इस कानून के तहत गैर जमानती अपराध होगा जबरन धर्म परिवर्तन

हिमाचल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की तर्ज पर अब उत्तराखंड में भी धर्म स्वतंत्रता अधिनियम लाया गया है। इस सिलसिले में हाल में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय लिया गया था।

विधानसभा के बजट सत्र में इससे संबंधित विधेयक सदन में पेश कर दिया गया। इसके पारित होने पर उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम-2018 अस्तित्व में आ जाएगा। इसके तहत राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन गैर जमानती अपराध होगा।

इस विधेयक के अधिनियम बनने पर कोई भी व्यक्ति मिथ्या निरुपण, बल, असर, प्रपीड़न, प्रलोभन के प्रयोग या कपटपूर्ण माध्यम अथवा विवाह द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को एक से दूसरे धर्म में परिवर्तित या परिवर्तन का प्रयास नहीं करेगा। न किसी व्यक्ति को ऐसे धर्म परिवर्तन के लिए उकसाएगा या षड़यंत्र करेगा। यदि कोई व्यक्ति अपने पूर्व धर्म में वापस आता है तो ऐसा इस अधिनियम के अधीन एक धर्म से दूसरे धर्म का परिवर्तन नहीं कहा जाएगा।

धर्म परिवर्तन के प्रति परिवाद दायर किया जा सकेगा। जो भी अधिनियम के उपबंधों का उल्लंघन करेगा उसमें दंड का प्रावधान है। इसमें कारावास व जुर्माना दोनों का प्रावधान किया जाएगा। यही नहीं, धर्म परिवर्तन के एकमात्र उद्देश्य से किया गया विवाह अकृत और शून्य माना जाएगा। विधेयक के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन का इच्छुक है तो वह कम से कम एक माह पहले जिला मजिस्ट्रेट अथवा जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्राधिकृत कार्यपालक मजिस्टेट के समक्ष उद्घोषणा करेगा। शुद्धता संस्कार के संबंध में पूर्व में रिपोर्ट देनी अनिवार्य होगी। जिला मजिस्ट्रेट इस सूचना के बाद प्रस्तावित धर्म परिवर्तन के वास्तविक आशय, प्रयोजन व कारण के संबंध में पुलिस के माध्यम से जांच करेगा।

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