सुप्रीम कोर्ट का फैसला सर्वमान्य-मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद के समझौते के लिए शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में मसौदा पेश किया है। शिया वक्फ बोर्ड के मसौदे के मुताबिक विवादित जगह पर राम मंदिर बनाई जाए और मस्जिद को लखनऊ में बने, जिसका का नाम मस्जिद-ए-अमन रखा जाए। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के इस मसौदा से मुस्लिम पक्षकार सहमत नहीं हैं।
मुस्लिम पक्षकार ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी होने और निजी फायदे के लिए राममंदिर का राग अलाप रहे हैं। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के इस मसौदा पर रजा पद ने मुस्लिम पक्षकारों से बात की। मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही आदर्श फैसला होगा। इसके अलावा कोई और बात करना निराधार है।
इस मसौदे को कानूनी मान्यता नहीं-खालिक
अयोध्या मामले में अपीलकर्ता मौलाना महफुजुर्ह रहमान के नामित खालिक अहमद खान ने कहा- ये मसौदे वसीम रिजवी की अपनी राय है, जिसकी कोई कानूनी मान्यता नहीं है। मुस्लिम पक्षकारों की एक राय शुरू से सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही इस मसले का हल है।
खालिक ने कहा कि राम मंदिर बनाई जाए हमें कोई हर्ज नहीं है, लेकिन वो अपनी जगह बनाई जाए न की बाबरी मस्जिद की जगह पर, जैसा कि वसीम रिजवी कह रहे हैं कि मस्जिद कहीं और बनेगी तो वह बाबरी मस्जिद का रिप्लेसमेंट नहीं हो सकता है।
अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार हासिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने कहा- वसीम रिजवी के राय से शिया वक्फ बोर्ड और शिया समुदाय ही सहमत नहीं है। वसीम रिजवी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हुए हैं, उससे बचने के लिए राममंदिर की बात कर रहे हैं। इकबाल कहते हैं कि अयोध्या मामले में वसीम रिजवी का कोई सीधा जुड़ाव नहीं है। ऐसे में वसीम रिजवी की बातें कोई अहमियत नहीं रखती है।
इकबाल ने कहा कि वसीम रिजवी बीजेपी का दिल जीतने के लिए सारे जतन कर रहे हैं। उनका कहना है- मामला सुप्रीम कोर्ट में है और कोर्ट के जरिए ही फैसला होगा।

निजी मुफीद के लिए है ये मसौदा
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड के मसौदे की कोई अहमियत नहीं है। हाईकोर्ट ने 1947 में फैसला करके साफ कर दिया है कि बाबरी मस्जिद शिया वक्फ बोर्ड का नहीं बल्कि सुन्नी वक्फ बोर्ड का है।
फिरंगी महली का कहना है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में फाइनल दौर में है। वसीम रिजवी अपने निजी फायदे कि लिए मामले में कन्फ्यूजन पैदा कर रहे हैं। वो सुप्रीम कोर्ट में अपील कर्ता भी नहीं है और न ही उससे जुड़ सकते हैं, वो सिर्फ मीडिया में बने रहने के लिए ये सब कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने साफ कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा वो मान्य होगा। इससे दोनों समुदाय के पक्षकारों को माननी चाहिए। सुप्रीमकोर्ट के फैसला के बाद हमेशा के लिए इस मसले का हल हो जाएगा और इस मुद्दे पर हमेंशा के लिए सियासत भी खत्म हो जाएगी।

खुद ही के लिये कब्र तैयार कर रहा पाकिस्तान

भारत लगातार अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने के लिए आगाह करता रहता है और आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देना बंद करने के लिए कहता रहा है। अब पाकिस्तान को यही चेतावनी विश्व जगत से भी मिली है। फ्रेजाइल स्टेट्स इंडेक्स की 2017 की रिपोर्ट में पाकिस्तान को उन 20 असफल देशों की फेहरिस्त में रखा गया है, जिन्हें खुद की सुरक्षा की चिंता करनी चाहिए।

