उत्तराखंड के 226 लोगों की सूची सरकार ने विदेश मंत्रालय को भेजी

उत्तराखंड सरकार ने यूक्रेन में फंसे 226 राज्यवासियों की लिस्ट विदेश मंत्रालय को उपलब्ध करा दी है। हालांकि राज्य के विभिन्न जिलों से कुछ और लोगों के भी यूक्रेन में फंसे होने की सूचना आ रही है। लेकिन गृह विभाग प्रमाणित नामों को ही केंद्र सरकार के पास भेज रहा है। यह संख्या बढ़नी तय है।

गृह विभाग ने गुरुवार को हेल्पलाइन नंबर जारी करने के साथ ही सभी डीएम, एसएसपी को भी अपने- अपने जिलों से यूक्रेन में फंसे लोगों की जानकारी लेने को कहा था। इस कारण दिनभर जिलों के पुलिस कंट्रोल रूम के नंबर व्यस्त रहे, सर्वाधिक व्यस्तता देहरादून में 112 के मुख्यालय में रही, यहां 83 कॉल दर्ज की गई।

अपर सचिव गृह रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि ऐसे 226 उत्तराखंडवासियों की लिस्ट केंद्र सरकार को भेज दी गई है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा और भी लोगों ने अपने परिजनों के युद्धग्रस्त देश में फंसे होने की जानकारी दी है।

हेल्पलाइन नंबर
पी रेणुका देवी (नोडल अधिकारी) : 7579278144
प्रमोद कुमार (सहायक नोडल अधिकारी): 9837788889
आपातकालीन नंबर: 112 (टोल फ्री)
उत्तराखंड सदन : 011-26875614-15

‘आप’ ने चलाया उत्तराखंड सरकार के खिलाफ हल्ला बोल कार्यक्रम, 100 दिन के कार्यकाल पर किया कटाक्ष

मुख्यमंत्री के तौर पर तीरथ सिंह रावत के 100 दिन पूरे होने पर आम आदमी पार्टी ने कटाक्ष किया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन करते हुए इस कार्यकाल को निराशाजनक बताया।

संगठन मंत्री दिनेश असवाल के नेतृत्व में एकत्र हुए पार्टी कार्यकर्ताओं ने नेपाली फार्म तिराहे पर राज्य सरकार के खिलाफ हल्ला बोला। प्रदशर्नकारियों ने कहा कि अनेकों गंभीर मुद्दों पर सरकार के मुखिया की जिस प्रकार जबान लड़खड़ाई है कुछ वही झलक सरकार के निर्णयों में भी दिखाई दे रही है। भाजपा ने प्रदेश में मुख्यमंत्री का मुखौटा बदलकर जनता को गुमराह करने की जो चाल चली है उसे प्रदेश की आवाम समझ चुकी है। तीरथ रावत सरकार के सौ दिन पर पार्टी के जिला मिडिया प्रभारी डा राजे सिंह नेगी ने कहा कि प्रचंड बहुमत के बाद भी मुख्यमंत्री को बदलना राज्य के लिए चिंता का विषय है। अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए भाजपा ने मुख्यमंत्री का मुखौटा बदल दिया।

अब तीरथ सरकार की सौ दिन की गाथा ऐसे गाई जा रही है जैसे नया जनादेश मिला हो। तीरथ सरकार की बड़ी उपलब्धि राज्य की महंगाई दर को राष्ट्रीय महंगाई दर से भी आगे ले जाना है। प्रदशर्नकारियों में अमित बिश्नोई, धनपाल रावत, चंद्रमोहन भट्ट, नरेंद्र सिंह, सेम डिसूजा, सुनील कुमार, उत्तम सिंह पंवार, गणेश बिजल्वाण, दिनेश कुलियाल, विनायक गिरी, विक्रांत भारद्वाज आदि मौजूद रहे।

चार वर्ष पूर्ण होने से पूर्व उत्तराखंड सीएम ने दिया इस्तीफा, बोले मौका हर किसी को मिलना चाहिए

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज राज्यपाल बेबीरानी मौर्य को अपना मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद वह मीडिया से रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि सामूहिक से यह फैसला लिया गया कि अब सीएम के किसी ओर को भी मौका दिया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने भी सहमति दी।

