इस ऐप के जरिये मेडिकल के क्षेत्र में मिल सकेगी मदद

भारत का पहला ईमेडिकोज मोबाइल ऐप लांच हो गया है। जिसके जरिए मेडिकल हेल्थ प्रोफेशनल, मेडिकल छात्र और अनुभवी डॉक्टर एक साथ कई मेडिकल विषयों पर विचार विमर्श कर सकेंगे। इसे रेडियोलाजिस्ट डॉक्टर सुमेर सेठी ने लांच किया है।

एन्ड्रायड व आई स्टोर में उपलब्ध इस एप के जरिए एक ही प्लेटफार्म पर छात्र, अनुभवी डॉक्टर व हेल्थकेयर प्रोफेशन से जुड़कर समस्या का समाधान निकाल सकेगें तो वही दूसरी तरफ मेडिकल के छात्र-छात्राऐं औषधीय ज्ञान ले सकते हैैंं।

इस ऐप के इस्तेमाल से मेडिकल एजुकेशन और मेडिकल ज्ञान में गुणवत्ता बढ़ेगी, विश्व के किसी भी कोने में बैठा छात्र डॉक्टर किसी भी मेडिकल संबधित विषय पर प्रश्न पूछ सकता है, चर्चा कर सकता है और अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकता है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में हेल्थ केयर पेशवरों के लिए यह ऐप वरदान साबित हो होगा।

डॉक्टर सुमेर सेठी नें कहा कि यह उन लोगों के लिए खास तौर से उपयोगी साबित होगा जो एनईईटीपीजी, एनईईटी सुपर स्पेशलिटी, यूएसएमएलई, पीएलएपी, एमआरसीपी, ऑस्ट्रेलियाई और कैनेडियन परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। उन्हे डिजीटल रुप से ईबुक्स, स्टेडी मेटिरियल, विडियोज उपलब्ध होगें। उन्होंने कहा की ईमेडिकोज एप भारत का पहला मेडिकल व हेल्थकेयर ऐप है जिस पर मेडिकल क्षेत्र के अनुभवी लोग आपस में विचार विमर्श कर सकेगें। इसके अलावा मेडिकल स्टूडेन्टस किसी भी टॉपिक पर विशेषज्ञों से सवाल जबाव कर सकेगें।

ईमेडिकोज ऐप को लॉच करने पर टीम ने बताया कि वर्तमान में डिजिटल वर्ड का दायरा बढ़ता जा रहा हैं और एक ऐसे प्लेटफॉर्म की जरुरत हैं जिस पर मेडिकल से संबधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ छात्रों से सीधे संवाद करें। ईमेडिकोज एप इन जरुरतों के हिसाब से डिजाइन किया गया हैं जिसके द्वारा छात्र परीक्षा पेपर, मेडिकल रिसर्च और हेल्थकेयर सेक्टर से जुड़ी हर जानकारी को साझा कर सकेगें। इसके साथ संबधित विषय से जूड़ें रिसर्च पेपर, विडियो और ईलर्निगं प्रोग्राम भी उपलब्ध होगें।

पदमावत के विरोध में औवेसी का नाम भी जुड़ा

पदमावती से हुयी पदमावत संजय लीला भंसाली की फिल्म को भले ही सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिल गई हो, लेकिन फिल्म का विरोध जारी है। विरोध करने की सूची में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के लीडर असदुद्दीन ओवैसी का नाम भी जुड़ गया है। ओवैसी ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को राजपूतों से सीख लेने की सलाह दी है।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भंसाली की फिल्म को बकवास बता मुसलमानों को राजपूतों से सीख लेने की नसीहत दी है। वहीं ओवैसी ने अपने समर्थकों से फिल्म न देखने की बात कही है।

