सीएम और राज्यपाल ने क्रिकेटर ऋषभ पंत की सहायता करने वालों को किया सम्मानित

गणतंत्र दिवस के अवसर पर परेड ग्राउंड देहरादून में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सड़क हादसे में घायल भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत की सहायता करने वाले हरियाणा रोडवेज के चालक सुशील कुमार और परिचालक परमजीत नैन एवं अन्य दो युवकों नीशू एवं रजत को सम्मानित किया। हरियाणा रोडवेज के चालक सुशील कुमार की पत्नी एवं परिचालक परमजीत के पिताजी ने सम्मान ग्रहण किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के अंतर्गत सूचना विभाग की ओर से हरियाणा रोडवेज के दोनों चालक एवं परिचालक तथा दोनों युवकों निशु और रजत को 1-1 लाख रूपये की सम्मान राशि प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह (ब्रह्म कमल की अनुकृति) प्रदान की गई।

‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 से राष्ट्र निर्माण’’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में सीएम धामी ने किया प्रतिभाग

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरियाणा के गुरुग्राम में एसजीटी विश्वविद्यालय, बुधेरा में ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 से राष्ट्र निर्माण’’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना श्री गुरू गोबिंद सिंह जी महाराज के नाम पर हुई। विश्वविद्यालय ने शिक्षा जगत में किए गए अपने कार्यों द्वारा अपने इस नाम को चरितार्थ किया है। गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज जहां एक ओर महान योद्धा थे वहीं दूसरी ओर वे अद्वितीय लेखक, विचारक और विश्व में आध्यात्मिक चेतना का पुनर्जागरण करने वाले विराट व्यक्तित्व भी थे। शौर्य, समर्पण और बलिदान से परिपूर्ण उनका जीवन न केवल भारतवासियों के लिए प्रेरणापुंज है बल्कि समस्त विश्व के लिए एक पाथेय का कार्य भी करता है। वे शिक्षा के प्रचार-प्रसार को विशेष महत्व दिया करते थे। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के समन्वित विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षा है। शिक्षा से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और दिशा निर्देशन में तैयार की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में मनुष्य से मानवता तक और अतीत से आधुनिकता तक सभी बिंदुओं का समावेश है। नई शिक्षा नीति समय की मांग थी। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृतकाल में नए भारत के निर्माण और सामर्थ्य को सार्थक करने में यह शिक्षा नीति अपनी प्रभावी भूमिका का निर्वहन करने में सफल होगी। नई शिक्षा नीति में मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं के प्रयोग पर विशेष बल दिया गया है। यह कदम जहां एक ओर देश के सर्वांगीण विकास हेतु सहायक सिद्ध होगा वहीं देश को एकता के एक सूत्र में पिरोने का कार्य भी करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कौशल विकास अभियान के तहत ’’युवा भारत-नया भारत’’ से युवाओं को प्रोत्साहन मिला है। युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु इस शिक्षा नीति में जो विशेष प्राविधान किए गए हैं वे “आत्मनिर्भर“ भारत के लिए नींव का पत्थर साबित होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक शिक्षित और संस्कारी समाज के निर्माण में शिक्षकों की विशेष भूमिका रहती है। नई शिक्षा नीति के बेहतर क्रियान्वयन के लिए सभी शिक्षकों को पूरे मनोयोग से कार्य करने होंगे। यह महान कार्य तभी पूर्ण होगा जब नई शिक्षा नीति पूर्ण रूप से पूरे देश में लागू हो जाएगी। शिक्षा नीति को लागू करने के इस अभियान में हमारे शिक्षक पूर्ण उत्साह से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देश का प्रथम राज्य है जिसने स्कूली शिक्षा एवं उच्च शिक्षा दोनों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2022 को लागू किया है।

इस अवसर पर सांसद लल्लू सिंह, एसजीटी विश्वविद्यालय के चांसलर राम बहादुर राय, कुलपति प्रो.ओ.पी.कालरा, मधुप्रीत कौर चावला, मनमोहन सिंह चावला, विश्वविद्यालय के अध्यापक एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

