पीएमश्री स्कूलों में पुस्तकालयों के लिए शीघ्र बजट आबंटित किया जाएः बर्द्धन

पीएमश्री स्कूलों में कम्प्यूटर लैब एवं पुस्तकालयों के स्थापना में तेजी लायी जाए। कम्प्यूटर लैब अगले एक माह में की जाए स्थापित। यह निर्देश मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में पीएमश्री स्कूलों की समीक्षा के दौरान दिए। उन्होंने कहा कि स्कूलों में पुस्तकालयों के लिए शीघ्र बजट आबंटित किया जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि 32 पीएमश्री स्कूलों में एकीकृत विज्ञान प्रयोगशालाओं की स्थापना में भी तेजी लायी जाए। जिनका बजट जारी किया जाना है, एक माह के भीतर बजट जारी कराया जाए। उन्होंने टिंकरिंग लैब शीघ्र उपलब्ध कराए जाने के लिए आईआईटी कानपुर से लगातार संवाद कर निर्धारित समय सीमा के अंदर कार्य को पूर्ण कराए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी पीएमश्री स्कूलों में खेल के मैदान उपलब्ध कराए जाने पर भी शीघ्रातिशीघ्र कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए हैं।

बैठक के दौरान बताया गया कि प्रदेश में कुल 226 विद्यालयों को पीएमश्री विद्यालयों के रूप में चुना गया है। इसमें 34 प्राथमिक एवं 192 माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं। इसके साथ ही 15 और अन्य विद्यालयों को स्वीकृति मिली है। बताया गया कि पीएमश्री के 22 कम्पोनेंट्स में से 16 को 100 प्रतिशत लागू कर लिया गया है। बाकि 6 कम्पोनेंट्स का कार्य विभिन्न चरणों में गतिमान है।
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जाइका से वित्त पोषित उत्तराखण्ड एकीकृत उद्यान विकास परियोजना की उच्च स्तरीय समिति की बैठक संपन्न

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में जाइका से वित्त पोषित उत्तराखण्ड एकीकृत उद्यान विकास परियोजना की उच्च स्तरीय/संचालन समिति की बैठक संपन्न हुई। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने अधिकारियों को परियोजना का वित्तीय एवं भौतिक प्लान तैयार किए जाने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने वरिष्ठ अधिकारियों को जनपदों में भ्रमण कर समीक्षा कर फीडबैक लेने के लिए लगातार दौरे करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने निर्देश दिए कि अन्य विभागों की फल एवं सब्जियों से जुड़े आजीविका की योजनाओं को भी इसमें शामिल किया जाए।

मुख्य सचिव ने वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए वार्षिक कार्ययोजना जनवरी माह तक पूर्ण किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि निर्धारित अवधि में कार्य पूर्ण हो सकें इसके लिए जनपदों के लिए भी लक्ष्य निर्धारित किए जाएं। संपूर्ण प्रोजेक्ट का भी वर्षवार लक्ष्य निर्धारित करते हुए प्लान तैयार कर लिया जाए।

इस अवसर पर सचिव श्रीधर बाबू अद्दांकी, डॉ. एस.एन. पाण्डेय, महानिदेशक कृषि एवं उद्यान वंदना सहित कृषि, उद्यान एवं सगन्ध पौधा केंद्र के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

उत्तराखंड में संविधान दिवस पर सभी शिक्षण संस्थानों में सामूहिक वंदे मातरम गायन का आयोजन

‘संविधान दिवस’ के अवसर पर प्रदेश के सभी राजकीय एवं निजी शिक्षण संस्थानों में राष्ट्र गीत ‘वन्दे मातरम्’ का सामुहिक गायन किया जायेगा। जिसमें 20 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं प्रतिभाग करेंगे। शिक्षण संस्थानों में आयोजित होने वाले सामुहिक गायन कार्यक्रम में प्रदेश के राज्यपाल व मुख्यमंत्री सहित सभी महानुभाव व जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम के सफल संचालन को लेकर सम्बंधित विभागों के विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं।

