भगतदा से मिले स्पीकर, विस सत्र के संचालन की कार्यवाही से कराया अवगत

स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने देहरादून में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से शिष्टाचार भेंट की, इस दौरान राज्यपाल ने स्पीकर को विगत दिनों सम्पन हुए विधानसभा के मानसून सत्र को सफलतापूर्वक संचालन करने पर बधाई दी।

शिष्टाचार भेंटवार्ता के दौरान राज्यपाल एवं विधान सभा अध्यक्ष के बीच प्रदेश के विकास को लेकर विभिन्न विषयों पर चर्चा वार्ता हुई। साथ ही स्पीकर ने विगत साढ़े 4 वर्षों में विधानसभा सत्र के सदन संचालन कार्यवाही से राज्यपाल को अवगत किया। उन्होंने जानकारी दी कि 25 से अधिक बार सदन में विधानसभा सदस्यों के द्वारा पूछे गए तारांकित प्रश्नों को निर्धारित समय अंतराल में उत्तरीत किया गया हैं। जो कि उत्तराखंड विधान सभा के इतिहास में पहला अवसर है। वहीं उनके कार्यकाल में सत्तापक्ष एवं विपक्ष के सहयोग से सदन बहुत कम बाधित होकर सुचारु एवं शांतिपूर्वक संचालित हुए है। जिस पर भगत दो ने संतोष व्यक्त करते हुए सफल सत्र संचालन को लेकर स्पीकर को बधाई दी।

इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने उनके कार्यकाल में अभी तक उत्तराखंड विधानसभा में की गयी विभिन्न गतिविधियों से भी भगत दा को अवगत कराया।

