सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, धामी सरकार की पैरवी आई काम

उत्तराखंड सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने राज्य को नजूल भूमि पर नीति बनाने और अनधिकृत कब्जाधारियों व अतिक्रमणों को नियमित करने के लिए एक नीति बनाने और लागू करने के लिए स्वतंत्र कर दिया।
शीर्ष कोर्ट ने यह आदेश देते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट के 19 जून 2018 के फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें हाईकोर्ट ने मार्च 2009 की नजूल नीति को निरस्त कर दिया था। उत्तराखंड सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। राज्य सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता और उप-एडवोकेट जनरल जतिंदर कुमार सेठी ने बहस की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को भूमि का प्रबंधन करने का अधिकार है। वहीं, राज्य में आवासन देखने की जिम्मेदारी भी सरकार की है।
जस्टिस एसए नजीर और कृष्ण मुरारी की पीठ ने सरकारी पक्ष की दलीलें सुनने के बाद उत्तराखंड हाईकोर्ट के उक्त आदेश पर रोक लगा दी। अब सरकार राज्य में हजारों एकड़ नजूल भूमि पर कब्जा किए लोगों के कब्जे नियमित कर सकेगी। चुनाव के मौसम में सरकार के लिए यह भारी जीत है।

स्वीप कार्यक्रम के तहत राज्य स्तरीय कंसल्टेशन कार्यशाला का आयोजन

भारत निर्वाचन आयोग स्वीप के डायरेक्टर संतोष अजमेरा एवं ज्वाइंट डायरेक्टर अनुज चंडाक ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय, उत्तराखण्ड की ओर से वीरचंद्र सिंह गढ़वाली सभागार सचिवालय में आयोजित राज्य स्तरीय स्वीप कंसल्टेशन कार्यशाला को संबोधित किया। मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने स्मृति चिन्ह् भेंट कर ईसीआई के दोनों अधिकारियों का स्वागत किया।
भारत निर्वाचन आयोग से आये निदेशक ने राज्य में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों को सुगम बनाने, मतदाता जागरूकता शिक्षा एवं निर्वाचक सहभागिता की स्थिति तथा राज्य स्तरीय तैयारियों की भी समीक्षा की।
कार्यशाला में मुख्य विकास अधिकारी देहरादून नितिका खण्डेलवाल, मुख्य विकास अधिकारी हरिद्वार सौरभ गहरवार, मुख्य विकास अधिकारी ऊधमसिंह नगर आशीष भटगई ने पूर्व चुनावों और इस बार की तैयारियों का विस्तृत तुलनात्मक विश्लेषण प्रेजेंटेशन के माध्यम से आयोग के समक्ष रखा।
सीडीओ देहरादून, ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार को मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने नवीन मतदाता पंजीकरण व मतदाता सूची में प्रत्येक कम प्रतिशत वाले बूथों पर मतदान प्रतिशत बढ़ाने, दिव्यांग मतदाताओं का रजिस्ट्रेशन व घर से मतदान की सुविधा के बारे में जनजागरूकता बढ़ाने के कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिये।
चुनाव आयोग भारत सरकार से आये अधिकारियों ने भी निर्वाचन के संबंध में स्पष्ट निर्देश उत्तराखण्ड निर्वाचन से जुड़े अन्य विभागों के अधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि निर्वाचन को और अधिक बेहतर और सुगम बनाने के लिए सभी हितधारकों को निर्वाचन प्रक्रिया में सहयोगी के तौर पर साथ लिया जाए। उन्होंने उद्योग विभाग के माध्यम से इण्डस्ट्रीयल कर्मियों को वोट के प्रति प्रेरित किये जाने को कहा। औद्योगिक इकाईयों की दीवारों पर भी प्रेरक और जागरूकता सामग्री चस्पा करने, कमीशन से मतदान के दिन मिलने वाले अवकाश के दिन श्रमिकों द्वारा मतदान में सद्पुयोग ही करने के लिए विशेष कैम्पेन चलाने को कहा।
आउटरीच ब्यूरो के माध्यम से ग्रामीण व दुर्गम क्षेत्रों में नुक्कड़ नाटक व सांस्कृतिक दलों के विशेष सहयोग को भी जरूरी बताया। रेडियो, दूरदर्शन, डाक विभाग, बैंक, नगर निकायों, एन.जी.ओ. को भी निर्वाचन कार्यक्रमों के व्यापक प्रचार-प्रसार के संगठन के रूप में अपनाने को कहा।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने कहा कि जो भी विभाग और अधिकारी निर्वाचन गतिविधियों को संपन्न कराने में योगदान दे रहे है, वह प्रत्येक गतिविधि और कार्यक्रमों, नई पहल व सामने आने वाली चुनौतियों का चुनाव समाप्त होने तक सम्पूर्ण डॉक्यूमेंटेशन करें, जिसको राज्य निर्वाचन और भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके।
कार्यशाला के बाद ईसीआई की टीम ने देहरादून जनपद का भौतिक निरीक्षण किया। 4 दिसम्बर को टीम द्वारा टिहरी जनपद के कम मतदान प्रतिशत वाले बूथों का निरीक्षण किया जाएगा।
कार्यशाला में प्रताप शाह, अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी, जितेन्द्र कुमार, उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मोहम्मद असलम, राज्य नोडल अधिकारी स्वीप, सुजाता, राज्य समन्वयक स्वीप, राखी, मीडिया समन्वयक, अनुराग, स्वीप कन्सलटेन्ट, नितिन उपाध्याय, उप निदेशक, सूचना, राघवेश पाण्डे, उपनिदेशक, ए.आई.आर/डी.डी, देहरादून, उमेश साहनीनी, राज्य निदेशक, नेहरू युवा केन्द्र, उत्तराखंड, अजय कुमार अग्रवाल, राज्य एन.सी.सी अधिकारी, उत्तराखण्ड आदि उपस्थित रहे।

