राज्य में विद्युत कटौती न्यूनतम करने को हो रहा मूल्यांकन

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के निर्देशों के क्रम में लोगों को बेहतर बिजली आपूर्ति उपलब्ध कराने तथा विद्युत कटौती न्यूनतम करने के उद्देश्य से राज्य में हर दिन प्रत्येक विद्युत वितरण खण्ड में विद्युत आपूर्ति कितनी बार गई व कितनी देर के लिए गई का मूल्यांकन किया जा रहा है। सचिव ऊर्जा राधिका झा ने बताया कि प्रतिदिन विद्युत आपूर्ति रिपोर्ट का अनुश्रवण किया जा रहा है तथा इसके आधार पर विद्युत आपूर्ति गुणवत्ता के क्रियान्वयन को अधिकारियों की वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट में शामिल किया जायेगा। इससे अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति में सुधार लाने के लिये व्यक्तिगत रूप से कार्य करना आवश्यक होगा। सचिव झा ने सभी अधीक्षण अभियन्ताओं एवं अधिशासी अभियन्ताओं को निर्देश दिये है कि दैनिक रूप से विद्युत बाधा का अनुश्रवण किया जाय और विद्युत आपूर्ति में कम से कम कटौती की जाय। उन्होंने बताया कि ऊर्जा विभाग द्वारा यह योजना राज्य में प्रथम बार लागू की गई है तथा विभाग द्वारा इस दिशा में विशेष कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है, जिसके फलस्वरूप विगत वर्ष में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में माह अप्रैल से जुलाई(चार माह) में प्रणाली में कुल औसतन विद्युत व्यवधान 268 के सापेक्ष घटकर 241 हो गया है तथा इन विद्युत व्यवधानों की अवधि 12586 मिनट से घटकर 9386 मिनट हो गयी हैं। अतः विगत वर्ष की तुलना में सम्मानित विद्युत उपभोक्ताओं को 3200 मिनट अधिक विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित हुई है, यद्यपि ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों के सापेक्ष अभी अपेक्षाकृत कम सुधार आया है। ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यृत आपूर्ति में बाधा की सूचना व्यक्ति विशेष द्वारा(मैनवली) दी जाती है तथा शहरी क्षेत्रों में 15 मिनट से कम विद्युत बाधित सूचना की गणना नहीं की जाती है। उन्होंने बताया कि सभी विद्युत वितरण खण्डों की रेटिंग इन मानकों के आधार पर करना भी प्रारम्भ किया गया है, इससे कमी वाले क्षेत्रों को लक्षित कर विशेष कार्य योजना बनाने तथा क्रियान्वयन में आसानी होगी एवं आपसी प्रतिस्पर्धा से कर्मी स्वयं भी विद्युत आपूर्ति में सुधार हेतु प्रोत्साहित होंगे।

भारतीय सेना के पास इतना विश्वास कहां से आया?

चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने 8 सितम्बर के अपने संपादकीय में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत पर इस हफ्ते दिए गए उनके युद्ध संबंधी बयान को लेकर जमकर निशाना साधा है। संपादकीय में कहा गया है कि यह बात स्वीकार की जानी चाहिए कि बिपिन रावत के पास बहुत बड़ा मुंह है, वे बीजिंग और नई दिल्ली के बीच आग भड़का सकते हैं। रावत का बयान यह दिखाता है कि भारतीय सेना में कितना अहंकार भरा है। संपादकीय में सवालिया तौर से लिखा गया है कि रावत ने बड़े ही हाईप्रोफाइल तरीके से दो मोर्च पर युद्ध की स्थिति की वकालत की है, लेकिन भारतीय सेना के पास इतना विश्वास कहां से आया?.
आपको बता दें कि एक सेमिनार में बोलते हुए रावत ने नई दिल्ली में चीन से संबंधित बयान दिया था, जहां तक हमारे उत्तरी विरोधी का सवाल है तो ताकत दिखाने का दौर शुरू हो चुका है। धीरे-धीरे भूभाग पर कब्जा करना और हमारी सहने की क्षमता को परखना हमारे लिए चिंता का सबब है। इस प्रकार की परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए जो धीरे-धीरे संघर्ष के रूप में बदल सकती है।
रावत का बयान ऐसे समय आया है जब एक दिन पहले ही ब्रिक्स सम्मेलन से इतर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मुलाकात की थी और सीमा पर शांति बनाए रखने पर सहमति जताई थी। इन सबके बीच ग्लोबल टाइम्स ने बहुत ही तीखी प्रतिक्रिया दी है, जो दिखाता है कि आर्मी चीफ के बयान से बीजिंग कितना चिढ़ा हुआ है। ब्रिक्स समिट में मोदी और शी की मुलाकात के तुरंत बाद ही रावत ने सीमा पर चीन की सीनाजोरी की ओर ध्यान दिलाया है। चीनी मीडिया ने डोकलाम विवाद पर समझौते को शी जिनपिंग की कामयाबी के तौर पर पेश किया था। संपादकीय में कहा गया है कि रावत का बयान डोकलाम विवाद समाप्त होने के हफ्ते भर के भीतर ही आया है, जब चीन और भारत के नेताओं ने ब्रिक्स समिट के दौरान मुलाकात की और दोनों देशों के बीच संबंधों को लेकर सकारात्मक संकेत दिए।
चीनी अखबार ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारतीय जनरलों को ताजा स्थिति के बारे में कुछ बेसिक जानकारी रखनी चाहिए। क्या भारत दो मोर्चों पर लड़ाई को झेल सकता है अगर चीन-पाकिस्तान एक साथ मोर्चा खोल दें?
अखबार ने लिखा है कि ऐसा लगता है वहां दो भारत हैं, एक जो ब्रिक्स समूह का हिस्सा है। चीन की तरह और दूसरा चीन के खिलाफ भड़काऊ बयान देते रहता है। क्या हमें पहले भारत को गले लगाकर दूसरे को सबक सिखाना चाहिए। ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि पहले भारत को दूसरे भारत को अनुशासन सिखाना चाहिए और स्वाभिमानी भारतीयों को जनरल रावत जैसे अपने सीनियर अधिकारियों के मुंह का ख्याल रखना चाहिए, क्योंकि वे उनके शब्द और अहंकार भारतीयों की इमेज के साथ मेल नहीं खाते हैं।

पुलिस के आ गए अच्छे दिन, अब साइकिल से रखेगी नजर!

अब लैला-मजनुओं की खैर नहीं! जी हां ऋषिकेश क्षेत्राधिकारी मंजूनाथ टीसी ने इन लैला-मझनुओं के साथ असामाजिक तत्वों पर काबू पाने के लिये एक नया रास्ता निकाला है। अब पुलिस गंगा नदी के किनारे स्थित आस्था पथ में दो शिफ्टों में गश्त लगाते नजर आयेगी। इससे एक तरफ आस्था पथ की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से निजात मिलेगी वहीं दूसरी ओर अश्लील हरकत करने वालों पर शिकंजा भी कसा जा सकेगा। इस नए तरह के ऑपरेशन में रूटीन में महिला और पुरुष कांस्टेबल गश्त करेंगे।
आपको बता दें कि आस्था पथ में आए दिन असमाजिक तत्वों द्वारा आस्था पथ की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा था। जिससे वहां लगी ग्रिल तक गायब हो गयी। आस्था पथ में अभी तक लैला-मझनुओं को दिन-दहाड़े अश्लील हरकत करते हुए भी देखा जा सकता था। इतना ही नहीं यहां शराबियों व नसेड़ियों का अड्डा भी बन चुका था। यहां अक्सर कॉलेज चुनावों के समय छात्रों द्वारा हुड़दंगियां करने की शिकायत पुलिस को लगातार मिल रही थी। आस्थापथ पर सुबह और शाम को घूमने वालों की भीड़ रहती है। लोग अक्सर मनचलों पर नकेल कसने की मांग उठा रहे थे। लोगों ने बताया के अक्सर यहां शाम को शराबी पहुंच जाते हैं। कई बार युवक-युवतियों के जोड़े भी अश्लील हरकतें करते देखे गए हैं। इससे लोगों को दिक्कत होती है। इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने आस्थापथ पर साइकिल से गश्त करने का प्लान तैयार किया।
कोतवाल प्रवीण सिंह कोश्यारी ने त्रिवेणीघाट स्थित आस्थापथ पर साइकिल गश्त का हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ किया। बताया कि साइकिल गश्त में एक महिला और एक पुरुष कांस्टेबल दो पाली में डयूटी करेंगे। पहली पाली सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक और दूसरी पाली दोपहर 2 बजे से रात 8 बजे तक रहेगी। सूचना के आदान-प्रदान के लिए गश्त दल को अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। सहायक पुलिस अधीक्षक मंजूनाथ टीसी ने आस्थापथ पर सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद रखने के लिए साइकिल गश्त का निर्णय लिया है, इस पर अमल करते हुए यह व्यवस्था शुरू की गई है। पुलिस की इस पहल पर क्षेत्रवासियों ने हर्ष जताया।