एक टीवी चैनल को इंटरव्यू देते हुये महाकाल सेनाध्यक्ष संजय सिंह राठौर ने कहा कि डेढ़ साल से आंदोलन चल रहा है। किसी भी हालत पर ये फिल्म को गुजरात में प्रदर्शित नहीं होने देंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संजय सिंह ने सवाल उठाते हुये कहा कि खिलजी को चित्तौड़ जीतने में छह माह लगे थे। आखिर छह दिन में सुप्रीम कोर्ट कैसे अपना फैसला सुना सकता है। उन्होंने कहा कि मेरी गुजरात सरकार के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री से विनती है कि लुका-छिपी के खेल से हमें हथियार पकड़ने कि लिए मजबूर न करें।
वहीं, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा वो पद्मावत बैन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मशविरा कर रहे हैं। शिवराज ने कहा, हमने अपने एडवोकेट जनरल को सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की स्टडी करने को कहा है। मैंने इसे अभी तक नहीं देखा है।


प्रसून जोशी को धमकी

गुरुवार को देश के कुछ हिस्सों में उग्र प्रदर्शन के बाद करणी सेना ने सेंसर बोर्ड के चीफ प्रसून जोशी को धमकी दी है। सुखदेव सिंह ने कहा कि वह प्रसून जोशी को राजस्थान में घुसने नहीं देंगे।

1826 महिलाओं की जौहर की धमकी
गुरुवार को करणी सेना के प्रमुख महिपाल मकराना ने कहा था कि 24 जनवरी को राजपूत महिलाएं चित्तौड़गढ़ में जौहर करेंगी। अभी तक जौहर के लिए 1826 महिलाएं राजी हुई हैं। ये जौहर फिल्म के विरोध में चित्तौड़गढ़ की सर्व समाज समिति और श्रीराजपूत करणी सेना कराएगी। दूसरी ओर करणी सेना ने लोगों से सिनेमाघरों पर कर्फ्यू लगाने को कहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी हाल में ये फिल्म रिलीज नहीं हो सकती। राजपूत करणी सेना के प्रमुख लोकेंद्र सिंह कालवी ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाने जा रहे हैं।

स्वरोजगार बनाने को राज्य सरकार की नयी पहल

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में एलईडी आधारित बल्ब, ट्यूबलाइट, झालर, स्ट्रीट लाइट, इमरजेंसी लाइट, टॉर्च जैसे उपकरण बनाने के लिए गढ़वाल मंडल में थानो और कुमाऊं के कोटाबाग में पायलट प्रोजेक्ट के तहत 50-50 प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण देने का फैसला लिया है। इसके लिये मुख्यमंत्री ने वीएस एनर्जी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार को निर्देश दिए है।

योजना से संबंधित प्रस्तुतीकरण देखने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशिक्षणार्थियों के समूह में 40 महिलाएं और 10 आइटीआई प्रशिक्षणार्थी शामिल होंगे। वीएस एनर्जी प्रशिक्षण देगी। इस प्रोजेक्ट के तहत उत्पाद तैयार करने के लिए पांच दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही उत्पादित वस्तुओं की मार्केटिंग भी इसी कंपनी द्वारा की जाएगी। प्रशिक्षण के लिए कंपनी प्रति प्रशिक्षाणार्थी 1200 रुपये की दर से राशि लेगी, जिसे उत्तराखंड कौशल विकास मिशन वहन करेगा।

मुख्यमंत्री ने योजना में महिला स्वयं सहायता समूहों और आईटीआई डिप्लोमाधारियों को शामिल करने के निर्देश दिए। साथ ही पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसके लिए वृहद कार्ययोजना तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि बिजली की खपत में कमी लाने को एलईडी की बड़ी उपयोगिता है। इसीलिए सभी सरकारी-अर्धसरकारी दफ्तरों में एलईडी बल्बों का प्रयोग अनिवार्य किया गया है। इसके वितरण को महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी भी सुनिश्चित की गई है।

उन्होंने कहा कि स्वरोजगार के मद्देनजर छोटे शहरों में महिला स्वयं सहायता समूहों एवं न्याय पंचायतों में इन उपकरणों को बनाने के लिए लोगों को प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है। इसके प्रथम चरण में स्वयं सहायता समूहों और द्वितीय चरण में आईटीआई डिप्लोमाधारियों के समूह को प्रशिक्षण देने के उपरांत इन संस्थानों में प्रोडक्शन यूनिट स्थापित की जाएंगी।