परेड ग्राउंड का निरीक्षण व्यवस्थाओं में कोई कमी ना रहने के निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को परेड ग्राउंड का स्थलीय निरीक्षण कर विभिन्न व्यवस्थाओं का जायजा लिया। 4 दिसम्बर 2021 को परेड ग्राउण्ड, देहरादून में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रस्तावित रैली के दृष्टिगत मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी देहरादून एवं संबंधित अधिकारियों को समय पर समुचित व्यवस्था के लिए निर्देश दिये। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस अवसर पर हजारों करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया जायेगा।
इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री संसदीय कार्य प्रहलाद जोशी, केन्द्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, आयुक्त गढ़वाल सुशील कुमार, जिलाधिकारी आर.राजेश कुमार, एस.एस.पी. जन्मेजय खण्डूरी, भाजपा नेता कुलदीप कुमार, बलजीत सोनी आदि के साथ ही लोक निर्माण, पुलिस एवं एस.पी.जी. के अधिकारीगण उपस्थिति रहे।

साहस का परिचय दे रहे धामी ने दमदार फैसलों से अपने को औरों से अलग साबित किया

यूं तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने साढ़े चार महीने के कार्यकाल में 500 से अधिक फैसले ले चुके हैं पर देवस्थानम बोर्ड पर फैसला लेना उनके लिए आसान काम नहीं था। तमाम वजहों से यह मुद्दा धामी सरकार के लिए पेचीदा बना हुआ था। एक तो अपनी ही पार्टी की पूर्व सरकार के फैसले पर उन्हें पुनर्निर्णय करना था। दूसरा, यह निर्णय इतने सलीके से लिया जाना था जिससे पार्टी पर उसका नकारात्मक प्रभाव ना पड़े और नाराज वर्ग भी संतुष्ट हो जाए। धामी अपने व्यक्तित्व के अनुरूप सभी पक्षों से सहजता से मिले, सरलता से उनको सुना और फिर उन्होंने सूझबूझ के साथ कदम आगे बढ़ाए। अंततः युवा नेतृत्व ने जिस बुद्धिमत्ता के साथ निर्णय लिया उसकी चौतरफा न केवल चर्चा है बल्कि प्रशंसा भी हो रही है। यह फैसला उनकी सियासी परिपक्वता और दूरदर्शिता को भी दर्शाता है।
देवस्थानम बोर्ड का गठन जनवरी 2020 में तब के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था। बोर्ड के गठन के जरिए 51 मंदिरों का नियंत्रण राज्य सरकार के पास आ गया था, जिनमें केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री चार धामों मंदिर भी शामिल थे। तब से ही तीर्थ-पुरोहित, हक-हकूकधारी और मंदिरों से जुड़ा हर पक्ष इस फैसले को वापस लेने की मांग पर अड़ा था। जुलाई 2021 में मुख्यमंत्री पद से त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अचानक विदाई में देवस्थानम बोर्ड के गठन को भी एक कारण माना गया। उनके बाद तीरथ सिंह रावत को प्रदेश की कमान सौंपी गई तो उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मामले में पुर्नर्विचार किया जाएगा। सियासी परिस्थितियां बदलीं और इसी साल जुलाई में पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने तीर्थ-पुरोहितों की मांग पर एक कमेटी का गठन किया और उसकी रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेने का टाइम बाउण्ड वादा किया। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी तो सीएम धामी ने फिर अपने सहयोगी मंत्रियों की एक कमेटी (पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अगुवाई में) गठित कर रिपोर्ट का अध्ययन करने और उस पर अपना सुझाव देने को कहा। बीते सोमवार को मंत्रियों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट संस्तुति समेत मुख्यमंत्री को सौंपी। धामी ने बिना कोई देर किए 30 नवंबर की सुबह देवस्थानम बोर्ड को भंग करने और इस एक्ट को वापस लेने का फैसला सुना दिया।
दरअसल, देवस्थानम बोर्ड छोटा मुद्दा नहीं था। सनातनी संस्कृति और परम्पराओं से जुड़े होने के कारण यह बेहद संवेदनशील बन गया था। खासतौर से भाजपा के लिए जो खुद को सनातन संस्कृति और परम्पराओं का संवाहक मानती है। मामले को इसलिए भी व्यापकता मिली क्योंकि उत्तराखण्ड में स्थित चारधामों से देश और दुनिया के करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। देवस्थानम बोर्ड के गठित होते ही श्रृद्धा के केन्द्र बदरीनाथ और केदारनाथ जैसे मंदिरों की देखभाल, रखरखाव और उनकी व्यवस्थाओं के प्रबंधन से जुड़ी सदियों पुरानी परम्पराओं को बदलने के औचित्य पर चर्चा शुरू हो गई थी। एक पक्ष देवस्थानम बोर्ड की वकालत तो दूसरा इसके विरोध में खड़ा हो गया। मामला सिर्फ सोशल मीडिया में बहस तक सीमित नहीं रहा बल्कि हाईकोर्ट से होते हुए देश की सर्वाेच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। यही एकमात्र ऐसा मुद्दा था जिसे सुलझाने में धामी को अपनी सियासी परिपक्वता साबित करनी थी। चूंकि देवथानम बोर्ड का गठन भाजपा सरकार ने किया था लिहाजा दलगत मजबूरी के चलते धामी इसे एक झटके में वापस नहीं ले सकते थे, वरना इसके दुष्प्रभाव सामने आ जाते। बहुत ही समझदारी के साथ धामी ने स्वच्छ छवि के भाजपा नेता मनोहर कांत ध्यानी के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई। कमेटी ने चारधाम के तीर्थ पुरोहितों, विद्वान पण्डितों, हक-हकूकधारियों और मंदिरों से जुड़े भी वर्गों से सिलसिलेवार बात की। एक नहीं कई दौर की बातचीत में सबकी राय ली गई। तसल्ली के साथ सभी पक्षों को सुना गया। कमेटी ने जब अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी तो उस पर संस्तुति देने के लिए मुख्यमंत्री धामी ने फिर एक और कमेटी गठित की जिसमें उन्होंने अपने तीन सहयोगी मंत्रियों सतपाल महाराज, अरविन्द पाण्डेय और सुबोध उनियाल को शामिल किया। मंत्रियों की कमेटी की रिपोर्ट मिलने पहले धामी ने दिल्ली जाकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात कर उनसे इस पर निर्णय को लेकर सहमति ले ली। फिर मंगलवार की सुबह उन्होंने देवस्थानम बोर्ड पर वो फैसला सुनाया जिसका सभी को इंतजार था। अपने इस फैसले से पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव से ऐन पहले एक तीर से कई निशाने साध दिए हैं। उन्होंने एक ऐसा विषय जो चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता था उसे सुलझा लिया, साथ ही नाराज पंडा-पुरोहितों और हकदृहकूकधारियों को भी मना लिया। इस मुद्दे पर विपक्ष की हर रणनीति अब धरी की धरी रह गई है और पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर खुद को उत्तराखण्ड के भविष्य का नेता साबित कर दिया है।

