घर में लगी आग से लाखों रूपए का सामान स्वाहा

मुनिकीरेती क्षेत्रांतर्गत एक घर के फ्रिज का कंप्रेशर फटने से आग लग गई। इससे घर के कमरे में रखा सारा सामान खाक में तब्दील हो गया। वहीं घर के सदस्यों को हल्की चोटें आईं है।

मुनिकीरेती के शीशमझाड़ी वार्ड नंबर तीन, गली संख्या 21 में माया देवी वर्मा पत्नी स्व. जगदीश वर्मा अपने तीन बेटों सोनू, सचिन और पवन के साथ दो मंजिले भवन में रहती है। बीते शनिवार की रात्रि करीब नौ बजे उनके दूसरे नंबर के बेटे सचिन का बेटा पलंग से नीचे गिर गया। इस कारण सचिन की पत्नी और अन्य सदस्य निचली मंजिल पर चले गए। इस दौरान सचिन के कमरे में रखे फ्रिज का कंप्रेशर फट गया। इससे आग की लपटें निकलने लगी।

धमाका और आग की लपटें देख परिवार सहित आसपास के लोगों में चीख पुकार मच गई। स्थानीय लोगों की मदद से परिवारजनों ने आग पर काबू पाया। मगर, तब तक लाखों रुपए का नुकसान हो चुका था। तीसरे नंबर के बेटे पवन वर्मा ने बताया कि आग लगने से बड़े भाई सचिन के कमरे में रखा एलईडी टीवी, एसी, फ्रीज, कूलर, फर्नीचर, आलमारी, कपड़े आदि सामान जल गए। अगले दिन पहुंचे विद्युतकर्मी ने बताया कि आग लगने का कारण फ्रीज का कंप्रेशर फटना रहा।

आंतकी हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद, आतंकी आदिल अहमल भी मरा

सीआरपीएफ के जवानों की एक बस को आतंकवादियों ने विस्फोट कर उड़ा दिया। यह घटना जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपोर के पास गोरीपोरा में बृहस्पतिवार को घटित हुई। इस विस्फोट में 44 जवान मौके पर ही शहीद हो गए, जबकि 44 ही जवान घायल हो गए। सभी को सेना के बेस अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती किया गया है। इस विस्फोट के पींछे आतंकी अहमद उर्फ वकास का हाथ बताया गया है।

अपरान्ह करीब सवा तीन बजे जब यह काफिला दक्षिण कश्मीर में जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर गोरीपोरा (अवंतीपोर) के पास पहुंचा तो अचानक एक कार तेजी से काफिले में घुसी। आत्मघाती कार चालक ने सीआरपीएफ जवानों की एक बस के सथ टक्कर मार दी। इसके बाद वहां जोरदार धमाके की आवाज आई और कार धू-धू कर सड़क पर जलने लगी। बस के एक हिस्से में भी आग की लपटें निकलने लगी।

काफिले में शामिल अन्य वाहन तुरंत रुक गए और उनमें सवार जवान जब बाहर निकल रहे थे, तो इस दौरान उन पर गोलियां भी दागी गई। जवानों ने भी जवाबी फायर किया। जवाबी फायर पर आतंकी वहां से भाग निकले। आतंकी हमले का निशाना बनी बस सीआरपीएफ की 54वीं वाहिनी की है।

विभागीय अधिकारियों ने दी जानकारी के अनुसार 12 जवान मौके पर ही शहीद हो गए थे, जबकि चार अन्य ने अस्पताल ले जाते हुए रास्ते में दम तोड़ा। 11 अन्य जवानों की अस्पताल में शहादत पाई। विस्फोट की सूचना मिलते ही राज्य पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के आलाधिकारी भी अपने दल बल समेत मौके पर पहुंच गए।

