श्री भरत मंदिर में अध्ययनरत 80 निर्धन विद्यार्थियों को डा. रांगड़ ने बांटे स्वेटर


भारतीय साहित्य संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष समाजसेवी व पर्यावरणविद डॉ धीरेंद्र रांगड़ ने श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज की कक्षा 6 से कक्षा 12 तक के निर्धन विद्यार्थियों को 80 से अधिक स्वेटर वितरित किये।

श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में विद्यालय के प्रधानाचार्य मेजर गोविंद सिंह रावत ने आमंत्रित अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया उन्होंने डॉ धीरेंद्र रांगड़ का आभार प्रकट करते हुए कहा कि आप जैसे समर्पित समाजसेवियों के कारण समाज के उपेक्षित व निर्धन वर्ग के लोगों को सबल मिलती है। उन्होंने बताया कि इस ठिठुरती सर्दी में है गर्म कपड़ों के अभाव से असहाय व निर्धन बच्चे विद्यालय आ पाने में असमर्थ थे। जिसके कारण उनका पढ़ाई का भी नुकसान हो रहा था।

डॉ धीरेंद्र रांगड़ ने कहा श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज देश की प्राचीनता शिक्षण संस्थान है। इस विद्यालय ने चिकित्सक, वैज्ञानिक, शिक्षक, इंजीनियर, सेना के जवान सहित अच्छे राजनेता दिए हैं, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में प्रसिद्धि के साथ ही उच्च आदर्श भी स्थापित किए हैं, डॉ रांगड़ ने कहा कि धन के अभाव से किसी गरीब की शिक्षा नहीं रुकनी चाहिए यही हमारा प्रयास है।
इस अवसर पर गजेंद्र सिंह कंडियाल ने कहा कि विद्यालय, बालकों का मानसिक, चारित्रिक, सामुदायिक, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय विकास करता है तथा व्यक्तित्व का सामंजस्य पूर्ण विकास करने में विद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान है।

कार्यक्रम में मनसा देवी जन कल्याण समिति की अध्यक्ष उषा भंडारी, यतेंद्र कंडियाल, महिपाल बिष्ट, शिव प्रसाद बहुगुणा, घनश्याम नौटियाल, रंजन अंथवाल आदि उपस्थित थे।

एसबीएम इंटर कॉलेज के मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति दी

उत्तराखंड महापंचायत द्वारा श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज के मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई।
श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में सत्र 2020-2021 में कक्षा 6, 7 तथा 8 के सर्वाेच्च अंक प्राप्तकर्ता विद्यार्थियों को 501 प्रति छात्र की दर से प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई। जिनमें कक्षा 6 में सर्वाेच्च अंक प्राप्त करने वाली कुमारी अदिति शर्मा, कक्षा 7 में
कुमारी इशिका सैनी तथा कक्षा 8 में सत्यम शाह को प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई।
इससे पूर्व विद्यालय के प्रधानाचार्य व उप प्रधानाचार्य ने आमन्त्रित अतिथियों को पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया।
महापंचायत के सचिव तथा भारतीय साहित्य संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ धीरेंद्र रांगड़ ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि विद्यार्थी समाज की नीव होते हैं, और देश के भविष्य के कर्णधार भी है, उन्होंने छात्रों से कहा कि हमें आपसे बहुत सी अपेक्षाएं हैं जिनपर आपको खरा उतरना है तथा देश दुनिया में एक मिसाल कायम करनी है।
समाजसेवी गजेंद्र सिंह कंडियाल कहा कि शिक्षा प्राप्त करना सभी का मौलिक अधिकार है और धन के अभाव में कोई भी अशिक्षित नहीं रहना चाहिये।
विद्यालय के प्रधानाचार्य मेजर गोविंद सिंह रावत ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि महामारी कोरोना ने जहां एक और देश और समाज की रीढ़ पर प्रहार किया, वही आप जैसे समाजसेवियों ने आगे बढ़कर मुक्त हाथों से समाज सेवा व दान पूण्य कर समाज को मजबूती प्रदान की है।
इस अवसर पर मनसादेवी जलकल्याण समिति की अध्यक्ष ऊषा भंडारी, समाजसेवी यतींद्र कंडियाल, उप प्रधानाचार्य वाई.पी. त्रिपाठी, नवीन मैंदोला, रेखा बिष्ट, विकास नेगी, रंजना आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन शिवप्रसाद बहुगुणा ने किया।

