मिली कायमाबी, भारी विमानों की आवाजाही को मिली हरी झंडी

पंतनगर सहित नैनी सैनी एयरपोर्ट के डायरेक्टर एसके सिंह ने बताया कि वर्तमान में नैनी सैनी हवाई पट्टी कंट्रोल्ड (लाइसेंस्ड) एयरपोर्ट में परिवर्तित हो चुकी है। अभी यहां एटीआर-228 टाइप के विमान ही उतर व उड़ान भर सकते थे। यहां मौजूदा 1382 मीटर के रन-वे पर हाई प्रीसिंजिंग लाइट्स, वीएचएस इक्वीपमेंट व पॉपिंग लगाने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। जिससे यह एटीआर-42 टाइप के विमानों की आवाजाही के उपयुक्त हो गया है। एक सप्ताह पूर्व एक टीम द्वारा सर्वे करने के उपरांत गुरूवार को मान्ट्रियल (कनाडा) से पंतनगर, फिर पिथौरागढ़ पहुंची अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन की 6 सदस्यीय टीम ने जॉन एमाइन के नेतृत्व में एयरोनॉटिकल सर्वे (नैनी सैनी के 20 नॉटिकल मील दायरे में मौजूद पहाड़ियों, आवासों, एयर कंडीशन आदि) किया। टीम की सकारात्मक रिपोर्ट पर शनिवार को पंतनगर पहुंची एएआई के विशेषज्ञों की टीम (इक्वीपमेंट सहित) ने डायरेक्टर से विचार विमर्श कर पिथौरागढ़ के लिए रवाना हुई। यह टीम वहां फाइनल सर्वे (वैमानिक अध्ययन) कर अपनी रिपोर्ट एएआई को सौंपेगी। जिसके सकारात्मक होने पर यहां से भारी विमानों की आवाजाही का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।
नैनी सैनी एयरपोर्ट से भारी विमानों की आवाजाही शुरू होने से जहां सीमांत के लोगों को देश के अन्य हिस्सों से कनेक्ट होने का लाभ मिलेगा, वहीं सीमांत में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और लोग सीमांत के नैसर्गिक सौंदर्य से रूबरू हो सकेंगे। 13 सितंबर को देहरादून-पिथौरागढ़ के बीच हवाई सेवा शुरू होने के बाद कल (16 सितंबर) से पिथौरागढ़-पंतनगर के बीच भी हवाई सेवा बहाल होने की संभावना है। फ्लाइट शेड्यूल हमें प्राप्त हो चुका है, लेकिन इस संबंध में हवाई सेवा प्रदाता कंपनी एयर हेरिटेज एविएशन द्वारा फ्लाइट शुरू करने का अधिकृत पत्र प्राप्त होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। एसके सिंह, डायरेक्टर-नैनी सैनी एयरपोर्ट ने बताया कि नैनी सैनी एयरपोर्ट में मौजूद 1382 मीटर के रन-वे को अपग्रेड कर दिया गया है। जिससे यह एटीआर-42 टाइप के विमानों की आवाजाही के उपयुक्त है। विमान के टेक ऑफ करते ही वह किस एंगल में बढ़ेगा इसका सर्वे किया जा रहा है, जल्द ही यहां से बड़े विमानों की आवाजाही शुरू होगी।