उत्तराखंड की नमिता बनी आर्मी अफसर

उत्तराखंड प्रदेश के वित्तमंत्री प्रकाश पंत की बिटिया नमिता पंत ने सेना की जेएजी ब्रांच (जज एडवोकेट जनरल) में आर्मी अफसर बनी है। इससे प्रदेश में खुशी का माहौल बना हुआ है। अक्सर देखा जाता है कि एक नेता की संतान फिर चाहे वह बेटा हो या बेटी। वह अपना कैरियर राजनीति में ही बनाना चाहता है, लेकिन देश की रक्षा करने का संकल्प लेकर नमिता पंत ने सभी ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। नमिता के इस हौसले को काफी सराहा जा रहा है।
उत्तराखंड के खड़कोट पिथौरागढ़ निवासी नमिता पंत ने 2012 में एलएलबी के बाद 2016 में एलएलएम किया। इसके बाद इंदौर में एसएसबी क्वालिफाई किया। पूरे देश से सिर्फ चार लड़कियों ने एसएसबी क्वालिफाई किया था। इसमें उत्तराखंड से सिर्फ नमिता का चयन हुआ। इसके बाद एक साल तक नमिता चेन्नई के ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी में बीएमटी (बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग) में प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण के उपरांत नमिता को सेना के जेएजी ब्रांच में आर्मी अफसर की उपाधि दी गई है।

अब स्थानीय भाषा में भी दर्ज हो सकेगी शिकायत

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में समाधान पोर्टल हेतु स्मार्ट आई.वी.आर.(इंटरैक्टिव वॉयस रेस्पॉन्स) सिस्टम के माध्यम से सार्वजनिक शिकायतों को मोबाईल/दूरभाष पर प्राप्त कर उनका निस्तारण किये जाने सम्बन्धी सेवा का शुभारम्भ किया। जन समस्याओं और सुझावों को और अधिक सुगम बनाने के लिए कोई भी व्यक्ति टोल फ्री नम्बर 1905 पर फोन कर अपनी शिकायत या सुझाव को पंजीकृत करा सकते है। इसके लिए शिकायतकर्ता को अपना नाम, पता, मोबाईल नम्बर एवं शिकायत का विवरण देना होगा। शिकायत एन.आई.सी. के पोर्टल पर दर्ज हो जायेगी। उसके बाद शिकायत, सम्बन्धित विभाग को भेजी जायेगी। जिसका सम्बन्धित विभाग द्वारा 10 दिन के अन्दर फीडबैक दिया जायेगा। आईवीआर सिस्टम के तहत एक साथ 15 लोग शिकायत/सुझाव दर्ज करा सकते हैं। इसमें लोग स्थानीय भाषा में भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। जिसके लिए अनुवाद की व्यवस्था भी रहेगी। त्रिवेन्द्र ने कहा कि समाधान पोर्टल पर आई.वी.आर. सिस्टम के होने से जनसमस्याओं के निवारण में तेजी आयेगी। समस्याओं के निवारण के लिए सम्बन्धित विभागों की जिम्मेदारी तय रहेगी। इससे प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों की समस्याएं पहुंचेगी तथा सुझाव भी मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अच्छी बात है कि आई.वी.आर. सिस्टम में स्थानीय बोलियों को भी सम्मिलित किया गया है।

