प्रभावित क्षेत्रों का सीएम कर रहे निरीक्षण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर ब्लॉक में भारी बारिश से प्रभावित क्षेत्र का हवाई निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने सचिव आपदा प्रबंधन रंजीत सिन्हा और पौड़ी के जिलाधिकारी आशीष चौहान को प्रभावित लोगों को जल्द से राहत और सहायता पहुंचाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में भारी बारिश से उत्पन्न स्थिति को देखते हुए लगातार अलर्ट मोड में रहने की जरूरत है। कम से कम रिस्पॉन्स टाइम में प्रभावितों तक अधिकाधिक मदद पहुंचानी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में भारी बरसात के दृष्टिगत 15 अगस्त तक चाारधाम यात्रा स्थगित की गई है। चारधाम यात्रा मार्गों पर स्थिति की निरन्तर समीक्षा की जा रही है। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को विभिन्न स्थानों पर बाधित हुई सड़कों की आवश्यक मरम्मत करने के भी निर्देश दिये है। साथ ही विभिन्न स्थानों पर आपदा से प्रभावित हुए लोगों को तत्काल राहत पहुंचाने, जलभराव वाले क्षेत्रों में पानी की निकासी को दुरुस्त करने तथा उन स्थानों पर दवा आदि के छिड़काव पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में आपदा से हुई विभिन्न प्रकार की क्षति का व्यापक रूप से आकलन करने के भी निर्देश अधिकारियों को दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा पहला प्रयास है कि राज्य में मानसूनी बरसात से जो चीजें अस्त व्यस्त हुई है उनको सामान्य किया जाय तथा आपदा से प्रभावित हुए लोगों को आवश्यकता के अनुरूप त्वरित सहायता और राहत प्रदान की जाय।

प्रभावित क्षेत्रों में किये जा रहे बचाव कार्यों की सीएम ने लीं जानकारी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में उच्चाधिकारियों की बैठक लेते हुए निर्देश दिये कि उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में हो रही अतिवृष्टि के दृष्टिगत सभी अलर्ट मोड पर रहें। उन्होंने अधिकारियों से अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों एवं वहां किए जा रहे राहत व बचाव कार्यों की जानकारी भी प्राप्त की। अतिवृष्टि के दृष्टिगत 2 दिनों के लिए चारधाम यात्रा भी स्थगित कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि मौसम के पूर्वानुमान को देखकर ही यात्रा करें।
मुख्यमंत्री ने अतिवृष्टि के कारण जनपद पौड़ी में हताहत हुए लोगों की आत्मा की शांति एवं शोकाकुल परिवारजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है। जिला प्रशासन और एसडीआरएफ की टीमें राहत एवं बचाव कार्य में लगी हुई हैं। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को घायलों को शीघ्र उचित उपचार दिलवाने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि यह सुनिश्चित किया जाय कि अतिवृष्टि से प्रदेश में जहां भी नुकसान हो रहा है, प्रभावितों को मानकों के अनुसार मुआवजा राशि यथाशीघ्र मिल जाय। उन्होंने कहा कि अतिवृष्टि से प्रदेश में हुई क्षति का पूरा आंकलन किया जाए।
मुख्यमंत्री जिलाधिकारियों से भी अतिवृष्टि के कारण हुए नुकसान एवं राहत एवं बचाव कार्यों की तैयारी के संबंध में लगातार जानकारी ले रहे हैं। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि जिला प्रशासन एवं राहत-बचाव में लगे सभी दलों को 24 घंटे अलर्ट मोड पर रखा जाए।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, विशेष प्रमुख सचिव अभिनव कुमार, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, डॉ रंजीत सिन्हा, एडीजी ए.पी.अंशुमान, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी एवं अपर सचिव जगदीश चन्द्र काण्डपाल उपस्थित रहे।

