पटना में सीएम धामी ने नवनिर्वाचित सीएम नीतिश कुमार व मंत्रीमंडल को दी शुभकामनाएं

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज बिहार के गांधी मैदान, पटना में आयोजित बिहार की नवनिर्वाचित सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में प्रतिभाग करने पहुंचे। इस अवसर पर उन्होंने नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री एवं मंत्रिपरिषद के सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई दी।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि बिहार और उत्तराखंड के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नई सरकार के नेतृत्व में बिहार राज्य नई ऊर्जा और संकल्प के साथ विकास की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा।

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने देशभर से पहुंचे विभिन्न राज्यों के गणमान्य नेताओं से भी शिष्टाचार भेंट की और उनसे राष्ट्रीय विकास, सुशासन तथा समन्वित प्रगतिशील नीतियों पर विचार-विमर्श किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने बिहार के जनता जनार्दन के उज्ज्वल भविष्य, राज्य की निरंतर प्रगति और नवगठित सरकार के सफल कार्यकाल की शुभकामनायें प्रेषित कीं।

मुख्यमंत्री धामी ने किया सोशल मीडिया मंथन कार्यक्रम को संबोधित, दिए टिप्स

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स और इन्फ्लुएंसर्स से अपने कंटेंट में उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों, स्थानीय उत्पादों, सांस्कृतिक धरोहरों और सामाजिक उपलब्धियों को प्रमुखता से उजागर करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर, फेक न्यूज या नकारात्मक नैरेटिव की भी प्रभावी काट कर सकते हैं।

मुख्य सेवक सदन में आयोजित ष्सोशल मीडिया मंथनष् कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज सोशल मीडिया संचार और सूचना के आदान-प्रदान का सबसे तेज और प्रभावी माध्यम बन चुका है। दुनिया के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति अपने विचार और अपना दृष्टिकोण को कुछ ही क्षणों में पूरे विश्व तक पहुँचा सकता है। सोशल मीडिया ने आम नागरिक की आवाज को मंच प्रदान किया है। यही कारण है कि आज विश्व की बड़ी से बड़ी घटना से लेकर एक गांव की छोटी सी समस्या तक कुछ ही सेकंड में लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुँच जाती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में सत्ता संभालने के साथ ही सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को शासन व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया को संवाद, पारदर्शिता और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी का ऐसा सशक्त माध्यम बनाया है, जिसने शासन व्यवस्था को न केवल जन केंद्रित बनाया, बल्कि प्रत्येक नागरिक को नीति-निर्माण और निर्णय प्रक्रिया से भी प्रत्यक्ष रूप से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने एक्स, फेसबुक, ‘मन की बात’, माईगॉव और पीएमओ के डिजिटल इकोसिस्टम जैसे माध्यमों से भारत में ‘डिजिटल गवर्नेंस’ की एक नई मिसाल स्थापित की है। वो स्वयं भी विश्व के सबसे अधिक फॉलो किए जाने वाले राजनेताओं में शीर्ष स्थान पर हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से प्रदेश सरकार भी डिजिटल उत्तराखंड निर्माण के लिए संकल्पबद्ध है। मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर सभी विभाग तक जनता से सीधे संवाद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले शिकायत दर्ज करने के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे, परन्तु आज एक ट्वीट या फेसबुक संदेश से तत्काल समाधान मिल जाता है। वो स्वयं प्रतिदिन राज्य के विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर आने वाले सुझावों, शिकायतों और जनसमस्याओं की निगरानी करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कई बार सिर्फ एक पोस्ट या लाइव के कारण किसी बच्चे का इलाज संभव हुआ है, किसी बुजुर्ग की पेंशन बहाल हुई है, किसी सड़क की मरम्मत हुई या किसी आपदा या विपत्ति में फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बचाने में सहायता मिली है। वहीं, दूसरी तरफ सोशल मीडिया का तेजी से दुरुपयोग भी बढ़ रहा है। आज फेक न्यूज़, अफवाहों और नकारात्मक नैरेटिव्स के माध्यम से समाज में भ्रम फैलाने की प्रवृत्ति एक चुनौती बनकर उभरी है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सोशल मीडिया की शक्ति का उपयोग वैचारिक विभाजन पैदा करने, सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने और सरकार की जनहितकारी योजनाओं को लेकर गलत धारणाएँ फैलाने के लिए भी कर रहे हैं। ऐसे समय में जिम्मेदार सोशल मीडिया वॉरियर की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल के दिनों में कुछ धर्म विरोधी और राष्ट्र-विरोधी मानसिकता वाले लोग भ्रामक खबरों, फेक नैरेटिव और झूठे प्रचार के माध्यम से हमारी धार्मिक आस्था और समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे समय में किसी भी भ्रामक, तथ्यहीन या समाज-विरोधी सामग्री का न केवल तत्काल फैक्ट-चेक किए जाने की जरूरत है, बल्कि उसकी तथ्यात्मक जानकारी भी जन-जन तक पहुँचाए जाने की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि कई बार कुछ नेगेटिव कंटेंट क्रिएटर्स सरकार, समाज, धर्म और प्रदेश के गौरव से जुड़ी खबरों को तोड़ मरोड़कर भ्रामक तथ्यों के साथ प्रस्तुत कर अधिक व्यूज और लाइक बटोरना चाहते हैं। लेकिन सभी को ये समझने की आवश्यकता है कि प्रसिद्धि और फॉलोअर्स की दौड़ के बीच एक बारीक रेखा हमारी नैतिक जिम्मेदारी और सामाजिक कर्तव्य की भी होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने जब से देवभूमि उत्तराखंड के मूल स्वरूप की रक्षा के लिए विभिन्न कानून के माध्यम से अराजक तत्वों खिलाफ कठोर कदम उठाए हैं।
तभी से कुछ राष्ट्र विरोधी तत्व और अर्बन नक्सल गैंग के लोग सोशल मीडिया पर अलग-अलग नामों से फर्जी अकाउंट बनाकर फेक नरेटिव बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कंटेंट क्रिएटर्स, इन्फ्लुएंसर्स से अपील करते हुए कहा कि सभी लोग अपने कंटेंट में उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों, स्थानीय उत्पादों, सांस्कृतिक धरोहरों और सामाजिक उपलब्धियों को प्रमुखता से उजागर करें। इससे ब्रांड उत्तराखंड की पहचान और मजबूत होगी। इस मौके पर महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित हुए।

