नीति आयोग की बैठक में प्रतिभाग करने से पहले सीएम ने ली विभागवार बैठक

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आगामी 7 अगस्त को नई दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद् की सातवी बैठक में प्रतिभाग करेंगे। मुख्यमंत्री बैठक से सम्बन्धित एजेंडा बिन्दुओं के अतिरिक्त राज्य हित से जुड़ी विभिन्न योजनाओं एवं विषयों पर विचार रखेंगे।
नीति आयोग की बैठक के एजेन्डा बिन्दुओं में फसल विविधिकरण एवं दलहन व तिलहन उत्पादन में आत्म निर्भरता विद्यालयी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन तथा शहरी प्रशासन से सम्बन्धित योजनाओं का क्रियान्वयन शामिल है।
बुधवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नीति आयोग के समक्ष रखे जाने वाले विषयों पर एजेन्डा से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर विभागरवार चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग द्वारा निर्धारित नीतियां एवं केन्द्र पोषित योजनाये देश के सभी राज्यों के दृष्टिगत समान रूप से बनायी जाती है। इसमें हिमालयी राज्यों के लिये उनकी पारास्थितिकी एवं भौगोलिक दृष्टि का भी ध्यान में रखते हुए अलग नीति बनाये जाने पर ध्यान देने की उन्होंने जरूरत बतायी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री का भगवान केदारनाथ के साथ ही राज्य के अन्य धामों के प्रति विशेष आस्था है। गत वर्ष अपनी केदारनाथ यात्रा के दौरान उन्होंने 21वी शदी के इस तीसरे दशक को उत्तराखण्ड का दशक बताया था। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य के विकास का रोड मेप तैयार किया गया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष चारधाम यात्रा में 30 लाख से अधिक श्रद्धालु अब तक आ चुके हैं। तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों की आवाजाही भविष्य में और बढ़ेगी, इसके लिये यात्रा मार्ग से जुड़े प्रमुख स्थलों की अवस्थापना सुविधाओं के विकास सुव्यवस्थित यातायात के लिये टनल पार्किंग की योजना राज्य हित में जरूरी है। इससे भविष्य की चुनौतियों का बेहतर ढ़ंग से सामना किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त आपदा की दृष्टि से भी राज्य की संवेदनशीलता, पर्यावरण की दृष्टि से राज्य की इकोलॉजी के साथ इकोनामी को बढ़ावा देने के प्रयासों से सम्बन्धित बिन्दुओं पर भी मुख्यमंत्री बैठक में अपना पक्ष रखेंगे।
बैठक में मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.सन्धू, अपर मुख्य सचिव आनन्द वर्द्धन, सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम, शैलेश बगोली, एसएन पाण्डे, विनोद कुमार सुमन, महानिदेशक यूकास्ट प्रो0 दुर्गेश पन्त आदि उपस्थित रहे।

बाल वाटिका कक्षा का सीएम ने किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को निदेशालय माध्यमिक शिक्षा, ननूरखेड़ा में ‘बाल वाटिका कक्षा’ का शुभारम्भ किया। बाल वाटिका के शुभारम्भ के साथ ही उत्तराखण्ड राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की शुरूआत करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय भवन का लोकार्पण एवं एस.सी.ई.आर.टी भवन का शिलान्यास किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बच्चों में उद्यमिता के विकास के लिए कौशलम् पुस्तक एवं कैरियर कार्ड का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि इस क्षेत्र के जिन आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति जीर्ण-शीर्ण हो रही है, उनकी मरम्मत की जायेगी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को नरेन्द्र मोदी के राजनीतिक जीवन पर आधारित पुस्तक ‘मोदी/20 रू ड्रीम्स मीट डिलीवरी’ सौंपी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत बाल वाटिका के शुभारम्भ करने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य बन गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश में शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एक नया क्रान्तिकारी परिवर्तन है। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति नौनिहालों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेगी। यह शिक्षा नीति भारतीय सनातन ज्ञान और विचार की समृद्ध परंपरा के आलोक में तैयार की गई है, जो प्रत्येक व्यक्ति में निहित रचनात्मक क्षमताओं के विकास पर विशेष जोर देती है। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व निर्माण में शिक्षकों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बच्चों को सबसे पहले संस्कार माता-पिता से मिलते हैं, उसके बाद उनके व्यक्तित्व निर्माण में पूरी भूमिका शिक्षकों की होती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को 2030 तक पूरी तरह लागू करने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग से अपेक्षा की है कि विभाग द्वारा 2025 तक शिक्षा के क्षेत्र में कुछ ऐसे कार्य किये जाएं, जो देश में एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत हों। उन्होंने कहा कि सभी विभागों को लक्ष्य दिया गया है कि 2025 में जब उतराखण्ड राज्य स्थापना दिवस की रजत जयंती मनायेगा, सभी विभाग अपनी कुछ विशेष उपलब्धियां धरातल पर दिखाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड को देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए राज्य सरकार विकल्प रहित संकल्प के साथ आगे बढ़ रही है।
