उपराष्ट्रपति नायडू बोले रोजगार हर किसी को देना मुश्किल

पकौड़ा पॉलिटिक्स का शोर देश में अभी थमा भी नहीं था कि अब उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का नया बयान देश में नई बहस छेड़ सकता है

रोजगार के मामले पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, हर किसी को रोजगार नहीं दिया जा सकता। कोई भी सरकार यह नहीं कह सकती कि वो सभी को रोजगार देने में सक्षम है।

उन्होंने आगे कहा कि हमें यह समझने की जरुरत है कि शिक्षा का मतलब रोजगार देना नहीं होता, लेकिन इससे खुद में सुधार दिखता है। पकौड़े पर जारी विवाद पर उन्होंने कहा कि यह हर किसी के काम करने के तरीके पर निर्भर करता है, पकौड़ा बेचना भी एक काम है।

उपराष्ट्रपति ने कहा, इलेक्ट्रीशियन, टेलर और सेनेटरी जैसे हर क्षेत्र में लोगों की भारी कमी है। प्लंबर से लेकर फॉल सीलिंग तक हर क्षेत्र में कुशल मजदूरों की कमी है। अगर हम ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाएं मुहैया कराएं तो लोग बाहर नहीं जाएंगे। आपको इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत चीजों में सुधार लाना होगा।

रोजगार और पकौड़ा पॉलिटिक्स पर अपनी राय देने के बाद अपने संबोधन के दौरान उन्होंने एयरहोस्टेस को नया नाम भी दिया। उन्होंने एयरहोस्टेस को गगनसखी कहा। उन्होंने बताया कि इस शब्द के अनुवाद के लिए उन्हें कोई शब्द नहीं मिला।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि पैसा बॉथरुम और बेडरुम हर जगह पड़े हुए हैं। अगर ये पैसे बैंक में आ जाएं तो इंटरेस्ट रेट में कमी आएगी। जन धन योजना का महत्व 8 दिसंबर, 2016 के बाद समझ में आया जब लोगों ने बताया कि उनके नौकर और ड्राइवर के पास भी बैंक खाता है। कुछ लोगों ने सुबह इसकी जमकर आलोचना की लेकिन शाम को वो इसी के साथ काम करते नजर आए।

सपा प्रवक्ता का कहना, लोस चुनाव में मोदी का विकल्प अखिलेश

लोकसभा चुनाव होने में अभी चौदह महीने रह गये है। उधर, कांग्रेस ने राहुल गांधी के चेहरे को आगे करके चुनाव में उतरने के लिए कदम बढ़ा दिया है। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि देश में मोदी का विकल्प राहुल गांधी हैं और देश की जनता राहुल को प्रधानमंत्री देखना चाहती है।

सुरजेवाला की इस बात से कांग्रेस को एनसीपी का समर्थन मिला है। तो वहीं, दूसरे विपक्षी दलों में अलग-अलग राय दी है। समाजवादी पार्टी राहुल के बजाय अखिलेश यादव को मोदी का विकल्प बता रही है। आरजेडी कांग्रेस के फैसले से पूरी तरह सहमत नहीं है, लेकिन मोदी के मुकाबले राहुल की राजनीति के साथ खड़े होने की बात कह रही है।

एनसीपी के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने कहा- बेशक मौजूदा समय में राहुल गांधी ही मोदी का विकल्प हैं। कांग्रेस की राय से मैं पूरी तरह सहमत हूं. गुजरात विधानसभा चुनाव और राजस्थान के उपचुनाव के नतीजों से साफ हो गया है कि राहुल गांधी में नेतृत्व करने की क्षमता है। जिस तरह से राहुल गांधी ने अपनी राजनीति से बीजेपी को मात देनी शुरू की है। उससे साफ है कि 2019 का चुनाव विपक्ष की तरफ से मोदी के मुकाबले राहुल गांधी ही विकल्प होंगे।

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि ये जनता तय करेगी कि मोदी का विकल्प कौन है? कांग्रेस पार्टी के नेता अपने नेता की बात कर रहे हैं। ये उनकी राय होगी। जबकि सपा मानती है कि गांव और गरीब की बात करने वाले अखिलेश यादव बड़ा विकल्प हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीति में अखिलेश यादव ने विकास का वैकल्पिक मॉडल दिया है। इतना ही नहीं अखिलेश ओबीसी और किसान परिवार से निकले हैं उनके दर्द को समझते हैं। ऐसे में मोदी के सामने सबसे बेहतर विकल्प अखिलेश होंगे।