ऋषिकेश में राष्ट्रपति ने परिवार सहित गंगा आरती की

राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द रविवार सायं को भारत की पहली महिला सविता कोविंद तथा अपनी पुत्री के साथ परमार्थ निकेतन आश्रम पहुंचे। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज के पावन सान्निध्य में ऋषिकुमारों और आचार्यों ने तिलक लगाकर, पुष्प वर्षा और शंख ध्वनि से सभी का दिव्य स्वागत किया।
स्वामी चिदानंद मुनि ने पवित्र रुद्राक्ष का पौधा और इलायची की माला से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का स्वागत किया। आरती के पश्चात राष्ट्रपति और प्रथम महिला सविता कोविंद और उनकी बेटी ने गंगा में दीप प्रवाहित किये तत्पश्चात भारत के राष्ट्रगान के गायन के साथ गंगा आरती समारोह का समापन हुआ।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सायंकाल परमार्थ निकेतन की विश्व विख्यात मां गंगा जी की आरती में सहभाग कर वैश्विक परिवार को सम्बोधित किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि काफी वर्षों से उनकी काफी इच्छा थी कि वह गंगा आरती में शामिल हो सकें, फिर कोरोना महामारी के कारण भी कार्यक्रम टलता गया, आज उन्हें अपार खुशी है कि उनकी अधूरी इच्छा पूर्ण हुई है, यह हद्वय को स्पर्श करने वाला क्षण है। राष्ट्रपति ने कहा कि मां गंगा के बारे में जितना भी कहा जाए वह कम है, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मां गंगा भारत की अस्मिता है, गंगा मां के बिना भारत वर्ष अधूरा है व भारत के बिना मां गंगा अधुरी है। यह मिश्रण अथवा एक दूसरे के पूरक रूपी वरदान सृष्टि कर्ता ने केवल और केवल भारत मां को दिया है।
कार्यक्रम में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज के साथ चर्चा करते हुये राष्ट्रपति ने स्वामी जी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में चलाए जा रहे विभिन्न सेवा कार्याे पर विस्तृत चर्चा की।
स्वामी मुनि ने माननीय राष्ट्रपति का स्वागत करते हुये उनके जीवन की अविश्वसनीय जीवन यात्रा, राष्ट्र की सेवा के लिए उनकी प्रतिबद्धता और उनके अद्भुत नेतृत्व के साथ कुम्भ मेला प्रयागराज यात्रा की स्मृतियों को ताजा किया। यह यात्रा स्वयं से वयं की यात्रा है, अनेकता से एकता की यात्रा है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने बताया कि वर्ष 1953-54 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद और डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन के अभिनन्दन का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था। वर्ष 2019 प्रयागराज कुम्भ मेला में परमार्थ निकेतन शिविर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का अभिनन्दन और सान्निध्य का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
आज के दिव्य कार्यक्रम में मां गंगा, सभी जल निकायों और हमारी प्रकृति, पर्यावरण के संरक्षण और संवर्द्धन हेतु पूज्य स्वामी से प्रेरित होकर विश्व प्रसिद्ध ग्रैमी पुरस्कार नामांकित, भक्ति गायिका स्नातम कौर द्वारा लिखित और उनके साथ ही ग्रैमी पुरस्कार नामांकित देवा प्रेमल और मितेन, कृष्णा दास, सीसी व्हाइट और अन्य साथियों द्वारा गाया गया एक दिव्य गान ‘गंगा गान’ (गंगा एंथम) गंगा आरती के दौरान प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से. नि.), मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री/सांसद गढ़वाल तीरथ सिंह रावत, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत, जिलाधिकारी डॉ विजय कुमार जोगदण्डे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पी रेणुका देवी, मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत आर्य, ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव डॉ. साध्वी भगवती सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