प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि वह एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखते हैं, उनके पिता सैनिक थे। उन्होंने आरएसएस ज्वाइन की। इसके बाद वह प्रदेश संगठन मंत्री के पद पर भी रहे। फिर केंद्रीय नेतृत्व में उत्तराखंड में उन्हें सीएम पद की कमान सौंपी। कहा कि यह उनके लिए गर्व व सौभाग्य की बात है। उन्होंने आगे कहा कि सभी के सामूहिक रूप से यह निर्णय लिया गया कि सीएम पद पर किसी ओर को भी मौका मिलना चाहिए। इसके लिए उन्होंने भी सहमति दी है। इसके चलते उन्होंने अपना इस्तीफा दिया है।

प्रेस वार्ता के दौरान उच्च शिक्षा मंत्री स्वतंत्र प्रभार डा. धन सिंह रावत, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर भगत, दून मेयर सुनील उनियाल गामा, ऋषिकेश मेयर अनिता ममगाईं आदि मौजूद रहे।

त्रिवेन्द्र है तो मुमकिन हैः मुख्यमंत्री ने मौके पर जाकर संभाला मोर्चा तो सरकारी मशीनरी में हुआ ऊर्जा कां संचार

राजेंद्र जोशी (वरिष्ठ पत्रकार)
प्राकृतिक आपदाओं से लड़ा नहीं जा सकता है, लेकिन अगर समय रहते रेसक्यू आॅपरेशन चलाया जाये और जनहानि रोकने की दिशा में कार्य किया जाये तो बड़ी जनहानि को रोका जा सकता है। यह आज मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने साबित किया है। जैसे ही सुबह न्युज फ्लैश हुई कि चमोली जिले में प्राकृतिक आपदा के चलते अलकनन्दा नदी विकराल रुप धारण कर चुकी है, तुरन्त मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत हरकत में आ गये। उन्होंने तुरन्त अलकनन्दा नदी के पड़ाव के नदी किनारों को खाली कराने के आदेश दे दिये। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद प्रशासन हरकत में आया और नदी किनारों को खाली कराने का कार्य शुरु हुआ।

मुख्यमंत्री केवल यहीं नहीं रुके। उन्होंने तुरन्त हैलीकाॅपटर से घटना स्थल का जायजा लेने की बात कही। जैसे ही यह न्युज फ्लैश हुई शासन से लेकर प्रशासन में हड़कप मच गया। सरकारी मशीनरी समझ गई कि आपदा के समय मुख्यमंत्री कोताही बर्दाश्त नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को स्वयं राज्य आपदा परिचालन केन्द्र में बैठकर माॅनीटिरिंग करने के निर्देश दिये और स्वयं घटना स्थल के लिए रवाना हुए। हैलीकाॅप्टर में ही मुख्यमंत्री ने श्रीनगर बांध को खाली कराने और टिहरी बांध का पानी रोकने के निर्देश दिये। जिससे मैदानी इलाकों में पानी का प्रवाह कम हो जाये। मुख्यमंत्री ने त्वरित कार्यों को अजंाम देने के लिए अधिकारियों को अधिकर देते हुए जनहानि रोकने के लिए हर संभव उपाय करने को कहा। जिसके फलस्वरुप आज उत्तराखंड में बड़ी जनहानि रोकने में मदद मिली।

दूरदर्शी और प्रशासनिक सोच से मिली मदद
अलकनन्दा नदी के प्रवाह को समेटने के लिए टिहरी बांध में पानी रोकना और श्रीनगर बांध के पानी को छोड़ना एक दूरदर्शी सोच औश्र प्रशासनिक क्षमता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री लगातार पानी के प्रवाह पर नजर रख रहे थे। ऐसे में उन्होंने यह निर्णय लेकर प्रशासनिक क्षमता को दर्शाया है। जिसकी आज पूरा देश का मीडिया प्रशंसा कर रहा है।

अफवाहों को रोकने में कामयाब रही सरकार
लोगों को पैनिक होने से बचाने के लिए सरकार एक तरफ राहत कार्य में जुटी रही। वहीं, मुख्यमंत्री सोशल मीडिया में लगातार अपने अकाउंट से लोगों को सही जानकारी देते रहे। उन्होंने लोगों से अफवाहों पर ध्यान ना देने की अपील की। लगातार उनके द्वारा संपर्क स्थापित किया जाता रहा। जिससे लोगों को भी पल-पल की सही और सटीक जानकारी मिलती रही।

