धामी सरकार जिम कार्बेट पार्क को विश्व पटल पर लाने के लिए तैयार कर रही कार्ययोजना

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सचिवालय में आयोजित उत्तराखण्ड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 18वीं बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उनके परिवार को देय अनुग्रह राशि 4 लाख रूपये से बढ़ाकर 6 लाख रूपये दी जायेगी। गंभीर रूप से घायल होने पर अनुग्रह राशि 50 हजार रूपये से बढ़ाकर 1 लाख रूपये दी जायेगी। मानव वन्यजीव संघर्ष में क्षतिपूर्ति के लिए 2 करोड़ रूपये का कॉरपस फण्ड बनाया जायेगा। शिवालिक एलीफेन्ट रिजर्व की पुर्नस्थापना के प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया।
राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश में जिम कार्बेट ट्रेल की स्थापना की जायेगी। जिम कार्बेट से जुड़े स्थानों को विश्व पर्यटन मानचित्र में लाने के लिए पर्यटन विभाग के सहयोग से एक कार्ययोजना बनाई जायेगी। इसमें जिम कार्बेट से जुड़े विभिन्न स्थानों पर पट्टिका का निर्माण, ट्रैक मार्गों का जीर्णाेधार किया जायेगा एवं होम स्टे को बढ़ावा दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये कार्य चरणबद्ध तरीके से शुरू किये जाएं। राजाजी टाइगर रिजर्व के अन्तर्गत स्थित चौरासी कुटिया का अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार विकास किया जायेगा। यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। पर्यटन विभाग के सहयोग से यह कार्य किया जायेगा। मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में जन सुविधा एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विधानसभा पुरोला के विकासखण्ड मोरी में धौला से वरी सेवा डोखरी 12.9 किमी मोटर मार्ग एवं दुगड्डा ब्लॉक के पुलिण्डा-तच्छाली-स्यालिंगा 5 किमी मोटर मार्ग का निर्माण किया जायेगा। योग एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रामबाड़ा में संग्रहालय एवं छोटी लिनचोली में चिन्तन स्थल के निर्माण किया जायेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए और प्रभावी प्रयासों की जरूरत है। इसके लिए वन विभाग एवं प्रशासन को सामंजस्य से कार्य करना होगा। मानव वन्यजीव संघर्ष की घटना की सूचना प्राप्त होते ही संबंधितों को अनुग्रह राशि 15 दिन के अन्दर प्राप्त हो जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी को अनावश्यक कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें। उन्होंने कहा कि बुग्यालों के संरक्षण की दिशा में भी विशेष ध्यान दिया जाए। बंदरों से फसलों को होने वाली क्षति को रोकने के लिए प्रभावी प्रयासों की जरूरत है, इसके समाधान के लिए एक व्यापक कार्ययोजना बनाई जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों के संरक्षण एवं मानव वन्य जीव संघर्ष को कम करने के लिए वन विभाग के अधिकारी जन सहयोग भी लें, जन भागीदारी एवं जन सहयोग से अनेक समस्याओं का समाधान हो सकता है। उन्होंने बायो फेंसिंग पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें इकोलॉजी और इकोनॉमी में संतुलन बनाकर आगे बढ़ना है। पर्यावरण संतुलन के साथ ही विकास पर ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण के लिए मिशन लाइफ का जो मंत्र दिया है, उनका अनुसरण कर हमें आगे बढ़ना है। जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए। जलवायु परिवर्तन के शमन की दिशा में हमें प्रभावी प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि आज बैठक में जो निर्णय लिये गये हैं, अगली बैठक में इन निर्णयों पर कार्य प्रगति की पूरा ब्योरा प्रस्तुत किया जाए।
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि जंगलों को बचाने के लिए जन सहयोग बहुत जरूरी है। वनों से लोगों की आजीविका बढ़ाने की दिशा में और प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड वन सम्पदाओं वाला राज्य है। पर्यावरण संरक्षण के लिए उत्तराखण्ड की जिम्मेदार और बढ़ जाती है। प्रदेश में पिछले 5 सालों में हिम तेन्दुओं की संख्या 86 से बढ़कर 121 हो गई है।
बैठक में विधायक रेनू बिष्ट, राम सिंह कैड़ा, अनिल नौटियाल, मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.संधु, प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखण्ड डॉ. समीर सिन्हा, एडीजी वी. मुरूगेशन एवं उत्तराखण्ड राज्य वन्यजीव बोर्ड के अन्य सदस्यगण उपस्थित रहे।

