सीमा सड़क संगठन ने रिकाॅर्ड समय में रैणी गांव में तैयार किया सेतु

सात फरवरी को ऋषिकेश गंगा में बर्फीली झील के फटने से आई बाढ़ के क्षतिग्रस्त हुए सेतु के स्थान पर सीमा सड़क संगठन द्वारा मात्र 8 दिनों में 5 मार्च 2020 को पुनः एक नया सेतु बना कर यातायात बहाल कर दिया है।

जोशीमठ मलारी राजमार्ग पर रैणी गांव में नीति सीमा को जोड़ने वाला 90 मीटर लंबा एकमात्र स्थाई सेतु तेज बहाव में बह गया था और यह रास्ता यातायात हेतु बंद कर दिया गया था। सेतू बन जाने से ग्राम वासियों ने खूशी का इजहार किया।

इसी स्थान पर गंगा नदी पर बिजली प्लांट पूर्ण रूप से ध्वस्त होने के साथ-साथ 200 से भी अधिक जान माल का नुकसान हुआ था। सीमा सड़क संगठन अपने सिद्धांत-‘श्रमेण सर्वम् साध्यम’ पर खरा उतरते हुए तुरंत हरकत में आया और इस आपदा से निपटने के लिए आशु सिंह राठौर एवीएसएम-वीएसएम, चीफ इंजीनियर के नेतृत्व में तेजी से राहत और बचाव कार्य शुरू किए।

सीमा सड़क संगठन ने तुरंत 100 से अधिक संयंत्र उपकरणों/ वाहनों को कार्य पर लगा दिया। जिसमें 15 भारी उपकरण मशीनें जैसे की हाइड्रोलिकएक्सकैवेटर, डोजर, जेसीबी, लोडर, कंप्रेसर, शामिल थे। नदी के किनारे पर स्थित ठोस चट्टानों को काटने हेतु एक चट्टान काटने वाली मशीन को भी हेलीकाप्टर के द्वारा पहुंचाया गया।

क्षेत्र के पूर्ण रूप से 20 से 30 मीटर ऊंचे मलबे में जाने और नदी के किनारों के लुप्त हो जाने के कारण नए सेतु के एबेटमेंट निर्माण हेतु स्थान और उस तक पहुंचने वाली सड़क का स्थान ढूंढना एक भीमकाय कार्य था।

एक आस्था प्रारंभिक रेकी एवं मलबे को हटाने के उपरांत दिनांक 10 फरवरी को वैली सेतु के निर्माण हेतु उचित स्थान ढूंढ लिया और दिनांक 20 मार्च तक ट्रैफिक को सुचारू करने के लक्ष्य के साथ 200 फुट लंबे सेतु के लिए एबेटमेंट का निर्माण प्रारंभ किया।

वैली सेतु की स्थापना हेतु एबेटमेंट के निर्माण एवं सड़क की कटिंग के उपरांत सेतु की स्थापना का कार्य दिनांक 25 फरवरी 2021 को आरंभ किया गया।

सीमा सड़क संगठन ने संपर्क को पुनः स्थापित करने हेतु जाड़े के मौसम एवं अन्य सभी विपरीत परिस्थितियों की परवाह न करते हुए बिना विश्राम किए अथक कार्य किया और निर्धारित तिथि से बहुत पहले दिनांक 5 मार्च को ही इस सेतु का निर्माण पूर्ण करके यातायात को बहाल कर दिया।

सीमा सड़क संगठन सदैव चुनौतियों पर खरा उतरा है, एवं देश को दक्ष एवं उपयुक्त सेवा प्रदान करता आया है।

लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चैधरी, बीएसएम, सड़क संगठन के महानिदेशक एवं आशु सिंह राठौड़ एवीएसएम-वीएसएम, चीफ इंजीनियर ने इस महत्वपूर्ण एवं अत्यंत आवश्यक संपर्कता को पुनः स्थापित करने हेतु इस कार्य में लगे सभी अधिकारियों एवं श्रमिकों की सराहना की है।