शोध की जिम्मेदारी हमारे विश्वविद्यालयों की: त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में कृषि विभाग द्वारा आयोजित किसानों की आय दोगुना करने संबन्धी कार्यशाला का उद्घाटन किया। उद्यान और कृषि विभाग की मृदा स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं के कार्यों का एकीकरण मुख्यमंत्री ने उद्यान और कृषि विभाग द्वारा अलग-अलग प्रदान किये जा रहे मृदा स्वास्थ्य कार्डों की व्यवस्था समाप्त करने के निर्देश देते हुए दोनों विभागों की प्रयोगशालाओं को एकीकृत रूप में कार्य करने को कहा।

अब किसान किसी भी लैब से कृषि अथवा औद्यौनिकी के लिये सॉयल हेल्थ कार्ड ले सकेंगे। वर्तमान में कृषि विभाग की प्रत्येक जनपद में एक सॉयल हेल्थ लैब है तथा उद्यान विभाग की दो प्रयोगशाला कुमाऊं मण्डल तथा गढवाल मण्डल में स्थापित है। अब कृषकों को कृषि अथवा औद्यौनिकी किसी भी कार्य हेतु सभी 15 प्रयोगशालाओं की सुविधा मिल सकेगी। अफसर फार्म और फार्मर तक पहुंचे। सीएम किसानों की आय दोगुनी करने संबन्धी कार्यशाला के आयोजन का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि तय समयसीमा के भीतर जनपद, ब्लॉक और न्याय पंचायत स्तर तक भी ऐसी गोष्ठियां आयोजित की जाय। कृषि और उद्यान विभाग के अधिकारी किसानों के साथ प्रतिमाह मीटिंग करें।

‘‘ऑफिस में बैठकर नही, खेतों तक जाकर खेती होगी। अफसर फार्म और फार्मर तक पहुंचें’’ मुख्यमंत्री ने कहा। मुख्यमंत्री ने नई तकनीकि को बढ़ावा देने के लिये विश्वविद्यालयों तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।

‘‘प्रयोग और शोध की जिम्मेदारी हमारे विश्वविद्यालयों की है’’ मुख्यमंत्री ने कहा। ऐसे निजी उच्च शिक्षण संस्थान जहां कृषि की पढ़ाई होती है उनका भी उपयोग किया जाय। आर्गेनिक खेती को बढावा दें। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में दस विकासखण्डों को आर्गेनिक खेती के लिये चिन्हित किया गया है। आर्गेनिक खाद के उत्पादन के वर्तमान पारंपरिक तरीके में समय लगता है।

किसानों को नई तकनीकि और प्रक्रियाओं के प्रति प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केन्द्रों को इस दिशा में आगे आना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘‘लैब’’ और ‘‘लैण्ड’’ दोनों के ही विशेषज्ञ कार्यशाला में बैठे हैं। किसानेां की आय दोगुना करना, उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समृद्ध करने के लिये ठोस कार्ययोजना बनाकर मिशनरी भाव से काम करना होगा। सिर्फ योजनाएं बनाना काफी नहीं है। लोगों तक जाकर उनको जानकारी देना तथा उनकी मदद करना भी बहुत जरूरी है।

कृषि विभाग ने तैयार की है विस्तृत कार्ययोजना कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में सचिव कृषि डी.सेंथिल पाण्डियन द्वारा एक प्रस्तुतिकरण दिया गया। पाण्डियन ने बताया कि कृषि और औद्यानिकी के क्षेत्र में सेक्टरवार विशेषज्ञ समितियों का गठन कर प्रारंभिक रोडमैप तैयार किया जा रहा है। इससे मधुमक्खी पालन, आर्गेनिक फार्मिंग, मृदा परीक्षण एवं प्रबंधन, कृषि विपणन, फलफूल, सब्जी, मशरूम उत्पादन, कोल्ड स्टोरेज चेन, पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट, भेड़ एवं बकरी पालन, मत्स्य पालन आदि क्षेत्र सम्मिलित है।