महिला अधिवक्ता ने आईडीपीएल चौकी सस्पेंड करने की मांग की

महिला एडवोकेट भावना जोशी ने मीडिया के सामने नौ अगस्त की रात की आपबीती सुनाई। कहा कि एक फिल्म की शूटिंग कर रहे फिल्म निर्देशक पूरी टीम के साथ एक होटल में ठहरे हुए थे। होटल मालिक के साथ उनका विवाद हुआ। वकील होने के नाते उन्होंने उनसे संपर्क किया। उन्होंने फिल्म निर्देश को पुलिस से शिकायत करने की सलाह दी। उन्होंने ऐसा किया तो पुलिस होटल से उन्हें ही उठा ले आई और उनके साथ चौकी में दुर्व्यहार किया। इस पर देर रात वो चौकी पहुंची और पुलिस को परिचय देते हुए न्याय करने की मांग की।
उन्होंने आरोप लगाया कि रात में पुलिस कर्मी बगैर वर्दी के चौकी में थे और शराब पीए हुए थे। इन हरकतों पर सवाल उठाना पुलिस के चौकी प्रभारी और पुलिस कर्मियों को नागवार गुजरा। पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। एडवोकेट भावना जोशी ने कहा कि पुलिस की हरकतों का वीडियो बनाने पर फिल्म निर्देशक और उनके पति के साथ दो पुलिस कर्मियों ने मारपीट की और मेडिकल कराने के नाम पर एक जीप में ले गए। उन्होंने इसका विरोध किया तो उनके साथ भी हैंडलिंग की गई। उन्होंने पुलिस कर्मियों को बताया कि वो गर्भवती हैं बावजूद पुलिस का रवैया नहीं बदला। बाद में उनका भी ये कहकर मेडिकल कराया गया कि वो नशे में हैं। मेडिकल में स्पष्ट हो गया कि पुलिस झूठ बोल रही थी। कहा पुलिस को कुछ नहीं मिला तो सरकारी कार्य में बाधा डालने में चालान किया गया।
एडवोकेट भावना ने बताया उन्हें उम्मीद नहीं थी कि देवभूमि उत्तराखंड में पुलिस का ऐसा रवैया हो सकता है। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रमुख से शिकायत के बाद चौकी प्रभारी लाइन हाजिर हुए हैं। ये कोई सजा नहीं है। उन्होंने कहा कि पूरी पुलिस चौकी को पहले सस्पेंड और जांच के बाद बर्खास्त किया जाना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर पुलिस एक महिला के साथ ऐसा दुर्व्यवहार कैसे कर सकती है। अपनी कमियों को छिपाने के लिए पुलिस इस मामले को दूसरा रंग देने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने बेहद भावुक होकर कहा कि उन्हें कतई उम्मीद नहीं थी कि उनके राज्य की पुलिस की कार्य प्रणाली ऐसी है। इस दौरान उन्होंने पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए। इस मौके पर अनिल रतूड़ी, सुशील रणाकोटी आदि मौजूद थे।