10वीं पास था आतंकी आदिल अहमद
कश्मीर में अब तक के सबसे बड़े आत्मघाती हमले को अंजाम देने वाला आत्मघाती आतंकी आदिल अहमद उर्फ कमांडो उर्फ वकास दक्षिण कश्मीर के गुंडीबाग, काकपोरा, पुलवामा का रहने वाला था। वह बीते साल अप्रैल माह के दौरान ही आतंकी संगठन में सक्रिय हुआ था। 21 वर्षीय आदिल 10वीं पास था और सुरक्षाबलों ने उसे सी-श्रेणी के आतंकियों में सूचीबद्ध कर रखा था। उसके ऊपर तीन लाख का इनाम था। बताया जा रहा है कि विस्फोट के दौरान उसकी भी मौत हो गई है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी घटना की कड़ी निंदा की है, उन्होंने शहीद जवानों की आत्मशांति की कामना की। साथ ही घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य की कामना भी की। उन्होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में शहीद परिवारों के साथ सरकार खड़ी है।

रक्षा मंत्री ने सिद्धार्थ के परिजनों को ढ़ांढ़स बंधाया

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने बंगलुरू में फाइटर प्लेन दुर्घटना में शहीद हुए देहरादून के स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी के पंडितवाड़ी स्थित आवास पर जाकर उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री और देश की रक्षा मंत्री ने शोक संतप्त परिजनों को सांत्वना दी। उन्होंने स्व. सिद्धार्थ नेगी के माता -पिता व पत्नी धुविका को ढ़ांढ़स बंधाया। उन्होंने दुःख की इस घड़ी में उनके परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है।

ट्रेन गुजरने से चंद मिनट पहले पटरी तक पहुंचा ट्रक

ट्रेन गुजरने से चंद मिनट पूर्व सामान से लदा एक ट्रक फाटक तोड़ते हुये ट्रैक तक जा पहंुचा। गनीमत रही कि ट्रेन के लोको पायलट से समझदारी दिखाते हुये इंमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल किया। वहीं पुलिस ने मौके पर जाकर ट्रक को वहां से हटाया। यह घटना देहरादून और हरिद्वार रेलवे ट्रैक के मध्य मोतीचूर फाटक पर घटित हुई।

एक तेज गति से आ रहे खनन से लदे ट्रक संख्या (पीबी 13 जेड 9706) ने मोतीचूर फाटक तोड़ दिया और पटरी पर आ गया। इस दौरान हरिद्वार से देहरादून की ओर जा रही लाहौरी एक्सप्रेस ट्रेक पर थी। ट्रक चालक यह लापरवाही ट्रेन में सवार हजारों लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ सकती थी। मौके पर मौजूद फाटक कर्मी ने सतर्कता दिखाई और तत्काल इसकी सूचना लोको पायलट को दी। इस दौरान ट्रेन फाटक के काफी नजदीक आ गई थी।

लोको पायलट ने ट्रेन की स्पीड कम की और इमरजेंसी ब्रेक लगाकर कुछ दूरी पर ट्रेन को रोक लिया। रेल कर्मियों की सजगता से बड़ा हादसा होने से बच गया, वरना बड़ी अनहोनी हो सकती थी। मौके पर पहुंची पुलिस ने ट्रक को वहां से हटवाया। घटना के बाद कुछ देर के लिए हरिद्वार हाईवे पर जाम की स्थिति पैदा हो गई। वहीं लाहौरी और डीएलएस ट्रेन भी आधा घंटा देरी से चली। रायवाला जीआरपी चौकी इंचार्ज मोहन सिंह ने बताया कि मामला हरिद्वार जीआरपी क्षेत्र का है। ट्रक को हरिद्वार जीआरपी ने अपने अंडर में लिया है

यात्रियों से भरी बस में लगी आग, हादसा टला

राजस्थान की एक प्राइवेट बस मध्यप्रदेश के यात्रियों को लेकर तीर्थनगरी पहुचंी। जिसमें तहसील चौक के निकट आग लगने से हड़कंप मच गया। अगर मौके पर दलकल कर्मी न पहुंचते तो बड़ा हादसा हो सकता था।