लगातार 24 से 48 घंटे चलेगा राहत कार्य
मुख्यमंत्री जैसे ही आपदा स्थल का जायजा लेकर देहरादून पहंुचे। उन्होंने राज्य आपदा परिचालन केन्द्र का दौरा किया। वहां उन्होंने राहत कार्यों की जानकारी ली। लगातार अधिकारियों से बात कर रहे मुख्यमंत्री ने अपने अगले आदेशों तक राहत कार्य 24 से 48 घंटे चलाने के निर्देश दिये है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने रात को भी सेना और एनडीआरफ की मदद से एसडीआरएफ व स्थानीय प्रशासन को राहत कार्य करने को कहा है। उन्होंने कहा कि हमें अंतिम व्यक्ति तक को राहत देने की दिशा में कार्य करना है। ऐसे में हमें रेसक्यू आॅपरेशन में और तेजी लानी होगी।

संसाधनों की कमी नहीं
मुख्यमंत्री ने राहत कार्यों को लेकर साफ निर्देश दिये है कि संसाधनों की कोई कमी नहीं है। ऐसे में संासाधनों की कमी का हवाला देकर राहत कार्य बाधित नही होने चाहिए। उन्होंने बताया कि जरुरत महसूस हुई तो हैली सेवाओं के माध्यम से भी राहत कार्य किये जायेगे। रेसक्यू आॅपरेशन के दौरान मिल रहे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए डाॅक्टरों के टीम भी मौके पर तैनात की गई है। गंभीर लोगों को हायर सेन्टर भेजा रहा है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत लगातार नजर बनाये हुए है। उनका कहना है कि प्राकृतिक आपदाओं से लड़ा नही जा सकता है। लेकिन हम राहत कार्य में और तेजी लाकर लोगों की जान बचा सकते है। प्रधानमंत्री भी मुख्यमंत्री से लगातार अपडेट ले रहे है। उन्होंने भी मुख्यमंत्री को हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया है।

त्रिवेंद्र सरकार का बड़ा फैसला, उत्तराखंड में 108 सेवा को 132 नई एंबुलेंस से मिलेगी संजीवनी

राज्य में संचालित 108 इमरजेंसी सेवा की अहमियत को त्रिवेंद्र सरकार बखूबी समझ रही है। यही वजह रही कि 108 सेवा के बेड़े को विस्तार देने में राज्य सरकार ने देर नहीं लगाई। 108 सेवा के बेड़े में 132 नई एंबुलेंस शामिल करने पर राज्य कैबिनेट की मुहर इसी ओर इशारा कर रही है।
पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में दशक भर पहले 108 इमरजेंसी सेवा का सफर शुरू हुआ था। अपनी शुरूआत से ही इस सेवा ने आम उत्तराखंडी के दिलों-दिमाग पर गहरी छाप छोड़ी है। खासतौर से पर्वतीय जिलों के लिए यह सेवा किसी वरदान से कम साबित नहीं हुई। बीते वर्षों में 108 इमरजेंसी सेवा की एंबुलेंसों में हजारों नौनिहालों की किलकारियां गूंजी तो हजारों-लाखों घायलों को अस्पतालों तक उपचार के लिए पहुंचाया गया। यहां तक की पहाड़ के दूरस्थ गांवों में अगर कोई गंभीर बीमार हो जाता तो उसे बस यही इंतजार रहता कि किसी तरह रोड हेड तक 108 पहुंच जाए। इसके बाद मरीजों को आसानी से नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया जाता रहा।
अब यह कहना कतई अतिश्योक्ति नहीं होगा कि स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव से जूझते राज्य को इस सेवा ने हमेशा सहारा देने का काम किया है। यही कारण भी है कि त्रिवेंद्र सरकार शुरू दिन से इस सेवा के सुदढ़िकरण के लिए तत्पर रही है। राज्य सरकार ने अब 108 सेवा को और मजबूती प्रदान करते हुए इसके बेड़े में 132 नए वाहनों को जोड़ने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। जानकारों का कहना है कि निश्चित तौर से सरकार का यह निर्णय सराहनीय है। दरअसल, यह एक ऐसी इमरजेंसी सेवा है जिसके लिए कई बार जिलों में एबुलेंस कम पड़ जाती हैं। ऐसे में इसके बेड़े में वाहनों का इजाफा कर सरकार ने इसे मजबूती प्रदान करने का कार्य किया है। अधिक से अधिक वाहन होने का लाभ यह मिलेगा कि जिन इलाकों में अभी तक इस सेवा के वाहनों को लंबी दूरी तय करके पहुंचना पड़ता था, अब नए वाहन मिलने से इमरजेंसी प्वाइंट तक पहुंचने में आसानी होगी।