2022 तक गरीबों को एक लाख आवास देने की मिली मंजूरी

2022 तक गरीब व कमजोर वर्गों को एक लाख आवास मुहैया कराने के लक्ष्य पर आगे बढ़ते हुए उत्तराखंड आवास नीति को मंजूरी दी गई है। निजी क्षेत्र की मदद से बनने वाले आवासों को राज्य सरकार प्रति आवास छह लाख रुपये की दर से खरीदेगी, जबकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को प्रति परिवार साढ़े तीन लाख रुपये पर आवास मुहैया कराया जाएगा।
राज्य खाद्य योजना के 11 लाख परिवारों को सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों पर चक्कर काटने से निजात रहेगी। आगामी एक नवंबर से इन परिवारों के बैंक खाते में खाद्यान्न सब्सिडी पहुंचेगी।
इसी तरह अंत्योदय परिवारों को भी चीनी की सब्सिडी उनके खाते में मुहैया कराई जाएगी। उक्त फैसले के साथ ही मंत्रिमंडल ने ऊर्जा के तीन निगमों को सातवां वेतनमान देने पर मुहर लगा दी।
सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि राज्य के तीन नगर निगमों, 22 नगर पालिकाओं और 10 नगर पंचायतों की सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
भविष्य में अन्य निकायों की सीमा में भी इजाफा किया जाएगा। अगले नगर निकाय चुनाव में नए विस्तारित क्षेत्र भी शामिल होंगे। निकायों के विस्तारित क्षेत्रों में जन सुविधाओं के लिए केंद्रीय योजनाओं का अधिक फायदा मिलेगा।
साथ ही नए बनने वाले वार्डों को विकास के लिए अधिक धनराशि उपलब्ध होगी। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड आवास नीति के तहत अगले पांच सालों में गरीबों को एक लाख आवास मुहैया कराने की कार्ययोजना को मंजूरी मिल गई है। इस कार्ययोजना को निजी भागीदारी से पूरा किया जाएगा। योजना में भागीदार निजी क्षेत्र को सरकार की ओर से रियायतें दी जाएंगी। राज्यभर में आवासहीन कमजोर वर्गों का चिह्नीकरण सर्वे नगर निकायों के जरिए कराया गया था। इस सर्वे के आधार पर ही निकायवार कमजोर वर्गों के लिए आवासों का निर्माण किया जाएगा। काबीना मंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल ने राज्य के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लघु व सीमांत किसानों को एक लाख ऋण मात्र दो फीसद ब्याज दर पर उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इस योजना को दीनदयाल सहकारिता सहभागिता योजना का नाम दिया गया है।