फरीदाबाद से आये कांवड़िये को डूबने से बचाया

त्रिवेणीघाट पर स्नान करते समय फरीदाबाद का एक कांवड़िया डूबने लगा। जल पुलिस के जवानों ने गंगा के तेज बहाव से निकालकर उसकी जान बचाई।
त्रिवेणीघाट चौकी प्रभारी विनोद कुमार ने बताया कि सोमवार को 10 कांवड़ियों का दल गंगा जल लेने के लिए ऋषिकेश पहुंचा। इस दौरान दोपहर बाद यह लोग त्रिवेणीघाट पर स्नान के लिए गंगा में उतर गए। इसी बीच उनमें से एक युवक गहरे पानी में आकर डूबने लगा। इससे घाट पर अफरा-तफरी मच गई। घाट पर मौजूद जल पुलिस और आपदा राहत दल के जवानों ने युवक का 30 मीटर दूर तक पीछा कर पानी से सुरक्षित निकाल लिया। युवक की पहचान गौरव पुत्र नारायण बंसल निवासी मोहल्ला बस्सापाड़ा, ओल्ड फरीदाबाद के रूप में हुई है। टीम में हरीश गुसाईं, विनोद सेमवाल, धर्मवीर नेगी, अनिल चौधरी, नवीन भट्ट आदि शामिल रहे।

खेलों को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा और उत्तराखंड बनेंगे सहयोगी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तथा खेल मंत्री रेखा आर्य के निर्देशानुसार सोमवार को पंचकुला स्थित खेल विभाग, हरियाणा के मुख्यालय में हरियाणा राज्य में संचालित विभिन्न खेल योजनाओं की जानकारी के सम्बन्ध में हरियाणा राज्य के अधिकारियों के साथ उत्तराखण्ड राज्य के खेल विभाग के अधिकारियों द्वारा बैठक आहूत की गयी। बैठक में उत्तराखण्ड राज्य की ओर से विशेष प्रमुख सचिव, उत्तराखण्ड अभिनव कुमार, निदेशक, खेल गिरधारी सिंह रावत, संयुक्त निदेशक खेल डॉ. धर्मेन्द्र प्रकाश भट्ट, एवं हरियाणा राज्य की ओर से निदेशक खेल पंकज नैन, आई०पी०एस० एवं अपर निदेशक खेल विवेक पदम सिंह द्वारा प्रतिभाग किया गया। हरियाणा राज्य में संचालित खेल प्रशिक्षण कार्यक्रमों, प्रशिक्षकों की तैनाती खेल अवस्थापना सुविधाओं का विकास एवं उनका अनुरक्षण, खेल नर्सरियों की स्थापना, खिलाड़ियों के कल्याणार्थ संचालित विभिन्न योजनाओं के साथ-साथ खेलों में उच्च प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को राजकीय सेवा में नियुक्ति दिये जाने सम्बन्धी प्रक्रिया पर हरियाणा राज्य की ओर से प्रस्तुतिकरण दिया गया एवं उस पर विस्तार से चर्चा की गयी।
विशेष प्रमुख सचिव उत्तराखण्ड द्वारा राज्य की नई खेल नीति एवं छात्रवृत्ति योजनाओं के सम्बन्ध में जानकारी दी गयी हरियाणा राज्य की ओर से सुझाव दिया गया कि छात्रवृत्ति के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर खेल नर्सरियां विकसित की जाए जिससे स्थानीय स्तर पर किशोर-किशोरियों को खेल सम्बन्धी प्रशिक्षण प्राप्त हो सके एवं वे उच्च स्तरीय प्रशिक्षण हेतु तैयार हो सकें। बैठक के पश्चात उत्तराखण्ड के अधिकारियों द्वारा ताऊ देवी लाल खेल परिसर, पंचकुला का भी निरीक्षण किया गया एवं अवस्थापना सुविधाओं एवं उनके संचालन के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की गयी।