राहुल पर विचार

आरजेपी के प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि कांग्रेस के साथ हमारी सकारात्मक सोच है, लेकिन लोकतंत्र में सामूहिक फैसला होना चाहिए। 2019 के लिए राहुल के नाम को आगे बढ़ाती है तो विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में मोदी की तुलना में राहुल की राजनीति भारत की आत्मा के ज्यादा करीब है। मोदी जहां विध्वंस की राजनीति करते हैं तो राहुल सर्वसमाज को लेकर चलने वाली राजनीति करते हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि देश में नरेंद्र मोदी का विकल्प सिर्फ कांग्रेस प्रेसिडेंट राहुल गांधी हैं। देश में आज दो मॉडल्स हैं। एक है मोदी मॉडल है वो दिन में छह बार कपड़े बदलते हैं, वो देश से ज्यादा अपने कपड़ों को अहमियत देते हैं। जबकि दूसरा, राहुल मॉडल है, वो सादगी से रहते हैं और अपनी बात साफ-साफ कहते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की लहर चलने वाली है और देश की जनता राहुल गांधी को पीएम के रूप में देखना चाहती है।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस उसी तर्ज पर चल रही है, जो 2014 के लोकसभा चुनाव से एक साल पहले बीजेपी ने 2013 से ही नरेंद्र मोदी को पीएम के चेहरे के तौर पर पेश किया था। इसके बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए के साथ कई सहयोगी दल साथ आए थे। इनमें राम विलास पासवान की लोजपा, उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा और अनुप्रिया पटेल की अपना दल सहित कई सहयोगी दल जुड़े थे। इसके अलावा कई नेताओं ने कांग्रेस सहित कई पार्टी से नाता तोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। कांग्रेस उसी तर्ज पर अब राहुल के नाम को आगे बढ़ाने में जुटी है।

एक बार फिर नये अवतार में उतरी पनडुब्बी करंज

भारत की समुद्री शक्तियों में उजाफा हो रहा है। इस संबंध में भारतीय नौसेना में स्कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी करंज को मंगलवार में शामिल किया गया। इसे मुंबई के मझगांव डॉक पर लांच किया गया।
करंज को पूरी तरह से मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया है। कलवरी और खांदेरी के बाद करंज के शामिल होने भारत की समुद्री ताकत मजबूत होगी। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी और अरब सागर के पास पाकिस्तान को कड़ा जवाब देने के लिए ये सबमरीन काफी अहम भूमिका निभाएगी। चीन और पाकिस्तान के लिए करंज को अपनी रडार में लेना काफी मुश्किल साबित होगा।
आपको बता दें कि करंज इससे पहले चार सितंबर, 1969 को भारतीय नौसेना में शामिल हुई थी, जिसके बाद 2003 में रिटायर हुई थी। अब एक बार फिर नए अवतार के साथ इसे लॉन्च किया गया है।

खास बातें –

– दुश्मन के लिए रडार में आना मुश्किल

– जमीन पर हमला करने में भी सक्षम।

– लंबे समय तक पानी में रुक सकती है।

भारत की 2029 तक 24 पनडुब्बियां बनाने की योजना है। इसके पहले प्रॉजेक्ट पी-75 के तहत स्कॉर्पीन सीरीज की छह पनडुब्बियां बनाई जा रही हैं। डीजल-इलेक्ट्रिक दोनों ही तरह की ताकत से लैस इस पनडुब्बी के आने के बाद से नौसेना के पास कुल पनडुब्बियां 14 हो जाएगी। कंरज इस सीरीज की तीसरी पनडुब्बी है।

मोदी के दावोस भाषण को चीन ने सराहा

विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का कायल प्रतिद्वंद्वी देश चीन भी हुआ है। चीन ने मोदी के भाषण की सराहना करते हुये आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और संरक्षणवाद को दुनिया की तीन सबसे बड़ी चुनौती माना है और यही बात पीएम मोदी ने भी अपने भाषण के दौरान कही।