गत पेराई सत्र का भुगतान किसानों को देने वाली यह पहली सरकारः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने डोईवाला शूगर मिल के वर्ष 2017-18 के पेराई सत्र का विधिवत पूजाअर्चना के साथ शुभारम्भ किया। उन्होंने किसानों, गन्ना समिति सदस्यों व चीनी मिल के पदाधिकारियों से अपेक्षा की कि वे गन्ने की उन्नत किस्म एवं अधिकतम चीनी परता वाली प्रजाति को उगाने तथा बीज बदलाव कार्यक्रमों के प्रति विशेष ध्यान दें।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि गत पेराई सत्र के गन्ना मूल्य का लगभग पूर्ण भुगतान किसानों को कर दिया गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि चीनी मिल द्वारा पेराई क्षमता का पूर्ण उपयोग किया जायेगा। उन्होंने सभी को पेराई सत्र की शुभारम्भ की शुभकामनाएं भी दी। उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों का जो कुछ बकाया अवशेष होगा उसका भुगतान दिसम्बर तक कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहली सरकार है जिसके द्वारा नये पेराई सत्र से पूर्व ही किसानों को उनके पुराने देयो का भुगतान कर दिया गया है। इस अवसर पर डोईवाला शूगर मिल के अधिशासी निदेशक मनमोहन सिंह ने बताया कि डोईवाला शुगर कम्पनी द्वारा गत पेराई सत्र के आपूर्तित कुल 26.32 लाख कुन्टल गन्ने का 92 प्रतिशत गन्ना मूल्य भुगतान कर दिया गया है। वर्तमान पेराई सत्र हेतु चीनी मिल के समस्त सुरक्षित क्षेत्र से लगभग 28 लाख कुन्टल गन्ना उपलब्ध होने का अनुमान है। चीनी मिल का सम्पूर्ण सुरक्षित क्षेत्र में शीघ्र प्रजाति का गन्ना क्षेत्रफल विगत तीन वर्षों में लगभग 43 प्रतिशत से अधिक हो गया है जिसे आगामी वर्षों में 60 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य है। इस वर्ष शरदकालीन गन्ना बुवाई में गन्ना शोध केन्द्रों प्रजनक गन्ना बीज लाकर लगभग 12 हेक्टेयर पौधशालाएं कृषकों के खेतों पर स्थापित करायी गयी, जो विगत वर्ष 3 हेक्टेयर की तुलना में चार गुना है। प्रति हेक्टेयेर गन्ना उत्पादन में वृद्धि करने के उद्देश्य से कृषकों को खेतों की गहरी जुताई हेतु एमवीप्लाऊ एवं टैंªच विधि से गन्ना बुवाई हेतु टैंªचओपनर निःशुल्क उपलब्ध कराये जा रहे है। गन्ने में लगने वाले कीटों की रोकथाम हेतु कीटनाशकों का स्प्रे कराये जाने के लिए दो पावर स्प्रेयर निःशुल्क उपलब्ध कराये जा रहे हैं। चीनी मिल में मृदा परीक्षण लैब स्थापित की गयी है। संतुलित उर्वरक प्रयोग करने से गन्ने में चीनी का प्रतिशत की मात्रा को बढ़ाया जाता है।