सूबे विद्यालयी शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने आज सचिवालय स्थित एफआरडीसी सभागार में विद्यालयी शिक्षा, उच्च शिक्षा, संस्कृत शिक्षा एवं चिकित्सा शिक्षा विभागों की संयुक्त समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने विभागीय अधिकारियों को प्रदेशभर समस्त राजकीय एवं निजी शिक्षण संस्थानों, तकनीकी संस्थानों, चिकित्सा शिक्षा संस्थानों, व्यावसायिक पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थानों सहित प्रशिक्षण संस्थानों में आगामी 26 नवम्बर को ‘संविधान दिवस’ को वृहद स्तर पर मनाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि इस महत्पूर्ण अवसर पर 20 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं, एनएसएस, स्काउट्स एंड गाइड व एनसीसी गाइड प्रातः 9ः30 बजे एक साथ राष्ट्र गीत ‘वन्दे मातरम्’ का सामुहिक गायन करेंगे। डाॅ. रावत ने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों से लेकर महाविद्यालयों में आयोजित होने वाले सामुहिक गायन कार्यक्रम में प्रदेश के राज्यपाल व मुख्यमंत्री भी प्रतिभाग करेंगे। इसके अलावा उक्त कार्यक्रम में स्वाधीनता सेनानी पद्मश्री सम्मान से सम्मानित गणमान्य व्यक्तियों सहित जिलों के प्रभारी मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, सरकार में दर्जा राज्य मंत्रियों, नगर निगमों के महापौरों, जिला पंचायत अध्यक्षों, नगर निकायों के अध्यक्षों, ब्लाॅक प्रमुखों, जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत सदस्यों, ग्राम प्रधानों सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये गये हैं। इसके अतिरिक्त डाॅ. रावत ने विभागीय अधिकारियों को ‘वन्दे मातरम्’ के सामुहिक गायन कार्यक्रम की वीडियो रिकार्डिंग के साथ ही फोटोग्राफी अनिवार्य रूप से करने के निर्देश दिये, जिनको जियोटैग भी किया जायेगा। उन्होंने आयोजन संबंधी उत्कृष्ट वीडियो, फोटो व विशिष्ट उपलब्धि को www.vandemataram150.in वेबसाइट व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपलोड़ करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये। कार्यक्रम के सफल संचालन के लिये उन्होंने सम्बंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को ब्लाॅक व जिला स्तर पर नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर आवश्यक समन्वय स्थापित के निर्देश भी बैठक में दिये। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का मकसद युवा पीढ़ी में भारतीय संविधान व राष्ट्रगीत के प्रति सम्मान और राष्ट्रभावना को मजबूत करना है, साथ ही राष्ट्रप्रेम, राष्ट्रभक्ति, राष्ट्रीय प्रतिबद्धता व राष्ट्रीय एकता की भावना को भी विकसित करना है।

बैठक में सचिव उच्च एवं तकनीकी शिक्षा डाॅ. रणजीत सिन्हा, सचिव संस्कृत शिक्षा दीपक गैरोला, संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा विक्रम यादव, निदेशक उच्च शिक्षा वी.एन. खाली, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डाॅ. अजय आर्य, निदेशक माध्यमिक शिक्षा डाॅ. मुकुल कुमार सती, निदेशक प्राथमिक शिक्षा अजय कुमार नौडियाल, निदेशक संस्कृत शिक्षा कंचन देवराड़ी सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

उत्तराखंड को आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का वैश्विक केंद्र बनाना हमारा लक्ष्यः धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नैनीताल जिले के भुजियाघाट स्थित काया आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन PGICON-2025 का शुभारंभ किया। पाल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट, हल्द्वानी द्वारा WHO कोलेबोरेटिंग सेंटर फॉर इमरजेंसी एंड ट्रॉमा केयर, JPNATC, एम्स नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद केवल उपचार की पद्धति नहीं, बल्कि निरोगी और संतुलित जीवन का दर्शन है। उन्होंने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों ने स्वास्थ्य को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन की अवस्था बताया था, और यही आयुर्वेद का मूल उद्देश्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश में आयुष मंत्रालय की स्थापना के बाद से आयुर्वेद को नई वैश्विक पहचान मिली है। उत्तराखंड सरकार भी इसी दिशा में राज्य को Global Centre of Ayurveda and Wellness के रूप में विकसित करने के लिए कार्य कर रही है।

उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड सदैव से योग, औषधियों और जड़ी-बूटियों की भूमि रही है। यहां की पर्वतीय वनस्पतियों ने आयुर्वेद को मजबूत आधार प्रदान किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य राज्य को वेलनेस टूरिज़्म और प्राकृतिक चिकित्सा का प्रमुख केंद्र बनाना है। इसके लिए आयुर्वेदिक कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों और योग ग्रामों को सशक्त किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर यह घोषणा भी की कि राज्य में दो इकोनामिक स्प्रिच्वल जोन एक गढ़वाल मंडल में और एक कुमाऊँ मंडल में स्थापित किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि इन केंद्रों के माध्यम से योग, आयुर्वेद, ध्यान, आध्यात्मिक पर्यटन और पारंपरिक चिकित्सा से जुड़े उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहल राज्य को आध्यात्मिक और वेलनेस अर्थव्यवस्था के नए मॉडल के रूप में विकसित करेगी, जिससे स्थानीय युवाओं को भी रोजगार और उद्यमिता के अवसर प्राप्त होंगे।

सांसद अजय भट्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा आयुर्वेद और आयुष के क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण पहलें की गई हैं, जिससे यह चिकित्सा प्रणाली न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर लोकप्रिय हो रही है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद हमारी सांस्कृतिक धरोहर है और इसे जन-जन तक पहुंचाना हमारा दायित्व है।

विधायक बंशीधर भगत ने कहा कि आयुर्वेद केवल चिकित्सा का माध्यम नहीं, बल्कि भारतीय जीवन पद्धति और ज्ञान परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने कहा कि यह गर्व का विषय है कि उत्तराखंड जैसी औषधीय संपदा से परिपूर्ण भूमि में ऐसे सम्मेलन आयोजित हो रहे हैं, जो युवाओं और शोधकर्ताओं को आयुर्वेद के अध्ययन और अनुसंधान के लिए प्रेरित करेंगे।

कार्यक्रम में विधायक नैनीताल सरिता आर्या, विधायक भीमताल राम सिंह कैड़ा, मंडी परिषद अध्यक्ष अनिल कपूर (डब्बू), दर्जा राज्य मंत्री शंकर कोरंगा, नवीन वर्मा, आयुक्त कुमाऊँ दीपक रावत, आईजी कुमाऊँ रिद्धिम अग्रवाल, जिलाधिकारी नैनीताल ललित मोहन रयाल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल मंजूनाथ टी.सी. सहित पाल ग्रुप के प्रतिनिधि अन्य जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी उपस्थित रहे।

उत्तराखंड में धामी सरकार में मेडिकल एजुकेशन का हब बना उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन व कुशल नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग तेजी से आगे बढ़ रहा है। उत्तराखंड अब मेडिकल एजूकेशन हब के तौर पर उभर रहा है। मुख्यमंत्री धामी के दूरदर्शी नेतृत्व और कुशल प्रबंधन के तहत प्रदेश में हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि जल्द ही रुद्रपुर और पिथौरागढ़ में भी मेडिकल कॉलेज की शुरुआत हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार का फोकस स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती के साथ-साथ मेडिकल एजूकेशन को और अधिक सुदृढ़ बनाना है।
वर्ष 2000 में जब उत्तराखंड राज्य बना, तो प्रदेश चिकित्सा शिक्षा के मामले में बेहद पिछड़ा हुआ था। राज्य गठन के बाद वर्षों तक यहां कोई भी सरकारी मेडिकल कॉलेज नहीं था। डॉक्टर बनने के इच्छुक युवाओं को पड़ोसी राज्यों की ओर रुख करना पड़ता था। लेकिन आज, पच्चीस वर्षों के भीतर उत्तराखंड ने चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वे पूरे देश के लिए उदाहरण बन गई हैं।

पांच सरकारी और 4 निजी मेडिकल कॉलेज
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार के अनुसार मौजूदा समय में उत्तराखंड में पांच सरकारी और 4 निजी मेडिकल कॉलेज हैं। मेडिकल कॉलेज श्रीनगर (गढ़वाल), हल्द्वानी, देहरादून, अल्मोड़ा और हरिद्वार उच्च स्वास्थ्य शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इन कॉलेजों में हर साल 625 एमबीबीएस छात्रों को प्रवेश दिया जाता है और 238 से अधिक पीजी (पोस्टग्रेजुएट) सीटें उपलब्ध हैं। राज्य गठन के समय जब यह संख्या शून्य थी, तब यह वृद्धि ऐतिहासिक कही जा सकती है।