पदोन्नति में आरक्षण पर कर्मचारी संगठन मुखर

जिला पंचायत सभागार में फेडरेशन की अन्य कर्मचारी संघों की प्रांतीय कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के साथ बैठक हुई। बैठक में रोस्टर के पुर्ननिर्धारण में एक पक्ष का समर्थन करने पर परिवहन मंत्री यशपाल आर्य की कड़ी निंदा की गई। वक्ताओं ने कहा कि रोस्टर पुर्ननिर्धारण की समस्त कार्रवाई परिवहन मंत्री आर्य की देखरेख में हुई। अब आर्य का जीओ का विरोध करना गलत है। गुस्साए कर्मियों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि 17 सितंबर को सभी जिलों में आर्य का पुतला फूंका जाएगा। वहीं रोस्टर के पुर्ननिर्धारण के जीओ में छेड़छाड़ हुई तो बिना पूर्व नोटिस के ही कर्मी हड़ताल पर चले जाएंगे। फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी और महामंत्री वीरेंद्र गुसाईं ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण किसी भी दशा में स्वीकार नहीं है।
पूर्ववर्ती राज्य उप्र की भांति लोकसेवा आयोग की परिधि में आने वाले और आयोग की परिधि के बाहर के पदों की सेवा नियमावली में नियम 5 (क) को तत्काल निरस्त किया जाए। पदोन्नति में रोक लगाकर सभी विभागों में डीपीसी शुरू कराई जाए। वहीं, दूसरे सत्र में फेडरेशन ने जिला कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के साथ वार्ता की। इसके बाद तय हुआ कि 16 सितंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह से मुलाकात की जाएगी। बैठक में पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार और महामंत्री पंचम सिंह बिष्ट, उत्तराखंड मिनिस्ट्रीयल फेडरेशन के महामंत्री पूर्णानंद नौटियाल, कर्मचारी महासंघ अध्यक्ष सूर्य शंकर राणाकोटी, राजकीय वाहन चालक संघ के महामंत्री संदीप मौर्या, मिनिस्ट्रीयल बाल विकास विभाग के मोतीराम खंडूरी, उद्यान तकनीकी कर्मचारी संघ के महामंत्री दीपक पुरोहित, सुपरवाइजर यूनियन बाल विकास की प्रांतीय अध्यक्ष अंजू बडोला एवं महामंत्री रेनू लांबा, डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के अनिल सिंह, वैयक्तिक कर्मचारी संगठन अध्यक्ष मंजू पुंडीर, अखिल भारतीय समानता मंच के डिप्टी सेकेट्री अजीत कुमार, राष्ट्रीय महासचिव विनोद प्रकाश नौटियाल, केंद्रीय सचिव एलपी रतूड़ी, प्रांतीय अध्यक्ष एसएल शर्मा, जेपी कुकरेती, कल्पना बिष्ट, सुभाष देवलियाल आदि मौजूद थे।

13 जिलों से पहुंचे प्रतिनिधि
टिहरी के जिलाध्यक्ष डीपी चमोली, देहरादून जिला संयोजक मुकेश बहुगुणा, नैनीताल जिलाध्यक्ष मनोज तिवारी, कुमाऊं संयोजक पीसी तिवारी, उत्तरकाशी जिलाध्यक्ष नत्थी सिंह रावत, अल्मोड़ा जिलाध्यक्ष धीरेंद्र पाठक, रुद्रप्रयाग जिलाध्यक्ष विक्रम सिंह ङिांक्वाण, ऊधमसिंह नगर संयोजक मोहन सिंह राठौर, चमोली संयोजक महेश सिंह, सचिवालय के जीतराम पैन्यूली, मंडलीय अध्यक्ष राजेंद्र सिंह चैहान, सीएल असवाल, वीके धस्माना आदि मौजूद थे।

संजय की जगह लेंगे नए संगठन मंत्री अजय कुमार

’’मी टू’’ प्रकरण के चलते पद से हटाये गये भाजपा के उत्तराखंड प्रदेश महामंत्री (संगठन) संजय कुमार की जगह शनिवार को अजय कुमार को नियुक्त कर किया गया है। यह पद पिछले साल नवंबर से रिक्त था। अजय कुमार फिलहाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश (मेरठ मंडल) के भाजपा के महामंत्री (संगठन) पद पर कार्यरत थे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह जानकारी सोशल मीडिया के जरिये साझा करते हुए अजय कुमार को प्रदेश महामंत्री (संगठन) नियुक्त किये जाने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनायें दीं। पिछले वर्ष नवंबर में संजय कुमार को एक महिला भाजपा कार्यकर्ता द्वारा लगाये गये कथित यौन उत्पीड़न के आरोपों के चलते पद से हाथ धोना पड़ा था। यह कार्यकर्ता राज्य भाजपा मुख्यालय में काम करती थी और वहीं उसके साथ कथित रूप से यौन उत्पीड़न किया गया। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद राज्य पुलिस ने संजय कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी और उनका वह मोबाइल फोन भी जब्त किया था जिसमें उन्होंने कथित तौर पर उसका वीडियो बनाया था। हांलांकि, बाद में मामला जांच से आगे नहीं बढ़ा।