———————–
राज्याधीन सेवाओं में छः माह के लिए हड़ताल पर पाबंदी लागू

उत्तराखंड की राज्याधीन सेवाओं में शासन के द्वारा छः माह की अवधि के लिए हड़ताल पर पाबंदी लगाई गई है।

सचिव कार्मिक शैलेश बगोली द्वारा इस संबंध में आज एक अधिसूचना जारी की गई है। अधिसूचना के अनुसार लोकहित में उ. प्र. अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 (उत्तराखण्ड राज्य में यथा प्रवृत्त) की धारा 3 की उपधारा (1) के अधीन इस आदेश के निर्गत होने के दिनांक से छः मास की अवधि के लिए राज्याधीन सेवाओं में हड़ताल निषिद्ध की गई है।

स्प्रिचुअल इकोनॉमिक जोन की स्थापना के साथ समीपवर्ती क्षेत्रों का समग्र विकास किया जाएः धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य के दोनों मंडलों में एक-एक स्प्रिचुअल इकोनॉमिक जोन की स्थापना के लिए विस्तृत कार्ययोजना (रोडमैप) शीघ्र तैयार की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहल उत्तराखंड को वैश्विक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना के अंतर्गत धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण के साथ-साथ तीर्थ स्थलों एवं उनके आस-पास के क्षेत्रों का समग्र विकास किया जाए। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार एवं स्वरोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे, वहीं राज्य की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इसी वित्तीय वर्ष में इस योजना पर कार्य धरातल पर प्रारंभ किया जाए। इसके तहत योग, ध्यान, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, स्थानीय हस्तशिल्प, पर्वतीय उत्पादों और सांस्कृतिक आयोजनों को भी प्रोत्साहन दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पहल से राज्य का पर्यटन परिदृश्य और समृद्ध होगा तथा उत्तराखंड की पहचान ‘आध्यात्मिक राजधानी’ के रूप में और मजबूत होगी।

मुख्यमंत्री ने बैठक में शीतकालीन यात्रा व्यवस्थाओं को और अधिक सुदृढ़ करने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि राज्य की शीतकालीन स्थलों में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार करते हुए, वहां की यात्रा, आवास, परिवहन और सुरक्षा व्यवस्थाओं को मजबूत किया जाए ताकि अधिक से अधिक पर्यटक राज्य की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विविधता का अनुभव कर सकें। शीतकालीन यात्रा स्थलों के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए पारंपरिक व आधुनिक माध्यमों के जरिए राज्य की पर्यटन संभावनाओं को देश-विदेश तक पहुंचाया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही जनसामान्य के जीवन स्तर में सुधार लाना तथा राज्य के प्राकृतिक और आध्यात्मिक धरोहरों को सहेजते हुए सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ना है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि योजनाओं को धरातल पर लाने के लिए ठोस कार्यनीति तैयार की जाए और समयबद्ध रूप से प्रत्येक चरण की मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाए।

इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी जुड़े थे।

बैठक में बद्री- केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी, मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगोली, धीराज सिंह गर्ब्याल, स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा, अपर सचिव अभिषेक रोहिला एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

आईएसबीटी देहरादून में गंदगी देख सीएम लगाया झाडू, बोले अगली बार आऊंगा तो नहीं दिखनी चाहिए गंदगी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज दोपहर अचानक सचिवालय से सीधे आईएसबीटी देहरादून पहुंचकर वहाँ की व्यवस्थाओं का औचक निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री के अचानक पहुँचने से प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप की स्थिति बन गई। उन्होंने परिसर में स्वच्छता, यात्रियों की सुविधा, संचालन व्यवस्था और परिवहन प्रबंधन का बारीकी से निरीक्षण किया।

निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने कई स्थानों पर फैली गंदगी को देखकर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आईएसबीटी जैसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थलों पर स्वच्छता में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने स्वयं झाड़ू उठाकर सफाई भी की और अधिकारियों को संदेश दिया कि स्वच्छता अभियान केवल कागजों पर नहीं, बल्कि जमीन पर दिखाई देना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने परिवहन विभाग और एमडीडीए के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि आईएसबीटी परिसर की नियमित साफ-सफाई सुनिश्चित की जाए। हर स्थान पर स्वच्छता संबंधी सूचना-पट लगाए जाएँ, यात्रियों को प्रदूषण, कचरा और धूल से मुक्त वातावरण मिले, यह सुनिश्चित किया जाए।

उन्होंने उपाध्यक्ष एमडीडीए बंशीधर तिवारी को विशेष रूप से निर्देश दिए कि आईएसबीटी में स्वच्छता और व्यवस्था सुधारने के लिए प्रभावी कार्ययोजना तैयार कर तत्काल क्रियान्वयन किया जाए।

निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने बसों की संचालन व्यवस्था, टिकट काउंटर, प्रतीक्षालय, पेयजल सुविधाओं, शौचालयों, दुकानों और सुरक्षा व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड एक प्रमुख पर्यटन एवं तीर्थ राज्य है, जहां प्रतिवर्ष करोड़ों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं। इसलिए बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों और परिवहन केंद्रों पर उच्च स्तरीय स्वच्छता और सुविधा व्यवस्था प्रदेश की प्राथमिकता है।

मुख्यमंत्री ने आईएसबीटी में मौजूद यात्रियों से भी मुलाकात की, उनका हालचाल जाना और उनसे फीडबैक लिया। उन्होंने यात्रियों से पूछा कि यात्रा के दौरान उन्हें किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है और यहाँ की व्यवस्था में और क्या सुधार किए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यात्रियों के सुझाव ही हमारी व्यवस्था सुधारने का बड़ा आधार होते हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शीघ्र ही पूरे प्रदेश में जनसहभागिता आधारित एक व्यापक स्वच्छता अभियान शुरू करने जा रही है। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि अगली बार निरीक्षण के दौरान आईएसबीटी की सभी व्यवस्थाएँ पूरी तरह दुरुस्त दिखनी चाहिए, अन्यथा जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

निरीक्षण के दौरान परिवहन विभाग और एमडीडीए के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

सीएम धामी ने नशा मुक्त भारत अभियान की पांचवीं वर्षगांठ पर किया राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नशामुक्त भारत अभियान के पांच वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में युवाओं से अपील की है कि वो स्वयं भी नशे को पूरी मजबूती के साथ ना कहें, साथ ही अपने साथियों को भी नशे के लिए “ना’’ कहने के लिए प्रेरित करें।

मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित नशामुक्त भारत अभियान की 5वीं वर्षगांठ के राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नशामुक्त भारत अभियान के पांच वर्ष पूर्ण होने की बधाई देते हुए कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाने वाले कर्मवीरों के सहयोग से आज समाज नशे की भयावह समस्या से मुकाबला करने में सक्षम हो रहा है। उन्होंने कहा कि नशा केवल एक बुरी आदत नहीं, बल्कि समाज को भीतर से खोखला करने वाली एक भयावह चुनौती है। ये घातक प्रवृत्ति व्यक्ति की चेतना, विवेक और निर्णय लेने की क्षमता को नष्ट कर उसके पूरे भविष्य को विनाश की ओर ले जाती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज नशे का प्रसार वैश्विक स्तर पर एक ‘साइलेंट वॉर’ की तरह हो रहा है, जिसका सबसे बड़ा निशाना हमारी युवा शक्ति है। उन्होंने कहा कि हमारी युवा पीढ़ी ही नए भारत की ऊर्जा, नवाचार, सामर्थ्य और प्रगति का वास्तविक आधार है। यदि यही ऊर्जा किसी नकारात्मक प्रभाव में फँस जाएगी, तो राष्ट्र के विकास की गति भी अवरुद्ध हो जाएगी। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2020 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नशा मुक्त भारत अभियान की शुरुआत कर पूरे देश से इस सामाजिक बुराई के विरुद्ध एकजुट होने का आह्वान किया और इसे एक व्यापक जन-आंदोलन का स्वरूप प्रदान किया।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से राज्य सरकार भी नशे के विरुद्ध इस महाअभियान के अंतर्गत “ड्रग्स फ्री उत्तराखंड” के संकल्प को साकार करने के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ मिशन मोड पर कार्य कर रही है।

मादक पदार्थों की रोकथाम के लिए वर्ष 2022 में त्रिस्तरीय एन्टी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (।छज्थ्) का गठन किया गया। फोर्स ने बीते तीन वर्ष में 6 हजार से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए, 200 करोड़ रुपए से अधिक के नारकोटिक पदार्थ भी बरामद किए हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार नशे की प्रवृत्ति को रोकने, नशा ग्रस्त व्यक्तियों को पुनः मुख्यधारा से जोड़ने तथा उनके पुनर्वास के लिए प्रदेश के सभी जनपदों में नशा मुक्ति केंद्रों को प्रभावी बना रही है। वर्तमान में, प्रदेश में चार इंटीग्रेटेड रिहैबिलिटेशन सेंटर फॉर एडिक्ट्स (प्त्ब्।) सफलतापूर्वक संचालित हो रहे हैं, जो नशा पीड़ित व्यक्तियों को उपचार, परामर्श और पुनर्वास की बेहतर सुविधाएँ प्रदान कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, एम्स ऋषिकेश की सहायता से राज्य में एडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटी का संचालन भी किया जा रहा है। इसी तरह राज्य के प्रत्येक जनपद के शिक्षण संस्थानों में एंटी-ड्रग कमेटियों का गठन किया गया है, जिनमें जागरूक विद्यार्थियों, अभिभावकों, शिक्षकों तथा प्रधानाचार्यों को सदस्य के रूप में सम्मिलित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की गौरवशाली पहचान “ऐपण कला” को भी इस अभियान से जोड़ा गया है, आज नशा-विरोधी संदेशों से सुसज्जित ‘ऐपण’ पेंटिंग्स हमारे शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों की शोभा बढ़ा रही हैं। साथ ही युवाओं को नशे से दूर रखने और उनकी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा देने के लिए राज्य में ‘दगड़िया क्लब’ भी बनाए हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने प्रदेश के युवाओं से अपील करते हुए कहा कि वे स्वयं भी नशे को पूरी मजबूती के साथ ना कहें और अपने साथियों को भी नशे के लिए “ना’’ कहने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि सरकार उत्तराखंड को देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए अपने विकल्प रहित संकल्प के साथ निरंतर कार्य कर रही है। परन्तु ये संकल्प तभी सिद्ध हो सकता है, जब हमारी युवा पीढ़ी अपनी पूरी ऊर्जा, क्षमता और दृढ़ संकल्प के साथ हमारा सहयोग करे और नशे जैसी बुराइयों से स्वयं भी दूर रहे तथा दूसरों को भी दूर रखने का संकल्प ले।

मुख्यमंत्री धामी ने उपस्थित युवाओं को नशा मुक्त भारत अभियान की शपथ भी दिलाई, साथ ही स्कूल कॉलेजों में राज्य स्तर पर आयोजित भाषण एवं निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं को भी सम्मानित किया।

कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, विधायक सविता कपूर, उत्तराखंड अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष संजय नेगी, सचिव समाज कल्याण डॉ श्रीधर बाबू अद्यांकी, अपर पुलिस महानिदेशक डॉ वी मुरुगेशन, निदेशक समाज कल्याण डॉ संदीप तिवारी एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

प्रसिद्ध साहित्यकार स्व. मटियानी के पुत्र को सीएम ने सौंपा उत्तराखंड गौरव सम्मान 2025