राज्य में एमबीबीएस की 1325 सीटें
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान, श्रीनगर में एमबीबीएस की 150 सीटें और 51 पीजी सीटें संचालित हैं। हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में 125 एमबीबीएस और 69 पीजी सीटें हैं, जबकि दून मेडिकल कॉलेज, देहरादून में 150 एमबीबीएस और 70 पीजी (पोस्टग्रेजुएट) सीटें हैं। वहीं, अल्मोड़ा और हरिद्वार के नए कॉलेजों में 100-100 एमबीबीएस सीटें शुरू की गई हैं। स्वास्थ्य सचिव के मुताबिक यह सब मुख्यमंत्री धामी की उस नीति का परिणाम है जिसके तहत उनका लक्ष्य हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज स्थापित करना है।

सरकारी कॉलेजों के साथ निजी क्षेत्र का विस्तार
देहरादून स्थित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज प्रत्येक में 250 एमबीबीएस सीटें हैं। हाल ही में स्थापित ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में 150 सीटें और गौतम बुद्ध मेडिकल कॉलेज में 150 सीटें हैं। आज सरकारी और निजी कॉलेजों को मिलाकर राज्य में लगभग 1325 एमबीबीएस सीटें उपलब्ध हैं, जो कुछ ही वर्षों में 130 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती हैं।

मानव संसाधन भी हुआ मजबूत
सरकार ने केवल इमारतें नहीं बनाई, बल्कि मानव संसाधन को भी मज़बूत किया है। मार्च 2025 में मुख्यमंत्री धामी ने 1,232 नर्सिंग अधिकारियों को नियुक्ति पत्र सौंपे। पिछले तीन वर्षों में स्वास्थ्य विभाग ने 173 सहायक प्रोफेसर, 56 वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य और 185 तकनीकी कर्मचारी नियुक्त किए हैं, जिससे 22,000 से अधिक नई सरकारी नौकरियाँ सृजित हुई हैं। डॉ. राजेश कुमार का कहना है कि विभाग चिकित्सा शिक्षा को मज़बूती देने के लिए संकल्पबद्ध है और प्रत्येक कॉलेज की सीट संख्या के अनुसार शिक्षकों व स्टाफ की भर्ती की जा रही है।

नर्सिंग और पैरामेडिकल एजूकेशन में भी वृद्धि
प्रदेश में अब 12 सरकारी और 80 से अधिक निजी नर्सिंग संस्थान हैं, जिनमें कुल 4,700 बी.एससी. नर्सिंग सीटें, 463 एम.एससी. नर्सिंग सीटें और 4,000 से अधिक सहयोगी स्वास्थ्य पाठ्यक्रमों की सीटें उपलब्ध हैं। पैरामेडिकल क्षेत्र में भी निजी संस्थानों के माध्यम से 12,000 से अधिक सीटें उपलब्ध हैं, जिससे हजारों युवाओं को रोजगारोन्मुख शिक्षा मिल रही है।

दुर्गम इलाकों तक पहुँची स्वास्थ्य सेवाएँ
मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में राज्य ने हेली-एंबुलेंस सेवा जैसी पहलें शुरू की हैं ताकि दुर्गम इलाकों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुँच सकें। साथ ही, पिथौरागढ़ और रुद्रपुर में नए मेडिकल कॉलेजों का निर्माण जारी है, जिससे “हर जिले में मेडिकल कॉलेज” का सपना साकार होता दिख रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान
उत्तराखंड को चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र बनाने की दिशा में राज्य सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं। हमारी प्राथमिकता हर जिले में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराना है ताकि युवाओं को बाहर न जाना पड़े और प्रदेश आत्मनिर्भर बने। हमने मेडिकल कॉलेजों के साथ नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों के विस्तार पर भी विशेष ध्यान दिया है। हमारा लक्ष्य है कि उत्तराखंड न केवल डॉक्टर तैयार करे, बल्कि पूरे उत्तर भारत को उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करने वाला अग्रणी राज्य बने।