राहतः इस वर्ष नही होगी कांवड़ यात्रा, कोविड-19 के तहत लिया गया निर्णय

(एनएन सर्विस)
कोविड-19 महामारी के खतरे को देखते हुए इस साल कांवड़ यात्रा का आयोजन नहीं होगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस संदर्भ में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से चर्चा की। वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिये हुई इस चर्चा में तीनों मुख्यमंत्री ने जनहित को देखते हुए इस वर्ष कांवड़ यात्रा स्थगित रखने पर सहमती जताई है। बता दें कि तीनों प्रदेशों के धर्मगुरुओं और कांवड़ संघों ने भी अपनी सरकारों को यात्रा स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था।
आपको बता दें कि हर साल श्रावण में होने वाली कांवड़ यात्रा में लाखों शिवभक्त शामिल होते हैं। सभी हरिद्वार से जल लेकर पैदल यात्रा करते हुए अपने यहां शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। यात्रा के दौरान बड़े पैमाने पर सरकारी अमले को कानून-व्यवस्था, यातायात व अन्य इंतजामों में लगाना पड़ता है। कांवड़ियों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आती है। इसके चलते तीनों राज्यों ने इस बारे में चर्चा करने का फैसला किया था। बैठक के दौरान तीनों राज्यों के अधिकारियों ने कांवड़ियों की भीड़ में सोशल डिस्टेंसिंग को असंभव बताते हुए संक्रमण फैलने की आशंका जताई थी।
वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यात्रा में पंजाब, राजस्थान और दिल्ली से आने वाले श्रद्धालुओं के चलते वहां के मुख्यमंत्रियों से भी जल्द ही वार्ता करने का निर्णय लिया है। इन राज्यों को भी कोविड-19 के चलते यात्रा संचालन में आने वाली दिक्कतें बताई जाएंगी। साथ ही इस बार यात्रा संचालित नहीं करने की स्थितियों की जानकारी भी दी जाएगी।

टिकटॉक को आ गया बाय-बाय करने का समय, स्वदेशी एप मित्रों हो रहा पॉपुलर

भारत में टिकटॉक का बाय-बाय करने का वक्त आ गया है। भारत के युवाओं की जुबां पर अब टिकटॉक नहीं बल्कि स्वदेशी निर्मित एप मित्रों का नाम है। अभी तक इस एप को 50 लाख से ज्यादा युवा गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर चुके है। इसे आईआईटी रूड़की के पूर्व छात्रों ने बनाया है। इसे टिकटॉक का क्लोन भी कहा जा रहा है।

आईआईटी के पूर्व छात्रों का कहना है कि एप लांच करते समय हमें ऐसे ट्रैफिक की उम्मीद नहीं थी। इसे बनाने के पीछे लोगों को सिर्फ भारतीय विकल्प देना था। आईआईटी रुड़की में वर्ष 2011 में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग ब्रांच से पासआउट छात्र शिवांक अग्रवाल ने अपने चार साथियों के साथ मित्रों एप बनाया है।

11 अप्रैल को हुआ था मित्रों एप लांच
पेटीएम के पूर्व सीनियर वाइस प्रेजिडेंट दीपक के ट्वीट के बाद इसकी चर्चा हर किसी की जुबान पर है। अचानक बड़ी संख्या में लोगों के एप डाउनलोड करने से नेटवर्क ट्रैफिक भी प्रभावित होने लगा। टीम मेंबर ने बताया कि वास्तव में 11 अप्रैल को एप लांच करते समय यह नहीं सोचा था कि इसे इतनी सफलता मिलेगी। टिकटॉक को पीछे छोड़ना जैसी कोई बात नहीं है। हमारा उद्देश्य लोगों को सिर्फ एक भारतीय विकल्प देना था। लोग इसका इस्तेमाल करना चाहेंगे या नहीं यह हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन हमें लोगों से जो आशीर्वाद मिला, उससे हम बहुत खुश हैं। उन्होंने बताया कि हमें किसी ने फंड नहीं दिया है, उनका फंड लोगों का प्यार ही है।

