राज्य सरकार ने सृजित किये रोजगार के नये मौके

उत्तराखंड को पर्यटन राज्य बनाने की दिशा में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत मंत्रिमंडल ने महत्वपूर्ण कदम उठाये है। उन्होंने सैकड़ो रोजगार देने के लिये वीर चंद्र सिंह गंढ़वाली योजना का दायरा बढ़ाकर क्याकिंग, टेरेनबाइकिंग, कैरावेन, एग्लिंग, स्टार गेसिंग, बर्ड वॉचिंग, आदि गतिविधियों को जोड़ा है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बुधवार को कोटी कॉलोनी क्षेत्र में टिहरी झील में तैरती बोट पर बैठक हुई। बैठक में 13 बिंदु रखे गए। लेकिन थराली उपचुनाव की आचार संहिता लागू होने के चलते जोशीमठ क्षेत्र से जुड़े एक बिंदु को स्थगित कर दिया गया। सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग) पॉलिसी में संशोधन कर पर्यटन से जुड़ी कई गतिविधियों को उद्योग का दर्जा दिया गया। अब कायाकल्प रिजॉर्ट, आयुर्वेद, योग, पंचकर्मा, बंजी जंपिंग, जॉय राइडिंग, सर्फिंग, कैंपिंग, राफ्टिंग जैसे उद्यम एमएसएमई नीति के तहत आएंगे। इस क्षेत्र में आने वाले उद्यमियों को उक्त नीति के तहत तमाम सुविधाएं मिलेंगी।

मेगा इन्वेस्टमेंट इंडस्टियल पॉलिसी के तहत आयुष और वेलनेस को लाया गया है। इससे होटल, रिजॉर्ट, क्याकिंग, सी प्लेन उद्योग, आयुर्वेद, योग जैसी 22 गतिविधियां को शामिल किया गया है। इन गतिविधियों के लिए आने वाले उद्यमों को सरकार की ओर से कई लाभ मिलेंगे।

वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना में 11 नई गतिविधियों के लिए उपकरणों की खरीद के लिए सहायता दी जाएगी। काबीना मंत्री कौशिक ने बताया कि चालू वर्ष को रोजगार वर्ष के रूप में घोषित किया गया है। सरकार का उद्देश्य पर्यटन और रोजगार को आपस में जोड़कर राज्य के युवाओं को रोजगार से जोड़ना है।

राज्य आंदोलनकारियों की याचिका हुयी खारिज

हाईकोर्ट ने राज्य आंदोलनकारियों की उस याचिका को खारिज किया है। जिसमें उन्हें सरकारी सेवाओं में दस फीसदी आरक्षण की मांग की थी।

राज्य आंदोलनकारियों को दस फीसद क्षैतिज आरक्षण के मामले में हाई कोर्ट के दो न्यायाधीश द्वारा अलग-अलग राय दी गई। जस्टिस सुधांशु धूलिया द्वारा आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया गया तो जस्टिस यूसी ध्यानी द्वारा संवैधानिक करार दिया गया। इसके बाद मामला मुख्य न्यायाधीश तक पहुंचा तो उन्होंने निर्णय के लिए तीसरी बैंच को मामला रेफर कर दिया।

न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया था। आरक्षण असंवैधानिक करार देने के फैसले को चुनौती देते हुए अधिवक्ता रमन कुमार साह द्वारा पुनर्विचार याचिका दायर की गई। मंगलवार को न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। अधिवक्ता साह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने के लिए पुनर्विचार याचिका दायर करना जरूरी था। अब आरक्षण मामले को लेकर जल्द एसएलपी दायर की जाएगी।

अपना प्रभाव दिखाते तो लाखों की नौकरी करता बेटाः प्रेमचंद

उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के बेटे अपूर्व अग्रवाल को उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम (उपनल) से जलसंस्थान में सहायक अभियंता के पद तैनाती मिली थी। यह मामला प्रकाश में आने के बाद काफी बड़ा मसला खड़ा हो गया था। राज्य के विभिन्न जगहों पर प्रदर्शन व विस अध्यक्ष के पुतले तक आग के हवाले किये जा रहे थे। इस बीच विवाद को बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष के बेटे अपूर्व अग्रवाल ने इस्तीफा दे दिया है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने जानकारी देते हुये बताया कि उनके बेटे ने इस पद से इस्तीफा दे दिया है और अब इस विषय को यहीं समाप्त किया जाए।