सीएम ने ऋषिकेश इंटरनेशनल स्कूल के 12वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम का किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ढालवाला में ऋषिकेश इंटरनेशनल स्कूल के 12वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने स्कूल प्रबंधन को 12वें वार्षिकोत्सव की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बच्चे हमारे भविष्य के कर्णधार हैं। कल वे विभिन्न क्षेत्रों में जाकर अपने माता-पिता, गुरुजनों के साथ ही देश-प्रदेश का नाम रोशन करेंगे। बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के साथ ही उनमें अनुशासन, संस्कार एवं सेवाभाव की भावना विकसित किया जाना आवश्यक है। शिक्षा न केवल रोजगार तक सीमित रहे, बल्कि इसका उद्देश्य चरित्र निर्माण, राष्ट्र निर्माण एवं मानव उत्थान भी हो। उन्होंने कहा कि वार्षिकोत्सव कार्यक्रम की थीम ’सोल ऑफ इंडियन कल्चर’ अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति सभी संस्कृतियों की जननी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपने गौरवशाली अतीत के साथ आगे बढ़ रहा है। आज सभी क्षेत्रों में भारत पताका लहरा रही है। बच्चे एआई के साथ साथ योग, संस्कार एवं सादगी के महत्व को भी समझ रहे हैं। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन एवं सहयोग से राज्य सरकार शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए निरंतर कार्य किये जा रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू करना वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है। आज युवाओं को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हो रहे हैं, इसके लिए विभिन्न औद्योगिक संस्थानों के साथ समझौते किए गए है। इसके साथ ही स्टार्टअप हेतु ट्रेनिंग संस्थान स्थापित किए गए है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की आर्थिकी को मजबूत करने में महिला समूहों के उत्पादों की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज हाउस ऑफ हिमालयाज के माध्यम से छोटे छोटे समूहों को बाजार उपलब्ध हो रहा है। राज्य में सख्त नकल विरोधी कानून बनाया गया है, उसके बाद से राज्य के 26 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरियां प्रदान की गई है। राज्य के समग्र विकास के लिए हर क्षेत्र में नवाचार किये जा रहे हैं।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, जिलाध्यक्ष भाजपा उदय सिंह रावत, स्कूल के चेयरमैन मोहन डंग, जिलाधिकारी टिहरी नितिका खण्डेलवाल, एसएसपी आयुष अग्रवाल, सहित अन्य गणमान्य मौजूद रहे।

पहाड़ी बोली और टोपी पहन पीएम मोदी ने जनता से किया सीधा संवाद, उत्तराखंड रजतोत्सव कार्यक्रम में पहुंचे पीएम

सिर पर पहाड़ी टोपी और भाषण में जगह-जगह गढ़वाली कुमाऊनी बोली। उत्तराखंड के रजत जयंती के मुख्य कार्यक्रम में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हर अंदाज पहाड़ीपन से घुला-मिला दिखा। उन्होंने गढ़वाली कुमाऊनी के कई-कई वाक्य बोले। वो भी कई बार। अक्सर प्रधानमंत्री उत्तराखंड के कार्यक्रमों में पहाड़ी बोली-भाषा का इस्तेमाल करते रहे हैं, मगर आज के भाषण में उन्होंने जितनी गढ़वाली कुमाऊनी बोली, उतनी कभी नहीं बोली थी। ये ही वजह रही, कि उत्तराखंड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस बार और भी गहरा कनेक्ट महसूस किया।

प्रधानमंत्री ने अपने चिर-परिचित अंदाज में भाषण की शुरूआत की और कहा-देवभूमि उत्तराखंड का मेरा भै बंधु, दीदी, भुलियों, दाना सयानो, आप सबू तई म्यारू नमस्कार। पैलाग, सैंवा सौंली। अपने भाषण के बीच में प्रधानमंत्री ने जब फिर से गढ़वाली में बोलना शुरू किया, तो इसने लोगों को और रोमांचित कर दिया। प्रधानमंत्री बोले-पैली पहाडू कू चढ़ाई, विकास की बाट कैल रोक दी छै। अब वखि बटि नई बाट खुलण लग ली।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण मे पहाड़ के लोक पर्वों, लोक परंपराओं और महत्वपूर्ण आयोजनों को भी शामिल किया। इस क्रम में उन्होंने हरेला, फुलदेई, भिटोली, नंदादेवी, जौलजीबी, देवीधुरा मेले से लेकर दयारा बुग्याल के बटर फेस्टिवल तक का जिक्र किया।