सोमवार को मध्यप्रदेश के 55 यात्रियों का एक जत्था राजस्थान के चित्तौडगढ़ से ओम शांति ट्रेवल एजेंसी की बस से अमरनाथ दर्शन के लिए गया था। अमरनाथ दर्शन के बाद यह लोग इसी बस से ऋषिकेश-हरिद्वार के दर्शन के लिए आ गए। रविवार को यात्रियों ने हरिद्वार में विश्राम किया, जबकि सोमवार को जत्थे में शामिल 45 यात्री ट्रेवल एजेंसी की बस से ऋषिकेश घूमने के लिए आ गए।

बाइपास मार्ग पर तहसील तिराहे के समीप अचानक बस के पिछले टायर में आग लग गई। जिससे बस के भीतर भी धुंआ भरने लगा। बस चालक ने तिराहे समीप ही सड़क पर बस खड़ी कर दी। देखते ही देखते बस आग की लपटों से घिर गई और बस के चारों ओर से काला धुंआ उठने लगा। इससे बस में बस में सवार यात्रियों में हड़कंप मच गया।

इसको जहां से रास्ता मिला वह बाहर कूद गया। स्थानीय लोगों ने दमकल केंद्र को इसकी सूचना दी। घटनास्थल से चंद मिनट की दूरी पर स्थित दमकल केंद्र से तत्काल दमकल दस्ता मौके पर पहुंचा और करीब आधा घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया। जिससे आग बस के ऊपरी हिस्से में नहीं पहुंची। सरेराह बस में लगी आग को देखने के लिए मौके पर भारी संख्या में भीड़ जमा हो गई। जिस जगह पर बस में आग लगी वहीं सड़क के दूसरी ओर पेट्रोल पंप भी स्थित है।

चित्तौडगढ़ राजस्थान की ओम शांति ट्रेवल एजेंसी की जिस बस में ऋषिकेश में आग लगी। उसमें तीन रसोई गैस सिलेंडर भी रखे हुए थे। बस के पिछले टायर में सबसे पहले आग लगी थी। जब दमकल की टीम आग बुझाने का प्रयास कर रही थी तो अधिकारियों ने बस के चालक पप्पू सिंह से बस में किसी तरह की ज्वलनशील वस्तु होने की बात भी पूछी, मगर चालक ने इन्कार कर दिया। मगर, जब आग पर काबू पाने के बाद दमकल कर्मियों ने पिछले टायर के ऊपर बनी डिग्गी को खोला तो तीन रसोई गैस सिलेंडर रखे मिले, जिससे बचाव दल के भी होश उड़ गए।

जिस डिग्गी में यह सिलेंडर रखे थे, वहां रसोई का अन्य सामान भी रखा था, जो आग से जल गया। इतना ही नहीं रसोई गैस सिलेंडर भी आग से काले पड़ गए थे। इस पर दमकल कर्मियों ने चालक को फटकार लगाई।

पेट्रोल पंप के अग्निशमन संयंत्र बेकार तहसील तिराहे पर बस में आग लगने के बाद आसपास के लोग सबसे पहले समीप ही स्थित पेट्रोल पंप से अग्निशमन यंत्र लेने पहुंचे। पेट्रोल पंप संचालकों ने स्थानीय लोगों को कुछ छोटे उपकरण थमा दिए। लोगों ने जब इन उपकरणों से आग बुझाने की कोशिश की तो गैस नहीं बल्कि बुरादा बाहर निकला। जब गौर से देखा तो पता चला कि सभी उपकरण की उपयोग तिथि समाप्त हो चुकी है। अनुमान लगाया जा सकता है कि अग्निशमन विभाग संवेदनशील संस्थानों में सुरक्षा को लेकर किस तरह गंभीर है।

