महाराष्ट्र के अधिकारी का ई रिक्शा में छूटा बैग, पुलिस ने बरामद किया

कोतवाल रवि सैनी के मुताबिक ने बताया कि मंगलवार को 2019 बैच के भारतीय विदेश सेवा के प्रशिक्षण अधिकारी आईएफएस शुभम सुशील मिश्रा मुंबई, महाराष्ट्र ने श्यामपुर चौकी में बताया कि वे अपना जन्मदिन मनाने के लिए केदारनाथ गए थे।

सोमवार को वापस आते हुए ई-रिक्शा में सवार हुए। इस दौरान ई- रिक्शा में उनके दो बैग छूट गए हैं। इसमें लैपटॉप आदि सामान था। पुलिस टीम ने जहां से वे ई रिक्शा में बैठे और उतरने वाले मार्ग पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चेक की। चालक की पहचान कर उससे मिले और आईएफएस अधिकारी का बैग वापस लौटा दिया।

महाराष्ट्र सरकार का अभाविप ने फूंका पुतला, पत्रकार अर्णब को रिहा करने की मांग


पत्रकार व संपादक अर्णब गोस्वामी को बिना वारंट हिरासत में लेने की घटना का विरोध एबीवीपी की स्वर्गाश्रम व लक्ष्मणझूला इकाई ने किया। कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र सरकार का पुतला दहन कर प्रदर्शन किया और अर्णब गोस्वामी को जल्द ही रिहा कर निष्पक्ष जांच करने की मांग भी की। विद्यार्थी परिषद महाराष्ट्र सरकार और उसके पुलिस द्वारा प्रेस फ्रीडम की धांधली की निंदा करता है।

नगर मंत्री राहुल बडोनी ने कहा जो लोग भारत तो अघोषित आपातकाल के तहत होने की बात करते हैं उसके पास आज की पेशकश के लिए मुक बधिरता है जब महाराष्ट्र में राजनीति के लिए प्रेस स्वतंत्रता को बंधक बना लिया गया था। लोकतंत्र का चैथा स्तंभ महाराष्ट्र खतरे में है और हम लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए खड़े हैं।

प्रदर्शन के दौरान विभाग संयोजक विनोद चैहान, पूर्व नगर मंत्री शुभम झा, नगर सह मंत्री सुमित भंडारी, कॉलेज इकाई अध्यक्ष अनिरुद्ध शर्मा, अरुण, विवेक भारती, अंकित, उमेश यादव आदि उपस्थित रहे

अभिनेत्री कंगना के दफ्तर तोड़फोड़ मामले में संजय राउत को पार्टी बनाने पर कोर्ट से मिली सहमति

अभिनेत्री कंगना रौनत के दफ्तर में तोड़फोड़ के मामले के बांबे हाईकोर्ट ने शिवसेना प्रवक्ता व सामना के संपादक संजय राउत को अभियोजित पार्टी बनाने की इजाजत दी हैं। अभिनेत्री को कोर्ट ने बीएमसी के अधिकारी भाग्यवंत लाते को भी पार्टी बनाने के लिए सहमति दी है।

बता दें कि संजय राउत ने कथित तौर पर अभिनेत्री को उखाड़ के रख दूंगा और उखाड़ दिया जैसे वाक्य कहे थे और कंगना ने इसे उन्हें धमकाने की कोशिश बताया था। पिछले नौ सितंबर को बीएमसी ने कंगना के बांद्रा स्थित ऑफिस के कुछ हिस्सों को अवैध बताकर तोड़ दिया था। हाई कोर्ट में कंगना ने बीएमसी की कार्रवाई को रोकने की मांग की थी, लेकिन यथास्थिति बनाए रखने का फैसला आने से पहले ही उनके ऑफिस में तोड़फोड़ की कार्रवाई कर दी गई। इसलिए कंगना ने अपनी याचिका में संशोधन करके बीएमसी से 2 करोड़ रुपये के मुआवजा की मांग की। इसके बाद बीएमसी ने अपने जवाब में दावा किया कि कंगना की याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है, इसीलिए अभिनेत्री की याचिका खारिज करके उन पर जुर्माना लगाना चाहिए।

हाई कोर्ट की डिविजन बेंच में सुनवाई के दौरान मंगलवार को बीएमसी के वकीलों ने कहा कि अभिनेत्री ने बीएमसी के हलफनामे के जवाब में जो प्रत्यत्तर (रिजॉइन्डर) दिया है, उसका जवाब देने की हमें मोहलत दी जाए। बीएमसी की वकीलों की अपील को जस्टिस एस जे कथावाला और जस्टिस आर आई चागला की बेंच ने स्वीकार कर लिया। कंगना के वकील रिजवान सिद्दीकी और बीरेंद्र सराफ ने हालांकि बीएमसी के वकीलों द्वारा अतिरिक्त समय मांगे जाने का विरोध किया। सराफ ने कहा कि तोड़फोड़ में शामिल अधिकारियों ने कथित अवैध निर्माण की कुछ और फोटो मंगलवार को कोर्ट में जमा किए हैं, यह केस को लटकाने की रणनीति है।

अपने रिजॉइन्डर में कंगना ने कहा कि नोटिस में बीएमसी ने उनके बंगले में चल रहे हुए कथित अवैध निर्माण की एक ही तस्वीर दी थी, जिससे साफ है कि बीएमसी का आरोप झूठा है। संजय राउत द्वारा मौखिक रूप से श्धमकानेश् के सबूत जो कंगना ने कोर्ट में जमा किए थे, उसकी ओर इशारा करते हुए जस्टिस कथावाला ने पूछा कि क्या वह शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता को भी अभियोजित करना चाहती हैं?

शुरू में सराफ, संजय राउत को अभियोजित करने को लेकर इच्छुक नहीं दिखे और कहा कि वह चाहते हैं कि शिवसेना प्रवक्ता को आरोपों पर खुद को डिफेंड करने का मौका मिलना चाहिए, पर बाद में उन्होंने सहमति दे दी। इसके बाद कोर्ट ने बीएमसी अधिकारी भाग्यनवंत लाते को भी पार्टी बनाने की इजाजत दे दी, जिन्होंने बीएमसी की तरफ से हलफनामा दाखिल किया था। कोर्ट ने बीएमसी से यह भी पूछा कि तोड़फोड़ के लिए वर्ष 2012 का सर्कुलर लागू करने की जरूरत क्यों पड़ी। इस सर्कुलर के मुताबिक, 24 घंटे में किसी अवैध निर्माण में तोड़फोड़ तभी की जा सकती है, जब इसमें रहने वाले या किसी अन्य की जिंदगी खतरे में हो।

हाई कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में किसकी जिंदगी खतरे में थी, जो 8 सितंबर को नोटिस भेजने के बाद बीएमसी के अधिकारियों ने 9 सितबंर को तोड़फोड़ की कार्रवाई कर दी। कोर्ट ने बीएमसी से पूछा कि डिजायनर मनीष मल्होत्रा को भी उसी दिन मुंबई नगरपालिका कानून के 354(ए) के तहत नोटिस भेजा गया था, उस मामले की क्या स्थिति है। दरअसल, कंगना ने अपने रिजॉइन्डर में कहा था कि मनीष मल्होत्रा को जवाब देने के लिए सात दिनों की मोहलत दी गई, जबकि उनके साथ ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यह साबित करता है कि बीएमसी की कार्रवाई दुर्भावना से ग्रसित थी।

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