आकर्षण केन्द्र बन रहा डोबरा-चांटी पुल का डिजाईन

टिहरी झील में बन रहे देश के सबसे लंबे सस्पेंशन डोबरा-चांटी पुल के दोनों सिरे जुड़ चुके हैं और अब आसानी से डोबरा और चांटी के बीच जाया जा सकता है। इसी आकर्षण की वजह से डोबरा पुल पर इन दिनों स्थानीय और बाहर से आने वाले लोगों का जमावडा लगा है। ऐसे में लोनिवि को भी काम के दौरान परेशानी हो रही है। शनिवार को डीएम डॉ. वी षणमुगम ने पुल का दौरा किया और सुरक्षा प्रबंध के निर्देश दिए। डीएम ने चीफ प्रोजेक्टर मैनेजर एसके राय को निर्देश दिये कि जनपद के विभिन्न विभागों में तैनात इंजीनियरों की क्षमता विकसित करने के लिए उन्हें डोबरा-चांटी पुल का स्थलीय निरीक्षण करवाते हुए पुल निर्माण में आयी तकनीकि दिक्कतों एवं तकनीकि कमियों को दूर करने के लिए हुए प्रयासों से अवगत कराया जाए। साथ ही आइआइटी रूड़की व अन्य इंजीनियरिग कॉलेज के छात्र-छात्राओं व प्रोफेसरों को भी क्षमता विकसित करने के मकसद से डोबरा-चांठी पुल निर्माण की तकनीकि का अवलोकन कराया जाय। निर्माणाधीन डोबरा-चांटी पुल की कुल लंबाई 725 मीटर है। जिसमें 440 मीटर सस्पेंशन ब्रिज हैं तथा 260 मीटर आरसीसी डोबरा साइड एवं 25 मीटर स्टील गार्डर चांटी साइड है। पुल की कुल चैड़ाई सात मीटर है, जिसमें मोटर मार्ग की चैड़ाई 5.50 (साढ़े पांच) मीटर है, जबकि फुटपाथ की चैड़ाई 0.75 मीटर है। फुटपाथ पुल के दोनों ओर बनाया जा रहा है।

नाराजगी जताकर अपना बचाव तो नही कर रहे यशपाल आर्य!