हाईकोर्ट ने की याचिका खारिज, की उर्दू मोअल्लिम डिग्री अघोषित

उत्तराखंड में अब शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए उर्दू मोअल्लिम डिग्री अयोग्य घोषित हो गई है। राज्य में समकक्ष परीक्षा पास और उर्दू विषय में डिग्री के बिना प्राथमिक सहायक अध्यापक नहीं बन सकते। शिक्षक बनने के टीईटी जरूरी है।
आपको बता दें कि उधमसिंहनगर जिले के मो हफीज व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सहायक अध्यापक के पदों पर आवेदन निरस्त करने को चुनौती दी। इनका कहना था कि वह उर्दू मोअल्लिम पास हैं जो बीटीसी के समकक्ष मानी जाती है। उत्तर प्रदेश में भी यही नियम लागू है तो एकलपीठ ने याचिका स्वीकार कर इन अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने का आदेश पारित कर दिया। फैसले के खिलाफ सरकार ने विशेष अपील दायर की। सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता परेश त्रिपाठी ने बताया कि 2012 की निवमावली के अनुसार यह डिग्री पद के योग्य नहीं है। उत्तराखंड में उर्दू मुख्य विषय के साथ स्नातक, दो साल का बीटीसी व टीईटी के बाद ही शिक्षक बन सकते हैं। उर्दू मोअल्लिम एक साल का है और राज्य में समकक्ष डिग्री को नौकरी के लिए अयोग्य घोषित किया जा चुका है, ऐसे में आवेदक पात्र नही है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने सरकार की दलीलें स्वीकार कर अभ्यर्थियों की याचिका को खारिज कर दिया।

स्थानीय शिल्प और कला को दिया जायेगा बढ़ावा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से बर्मिंघम इंडस्ट्रियल एक्सपो से लौटे 08 शिल्पियों के दल ने मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने शिल्पियों का स्वागत कर आशा की, कि वे अपने अनुभव से उत्तराखण्ड में और अधिक लोगों को प्रशिक्षित करेंगे। मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव उद्योग को निर्देशित किया कि जो शिल्पी विदेश का अनुभव लेकर लौटे हैं, उनकी आवश्यकताओं को समझने के लिए एक मीटिंग की जाए और फिर सरकारी स्तर से जो भी मदद हो उनको दी जाए। मुख्यमंत्री ने शिल्पियों से कहा कि आधुनिक समय में गुणवत्ता के साथ-साथ डिजाइन व फैशन का भी बहुत महत्व है। उत्तराखण्ड के उत्पादों को फैशन में लाना होगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय शिल्प और कला को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जाएगा। सरकार न सिर्फ इसके लिए प्रशिक्षण दे रही है बल्कि विपणन केंद्रों के विकास के लिए भी संकल्पित है। प्रमुख सचिव मनीषा पंवार ने बताया कि 04 सितंबर को बर्मिंघम में आयोजित इंडस्ट्रियल एक्सपो में गए भारतीय दल में उत्तराखंड के 08 शिल्पी सम्मिलित थे। उत्तराखंड के शिल्पियों ने नेचुरल फाइबर, ऊन और कॉपर के सामानों का प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि एक्सपो में बहुत से व्यापारियों ने उत्तराखण्ड के उत्पादों में रुचि दिखाई। विशेष रुप से नेचुरल फाइबर और ऊन के स्टोल्स और शॉल ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। कॉपर से निर्मित उत्पादों की प्रशंसा हुई। इस दौरे से उत्तराखण्ड के शिल्पियों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार का अनुभव प्राप्त हुआ और इसके साथ ही उन्हें बाजार की मांग की जानकारी भी मिली। उन्होंने बताया कि यह सभी शिल्पी मास्टर क्राफ्ट मैन है और प्रत्येक शिल्पी 100100 शिल्पियों को प्रशिक्षित करेगा। बर्मिंघम के दल में उत्तरकाशी के चंद्र लाल, नरेश, अल्मोड़ा के बलवंत टम्टा, बागेश्वर के शिव लाल, चमोली के धरमलाल और गुड्डी देवी तथा हरिद्वार के मुकेश और आशु सम्मिलित थे। अपर निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल ने बताया कि उत्तराखंड के शिल्पियों के दल ने बर्मिंघम, यूनाइटेड किंगडम में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय उद्योग मेले में 04 सितंबर को प्रतिभाग किया था। यह दल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट और उत्तराखंड हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट काउंसिल के संयुक्त तत्वाधान में बर्मिंघम में स्थापित भारतीय पवेलियन में सम्मिलित हुआ था।