अब पाकिस्तान को दुनिया के शीर्ष 20 फ्रेजाइल स्टेट्स में शामिल होने के बाद यह समझना होगा कि जिस आतंकवाद को वह अपने पड़ोसी देश भारत को परेशान करने के उद्देश्य से इस्तेमाल करता रहा है, वह खुद उसके लिए नासूर बन चुका है। यह इंडेक्स इसी ओर इशारा करता है।

अमेरिका की पाक को चेतावनी

अमेरिका भी पाकिस्तान को आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने और आतंकवाद को अपनी जमीन से खत्म करने के लिए कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी देता रहा है। हाल ही में अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव भी पेश किया गया था।

हाल ही में भारत दौरे पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने पाकिस्तानी नेतृत्व से सख्त लहजे में कहा कि वो आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करे, वरना अमेरिका खुद पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करेगा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी कहा था कि पाकिस्तान आतंकवादियों का सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है।

जानिए एक नवंबर को कितने राज्यों का है स्थापना दिवस

पांच राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, हरियाणा और कर्नाटक का स्थापना दिवस आज यानी एक नवंबर को है। आज ही दिन इन पांचों राज्यों की आधारशिला रखी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सभी राज्यों के लोगों को स्थापना दिवस की बधाई दी है।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, राज्य के स्थापना दिवस के अवसर पर मध्यप्रदेश के निवासियों के लिए शुभकामनाएं, जिन्होंने देश के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया है। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने राज्य के स्थापना दिवस पर छत्तीसगढ़ के निवासियों को बधाई दी और उन्होंने यह भी कामना की कि राज्य विकास की नई ऊंचाइयों को छूए।
प्रधानमंत्री ने लिखा, विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर और जय जवान, जय किसान की भावना को साकार करने वाले हरियाणा के लोगों को स्थापना दिवस की ढेरों बधाई।
प्रधानमंत्री ने आगे लिखा, हरियाणा के लोगों को स्थापना दिवस पर ढेरों बधाई, जो विकास के मार्ग और जय जवान, जय किसान का अनुसरण कर रहे हैं।
पीएम ने कन्नड़ राज्योत्सव पर कर्नाटक के लोगों को भी बधाई दी। उन्होंने ट्वीट किया, कर्नाटक के लोगों को कन्नड़ राज्योत्सव पर मेरी शुभकामनाएं। हमें कर्नाटक की समृद्ध संस्कृति पर गर्व है। मैं राज्य की प्रगति के लिए प्रार्थना करता हूं।
प्रधानमंत्री मोदी ने केरल के लोगों को स्थापना दिवस पर शुभकामनाएं दी और कहा, सभी मलयालियों को शुभकामनाएं। मैं आने वाले वर्षों में राज्य की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करता हूं।

आखिर संसद से पास कानून के खिलाफ कैसे जा सकता है राज्य?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मोबाइल फोन नंबर को आधार कार्ड से लिंक करने के विरोध में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से फटकार लगी है। कोर्ट ने ममता सरकार से कहा कि वह संसद से पास कानून के खिलाफ कैसे जा सकती हैं, राज्य सरकार कैसे कानून के खिलाफ जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ममता बनर्जी निजी तौर पर कोर्ट में आ सकती हैं। कोर्ट ने ममता सरकार से कहा है कि अगर ऐसा होता है तो राज्य के बनाए कानून पर केंद्र भी चुनौती देगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से अपनी याचिका में बदलाव करने को कहा है।

आपको बता दें कि ममता बनर्जी खुली चेतावनी दी थी कि वह अपने मोबाइल को आधार से लिंक नहीं करेंगी, भले ही उनका फोन बंद क्यों न कर दिया जाए।

ममता ने क्या कहा था?