मोदी के दावोस के भाषण की सराहना कर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि हमने नरेंद्र मोदी का संरक्षणवाद के खिलाफ दिया भाषण सुना। ये बयान दर्शाता है कि मौजूदा वक्त में ग्लोबलाइजेश दुनिया का ट्रेंड बन गया है। इससे विकासशील देशों समेत सभी देशों को लाभ पहुंचता है। संरक्षणवाद के खिलाफ लड़ने और ग्लोबलाइजेशन को बढ़ावा देने में भारत और चीन के बीच काफी समानता है।

प्रधानमंत्री मोदी के बयान का समर्थन करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत समेत दुनिया के सभी देशों के साथ समन्वय बढ़ाने का आह्वान किया है। साथ ही दुनिया की आर्थिक ग्रोथ बढ़ाने के लिए आर्थिक ग्लोबलाइजेशन को बढ़ावा देने की बात कही। पीएम मोदी ने कहा था, ग्लोबलाइजेशन अपने नाम के विपरीत सिकुड़ता चला जा रहा है। मैं यह देखता हूं कि बहुत से समाज और देश ज्यादा से ज्यादा आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं।

इधर दावोस में विश्व आर्थिक मंच सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने सभी भारतीयों के लिए गर्व का विषय करार दिया है। अमित शाह ने श्रृंखलाबद्ध ट्वीट करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने दावोस में भारत की ताकत और उम्मीदों को दुनिया के समक्ष बिल्कुल सही तरीके से पेश किया है। उन्होंने इस बात को भी शानदार तरीके से रखा कि कैसे भारतीय संस्कृति लोगों को जोड़ने में विश्वास रखती है न कि लोगों को विभाजित करने में। अमित शाह ने कहा, हजारों साल पहले लिखे गए हमारे शास्त्रों में वसुधैव कुटुम्बकम का जिक्र है। हम सभी हमारे साझा भाग्य से जुड़े हुए हैं।

जलवायु परिवर्तन पर अमित शाह ने इसे बहुत बड़ी वैश्विक चुनौती बताया। मोदी के नेतृत्व में भारत ने इस संबंध में न सिर्फ महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है बल्कि उसे हासिल करने के लिए अभूतपूर्व कदम भी उठा रहा है। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हर वैश्विक मंच से आतंकवाद के खिलाफ आवाज बुलंद की है। डडब्ल्यूईएफ में भी उन्होंने दुनिया से आतंकवाद को परास्त करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया।

देश को मिला नया मुख्य चुनाव आयुक्त

देश के नए मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत होंगे। वे मंगलवार यानि 23 जनवरी को अपना कार्यभार संभालेंगे। एके ज्योति 22 जनवरी को रिटायर हो रहे हैं। इसके साथ ही अशोक लवासा को चुनाव आयुक्त बनाया गया है।

वर्तमान सीईसी ज्योति ने अपने कार्यकाल के आखिरी वक्त में आप के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है, जिससे दिल्ली की सियासत बेहद गर्म हो गई है।

मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में रावत का कार्यकाल 11 महीने का होगा। रावत इस साल दिसम्बर तक अपने पद पर रहेंगे। रावत की देखरेख में इस साल होने वाले राजस्थान, कर्नाटक और मध्यप्रदेश के चुनाव भी शामिल हैं।

कानून मंत्रालय के मुताबिक सरकार ने पूर्व वित्त सचिव अशोक लवासा को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया है। आयोग में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की गयी है। एक अन्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा हैं।

ओम प्रकाश रावत 1977 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं। 14 अगस्त 2015 को उन्हें चुनाव आयुक्त बनाया गया है। इससे पहले रावत मिनिस्ट्री ऑफ हैवी इंडस्ट्रीज एंड पब्लिक इंटरप्राइजेज में सचिव पद पर तैनात थे। 2 दिसंबर 1953 में उनका जन्म हुआ था। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से उन्होंने डेब की है। अपने लंबे सेवाकाल में रावत राज्य के साथ-साथ केंद्र में भी महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहे हैं।

आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की सिफारिश करने पर आप ने एके ज्योति पर दबाव में ये फैसला करने की बात कही है। साथ ही एके ज्योति को राज्यपाल बनाए जाने का लालच मिलने का भी आरोप लगाया।