कृषि आय के साथ एलाइड सेक्टर्स में भी फोकस

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी जिलों के जिलाधिकारियों के साथ 2022 तक किसानों की आय दो गुनी करने की कार्ययोजना की समीक्षा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जनपदों में क्लस्टरवार कृषि को प्रोत्साहित किया जाय। फसलों की उत्पादकता बढ़ानी होगी, इसके लिये उन्नत किस्म के बीजों तक किसानों की पहुंच बनानी होगी। जिलाधिकारी, क्लस्टर्स के अनुसार वहां पैदा होने वाली फसलों का अध्ययन कर, उन्नत बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करें। सरकार के कई विभाग और विभिन्न परियोजनाएं कृषि तथा एलाइड क्षेत्रों में काम कर रही है, इन सभी को एक समग्र कोआर्डिनेटेड प्रयास करने की जरूरत है। सीएम ने जनपद स्तर पर सभी संबन्धित विभागों की कोर्डिनेशन कमेटी बनाने के निर्देश भी दिये। जिस क्लस्टर में जो फसल या उत्पाद चिन्हित हो उससे जुड़े सेक्टर में लोगों को स्किल डेवलेपमेंट योजना के अन्तर्गत प्रशिक्षित भी किया जाय। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव ने कहा कि कृषि आय को दोगुना करने के लक्ष्य हेतु सभी संबन्धित सभी शासनादेशों एवं गाइडलाइन्स का एक संकलन तैयार कर न्याय पंचायत स्तर तक भेजा जाये। उन्होंने हर गांव के लिये एक माइक्रो प्लान और पर्सपेक्टिव प्लान बनाने को भी कहा। प्रमुख सचिव ने कहा कि मनरेगा, आईफैड, ग्राम्या और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के कई प्रावधानों के अन्तर्गत जिलाधिकारी, जनपदों में आजीविका संसाधन सृजित कर किसानों की मदद कर सकते है। कृषि सचिव ने कहा कि सभी जिलाधिकारी, अपने जनपदों में क्लस्टरवार मॉडल डी.पी.आर. बनायें। कृषि विभाग के सहायक कृषि अधिकारी, जो कि कृषि विषय में पोस्ट ग्रेजुएट तक हैं, उनका उपयोग करें। कृषि के साथ एलाइड सेक्टर्स में भी फोकस करें। पुष्प उत्पादन मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन का प्रदेश में बड़ा स्कोप है। उत्तराखण्ड हर वर्ष 125 करोड़ रूपये का शहद निर्यात कर रहा है। इस अवसर पर सभी जिलाधिकारियों ने अपने-अपने जनपदों से प्रस्तावित कार्ययोजना की जानकारी दी।

खुशखबरी! भारत में जल्दी ही टिल्टिंग ट्रेन दिखेगी

स्विटजरलैंड के सहयोग से भारत में टिल्टिंग ट्रेन चलाने की योजना बन रही है। ये ट्रेन घुमावदार रास्तों में अपने आप ही मोटर बाइक की तरह झुक जाएगी। ट्रेन के अपने आप झुकने से यात्रियों को सहूलियत होगी। इस संबंध में भारत सरकार ने स्विट्जरलैंड सरकार के साथ समझौता किया।
टिल्टिंग ट्रेन अभी सिर्फ दुनिया के 11 देशों में चल रही है। टिल्टिंग ट्रेन अभी इटली, पुर्तगाल, स्लोवेनिया, फिनलैंड, रूस, चेक गणराज्य, ब्रिटेन, स्विटजरलैंड, चीन जर्मनी और रूमानिया में है।
एक अधिकारी ने मीडिया को जानकारी दी कि ट्रेन जब तेज घुमाव या ढाल से गुजरती है कि तो ट्रेन घुमाव के विपरीत दिशा में झुक जाती है। इससे यात्रियों को का बैलेंस बना रहता है, उन्हें झुकना नहीं पड़ता। जैसे कि ट्रेन बाईं ओर मुड़ेगी तो अपने आप ही बाईं ओर कुछ उठ जाएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऐसी ट्रेनें चलाने के बारे में दोनों देशों में समझौता हो चुका है। इस समझौते का लक्ष्य ट्रैक्शन रोलिंग स्टॉक, ईएमयू एवं ट्रेन सेट, ट्रैक्शन प्रणोदन उपकरण, माल और यात्री कारें, टिलटिंग ट्रेन, रेलवे विद्युतीकरण उपकरण आदि क्षेत्रों में सहयोग करना है।
गोवा में विकसित होगी तकनीक
दूसरे समझौते में कोंकण रेलवे कार्पोरेशन लिमिटेड और स्विट्जरलैंड की कंपनी स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के बीच हुआ तो गोवा में स्घ्थापित सुरंग बनाने वाली तकनीकी संस्थान के विकास में मदद मिलेगी।