बड़ी कार्रवाई, 6.4 करोड़ की जीएसटी चोरी का खुलासा

जीएसटी चोरी करने वाली फार्मा कंपनियों पर राज्य कर विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। सेंट्रल इंटेलिजेंस यूनिट (सीआईयू) ने देहरादून, हरिद्वार और रुड़की में नौ फार्मा कंपनियों पर छापा मारा है। इनमें चार कंपनियां फर्जी पाई गईं। प्रारंभिक कार्रवाई में 6.4 करोड़ की जीएसटी चोरी का खुलासा हुआ है। फार्मा कंपनियों ने अपनी गलती स्वीकारते हुए 30 लाख का टैक्स जमा किया है। विभाग ने कंपनियों के 2.43 करोड़ की आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) रोक दी है। साथ ही बैंक खाते फ्रीज कर दिए हैं। राज्य कर आयुक्त एवं अपर सचिव अहमद इकबाल ने बताया कि शनिवार को विभाग की सीआईयू टीम ने जीएसटी चोरी करने वाली फार्मा मेन्युफैक्चरिंग और ट्रेडिंग कंपनियों पर छापा मारा।
इस कार्रवाई में देहरादून, हरिद्वार व रुड़की की तीन-तीन कंपनियों के टैक्स संबंधित दस्तावेजों की गहन जांच की गई। जीएसटी में पंजीकृत चार कंपनियां सिर्फ कागजों में चल रही हैं। फर्जी कंपनियों के नाम से बिल बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेकर सरकार को राजस्व की चपत लगाई जा रही थी। कंपनियों ने दवाइयों की पैकेजिंग सामग्री और अन्य सामान की सप्लाई दिल्ली, गुजरात व मध्य प्रदेश की कंपनियों से दर्शाई है। दस्तावेजों में माल परिवहन के कोई प्रमाण नहीं मिले। गुजरात में जिस फर्म के नाम से माल आपूर्ति के बिल बनाए जा रहे थे, उसका कोई कारोबार नहीं मिला। जांच में खुलासा हुआ कि फार्मा कंपनियों की ओर से ई-वे बिलों में दिल्ली से पैकेजिंग सामग्री की सप्लाई दिखाई गई। इसमें दिल्ली से ऑटो में 30 लाख की माल परिवहन दिखाया गया।
इतनी बड़ी राशि का माल ऑटो में परिवहन करना संभव नहीं है। इसके अलावा जिस ई-वे बिल में दिल्ली से माल उत्तराखंड के दर्शाया गया उस पर माल दूसरे राज्यों में भेजा गया। राज्य कर विभाग की जांच में यह भी खुलासा हुआ है फार्मा कंपनियों ने दिल्ली में जिस कंपनी से मेडिकल का सामान की आपूर्ति दर्शाई है वह स्क्रैब का कारोबार करती है। कबाड़ का काम करने वाली कंपनी दवाइयों के पैकेजिंग व अन्य सामान की सप्लाई कैसे कर सकती है। विभाग इन सभी मामलों की जांच कर रही है।

रेस्क्यू अभियान जारी, प्रशासन ने कच्ची दुकानों का कराया खाली

भूस्खलन हादसे में जिन तीन मृतकों के शव मिले थे, उनकी पहचान हो गई है। तीनों नेपाली मूल के हैं। इसी के साथ अब हादसे में लापता लोगों की संख्या 20 हो गई है। तीन लोगों की मौत हुई है। शनिवार को भी दिनभर रेस्क्यू होता रहा, लेकिन लापता लोगों में से किसी का भी शव नहीं मिल पाया। जिला प्रशासन के अनुसार, रविवार को सुबह 5.30 बजे से पुनः घटनास्थल से लेकर नदी किनारे तक खोजबीन अभियान शुरू कर दिया जाएगा। साथ ही कुंड में सिंगोली-भटवाड़ी जल विद्युत परियोजना के बैराज में जलपुलिस द्वारा खोजबीन की जा रही है। जिलाधिकारी डॉ. सौरभ गहरवार ने बताया कि शुक्रवार को जो तीन शव बरामद हुए थे, उनकी शिनाख्त देवी बहादुर, टेक बहादुर और प्रकाश टम्टा के रूप में हुई है।
मृतकों के परिजनों ने शिनाख्त की है, जिसके बाद जरूरी कार्रवाई कर शवों को पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय भेज दिया गया है। शेष 20 लोग, जिनकी सूची पहले दिन जारी की गई थी, अभी लापता चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि लापता लोगों की खोजबीन के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। इधर, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि इस हादसे में लापता लोगों में 14 नेपाली मूल के हैं, जबकि चार लोग रुद्रप्रयाग जनपद के अलग-अलग गांवों के और दो अन्य राज्यों के हैं। हादसे के बाद शुक्रवार को जो तीन लोगों के शव मिले थे, उनके नाम जारी सूची में शामिल नहीं थे।
हादसे के बाद प्रशासन ने गौरीकुंड बाजार से लेकर डाटपुल से आगे एक किमी क्षेत्र में बनाई गई कच्ची दुकानों को खाली कर मशीन से ध्वस्त करना शुरू कर दिया है। पहले चरण में यहां 40 दुकानों को ध्वस्त किया गया है। बाकी दुकानदारों को भी तुरंत दुकानें खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया है।