उत्तराखंड में समाज कल्याण और परिवहन विभाग के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के इस्तीफे के पेशकश की खबर चर्चा के केंद्र में है। निश्चित तौर पर यह खबर जिस तरह से सामने आई है वह साफ करती है कि यशपाल आर्य की जानकारी और मर्जी के बिना यह जनकरी बाहर आने की संभावना ना के बराबर है। क्योंकि मामला मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और यशपाल आर्य के बीच का ही था। क्या इसके पीछे वही कारण है जो प्रचारित किया गया है या कुछ और। यह विचारणीय प्रश्न है।
कारण सरकारी सेवाओं में पदोन्नति में रोक लगाने और नया रोस्टर जारी किया गया है। यह फैसला उस कैबिनेट सब कमेटी की सिफारिशों पर किया गया जिसके अध्यक्ष खुद यशपाल आर्य थे और दो अन्य कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल व अरविंद पाण्डेय उसके सदस्य।
फिलहाल यशपाल आर्य ने अपनी चाल चल दी है। जरा अतीत में जाएं तो ये वही यशपाल आर्य हैं जिनको कांग्रेस से विधान सभा चुनाव के पहले अमित शाह बीजेपी में लेकर आए थे। फिर जब एनएच 74 घोटाले की जांच ने जोर पकड़ा तो उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया क्योंकि यह उस क्षेत्र का मामला है जहां यशपाल आर्य की राजनीति का गढ़ है। तो क्या यशपाल आर्य ने ये आरक्षित वर्ग को न्यायोचित हक का अस्त्र इसलिए इस्तेमाल किया क्योंकि उनको दिल्ली में पार्टी और सरकार से वह भाव मिलना बंद हो चुका था जो उत्तराखंड विधान सभा चुनाव के दौरान मिला था। जैसे जैसे उनके तमाम किस्से विरोधी दिल्ली पहुंचाते रहे उनकी पकड़ और साख बीजेपी हाई कमान की नजर में कम होती रही।
12 सितंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चावल घोटाले का जिक्र कर दिया और बोले कि कुछ लोग अपनी जेब में चावल के कागज लेकर उत्तराखण्ड पहुंचते थे और असली चावल कहीं और चला जाता था। यह भी सीएम का कांग्रेस से बीजेपी में विधान सभा चुनाव के दौरान ही आए दूसरे कबिना मंत्री पर राजनीतिक प्रहार माना गया। कहीं ऐसा तो नहीं कि मुख्यमंत्री अपना दूसरा तीर कमान से छोड़ें उसके पहले ही यशपाल आर्य ने वह दांव लगा दिया जो वोट बैंक को पर असर डालता है इसलिए मुख्यमंत्री सकते में हैं और डैमेज कंट्रोल में जुट गए बताए जा रहे हैं।
अब सरकार एनएच 74 घोटाले पर आगे बढ़ने का साहस नहीं जुटा पाएगी। उधर, उधम सिंह नगर में हुए चावल घोटाले के समय 2012 से 2017 के काल में प्रीतम सिंह खाद्य आपूर्ति मंत्री थे, उनका वर्तमान मुख्यमंत्री के मुंह लगे वरिष्ठ नौकरशाह से 36 का आंकड़ा जग जाहिर है। माना जाता है कि उनके ही उपलब्ध कराए दस्तावेजों के आधार पर अगस्त 17 में त्रिवेंद्र रावत ने जांच शुरू कराई थी। उधर कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई के चलते हरीश रावत भी जांच के लिए मुख्यमंत्री के मददगार अंदरखाने बन रहे थे। अचानक प्रीतम सिंह ने जांच में दो और मुद्दों को शामिल करने की मांग कर डाली। बस मामला कृषि विभाग तक जा पहुंचा और धान पर आ गया। एक वर्तमान काबिना मंत्री तक जांच पहुंचती तो इसे भी एनएच 74 की तर्ज पर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इसके पहले प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में हरिद्वार में हुवे घोटाले को भी ये सरकार ठंडे बस्ते में डाल चुकी है। यशपाल आर्य के इस्तीफे की खबर ने इन सभी मुद्दों को गरमा दिया है।
खास तौर पर 2014 से 2019 के दौर में हुवे प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना में हुवे घोटाले की जांच को दबाने की जानकारी प्रधानमंत्री तक पहुंचाई जा रही है। इससे लगता है कि आने वाले दिनों में उत्तराखंड की राजनीति में गर्मी बनी रहेगी। इसका असर इन दिनों नजर भी आने लगा है सरकार की उपलब्धियों के इश्तेहारों से अखबारों और चैनलों को उपकृत किया जा रहा है। इस दौर में माध्यमों के लिए यह सकून का संदेश है। तो क्या कांग्रेस से बीजेपी में आया धड़ा सी एम के खिलाफ लाम बंदी कर मंदी के दौर में मोदी सरकार के लिए नया सिरदर्द पैदा करने की कोशिश कर रहा है।
(यह पोस्ट फेसबुक से ली गई है। लेखक निशीथ जोशी पंजाब केसरी उत्तराखंड के संपादक है।)