पतंजलि विवि के दीक्षांत समारोह में पहुंची राष्ट्रपति मुर्मू, स्वर्ण पदक प्राप्त विद्यार्थियों को किया सम्मानित

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार के द्वितीय दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक प्राप्त विद्यार्थियों को सम्मानित किया। इस कार्यक्रम में कुल 1454 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई। 62 शोधार्थियों को विद्या वारिधि और 3 शोधार्थियों को विद्या वाचस्पति की उपाधि प्रदान की गई, जबकि 615 विद्यार्थियों को परास्नातक और 774 विद्यार्थियों को स्नातक की उपाधि प्रदान की गई। इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि.) ने राष्ट्रपति को राष्ट्रपति भवन की विविध वनस्पतियों पर आधारित दो पुस्तकें ‘फ्लोरा ऑफ राष्ट्रपति भवन’ एवं ‘मेडिसिनल प्लांट्स ऑफ राष्ट्रपति भवन’ की प्रतिलिपियाँ भी भेंट कीं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई एवं आशीर्वाद प्रदान किया। उन्होंने पदक प्राप्त विद्यार्थियों की सराहना करते हुए कहा कि विद्यार्थियों के जीवन-निर्माण में योगदान देने वाले अध्यापकों और अभिभावकों का भी विशेष अभिनंदन किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों में 64 प्रतिशत बेटियाँ हैं तथा पदक प्राप्त करने वाली छात्राओं की संख्या छात्रों की तुलना में चार गुना अधिक है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि विकसित भारत के उस स्वरूप का परिचायक है जिसमें महिलाएं नेतृत्व की भूमिका निभा रही हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय महर्षि पतंजलि की तप, साधना और ज्ञान परंपरा को आधुनिक समाज के लिए सुलभ बना रहा है। विश्वविद्यालय योग, आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा और अनुसंधान के माध्यम से स्वस्थ भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने विश्वविद्यालय की भारत-केन्द्रित शिक्षा-दृष्टि की सराहना करते हुए कहा कि इसमें विश्व बंधुत्व की भावना, वैदिक ज्ञान एवं आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण का समन्वय और वैश्विक चुनौतियों के समाधान जैसी विशेषताएँ निहित हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से वसुधैव कुटुंबकम की भावना पर आधारित जीवन-मूल्यों को अपनाने का आह्वान किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान-प्राप्ति नहीं है, बल्कि सदाचार, तपस्या, सरलता और कर्तव्यनिष्ठा जैसे जीवन-मूल्यों को आत्मसात करना भी है। उन्होंने विद्यार्थियों को न केवल आत्म-विकास बल्कि राष्ट्र-निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया। गंगा तट पर स्थित हरिद्वार की सांस्कृतिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ये पवित्र स्थल ज्ञान और अध्यात्म का संगम है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी स्वाध्याय और तपस्या जैसे आदर्शों का पालन करते हुए स्वस्थ, संस्कारित और समरस समाज के निर्माण में योगदान देंगे।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि.) ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए उनके देवभूमि आगमन को गर्व का क्षण बताया। राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड केवल एक राज्य नहीं, बल्कि योग, आयुर्वेद और अध्यात्म का प्राण-केंद्र है। इस पवित्र धरती से प्रचलित योग और आयुर्वेद की परंपरा ने न केवल भारत को, बल्कि समूचे विश्व को स्वास्थ्य, संतुलन और सद्भाव का संदेश दिया है। उत्तराखंड की यह ऋषि-परंपरा आज भी हमें यह प्रेरणा देती है कि ज्ञान का सर्वाेच्च उद्देश्य केवल आत्म-विकास नहीं, बल्कि विश्व-कल्याण है।

राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को हार्दिक शुभकामनाएँ दीं और आशा व्यक्त की कि वे दीक्षांत समारोह के पश्चात आने वाली चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करेंगे। उन्होंने कहा कि आज उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थी अपने राष्ट्र, प्रदेश और समाज की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे तथा अपनी शिक्षा, प्रतिभा एवं प्रशिक्षण का उपयोग मानव-कल्याण के लिए करेंगे।