अच्छा प्रर्दशन करें तो निकायों को मिल सकती है 75 लाख की धनराशि

स्वच्छ भारत मिशन कार्यक्रम में स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रथम तीन स्थान पाने वाले नगर निगम, नगर पालिका को क्रमशः 75, 50 एवं 25 लाख रूपये का पुरस्कार दिया जाएगा। यह घोषणा एक स्थानीय होटल में स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत नगरीय ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन तकनीकी एवं स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 विषय पर दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्याशाला में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कार्यशाला उत्तराखण्ड में स्वच्छता कार्यक्रम के अभियान को मजबूती देगी। यह हमारे लक्ष्यों को पूर्ण करने में मददगार होगी। उन्होंने कहा कि स्वच्छता कार्यक्रम के लिए मानसिंकता में बदलाव की आवश्यकता, आम व्यक्ति की जागरूकता एवं सहभागिता से यह लक्ष्य आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। ठोस अपशिष्ठ एवं प्रबन्धन की दिशा में आधुनिक तकनीक और शोध की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि तकनीकी के माध्यम से हम बडा से बडा लक्ष्य प्राप्त कर सकते है। सरकारी स्तर पर स्वच्छता कार्यक्रम की महत्ता को दर्शाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वच्छता के प्रयासों को कर्मचारियों के वार्षिक प्रवृष्टि में अंकित किया जायेगा।
नगर विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि स्वच्छता कार्यक्रम में नवीन तकनीकी के प्रयोग हेतु स्थानीय निकायों को अपनी आमदनी बढाने के प्रयासों पर बल देना होगा। शहरी विकास मंत्री ने कहा कि मार्च 2018 तक शत-प्रतिशत शौचालय ओडीएफ, डोर-टू-डोर कलेक्शन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जायेगा। इसके अतिरिक्त शत-प्रतिशत एलईडी का लक्ष्य प्राप्त किया जायेगा। उन्होंने कहा कि नगर निगम कि कार्य संस्कृति से अन्य नगर पालिका प्रभावित होती है। इसलिए नगर निगम की जिम्मदारी स्वच्छता के सन्दर्भ में अधिक है।
सचिव शहरी विकास राधिका झा ने कहा कि प्रदेश सरकार स्वच्छता के कार्यक्रम को लेकर संवेदनशील है। जिलाधिकारियों को साप्ताहिक नगर आयुक्त एवं अधिशासी अधिकारियों, नगर निगम के साथ समीक्षा बैठक करने के निर्देश दिये गये है। राज्य स्तरीय कार्यशाला में स्वच्छता विषय पर शपथ ली गई एवं स्वच्छता कार्यक्रम की एक मार्गदर्शिका पुस्तिका का भी विमोचन किया गया।
कार्यक्रम के दौरान स्वच्छता विषय के इनोवेटिव टेक्नोलाॅजी के प्रयोग सम्बन्धी देशभर के विशेषज्ञों द्वारा आयोजित प्रदर्शनी लगायी गयी है।