मुख्यमंत्री ने आपदा प्रभावित गांव रैणी एवं लाता में स्थिति का जायजा लिया

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आपदा प्रभावित सीमांत गांव रैणी एवं लाता जाकर वहां की स्थिति का जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने स्थानीय ग्रामीणों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों को हर सम्भव सहायता के प्रति आश्वस्त किया। उन्होंने जिलाधिकारी चमोली को निर्देश दिए कि कनेक्टीवीटी से कट गए गांवों में आवश्यक वस्तुओं की कमी न रहे। रविवार को तपोवन क्षेत्र में हुई भीषण त्रासदी में जोशीमठ ब्लॉक के लगभग 1 दर्जन गांवों का सड़क से सम्पर्क टूट गया था।

इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने जोशीमठ में आईटीबीपी अस्पताल में आपदा में घायल हुए लोगों से मिलकर उनका हालचाल जाना। मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों से घायलों के ईलाज के बारे में जानकारी प्राप्त की।

गौरतलब है कि सोमवार देर सांय मुख्यमंत्री तपोवन जोशीमठ पहुंचे थे। वहां उन्होंने आपदा राहत कार्यों का जायजा लिया और राहत कार्यों में लगे सेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पुलिस के जवानों का उत्साहवर्धन किया। मुख्यमंत्री ने सोमवार को ही देर सांय विभिन्न अधिकारियों के साथ बैठक कर पूरे रेस्क्यू आपरेशन की समीक्षा की थी। मुख्यमंत्री ने तपोवन, जोशीमठ में ही रात्रि प्रवास किया था।

मंगलवार को भी सर्च व रेस्क्यू आपरेशन जारी रहा
चमोली जिले में रविवार को आयी आपदा के तीसरे दिन भी रेस्क्यू आपरेशन पूरे दिनभर जारी रहा। आपदा मे सडक पुल बह जाने के कारण नीति वैली के जिन 13 गांवों से संपर्क टूट गया है उन गांवों में जिला प्रशासन चमोली द्वारा हैलीकॉप्टर के माध्यम से राशन, मेडिकल एवं रोजमर्रा की चीजें पहुंचायी जा रही है। गांवों मे फसे लोगो को राशन किट के साथ 5 किलो चावल, 5 किग्रा आटा, चीनी, दाल, तेल, नमक, मसाले, चायपत्ती, साबुन, मिल्क पाउडर, मोमबत्ती, माचिस आदि राहत सामग्री हैली से भेजी जा रही हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्र के साथ ही अलकनन्दा नदी तटों पर जिला प्रशासन की टीम लापता लोगों की खोजबीन में जुटी हैं।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से प्राप्त जानकारी (अपराह्न 12 बजे तक की रिपोर्ट) के अनुसार घटना के बाद 31 शव मिल गए हैं जबकि 175 लोग अभी लापता हैं। प्रभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ के 190, एनडीआरएफ के 176, आईटीबीपी के 425 जवान एसएसबी की 1 टीम, आर्मी के 124 जवान, आर्मी की 02 मेडिकल टीम, स्वास्थ्य विभाग उत्तराखण्ड की 04 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 16 फायरमैन, लगाए गए हैं। राजस्व विभाग, पुलिस दूरसंचार और सिविल पुलिस के कार्मिक भी कार्यरत हैं। बीआरओ द्वारा 2 जेसीबी, 1 व्हील लोडर, 2 हाईड्रो एक्सकेवेटर, आदि मशीनें लगाई गई हैं। एक हेलीकाप्टर द्वारा एनडीआरएफ की टीम औश्र 03 वैज्ञानिकों को भेजा गया है। स्टैंडबाई के तौर पर आईबीपी के 400, आर्मी के 220 जवान, स्वास्थ्य विभाग की 4 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 39 फायरमैन रखे गए हैं। आर्मी के 03 हेलीकाप्टर जोशीमठ में रखे गए हैं।

आपदा से 05 पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं। 13 गांवों में बिजली प्रभावित हुई थी, इनमें से 11 गांवों में बिजली बहाल कर दी गई है। शेष 2 गांवों में अभी लाईन क्षतिग्रस्त है। इसी प्रकार 11 गांवों में पेयजल लाईन क्षतिग्रस्त हुई थीं, इनमें से 8 गांवों में पेयजल आपूर्ति सुचारू कर दी गई है। शेष 03 पर भी काम चल रहा है।

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