पत्रकारों से बातचीत में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल इस पूरे प्रकरण पर व्यथित नजर आए। उन्होंने कहा कि उनका बेटा अपूर्व उपनल में सहायक अभियंता के पद पर 11 माह के लिए अस्थायी नियुक्ति हुआ था। उनके बेटे ने इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया के तहत आवेदन किया गया था। इस नियुक्ति में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। इसके लिए उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल नहीं किया। यदि वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते तो उनका बेटा दो-तीन लाख की नौकरी करता, न कि 15 हजार रुपये की अस्थायी नौकरी। उनके बेटे की यदि अपनी योग्यता व मेहनत के बूते नौकरी लगी है, इसके बाद भी ऐसी बातें कही जा रही हैं, इसका उन्हें कष्ट है।

उन्होंने कहा कि मेेरे राजनीतिक जीवन में अभी तक आरोप नहीं लगे हैं। वे राज्य आंदोलन समेत तमाम मांगों को लेकर संघर्षरत रहे हैं। उनकी छवि व संवैधानिक पद पर उनकी मर्यादा को तार-तार करने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि अब उनके बेटे ने इस्तीफा दे दिया है तो इस प्रकरण को यहीं समाप्त किया जाए।

रबी विपणन सत्र की बैठक में सीएम ने दिये ये निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में रबी विपणन सत्र 2018-19 की समीक्षा की। उन्होंने अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देश दिये कि गेहूं की फसल कटाई से पूर्व सहकारिता विभाग को अपेक्षित धनराशि उपलब्ध करा दी जाय ताकि किसानों को गेहूं क्रय मूल्य का भुगताल समय पर प्राप्त हो।

मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुये कहा कि गेहूं क्रय हेतु नामित विभाग एवं संस्थान आपसी समन्वय से गेहूं क्रय के लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करें। उन्होंने क्रय नीति को भी शीघ्र अंतिम रूप देने को कहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने गतवर्ष की भांति इस वर्ष भी 2.21 लाख मीटरटन गेहूं क्रय लक्ष्य निर्धारित करने तथा गेहूं का समर्थन मूल्य भारत सरकार द्वारा निर्धारित दर 1735 प्रति कुन्तल निर्धारित किये जाने को कहा। मुख्यमंत्री ने गेहूं भण्डारण क्षमता व भण्डारण एंजेसियों से सम्बन्धित कार्ययोजना पर भी ध्यान देने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को गेहूं क्रय केन्द्रों पर कोई कठिनाई न हो तथा गेहूं का मूल्य किसानों को समय पर उपलब्ध हो जाय, यह भी सुनिश्चित किया जाय।

प्रमुख सचिव खाद्य आनन्द बर्धन ने अवगत कराया कि प्रदेश में रबी विपणन सत्र 2018-19 हेतु 05 क्रय एजेन्सियां नामित की गई है, जिसमें खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग (विपणन शाखा), उत्तराखण्ड राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड, भारतीय राष्ट्रीय कृषक उपज उपार्जन, प्रसंस्करण एवं रिटेलिंग सहकारी संघ मर्यादित (एनएसीओएफ), भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित (एनसीसीएफ), उत्तर प्रदेश उपभोक्ता सहकारी संघ लिमिटेड शामिल है। साथ ही प्रदेश में गढ़वाल व कुमाऊं मण्डलों में कुल 194 क्रय केन्द्र स्थापित किये गये है तथा चैक के माध्यम से कृषकों को किये जाने वाले भुगतान व क्रय गेहूं की स्टेटपूल डिपोज पर डिलिवरी हेतु सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है।

