राज्य में तो विरोध करने की परंपरा सी बन गयीः त्रिवेन्द्र

इन दिनों मेडिकल कोर्स की फीस को लेकर भारी विरोध देखने को मिल रहा है। जिस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने सरकार का इस संबंध में रूख बयां करते हुये कहा कि प्राइवेट निवेशक कॉलेज निर्माण से लेकर अन्य खर्चों की भरपाई स्वयं उठाते है। इसके लिये सरकार की ओर से उन्हें कोई अनुदान नहीं दिया जाता है। तो ऐसे में हम उन्हें हतोत्साहित नहीं कर सकते है। प्रदेश में कई ऐसे अभिभावक है, तो इन फीस को भरने में सक्षम है, तो निवेशकों को हतोत्साहित नहीं करना चाहिए।

सरकार ने हाल ही में हुए बजट सत्र में उत्तराखंड अनुदानित निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं (प्रवेश तथा शुल्क निर्धारण विनियम) (संशोधन) विधेयक-2018 पारित किया है। इस संशोधित विधेयक में निजी मेडिकल कॉलेजों को फीस निर्धारण का अधिकार दिया गया है। इससे पहले निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए फीस का निर्धारण हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति के जिम्मे था। अब विधेयक के एक्ट का स्वरूप लेते ही निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस वृद्धि का रास्ता भी तकरीबन साफ हो गया है। निजी मेडिकल कॉलेजों ने फीस वृद्धि की कसरत शुरू कर दी है। प्रदेश में इसका विरोध भी शुरू हो गया है। इस संबंध में बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साफगोई के साथ सरकार का पक्ष रक्षा।

उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश में ऐसे बच्चे या अभिभावक आते हैं जो खर्च कर सकते हैं तो उन्हें लगता है कि निजी मेडिकल कॉलेजों के क्षेत्रों में पूंजी निवेशकों को रोकना नहीं चाहिए। प्रदेश में तमाम निजी कालेज हैं और कई निवेशक निजी कॉलेज खोलने के लिए आवेदन कर रहे हैं। अगर हम इन्हें रोकते हैं तो राज्य का अहित होता है। प्रदेश में इस मसले पर चल रहे विरोध पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में विरोध हर चीज का होता है चाहे अच्छा किया जाए या बुरा। विरोध करना राज्य की परंपरा सी बन गई है।

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