पतंजलि के प्रथम दीक्षांत समारोह में पहुंचे राष्ट्रपति, छात्रों को दी उपाधि

राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने पतंजलि विश्वविद्यालय, हरिद्वार के प्रथम दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडलिस्ट विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से. नि.), मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव, कुलपति आचार्य बालकृष्ण, संकाय अध्यक्षा डॉ. साध्वी देवप्रिया उपस्थित थे।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि आधुनिक विज्ञान के साथ हमारी परंपरा की प्रासंगिक ज्ञान-राशि को जोड़ते हुए भारत को नॉलेज सुपर पावर बनाने का जो लक्ष्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने निर्धारित किया है उस मार्ग पर पतंजलि विश्वविद्यालय अग्रसर है। उन्होंने पुरस्कार प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं तथा स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी की उपाधियां प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
राष्ट्रपति ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में हरिद्वार की पावन धरती पर रहने का और शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलना बड़े सौभाग्य की बात है। पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव जी ने योग की लोकप्रियता को बढ़ाने में अभूतपूर्व योगदान दिया है। भारत सरकार के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 2015 में प्रतिवर्ष 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। ऐसे प्रयासों के परिणामस्वरूप सन 2016 में ‘योग’ को यूनेस्को द्वारा‘विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर’ की सूची में शामिल किया गया है। राष्ट्रपति ने क्यूबा का उदाहरण देते हुए कहा कि योग को विश्व के हर क्षेत्र और विचारधारा के लोगों ने अपनाया है। राष्ट्रपति ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय द्वारा जो प्रयास किए जा रहे हैं उनसे भारतीय ज्ञान-विज्ञान, विशेषकर आयुर्वेद तथा योग को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में विश्व-पटल पर गौरवशाली स्थान प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि पतंजलि समूह के संस्थानों में भारतीयता पर आधारित उद्यमों और उद्यम पर आधारित भारतीयता का विकास हो रहा है।
राष्ट्रपति ने उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि आलस्य और प्रमाद को त्याग कर आप सब योग-परंपरा में उल्लिखित ‘अन्नमय कोष’, ‘मनोमय कोश’ और‘प्राणमय कोश’ की शुचिता हेतु सचेत रहेंगे। और ‘विज्ञानमय कोश’ और ‘आनंदमय कोश’ तक की आंतरिक यात्रा पूरी करने की महत्वाकांक्षा के साथ आगे बढ़ेंगे। करुणा और सेवा के आदर्शों को आप अपने आचरण में ढाल कर समाज सेवा करते रहेंगे। करुणा और सेवा के अद्भुत उदाहरण हमारे देशवासियों ने कोरोना का सामना करने के दौरान प्रस्तुत किए हैं। आज हम गर्व के साथ यह कह सकते हैं कि हमारा देश विश्व के उन थोड़े से देशों में से है जिन्होंने न सिर्फ कोरोना के मरीजों की प्रभावी देखभाल की है अपितु इस बीमारी से बचाव हेतु वैक्सीन का भी उत्पादन किया है। हमारे देश में विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है। सृष्टि के साथ सामंजस्यपूर्ण जुड़ाव ही आयुर्वेद एवं योग-शास्त्र का लक्ष्य है। इस सामंजस्य के लिए यह भी आवश्यक है कि हम सभी प्रकृति के अनुरूप जीवनशैली को अपनाएं तथा प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन न करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज जब हम आज़ादी का अमृत महोत्सव बना रहे हैं, तब हमें अपने ऐसे विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों को और भी अधिक प्रोत्साहन देना चाहिए जो हमारी संस्कृति को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में नई ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं। यह विशेष रूप से उल्लेखनीय तथ्य है कि पतंजलि विश्वविद्यालय में छात्रों की अपेक्षा बेटियों की संख्या अधिक है। यह प्रसन्नता की बात है कि परंपरा पर आधारित आधुनिक शिक्षा का विस्तार करने में हमारी बेटियां अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। मुझे विश्वास है कि आप सभी छात्राओं में से आधुनिक युग की गार्गी,मैत्रेयी, अपाला, रोमशा और लोपामुद्रा निकलेंगी जो भारतीय मनीषा और समाज की श्रेष्ठता को विश्व पटल पर स्थापित करेंगी।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से. नि.) ने कहा कि आज हम सभी देवभूमि वासियों के लिये सौभाग्य और प्रसन्नता का क्षण है। महामहिम राष्ट्रपति जी की उपस्थिति से आज यह विद्या और ज्ञान का मन्दिर पंतजलि विश्वविद्यालय तथा हमारा पूरा उत्तराखण्ड परिवार गरिमामय हो गया है। देवभूमि उत्तराखण्ड की पावन धरती, यहां के सुन्दर पर्वत, नदियां और सभी लोग महामहिम राष्ट्रपति जी का आभार व्यक्त करते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने योग एवं आयुर्वेद को दुनियाभर में एक नई पहचान दी है। वे बधाई के पात्र है। स्वामी रामदेव जी ने आयुर्वेद व योग का महत्व पूरी दुनिया को बताया। वे योग एवं आयुर्वेद के माध्यम से हेल्थ सेक्टर में क्रांति लाए हैं। भविष्य में विश्व के 7 बिलियन लोग इसका लाभ उठाएंगे। उन्होंने इसे जन-जन तक पहुंचाने का महान कार्य किया है। आज बच्चे, बुजुर्गाे सहित सभी लोगों में योग लोकप्रिय हो चुका है। प्राणायाम और योगासनों की शक्तियों को पूरा विश्व पहचान चुका है। राज्यपाल ने कहा कि आयुर्वेद तथा योग ने भारत को कोविड काल की चुनौतियों के लिये भी तैयार किया। जहां पूरा विश्व कोविड के कारण बुरी तरह प्रभावित रहा। योग एवं आयुर्वेद के कारण भारत ने इस चुनौती का सामना बेहतर ढंग से किया। राज्यपाल ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि आज इस दीक्षांत समारोह में डिग्रीयां लेने वाले विद्यार्थी अपने राष्ट्र, प्रदेश और समाज की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे। आप अपनी शिक्षा, प्रतिभा एवं प्रशिक्षण का उपयोग मानव कल्याण के लिये करेंगे। आशा है कि हमारे यह स्वास्थ्य योद्धा आने वाली चुनौतियों का सामना सफलतापूर्वक करेंगे।
राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत समारोह का अर्थ शिक्षा की समाप्ति नही है। शिक्षा तो जीवनभर निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। आज पूरा विश्व असीमित संभावनाओं और अवसरो से युक्त है। युवा पीढ़ी से अपेक्षाएं है कि आउट ऑफ द बाक्स थिकिंग और अपनी नई कल्पनाओं के साथ प्रत्येक क्षेत्र में असीमित परिणाम देंगे। मुझे यह देखकर खुशी होती है कि आज बड़ी संख्या में युवा संस्कृत भाषा, योग, आयुर्वेद, नैचुरोपेथी तथा प्राचीन भारतीय विधाओं को पढ़ना और सीखना चाहते हैं। ऐसे युवा यदि इन्फोर्ममेशन टेक्नॉलॉजीए डिजिटिजेशन, सोशल मीडिया एवं मास मीडिया में भी विशेषज्ञता प्राप्त कर लेते हैं तो यह हमारी प्राचीन विधाओं को नई ऊंचाईयों तक ले जाएंगा। युवाओं के द्वारा सोशल मीडिया तथा मास मीडिया का सदुपयोग इन समृद्ध विधाओ के प्रचार प्रसार किया जा सकता है। मेरा मानना है कि योग और आयुर्वेद के विद्यार्थी हमारी सभ्यता, संस्कृति के ब्राण्ड अम्बेसडर भी हैं।
राज्यपाल ने कहा कि योग और आयुर्वेद हमारी सरल, सहज एव शाश्वत तथा सम्पूर्ण चिकित्सा विज्ञान है। हमे जन-जन तक इस बात को पहुंचाना है। योग और आयुर्वेद को विश्व की एक प्रमुख चिकित्सा पद्धति के रूप में स्थापित करना है। यह महान उत्तरदायित्व भी आपके ऊपर ही है। राज्यपाल ने कहा कि आज हमारे समक्ष सतत विकास के साथ ही संतुलित विकास की भी चुनौती है। विद्यार्थियों से मेरा आग्रह है कि यदि आपकी शिक्षा, प्रतिभा और विजन का लाभ हमारे देश के पिछडे़ क्षेत्रों, दूरस्थ गांवों, समाज के वंचित और निर्धन तबकों को मिले तो यह आपके जीवन को एक नया अर्थ देगा। विशेषकर उत्तराखण्ड के संदर्भ में यहां की शिक्षित युवाओं को स्थानीय उत्पादों, शिल्पों, संस्कृति और सोच विचार पर आधारित उद्यमों के लिये कार्य करना चाहिये। निश्चित ही आप राज्य में रिवर्स माइग्रेशन का नया अध्याय लिखेंगे। राज्यपाल ने कहा कि आशा है कि भविष्य में आप अपने सेवा क्षेत्र में नैतिक मूल्यों, मानवीयता, विश्व कल्याण और सेवा को सर्वाेच्च प्राथमिकता देंगे। आप सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की सोच के साथ कार्य करेंगे। आप प्रोफेशनल एथिक्स के साथ ही अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट से उत्कृष्ट प्रयास करेंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति का देवभूमि और गंगा नगरी में आगमन पर स्वागत करते हुए कहा कि हमारे महामहिम राष्ट्रपति जी का जीवन एक प्रेरणा पुंज के समान है। ये हमें बताता है कि व्यक्ति में यदि दृढ़ संकल्प, आत्मविश्वास, साहस और इच्छाशक्ति हो तो वो बड़े से बड़े लक्ष्य को भी हासिल कर सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम जहां एकत्रित हुए हैं ये वो स्थान है जिसने दुनिया भर योग के प्रचार-प्रसार को एक नया आयाम और एक नया विस्तार दिया है। जिस प्रकार महर्षि दधीचि के तप का उपयोग कर वज्र का निर्माण हुआ उसी प्रकार स्वामी रामदेव अपने संघर्ष और तप से योग, प्रणायाम, अध्यात्म और स्वदेशी चिंतन की पताका को पूरे विश्व में फहरा रहे हैं। साथ ही इस अवसर पर मैं आभार प्रकट करना चाहुंगा आचार्य बालकृष्ण का भी जो कि अपने प्रबंधन कौशल तथा आयुर्वेद के ज्ञान से इस भारतीय चिकित्सा पद्धति और योग क्रांति को पूरे विश्व में आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज योग भारतीय संस्कृति के ध्वजारोहक के रूप दुनिया भर में इस सत्य को पुर्नःस्थापित कर चुका है कि भारतीय परम्पराएं, भारतीय दर्शन और हमारे ऋषि मुनियों द्वारा अपनाई और तय की गई जीवन पद्धति कितनी वैज्ञानिक और हितकारी थी। योग केवल शारीरिक ही नहीं मानसिक और भावनात्मक विकारों को भी दूर करता है। यूं तो योग सदियों से विश्व में अपना डंका बजा रहा है लेकिन जो ख्याति प्रधानमंत्री के प्रयासों से इसने हासिल की है वो अभूतपूर्व है। ये आदरणीय मोदी की ही पहल थी कि 21 जून 2015 को दुनिया में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। यशश्वी प्रधानमंत्री का कथन है कि हमें खुद भी योग का संकल्प लेना है और दूसरों को भी इस संकल्प से जोड़ना है। “योग से सहयोग“ तक का मंत्र हमें भविष्य का नया मार्ग दिखाएगा और मानवता को सशक्त करेगा। उत्तराखंड में हम लगातार उनके इस मंत्र पर चलने और इसे सिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पथ प्रदर्शक दीनदयाल उपाध्याय जी ने जो ’अंत्योदय’ का जो मन्त्र हमें दिया है लगातार उसको अपना कर हम अपनी योजनाओं को आगे बढ़ा रहे हैं। इस दिशा में हमें सफलता भी मिली है और हमारी ये यात्रा निरंतर जारी है। उत्तराखंड उन सपनों को साकार करने की राह पर आगे बढ़ रहा है जो सपने इसके निर्माण के दौरान देखे गए थे। एक सैनिक पुत्र होने के नाते, मैं उत्तराखंड के सैनिक परिवारों की अपेक्षाओं और उम्मीदों को पूरा करने के लिए भी प्रयत्नशील हूँ। हम निरंतर उन कामों को कर रहे हैं जिनका सीधा सरोकार जनता से है, उनकी भलाई से है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी पूरी कोशिश है कि वर्ष 2025 में जब हम राज्य स्थापना के 25 वर्ष का जश्न मना रहे होंगे तब तक हम उत्तराखंड को हर क्षेत्र में नंबर वन बना लेंगे। प्रधानमंत्री ने भी कहा है और मैं भी उनके ही कथन को दोहरा रहा हूं कि आने वाला दशक उत्तराखंड का दशक होगा और इस दशक में हम आप सभी के सहयोग से नई बुलंदियों को छुएंगे। प्रदेश की जनता ने हमेशा हम पर विश्वास जताया है और मुझे पूरी आशा है कि उनका ये विश्वास हम पर आगे भी यूं बना रहेगा।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द, विधायक आदेश चौहान, सुरेश राठौर, प्रदीप बत्रा, मेयर रूड़की गौरव गोयल, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, उपाधि प्राप्तकर्ता विद्यार्थी एवं अन्य गणमान्य मौजूद रहे।