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज मुख्यमंत्री आवास में आयोजित एक सादगीपूर्ण एवं गरिमामय समारोह में प्रख्यात हिन्दी साहित्यकार स्वर्गीय शैलेश मटियानी को प्रदत्त “उत्तराखण्ड गौरव सम्मान पुरस्कार 2025” उनके पुत्र राकेश मटियानी को प्रदान किया। यह सम्मान स्व. मटियानी की साहित्यिक उपलब्धियों, हिन्दी कहानी जगत में उनके अमूल्य योगदान तथा उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक विरासत को सशक्त पहचान दिलाने के लिए दिया गया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर कहा कि शैलेश मटियानी केवल एक साहित्यकार नहीं, बल्कि संवेदनाओं के कुशल शिल्पी थे। आधुनिक हिन्दी कहानी आंदोलन में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने आम जनमानस की पीड़ा, संघर्ष, और जीवन-सत्य को जिस प्रभावशाली शैली में प्रस्तुत किया, वह उन्हें भारतीय साहित्य के श्रेष्ठ रचनाकारों की पंक्ति में स्थापित करता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार राज्य के उन महान प्रतिभाओं के योगदान को हमेशा सम्मान देती है, जिन्होंने अपनी लेखनी, कर्म और रचनात्मकता से आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित किया है। स्व. मटियानी के “बोरीवली से बोरीबन्दर”, “मुठभेड़”, “अधागिनी”, “चील” सहित अनेक कथा-कृतियाँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं और हिन्दी साहित्य में उनका महत्वपूर्ण स्थान है।

उन्होंने कहा कि मरणोपरांत यह सम्मान स्वर्गीय मटियानी के परिवार को सौंपना राज्य सरकार के लिए गर्व का विषय है। मुख्यमंत्री ने उनके पुत्र का सम्मान करते हुए कहा कि साहित्यकारों का सम्मान समाज और प्रदेश दोनों को समृद्ध करता है।

स्व. शैलेश मटियानी के पुत्र ने उत्तराखण्ड सरकार तथा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मान समूचे प्रदेश के साहित्य प्रेमियों और मटियानी जी के प्रशंसकों के लिए गौरव का क्षण है।

कार्यक्रम में सचिव विनोद कुमार सुमन सहित वरिष्ठ अधिकारी, साहित्यकार तथा परिवारजन उपस्थित रहे।

नई दिल्ली में सीएम धामी ने देवप्रयाग विस के मेधावियों से किया संवाद स्थापित

नई दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड निवास में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारत दर्शन शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम 2025 में देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्र के मेधावी छात्र-छात्राओं के साथ संवाद किया। मुख्यमंत्री विश्वास व्यक्त किया कि इस भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों ने बहुमूल्य अनुभव प्राप्त किए होंगे। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को उनके विद्यालय में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बधाई दी और बताया कि इस तरह के शैक्षिक भ्रमण अब राज्य स्तर पर भी शुरू किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्ञान, विज्ञान और अनुसंधान से नई चीजें सीखने का अवसर मिलता है। उन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन का अनुभव साझा किया करते हुए बताया कि उनके पिताजी के सेना से सेवानिवृत्त होने के समय वे 9वीं कक्षा के छात्र थे और 10वीं उत्तीर्ण करने के लिए अकेले खटीमा से नैनीताल एक्सप्रेस पकड़कर सागर गए थे। यह उनका पहला शैक्षिक भ्रमण था जिसने उन्हें सतत सीखने की प्रेरणा दी। उन्होंने विद्यार्थियों को जीवन में उद्देश्य निर्धारित करने और स्वअनुशासन अपनाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी भारत के भविष्य के कर्णधार हैं और युवाओं के कंधों पर देश की जिम्मेदारियां आएंगी। पढ़ाई का समय पुनः नहीं आता, इसलिए परिश्रम, कौशल और नियमों का पालन करते हुए लक्ष्य प्राप्त करना आवश्यक है।

मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों से कहा कि लेखन प्रक्रिया को साफ-सुथरा बनाना चाहिए। कभी अपने लक्ष्यों से भटकें नहीं। स्वामी विवेकानंद का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि मनुष्य के अंदर असीम शक्ति है, जिसे पाने के लिए स्वयं पर विश्वास करना, एकाग्र रहना और लगातार प्रयास करते रहना जरूरी है। स उन्होंने छात्रों को समय प्रबंधन के प्रति जागरूक रहने की सलाह दी। ऐसा करने से विद्यार्थी अपनी गलतियों में सुधार कर सकेंगे और समय का सही उपयोग कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि जीवन में चुनौतियां और प्रतिस्पर्धा जरूरी हैं, इनके बिना जीवन प्रेरणाहीन बन जाएगा।