गौरीकुंड में चल रहे राहत बचाव कार्य में तीव्र गति लाने के निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय, देहरादून स्थित आपदा कन्ट्रोल पहुंचकर प्रदेश भर में जारी बारिश की स्थिति के संबंध में अधिकारियों से जानकारी प्राप्त की।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रुद्रप्रयाग जिले के गौरीकुंड में हुए हादसे में संबंध में अधिकारियों से जानकारी ली। उन्होंने गौरीकुंड में चल रहे राहत बचाव कार्य में तीव्र गति लाने के निर्देश दिए। साथ ही शासन स्तर से गौरीकुंड क्षेत्र में हर संभव मदद पहुंचाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश की प्रमुख नदियों के जलस्तर की जानकारी ली। उन्होंने कहा जिन भी क्षेत्र में जल स्तर बढ़ जाने से बाढ़ की समस्या आ रही है, उन सभी स्थानों पर अलर्ट जारी किया जाए, एवं सभी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों के आसपास बनी इमारत एवं कच्चे मकानों में रह रहे लोगों को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि गौरीकुंड में हुए हादसे के बाद लगातार राहत बचाव कार्य जारी है। लापता लोगों को ढूंढने हेतु सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। हादसे में मृतक एवं लापता लोगों के परिजनों से भी संपर्क किया जा रहा है। एसडीआरएफ जिला प्रशासन सभी टीमें मौके पर मौजूद हैं किसी भी स्थिति से निपटने के लिए शासन प्रशासन पूरी तरह तैयार है।
इस दौरान अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव अभिनव कुमार सचिव आपदा रंजीत सिन्हा एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

वन्यजीवों से खेती बचाने के लिए ठोस कारगर उपाय करने के निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 19वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए बंदरों और जंगली सूअरों की समस्या को दूर करने के लिए फोकस्ड होकर काम करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने बंदरों के बंध्याकरण के लक्ष्य को दोगुना करने के साथ ही इनका प्रैक्टिकल समाधान प्रस्तुत करने को कहा।
मुख्यमंत्री ने मानव वन्यजीव संघर्ष राहत राशि का वितरण 15 दिनों में सुनिश्चित किए जाने की व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए। वन्यजीवों के हमले में किसी व्यक्ति की मृत्यु पर राहत राशि को 4 लाख से बढ़ाकर 6 लाख रूपए करने का प्रस्ताव जल्द से जल्द कैबिनेट में लाया जाए।
मुख्यमंत्री ने मानव वन्यजीव संघर्ष को कम किए जाने की दृष्टी से आवश्यक कदम उठाने की बात कही। उन्होंने कहा वनों के समीप गांव में सोलर लाइट लगाए जाने, पब्लिक अवेयरनेस, पर्याप्त मात्रा में वन कर्मियों की नियुक्ति के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा जिन स्थानों पर मानव वन्यजीव संघर्ष अधिक होते हैं ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित किया जाए। ताकि लोगों को पहले चेतावनी दी जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए बायो फेंसिंग पर कार्य किया जाए। इको टूरिज्म, वाइल्ड लाइफ टूरिज्म और बायो फेंसिंग को बोर्ड की बैठक का नियमित एजेंडा बनाया जाए।मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड वाइल्डलाइफ हेल्पलाइन का भी लोकार्पण किया।
मुख्यमंत्री ने बाघों की संख्या में उत्तराखंड के तीसरे स्थान पर रहने पर बधाई देते हुए कहा कि इसमें स्थानीय लोग बधाई के विशेष पात्र हैं। राज्य के क्षेत्रफल को देखते हुए महत्वपूर्ण उपलब्धि है। वाइल्ड लाइफ टूरिज्म की दृष्टि से इसका व्यापक प्रचार किया जाए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि लंबे समय से लंबित टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का गठन भी शीघ्र किया जाए। उन्होंने कहा टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स बनाकर युवाओं को इससे जोड़ा जाए। वनों से लगे ग्रामीण इलाकों के लोगों की वन्यजीव संरक्षण में अहम भूमिका होती है। ऐसे में लोगों को अधिक से अधिक जागरूक भी किया जाए, समय-समय पर वन्यजीव रेस्क्यू एवं रैपिड एक्शन फोर्स की ट्रेनिंग भी लोगो को दी जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चौरासी कुटिया को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने को टाइम बाउंड तरीके से काम करना होगा। इसमें विलंब होने पर जिम्मेदारी तय की जायेगी। निर्णयों की क्रियान्विति तभी सम्भव है जब सम्बन्धित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जायेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 का संशोधन 2022 लाया गया है। इसके अनेक प्रावधान उत्तराखंड के हित में है। इसकी जानकारी संबंधित विभागों के अधिकारियों को जरूर होनी चाहिए।
बैठक में बताया गया कि मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण प्रकोष्ठ और उत्तराखंड मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण निधि की स्थापना की गई है। प्रकोष्ठ के अंतर्गत उत्तराखंड वन्यजीव हेल्पलाइन की भी स्थापना की गई है।
मानव वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि नियमावली का संशोधित प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसमें पूर्व में दी जा रही अनुग्रह राशि को बढ़ाने के साथ ही ततैया और मधुमक्खी से मनुष्य की मृत्यु पर भी अनुग्रह राशि का प्रावधान किया गया है।
बैठक में केबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक रेणु बिष्ट, राम सिंह कैड़ा, मुख्य सचिव एस एस संधु, डीजीपी अशोक कुमार, प्रमुख सचिव आर के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक सहित राज्य वन्य जीव बोर्ड के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री बोले, सीएम हेल्पलाइन में शिकायतकर्ता के पूर्ण रूप से संतुष्ट होने के बाद ही शिकायत क्लोज की जाए