ई-ऑफिस बनने के बाद से 4621 पत्रावलियों का हुआ निस्तारण


मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा भी ई-ऑफिस प्रणाली से पत्रावलियों का निस्तारण प्रारम्भ कर दिया है। सचिवालय में मुख्यमंत्री ने 4 पत्रावलियों का निस्तारण ई-ऑफिस के तहत किया गया। इनमें मुख्यमंत्री घोषणा के तहत देहरादून में स्थापित होने वाले शहीद स्मारक, खेरासेंण में सामुदायिक बारात घर की स्थापना, त्यूणी में फायर यूनिट की स्थापना तथा स्वास्थ्य विभाग की चिकित्सकों से सम्बन्धित पत्रावली सम्मिलित रही। प्रदेश में 21 जनवरी 2020 को ई-ऑफिस प्रणाली का शुभारम्भ हुआ था। इस एक वर्ष की अवधि में 4621 पत्रावलियों का निस्तारण इस प्रक्रिया के तहत किया गया है। अकेले गुरूवार का ही 26 पत्रावलियों का निस्तारण किया गया है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि ई-आफिस प्रणाली से कार्य संचालन में से सचिवालय के कार्यों में उत्तरदायी, प्रभावी और पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित होगी। इससे फाइल निस्तारण के कार्य में तेजी आयेगी और कार्य प्रबंधन में सुधार आयेगा। इससे उच्च स्तर पर प्रभावी समीक्षा भी की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि इससे महत्वपूर्ण विषयों के ऑनलाईन होने से कार्यों में शीघ्रता व पारदर्शिता आयेगी।

पूर्व सैनिक ब्लाॅक प्रतिनिधियों के लिए खुशखबरी, मानदेय सहित यात्रा भत्ता बढ़ा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पूर्व सैनिक ब्लॉक प्रतिनिधियों के मानदेय एवं यात्रा भत्ता वृद्धि हेतु स्वीकृति दी। पूर्व सैनिक ब्लॉक प्रतिनिधियों के मानदेय में दो हजार एवं यात्रा भत्ता में एक हजार रूपये की वृद्धि।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पूर्व सैनिक ब्लॉक प्रतिनिधियों के मानदेय में प्रतिमाह 2000 रूपये एवं यात्रा भत्ता में प्रतिमाह 1000 रूपये की वृद्धि की स्वीकृति दी है। इससे इनके मानदेय में 40 प्रतिशत एवं यात्रा भत्ता में दुगुनी वृद्धि होगी। अब इन्हें प्रतिमाह 7000 रूपये मानदेय एवं 2000 रूपये यात्रा भत्ता मिलेगा। मानदेय एवं भत्ते में वृद्धि से प्रतिवर्ष 34 लाख रूपये से अधिक का अतिरिक्त व्ययभार बढ़ेगा। इससे पहले ब्लॉक प्रतिनिधियों को प्रतिमाह 05 हजार रूपये मानदेय एवं प्रतिमाह 01 हजार रूपये यात्रा भत्ता मिलता था। फरवरी 2014 के बाद ब्लॉक प्रतिनिधियों के मानदेय एवं यात्रा भत्ता में वृद्धि नहीं हुई थी।

उत्तराखण्ड के सभी 95 ब्लॉक में पूर्व सैनिक ब्लॉक प्रतिनिधि नियुक्त हैं। ब्लॉक प्रतिनिधियों द्वारा महत्वपूर्ण कार्यों, दूर-दराज गांवों में वृद्ध एवं अशक्त गौरव सेनानियों से सम्पर्क करने में होने वाले व्यय एवं साधनों की कमी को देखते हुए मानदेय एवं यात्रा भत्ता बढ़ाने की मांग की जा रही थी।