भारत सरकार की नजर में होगा नैनी झील का संरक्षण

पर्वतीय क्षेत्र नैनीताल यूं तो देश के साथ-साथ विदेशों में भी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिये जाना जाता है। हों भी क्यों ना? आखिर यहां नैनी झील ने सबको अपनी ओर आने पर विवश जो कर रखा है। आप यहां कभी भी आकर नैैनी झील में बोटिंग का लुफ्त उठा सकते है, परंतु इस बार नैैनी झील का जलस्तर घटने से जहां नैैनीताल की जनता के सम्मुख पेयजल की समस्या बनी हुयी है, तो वही पर्यटकों को आकर्षित करने वाली नैनी झील अब कम आकर्षित कर रही है और इसका प्रभाव यह देखने को मिला कि यहां पर्यटकों की संख्या अन्य वर्षों की तुलना में कम आंकी गई। लेकिन अब नैैनी झील के जलस्तर की डोर केद्र सरकार की अमृत योजना से दूर होगी।
भारत सरकार की अमृत योजना से नैनी झील में गिरने वाले क्षतिग्रस्त नालों को दुरुस्त करने, नालों की कवरिंग, पार्किंग आदि के लिए सात करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है। झील का स्वामित्व सिंचाई विभाग को सौंपने के बाद लोक निर्माण विभाग ने यह प्रस्ताव भी सिंचाई विभाग को सौंप दिया है। दरअसल, ब्रिटिश शासनकाल में नैनी झील के संरक्षण-संवर्धन के लिए शहर की पहाड़ियों पर 62 नाले बनाए गए थे। इनमें से सात नाले झील के जलागम क्षेत्र सूखाताल में गिरते हैं, जबकि छह बलियानाला में। टूट-फूट व अन्य वजहों से इनमें से तीन नालों का अस्तित्व खत्म हो चुका है। 44 नाले सीधे नैनी झील में गिरते हैं। बारिश में इन्हीं नालों के माध्यम से झील रीचार्ज होती है। अतिक्रमण, कूड़ा-कचरा आदि की वजह से नालों का अस्तित्व खतरे में पड़ा तो हाईकोर्ट को संज्ञान लेना पड़ा। झील में गिरने वाले नालों के किनारे से अतिक्रमण हटाने का आदेश पारित किया गया। इसके बाद हरकत में आई मशीनरी द्वारा अतिक्रमण की वजह से बंद किए गए नालों को खोला गया। इसी साल गर्मियों में झील का जलस्तर रिकार्ड स्तर पर नीचे चला गया तो पूरी सरकार और शासन तंत्र हिल गया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद झील का निरीक्षण करने व स्थानीय विशेषज्ञों से बात करने नैनीताल पहुंचे तो राज्यपाल ने उच्चस्तरीय बैठक कर कमिश्नर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई।
नालों के ऊपर जाली लगाने का प्रस्ताव
लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता एमपीएस कालाकोटी के अनुसार अमृत योजनांतर्गत नालों को कवर करने का भी प्रावधान है, ताकि अतिक्रमण और कूड़ा-करकट से उनको बचाया जा सके। 23 नंबर नाले के दोनों ओर घनी आबादी है। इसलिए नाले के ऊपर जाली लगाने का भी प्रावधान किया गया है। मल्लीताल मस्जिद के पीछे तथा बीडी पांडे अस्पताल के समीप पार्किंग का भी प्रस्ताव है। झील के समीप के खुले नाले पर स्कवर बनाने की योजना है, ताकि अत्यधिक बारिश में पानी सड़क के बजाय सीधे झील में जाए।

दून की यह पर्वतारोही करेगी भागीरथी 2 पीक फतह

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में 03 सदस्यीय महिला पर्वतारोहियों के एक दल को भागीरथी 2 पीक के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। 03 सदस्यीय महिला पर्वतारोहियों का यह दल देहरादून की पर्वतारोही माधवी शर्मा द्वारा लीड किया जा रहा है। हरियाणा की सविता मलिक और छत्तीसगढ़ की नैना धक्कड़ इस दल की दो अन्य सदस्य है। मुख्यमंत्री ने पर्वतारोही दल को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इससे बालिकाओं में साहसिक और कठिन कार्यों को करने की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि आज जब हम हिमालय की चिंता कर रहे हैं, हिमालय की पारिस्थितिकी की चिंता कर रहे हैं, ऐसे में बालिकाओं के इस साहसिक अभियान से लोगों को हिमालय से जुड़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने विशेष रूप से इस बात की प्रशंसा की कि यह पर्वतारोही दल वापस लौटते समय अपने साथ हिमालय क्षेत्र में अन्य ट्रैकर्स द्वारा छोड़े गए कूड़े कचरे को भी अपने साथ वापस ले आएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय की पारिस्थितिकी को स्वस्थ रखने के लिए उसका प्रदूषण मुक्त होना बेहद जरूरी है। उत्तराखंड में एडवेंचर टूरिज्म के लिए भी ऐसे अभियानों का बहुत महत्व है। उन्होंने पर्वतारोही दल में सम्मिलित सदस्यों के परिजनों को भी बधाई दी। टीम लीडर माधुरी शर्मा ने बताया कि टीम उत्तरकाशी में गौमुख से अपना अभियान प्रारंभ करेगी और भागीरथी2 चोटी पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ 18 सितंबर तक देहरादून लौट आएगी। उन्होंने बताया कि टीम के सभी सदस्यों ने एनआईएम उत्तरकाशी से अपनी ट्रेनिंग प्राप्त की है। उन्होंने बताया कि इस अभियान का एक मकसद यह भी है कि यह लड़कियों को उनके अंदर छिपी प्रतिभा, विश्वास और आत्म बल के प्रति प्रेरित कर सके। इसके साथ साथ ही वह दुनिया को यह भी दिखाना चाहती हैं कि उत्तराखंड में एडवेंचर टूरिज्म के लिए बहुत स्कोप है। उन्होंने कहा कि वह स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत अपना योगदान देते हुए, लौटते समय अपने साथ वहां अन्य ट्रैकर्स और पर्वतारोहियों द्वारा छोड़े गए कचरे को भी वापस ले आएंगे। मुख्यमंत्री ने पर्वतारोही दल के सदस्यों को स्मृति चिन्ह के रूप में श्री केदारनाथ की अनुकृति भेंट करते हुए उनके सफल अभियान की कामना की।