ममता बनर्जी ने ऐसा न करने के पीछे कई वजह भी बताईं। उन्होंने कहा, जैसे ही आप आधार से मोबाइल लिंक करेंगे उन्हें (केंद्र सरकार) सब पता चल जाएगा। घर में आप क्या खा रहे हैं। पति-पत्नी क्या बात कर रहे हैं। सब उन्हें पता चल जाएगा।

ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी की एक मीटिंग के दौरान ये बात कही। उन्होंने इसके लिए प्राइवेसी का हवाला दिया। ममता ने कहा, मैं फोन को आधार से लिंक नहीं करुंगी, एजेंसी को फोन काटना है तो काट दें। मैं दूंगी तो चैलेंज करके दूंगी।

लोगों से भी की अपील

उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था, मैं बाकी लोगों से भी इस मामले में आगे आने की अपील करती हूं, मोबाइल नंबर से आधार को लिंक करने का यह कदम व्यक्तिगत गोपनियता पर अटैक करना है।

बता दें कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम ने 23 मार्च को मोबाइल से आधार लिंक कराने का आदेश जारी किया था। तब से ममता बनर्जी इसका विरोध कर रही हैं।

योगी सरकार ने श्रीकृष्ण की जन्मभूमि को किया तीर्थस्थल घोषित

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा के वृंदावन और बरसाना को पवित्र तीर्थस्थल बनाने का ऐलान किया है।
योगी आदित्यनाथ की यह सारी कवायद उत्तर प्रदेश में पर्यटन को और खासकर हिंदू धर्मस्थलों को बढ़ावा देने की दिशा में उठाए गए कदम के तौर पर भी देखा जा रहा है।

मांस-मदिरा का क्रय-विक्रय, सेवन प्रतिबंधित
वृंदावन और बरसाना को धार्मिक नगरी का दर्जा देने का मतलब होगा कि अब कृष्ण भक्तों की इस नगरी में मांस-मदिरा का न तो क्रय विक्रय हो सकेगा और न ही इनका सेवन किया जा सकेगा, बल्कि इसे अपराध माना जाएगा। कृष्ण लीला की इस नगरी को धार्मिक नगरी घोषित करने से कृष्ण भक्तों की बड़ी तादाद खुश है, क्योंकि यहां के लगभग सभी वैष्णव संगठन इसकी मांग करते रहे थे।
तीन दिन पहले ही योगी आदित्यनाथ ने चंदौली में कहा था कि उत्तर प्रदेश में सामान्य पर्यटन के साथ-साथ स्पिरिचुअल टूरिज्म की भी अपार संभावनाएं हैं और सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले दिनों में यूपी में पर्यटकों की संख्या में दस गुना बढ़ोत्तरी हो।

अधिसूचना जारी

मथुरा और वृंदावन को पवित्र तीर्थस्थल घोषित कर योगी ने यूपी को स्पिरिचुअल टूरिज्म स्टेट बनाने की दिशा में पहलकदमी शुरू भी कर दी है। इसके लिए सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। साथ ही धर्मार्थ कार्य विभाग को भी अवगत करा दिया है।

इस बात की जानकारी देते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मथुरा जिले का वृंदावन क्षेत्र भगवान कृष्ण की जन्मस्थली एवं भगवान कृष्ण तथा उनके बड़े भाई बलराम की क्रीड़ा स्थली के रूप में विश्वविख्यात है। साथ ही बरसाना राधा रानी की जन्मस्थली एवं क्रीड़ास्थली भी है। इन पवित्र स्थानों पर देश विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने एवं पुण्यलाभ के लिए आते हैं. इन तीर्थस्थलों के पौराणिक एवं पर्यटन की दृष्टि से इनके अत्यधिक महत्व को देखते हुए तीर्थस्थल घोषित किया गया है।
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बेंगलुरू के बाबा की सामने आयी करतूत

पाखंडी स्वामी और बाबाओं की हरकतें थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं। अब कर्नाटक के एक मठ में स्वयंभू स्वामी को एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा गया है। सूत्रों के मुताबिक बेंगलुरू के येलहांका स्थित मठ की यह घटना है। दयानंद उर्फ नंजेश्वर स्वामीजी को एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा गया। दयानंद इसी मठ के स्वामी पर्वतराज शिवाचार्य स्वामी का बेटा बताया जा रहा है।
बनना चाहता था मठ का महंत
बताया जा रहा कि दयानंद इससे पहले भी कई महिलाओं के साथ ऐसी हरकत कर चुका है। 2011 में वह मठ का महंत बनना चाहता था, लेकिन मठ के भक्तों के विरोध के चलते उसका यह मंसूबा पूरा न हो सका। विरोध के चलते बाद में दयानंद ने अपना नाम बदलकर नंजेश्वर स्वामीजी रख लिया।
पहले भी कर चुका है ऐसी हरकत
बताया जाता है कि दयानंद मठ के लिए दी गई जमीन का दुरुपयोग करता था। लोगों का कहना है कि दयानंद की यह हरकत पहली बार नहीं है। इससे पहले भी वह कई बार महिलाओं के साथ ऐसा कर चुका है।
गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों में कई स्वयंभू बाबा और स्वामी महिलाओं का उत्पीड़न करने के आरोप में पकड़े जा चुके हैं।

सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए प्रतिबद्ध

राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने दून विश्वविद्यालय में आयोजित प्रथम ‘‘इंटर यूनिवर्सिटी स्पोर्ट्स मीट’’ का शुभारम्भ किया। 26 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक आयोजित स्पोर्ट्स मीट के लिए आयोजक दून विश्वविद्यालय को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों को क्वालिटी एजुकेशन, उच्च स्तरीय व मौलिक शोध व स्पोर्ट्स का सेंटर बनाने के लिए अनेक पहल की गई हैं। प्रयास किया जा रहा है कि विश्वविद्यालयों के छात्रछात्राओं के बहुमुखी व्यक्तित्व का विकास हो। राज्यपाल ने कहा कि अभी पहला आयोजन होने के कारण इस प्रतियोगिता में कम इवेंट्स शामिल की गई हैं। अगले वर्षों में इसमें और भी खेलों को शामिल किया जाएगा। राज्य में पहली बार ‘‘इंटर यूनिवर्सिटी स्पोर्ट्स मीट’’ आयोजित की गई है। शुरूआत छोटी जरूर है परंतु मजबूत शुरूआत है। प्रतिभागी खिलाड़ियों के जोश में कोई कमी नहीं दिख रही है। राज्यपाल ने कार्यक्रम में उपस्थित मुख्यमंत्री व उच्च शिक्षा मंत्री को प्रदेश में अंतर महाविद्यालय 2020 क्रिकेट प्रतियोगिता कराए जाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इससे बड़ी संख्या में राज्य की प्रतिभाएं उभर कर सामने आएंगी। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा व खेल एक दूसरे के पूरक हैं। चरित्र निर्माण में जितना महत्व शिक्षा का है उतना ही महत्व खेलों का भी है। राज्यपाल ने ओलम्पियन मनीष रावत का उदाहरण देते हुए कहा कि खिलाड़ी भी युवाओ के लिए रोल मॉडल हैं। उŸाराखण्ड की भौगोलिक स्थितियां खिलाड़ियों के स्टेमिना केा बढ़ाने में सहायक है। राज्य में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है। इन्हें समुचित प्लेटफार्म उपलब्ध करवाए जाने की जरूरत है। इसके लिए सरकार प्रयासरत भी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रथम अंतर विश्वविद्यालय खेल प्रतियोगिता के आयोजन के लिए राज्यपाल डॉ. के.के.पाल की पहल पर आभार व्यक्त करते हुए प्रतियोगिता के लिए 11 लाख रूपए दिए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि खेलों से शारीरिक और मानसिक विकास ही नहीं बल्कि टीम भावना और सामूहिकता की भावना का विकास भी होता है। यह खेल प्रतियोगिता, युवा छात्र छात्राओं के लिए एक बढ़िया अवसर है। खिलाड़ियों द्वारा किए गए मार्च पास्ट की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मार्च पास्ट में खिलाड़ियों के जज्बे और रुचि की झलक दिखाई दी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि युवा खिलाड़ी आज विश्वविद्यालय, कल प्रदेश और फिर देश के लिए खेलेंगे। कार्यक्रम में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि सरकार प्रदेश को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उठाए जा रहे विभिन्न कदमों की जानकारी देते हुए कहा कि सभी विश्वविद्यालय अखिल भारतीय स्वच्छता रैंकिंग में अनिवार्य रूप से प्रतिभाग करें। इसी प्रकार सभी विश्वविद्यालय और महाविद्यालय एनएसी रैंकिंग हेतु भी अनिवार्य रूप से आवेदन करें। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ऐसा पहला स्टेट हो गया है जहां सभी डिग्री कॉलेज में शतप्रतिशत प्राचार्यों की तैनाती है। अब सरकार ने प्राचार्यों को असिस्टेंट प्रोफेसर की कमी की स्थिति में गेस्ट फैकल्टी की सेवाएं लेने का अधिकार भी दे दिया है। सरकार उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर पूरा ध्यान दे रही है। इससे पूर्व राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभागी टीमों के खिलाड़ियों के मार्च पास्ट की सलामी ली। उन्होंने रंग बिरंगे गुब्बारे हवा में छोड़कर प्रतियोगिता का औपचारिक उद्घाटन किया। राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने प्रतियोगिता के पहले उद्घाटन मैच के खिलाड़ियों से मुलाकात कर उन्हें शुभकामनाएं दी।