खरोला ने राष्ट्रपति से लगाई आईडीपीएल को उजाड़ने से बचाने की गुहार

कांग्रेस प्रदेश महासचिव राजपाल खरोला ने एसडीएम के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। इसमें उन्होंने आईडीपीएल कॉलोनी में रह रहे लोगों को आवास का मालिकाना हक देने और नगर निगम में शामिल करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि कहा कि 834 एकड़ भूमि पर बनी आईडीपीएल फैक्ट्री और अन्य परिक्षेत्र की लीज 27 नवंबर को खत्म हो चुकी है और यह क्षेत्र अब राज्य सरकार के अधीन हो गया है। फैक्ट्री की स्थापना के बाद 2700 क्वार्टरों का निर्माण किया गया था। इसके अलावा दुकानें, शॉपिंग सेंटर, एक इंटरमीडिएट कॉलेज, एक केंद्रीय विद्यालय, एक डाकघर, पुलिस स्टेशन, खेल के मैदान और एक सामुदायिक केंद्र भी बनाया गया। लीज खत्म होने पर वन विभाग पहले आईडीपीएल को अपने अधीन लेने की बात कह चुका है। आईडीपीएल फैक्टरी प्रशासन भी टाउनशिप में रहने वाले वीआरएस प्राप्त कर्मचारियों और परिजनों को सार्वजनिक नोटिस जारी कर चुका है। फैक्टरी के 834 एकड़ भूमि में से 200 एकड़ भूमि जहां पर वर्तमान पर टेलीफोन एक्सचेंज, डाकघर, फुटकर बाजार एम्स को देने पर पहले ही सहमति बन चुकी है।
उन्होंने कहा कि आईडीपीएल कॉलोनी में रह रहे लोगों को आवास का मालिकाना हक देने, 45 साल से आईडीपएल परिक्षेत्र में व्यापार करने वाले दुकानदारों को सूचीबद्ध कर उचित रोजगार मुहैया करवाने और विस्थापित करने, कृष्णानगर कॉलोनी तथा बापूग्राम पंचायत क्षेत्र को नगर निगम में शामिल करने की मांग उठाई।