मित्रों स्वदेशी नाम, इसलिए देना उचित
टीम मेंबर ने बताया कि मित्रों का अर्थ मित्र ही है। एक तो यह भारतीय उपभोक्ताओं को भारतीय मंच के जरिए सेवा देने के लिए है। हम स्वदेशी नाम देकर भारतीय नामों के खिलाफ पूर्वाग्रहों को भी दूर करना चाहते हैं।

हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रशासन की टीम ने किया परमार्थ निकेतन का निरीक्षण, हुआ चौकाने वाला खुलासा

51 वर्षों से बिना लीज अनुबंध के परमार्थ निकेतन चल रहा है। इसका खुलासा शनिवार को हुई पैमाइश के बाद हुआ है। हाईकोर्ट के आदेश पर जिलाधिकारी पौड़ी धीरज गर्ब्याल ने प्रशासन की एक टीम को पैमाइश करने के लिए परमार्थ निकेतन भेजा। इस दौरान राजस्व, सिंचाई और वन विभाग के अधिकारियों ने परमार्थ निकेतन स्थित गंगा घाट की पैमाइश की। इस दौरान सामने 51 वर्ष पहले ही परमार्थ निकेतन की वन विभाग से हुई लीज डीड की अवधि समाप्ति वाली बात निकलकर आई।

हाईकोर्ट ने पौड़ी डीएम को सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे के मामले में 16 दिसंबर को रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने यह आदेश एक याचिका के बाद दिया है। याचिका में यह आरोप है कि परमार्थ निकेतन ने सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण किया है। पैमाइश के दौरान खुलासा हुआ कि वन विभाग ने परमार्थ निकेतन को 2.3912 एकड़ भूमि लीज पर दी थी। लीज की अवधि वर्ष 1968 में ही समाप्त हो चुकी है। इस तथ्य की पुष्टि राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक पीके पात्रो ने की है। उन्होंने बताया कि परमार्थ निकेतन का वन विभाग के साथ केवल 15 वर्षों का अनुबंध हुआ था, लेकिन लीज अनुबंध खत्म होने के बाद अफसरों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। पैमाइश करने वाली टीम में एसडीएम श्याम सिंह राणा, सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता सुबोध मैठाणी, रेंज अधिकारी धीर सिंह, पटवारी कपिल बमराड़ा शामिल थे।

परमार्थ निकेतन का भूमि संबंधी विवाद वीरपुर खुर्द में भी जोर पकड़ रहा है। दरअसल यहां परमार्थ की ओर से संचालित गुरुकुल भी वन विभाग की भूमि पर संचालित है। आरोप है कि निकेतन ने यहां 27 एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है। इस संदर्भ में पशुपालन विभाग ने भी कोर्ट में काउंटर दाखिल कर स्पष्ट किया है कि उक्त भूमि वन विभाग की है। इस मामले में डीएफओ देहरादून राजीव धीमान का कहना है कि परमार्थ निकेतन की ओर से वीरपुर खुर्द में संचालित गुरुकुल का लीज अनुबंध 1978 में समाप्त हो चुका है। फिलहाल यहां हुए अवैध कब्जे को खाली करवाने के मामले में अफसर अभी चुप्पी साधे हुए हैं। परमार्थ निकेतन के प्रभाव को देखते हुए अफसरों में भी कार्रवाई को लेकर संशय बना हुआ है।

उधर, टाईगर रिजर्व के निदेशक पीके पात्रों ने अनुसार केवल 15 वर्षों के लिए परमार्थ को लीज पर भूमि दी गई थी। वर्ष 1968 में परमार्थ निकेतन के साथ वन विभाग का लीज अनुबंध समाप्त हो गया था। वर्ष 2003 तक परमार्थ निकेतन टाईगर रिजर्व को कर शुल्क जमा करता रहा। लीज के नवीनीकरण के लिए आश्रम की ओर से कई बार कहा गया। वर्ष 1980 में वन अधिनियम के तहत लीज पर देने का प्रावधान खत्म कर दिया गया है। इस कारण लीज के नवीनीकरण का मामला रुक गया।

हरियाणा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में सीएम त्रिवेन्द्र ने किया प्रतिभाग