सरकार पिछड़े जिलों को संवारने को कर सकती ये

केंद्रीय आम बजट में इन जिलों में विकास कार्यो में तेजी लाने के लिए खासी धनराशि आवंटित की जा सकती है। सरकार आम बजट 2018-19 में पिछड़े जिलों के संवारने के लिए कुछ नया कर सकती है।

नीति आयोग ने देशभर में 100 से अधिक पिछड़े जिलों के विकास की योजना तैयार की है। आयोग ने इन जिलों को एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट का नाम दिया है। इन जिलों के विकास के लिए आम बजट 2018-19 में मदद के विकल्पों पर विचार हो रहा है। इन जिलों के लिए बजट में आवंटित सहायता राशि को संबंधित राज्य सरकारों के माध्यम से खर्च किया जा सकता है। इनमें झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश सहित कई प्रदेशों के पिछड़े जिले शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि इन जिलों के लिए खासी धनराशि आवंटित की जाएगी।

सूत्रों के अनुसार इन जिलों के विकास के लिए धनराशि देने के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट एक्शन प्लान भी बनाए जाएंगे। साथ ही सामाजिक-आर्थिक विकास के अलग-अलग पैमाने पर समयबद्ध लक्ष्य तय कर इनकी रैंकिंग की जाएगी। सरकार ने इन जिलों की स्थिति सुधारने के लिए केंद्रीय मंत्रालयों में तैनात अतिरिक्त और संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों को प्रत्येक पिछड़े जिले का प्रभारी अधिकारी भी बनाया है। पिछड़े जिलों में वामपंथी अतिवाद से प्रभावित जिले भी शामिल हैं।

विकास की दृष्टि से पिछड़े ये जिले सरकार की प्राथमिकता में सबसे ऊपर हैं। इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन जिलों के जिलाधिकारियों के एक सम्मेलन को संबोधित किया। नीति आयोग की ओर से आयोजित किए गए दो दिवसीय सम्मेलन का थीम कान्फ्रेंस ऑन ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स रखा गया था। इसमें पिछड़े जिलों में स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा की स्थिति पर चर्चा कर विकास की रणनीति तैयार की गयी। सूत्रों ने कहा कि इस रणनीति को धरातल पर उतारने के लिए ही आम बजट में वित्तीय उपाय किए जाएंगे। बजट में आवंटित धनराशि का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए ही विकास के अलग-अलग मानकों पर इनकी रैंकिंग की जाएगी।

चावल व गेंहू के अलावा अन्य फसलों पर सरकार देगी खरीद की गांरटी

सरकार ने कृषि की ओर कदम बढ़ाते हुये आगामी वित्त वर्ष के आम बजट में कुछ कारगर पहल किये जाने की संभावना जताई है। जिसके तहत सरकार गेहूं और चावल को छोड़ अन्य सभी फसलों की खरीद की गारंटी देने की योजना बना रही है।

योजना के तहत राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को गेहूं व चावल को छोड़कर सभी फसलों की न्यूनतम गारंटी देनी होगी। आम बजट में इस पर प्रावधान किये जाने की संभावना है। दरअसल, सरकार दो दर्जन से अधिक फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित करती है, लेकिन गेहूं व चावल को छोड़ बाकी फसलों की खरीद आमतौर पर नहीं होती है। छिटपुट राज्यों में कुछ-कुछ फसलों की खरीद कर ली जाती है। हालांकि, गेहूं व चावल की खरीद की शत प्रतिशत गारंटी नहीं होती है।

गेहूं व चावल की सरकारी खरीद पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में की जाती है। बाकी राज्यों में छिटपुट तौर पर थोड़ी बहुत होती है। इनके अलावा ढेर सारी फसलें होती हैं, जो किसानों की आमदनी को प्रभावित करती हैं। इसे लेकर किसानों की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। जिन फसलों की एमएसपी घोषित भी होती है, लेकिन उनकी खरीद नहीं होती है। इससे किसानों को घाटा उठाना पड़ता है। किसानों की यह मांग लंबे समय से होती आ रही है कि उनकी उपज की खरीद की गारंटी होनी चाहिए।

