शिया बोर्ड के हलफनामे से राम जन्म भूमि विवाद में नया मोड़ आने के संकेत

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का हल निकलने की उम्मीद प्रबल होती जा रही है। शुक्रवार सेे सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ मामले की सुनवाई करेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ लंबित चुनौतियों के साथ यूपी शिया वक्फ बोर्ड की ओर से दायर हलफनामे पर विशेष पीठ सुनवाई करेगी। साथ ही बोर्ड द्वारा विवादिल स्थल पर मालिकाना हक जताने की अपील पर साथ में सुनवाई कर सकती है।
रामलला विराजमान, हिन्दू महासभा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत तमाम पक्षकारों हाईकोर्ट के तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ के 30 सितंबर 2010 के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने दो-एक के बहुमत से फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी बोर्ड मे बांटने का आदेश दिया था। सर्वोच्च अदालत ने 9 मई 2011 को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाएं विचारार्थ स्वीकार की थीं और हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। साथ ही कहा था कि मामला लंबित रहने तक संबंधित पक्षकार विवादित भूमि पर यथास्थिति बनाए रखेंगे। इसके बाद भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने दर्शनार्थियों के लिए मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की जिसका विरोध मुख्य याचिकाकर्ता मोहम्मद हाशिम ने की थी। लेकिन अदालत ने स्वामी की मांग को मुख्य मामले के साथ सुनवाई करने का निर्णय लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तीन न्यायाधीशों जस्टिस दीपक मिश्रा, अशोक भूषण और अब्दुल नजीर की विशेष पीठ का गठन मामले पर सुनवाई के लिए किया। शुक्रवार, 11 अगस्त को दोपहर दो बजे से इस मामले पर नियमित सुनवाई होगी या फिर अंतरिम राहत की मांग वाले आवेदनों पर विचार किया जाएगा। यह सुनवाई के दौरान ही विशेष पीठ स्पष्ट करेगी। दरअसल इस मामले की सुनवाई के लिए विशेष पीठ का गठन करते हुए अदालत ने यह स्पष्ट नहीं किया है और रजिस्ट्री ने संबंधित पक्षकारों को ऐसी कोई सूचना दी है जिससे यह साफ हो कि विशेष पीठ मामले के किस पहलू पर गौर करेगी। साथ ही अदालत से स्वामी ने भी आवेदन में जल्द सुनवाई की मांग कई बार की है और अदालत ने उन्हें जल्द सुनवाई करने का भरोसा भी दिलाया था।
सुनवाई की तिथि से कुछ दिन पहले ही शिया बोर्ड ने हलफनामा दाखिल कर मामले में समुचित समझौते का रुख व्यक्त किया। उसने कहा कि विवादित स्थल से समुचित दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में एक मस्जिद का निर्माण किया जा सकता है। इसके बाद ठीक अगले दिन शिया बोर्ड ने ढहाए जा चुके विवादिल स्थल की जमीन के मामले में 1946 में दिए गए ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दे दी। सात दशक बाद दायर याचिका में उसने विवादित स्थल पर मालिकाना हक जताते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले में खामी बताई और सुप्रीम कोर्ट से मामले पर विचार कर फैसला करने की गुजारिश की। इस अपील में कहा गया है कि मस्जिद बाबर ने नहीं, मीर बाकी ने बनवाई थी जो एक शिया था।
खास बात ये है कि हलफनामे में शिया वक्फ बोर्ड ने यह भी कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड शांतिपूर्ण तरीके से इस विवाद का हल नहीं चाहता। इस मसले को सभी पक्ष आपस में बैठकर सुलझा सकते हैं जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट उन्हें समय दे। बोर्ड ने कहा कि इसके लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई जाए। सर्वोच्च अदालत इस मामले को बातचीत के जरिए हल करने को पहले ही कह चुका है। ऐसे में शिया बोर्ड का हलफनामा इस मामले का अदालत का रुख बदल सकता है और सभी पक्षकारों से समझौते को लेकर अदालत सवाल कर सकती है।

503 Service Unavailable

Service Unavailable

The server is temporarily unable to service your request due to maintenance downtime or capacity problems. Please try again later.

Additionally, a 503 Service Unavailable error was encountered while trying to use an ErrorDocument to handle the request.