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कुरूक्षेत्र, हरियाणा में आयोजित चौथे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में अंतरराष्ट्रीय गीता सेमिनार में सम्बोधित करते हुए कहा कि गीता विश्व को निष्काम कर्म का संदेश देती है। जीवन का लक्ष्य भौतिक संसाधनों की प्राप्ति नहीं बल्कि सुख प्राप्ति है। यही कारण है कि अब इनकम इंडेक्स के साथ ही हैप्पीनेस इन्डेक्स की बात की जाने लगी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि गंगा के साथ ही गीता और उपनिषद जैसे ग्रन्थों से हमारी पहचान है। इनमें सच्चे सुख का सार मौजूद है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के गांव-गांव में पांडवों की स्मृतियां विद्यमान हैं। यहां शुभ अवसरों पर पांडवों से जुड़े चक्रव्यूह आदि का मंचन होता है। पांडव नृत्य अकल्पनीय होते हैं। उत्तराखण्ड में लाखा मण्डल पांडवों से जुड़ा स्थान है।

इससे पूर्व, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ उत्तराखंड पैवेलियन और प्रथम गुरु नानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन हरियाणा सरकार द्वारा किया जा रहा है। उत्तराखण्ड इसमें पार्टनर स्टेट के रूप में प्रतिभाग कर रहा है।

इस अवसर पर शिक्षामंत्री हरियाणा कंवरपाल गुर्जर, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज, हिमाचल प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल, जिम्बाब्वे के हाई कमिश्नर, नेपाल के डिप्टी हाई कमिश्नर आदि उपस्थित थे।

हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी सरकार ने संभाली सत्ता की चाबी

रविवार को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए जेपी नड्डा सुबह चंडीगढ़ पहुंचे। शपथ ग्रहण समारोह में दुष्यंत चौटाला के पिता डॉ. अजय चौटाला भी पहुंचे। दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला, छोटे भाई दिग्विजय चौटाला, अनूप धानक, दविंदर बबली, रणजीत चौटाला, संदीप सिंह, अमरजीत जुलाना आदि भी पहुंचे।

दूसरे कार्यकाल के रूप में ली मनोहरलाल ने शपथ
बता दें हरियाणा में मुख्यमंत्री के अलावा 13 मंत्री बनाए जा सकते हैैं। आठ मंत्री पद भाजपा व डिप्टी सीएम समेत पांच मंत्री पद जजपा के खाते में जा सकते हैैं। जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल से शपथ ग्रहण से पहले उनके आवास पर चर्चा की। राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य दोपहर बाद सवा दो बजे मुख्यमंत्री मनोहरलाल और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को शपथ दिलाई। इस तरह मनोहरलाल ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल शुरुआत की।

मनोहर लाल ने राज्यपाल के समक्ष 57 विधायकों का समर्थन होने का दावा करते हुए सरकार बनाने का निमंत्रण देने की पेशकश की। भाजपा की ओर से मनोहर लाल, जजपा की ओर से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सरदार निशान सिंह और निर्दलीय विधायकों की ओर से उनके लिखित समर्थन पत्र को भाजपा प्रभारी डा. अनिल जैन ने राज्यपाल को सौंपा।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने अपने मौजूदा कार्यकाल को खत्म मानते हुए इस्तीफा राज्यपाल को सौंपा। राज्यपाल ने इस्तीफा स्वीकार करते हुए शपथ ग्रहण तक कार्यकारी प्रभार संभालने का अनुरोध किया। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सरकार बनाने का न्यौता दिया। 57 साल बाद लगातार दूसरी बार गैर कांग्रेसी दल की सरकार भाजपा व जजपा बनाने जा रहे हैं।

इस तरह हरियाणा सरकार को मिला समर्थन
कुल विधायकों की संख्या-90
भाजपा के विधायकों की संख्या-40
जजपा के विधायकों की संख्या -10
निर्दलीय विधायकों की संख्या-7
कुल योग-57

हरियाणा पर टिकी सबकी नजर, महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार

लोकसभा चुनाव में जबर्दस्त जीत के बाद अब हरियाणा और महाराष्ट्र में जनता ने फिर भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मुहर लगा दी है। गुरुवार को आए विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए अनुमानों से कमतर रहे, लेकिन पार्टी दोनों राज्यों में सरकार बनाने जा रही है। हरियाणा में 90 में से 40 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी भाजपा को छह निर्दलीयों का समर्थन मिला है। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना गठबंधन को 288 में से 161 सीटों पर जीत के साथ स्पष्ट बहुमत मिला है। भाजपा नेतृत्व ने भी दोनों राज्यों में अपने मुख्यमंत्रियों पर भरोसा जताया है। जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर और महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़नवीस को फिर कमान सौंपने की पुष्टि की है। मनोहर लाल शुक्रवार को राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।
हरियाणा में नतीजे काफी चैंकाने वाले रहे। यहां सबसे ज्यादा चैंकाया सालभर पहले अस्तित्व में आई जननायक जनता पार्टी (जजपा) ने। सालभर पहले ही पारिवारिक विवाद के बाद इनेलो से अलग होकर दुष्यंत चैटाला ने पार्टी गठित की थी। जजपा ने पहली ही बार में 10 सीटों पर जीत हासिल कर ली। नतीजों के बाद जजपा को किंगमेकर की भूमिका में देखा जा रहा था। हालांकि भाजपा को सात में से छह निर्दलीयों का समर्थन मिलने के बाद जजपा का चमत्कारिक प्रदर्शन भी उसे कुछ खास फायदा दिलाता नहीं दिख रहा है।
हरियाणा के नतीजे कांग्रेस के लिए भी अच्छे रहे। कांग्रेस 15 से 31 सीट पर पहुंच गई। चुनाव के ठीक पहले पार्टी में उभरी कलह और उठापटक के बावजूद ये नतीजे कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने वाले हैं। सीटों के लिहाज से नतीजे भाजपा के लिए थोड़ा निराशाजनक रहे। पिछले साल 47 सीटें जीतने वाली भाजपा 40 सीटों पर आ गई। हरियाणा के नतीजों में भाजपा के लिए सोचने वाली बात यह है कि सात निर्दलीयों में से छह भाजपा से जुड़े रहे हैं। भाजपा के लिए बड़ा झटका यह भी है कि राज्य सरकार में कैबिनेट का हिस्सा रहे आठ मंत्री चुनाव हार गए हैं।
महाराष्ट्र के नतीजे बहुत ज्यादा उलटफेर वाले तो नहीं कहे जा सकते हैं, लेकिन उम्मीदों से दूर जरूर हैं। विश्लेषकों का मानना है कि देश में फैला आर्थिक सुस्ती का साया महाराष्ट्र में भाजपा के नतीजों पर दिखा है। 2014 में अकेले लड़कर 288 में 122 सीटें जीतने वाली भाजपा के खाते में इस बार नतीजों और रुझानों के आधार पर 105 सीटें आती दिख रही हैं। शिवसेना भी 63 से 56 पर आ गई है। सबसे ज्यादा फायदे में शरद पवार की राकांपा रही है। राकांपा का आंकड़ा इस बार 41 से 54 पर पहुंच गया है। सोनिया गांधी के हाथ में दोबारा कमान आने के बाद कांग्रेस भी बढ़त में दिखी। पार्टी को 2014 के 42 के मुकाबले 44 सीट मिली है।
नतीजों से सरकार गठन के गणित पर ज्यादा असर पड़ने की उम्मीद नहीं है। हालांकि उपमुख्यमंत्री शिवसेना को मिलेगा या नहीं, इस मुद्दे पर न तो देवेंद्र फड़नवीस ने मुंह खोला है, न ही उद्धव ठाकरे ने। फिलहाल उद्धव ठाकरे यह कहकर ताना मारने से नहीं चूके कि जिनके नेत्र बंद थे, उन्हें खोलकर जनता ने अंजन लगा दिया है। उम्मीद है कि अब पीछे की गई गलतियां दोहराई नहीं जाएंगी।