राज्यपाल ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों ने जो ज्ञान अर्जित किया, वह केवल हमारे लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड के कल्याण के लिए था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को स्वीकृति दिलाकर योग के विज्ञान पर किए गए हजारों वर्षों के कार्य को वैश्विक मंच प्रदान किया। विगत कुछ वर्षों में योग और आयुर्वेद के माध्यम से स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति आई है, और आज करोड़ों लोग इनके माध्यम से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का देवभूमि उत्तराखंड की सवा करोड़ देवतुल्य जनता की ओर से स्वागत किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सदैव अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के कल्याण को प्राथमिकता देते हुए समाज के वंचित, शोषित एवं पिछड़े वर्गों के सशक्तिकरण के लिए कार्य किया है। हाल ही में जब उन्होंने लड़ाकू विमान ‘राफेल’ में उड़ान भरी, तो पूरे देश ने उनके अदम्य साहस, राष्ट्रभक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रेरक उदाहरण देखा। उनके व्यक्तित्व में मातृत्व की ममता, सेवा का संकल्प और राष्ट्र के प्रति अटूट समर्पण का अद्भुत संगम निहित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हम सभी उत्तराखंड वासियों का सौभाग्य है कि राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने के इस ऐतिहासिक अवसर पर हमें राष्ट्रपति का सान्निध्य और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है।

मुख्यमंत्री ने दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से अपेक्षा की कि वे अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग करके अपने बेहतर भविष्य के साथ ही अपने परिवार की सुख-समृद्धि और समाज के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे। उन्होंने कहा कि स्वामी रामदेव के मार्गदर्शन में पतंजलि विश्वविद्यालय आधुनिक शिक्षा को भारतीय संस्कारों और परंपराओं से जोड़ने का अतुलनीय कार्य कर रहा है। यहाँ विज्ञान और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जहाँ विद्यार्थी केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि भारतीय जीवन-मूल्यों की भी शिक्षा प्राप्त करते हैं। पतंजलि विश्वविद्यालय ने आधुनिक विज्ञान और भारतीय ज्ञान परंपरा के समन्वय से ऐसी शिक्षा पद्धति विकसित की है, जो योग, आयुर्वेद, विज्ञान और प्रौद्योगिकी को एक सूत्र में पिरोने का कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार अनेक नवाचार कर रही है। राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू करने के साथ ही प्रदेश के विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और बिग डेटा जैसे कोर्स संचालित करने की पहल की गई है। भारतीय संस्कृति, दर्शन और इतिहास के गहन अध्ययन के लिए दून विश्वविद्यालय में ‘सेंटर फॉर हिंदू स्टडीज’ की स्थापना भी की गई है। देहरादून में साइंस सिटी, हल्द्वानी में एस्ट्रो पार्क और अल्मोड़ा में साइंस सेंटर के निर्माण के माध्यम से राज्य में वैज्ञानिक अनुसंधान को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलाधिपति स्वामी रामदेव, कुलपति आचार्य बालकृष्ण, सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत, डॉ. कल्पना सैनी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

नर्सिंग कोर्स संचालन को संस्थानों के आवेदनों को विभिन्न स्तरों में सिंगल विंडो सिस्टम तैयार की जाएः बर्द्धन

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में नर्सिंग पाठ्यक्रम संचालन हेतु गठित एम्पावर्ड समिति की बैठक आयोजित हुयी। बैठक के दौरान समिति द्वारा विभिन्न मेडिकल एवं नर्सिंग कॉलेजों को नर्सिंग कोर्स संचालन एवं सीट वृद्धि की संस्तुति दी गयी।

मुख्य सचिव ने नर्सिंग कोर्स संचालन हेतु संस्थानों के आवेदनों को विभिन्न स्तरों में छंटनी करने के बजाय इसके लिए सिंगल विंडो सिस्टम तैयार किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इससे संस्थानों को आवेदन करने से लेकर शासन से स्वीकृति की प्रक्रिया में सरलता आएगी। उन्होंने तत्काल इस दिशा में कार्य शुरू किए जाने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि संस्थानों द्वारा आवेदन किए जाने से लेकर विभिन्न चरणों की प्रक्रिया की एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी शीघ्र तैयार की जाए।

बैठक के दौरान समिति द्वारा 39 कॉलेजों की 1790 नई नर्सिंग सीट्स को संस्तुति प्रदान की गयी। सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि स्टेट नर्सिंग काउंसिल में वर्ष 2024 तक पंजीकृत नर्सों की कुल संख्या 21541 है। वर्तमान में सरकारी एवं प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजों में 9806 लोगों का नर्सिंग प्रशिक्षण चल रहा है।
इस अवसर पर सचिव दिलीप जावलकर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

