होगी। जिन क्षेत्रों में बिजली चोरी की घटनाएं अधिक होती है, उन्हें चिन्हित कर वहां ओवरहेड लाइनों को ए0बी0 केबिलों से बदला जाए। इस वर्ष 2000 कि0मी0 ओवरहेड एल0टी0 लाइनों को ए0बी0 केबिलों से बदले जाने का लक्ष्य है। बताया गया कि राज्य के 15745 आबाद ग्रामों में 15681 विद्युतीकृत है। मुख्यमंत्री ने शेष 64 ग्रामों को इस वर्ष के अंत तक विद्युतीकृत करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने दूरस्थ सीमांत इलाकों में लगभग 8000 घरों हेतु सोलर ब्रीफकेस की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। उन्होंने विद्युत उत्पादन की आधुनिक एम0आई0एस0टी0 (मिस्ट) तकनीकि का अध्ययन कर किसी एक स्थान पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने के निर्देश भी दिए। उत्तराखंड जल विद्युत निगम को इस वर्ष के लिए निर्धारित 4876 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन लक्ष्य को बढ़ाकर कम से कम 5000 मिलियन यूनिट करने के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो जल विद्युत परियोजनाएं न्यायालय वाद या किसी अन्य कारण से रुकी हुई हैं, उनके अतिरिक्त बाकी योजनाओं पर निगम पूरा ध्यान केंद्रित करें। बताया गया कि 120 मेगावॉट ब्यासी परियोजना वर्ष 2018 दिसम्बर तक तैयार हो जायेगी। उत्तरकाशी की पिलंगाड-1 (2.25 मेगावॉट) योजना इस वर्ष दिसम्बर तक पूरी हो जायेगी। चमोली में उरगम (3.0 मेगावॉट) तथा पौड़ी में दुनाव (1.5 मेगावॉट) योजना अगस्त के अंतिम सप्ताह से प्रारम्भ हो जायेगी। दुनाव परियोजना टेस्टिंग प्रक्रिया में है। राज्य के दस हजार से कम जनसंख्या वाले 36 शहरों में 192 करोड़ की लागत से बिजली सुधारीकरण किया जाना है। इस वर्ष अप्रैल से जून तक बिजली चोरी के लगभग 486 अभियोग पंजीकृत किये गये हैं। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष अप्रैल-जून अवधि के बिजली आपूर्ति की नियमितता और अवधि में सुधार हुआ है। बैठक में सचिव ऊर्जा राधिका झा, अपर सचिव रणवीर सिंह चौहान सहित ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।