फीस वृद्धि वापस होने से होगा छात्रों को फायदा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश के निजी मेडिकल संस्थानों से हुयी वार्ता के बाद उनके द्वारा फीस वृद्धि का निर्णय वापस ले लिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी मेडिकल संस्थानों के प्रतिनिधियों द्वारा पूर्व में उनसे भेंट कर अवगत कराया था कि उन्हें संस्थानों की अवस्थापना सुविधाओं आदि के विकास के लिये बड़ी धनराशि व्यय करनी पडती है। इसके लिये उनके द्वारा मेडिकल छात्रों की फीस में वृद्धि का अनुरोध किया गया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मेडिकल संस्थानों द्वारा फीस में कई गुना वृद्धि किये जाने तथा कई अभिभावकों द्वारा उन्हें फीस वृद्धि के संबंध में अवगत कराये जाने पर मेडिकल छात्रों के हित में संस्थानों को फीस वृद्धि वापस लेने को निर्देशित किया गया। जिस पर उनके द्वारा फीस वृद्धि वापस लेने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में मेडिकल संस्थानों द्वारा फीस वृद्धि वापस लिया जाना मेडिकल छात्रों के हित में एक महत्वपूर्ण फैसला बताया। उन्होंने कहा कि इससे मेडिकल के छात्रों को फायदा होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में किसी को भी मनमानी नही करने दी जायेगी। यदि कोई मनमानी करेगा तो उसके विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जायेगी। मेडिकल कॉलेज के छात्रों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जायेगा।

एनसीईआरटी की पुस्तकों को प्रदेश के विद्यालयों में लागू करने के निर्णय के संबंध में निजी स्कूल प्रबंधकों के असंतोष के संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि इस संबंध में जायज बातों को सुना जायेगा।

राज्य में तो विरोध करने की परंपरा सी बन गयीः त्रिवेन्द्र

इन दिनों मेडिकल कोर्स की फीस को लेकर भारी विरोध देखने को मिल रहा है। जिस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने सरकार का इस संबंध में रूख बयां करते हुये कहा कि प्राइवेट निवेशक कॉलेज निर्माण से लेकर अन्य खर्चों की भरपाई स्वयं उठाते है। इसके लिये सरकार की ओर से उन्हें कोई अनुदान नहीं दिया जाता है। तो ऐसे में हम उन्हें हतोत्साहित नहीं कर सकते है। प्रदेश में कई ऐसे अभिभावक है, तो इन फीस को भरने में सक्षम है, तो निवेशकों को हतोत्साहित नहीं करना चाहिए।

सरकार ने हाल ही में हुए बजट सत्र में उत्तराखंड अनुदानित निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं (प्रवेश तथा शुल्क निर्धारण विनियम) (संशोधन) विधेयक-2018 पारित किया है। इस संशोधित विधेयक में निजी मेडिकल कॉलेजों को फीस निर्धारण का अधिकार दिया गया है। इससे पहले निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए फीस का निर्धारण हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति के जिम्मे था। अब विधेयक के एक्ट का स्वरूप लेते ही निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस वृद्धि का रास्ता भी तकरीबन साफ हो गया है। निजी मेडिकल कॉलेजों ने फीस वृद्धि की कसरत शुरू कर दी है। प्रदेश में इसका विरोध भी शुरू हो गया है। इस संबंध में बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साफगोई के साथ सरकार का पक्ष रक्षा।

उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश में ऐसे बच्चे या अभिभावक आते हैं जो खर्च कर सकते हैं तो उन्हें लगता है कि निजी मेडिकल कॉलेजों के क्षेत्रों में पूंजी निवेशकों को रोकना नहीं चाहिए। प्रदेश में तमाम निजी कालेज हैं और कई निवेशक निजी कॉलेज खोलने के लिए आवेदन कर रहे हैं। अगर हम इन्हें रोकते हैं तो राज्य का अहित होता है। प्रदेश में इस मसले पर चल रहे विरोध पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में विरोध हर चीज का होता है चाहे अच्छा किया जाए या बुरा। विरोध करना राज्य की परंपरा सी बन गई है।