जन शिकायतों के त्वरित निस्तारण के लिए जब तक शिकायतकर्ता पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हो जाता है, उनकी शिकायत फोर्सली क्लोज न की जाए, यदि कोई अधिकारी ऐसा कर रहे हैं तो उन पर सख्त कारवाई की जाए। यह निर्देश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में सीएम हेल्पलाइन-1905 की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को दिये। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री जन समर्पण दिवस (सहयोग से समाधान की ओर) डिजिटाइजेशन प्रक्रिया द्वारा तहसील दिवस एवं जिलाधिकारी जनता दिवस पोर्टल का शुभारंभ किया। यह पोर्टल सीएम हेल्पलाइन 1905 से कनेक्ट होगा। इससे तहसील दिवस एवं जिलाधिकारी के समक्ष प्रत्येक माह प्राप्त शिकायतों एवं उनमें कितनों का समाधान किया गया इसकी पूरी जानकारी प्राप्त होगी। यह सभी जानकारी डिजिटल माध्यम से प्राप्त होगी। इसके लिए अलग से रजिस्टर मेंटेन करने की आवश्यकता नहीं होगी।
लोक निर्माण विभाग और नगर निगम में एक ही दिन में कई शिकायतों के निस्तारण होने पर मुख्यमंत्री ने सचिव लोक निर्माण विभाग एवं आयुक्त गढ़वाल मण्डल इसकी जॉच करने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने सभी उच्चाधिकारियों को निर्देश दिये कि सीएम हेल्पलाईन पर आ रही शिकायतों के सबंध में शिकायतकर्ताओं से वार्ता कर उनका समाधान किया जाए। उन्होंने कहा कि अगली बैठकों में यह भी देखा जायेगा कि कौन अधिकारी शिकायतकर्ताओं से लगातार बातचीत कर रहे हैं और कौन लापरवाही बरत रहे हैं।