कृषि मंत्रालय ने आम बजट के लिए इस आशय का एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें जिंस बाजार के उतार-चढ़ाव के बावजूद किसानों को नुकसान से बचाने की रणनीति तैयार की गई है। इसके मुताबिक राज्यों को इन फसलों के मूल्य कम होने की दशा में उपज की खरीद का पूरा हक होगा, जिसके लिए केंद्र भरपाई की गारंटी देगा। किसानों को बाजार मूल्य में उतार चढ़ाव के जोखिम से बचाने की रणनीति तैयार की गई है।

योजना का उद्देश्य खरीद लागत, भंडारण, विक्रय लागत, पूंजी पर ब्याज और अन्य आकस्मिक खर्च को कवर करते हुए खरीद और विक्रय मूल्य के अंतर में अगर घाटा हुआ तो केंद्र सरकार भरपाई करेगी। यह विशेष प्रावधान मध्य प्रदेश सरकार की शुरु की गई भावांतर योजना से मिलती जुलती होगी। घाटे के इस अंतर का 40 से 50 फीसद केंद्र सरकार देगी, जबकि बाकी राज्य सरकारों को वहन करना होगा। खरीद किये जाने वाली जिंसों की बिक्री का पूरा दायित्व राज्य सरकारों का होगा।

इसरो ने पीएसएलवी के जरिये लांच किये 31 उपग्रह

भारत ने 12 जनवरी को अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतिहास रच दिया है। सुबह नौ बजकर अठ्ाइस मिनट पर इसरो ने श्रीहरिकोटा से 31 उपग्रहों की लॉन्च किया। इसी के साथ ही इसरो के उपग्रहों का शतक पूरा हो गया है। शुक्रवार को लॉन्च उपग्रहों में से एक काफी खास है, जिससे पड़ोसी देश पाकिस्तान भी सावधान है। ये उपग्रह है कार्टोसैट-2, जिसे आई इन द स्काई भी कहा जा रहा है।

क्यों घबरा रहे हैं चीन और पाकिस्तान?

इस उपग्रह के जरिए धरती की तस्वीरें ली जा सकती हैं। बॉर्डर पर आतंकियों की गतिविधियों पर नजर रखने में भारत को आसानी होगी। यह एक अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट है जो कि दुश्मन पर नजर रखने के काम आएगा। इस उपग्रह की मदद से हम बॉर्डर पार भी पाकिस्तान और चीन की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं।

आपको बता दें कि इसरो ने शुक्रवार सुबह नौ बजकर अठ्ाइस मिनट पर पीएसएलवी के जरिए एक साथ 31 उपग्रह को लॉन्च किया। भेजे गए कुल 31 उपग्रहों में से तीन भारतीय हैं और 28 छह देशों से हैंरू कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका भी शामिल हैं।

इसलिए भी है खास

पृथ्वी अवलोकन के लिए 710 किलोग्राम का कार्टोसेट-2 सीरीज मिशन का प्राथमिक उपग्रह है। इसके साथ सह यात्री उपग्रह भी है जिसमें 100 किलोग्राम का माइक्रो और 10 किलोग्राम का नैनो उपग्रह भी शामिल हैं। कुल 28 अंतरराष्ट्रीय सह-यात्री उपग्रहों में से 19 अमेरिका, पांच दक्षिण कोरिया और एक-एक कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन और फिनलैंड के हैं।

बौखलाया पाकिस्तान

भारत की इस उपलब्धि पर पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि भारत जिन उपग्रहों का प्रक्षेपण कर रहा है, उससे वह दोहरी नीति अपना रहा है। इन उपग्रहों का इस्तेमाल नागरिक और सैन्य उद्देश्य में किया जा सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि इनका इस्तेमाल सैन्य क्षमताओं के लिए ना किया जाए, अगर ऐसा होता है कि इसका क्षेत्र पर गलत प्रभाव पड़ेगा।

साल की पहली अंतरिक्ष परियोजना

31 अगस्त 2017 इसी तरह का एक प्रक्षेपास्त्र पृथ्वी की निम्न कक्षा में देश के आठवें नेविगेशन उपग्रह को वितरित करने में असफल रहा था। पीएसएलवी-सी40 वर्ष 2018 की पहली अंतरिक्ष परियोजना है। अन्नादुरई ने कहा, पीएसएलवी अपने 39वें परियोजना (पीएसएलवी-सी 39) तक बहुत सफल रहा था, पीएसएलवी-सी 39 हमारे लिए एक बहुत बड़ा झटका था क्योंकि हीट शील्ड अलग नहीं हो पाए थे।