उल्लेखनीय है कि देवप्रयाग विधानसभा से विधायक विनोद कंडारी ने आठ वर्ष पूर्व इस पहल की शुरुआत की थी। इस वर्ष भारत दर्शन शैक्षिक भ्रमण 2025 के तहत देवप्रयाग के मेधावी छात्रों ने ऐतिहासिक साबरमती आश्रम का भ्रमण किया। इस अवसर पर छात्रों के साथ उनके शिक्षक-शिक्षिकाएं भी उपस्थित थे।

जनजातीय समाज के लिए 128 गांवों का चयन, विकास और सशक्तिकरण योजनाओं को मिलेगी रफ्तारः धामी

रेंजर ग्राउंड्स, देहरादून में आयोजित आदि गौरव महोत्सव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने सभी को जनजातीय गौरव दिवस की शुभकामनाएं दीं और भगवान बिरसा मुंडा जी को कोटि-कोटि नमन किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदि गौरव महोत्सव केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनजातीय समाज की गौरवशाली परंपराओं, वीरता, संस्कृति और आस्था का उत्सव है। ऐसे आयोजन जनजातीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच प्रदान करते हैं तथा समाज के अन्य वर्गों को जनजातीय समुदाय की समृद्ध कला और संस्कृति से परिचित कराते हैं।

जनजातीय समाज देश की विविधता की सबसे बड़ी ताकतः धामी
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा जी संघर्ष, स्वाभिमान और संगठित शक्ति के प्रतीक थे। उन्होंने कहा कि जब तक समाज की सबसे कमजोर कड़ी मजबूत नहीं होती, तब तक देश वास्तविक रूप से मजबूत नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार जनजातीय समाज के सम्मान और सशक्तिकरण के लिए निरंतर कार्य कर रही है। केंद्र सरकार द्वारा जनजातीय बजट को तीन गुना तक बढ़ाना, जनजातीय समुदाय के प्रति उनकी संवेदनशीलता का परिचायक है।

128 जनजातीय गांवों का चयन-शिक्षा, स्वास्थ्य व आर्थिक सशक्तिकरण पर विशेष फोकस
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान के तहत उत्तराखंड के 128 जनजातीय गांवों को चिह्नित किया गया है, जहां आधारभूत सुविधाओं के विकास के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका को बढ़ावा देने की दिशा में विशेष कार्य किए जा रहे हैं।

राज्य सरकार द्वारा जनजातीय समाज के लिए चल रही प्रमुख पहलें
मुख्यमंत्री ने जनजातीय समुदाय के कल्याण हेतु राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों का विवरण भी साझा किया द्य उन्होंने बताया कि प्रदेश में चार एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय कृ कालसी, मेहरावना, बाजपुर व खटीमा में संचालित हैं, पिथौरागढ़ जिले में भोटिया तथा राजी जनजाति के लिए नया एकलव्य विद्यालय खोलने हेतु केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। प्राथमिक से स्नातकोत्तर तक छात्रवृत्ति योजना, जिससे हजारों जनजातीय छात्र लाभान्वित हो रहे हैं।

प्रदेश में 16 राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय संचालित हैं। शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए 3 आईटीआई कॉलेज, तकनीकी प्रशिक्षण हेतु समर्पित हैं।

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए निःशुल्क कोचिंग व छात्रवृत्ति, जनजातीय समाज की बेटियों के विवाह हेतु ₹50,000 अनुदान, जनजातीय कला, संस्कृति व खेलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य जनजाति महोत्सव व खेल महोत्सव का नियमित आयोजन,
जनजातीय शोध संस्थान के लिए ₹1 करोड़ का कॉर्पस फंड की व्यवस्था है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सभी प्रयास जनजातीय समाज को मुख्यधारा से जोड़ने और उनके आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

जनजातीय गौरव दिवस का महत्व
मुख्यमंत्री ने स्मरण कराया कि वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया। यह दिवस केवल भगवान बिरसा मुंडा के योगदान को याद करने का ही नहीं, बल्कि जनजातीय संस्कृति और इतिहास को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का भी अवसर है।


उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार इस महोत्सव के आयोजन के लिए 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करती है ताकि जनजातीय संस्कृति का संरक्षण और विस्तार सुनिश्चित हो सके।