सतर्कता अधिष्ठान को मजबूत बनाने के लिए सभी विभाग नोडल अधिकारी नियुक्त करें।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि सभी विभाग सतर्कता अधिष्ठान को मजबूत बनाने के लिए अपने विभागों में एक-एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें। सीएम हेल्पलाइन की पिछले माह हुई बैठक में सतर्कता अधिष्ठान को मजबूत करने के निर्देश दिये थे। इस सबंध में उन्होंने सभी जिलाधिकारियों से इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि सीएम हेल्पलाईन 1905 के सफल संचालन के लिए कार्य कर रहे लोगों को और अधिक प्रशिक्षित किया जाए। समय-समय पर विभागीय अधिकारियों को भी प्रशिक्षण दिया जाए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिये जिन शिकायतों के समाधान में अधिक समय लगने की संभावना है। ऐसी शिकायतों पर शिकायतकर्ताओं से बात कर उनको जानकारी दी जाय और कार्य में लेट होने की स्पष्ट वजह भी बताई जाय।

सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत करने वाले शिकायतकर्ताओं से मुख्यमंत्री ने फोन से बात कर वस्तुस्थिति जानी।

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कुछ शिकायतकर्ताओं से फोन से वार्ता की एवं उनकी समस्याओं की जानकारी ली। कुछ शिकायतों का समाधान किया जा चुका था। जिन समस्याओं का समाधान अभी नहीं हुआ था, मुख्यमंत्री ने सबंधित अधिकारियों को शीघ्र उनका समाधान करने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर देहरादून के श्री आलोक शर्मा, उत्तरकाशी के राहुल राणा, कमला चौहान, मारथा डेविड, मोहन चन्द्र उप्रेती एवं कुशलपाल सिंह राणा से बातचीत कर उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी ली।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आनन्द बर्द्धन, डीजीपी अशोक कुमार, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, अरविन्द सिंह ह्यांकी, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, सचिन कुर्वे, विनय शंकर पाण्डेय, निदेशक आईटीडीए नितिका खण्डेलवाल अपर सचिवगण, विभागीय एचओडी एवं वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे।

हरिद्वार जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र आपदाग्रस्त घोषित

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार में जलभराव की स्थिति की समीक्षा के बाद अनेक महत्वपूर्ण घोषणाएं की।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि जनपद हरिद्वार में जिन-जिन क्षेत्रों में भी विगत दिनों में भारी वर्षा से जलभराव हुआ है या बाढ़ आयी है, को आपदा क्षेत्र घोषित किया जायेगा।
आपदाग्रस्त क्षेत्रों में आगामी तीन माह तक विद्युत, जल, अन्य सरकारी देय एवं ऋणों की वसूली को स्थगित रखा जायेगा।
आपदाग्रस्त क्षेत्रों में सघनता से तीव्रता से व्यापक सर्वेक्षण कराकर मानकानुसार तत्काल राहत राशि का वितरण सुनिश्चित कराया जायेगा।
भविष्य में इस प्रकार की आपदा की पुनरावृत्ति रोकने एवं बचाव के लिए बाढ़ प्रबन्धन योजना पर कार्य किया जायेगा। जिसमें जल निकासी की व्यापक योजना तैयार कर कार्य कराना जाना एवं आवश्यकतानुसार छोटे पुलियों का निर्माण कराया जाना सम्मिलित है।
भविष्य में बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए नदियों के चैनेलाईज कराने का कार्य कराये जाने के कदम उठाये जायेंगे।
आपदाग्रस्त क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार स्थायी बाढ़ राहत केन्द्रों का निर्माण कराया जायेगा।