सुप्रीम कोर्ट में पहली बार वकील से सीधे जज बनेंगी इंदु

उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश केएम जोसेफ व वरिष्ठ अधिवक्ता इंदू मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है।

सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने सरकार से इन दोनों ही लोगों को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है। इंदू मल्होत्रा को 2007 में वरिष्ठ वकील का दर्जा दिया गया था। वे सुप्रीम कोर्ट में अभी तक नियुक्त हुईं सातवीं महिला जज होंगी। अभी फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में आर. भानुमति अकेली महिला जज हैं। स्वतंत्रता के बाद से अभी तक सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ छह महिला जज हुई हैं।

जस्टिस केएम जोसेफ फिलहाल उत्तराखंड हाईकोर्ट के जज हैं। वे उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन का आदेश रद करने वाली पीठ में शामिल थे। उसके बाद उनके स्थानांतरण की चर्चाएं रहीं लेकिन उत्तराखंड से उनका स्थानांतरण नहीं हुआ।

कोलेजियम ने इसके अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज जस्टिस शिव कुमार सिंह को स्थाई करने की सिफारिश की है। हालांकि कोलेजियम के समक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट के कुल 11 अतिरिक्त जजों को स्थाई करने का प्रस्ताव था, लेकिन शिव कुमार सिंह का कार्यकाल समाप्त हो रहा था। इसलिए फिलहाल उनके बारे में सिफारिश की गई है। बाकी प्रस्तावों पर कोलीजियम बाद में विचार करेगी।

सुप्रीम कोर्ट में महिला जज

सुप्रीम कोर्ट 1950 में बना उसके 39 साल बाद 1989 में एम फातिमा बीवी सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज नियुक्त हुईं। फातिमा बीवी केरल हाईकोर्ट से सेवानिवृत होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुईं थी। वे 29 अप्रैल 1992 को सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत हुईं। बाद में वे तमिलनाडु की राज्यपाल भी नियुक्त हुईं।

सुप्रीम कोर्ट में दूसरी महिला जज सुजाता वी मनोहर हुईं जिन्होंने जज के रूप में अपने कैरियर की शुरूआत बाम्बे हाईकोर्ट जज से की थी। वे सुप्रीम कोर्ट में 8 नवंबर 1994 से 27 अगस्त 1999 तक न्यायाधीश रहीं। जस्टिस सुजाता मनोहर के सेवानिवृत होने के करीब पांच महीने बाद जस्टिस रूमा पाल सुप्रीमकोर्ट की जज बनीं। जस्टिस पाल सबसे लंबे समय तक रहीं। वे 28 जनवरी 2000 से लेकर 2 जून 2006 तक सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश रहीं। उनके बाद चार साल तक सुप्रीम कोर्ट मे कोई महिला जज नहीं रही।

चार साल बाद झारखंड हाईकोर्ट की तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश नियुक्त हुईं। जस्टिस मिश्रा 30 अप्रैल 2010 को सुप्रीम कोर्ट जज बनी और 27 अप्रैल 2014 को सेवानिवृत हुईं। इसी दौरान जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई सुप्रीम कोर्ट की जज बनीं। जस्टिस देसाई 13 सितंबर 2011 से लेकर 29 अक्टूबर 2014 तक सुप्रीम कोर्ट जज रहीं। इस दौरान पहली बार सुप्रीम कोर्ट में एक साथ दो महिला जज रहीं।

जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की सेवानिवृति के करीब दो महीने पहले सुप्रीम कोर्ट की वर्तमान महिला जज आर. भानुमति सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त हुईं। जस्टिस भानुमति 13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश नियुक्त हुईं वे 19 जुलाई 2020 को सेवानिवृत होंगी। सुप्रीम कोर्ट के 67 सालों के इतिहास में सिर्फ दो बार एक साथ दो महिला जज रहीं।