जीजीआईसी चंपावत में बालिकाओं के साथ बैठकर सीएम धामी ने किया भोजन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत जिले के विकास के लिए ₹115.23 करोड़ की लागत की 43 विकास योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया।

जीजीआईसी चंपावत में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने ₹51.37 करोड़ की 22 योजनाओं का लोकार्पण एवं ₹ 63.86 करोड़ की 21 योजनाओं का शिलान्यास करते हुए कहा कि यह योजनाएं चंपावत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदर्श चंपावत के स्वप्न को साकार करने की दिशा में यह योजनाएं मील का पत्थर साबित होंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि चंपावत जिला, उत्तराखंड की आत्मा है और सरकार इसे राज्य का “मॉडल जिला” बनाने के लिए निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता हर क्षेत्र में संतुलित और गुणवत्तापूर्ण विकास सुनिश्चित करना है।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिन योजनाओं का शिलान्यास किया गया है, उनका कार्य समयबद्ध एवं उच्च गुणवत्ता के साथ पूर्ण किया जाए।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विद्यालय में अध्ययनरत बालिकाओं के साथ बैठकर भोजन भी किया। और उनसे विभिन्न विषयों पर चर्चा की एवं पढ़ाई के संबंध में फीडबैक भी लिया।

मुख्यमंत्री ने जीजीआईसी ऑडिटोरियम में आमनिर्भर भारत संकल्प अभियान के तहत आत्मनिर्भर भारत, नशामुक्त समाज, स्वच्छता, जल संरक्षण और आदर्श चंपावत के निर्माण हेतु डिजिटल हस्ताक्षर किए

इस अवसर पर दायित्वधारी श्याम नारायण पांडे, अनिल डब्बू, शंकर कोरंगा, भाजपा जिला अध्यक्ष गोविंद सामंत, जिला पंचायत अध्यक्ष आनंद अधिकारी, नगर पालिका अध्यक्ष प्रेमा पांडे, ब्लॉक प्रमुख अचला बोहरा, बराकोट ब्लॉक प्रमुख सीमा आर्या, भाजपा प्रदेश मंत्री निर्मल मेहरा, पूर्व विधायक पूरन सिंह फर्त्याल अन्य लोग उपस्थित रहे।

उत्तराखंडः आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को सभी तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं की मिलेगी निःशुल्क कोचिंग

मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में सचिवालय सभागार में कमजोर वर्गों के छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क कोचिंग योजना की समीक्षा बैठक आयोजित की गई।

मुख्य सचिव ने शिक्षा विभाग को निर्देशित किया कि निःशुल्क कोचिंग योजना की गुणवत्ता बेहतर हो, प्रतियोगियों का चयन स्क्रीनिंग के माध्यम से हो तथा प्रतियोगियों की सुविधा के अनुरूप तैयारी का टाइम का प्रबंध किया जाए।

उन्होंने निर्देशित किया कि निःशुल्क कोचिंग में किसी भी तरह की खानापूर्ति नहीं होनी चाहिए तथा इसका आउटकम जरूर निकलना चाहिए। उन्होंने इसके लिए शीघ्रता से सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के निर्देश दिए।

इस दौरान निदेशक शिक्षा डॉ मुकुल कुमार सती ने अवगत कराया कि इस वर्ष 10 हजार छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की निःशुल्क कोचिंग दी जानी है। कक्षा 11 में अध्ययनरत प्रतियोगियों को 2 वर्ष की कोचिंग दी जाएगी जबकि 12वीं पास करने वाले प्रतियोगियों को एक वर्ष की कोचिंग दी जाएगी।

कहा कि कोचिंग आर्ट्स, साइंस तथा कॉमर्स तीनों तरह के स्ट्रीम के अनुरूप दी जाएगी और इसमें लगभग सभी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाएगी। इसके अतिरिक्त मेधावी प्रतियोगियों को 6 वर्ष की एडवांस कोचिंग भी दी जाएगी।

इस अवसर पर बैठक में सचिव दिलीप जावलकर, अपर सचिव मनुज गोयल सहित संबंधित अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।