सीएम ने अधिकारियों को दिये जलभराव वाले क्षेत्रों में नजर रखने के निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को डामकोठी में जनपद हरिद्वार में हुये जलभराव के सम्बन्ध में राहत एवं बचाव कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने उच्चाधिकारियों के साथ इस सम्बन्ध में विचार-विमर्श कर निरंतर स्थिति पर नजर रखने को कहा।
मुख्यमंत्री ने बैठक में पेयजल, स्वास्थ्य, संचार, विद्युत आदि व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी प्राप्त की तथा निर्देश दिये कि जल भराव वाले क्षेत्रों में सभी व्यवस्थायें सामान्य रूप से संचालित हो, यह सुनिश्चित किया जाए।
मुख्यमंत्री ने जलभराव की वजह से फसलों को हुये नुकसान का आकलन करने के भी निर्देश दिये। उन्होंने किसानों की समस्याओं का त्वरित समाधान किये जाने पर भी ध्यान देने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जलभराव के कारण पशुओं के लिये चारा आदि की पर्याप्त व्यवस्था की जाय तथा चारे का पर्याप्त स्टॉक भी रखा जाये।
बैठक में अतिक्रमण की वजह से भी कई जगह हुये जलभराव के सम्बन्ध में विस्तृत विचार-विमर्श हुआ। इस पर मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि जहां पर भी अतिक्रमण की वजह से दिक्कतें सामने आ रही हैं, आपदा के अन्तर्गत उससे सख्ती से निपटा जाये।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बैठक में जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने विगत दिनों जनपद के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में कुल कितनी बरसात हुई, जिसके कारण जल भराव की स्थिति पैदा हुई, के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लक्सर, रूड़की आदि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव के कार्यों में एसडीआरएफ, जल पुलिस, राजस्व, फायर ब्रिगेट, पुलिस, विभागीय टीम तथा स्वैच्छिक संगठनों सहित 579 सदस्स्यों की कुल 34 टीमें निरन्तर कार्य कर रही हैं तथा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग, स्थानीय निकाय, पंचायती राज विभाग द्वारा इन प्रभावित क्षेत्रों में महामारी फैलने से बचाव हेतु बड़े पैमाने पर कीट नाशक का छिड़काव किया जा रहा है, जो हमारे लिये चुनौती भी है। दवाओं का प्रोक्यूरमेंट हमने कर दिया है। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित संवेदनशील क्षेत्रों में राहत किट, भोजन आदि वितरित किये जा रहे हैं।
जिलाधिकारी ने अवगत करया कि हरिद्वार, रूड़की, लक्सर तथा भगवानपुर के बाढ़ प्रभावित शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावित परिवारों को गृह अनुदान, अनुग्रह अनुदान व अहेतुक मद से 860 लाभार्थियों को 36.27 लाख रूपये की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि जनपद में जल भराव से 15796 व्यक्ति प्रभावित हुये हैं, जिनमें से कई लोग तो रिश्तेदारों व किराये के मकान में शिफ्ट हुये हैं तथा 81 परिवारों को राहत केन्द्र में शिफ्ट किया गया है।
जिलाधिकारी ने बैठक में बताया कि सबसे ज्यादा नुकसान लोक निर्माण विभाग की 52 सम्पत्तियों को हुआ है, जिनमें सभी जगह कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है तथा कार्यदायी सभी संस्थाओं को एडवांस में धनराशि उपलब्ध करा दी गयी है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री राहत कोष, स्वयंसेवी संस्थाओं आदि के माध्यम से जल भराव वाले प्रभावित लोगों की पूरी मदद की जा रही है।
बैठक में मुख्यमंत्री को रूड़की विधायक प्रदीप बत्रा, भगवानपुर विधायक ममता राकेश, लक्सर विधायक शहजाद, रानीपुर विधायक आदेश चौहान, पूर्व विधायक लक्सर संजय गुप्ता, जिला पंचायत अध्यक्ष किरण चौधरी, भाजपा रूड़की जिला अध्यक्ष शोभाराम प्रजापति आदि ने अपने-अपने क्षेत्रों की स्थिति से अवगत कराया। इस अवसर पर हरिद्वार नगर विधायक मदन कौशिक, पूर्व कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानन्द, भाजपा जिला अध्यक्ष हरिद्वार संदीप गोयल, पूर्व जिला अध्यक्ष डॉ0 जयपाल सिंह सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित रहे।