केजरीवाल के हरिद्वार दौरे से गर्मायी राजनीति, ऑटो चालको को लुभा गये दिल्ली सीएम

आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले बीस साल में भाजपा और कांग्रेस ने बारी-बारी से शासन किया। उत्तराखंड में दोनों दलों में सहमति बनी है कि राज करो और लूटो। लेकिन अब यह नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि एक बार आम आदमी पार्टी को मौका देकर देखो। सबको भूल जाओगे। 
धर्मनगरी में रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रोड शो किया। दोपहर में करीब ढाई बजे पुराना रानीपुर मोड़ (परशुराम चौक) से शुरू हुआ रोड शो गोविंदपुरी, चंद्राचार्य चौक, प्रेमनगर आश्रम, खन्नानगर होते हुए शंकर आश्रम तिराहे पर तीन बजकर बीस मिनट पर संपन्न हुआ। 
रोड शो के समापन पर जनता को संबोधित करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा भाजपा व कांग्रेस दोनों में आपसी सहमति है कि एक बार तुम राज करो, एक बार हम राज करेंगे। दोनों में सहमति है तुम लुटो, हम लूटेंगे। जब तुम्हारी बारी आए तो हमको बचा लेना। जब हमारी बारी आएगी तो तुमको बचा लेंगे। अब यह खेल खत्म करना है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को एक बार मौका दिया था बस एक बार। पार्टी ने पिछले सात साल में ऐसा जबरदस्त काम किया है कि सभी पार्टियां हवा हो गई। अब दिल्ली के अंदर कोई भी व्यक्ति किसी अन्य पार्टी की बात नहीं करता। उन्होंने कहा कि आज अकेली आप है जो कहती है कि हम स्कूल बनाएंगे। कोई और पार्टी कहती है कि वह स्कूल बनवाएगी। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं आपको कह रहा हूं कि मैंने दिल्ली में स्कूल बनवाए। हमको वोट दो। हम तुम्हारे बच्चों के लिए स्कूल बनवाएंगे।
हम तुम्हारे बच्चों को नौकरी देंगे। दिल्ली में करके दिखाया है। हवा में बात नहीं कर रहे हैं। अब देवभूमि में भी करके दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि आज जिस तरह का प्यार मिला। उसे देखकर मुझे पूरी उम्मीद है कि देवभूमि की जनता बदलाव चाहती है। केजरीवाल ने कहा कि हमने दिल्ली में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर कर दी हैं। मोहल्ला क्लीनिक बनवा दिए। देवभूमि में एक मौका दो। यहां भी शानदार अस्पताल बनाएंगे। उन्होंने कहा कि इस बार आप सब लोग मिलकर कर्नल अजय कोठियाल को देवभूमि का सीएम बना दो। कर्नल कोठियाल ने केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य किया था। अब हम सबको मिलकर देवभूमि का नवनिर्माण करना है। 

भाजपा और आप के बीच जुबानी जंग तेज

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के अध्यक्ष अरविन्द केजरीवाल ने हमेशा ही देश विरोधी तत्वों के सुर में सुर मिलाने और तुष्टीकरण की राजनीति की है और अब चुनाव से ठीक पहले वह उत्तराखंड में जिस तरह घोषणाएं कर रहे हैं उसका उनको कोई लाभ नहीं होने वाला है, क्योंकि वह विश्वास खो चुके हैं। उन्होंने कहा कि आज आध्यात्मिक तीर्थ की बात करने वाले केजरीवाल हमेशा राम मंदिर के विरोधियों के सुर में सुर मिलाते रहे हैं। अचानक उनका सनातन में आस्था और भक्ति में विश्वास का जाग्रित होना चुनावी महत्वाकांक्षा से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि सैन्य बहुल उतराखंड के लोग उनके सर्जिकलस्ट्राइक में सुबूत मांगने और देश द्रोहियो की पैरोकारी करने से भी व्यथित हैं।
कोरोना काल में भी वह उत्तराखंड के कोटे के ऑक्सीजन सिलेण्ड़र और जरुरी दवाओ के कोटे को भी कालाबाजारी के लिए डंप कर चुके हैं और अदालत को भी गुमराह कर चुके हैं। केजरीवाल के अस्पतालों को लेकर झूठे दावो की पोल कोरोना के समय खुल चुकी हैं। पराली को लेकर घोटाला भी सामने आ चुका है। उन्होंने कहा कि पहले केजरीवाल को दिल्ली की स्तिथी को व्यवस्थित करना चाहिए, क्योंकि दिल्ली बरसात में पानी का कटोरा बन जाता है और अब प्रदूषण के चलते वहां पर सांस लेना मुश्किल हो गया है। झूठी और झान्सा देने की राजनीति अधिक समय तक नहीं चल सकती, क्योंकि केजरीवाल जनता का विश्वास खो चुके हैं। अस्तित्व की तलाश में वह अब लगातार घोषणाएं कर रहे हैं जिनका कोई अर्थ नहीं है और न ही लोगो को उन पर विश्वास है।