पहली बार जनजातीय इतिहास को मिला राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व की सरकारों ने जनजातीय समाज के स्वतंत्रता संग्राम तथा राष्ट्र निर्माण में योगदान को कभी पर्याप्त स्थान नहीं दिया। लेकिन आज मोदी के नेतृत्व में देश जागृत है और जनजातीय नायकों के महान योगदान को इतिहास में उचित सम्मान मिल रहा है।

जनजातीय समाज के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “मैं आपको आश्वस्त करता हूँ कि हमारी सरकार उत्तराखंड के आदिवासी समाज के सर्वांगीण विकास के लिए निरंतर संकल्पित है। हम ‘विकल्प रहित संकल्प’ के साथ उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए सतत प्रयत्नशील हैं।”

कार्यक्रम में देशभर और राज्य के विभिन्न जनजातिया एवं सांस्कृतिक समूहों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये।

कार्यक्रम में राज्य सभा सांसद नरेश बंसल, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, विधायक खजान दास, मुन्ना सिंह चौहान, सविता कपूर, सचिव एवं अपर सचिव समाज कल्याण व विभाग के अन्य अधिकारी, जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित रहे।

पिथौरागढ़ में मां के साथ पैतृक गांव पहुंच भावुक हुए सीएम धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी माता के साथ, पिथौरागढ़ जनपद स्थित अपने पैतृक गांव टुंडी-बारमौं पहुंच कर, स्थानीय लोगों से भेंट की। इस दौरान उन्होंने गांव के मंदिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली के लिए कामना की है।

मुख्यमंत्री धामी ने गांव में बिताए अनुभव साझा करते हुए कहा कि मां के साथ अपने पैतृक क्षेत्र, कनालीछीना के टुंडी-बारमौं पहुंचना उनके लिए बेहद भावुक क्षण रहा। यह वही गांव है जहां उन्होंने बचपन बिताया, पहली बार विद्यालय की राह पकड़ी और जहां गांव के स्नेह, संस्कृति और परम्पराओं की समृद्ध छाया ने उनके व्यक्तित्व को आकार दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव पहुंचते ही बुजुर्गों का स्नेहिल आशीर्वाद और मातृशक्ति का अथाह प्रेम मन को भावनाओं से भर गया। कई बुजुर्गों ने इस मुलाकात में भी उन्हें बचपन के नाम से पुकारा, इस अपनत्व को शब्दों में समाना मुश्किल है। नौनिहालों और युवाओं की मुस्कुराहटों में वह सारी स्मृतियां फिर जीवंत हो उठीं, जिन्होंने मुझे मूल्य सिखाए और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मुलाकात के दौरान हर चेहरा अपना लगा, हर आंगन स्मृतियों से भरा और हर कदम बचपन की गलियों से होकर गुजरता हुआ महसूस हुआ। टुंडी-बारमौं उनके लिए सिर्फ एक गांव नहीं बल्कि उनकी जड़, संस्कार और पहचान भी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आग्रह के अनुसार, प्रत्येक उत्तराखंडवासी को अपने पैतृक गांव में अपने घरों को फिर से संवारना होगा। उन्होंने कहा कि गांव से बाहर निवास करने वाले उत्तराखंड के प्रत्येक व्यक्ति को अपने गांव के विकास में योगदान देना होगा। प्रवासी गांव के विकास में अहम योगदान दे सकते हैं।

विश्व मधुमेह दिवस पर उत्तराखंड में टाइप-1 डायबिटीज प्रबंधन के लिए पहली राज्य स्तरीय गाइडलाइन जारी

उत्तराखंड की धामी सरकार बच्चों, किशोरों और युवाओं के स्वास्थ्य सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए लगातार ऐतिहासिक कदम उठा रही है। इसी दिशा में आज विश्व मधुमेह दिवस पर राज्य ने टाइप-1 डायबिटीज (T1D) प्रबंधन के लिए अपनी पहली राज्य स्तरीय तकनीकी एवं संचालन संबंधी गाइडलाइन जारी की। यह कदम टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित लोगों के लिए व्यवस्थित, वैज्ञानिक और मानवीय स्वास्थ्य प्रणाली स्थापित करने की दिशा में एक मील का पत्थर है।

देहरादून में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), चिकित्सक विशेषज्ञ और विकास भागीदार शामिल हुए। अधिकारियों ने बताया कि टाइप-1 डायबिटीज मुख्य रूप से बच्चों और युवाओं में पाई जाती है, और उपचार में थोड़ी सी भी देरी या कमी जीवन को खतरे में डाल सकती है। राज्य की चुनौतीपूर्ण पर्वतीय भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए एक मानकीकृत, सुचारू और समग्र मॉडल की लंबे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही थी—आज वह आवश्यकता पूरी हो गई।