किसानों की आय बढ़ाने के लिये स्थानीय उत्पादों को दे बढ़ावा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विकासखण्ड कर्णप्रयाग के कालेश्वर में हिमालयन एक्शन रिसर्च सेन्टर (हार्क) एवं यू-कॉस्ट के संयुक्त तत्वावधान में हिमालय जंगली उत्पादों के मूल्य सवंर्धन से बने उच्च उत्पाद के ब्रॉन्ड ‘‘माउन्टेन बीम‘‘ का शुभांरभ किया। इस दौरान उन्होंने हार्क संस्थान के कोल्ड स्टोर, नये उत्पादों के रिसर्च यूनिट एवं खाद्य प्रसंस्करण यूनिट का अवलोकन भी किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हार्क संस्था ने तीन उत्पादों से कार्य शुरू किया था और आज संस्था द्वारा 30 से अधिक उत्पाद तैयार किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि परम्परागत कार्यो के साथ प्राकृतिक उत्पादों को उपयोगी बनाकर उनका मूल्य संवर्धन करना जरूरी है। किसानों की आय में वृद्वि करने के लिए स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही उसकी ब्रान्डिंग और प्रोसेसिंग पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों में व्यावसायिक सोच विकसित करना जरूरी है। राज्य सरकार द्वारा न्याय पंचायतों को ग्रोथ सेन्टर के रूप में विकसित करने की योजना बनायी जा रही है। इन ग्रोथ सेन्टरों में स्थानीय उत्पादों को बढावा दिया जायेगा तथा अधिक से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों को इससे जोडा जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के समग्र विकास के लिए महिला सशक्तिकरण जरूरी है। उन्होंने हार्क संस्था में कार्य करने वाली सभी महिलाओं को उत्तम प्रोसेसिंग एवं ब्रान्डिंग हेतु आवश्यक प्रशिक्षण देनेे को कहा, जिससे उच्च गुणवत्ता के उत्पाद तैयार कर राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा मूल्य मिल सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए हमें अपने अधिकार एवं कर्मो के प्रति सजग रहना होगा।

त्रिवेन्द्र ने कहा कि जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ रही है। जैविक उत्पादों को तैयार कर हम अच्छी आजीविका अर्जित कर सकते है। उन्होंने कहा कि बाजार की डिमांड को देखते हुए किनवा एवं शहद की अच्छी तरह से प्रोसेसिंग और ब्रान्डिंग कर आजीविका में वृद्वि की जा सकती है। शहद के उत्पादन को बढाने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में सहकारी संस्थाऐं बनायी जायेंगी। उन्होंने हार्क संस्था द्वारा तैयार किये गये उत्पादों की सराहना करते हुए कहा कि जंगली फलों की सही ढंग से प्रोसेसिंग कर उत्तम उत्पाद तैयार किये जा रहे है, जिससे स्थानीय महिला स्वयं सहायता समूहों को स्वरोजगार के अवसर भी मिल रहे है। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया तथा हार्क संस्था द्वारा तैयार किये 14 उत्पादों की मॉउन्टेन वैन को हरी झण्डी दिखाकर देहरादून में मार्केटिंग के लिए रवाना किया।

हार्क संस्था विगत 30 वर्षो से हिमालय क्षेत्र के सीमांत किसानों के साथ आजीविका से संबधित गतिविधियों में कार्य कर रही है, जिसमें बागवानी, कृषि एवं सहकारिता उत्पादों को तैयार किया जा रहा है। महिला सहकारिता का गठन हार्क ने 10 वर्ष पूर्व कालेश्वर में किया था, जिसमें वर्तमान में दो हजार महिलाएं जुडी है। हार्क संस्था द्वारा दो ब्रान्डों में 30 से अधिक उत्पाद तैयार किये जा रहे है।

मोदी सरकार पूरे देश में एक ही राशन कार्ड करने करने जा रही

मोदी सरकार एक ऐसी व्यवस्था करने शुरू करने जा रही है, जिसके बूते आप देशभर में एक ही राशन कार्ड का इस्तेमाल कर सकेंगे। साथ ही इससे गलत तरीके से राशन कार्ड बनने पर रोक लग सकेगी।

मोदी सरकार चाहती है कि आधार कार्ड की तर्ज पर हर एक राशन कार्ड को एक विशिष्ट (यूनिक) पहचान नंबर दिया जाए। इससे फर्जी राशन कार्ड बनाना काफी मुश्किल हो जाएगा। इसके साथ ही सरकार ऐसी व्यवस्था करेगी, जिसमें एक ऑनलाइन एकीकृत (इंटेग्रेटेड) सिस्टम बनाया जाएगा। इस सिस्टम में राशन कार्ड का डेटा स्टोर होगा।