सरकार के साथ मिलकर संगठन ने लिया निर्णय, चार माह के कार्यक्रम तय

(एनएन सर्विस)
मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सरकार और संगठन की समन्वय बैठक आयोजित हुई। बैठक में कोविड-19 के दृष्टिगत सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों पर विस्तार से चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता को सरकार द्वारा जनहित में किए गए निर्णयों की जानकारी होनी आवश्यक है। सरकार के सवा तीन साल के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। उन निर्णयों को जनता तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सरकार और संगठन की संयुक्त रूप से है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता से जुड़े कल्याणकारी कार्यक्रमों को समयबद्ध और प्रभावी रणनीति के साथ जनता तक पहुंचाने की जरूरत है। इसमें सभी लोगों का सहयोग लिया जाना चाहिए। यह भी जरूरी है कि संगठन के निचले स्तर से लेकर ऊपर तक पदाधिकारियों और विधायकों व दायित्वधारियों को सरकार की उपलब्धियों और उनके विधानसभा क्षेत्रों में किए गए विकास कार्यों की जानकारी हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रभावी पहल की है। इसमें स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार, प्रवासियों को स्वरोजगार के प्रयास, गरीबों और जरूरतमंदों को मुफ्त राशन, मनरेगा में मजदूरी को बढ़ाने, अटल आयुष्मान का दायरा बढाकर प्रदेश के बाहर के नामी अस्पतालों में भी स्वास्थ्य सुविधा का लाभ दिए जाने, स्वरोजगार के लिए आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराने, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है ऐसे प्रवासियों के लिए भी सस्ते दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने सहित अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।
बैठक में राज्य सरकार द्वारा किए गए विकास और जनहित के कार्यों को वर्चुवल कान्फ्रेंस और वर्चुवल मीटिंग के जरिए जनता तक पहुंचाने का भी निर्णय लिया गया, इसके लिए सांसद, मंत्रियों और पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सांपी गई। प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने भी अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। बैठक में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डा. धन सिंह रावत, मेयर सुनील उनियाल गामा, संगठन महामंत्री अजेय कुमार, महामंत्री राजू भंडारी व कुलदीप कुमार भी उपस्थित थे।

पूरे राज्य में पूर्व की तरह ही खुलेंगी सुबह सात से दोपहर एक बजे तक दुकानें

रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश में कोविड-19 कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाऊन को सख्ती से लागू रखना है। सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाए। पेशेन्ट केयर पर विशेष ध्यान दिया जाए। बैठक में तय किया गया कि राज्य के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही दुकानों को खोलने की अनुमति दी जाए।

पूरे राज्य में दुकानों के खुलने का समय पहले की तरह सुबह 7 बजे से दोपहर 1 बजे तक ही रहेगा। बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, डीजीपी अनिल कुमार रतूङी, प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, सचिव अमित नेगी, नितेश झा, राधिका झा उपस्थित थे।

बिजली चोरी व लाइन लास को कम करने के लिये सीएम ने बताई समेकित प्रयासों की जरूरत

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश में बिजली चोरी तथा लाइन लॉस को रोकने के लिये व्यापक जन-जागरूकता के प्रसार पर बल दिया है। गांधी जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता मिलन हॉल में ऊर्जा की बचत तथा राजस्व वृद्धि के लिये बिजली चोरी रोकने के लिये ऊर्जा गिरी अभियान का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री ने बिजली चोरी रोकने के लिये किये जा रहे प्रयासों में तेजी लाने पर बल दिया। उन्होंने राज्य गठन के बाद राज्य में ए.टी.एण्ड सी. हानियॉ 52.98 प्रतिशत से वर्तमान में 16.52 के स्तर लाये जाने के साथ ही वितरण हानियाँ 29.52 प्रतिशत से 14.32 प्रतिशत के स्तर पर लाये जाने पर संतोष व्यक्त करते हुए इसे 13 प्रतिशत पर लाये जाने के निर्देश दिये।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बिजली चोरी रोकने के लिये प्रतिबद्ध है, ऊर्जा निगमों के समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों का दायित्व है कि बिजली चोरी रोके जाने हेतु समुचित उपाय सुनिश्चित करें जिससे कि ईमानदार उपभोक्ताओं पर उसका भार न पड़े। उन्होंने विद्युत चोरी पर प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिये यू.पी.सी.एल. विजिलेंस सेल को मजबूती प्रदान करने के भी निर्देश दिये।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि ऐसे प्रयासों से ही समाज में जन जागरूकता का प्रचार होता है तथा इसका समाज मे व्यापक प्रभाव भी पड़ता है उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास प्रदेश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने तथा राजस्व वृद्धि में भी सहायक होते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज उत्तराखण्ड को लाइन लॉस व बिजली चोरी रोकने में गुजरात के बाद दूसरा नम्बर है। इस दिशा में हमें समेकित प्रयासों से देश में पहले नम्बर पर आने के प्रयास करने होंगे। मुख्यमंत्री ने स्वच्छता एवं वन टाइम यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने के संबंध में प्रधानमंत्री की अपील को साकार करने में भी योगदान देने की अपील की, उन्होंने कहा कि हमें इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा। स्वच्छता के प्रति जन-जागरूकता से हमने पर्यावरणीय मानकों में सुधार की शुरूआत की है।