वन्यजीव सप्ताह का शुभारंभ कर सीएम ने की कई घोषणाएं

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को लच्छीवाला नेचर पार्क में राज्य वन्यजीव सप्ताह 2022 का शुभारंभ किया। इस अवसर पर राजाजी नेशनल पार्क की ऑफिशियल वेबसाइट लॉच की एवं राजाजी नेशनल पार्क के लिए 2 रैपिड रिस्पांस वाहन का लोकार्पण भी किया। वन्यजीवों से हुई मवेशी एवं फसल क्षति के लिए 16 लोगों को मुआवजा चेक भी मुख्यमंत्री ने प्रदान किये।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य वन्यजीव सप्ताह 2022 के शुभारंभ के अवसर पर घोषणा की कि वन्यजीवों द्वारा वयस्क एवं अवयस्क की मृत्यु पर देय अनुग्रह राशि की दर को 4 लाख रूपये से बढ़ाकर 5 लाख रूपये किया जायेगा। गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को देय अनुग्रह राशि को 50 हजार रूपये से बढ़ाकर 1 लाख रूपये किया जायेगा। प्रदेश में राजकीय ड्यूटी के दौरान शहीद होने वाले वन कर्मियों के परिजनों को सम्मान स्वरूप 15 लाख रूपये अनुग्रह राशि के रूप में भुगतान किया जायेगा। प्रदेश में जिम कॉर्बेट हैरिटेज ट्रेल की स्थापना की जायेगी। जिसमें कॉर्बेट के जीवन से जुड़े स्थानों को चिन्हित कर वहां पर ईको पर्यटन की विभिन्न गतिविधियों को बढ़ावा दिया जायेगा। इसमें चम्पावत, तल्लादेश, मंच, बूम, कालाढूंगा, चूका, दूर्गा पीपल, देवीधूरा, चौगढ़, कालाढूंगी, नैनीताल, मोहान, काठ की नाव, कांडा, मुक्तेश्वर एवं रूद्रप्रयाग जैसे स्थानो पर विशेष पट्टिका का निर्माण किया जायेगा, इसके साथ ही ट्रैक मार्गों का जीर्णाेद्धार किया जायेगा और होम स्टे को बढ़ावा दिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि वन विभाग द्वारा शिक्षा विभाग के सहयोग से प्रदेश के विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के बीच मानव-वन्यजीव संघर्ष के निवारण की जानकारी का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा। प्रदेश में मानव-वन्यजीव संघर्ष निवारण में सकारात्मक सहयोग एवं त्वरित कार्यवाही के लिए 10 संवेदनशील वन प्रभागों में त्वरित कार्यवाही दल का गठन किया जायेगा, 5 स्थानों पर त्वरित कार्यवाही दल का गठन पहले ही किया जा चुका है। भारत सरकार से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में गर्जिया पर्यटन जोन को प्रारम्भ करने के लिए अनुमति प्रदान हो चुकी है, इसे शीघ्र ही प्रारंभ किया जायेगा। शिवालिक एलीफेंट रिजर्व की पुनर्स्थापना की जायेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रत्येक जिले में प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर एक-एक नए पर्यटन स्थल को विकसित किए जाएं। नये पर्यटन स्थलों का निर्माण में विशेष ध्यान रखा जाए कि उनके प्राकृतिक स्वरूप से अधिक छेड़छाड न हो। उन्होंने कहा कि वन्यजीव हमारी आस्था और संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। हमारी संस्कृति में देवताओं के साथ वन्यजीवों को भी पूजनीय माना गया है। वन्यजीवों के संवर्धन एवं संरक्षण की जिम्मेदारी सबकी है। मानव एवं वन्य जीव संघर्ष को कम करने की दिशा में तेजी से कार्य करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से राज्य में इकोनॉमी और ईकोलॉजी में सामंजस्य स्थापित करने के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। आज संपूर्ण विश्व का वन्यजीव संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील मुद्दे पर ध्यान गया। उन्होंने कहा क्लाइमेट चेंज जैसे गंभीर मुद्दों पर आज विश्व चिंता कर रहा है एवं इन मुद्दों पर दूरदर्शी सोच के साथ कठोर नीति बनाए जाने की आवश्यकता है। पर्यावरण एवं विकास में संतुलन बनाना बहुत जरूरी है।
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड की परंपराओं में वनों एवं वन्यजीवों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारी आर्थिकी को बढ़ावा देने में भी वनों का महत्वपूर्ण योगदान है। हमारे राज्य के लोग जंगलों वन्य जीव के संरक्षण हेतु बेहद संवेदनशील एवं जागरूक हैं। आर्थिक मजबूती के साथ पर्यावरण की रक्षा हमारी प्राथमिकता है। वनों एवं वन्यजीव को संरक्षित करने का संदेश हमारी संस्कृति में गानों के माध्यम से भी दिया गया है।
इस अवसर पर विधायक बृजभूषण गैरोला, प्रमुख सचिव वन आर.के. सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ डॉ. समीर सिन्हा, निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व डॉ. साकेत बडोला एवं वन विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।

