20 सीटों पर उम्मीदवार बदलने के मूड में भाजपा

उत्तराखंड विधानसभा के लिए प्रत्याशियों के नाम तय करने में भाजपा नेतृत्व को तगड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। हालांकि सूत्र बता रहे हैं कि चुनाव समिति की बैठक में 50 विधानसभा क्षेत्रों से आए नामों पर तकरीबन सहमति हो चुकी है। लेकिन 20 विधानसभा सीटों पर माथापच्ची के बाद असमंजस की स्थिति है। अब इसे केंद्रीय नेतृत्व और संसदीय बोर्ड पर छोड़ा गया है।
प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में विधानसभा वार आए नामों पर विचार हुआ। मंत्रियों, वरिष्ठ विधायकों की सीटों पर एक-एक नाम, ऐसी सीटें जिसमें पार्टी के पास सकारात्मक फीड बैक है पर एक से दो नाम का पैनल बनाया गया है। जिन सीटों पर पार्टी की स्थिति कमजोर है या कांग्रेस के कब्जे वाली हैं, वहां तीन-तीन नामों के पैनल भेजे गए हैं। इन्हीं सीटों पर पार्टी सहमति के बिंदू नहीं पहुंच पाई है।

गढ़वाल मंडल विधानसभा सीट –
थराली- पूर्व विधायक स्व. मगन लाल शाह की पत्नी विधायक हैं और टिकट मांग रही हैं लेकिन पार्टी वहां ज्यादा मजबूत प्रत्याशी तलाश रही है।
पौड़ी-विधायक मुकेश कोली के खिलाफ पार्टी के खेमा लामबंद है। पार्टी सर्वे के नतीजे भी कोली के लिए सहज नहीं बताए जा रहे।
कोटद्वार-हरक सिंह रावत के कांग्रेस में लौटने के बाद स्थिति बदल गई है।
पुरोला-इस सीट पर कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं और भाजपा के पूर्व प्रत्याशी माल चंद कांग्रेस में चले गए हैं।
घनसाली-संगठन के सर्वे में विधायक शक्तिलाल शाह की स्थिति बहुत मजबूत नहीं बताई जा रही।
टिहरी-चर्चा है कि पार्टी इस सीट पर कांग्रेस से एक बड़े चेहरे को मैदान में उतार सकती है।
झबरेड़ा-पार्टी की सर्वे रिपोर्ट और कार्यकर्ताओं का फीड बैक विधायक देश राज कर्णवाल के अनुकूल नहीं माना जा रहा।
पिरान कलियर-यह सीट कांग्रेस के कब्जे वाली है और पार्टी अभी तय नहीं कर पा रही है कि किस चेहरे पर दांव लगाया जाए।
राजपुर रोड-इस सीट पर खजानदास विधायक हैं और इस बार पार्टी के भीतर सीट पर नए विकल्प की चर्चा हो रही है।
गंगोत्री-इस सीट पर पार्टी प्रत्याशी चयन को लेकर असमंजस में है। पूर्व विधायक की पत्नी टिकट मांग रही हैं।
भगवानपुर-इस सीट पर पार्टी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री सुबोध राकेश को प्रत्याशी बनाया था। लेकिन वह पार्टी छोड़कर बसपा में चले गए। पार्टी यहां मजबूत प्रत्याशी की खोज में है।

’कुमाऊं मडंल में ये सीटें फंसी’
नैनीताल-इस सीट पर संजीव आर्य विधायक थे, लेकिन पार्टी छोड़ने के बाद अब भाजपा को इस सीट पर टक्कर के प्रत्याशी की तलाश है। पार्टी कांग्रेस नेत्री सरिता आर्य को साधने की कोशिश कर रही है।
जागेश्वर-कांग्रेस के कब्जे वाली सीट पर पार्टी को मजबूत प्रत्याशी चाहिए।
अल्मोड़ा-इस सीट पर रघुनाथ सिंह चौहान विधायक हैं। क्षेत्र में पार्टी उनका विकल्प तलाश रही है।
रानीखेत-यहां कांग्रेस के करन माहरा विधायक हैं। भाजपा इस सीट पर मजबूत चेहरे की तलाश में है।
गंगोलीहाट-भाजपा की मीना गंगोला विधायक हैं। यहां भी पार्टी ज्यादा मजबूत विकल्प खोज रही है।
काशीपुर-काशीपुर में भाजपा विधायक हरभजन सिंह चीमा अपने बेटे को प्रत्याशी बनाना चाहते हैं। लेकिन पार्टी के अन्य दावेदार भी टिकट मांग रहे हैं।
बाजपुर-विधायक यशपाल आर्य के भाजपा छोड़ देने के बाद परिस्थितियां बदली हैं और पार्टी मजबूत विकल्प खोज रही है।
रामनगर-रामनगर सीट पर भी पार्टी को मजबूत विकल्प की तलाश है।
हल्द्वानी-इस सीट पर भी भाजपा में टिकट को लेकर मारामारी है।

डोईवाला सीट पर त्रिवेंद्र का नाम टॉप पर
सूत्रों के मुताबिक, डोईवाला विधानसभा सीट पर नामों का जो पैनल बनाया गया है उसमें पहले स्थान पर पूर्व मुख्यमंत्री व सिटिंग विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम बताया जा रहा है। लेकिन उनके नाम पर अंतिम फैसला पार्टी की बैठक और संसदीय बोर्ड में ही होगा।

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