तीन चरणों में होंगे पंचायत चुनाव, 21 अक्टूबर को आयेंगे परिणाम

हरिद्वार को छोड़ राज्य के शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत (ग्राम, क्षेत्र और जिला) चुनाव के लिए सरकार से अनुमोदन मिलने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने देर शाम चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी। इसके साथ ही नगरीय क्षेत्रों और हरिद्वार जिले को छोड़कर राज्यभर में पंचायत चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। 89 विकासखंडों में त्रिस्तरीय पंचायतों में 66640 पदों के चुनाव तीन चरणों छह अक्टूबर, 11 अक्टूबर और 16 अक्टूबर को मतदान होगा। चुनाव की प्रक्रिया 20 सितंबर को नामांकन पत्र दाखिल करने के साथ होगी।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से कसरत चल रही थी। इस बीच पंचायतों में आरक्षण का निर्धारण होने के बाद सरकार की ओर से इस संबंध एक सितंबर को आयोग को सूचना दे दी गई थी। इसके बाद आयोग ने भी चुनाव का प्रस्तावित कार्यक्रम सरकार को भेजा। सरकार की ओर से अनुमोदन होने में हो रहे विलंब के चलते संशय भी बना हुआ था। शुक्रवार को गंगोत्री में आर्ट गैलरी के उद्घाटन और करीब दो दर्जन योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण करने के बाद देहरादून लौटे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से अनुमोदन मिलने के बाद शाम को शासन ने चुनाव के कार्यक्रम को हरी झंडी दे दी। देर शाम राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की अधिसूचना भी जारी कर दी।
राज्य निर्वाचन आयुक्त चंद्रशेखर भट्ट की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार 89 विकासखंडों में ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए मतदान तीन चरणों छह अक्टूबर, 11 अक्टूबर और 16 अक्टूबर को होगा। अधिसूचना के मुताबिक पंचायत चुनाव की प्रक्रिया 20 सितंबर से नामांकन दाखिल करने के साथ होगी। 20, 21, 23 व 24 सितंबर को सुबह आठ से शाम चार बजे तक नामांकन पत्र दाखिल किए जाएंगे। 25 सितंबर से 27 सितंबर तक नामांकन पत्रों की जांच होगी। 28 सितंबर को सुबह आठ से दोपहर बाद तीन बजे तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। तीनों चरण के लिए यह प्रक्रिया इन्हीं दिनों में चलेगी। अलबत्ता, चुनाव चिह्न आवंटन अलग-अलग तिथियों में होगा। छह अक्टूबर को होने वाले प्रथम चरण के चुनाव के लिए 29 सितंबर को चुनाव चिह्न आवंटित किए जाएंगे। 11 अक्टूबर के द्वितीय चरण के चुनाव को चार अक्टूबर और अंतिम चरण में 16 अक्टूबर को होने वाले चुनाव के लिए नौ अक्टूबर को चुनाव चिह्न आवंटित किए जाएंगे। मतगणना 21 अक्टूबर को सुबह आठ बजे से होगी और इसी दिन शाम से परिणाम भी आने लगेंगे।
आयोग की अधिसूचना के बाद संबंधित जिलों में जिलाधिकारी व जिला निर्वाचन अधिकारी 16 सितंबर को अधिसूचना जारी करेंगे। ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य व क्षेत्र पंचायत सदस्य पदों के लिए नामांकन दाखिल करने से लेकर मतगणना तक की सभी प्रक्रिया विकासखंड मुख्यालयों में होगी। अलबत्ता, जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए नामांकन पत्र दाखिला, जांच, नाम वापसी, चुनाव चिह्न आवंटन संबंधी कार्य जिला पंचायत मुख्यालयों पर होंगे। मतगणना संबंधित विकासखंड मुख्यालय पर होगी और जिला पंचायत सदस्य पदों के निर्वाचन के परिणाम जिला मुख्यालय से घोषित किए जाएंगे।
प्रथम चरण (छह अक्टूबर)-द्वितीय चरण -तृतीय चरण (16 अक्टूबर)
अल्मोड़ा-ताकुला, हवालबाग, लमगड़ा, धौलादेवी- चैखुटिया, द्वाराहाट, ताड़ीखेत, भैंसियाछीना- सल्ट, स्यालदे, भिकियासैंण
ऊधमसिंहनगर-रुद्रपुर, गदरपुर -बाजपुर, काशीपुर, जसपुर -खटीमा, सितारगंज
चंपावत- चंपावत -लोहाघाट, बाराकोट -पाटी
पिथौरागढ़-विण (पिथौरागढ़), मूनाकोट, कनालीछीना-बेरीनाग, गंगोलीहाट – धारचूला, मुनस्यारी, डीडीहाट
नैनीताल- हल्द्वानी, रामनगर, भीमताल – कोटाबाग, धारी, रामगढ़ -बेतालघाट, ओखलकांडा
बागेश्वर-बागेश्वर-गरुड़-कपकोट
उत्तरकाशी-भटवाड़ी, डुंडा-चिन्यालीसौड़, नौगांव -मोरी, पुरोला
चमोली- जोशीमठ, दशोली, घाट- कर्णप्रयाग, पोखरी, गैरसैंण -देवाल, थराली, नारायणबगड़
टिहरी-चंबा, जाखणीधार, भिलंगना-थौलधार, जौनपुर, प्रतापनगर -कीर्तिनगर, देवप्रयाग, नरेंद्रनगर
देहरादून- डोईवाला, रायपुर -सहसपुर, कालसी -विकासनगर, चकराता
पौड़ी- पौड़ी, पाबौ, खिर्सू, कोट, कल्जीखाल -यमकेश्वर, द्वारीखाल, जयहरीखाल, एकेश्वर, दुगड्डा – रिखणीखाल, पोखड़ा, थलीसैंण, नैनीडांडा, बीरोंखाल
रुद्रप्रयाग- ऊखीमठ-जखोली-अगस्त्यमुनि