सचिवालय एवं विधानसभा को प्लास्टिक मुक्त बनाया जायेगा-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय के निकट कैंट रोड पर वृक्षारोपण किया। इस अवसर पर उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की शपथ भी दिलाई। कार्यक्रम में वन मंत्री सुबोध उनियाल एवं पर्यावरणविद्, पद्मभूषण प्राप्तकर्ता डॉ. अनिल प्रकाश जोशी भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विश्व पर्यावरण दिवस पर मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखण्ड पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘‘एनुअल वाटर क्वालिटी रिपोर्ट 2021‘‘ का विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि चंपावत को वोकल फॉर लोकल आधारित आर्थिकी एवं पारिस्थितिकी के रूप में खड़ा किया जायेगा, ताकि हिमालय के लिए यह एक मॉडल बन सके। उन्होने कहा कि सचिवालय एवं विधानसभा को प्लास्टिक मुक्त बनाया जायेगा। प्लास्टिक मुक्ति का अभियान निरन्तर चलाया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी शहरों में स्वच्छता अभियान चलाया जाए। देहरादून से इसकी शुरुआत की जाए, उसके बाद अन्य शहरों में स्वच्छता के अभियान चलाये जाए। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रत्येक जनपद में 75 आर्द्रभूमियों की पहचान कर उनका जीर्णाेद्धार करना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि वर्षा जल संचयन, सौर ऊर्जा, पर्यावरण पर्यटन की दिशा में भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी विशेष ध्यान रखें कि जनपदों के दुर्गम क्षेत्रों में मार्गों की कनेक्टिविटी अच्छी हो, कनेक्टिविटी की छोटी-छोटी योजनाओं को प्राथमिकता पर रखा जाए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड को प्रकृति का वरदान है। हमारा प्रदेश जैव विविधताओं वाला प्रदेश है। पर्यावरण का संरक्षण करना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। हमें पर्यावरण मॉडल की दिशा में कार्य करना होगा। हमारी आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध जल, हवा, मिट्टी एवं पर्यावरण मिले, इसके लिए पर्यावरण संरक्षण एवं वृक्षारोपण पर सभी को विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि तापमान में वृद्धि एवं जल स्तर का नीचे जाना चिंता का विषय है। जल संचय एवं जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में कार्य किये जाएं। जल संरक्षण की दिशा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा देशभर में अमृत सरोवर की शुरुआत की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘‘केवल एक पृथ्वी’’ है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी ने हमको सब कुछ दिया है। हमें प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना होगा। जीडीपी के साथ जीईपी का आकलन करना जरूरी है।
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखण्ड पर्वतीय राज्य होने के कारण पर्यावरण संरक्षण के लिए सबको अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। जंगल हमें विरासत में मिला है। इनके संरक्षण के लिए हमें इनको लोगों की आजीविका से जोड़ना होगा। इकोलॉजी बेस एम्प्लॉयमेंट को जनरेट करना होगा। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण और उनके संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए। वृक्षारोपण एवं उनके संरक्षण के लिए हर विभाग को अलग-अलग क्षेत्र क्षेत्र देकर उनकी जिम्मेदारी तय करनी होगी। वन पचायतों को मजबूत करने के साथ ही उनको आजीविका से जोड़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि विकास सतत चलने वाली प्रक्रिया है। विकास एवं पर्यावरण में संतुलन बनाये रखना जरूरी है।
पर्यावरणविद्, डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य को इकोलॉजी और इकोनॉमी से जोड़कर आगे बढ़ाना चाहते हैं, यह एक सराहनीय प्रयास है। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बहुत जरूरी है। उत्तराखण्ड देवभूमि है और देवों का हमेशा प्रकृति से जुड़ाव रहा है। उन्होंने कहा कि तापमान वृद्धि से ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना, चिंताजनक है। राज्य में पर्यावरण संरक्षण के लिए निरन्तर प्रयोग होने चाहिए।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल, निदेशक पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड श्री एस.के सुबुद्धि, वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एवं वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी व जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।

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