अनियंत्रित ट्रक ने लिया पांच वाहन को चपेट में, दो की मौत

ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से पुराने बस अड्डे की ओर जाने वाली रोड़ पर मंगलवार को सड़क दुर्घटना हो गयी। दुर्घटना में स्कूटी सवार एक मजदूर व कार चालक की मौके पर मौत हो गयी। वहीं सूमो सवार छह अन्य घायल हो गये। ट्रक चालक मौके से फरार होने में सफल रहा। वहीं देर रात ट्रक चालक के खिलाफ मुकादमा दर्ज कर लिया गया है।
मंगलवार का दिन तीर्थनगरी के लिये बड़ा दुखहारी रहा। बेकाबू ट्रक ने पांच वाहनों को अपनी चपेट में ले लिया। आलम यह रहा कि ऑल्टो कार बुरी तरह से कुचल कर सिमट गयी। वहंी सूमो तो 90 डिग्री का कोण बनाते हुये आगे के दौ टायरों पर खड़ी हो गयी। वहीं मौके पर दूसरी तरफ से आ रहे स्कूटी सवार भी इनके बीच में समा गये। स्कूटी भी पिचक कर खिलौना बन गयी। वहीं एक और बाइक सवार ने मौके पर ब्रेक लगाकर खुद को किसी तरह बचा लिया।
घटना उस वक्त की जब नगर में नो एंट्री व जीरो जोन का समय होता है। ऐसे में पुलिस अधिकारियों पर भी सवाल उठना लाजिमी है। आखिर कार कैसे नो एंट्री के समय ये माल वाहक ट्रक नगर के बीच से होकर जा रहे थे।
दुर्घटना में कुंदन (25 वर्ष) निवासी शांति नगर ऋषिकेश, मूल निवासी बिहार व रामस्वरूप (58 वर्ष) पुत्र हरि सिंह रावत निवासी इंदिरा नगर ऋषिकेश की मौके पर ही मौत हो गई। अन्य लोगों में राधेश्याम (40 वर्ष) पुत्र धर्मपाल निवासी सुंजडू, मुजफ्फरनगर, सतीश (40 वर्ष) पुत्र सज्जन प्रजापति निवासी भरत विहार ऋषिकेश, जुनवरी देवी (45 वर्ष) पत्नी महेंद्र सिंह निवासी नीरगड्डू तपोवन टिहरी गढ़वाल, हरिनारायण (70 वर्ष) पुत्र सुधांशु निवासी मायाकुंड ऋषिकेश, शिशुपाल (24 वर्ष) पुत्र महेंद्र निवासी नीरगड्डू टिहरी गढ़वाल को राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया जहां देर रात सभी घायलों को हायर सेंटर रेफर कर दिया गया।
गौरतलब है कि रेलवे रोड से हीरालाल मार्ग की ओर ढलान पर आ रहे सीमेंट से लदे एक ट्रक के ब्रेक फेल हो गए। तेज ढलान होने के कारण चालक ट्रक पर नियंत्रण खो बैठा। रेलवे स्टेशन की ओर से आने वाली यह सड़क आगे चलकर पुराने रोडवेज अड्डे पर मिलती है और यहां से दायीं ओर और बायीं ओर के लिए सड़कें कटती है। जबकि सामने पुराना रोडवेज अड्डे की दीवार है। तिराहे के पास अनियंत्रित ट्रक ने अपने आगे चल रही एक ऑल्टो कार को टक्कर मारते हुए घसीट दिया। जिससे ऑल्टो कार अपने आगे चल रहे टाटा सूमो वाहन से जा टकराई और टाटा सूमो अपने आगे चल रहे एक अन्य ट्रक से जा भिड़ा। इतना ही नहीं सबसे आगे चल रहा ट्रक भी मोड़ नहीं काट पाया और सामने पुराना रोडवेज बस अड्डे की बाउंड्री के बाहर लगे विद्युत ट्रांसफार्मर से जा भिड़ा। इस बीच एक स्कूटी सवार भी इन वाहनों के बीच बुरी तरह कुचल गया। सीमेंट लदे ट्रक की गति इतनी तेज थी कि दोनों ट्रकों के बीच में जो भी वाहन आए उनके परखच्चे उड़ गए। भीषण दुर्घटना के बाद मौके पर लोगों की भीड़ जाम हो गई। स्थानीय लोगों ने पुलिस की मदद से घायलों को वाहनों से बाहर निकाला। जिन्हें 108 आपात सेवा की मदद से राजकीय चिकित्सालय पहुंचाया गया।