संसदीय जीवन पर चर्चा के साथ कोश्यारी के योगदान को सराहा

सोमवार को राजपुर रोड स्थित होटल में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के लोकसभा व राज्यसभा में दिए गए भाषणों एवं याचिका समिति के अध्यक्ष के रूप में दिए गए निर्णयों पर आधारित पुस्तक “भारतीय संसद में भगत सिंह कोश्यारी“ पुस्तक के संबंध में उनकी उपस्थिति में परिचर्चा का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, गणेश जोशी, रेखा आर्या, विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह, सांसद अजय टम्टा, नरेश बंसल, विधायक एवं भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक, बलवंत सिंह भोर्याल, भाजपा नेता श्याम जाजू, साहित्यकार लक्ष्मी नारायण भाला सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
परिचर्चा में सभी वक्ताओं ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के भारतीय संविधान में विहित सदनों, लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा एवं विधान परिषद में उनके द्वारा उठाए गए जनहित एवं राष्ट्रहित से संबंधित मुद्दों की सराहना की। सभी ने कोश्यारी को युगदृष्टा बताते हुए उन्हें आम आदमी से जुड़ा उदार व्यक्तित्व वाला महान व्यक्ति बताया, सभी ने कोश्यारी के ‘‘वन रैंक वन पेंशन’’ की भूमिका तैयार करने के प्रयासों की भी सराहना की। उन्हें सर्वधर्म समभाव, राष्ट्रभक्त एवं राष्ट्रभाषा का समर्थक भी बताया।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सभी को जन्माष्टमी की बधाई देते हुए कहा कि राष्ट्र के स्वाभिमान, गौरव एवं राष्ट्रीय अस्मिता को बचाने का दायित्व हम सबका है। इसमें हमारे सांसदों एवं विधायकों की विशेष जिम्मेदारी है। यह कार्य संसद एवं विधानसभाओं में स्वस्थ परिचर्चा के माध्यम से किया जाना चाहिए। ग्राम सभा से लेकर लोक सभा तक लोग कैसे देश को आगे बढ़़ाने में अपना योगदान दे सकें इस पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है। उन्होंने हाल में उत्तराखण्ड विधानसभा में हुई स्वस्थ परिचर्चा को जनता के बेहतर हित में बताया।
उन्होंने कहा कि वर्षों पहले रेडियो में संसद समीक्षा हम बड़े ध्यान से सुनते थे जिसमें देश के पक्ष एवं विपक्ष के योग्य सांसदों की बहस की समीक्षा होती थी। ऐसी ही स्वस्थ परिचर्चा हमारी संसद एवं विधान सभाओं में भी होनी चाहिए। उन्होंने राज्य सभा में गुलाम नबी आजाद की विदाई की घटना को देश में सहिष्णुता का वातावरण बनाने वाला बताया। कोश्यारी ने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा, राष्ट्रभाषा पर अभिमान होना चाहिए। उन्होंने उदाहरण दिया कि पहले महाराष्ट्र के विश्वविद्यालयों में होने वाले कार्यक्रम अंग्रेजी में होते थे उन्होंने ऐसे कार्यक्रमों को मातृभाषा व राष्ट्रभाषा में आयोजित करने की पहल की तो आज महाराष्ट्र में मराठी में कार्यक्रम आयोजित होने लगे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें संयुक्त राष्ट्र में भी हिंदी में बोलने का अवसर मिला। हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए।
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उन्हें भगत सिंह कोश्यारी के सानिध्य में रहकर सामाजिक व राजनैतिक क्षेत्र में कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रकाशित पुस्तक के माध्यम से कोश्यारी के जीवन दर्शन के अनेक अनछुए पहलू समाज के सामने लाये गये हैं। यह पुस्तक उनके विशाल व्यक्तित्व का भी विश्लेषण करती है। उन्होंने सामान्य परिवेश में रहकर शिखर छूने का कार्य किया है तथा अपने पुरुषार्थ से महानता प्राप्त की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 30 वर्षों से लम्बित टिहरी डैम को उसके पूर्ण स्वरूप में लाने का श्रेय भी कोश्यारी को है। प्रदेश में ऊर्जा मंत्री रहते उन्होंने इसके लिये राजनैतिक नफा नुकसान की चिंता न करते हुए बांध बनाने में अपना योगदान दिया। उन्होंने कहा कि कोश्यारी सभी नीतिगत विषयों के जानकार, दृढ निश्चय वाले व्यक्ति रहे हैं। उन्होंने उन्हें सीख दी कि अपनी ही विधानसभा नहीं पूरे प्रदेश को समझने, जन समस्याओं को जानने का प्रयास करो, वक्त आने पर व्यक्ति के अच्छे कार्यों को पहचान मिलती है।
देश में वन रैंक वन पेंशन को लागू करने की भूमिका तैयार करने में कोश्यारी के योगदान की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पिता भी पूर्व सैनिक थे जब देश में यह लागू हुआ तो उनके साथ ही क्षेत्र के सभी पूर्व सैनिकों ने खटीमा में कोश्यारी का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि खटीमा में केन्द्रीय विद्यालय की स्थापना के उनके अनुरोध को भी कोश्यारी ने पूरा किया। सबको साथ लेकर चलना, छोटे-बड़े का भेदभाव न कर सभी को आगे बढ़ाने में मदद करने की भी सीख हमें कोश्यारी से मिली है। उनका जीवन हम सबके लिये निश्चित रूप में अनुकरणीय एवं प्रेरणादायी है।
पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि आज के राजनैतिक परिवेश में पढ़े लिखे डिग्रीधारी तो सभी हैं लेकिन वास्तव में जिन्होंने समृद्ध साहित्य, उपनिषद आदि का गहराई से अध्ययन किया है कोश्यारी जी ऐसे वास्तविक पढ़े लिखे व्यक्ति हैं। राष्ट्र के प्रमुख राज्य महाराष्ट्र में उनकी उपस्थिति हमें गौरवान्वित करती है। उन्होंने कहा कि जो अतीत को समझता है वही वर्तमान को संवार सकता है। कोश्यारी अच्छे विचारक एवं मनीषी हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र भाषा के विकास में भी कोश्यारी का बड़ा योगदान है। राष्ट्रभाषा हिंदी का पहाड़ के विकास में बड़ा योगदान है। इस भाषा ने हमें अभिव्यक्ति एवं आत्मिक आजादी देने का कार्य किया है। उन्होंने कामना की कि हमारी युवा पीढ़ी को कोश्यारी का मार्गदर्शन निरंतर प्राप्त होता रहेगा।
प्रदेश की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य द्वारा प्रेषित अपने संदेश में प्रकाशित पुस्तक को देश प्रदेश के जनप्रतिनिधियों एवं जनता के लिये उपयोगी बताया है।
इस अवसर पर जिन लोगों ने अपने विचार रखे उनमें लक्ष्मी नारायण भाला, श्याम जाजू, पुस्तक के लेखक अमित जैन शामिल थे।