वन विभागीय अधिकारियों को सीएम की फटकार, दिए ये निर्देश

राज्य में बढ़ते तापमान व गर्म हवाओं के चलते वन आग की ज्वाला में धधक रहे है। वनों के इस तरह जलने से आबादी क्षेत्र में रह रहे लोगों में भी दहशत है। वनों में आग बढ़ने पर आबादी क्षेत्र में आने का खतरा बना हुआ है। मुख्यमंत्री ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों को वगाग्नि पर ठोस व प्रभावपूर्ण कदम उठाने के निर्देश दिए है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने वन विभाग के अधिकारियों को आडे़ हाथों लेते हुए उनसे पूछा कि उन्होंने क्या तैयारी की थी ? अगर तैयारी पूरी थी तो परिणाम क्यों नहीं मिला ? मुख्यमंत्री ने वन विभाग के नोडल अधिकारी वीपी गुप्ता और डीएफओ पौड़ी को फटकार लगाते हुए कार्यप्रणाली में सुधार लाने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को भी हिदायत दी कि अपने जनपदों में वनाग्नि की घटनाओं की जवाबदेही उन्हीं की होगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रभागीय वनाधिकारी की परफॉर्मेंस एप्रेजल रिर्पोट में वनाग्नि की रोकथाम के प्रयासों तथा उनके परिणामों को भी दर्ज किया जाय। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जिलाधिकारियों और वन विभाग, स्थानीय समुदायों को अपने साथ जोड़ें। स्थानीय लोगों की मदद के साथ, वनों की प्रभावी सुरक्षा की जा सकती है।

मुख्यमंत्री ने वनाग्नि की रोकथाम के लिये कुल प्रावधानित बजट 12 करोड़ 37 लाख का 50 प्रतिशत ही जारी किये जाने पर भी सख्त नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने वन विभाग को फटकार लगाते हुए कहा कि, ‘‘आग अभी लगी है, आप पैसा कब के लिये बचा रहे हैं।’’ उन्होंने शेष राशि तत्काल जनपदों देने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलाधिकारी आपदा प्रबंधन तंत्र तथा आपदा प्रबंधन मद में उपलब्ध धनराशि का भी समुचित प्रयोग करें। सभी जनपदों में आपाद प्रबंधन मद में पांच-पांच करोड़ की धनराशि दी गई है जिसकी 10 प्रतिशत राशि से उपकरण क्रय किये जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों की आग सिर्फ वन विभाग की समस्या नहीं है। अन्तरविभागीय समन्वय कर इससे पूरी क्षमता के साथ लड़ा जाय।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग वर्षा काल का इंतजार न करे और अभी से अपने प्रयासों को तेज करे। जिन जनपदों में एक्टिव फायर की रिपोर्ट नहीं है, उन्हें भी सजग रहने की जरूरत है।
वनाग्नि की घटनाओं में सम्बन्धित नोडल अधिकारी ने बताया कि अभी तक कुल 776 घटनाएं दर्ज हुई है, जिनमें 1271 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है। 40 मास्टर कंट्रोल रूम स्थापित किये गये है।

बीएसएफ फिर चर्चा में, जवान को मिली सजा जरा हट के

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में एक जवान को पीएम मोदी के नाम के आगे माननीय या श्री न लगाकर संबोधित करना भारी पड़ गया। इसकी कीमत उसे सात दिन के वेतन के रूप में गवानी पड़ी। बताया जा रहा है कि बीएसएफ ने इसे पीएम का अपमान मानते हुये सात दिन का वेतन काट लेने की सजा दी।

21 फरवरी को बीएसएफ के 15वें बटालियन के मुख्यालय महतपुर, नाडिया (पश्चिम बंगाल) में एक जवान संजीव कुमार ने एक रिपोर्ट देते हुए मोदी कार्यक्रम शब्द का इस्तेमाल किया।

बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर कमांडेंट अनूप लाल भगत इससे काफी नाराज हुए और उन्होंने संजीव कुमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्णय लिया।

संजीव के खिलाफ संक्षिप्त सुनवाई हुई और उन्हें बीएसएफ एक्ट की धारा 40 (व्यवस्था के प्रति पक्षपात और बल का अनुशासन) के तहत दोषी पाया गया।

बीएसएफ के कई अधिकारियों ने इस सजा को थोड़ा सख्त बताया और कहा कि इसकी जरूरत नहीं थी।

होली पर यूपी पुलिस ने जारी रखा मिशन एनकाउंटर

यूपी में पुलिस का एनकाउंटर अभियान जारी है। तो बदमाश भी अपनी जान की भीख मांग रहे है, लेकिन अभी कुछ बदमाश ऐसे भी है, जो पुलिस से भीड़ने को तैयार है। होली के दिन भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। ग्रेटर नोएडा में यूपी पुलिस और बदमाशों के बीच फायरिंग हुयी। इस दौरान पुलिस ने दो बदमाश को अपने कब्जे में ले लिया।

मुठभेड़ के दौरान बदमाशों की ओर से चलाई गई गोली से एक पुलिसकर्मी भी घायल हुआ है। घायल पुलिसकर्मी को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। पुलिस ने गिरफ्तार बदमाशों के पास से एक मोटरसाइकिल और दो तमंचे बरामद किए हैं।

ग्रेटर नोएडा के दादरी कोतवाली एरिया के कोट का पुल के पास शुक्रवार की शाम पुलिस चेकिंग कर रही थी। तभी एक मोटरसाइकिल पर दो बदमाश आते दिखाई दिए। पुलिस ने बदमाशों को रोकने की कोशिश की, लेकिन बाइक सवार बदमाश भागने लगे।

पुलिस ने बदमाशों का पीछा किया और कोट के पुल के पास उन्हें घेर लिया। खुद को घिरा देख बदमाश फायरिंग करते हुए भागने लगे। बदमाशों द्वारा की गई फायरिंग में एक पुलिसकर्मी नितिन घायल हो गया। पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की।

पुलिस द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई में शोएब और समीर नाम के बदमाशों के पैर में गोली लगी। गोली लगने के बाद दोनों बदमाश घायल होकर वहीं गिर पड़े और पुलिस ने दोनों को दबोच लिया। गिरफ्तार बदमाशों के पास से पुलिस ने दो तमंचे और कई जिंदा कारतूस बरामद किए हैं।

अब पुलिस गिरफ्तार बदमाशों से पूछताछ में जुट गई है, ताकि उनका आपराधिक इतिहास खंगाला जा सके। दोनों बदमाशों को उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका उपचार किया जा रहा है। वहीं घायल सिपाही को ग्रेटर नोएडा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।

उत्तर प्रदेश में बदमाश बोले, अब हम सुधर गये है, हमें जीने दो।

उत्तर प्रदेश में बदमाश अपनी जान के लिये भीख मांगने पर मजबूर है। यहां बदमाश मेहनत व मजदूरी करके घर चलाने की कसम खा रहे है। इन दिनों यहां बदमाशों को अपने हाथ में तख्ती पकड़ पुलिस थानों के चक्कर लगाते हुये देखा जा रहा है।

यूपी में अब गुंडे कहते है, अब हम सुधर गए हैं, हमें जीने दो। योगी राज में दनादन पुलिस मुठभेड़ों से अपराधियों की बोलती बंद हो गयी है। साल भर में 40 बदमाश मारे जा चुके हैं। इसीलिए तो अब अपराधी बेल लेने के बदले जेल में ही रहना चाहते हैं।