जल्द भारतीय वायुसेना को मिल सकते है अमेरिकी ड्रोन, ट्रंप सरकार ले सकती है फैसला

खबर आई है कि अमेरिका भारतीय वायु सेना को ड्रोन देने पर विचार कर रहा है। जिससे भारत इन ड्रोन्स को अपनी वायु सेना में शामिल कर सकेगा। अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया है कि ट्रंप सरकार भारत के हथियारों से लैस ड्रोन की मांग पर गहराई से विचार कर रहा है।

भारतीय वायु सेना का मानना है कि इन ड्रोन्स के मिलने से उसकी रक्षा क्षमता काफी मजबूत हो जाएगी। इसी साल की शुरूआत में भारतीय वायु सेना ने अमेरिकी सरकार के सामने जनरल एटमिक्स प्रीडेटर सी एवेंजर्स एयरक्राफ्ट खरीदने का प्रस्ताव रखा था। यह सर्वविदित है कि भारतीय वायुसेना को लगभग 80 से 100 इकाइयों की आवश्यकता है और यह सौदा लगभग 8 अरब डॉलर का होगा। इसी वर्ष 26 जून को व्हाइट हाउस में पीएम मोदी और ट्रंप के बीच हुई सफल बैठक के बाद से ही ट्रंप प्रशासन इस डील पर गंभीरता से विचार कर रहा है।

इस मुलाकात के बाद अमेरिका ने भारत को 22 अनआर्मड गार्डियन ड्रोन बेचने की घोषणा की थी, जो हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी करने की भारतीय नौसेना की क्षमताओं में वृद्धि करेगी। वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने बताया, श्विदेश मंत्रालय के संदर्भ में खरीद पर जल्द निर्णय हो सकता है, लेकिन हमें यह भी देखना होगा कि कैसे हमारे रिश्ते और मजबूत तथा गहरे हो सकते हैं। आपको बता दें कि पूर्ववर्ती ओबामा सरकार ने भारत को मुख्य रक्षा साझीदार का दर्जा दिया था और ट्रंप प्रशासन भी भारतीय अनुरोध को आगे बढ़ा रहा है।

पिछले हफ्ते ही अमेरिकी रक्षा मंत्री रेक्स टिलरसन ने अपने बयान में कहा था कि डोनॉल्ड ट्रंप प्रशासन भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी को और मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। टिलरसन ने चीन और पाकिस्तान को आड़े हाथ लेते हुए कहा था कि पेइचिंग की उकसावे वाली कार्रवाई उन अंतरराष्ट्रीय कानूनों व तरीकों के खिलाफ है जिनके भारत और अमेरिका पक्षधर हैं और साथ ही स्पष्ट किया था कि वॉशिंगटन यह आशा करता है कि पाकिस्तान अपनी सीमा के अंदर सक्रिय आतंकवादी समूहों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करेगा।

जाने, गूगल किसकी जयंती मना रहा है?