महाराष्ट्र का सियासी संग्राम पर बनी है सबकी नजर, गेंद राज्यपाल के पाले में

महाराष्ट्र में कोरोना संकट के बीच नया संवैधानिक संकट खड़ा होने के आसार बन रहे है। राज्यपाल कोटे से एमएलसी मनोनीत होने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इंतजार कर रहे हैं। लेकिन महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर से फैसला नहीं लिया गया है। हालांकि महाराष्ट्र के सियासी अतीत पर नजर डालें तो पहले भी मंत्री बनने के बाद मनोनीत कोटे से एमएलसी बनते आ रहे है।
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को राज्यपाल के मनोनीत कोटे से एमएलसी बनाने के लिए कैबिनेट ने प्रस्ताव भेजा है। राज्य में इससे पहले दत्ता मेघे और दयानंद महास्के को भी मंत्री बनने के बाद राज्यपाल विधान परिषद के लिए मनोनीत कर चुके हैं। आम तौर पर राज्यपाल कोटे से एमएलसी मनोनीत करने के लिए कुछ योग्यताएं होनी जरूरी हैं। महाराष्ट्र विधान परिषद की बात करें तो यहां कुल 78 सीटें हैं। इनमें से 66 सीटों पर निर्वाचन होता है, जबकि 12 सीटों के लिए राज्यपाल कोटे से मनोनीत किया जा सकता है।
30 सदस्यों को विधानसभा के सदस्य यानी एमएलए चुनते हैं। 7-7 सदस्य स्नातक निर्वाचन और शिक्षक कोटे के तहत चुने जाते हैं। इनमें राज्य के सात डिविजन मुंबई, अमरावती, नासिक, औरंगाबाद, कोंकण, नागपुर और पुणे डिविजन से एक-एक सीट होती है। इसके अलावा 22 सदस्य स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत चुने जाते हैं।
अब बात करते है राज्यपाल के मनोनीत कोटे की। इस कोटे के तहत विधान परिषद के 12 सदस्य चुने जाते हैं। इनमें साहित्य, विज्ञान, कला या कोऑपरेटिव आंदोलन और समाज सेवा का काम करने वाले विशिष्ट लोग आते हैं। संविधान के मुताबिक उद्धव ठाकरे को कला के आधार पर महाराष्ट्र विधान परिषद के लिए राज्यपाल की ओर से मनोनीत किया जा सकता है, क्योंकि वह एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर रह चुके हैं।
राजनीति से इतर उद्धव की पहचान एक फोटोग्राफर के रूप में भी रही है। उन्होंने चैरंग नाम की एक विज्ञापन एजेंसी भी स्थापित की। उन्हें फोटोग्राफी का शौक है और उनके द्वारा महाराष्ट्र के कई किलों की खींची गई तस्वीरों का संकलन जहांगीर आर्ट गैलरी में है। उन्होंने महाराष्ट्र देश और पहावा विट्ठल नाम से चित्र-पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं।
उद्धव फिलहाल विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। 28 नवंबर 2019 को उन्होंने सीएम की शपथ ली थी। लिहाजा उन्हें शपथ ग्रहण के छह महीने के भीतर यानी 28 मई से पहले विधानसभा या विधानपरिषद के सदस्य के रूप में निर्वाचित होना जरूरी है। अब देखना है कि उद्धव ठाकरे को एमएलसी मनोनीत करने पर राज्यपाल जल्द फैसला लेते हैं या 27 मई के बाद उन्हें कुर्सी छोड़नी होगी?