इरशाद और सालिम बाबा, दोनों सगे भाई हैं। सालिम बाबा पर सहारनपुर के एक दारोगा की हत्या का आरोप है, जबकि इरशाद पर मर्डर समेत आठ मुकदमे चल रहे हैं। पिछले साल ही पुलिस ने इन्हें मुठभेड़ में पकड़ा था। अब जेल से जमानत पर पिछले ही हफ्ते छूटे हैं। दोनों भाई अपने जान की गुहार लगाते हुए शामली के एसपी के ऑफिस पहुँच गए। दोनों के हाथ में तख्ती थी, जिस पर लिखा था मैं भविष्य में कोई अपराध नहीं करूंगा और मेहनत-मजदूरी कर अपने और परिवार का भरण पोषण करूंगा।

इरशाद और सलमान ने एसपी को एक हलफनामा भी दिया कि वे अब आगे कोई अपराध नहीं करेंगे। सालिम ने बताया, अब वह एक अच्छे आदमी की तरह अपने परिवार के लिए जीना चाहता है। शामली के एसपी अजयपाल शर्मा अब एनकाउंटर मैन के नाम से जाने जाते हैं। वे यूपी में सबसे अधिक पुलिस मुठभेड़ करनेवाले एसपी बन गए है।

सीएम योगी आदित्यनाथ भी उनकी पीठ थपथपा चुके हैं। शर्मा ने कहा कि अगर अपराध करनेवालों का मन बदल जाए तो फिर ये एक नई शुरुआत होगी। उत्तर प्रदेश में हर 24 घंटों में तीन एनकाउंटर होते हैं। योगी आदित्यनाथ के राज में अब तक 1152 पुलिस मुठभेड़ हो चुकी हैं। जिसमें 39 ईनामी बदमाश मारे जा चुके हैं। शामली, मुजफ्फरनगर, आजमगढ़, मेरठ और लखनऊ में सबसे अधिक मुठभेड़ हुई हैं। लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार बताते हैं कि हम लगातार ईनामी अपराधियों का पीछा करते रहते हैं।

यूपी में बीजेपी की सरकार में अब तक 1991 गुंडे पुलिस मुठभेड़ में पकडे जा चुके हैं। एनकाऊंटर में चार पुलिस वाले भी शहीद हुए हैं। सीएम बनते ही योगी आदित्यनाथ ने गुंडों को राज्य छोड़ कर चले जाने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था जो ऐसा नहीं करेंगे उन्हें दुनिया ही छोड़नी पड़ेगी। यूपी पुलिस अब लुटेरों की लिस्ट बना रही है। उनकी कुंडली खंगाली जा रही है। लुटेरे राह चलते लोगों के मोबाईल, पर्स और गहने छीन लेते हैं, अब उनकी खैर नहीं है।

पुलिस एनकाउंटर के डर से कुछ अपराधियों को तो खुली हवा से अब जेल ही अच्छी लगने लगी है। लखनऊ में एक दारोगा पर गोली चलाने वाला और कई हत्यायों का आरोपी अंशु दीक्षित अब जेल में ही रहना चाहता है। यही हाल सलीम और सोहराब का है। जिसके नाम से ही कभी लखनऊ कांपने लगता था। वे अब जेल से बाहर नहीं आना चाहते हैं। ऐसे बदमाशों को लगता है कि अगर बाहर निकले तो शायद पुलिस हमें ठोंक देगी। इसीलिए यूपी की जेलों में अब नारे लगते है – हमें बेल नहीं जेल चाहिए।

कुछ गुंडे तो अपनी जमानत रद्द करवा कर फिर से जेल पहुँच गए हैं, लेकिन यूपी में कुछ पुलिस मुठभेड़ को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं। आरोप है कि कुछ पुलिस अफसर फर्जी एनकाउंटर कर रहे हैं। ऐसे ही दो मामलों में मानवाधिकार आयोग ने यूपी सरकार को नोटिस भी भेजा है, लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ अपराधियों पर सख्ती के अपने फैसले से टस से मस होने को तैयार नहीं हैं।

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