गंगोत्री और हिमालय घाटी का फोटो संग्रहालय विश्व को किया समर्पित

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने गंगोत्री धाम में पूजा अर्चना की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने गंगोत्री धाम में मां गंगा से प्रदेश की खुशहाली व समृद्धि की कामना की।
इसके बाद मुख्यमत्री और केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने तपोवनम् कुटी, गंगोत्री में संयुक्त रूप से स्वामी सुंदरानंद के नवनिर्मित तपोवन हिरण्यगर्भ कलादीर्घा एवं तपोवनम् हिरण्यगर्भ मंदिर और ध्यान केन्द्र का उद्घाटन किया। हिरण्यगर्भ कलादीर्घा में स्वामी सुंदरानंद ने 1948 से अब तक गंगोत्री, हिमालय और उपला टकनौर की संस्कृति और परंपरा को तस्वीरों में कैद किया है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर 81 करोड़ 19 लाख 68 हजार रूपये की विभिन्न विकास योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण भी किया।

शिलान्यास की गई योजनाओं में कुवां कफनोल राड़ी मोटर मार्ग लागत 168.92, राजगढ़ी से मस्सू मोटर मार्ग लागत 106.03, राष्ट्रीय राजमार्ग से डंडालगांव तक मोटर मार्ग निर्माण लागत 50.00, स्याना चट्टी से कुंसाला मोटर मार्ग में सतह सुधार तथा क्षतिग्रस्त दिवारों व स्कवरों का पुनः निर्माण लागत 85.96, भाटिया प्रथम में पार्किग स्थल का निर्माण लागत 32.76, नाकुरी सिंगोट मोटर मार्ग के किमी 5,6,7 मंे चैड़ीकरण व डामरीकरण कार्य लागत 280.62, हरेथी से जिनेथ होते हुए पटारा स्यालना तक मोटर मार्ग का नव निर्माण लागत 210.60, ब्रहमखाल से मंडियासारी-मसौन मोटरमार्ग का निर्माण लागत 322.85, ज्ञानसू साल्ड मोटर मार्ग से उपला बस्ती ज्ञानसू तक मोटर मार्ग का निर्माण लागत 273.60, डुण्डा देवीदार से खटटूखाल तक मोटर मार्ग निर्माण 254.03, धनारी से पीपली थाती बैंड से धारकोट मुसड़गांव तक मोटर मार्ग का पुनः निर्माण कार्य व डामरीकरण व 24 मीटर स्पान का स्टील गार्डर सेतु सहित कार्य लागत 354.29, कमद अयारखाल मोटर मार्ग के किमी 1 से 5 तक डामरीकरण का कार्य लागत 411.57, द्वारी रेथल मोटर मार्ग का डामरीकरण का कार्य लागत 209.54, भटवाड़ी में मीनी स्टेडियम रेथल पंहुच मार्ग का डामरीकरण व विस्तार कार्य 330.26 इन्दरा टिपरी के कण्डारा खोल से दिवारी खोल तक मोटर मार्ग नव निर्माण कार्य 118.33, बादसी गोपाल गोलोकघाम मोटर मार्ग से खाण्ड तक मोटर मार्ग का नव निर्माण कार्य लागत 131.11, आराकोट कलीच थुनारा डामटी मोटर मार्ग का निर्माण 221.80, टिकोची पुल से झाकूली दूचाणू कण्डासी धार मोटर मार्ग का निर्माण लागत 440.00, कलीच थुनारा डामटी अवशेष मोटर मार्ग का विस्तार 175.00 स्यानाचट्टी से निसणी मोटर मार्ग लागत 380.16, पुजार गांव से पाली मोटर मार्ग लागत 278.51, स्यालना डांग सरतली मोटर मार्ग स्टेज 2 लागत 158.11, राजकीय आयुर्वेेदिक चिकित्सालय चमियारी भवन निर्माण का कार्य लागत 88.67, नौगांव पुरोला मोटर मार्ग के किमी 2 से थली लागत 623.3 कुल 57 करोड़ 5 लाख 75 हजार शामिल है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी जी का संकलन आने वाली पीढ़ी के लिए विश्व धरोहर हैं। स्वामी जी की 72 वर्ष की तपस्या का संग्रह आज विश्व को समर्पित हो गया है। स्वामी जी की तस्वीरें हिमालय को करीब से देखने के लिए पूर्ण सहयोग करेंगी। साथ ही हमारे वैज्ञानिकों और हिमालयन शोधकर्ताओं के लिए यह एक संजीवनी का कार्य करेगा। उन्होंन कहा कि स्वामी सुंदरानंद ने गंगोत्री धाम में एक विश्व धरोहर दी है, जिसका सरक्षंण किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने स्वामी सुंदरानंद के स्वास्थ्य का हालचाल भी जाना।
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि हमें गंगा की निर्मलता और इसके प्रवाह को सरंक्षित करना है। जिसके लिए गंगा किनारे रहने वाले 45 करोड़ लोगों को भी अपना कर्तव्य समझना चाहिए। सभी देशवासी मिलकर गंगा की निर्मलता और स्वच्छता को बनाये रखेंगे, तब जाकर गंगा की सेवा पूर्ण होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति को अक्षुण बनाएं रखने में साधु समाज का अहम योगदान रहा है। हिमालय की विशालता गंगा की पवित्रता विश्व में अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि विश्व के अनेक लोग हिमालय व गंगा पर शोध करने आते हैं, इस कला दिर्घा के चित्रों यदि ठीक से देखा व समझा जाए तो निश्चित ही हिमालय के दर्शन एक ही स्थान पर हो सकते है।
इस अवसर पर स्वामी सुंदरानंद ऑटोग्राफी पुस्तक का भी विमोचन किया गया। इस अवसर पर विधायक गोपाल सिंह रावत, स्वामी सुन्दरानन्द महाराज, स्वामी राघवाचार्य महाराज, जिलाधिकारी डॉ. आशीष चैहान, पुलिस अधीक्षक पंकज भट्ट सहित देश विदेश से आये श्रद्धालु, साधु संत आदि उपस्थित थे।