भारतीय साहित्य संगम ने ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का किया आयोजन

भारतीय सहित्य संगम के तत्वावधान में गूगल मीट पर ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जेएमसी शासकीय महिला महाविद्यालय मंडला मध्य प्रदेश के प्राचार्य प्रोफेसर शरद नारायण खरे, विशिष्ट अतिथि शंखनाद वेब न्यूज़ उत्तराखंड के संपादक भारतेंदु शंकर पांडे तथा अध्यक्षता हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद की संयुक्त सचिव मंजू पांडे ’महक जौनपुरी’ ने की।
देशभर से जुटे कवियों ने काव्य धारा बहाते हुए समसामयिक विषयों पर रचनाएं प्रस्तुत की।
भारतीय साहित्य संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष व कार्यक्रम संयोजक डॉ धीरेंद्र रांगड़ ने शब्दों का कारवां की 110वीं श्रंखला पर साहित्य मनीषियों को स्वागत किया तथा हिन्दी पखवाड़ा की शुभकामनाएं प्रेषित की। कार्यक्रम में अरुणा वशिष्ठ द्वारा सुमधुर वाणी में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई।

आमन्त्रित रचनाकारों ने राष्ट्र भाषा हिंदी की महत्वता पर अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की। इस अवसर पर कवि डॉ अशोक गुलशन ने हिन्दी भाषा है सभी भाषाओं की जान, इसको पढ़ करके हुये, तुलसी-सूर महान। शम्भु प्रसाद भट्ट स्नेहिल ने भारतीयता की पहिचान, हिंदी बिना अधूरी है। इसीलिए हिंदी की शिक्षा, सबके लिए जरूरी है। डॉक्टर धीरेंद्र रांगड़ ने मैं दीवाना हिंदी का और तू दीवाना हिंदी का, ये जग दीवाना हिंदी का वो रब दीवाना हिंदी का की शानदार प्रस्तुति दी। महक जौनपुरी ने ग़ैर के ग़म से जो बाख़बर हो गया, जग में सच है वो आला बशर हो गया, मनोज कुमार गुप्ता आचार्य मनुश्री ने साहित्य से कैसी ढिढोली हो रही है, जिसे देख मेरी कलम रो रही है, राजेश डोभाल राज ने सब्र करता रहा मुद्दतों से यूं ही कागज, सब्र टूटा तो सरे बाजार फट गया कागज, अरुण कुमार शास्त्री ने कितनी हंसी है ये जिन्दगी के जबसे, तुमने ये कहा है तेरे होने से सब कुछ यहां है। कवि उमेश पटेल श्रीश ने खड़े हैं बीच चौराहे पर अपनी मंजिल की राह भूलकर, सोचते हैं इन राहों में से कोई राह मेरी मंजिल की भी होगी रचनाये प्रस्तुत की।
इसके अतिरिक्त आमंत्रित कविगणों में डॉ. बालकृष्ण पांडेय, प्रयागराज, डॉ वर्षा पुनवटकर, वर्धा महाराष्ट्र, बबिता शर्मा, कोटा, राजस्थान, डॉ. सत्यानन्द बडोनी, देहरादून, शिवकुमार चंदन, रामपुर उ.प्र., डॉ देवीदीन अविनाशी, हमीरपुर, नवीन डिमरी बादल, कर्णप्रयाग, शिव प्रसाद बहुगुणा आदि ने भी शानदार प्रस्तुति दी। कवि सम्मेलन का संचालन शंभू प्रसाद भट्ट ने किया।

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