महिला क्रिकेटर से ऐसा कौन सा गिफ्ट पाकर कोच हुए गदगद

राज्य सरकार द्वारा खेल दिवस पर मानसी जोशी को सम्मानित किये जाने के बाद मानसी ने अपने गुरू को सम्मानित न करने पर नाराजगी जताई थी और वह खुद भी राज्य सरकार की ओर से सम्मान में दिए जाने वाली राशि पर नाखुश थी, लेकिन अपने गुरू के प्रति सच्ची श्रद्धा व सम्मान का भाव रखनी वाली मानसी ने उन्हें सरप्राइज गिफ्ट देने की मन में ठान ली थी।
गुरु की प्रेरणा से अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहुंची महिला क्रिकेटर मानसी जोशी ने अपने गुरु को उपहार स्वरूप कार भेंट की है। मानसी का कहना है कि कोच वीरेंद्र रौतेला की मेहनत का फल है कि वह आज इस मुकाम पर पहुंची हैं।
महिला विश्वकप की उपविजेता भारतीय टीम की सदस्य मानसी जोशी पिछले चार साल से क्रिकेट कोच वीरेंद्र सिंह रावत से प्रशिक्षण ले रही है। उनके सिखाए गुर और कठिन परिश्रम से मानसी ने 2016 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया।
सालभर के अंदर ही उन्होंने भारतीय महिला टीम में अपना स्थान पक्का करते हुए विश्वकप के लिए चुनी गई टीम तेज गेंदबाज के रूप में जगह बनाई। मानसी ने अपनी सफलता का श्रेय देते हुए कहा कि आज जो कुछ भी हूं वो रौतेला सर की बदौलत हूं। सेंट जोजफ्स ऐकेडमी में उन्हीं के प्रयासों से प्रैक्टिस शुरू कर सकी। अपने गुरु को सम्मानित करने के लिए उन्होंने गुरू वीरेन्द्र रौतेला को स्विफ्ट डिजायर कार भेंट की। अपनी शिष्य से उपहार पाकर वीरेंद्र रौतेला गदगद हो गए। वीरेंद्र सिंह रौतेला ने कहा कि उन्हें इस तरह के सरप्राइज गिफ्ट की कल्पना नहीं थी। मानसी ने जो सम्मान दिया है उससे कोई भी गुरु फर्क महसूस कर सकता है। कोच का काम खिलाड़ी तैयार करना होता है। बिना लालच के अपने अनुभव और परिश्रम से वह देश के लिए खिलाड़ी तैयार करता है। मुझ गर्व है कि मानसी ने मुझे इस काबिल समझा।

जंगली हाथी के हमले से पालतू हाथी की हुयी मौत

तीन जिलों की सीमा में फैला राजाजी टाइगर रिजर्व की चीला रेंज में एक पालतू हाथी की जंगली हाथी के हमले के दौरान मौत हो गई। जिससे क्षेत्र में रोष है। यह पालतू हाथी राजाजी टाइगर रिजर्व का था। बताया जा रहा है कि राजाजी टाइगर रिजर्व में राजा नाम से प्रसिद्ध इस पालतू हाथी पर जंगली हाथी ने हमला किया, जिससे उसकी मौत हो गयी। घटना से राजाजी प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। दरअसल राजा 1993 में रेलवे ट्रैक पर पड़ा हुआ मिला था राजा। तभी से पार्क प्रशासन इसका पालन पोषण कर रहा था। राजा पर्यटकों को सफारी भी करा रहा था।