केन्द्रीय जलमंत्री ने मुख्यमंत्री को दिया भरोसा, हर संभव करेंगे मदद

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने भेंट की। उन्होंने मुख्यमंत्री से राज्य में संचालित सिंचाई, पेयजल, बाढ़ सुरक्षा से सम्बन्धित विभिन्न योजनाओं के संचालन एवं राज्य में निर्मित होने वाले सौंग व जमरानी बांध के साथ ही प्रस्तावित जलाशय व झील निर्माण से संबंधित योजनाओं के संबंध में चर्चा की। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने केन्द्रीय स्तर पर राज्य की लम्बित योजनाओ पर समुचित कार्यवाई किये जाने का आश्वासर मुख्यमंत्री को दिया, उन्होंने पानी बचाने की व्यापक मुहिम संचालित करने पर बल देते हुए स्कूल व कॉलेजों में भी इसके लिए जनजागरण की बात कही।
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री को अवगत कराया कि देहरादून में सौंग नदी पर 109 मीटर ऊंचा कंक्रीट ग्रेविटी बांध बनाया जाना प्रस्तावित है। इससे देहरादून की वर्ष 2051 तक की आबादी हेतु पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। इसमें भूजल स्तर में सुधार के साथ ही रिस्पना एवं बिंदाल के पुनर्जीवीकरण में मदद मिलेगी। योजना की लागत 1290 करोड़ है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने गोला नदी पर 130.60 मीटर ऊंचा कंक्रीट ग्रेविटी बांध बनाया जाना प्रस्तावित है। इसमें नैनीताल व हल्द्वानी की पेयजल समस्या का समाधान होने के साथ ही उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड के 150027 हे. कमाण्ड में 57065 हे. अतिरिक्त सिंचन क्षमता की वृद्धि होगी। इसके साथ ही इस योजना से 14 मेगावाट विद्युत उत्पादन, मत्स्य पालन व पर्यटन योजनाओं का विकास होगा। इसके लिये जल संसाधन मंत्रालय की एडवाइजरी कमेटी द्वारा स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है योजना की लागत 2584.10 करोड़ है।
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को अवगत कराया कि उत्तराखण्ड राज्य का 86 प्रतिशत भू-भाग पर्वतीय है साथ ही राज्य का लगभग 63 प्रतिशत क्षेत्र वन भूमि से भी आच्छादित है तथा राज्य को प्रतिवर्ष विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं यथा बाढ़, अतिवृष्टि, बादल फटना आदि से जूझना पड़ता है। दैवीय आपदा से राज्य में निर्मित नहरों को अत्यधिक क्षति पहुँचती है एवं राज्य की वित्तीय स्थिति के दृष्टिगत सभी नहरों का जीर्णोद्धार, सुदृढीकरण किया जाना सम्भव नहीं है जिस कारण सृजित सिंचन क्षमता को बनाये रखना संभव नहीं हो पा रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकांश जल स्त्रोंतों, जिनमें सिंचाई हेतु नहरों का निर्माण संभव है, किया जा चुका है एवं संतृप्ता की स्थिति में है। अन्य क्षेत्रों में लिफ्ट नहर योजनाओं का निर्माण कर सिंचाई सुविधा प्रदान की जा रही है।
मुंख्यमंत्री ने बाढ़ प्रबन्धन कार्यक्रम के तहत जी.एफ.सी.सी पटना द्वारा बाढ़ प्रबन्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत उत्तराखण्ड की 38 बाढ़ सुरक्षा योजनायें जिनकी लागत रू. 1108.37 करोड़ है, की इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस तथा वित्तीय स्वीकृति प्रदान करने तथा कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के तहत केन्द्रांश की धनराशि रू. 77.41 करोड़ स्वीकृत करने का भी अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री से जल जीवन मिशन योजना के तहत योजना की लागत में ग्राम के आन्तरिक कार्यों की लागत के सापेक्ष उपभोक्ता से 5 प्रतिशत अंशदान लिए जाने की शर्त पर्वतीय ग्रामों में भवनों के दूर-दूर स्थित होने और इस कारण आन्तिरिक कार्यों की भी योजना लागत अधिक आने के साथ-साथ ग्रामवासियों की आर्थिक स्थिति भी ठीक न होने के दृष्टिगत पर्वतीय राज्यों को उपभोक्ता अंशदान से मुक्ति प्रदान करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री से यह भी अपेक्षा की कि पर्वतीय क्षेत्रों में सतही वर्षाजल को रोककर लघु जलाशयों (नद्यताल) का निर्माण आसपास के क्षेत्रों में भूजल के संवद्धनध्रिचार्ज, कम लागत की पम्पिंग योजनाओं के निर्माण तथा क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों के विकास हेतु अति आवश्यक है, किन्तु यह कार्य काफी व्ययसाध्य है। अतः इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए भारत सरकार द्वारा पृथक से केन्द्र पोषित योजना निरूपित कर राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता सुलभ करायी जाय।