उत्तराखंड के नैन सिंह को गूगल ने श्रद्धांजलि दी है। गूगल ने डूडल के जरिये उनके कार्य को सराह रहा है। रायल ज्योग्रेफिकल सोसायटी एवं सर्वे ऑफ इंडिया के लिए पं. नैन सिंह रावत भीष्म पितामह के रूप में माने जाते हैं। कहते हैं नैन सिंह रावत ही दुनिया के पहले शख्स थे जिन्होंने लहासा की समुद्र तल से ऊंचाई कितनी है, बताई। उन्होंने अक्षांश और देशांतर क्या हैं, बताया। इस दौरान करीब 800 किमी तक पैदल यात्रा की और दुनिया को ये भी बताया कि ब्रह्मपुत्र और स्वांग एक ही नदी है।

भारत चीन सीमा पर स्थित मुनस्यारी तहसील के अंतिम गांव मिलम निवासी पं. नैन सिंह का जन्म 21 अक्टूबर 1830 को अमर सिंह मिलव्वाल के घर हुआ था। यह परिवार सामान्य परिवार था। अलबत्ता नैन सिंह के दादा धाम सिंह रावत को कुमाऊं के राजा दीप चंद ने 1735 में गोलमा और कोटल गांव जागीर में बख्शे थे। पं. नैन सिंह रावत की शिक्षा प्राथमिक स्तर तक ही हुई थी। बाद में इसी विद्यालय में वह शिक्षक हो गए थे। शिक्षक बनने पर उन्हें लोगों ने पंडित की उपाधि दे दी। उन्हें इसी नाम से जाना जाता है। इनके चचेरे भाई स्व. किशन सिंह रावत भी शिक्षक थे। दोनों भाइयों को पंडित की उपाधि मिली थी।
पं. नैन सिंह रावत ने अपने जीवन में उपलब्धि वर्ष 1955-56 से प्रारंभ की। लाघ -इट-वाइट बंधुओं के साथ दुभाषिए तथा सर्वेक्षक के रूप में तुर्किस्तान की यात्रा कर चुके थे। तिब्बती भाषा का ज्ञान और इनकी कार्यकुशलता से प्रभावित जर्मन बंधु इन्हें अपने साथ यूरोप ले जाना चाहते थे। नैन सिंह रावत रावलपिंडी तक तो पहुंचे परंतु अपनी माटी की याद आते ही वापस लौट आए। वर्ष 1863 में उन्हें देहरादून बुलाया, जहां पर सुपरिडेंटेंट कर्नल जेटी वाकर द्वारा ग्रेट ट्रिग्नोमेट्रिक सर्वे में एक अन्वेषक के रूप में की गई और उन्हें भारतीय सीमा के बाहरी क्षेत्रों में कार्य करने के लिए टापोग्राफिकल आवजर्वेशन का प्रशिक्षण दिया गया।
भ्रमण करने का था शौक
बिट्रिश भारत के दौरान अंग्रेजों ने गुप्त रूप से तिब्बत और रूस के दक्षिणी भाग का सर्वेक्षण की योजना बनाई। इस कार्य के लिए अंग्रेजों को पं. नैन सिंह रावत का नाम सुझाया। अंग्रेजों ने उन्हें नाप जोख का कार्य सौंपा। उन्हें ब्रह्मपुत्र घाटी से लेकर यारकंद इलाके तक की नाप जोख करनी थी। इस कार्य के लिए उनके भाई किशन सिंह रावत और पांच लोग शामिल किए गए। यह कार्य गुप्त होने से नाप जोख खुले आम नहीं कर सकते थे।