गुबारा क्लीनिक : बच्चों के लिए समग्र डायबिटीज देखभाल
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य ने देश के सबसे संवेदनशील और प्रभावी-डायबिटीज देखभाल मॉडल – “GUBARA Clinics” स्थापित किया है। यह मॉडल टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित लोगों को एक ही छत के नीचे हर जरूरी सेवा उपलब्ध कराता है।

GUBARA क्लीनिकों में उपलब्ध मुख्य सेवाएँ—
• नियमित इंसुलिन थेरेपी
• शुगर मॉनिटरिंग
• निर्धारित अंतराल पर मेडिकल चेकअप
• पोषण विशेषज्ञों द्वारा डाइट परामर्श
• मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग
• परिवार परामर्श
• मासिक फॉलो-अप

टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित 200 लोगों को चिन्हित कर नामांकित किया गया है। देहरादून ज़िले में 200 लोगों की पहचान की गई है और उन्हें गुबारा क्लीनिकों में नामांकित किया गया है। सरकार का लक्ष्य 2026-27 तक राज्य में टाइप 1 मधुमेह से प्रभावित 1,120 लोगों तक इस कार्यक्रम की सेवाएं पहुंचाना है। देहरादून, हरिद्वार, बागेश्वर और उधमसिंहनगर सहित कई जिलों में GUBARA क्लीनिक सक्रिय हैं और लोगों को इसका सीधा लाभ मिल रहा है। उपचार, रोकथाम और परामर्श को एकीकृत करने वाला ढांचा जारी की गई राज्य गाइडलाइन ने टाइप-1 डायबिटीज प्रबंधन को एक पेशेवर, सरल और समान रूप से लागू होने वाली प्रणाली में बदल दिया है।
गाइडलाइन की प्रमुख बातें—
T1D के निदान व उपचार के लिए मानकीकृत चिकित्सकीय प्रोटोकॉल
सभी जिला अस्पतालों में GUBARA क्लीनिक चलाने हेतु संचालन संबंधी दिशा-निर्देश
ASHA, CHO, MO सहित स्वास्थ्य कर्मियों की स्पष्ट भूमिका
RBSK एवं सामुदायिक टीमों के माध्यम से मज़बूत स्क्रीनिंग
नि:शुल्क इंसुलिन व शुगर मॉनिटरिंग उपकरणों की निरंतर उपलब्धता
टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित लोगों व परिवारों के लिए संरचित परामर्श मॉड्यूल
राज्यभर में एक समान मॉनिटरिंग एवं रिपोर्टिंग प्रणाली
यह गाइडलाइन आने वाले वर्षों में सभी जिलों में T1D कार्यक्रम के सुचारू विस्तार की आधारशिला बनेगी।

गाइडलाइन जारी होने के बाद—
सभी जिलों में ओरिएंटेशन कार्यक्रम शुरू होंगे
स्वास्थ्य प्रदाताओं का प्रशिक्षण बढ़ेगा
GUBARA क्लीनिकों का राज्यभर में विस्तार किया जाएगा
समुदाय स्तर पर जागरूकता और शुरुआती पहचान पर विशेष फोकस रखा जाएगा
इस प्रयास से उत्तराखंड आने वाले वर्षों में टाइप-1 डायबिटीज प्रबंधन में एक राष्ट्रीय मॉडल राज्य के रूप में स्थापित होने की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान
हमारा संकल्प है कि उत्तराखंड का कोई भी बच्चा इलाज के अभाव में पीड़ा नहीं झेले। ‘GUBARA क्लीनिक’टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित बच्चों के लिए एक संवेदनशील और मानवीय पहल है। यह कार्यक्रम आने वाले समय में पूरे राज्य में लागू होगा और बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और भविष्य को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार का बयान
मुख्यमंत्री धामी जी के नेतृत्व में उत्तराखंड स्वास्थ्य सेवाओं में तेज़ी से प्रगति कर रहा है। टाइप-1 डायबिटीज जैसे जटिल विषय को लेकर राज्य ने जो समग्र मॉडल अपनाया है, वह पूरे देश के लिए एक उदाहरण बनेगा। हम सर्वेक्षण, प्रशिक्षण, उपचार और परिवार समर्थन तंत्र को मजबूत करते हुए स्वास्थ्य परिणामों में महत्वपूर्ण सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।