इसके बन जाने के बाद अगर देश में कहीं भी कोई अगर फर्जी राशन कार्ड बनवाने की कोशिश करेगा, तो इस सिस्टम के जरिये से पता चल जाएगा। इसके बाद अगर कोई नया राशन कार्ड बनवाने जाता है, तो वह ऐसा कर नहीं पाएगा।

अगले महीने से शुरू होगा काम

इस ऑनलाइन सिस्टम का एक बड़ा फायदा यह भी होगा कि कोई भी लाभार्थी देश के किसी हिस्से में और किसी भी राशन की दुकान पर सब्सिडी वाला अनाज ले सकेंगे। इस व्यवस्था पर अगले महीने से काम शुरू होगा।

इसका सीधा फायदा उन लोगों को मिलेगा, जो अपने राज्य से दूसरे राज्य में नौकरी की खातिर पलायन कर चुके हैं। मौजूदा समय में लाभार्थी अपने गांव या आसपास की राशन की दुकान से सब्सिडी वाला अनाज खरीदते हैं। मगर, एक बार यह ऑनलाइन नेटवर्क तैयार हो गया, तो दूसरे राज्यों में नौकरी के सिलसिले में गए लोगों को कहीं से भी राशन लेने की सुविधा मिल जाएगी. इससे काफी बड़े स्तर पर लोगों को फायदा मिल सकेगा।

मौजूदा समय में देश के सिर्फ चार राज्यों में ही यह सुविधा है, जहां कि एक राज्य के लाभार्थी दूसरे राज्य के राशन की दुकान से अनाज खरीद सकते हैं। यह राज्य हैं, राजस्थान, हरियाणा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना।

क्या वाकई विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना है आयुष्मान भारत

नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम यानी आयुष्मान भारत को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूदी दे दी है। इस योजना को मोदी केयर भी कहा जाता है। विदित हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना की घोषण इस साल के बजट में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने की थी।

कैबिनेट ने नेशनल हेल्थ मिशन को जारी रखने पर भी सहमति दी है। यह योजना 31 मार्च 2020 तक चलेगी और केंद्र सरकार इसके लिए 85,217 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
इस योजना के तहत हर परिवार को पांच लाख रुपये तक का हेल्थ इंश्योरेंस मिलेगा। इसमें परिवार के सदस्यों की संख्या पर कोई रोक नहीं है। इस योजना के तहत कौन से परिवार आएंगे, इसका फैसला आर्थिक आधार पर होगा। इस योजना के दायरे में आने वाले परिवारों को सरकारी और चुने हुए प्राइवेट अस्पतालों में इलाज की सुविधा मिलेगी। जो परिवार इस योजना के तहत आएंगे उन्हें इलाज की सुविधा देश भर में कहीं भी मिल सकेगी।

क्या है आयुष्मान भारत योजना

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल पेश किए गए बजट में दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि इसके तहत करीब 10 करोड़ परिवारों को सालाना पांच लाख रुपये का मेडिकल कवर भी दिया जाएगा। साथ ही इस योजना का लाभ देश की 40 फीसदी आबादी यानी 50 करोड़ लोगों को मिलेगा। इसमें निजी क्षेत्र की कंपनियां भी भाग ले सकेंगी।

जेटली ने कहा था कि भारत को स्वस्थ भारत बनाया जाएगा, इसके लिए देशभर में 1.5 लाख स्वास्थ्य केंद्र खोले जाएंगे। इन स्वास्थ्य केंद्रों के खोले जाने का फायदा आम लोगों को फौरी तौर पर होगा, क्योंकि उन्हें आम बीमारियों के इलाज के लिए दूर नहीं जाना होगा और पास के इन केंद्रों से इलाज करा सकेंगे। साथ ही आरोग्य से जुड़ी सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी।