14 महीने बाद जिन काूननों को लिया केन्द्र ने वापस, जानिए उनके बारे में

किसानों के हठ के आगे आखिरकार मोदी सरकार को झुकना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों विवादित कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है। इस ऐलान के लिए दिन चुना गया प्रकाश पर्व का। पीएम ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम 18 मिनट के संबोधन में यह बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सरकार ये कानून किसानों के हित में नेक नीयत से लाई थी, लेकिन हम कुछ किसानों को समझाने में नाकाम रहे।

मोदी के संबोधन की 5 बड़ी बातें

1. सबसे पहले प्रकाश पर्व और देव दीपावली की शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, मेरे प्यारे देशवासियों आज देव दीपावली का पावन पर्व है। आज गुरु नानक देव जी का भी पावन प्रकाश पर्व है। मैं विश्व में सभी लोगों और सभी देशवासियों को बधाई देता हूं। यह भी बेहद सुखद है कि डेढ़ साल बात करतारपुर साहिब कॉरिडोर फिर से खुल गया है।

2. हमारी सरकार देशवासियों का जीवन आसान बनाने में जुटी
मोदी ने कहा कि गुरुनानक देव जी ने कहा है कि संसार में सेवा का मार्ग अपनाने से ही जीवन सफल होता है। हमारी सरकार इसी सेवा भावना के साथ देशवासियों का जीवन आसान बनाने में जुटी है। न जाने कितनी पीढ़ियां जिन सपनों को सच होते देखना चाहती थीं, भारत उन्हें साकार करने की कोशिश कर रहा है।

3. कुछ किसानों को समझाने में नाकाम रहे
मोदी ने कहा कि हमारी 10 हजार एफपीओ किसान उद्पादक संगठन बनाने की प्लानिंग है। हमने एमएसपी और क्रॉप लोन बढ़ा दिया है। यानी हमारी सरकार किसानों के हित में लगातार एक के बाद एक कदम उठाती जा रही है। इसी अभियान में तीन कृषि कानून लाए गए थे, ताकि किसानों को फायदा हो। हम पूरी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे। लेकिन इतनी पवित्र बात कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।

4. कानून वापसी का फैसला, इसी महीने शुरू होगी प्रॉसेस
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने किसानों को समझने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिन प्रावधानों पर उन्हें ऐतराज था उन्हें बदलने को भी तैयार थे। साथियों आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है। यह समय किसी को दोष देने का नहीं है। मैं आज देशवासियों को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है। इसी महीने इनकी वापसी की प्रक्रिया पूरी कर देंगे।

5. किसान कल्याण हमारी सरकार की प्राथमिकता
देश के हर 100 में से 80 किसान छोटे किसान हैं। उनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। इनकी संख्या 10 करोड़ से भी ज्यादा है। उनकी जिंदगी का आधार यही छोटी सी जमीन का टुकड़ा है। हमने किसान कल्याण को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी। हमारी सरकार ने फसल बीमा योजना को प्रभावी बनाया गया। आज छोटे किसानों को फसल बीमा का लाभ मिल रहा है। 22 करोड़ किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं। छोटे किसानों को ताकत देने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।

तीनों कृषि कानून, जिनके खिलाफ आंदोलन कर रहे थे किसान
तीनों नए कृषि कानूनों को 17 सितंबर, 2020 को लोकसभा ने मंजूर किया था। राष्ट्रपति ने तीनों कानूनों के प्रस्ताव पर 27 सिंतबर को दस्तखत किए थे। इसके बाद से ही किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था। ये तीनों कानून इस तरह हैं..

1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020
इस कानून में एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने का प्रावधान है, जहां किसानों और कारोबारियों को मंडी के बाहर फसल बेचने की आजादी होगी। कानून में राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच कारोबार को बढ़ावा देने की बात कही गई है। साथ ही मार्केटिंग और ट्रांसपोर्टेशन का खर्च कम करने की बात भी इस कानून में है।

2. कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
इस कानून में कृषि करारों (एग्रीकल्चर एग्रीमेंट) पर नेशनल फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है। ये कृषि उत्पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि बिजनेस फर्म, प्रॉसेसर्स, थोक और खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जोड़ता है। इसके साथ किसानों को क्वालिटी वाले बीज की आपूर्ति करना, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, कर्ज की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा देने की बात इस कानून में है।

3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020
इस कानून में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से हटाने का प्रावधान है। सरकार के मुताबिक, इससे किसानों को उनकी फसल की सही कीमत मिल सकेगी, क्योंकि बाजार में कॉम्पिटीशन बढ़ेगा।

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