प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के नर्सिंग स्टाफ को एम्स दे रहा प्रशिक्षण

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में स्त्री रोग विभाग की ओर से नर्सिंग ऑफिसरों के लिए महिलाओं में होने वाले सर्वाइकल कैंसर स्क्रिनिंग ट्रेनिंग प्रोग्राम विधिवत शुरू किया गया। जिसमें एम्स के विशेषज्ञ चिकित्सक प्रशिक्षण देंगे। 10 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में राज्य सरकार के विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात नर्सिंग ऑफिसर प्रशिक्षण ले रहे हैं।
मंगलवार को मुख्य अतिथि एम्स के संकायाध्यक्ष शैक्षणिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने स्त्री रोग विभागाध्यक्ष प्रो. जया चतुर्वेदी की देखरेख में आयोजित दस दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महिलाओं में सर्वाधिक पाया जाने वाला सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए उनकी नियमिततौर पर स्क्रिनिंग पर जोर दिया। उन्होंने कहा ​कि राज्य सरकार को महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी इस बीमारी को इंगित कर इसके उपचार व रोकथाम को प्राथमिकता देनी चाहिए। संकायाध्यक्ष प्रो. मनोज गुप्ता ने कहा कि तब तक इस तरह की प्रशिक्षण कार्यशालाओं से कोई लाभ नहीं होगा जब तक राज्य सरकार प्रशिक्षित नर्सिंग आफिसरों को अस्पतालों में पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं कराती। लिहाजा उत्तराखंड सरकार को इस विषय पर गंभीरता से विचार करने और इसे धरातल पर उतारने की जरुरत है। उन्होंने बताया कि राज्य के चिकित्सकों व नर्सेस को प्रशिक्षित कर दक्ष बनाना एम्स का कर्तव्य है,जिसका निर्वहन संस्थान भली प्रकार से कर रहा है, मगर राज्य सरकार को चाहिए कि वह कार्मिकों की दक्षता का लाभ आम जनमानस तक पहुंचाने की दिशा में कार्य करे। उन्होंने राज्य में सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम व उपचार के लिए उत्तराखंड में गायनी ओंकोलॉजिस्ट की तैनाती को नितांत आवश्यक बताया। जिससे ग्रसित मरीजों का राज्य के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ही उपचार हो सके। उन्होंने बताया कि सर्विक्स कैंसर महिलाओं में सर्वाधिक पाया जाने वाला दूसरे नंबर का कैंसर है,लिहाजा इस पर गंभीरता से कार्य करने की आवश्यकता है। स्त्री रोग विभागाध्यक्ष प्रो. जया चतुर्वेदी ने प्रशिक्षणार्थियों को महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तराखंड की निदेशक डा. सरोज नैथानी ने कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों से मरीजों को राज्य सरकार के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ही इलाज संभव हो पाता है। उन्होंने महिलाओं से अपने परिवार के साथ साथ अपने स्वास्थ्य के प्रति भी जागरुक रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि राज्य में जनसामान्य के स्वास्थ्य को लेकर और अधिक जिम्मेदारी से कार्य करने की आवश्यकता है। डा. सरोज नैथानी ने समय समय पर राज्य के चिकित्सकों व नर्सिंग आफिसरों के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाओं के आयोजन के लिए एम्स प्रशासन का आभार जताया। सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सैना ने बताया कि महिलाओं को बच्चेदानी के कैंसर की रोकथाम के लिए स्वयं जागरुक होने व दूसरों को भी जागरुक करने की जरुरत है। उन्होंने बताया कि दुनियाभर में लगभग 1.5 लाख महिलाएं प्रतिवर्ष इस कैंसर से ग्रसित हो जाती हैं, जागरुकता की कमी, समय पर उपचार नहीं मिलने अथवा किन्हीं अन्य वजहों से इनमें से करीब 40 फीसदी महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। उन्होंने ऐसे मामलों को कम करने के लिए महिलाओं से नियमिततौर पर अपनी स्क्रिनिंग कराने को कहा है, साथ ही नर्सिंग आफिसरों से समुदाय को इस कैंसर को लेकर जागरुक करने पर जोर दिया। प्रशिक्षण कार्यशाला की समन्वयक व एम्स के स्त्री रोग विभाग की कैंसर शल्य चिकित्सक डा. शालिनी राजाराम ने महिलाओं से बच्चेदानी के कैंसर की रोकथाम के लिए समय समय पर अपना स्वास्थ परीक्षण कराने व इसके लिए उपलब्ध वैक्सीन की डोज लगाने को कहा। उन्होंने कहा कि महिलाओं की जागरुकता से ही सर्विक्स कैंसर का खात्मा हो सकता है। इस अवसर पर गायनी विभाग की डा. रूबी गुप्ता, डा. कविता खोईवाल, डा. लतिका चावला, सीएफएम विभाग के डा. अजीत भदौरिया, अस्पताल प्रशासन से डा. पूजा भदौरिया, कॉलेज ऑफ नर्सिंग की प्राचार्य जैवियर वैल्सियाल, एएनएस कमलेश चंद्र आदि मौजूद थे।

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