शुरुआती इलाज में मिलेगा फायदा

आम लोगों को पांच लाख रुपये की बीमा का फायदा तब मिलेगा जब बीमारी बड़ी या फिर गंभीर होने की स्थिति में वह हॉस्पिटल में भर्ती होगा, लेकिन स्वास्थ्य केंद्रों का फायदा छोटे और बड़े हर तरह के बीमार लोगों को तुरंत मिलेगा।

नई योजना के तहत हर तीन संसदीय क्षेत्र या फिर एक राज्य में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे। फिलहाल देश में निजी और सरकारी दोनों मेडिकल कॉलेजों से हर साल 67 हजार एमबीबीएस और 31 हजार पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर पास होकर निकलते हैं। ऐसे में कई नए मेडिकल कॉलेज खुलने से डॉक्टरों की कमी दूर होगी और लोगों के इलाज के लिए पर्याप्त डॉक्टर सुलभ हो सकेंगे।

पांच वर्षों की तुलना एक वर्ष से करेंः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने का संकल्प दोहराया। उन्होंने भ्रष्टाचार को मिटाने में जनता से सहयोग की अपेक्षा की है। प्रदेश में पिछले एक वर्ष में संस्थागत भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगाया गया है। यह भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का ही परिणाम है कि आज प्रदेश में भ्रष्टाचारियों में दहशत ही नहीं बल्कि भ्रष्टाचारी, भ्रष्ट तरीके से कमाये गये धन को वापस करने की बात कर रहे है। मुख्यमंत्री ने कैंसर रोगियों और हृदय रोगियों के लिये एक माह के भीतर मॉडल लैब स्थापित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि एक वर्ष के भीतर प्रदेश की सड़कों के सभी दुर्घटना सम्भावित क्षेत्र (ब्लैक स्पॉट) ठीक कर दिए जाएंगे। अपै्रल माह तक 108 सेवा की 111 अतिरिक्त एम्बुलेंस आ जाएंगी। प्रदेश में खाद्य सामग्री की जांच के लिये मोबाईल फूड टेस्टिंग लैब की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। उन्होंने इन सचल वाहनों को भी झंडी दिखाकर रवाना किया।

रविवार को प्रदेश सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने पर परेड ग्राउण्ड में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने पिछले एक वर्ष में अपनी सरकार द्वारा प्रदेश हित में लिये गये निर्णयों व कार्यों की जानकारी जनता के समक्ष रखी। मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने पर जनता के समक्ष राज्य सरकार के गुड गवर्नेंस मॉडल को प्रस्तुत किया। लगभग 20 मिनट के सम्बोधन में मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही करने की बात दृढ़ता के साथ दोहराई। उन्होंने ग्राम्य विकास, महिला सशक्तिकरण, चिकित्सा, स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था, सूचना प्रौद्योगिकी, जल संरक्षण, विद्युतीकरण, शिक्षा, स्वच्छता, समाज कल्याण जैसे सभी महत्वपूर्ण सैक्टरों में पिछले एक वर्ष में किये गए कार्यों की जानकारी दी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सर्वांगीण विकास के अपने विजन को भी साझा किया। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा उत्तराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में बाल लिंगानुपात पर किये गये अध्ययन को जारी किया।

उन्होंने कहा कि उनके द्वारा जनता से उत्तराखण्ड को विकसित पारदर्शी व भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने का वायदा किया गया था। उसके परिणाम भी सामने है। पांच वर्षों की तुलना में प्रदेश में इस एक वर्ष की अवधि में अपराध, हत्या, मृत्यु की घटनाओं में कमी आयी है। पुलिस द्वारा अपराधों के नियन्त्रण में प्रभावी कार्यवाही की जा रही है।

उन्होंने अपनी सरकार द्वारा एक वर्ष की उपलब्धियों को जनता के सम्मुख पेश किया। जिनमें फॉर्म मशीनरी बैंक, सस्ता ऋण वितरण, मॉडल स्कूलों के लिये ‘के’ यान मशीने, गैस कनेक्शन वितरण, स्टैण्डअप योजना, डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र, आशाओं को सम्मान, दुग्ध संघो को प्रोत्साहन, ओडीएफ नगर निकायों का सम्मान, ई रिक्शा योजना, सौभाग्य योजना आदि योजनाओं रही।