स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर एम्स की संपत्ति, अंतिम दर्शन की इजाजत नहीं

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान प्रशासन ने शुक्रवार को स्वामी सानंद के अंतिम दर्शन कराने से हाथ खड़े कर दिये। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर उनकी संपत्ति हो गयी है। इसलिये किसी को भी सार्वजनिक रूप से अंतिम दर्शन की इजाजत नहंी दी जा सकती है।

एम्स प्रशासन के इस बयान के बाद बाद उनके परिजन, अनुयायी और गंगा संकल्प यात्रा के सहयोगी नाराज हो गए। एम्स ने मातृ सदन की ओर से आए उनके शरीर को तीन दिन आश्रम में रखने के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया। हालांकि बाद में बिगड़ते हालात को देखते हुए एम्स प्रशासन ने मीडिया को छोड़कर कुछ लोगों को अंतिम दर्शन की इजाजत दे दी।

गुरुवार को स्वामी सानंद के परिजनों ने एम्स प्रशासन से उनके पार्थिव शरीर को परिजनों और उनके अनुयायियों के दर्शनाथ रखने के लिए आग्रह किया था। जिस पर एम्स प्रशासन ने मौखिक सहमति भी दे दी थी, लेकिन शुक्रवार को पूरा घटनाक्रम बदल गया।

एम्स के निदेशक प्रो. रविकांत ने शव को अंतिम दर्शन के लिए रखने की मांग को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर अब एम्स की संपत्ति है, लिहाजा उसे सार्वजनिक रूप से अंतिम दर्शन के लिए नहीं रखा जा सकता। एम्स प्रशासन के इस फैसले के बाद उनके परिजनों और अनुयायियों ने काफी मिन्नतें की। लेकिन एम्स निदेशक अपने फैसले से पीछे नहीं हटे और दोपहर एक बजे वहां से चलते बने।

इससे पहले मातृ सदन हरिद्वार से स्वामी दयानंद ब्रह्मचारी भी एक पत्र लेकर एम्स पहुंचे। पत्र में मातृसदन ने दो दिन के लिए स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर को आश्रम में दर्शन के लिए ले जाने का आग्रह किया था। मगर, एम्स प्रशासन ने उन्हें भी इसकी इजाजत नहीं दी। जिससे स्वामी सानंद के अंतिम दर्शन की इच्छा लेकर यहां पहुंचे लोग नाराज हो गए। स्वामी सानंद के अधिकांश परिजन इस निर्णय के बाद यहां से चले भी गए थे। जबकि कुछ लोगों ने एम्स प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

धरने के बाद बैकफुट पर आया प्रशासन

स्वामी सानंद के अंतिम दर्शन न कराए जाने से नाराज गंगा संकल्प यात्रा के सदस्य जल पुरुष राजेंद्र सिंह व उनके सहयोगियों ने एम्स निदेशक के कार्यालय के बाहर धरना शुरू कर दिया। इसी दौरान कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह भी कार्यकर्ताओं के साथ एम्स पहुंचे और वह भी गंगा संकल्प यात्रा के सदस्यों के साथ धरने पर बैठ गए। प्रशासन ने उन्हें उठाने की कोशिश की, मगर सभी लोग स्वामी सानंद के अंतिम दर्शन की मांग पर अड़े रहे।

मामला बिगड़ता देख पुलिस व स्थानीय प्रशासन भी हरकत में आ गया। स्थानीय प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद एम्स प्रशासन ने गंगा संकल्प यात्रा के सदस्यों व अनुयायियों को स्वामी सानंद के दर्शन की इजाजत दी।