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों एवं स्कूलों में आज से बालवाटिका का शुभारम्भ किया गया है। यह कार्यक्रम आज प्रदेश के सभी विकासखण्डों में भी आयोजित किया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से भारतीय ज्ञान परम्पराओं को आगे बढ़ाया जा रहा है। योग, वेद, पुराणों, स्थानीय बोलियों एवं संस्कृत आधारित शिक्षा पर इसके तहत विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्राइवेट स्कूलों में जो पढ़ाई नर्सरी में होती थी, अब वही पढ़ाई आंगनबाड़ी एवं सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को दी जायेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के पास सिर्फ पढ़ाने का कार्य हो, इसके लिए शिक्षा विभाग में सभी अन्य व्यवस्थाएं ऑनलाईन की जा रही हैं। उत्तराखण्ड में एक साल के अन्दर विद्या समीक्षा केन्द्र बनाये जायेंगे। अगले साल से स्कूलों में अंक सुधार परीक्षा का आयोजन भी किया जायेगा।
इस अवसर पर विधायक उमेश शर्मा काऊ, महानिदेशक शिक्षा वंशीधर तिवारी, अपर सचिव शिक्षा दीप्ति सिंह, निदेशक माध्यमिक शिक्षा डॉ. आर. के. कुंवर, निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण सीमा जौनसारी, निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा वंदना गर्ब्याल, शिक्षा विभाग एवं महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा उत्तराखंड-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को इण्डियन पब्लिक स्कूल, झाझरा में विद्यालयी शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय शैक्षिक चिंतन शिविर में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर ‘बाल वाटिका’ पुस्तक एवं शिक्षा विभाग की मार्गदर्शिका के साथ ही पुस्तक ‘निपुण भारत’ एवं ‘सामान्य ज्ञान एक पहल’का विमोचन भी किया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आशा व्यक्त की, कि शिक्षा विभाग के इस चिंतन शिविर में जो चिंतन होगा, उसके आने वाले समय में सुखद परिणाम आयेंगे। उन्होंने सरकारी स्कूलों में घटती छात्र संख्या पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने की चुनौती एवं गुणात्मक शिक्षा के उपायों पर इस शिविर में गहनता से मंथन किये जाय। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या घटने के कारणों एवं इसको बढ़ाने के लिए गहनता से ध्यान देने की जरूरत है। नौनिहालों के व्यक्तित्व निर्माण में शिक्षा विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश में शिक्षा के क्षेत्र में नई शिक्षा नीति एक क्रान्तिकारी परिवर्तन है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का लक्ष्य विद्यालयी शिक्षा के सभी स्तरों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हुए श्रेष्ठ मानव का निर्माण करना है। यह शिक्षा नीति प्राचीन भारतीय सनातन ज्ञान और विचार की समृद्ध परंपरा के आलोक में तैयार की गयी है, जो प्रत्येक व्यक्ति में निहित रचनात्मक क्षमताओं के विकास पर विशेष ज़ोर देती है। इस नीति का लक्ष्य एक ऐसी शिक्षा प्रणाली को विकसित करना है, जो भारतीय ज्ञान परंपरा और मूल्यों से परिपूर्ण हो। उन्होंने कहा कि हर्ष का विषय है कि उत्तराखण्ड राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों को यथावत् लागू करने वाला देश का प्रथम राज्य बनने जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 09 नवम्बर 2025 को उत्तराखण्ड राज्य स्थापना की रजत जंयती मनायेगा। शिक्षा विभाग तब तक बेस्ट प्रैक्टिस के तहत क्या कर सकता है, इस पर आज से ही ध्यान देना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड महामारी के कारण शैक्षिक हानि हुई है, वहीं दूसरी ओर बच्चों के मानसिक व्यवहार पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि विद्यालयों के नियमित अनुश्रवण एवं प्रशासकीय कार्यों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए विकास खण्ड स्तरीय अधिकारियों को भी वाहन देने अथवा मासिक रूप में धनराशि उपलब्ध कराने हेतु शिक्षा विभाग द्वारा शासन को प्रस्ताव भेजा जाय, ताकि इस समस्या का निदान हो सके।
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि शिक्षा के गुणात्मक सुधार के लिए राज्य में यह पहला शैक्षिक चिंतन शिविर आयोजित किया जा रहा है। इसके बाद प्राचार्यों, शिक्षकों एवं अभिभावकों को भी इस तरह के शैक्षिक चिंतन शिविर में बुलाया जायेगा। इस तरह के शैक्षिक चिंतन शिविरों के आयोजन से शिक्षा के क्षेत्र में आगे का रोडमैप तैयार होगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत 30 छात्रों पर एक टीचर का होना जरूरी है। उत्तराखण्ड में अभी 15 छात्रों पर एक टीचर है। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य बनने जा रहा है। नई शिक्षा नीति राज्य में बहुत जल्द लागू हो जायेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में नई शिक्षा नीति के तहत सिलेबस परिवर्तित किया जा रहा है। भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित शिक्षा, योग, वेद, पुराणों, स्थानीय बोलियों एवं संस्कृत आधारित शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में विद्या समीक्षा केन्द्र एक साल में बनकर तैयार हो जायेगा।
इस अवसर पर विधायक सहदेव सिंह पुण्डीर, पूर्व राज्यसभा सांसद आर.के सिन्हा, सचिव शिक्षा रविनाथ रमन, महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी, शिक्षा निदेशक आर.के कुंवर, निदेशक एस.सी.ई.आर.टी सीमा जौनसारी, शिक्षा विभाग के निदेशालय एवं जिला स्तरीय वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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