आखिर 12 लाख परिवारों को जल्द मिलेंगा पानी का कनेक्शन

राज्य सरकार ने आम आदमी को राहते देते हुए फैसला लिया है कि उत्तराखंड में पानी के कनेक्शन से वंचित 12 लाख परिवारों को जल्द ही अपना कनेशक्न मिलेगा। जल जीवन मिशन के तहत इन परिवारों को पानी का कनेक्शन देने की कवायद शुरू कर दी गई है। इस बाबत राज्य जल स्वच्छता मिशन ने राज्य से जिले स्तर तक एक्शन प्लान बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी है।
केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में 12 लाख परिवार ऐसे हैं जो आज भी सार्वजनिक नल, स्टैंड पोस्ट, गूल, नहर, गदेरों से पानी लेकर प्यास बुझा रहे हैं। खासकर पर्वतीय जिलों के दूरस्थ इलाकों में ऐसे परिवारों की स्थिति ज्यादा चिंताजनक है। सूबे में अब तक आई सरकारें इन घरों में पानी का कनेक्शन देने में नाकाम रही हैं। पानी की इसी समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने हर घर नल योजना शुरू की है। इस योजना में 2024 तक हर घर में शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए पानी का कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रदेश में भी 12 लाख परिवारों को कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित है। इसके लिए सर्वे का कार्य भी शुरू कर दिया गया है। इस बाबत प्राथमिक तौर पर 6,000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाया गया है, हालांकि इसमें लागत घटाई बढ़ाई जा सकती है। इस रकम से इंफ्रास्ट्रक्चर (पेयजल लाइन, ओवरहेड टैंक, नलकूप आदि) विकसित किया जाएगा। वहीं पेयजल निगम और जल संस्थान को जिला एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिए हैं। फिर राज्य का एक्शन प्लान तैयार होगा। राज्य जल स्वच्छता मिशन के मुख्य अभियंता योगेंद्र सिंह ने बताया कि हर घर नल योजना को सफल बनाने के लिए जल संस्थान और जल निगम की मदद से एक्शन प्लान तैयार हो रहा है।