पंडित नैन सिंह द्वारा वर्ष 1865 से 1885 के मध्य लिखे गए यात्रा वर्णन में हिमालय तिब्बत तथा मध्य एशिया की तत्कालीन भाषा के साथ अनेक एशिसाई समाजों की दुलर्भ झलक मिलती है। इस दौरान उन्होंने 1865-66 में काठमांडू-ल्हासा-मानसरोवर, 1967 सतलज सिंधु उद्गम व थेक जालुंग, 1870 डगलस फोरसिथ का पहला यारकंद-काशगर मिशन, 1873 डगलस फोरसिथ का दूसरा यारकंद-काशगर मिशन, 1874-75 लेह-ल्हासा, तवांग थी।
पं. नैन सिंह रावत द्वारा तीन पुस्तकें ठोक-ज्यालुंग की यात्रा, यारकंद यात्रा और अक्षांस दर्पण पुस्तकें 1871 से 73 के मध्य प्रकाशित हुई थी। बताया जाता है कि उन्होंने अपनी जीवनी भी लिखी थी, लेकिन वह खो गई। तिब्बत की राजधानी ल्हासा का इसमें सुंदर वर्णन था। वर्ष 1890 में उनका देहांत हो गया।
कम्पेनियन इंडियन इम्पायर अवार्ड से हुए थे सम्मानित
1200 मील पैदल चल कर सर्वे करने वाले पं. नैन सिंह रावत को अंग्रेजी हुकूमत ने कोलकाता में सीआईएस (काम्पेनियन इंडियर अवार्ड) से सम्मानित किया था। तब एक भारतीय को अंग्रेजों द्वारा इतने बड़े सम्मान से सम्मानित किए जाने पर कोलकाता में जश्न मना था। भारतीयों ने इसका स्वागत अपने घरों में घी के दीये जलाकर किया था।
आज गूगल नैन सिंह की जयंती मना रहा है
सर्च इंजन गूगल ने नैन सिंह रावत का डूडल बनाया है, जिन्हें बिना किसी आधुनिक उपकरण के पूरे तिब्बत का नक्शा तैयार करने का श्रेय जाता है। कहा जाता है कि अंग्रेजी हुकूमत के लोग भी उनका नाम पूरे सम्मान के साथ लेते थे। उस समय तिबब्त में किसी विदेशी शख्स के जाने पर सख्त मनाही थी। अगर कोई चोरी छिपे तिब्बत पहुंच भी जाए तो पकड़े जाने पर उसे मौत तक की सजा दी सकती थी। ऐसे में स्थानीय निवासी नैन सिंह रावत अपने भाई के साथ रस्सी, थर्मामीटर और कंपस लेकर पूरा तिब्बत नाप आए। दरअसल 19वीं शताब्दी में अंग्रेज भारत का नक्शा तैयार कर रहे थे लेकिन तिब्बत का नक्शा बनाने में उन्हें परेशानी आ रही थी। तब उन्होंने किसी भारतीय नागरिक को ही वहां भेजने की योजना बनाई। जिसपर साल 1863 में अंग्रेज सरकार को दो ऐसे लोग मिल गए जो तिब्बत जान के लिए तैयार हो गए।

कथा के श्रवण को दक्षिण भारत से पहुंचे हजारो लोग

तीर्थनगरी ऋषिकेश में सनातन धर्म के श्रुति धर्मगं्रथ उपनिषद कथा का भव्य शुभारंभ हुआ। कथा में दक्षिण भारत से हजारों लोंगों का दल यहां पहुंचा।
परमार्थ निकेतन गंगातट पर कथा का भव्य शुभारंभ आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी असंगानंद सरस्वती महाराज, आश्रम परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज व दक्षिण भारत से आए कथा व्यास नेच्चुर वेंकटरमण ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी असंगानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि आत्मा ही सबसे बड़ा तीर्थ है। आत्मा ही सत्य है। मन यदि स्वच्छ होगा तो आत्मा भी पवित्र होगी और जब आत्मा पवित्र होती है तब हम परमात्मा की प्राप्ति का लक्ष्य अतिशीघ्र हासिल कर लेते हैं। आश्रम परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि हिमालय की धरती आरण्यक संस्कृति है। इस धरती ने हमारी सभ्यता, संस्कृति एवं संस्कारों को जन्म दिया है। पूरे विश्व को वसुधैव कुटुंबकम का मंत्र दिया व सर्वे भवंतु सुखिनरू की संस्कृति दी। आज उसी धरती पर उपनिषदों के गहन ज्ञान की धारा प्रवाहित हो रही है। कथा व्यास नेच्चुर वेंकटरमण के सानिध्य में यह कथा सात दिनों तक आयोजित होगी। इस अवसर पर आश्रम परिवार ने कथा व्यास वेंकटरमण को शिवत्व का प्रतीक रुद्राक्ष का पौधा भी भेंट किया।