धामी सरकार का इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर, प्रोत्साहन राशि की घोषणा की

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालय दिवस पर आयोजित वेबिनार में प्रतिभाग किया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से इलेक्ट्रिक वाहनों पर प्रोत्साहन राशि की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए निजी इलेक्ट्रिक दो पहिया व चार पहिया वाहनों की खरीद पर पोल्युशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह प्रोत्साहन राशि निजी प्रयोग में लाये जाने वाले प्रथम 5 हजार दो पहिया और प्रथम 1 हजार चार पहिया वाहनों के लिए अनुमन्य होगी। प्रोत्साहन की धनराशि दो पहिया वाहनों के लिए वाहन के मूल्य का 10 प्रतिशत अथवा रुपए 7500 जो भी कम हो और चार पहिया वाहनों के लिए वाहन के मूल्य का 5 प्रतिशत अथवा रुपये 50,000 जो भी कम हो, होगा। प्रोत्साहन की धनराशि बैक एंडेड सब्सिडी के रूप में डीबीटी के माध्यम से सीधे बैंक व वित्तीय संस्थाओं या डीलर को उपलब्ध करायी जायेगी।
इसी प्रकार इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग हेतु स्थापित किये जाने वाले चार्जिंग स्टेशन के विद्युत अधिभार को दो वर्षों तक के लिए घरेलू श्रेणी में रखा जायेगा। यह स्थापित होने वाले प्रथम 250 चार्जिंग स्टेशन के लिए अनुमन्य होगा। चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए समस्त व्यक्ति/संस्था अनुमन्य होंगे, जिनके पास पर्याप्त स्थान उपलब्ध होगा व स्थानीय नगर निकाय की अनुमति प्राप्त होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय एवं पर्यावरण के संरक्षण के लिए हम सभी को अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभानी होगी। इसके लिए जनसामान्य में जागरूकता जरूरी है। इस संबंध में हिमालयी राज्यों के साथ सम्मेलन पर भी विचार किया जा रहा है। विकास के साथ ही प्रकृति के साथ भी संतुलन बनाना होगा। प्रकृति के संरक्षण के लिए हिमालय का संरक्षण आवश्यक है। हिमालय हमारी विरासत और भविष्य दोनों ही है। आने वाली पीढ़ी के लिए सतत विकास की नीति पर बल दिया जाना चाहिए। हिमालय से सदानीरा नदियां प्रवाहित होती हैं, जिनके किनारे मानव सभ्यता विकसित हुई है। जलस्त्रोतों और वनों का संरक्षण राज्य सरकार की प्राथमिकता में है। हिमालय पूरे विश्व और मानवता के लिए महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार, प्रसिद्ध पर्यावरणविद स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा जी की स्मृति में ‘सुंदर लाल बहुगुणा प्रकृति संरक्षण पुरस्कार’ प्रारम्भ करने जा रही है।
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि हिमालय भारत का प्रहरी है। यहां बहुमूल्य जड़ी बूटियां प्राप्त होती हैं। हिमालय दिवस को बड़े स्तर पर आयोजित किए जाने की आवश्यकता है। स्कूली पाठ्यक्रमों में हिमालय संरक्षण संबंधी अध्याय होना चाहिए।
पर्यावरणविद पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि हिमालय संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ी है। आज देश भर में 200 से अधिक स्थानों पर हिमालय दिवस मनाया जा रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि पारिस्थितिकी और आर्थिकी को जोड़ते हुए उत्तराखण्ड के लिए स्टेट प्लान बनाया जाना चाहिए।
अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि राज्य स्तर और जिला स्तर पर पर्यावरण योजना बनाए जाने पर कार्य किया जा रहा है। नदियों और जल स्त्रोतों के संरक्षण पर भी काफी काम किया गया है।
कार्यक्रम में हिमालय यूनाइटेड मिशन (हम) की पुस्तक ’हिमालय दिवस’ का विमोचन किया गया। हिमालय दिवस पर आयोजित इस वेबिनार में अपर प्रमुख सचिव अभिनव कुमार, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शासन के वरिष्ठ अधिकारी, जिलाधिकारी और जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।

कोरोना से जंग को वन मंत्री हरक सिंह ने दिए 25 करोड़ रूपए


वन एवं पर्यावरण मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कोरोना से जंग लड़ने के लिए 25 करोड़ की धनराशि का योगदान मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया है। इस धनराशि का चेक उन्होंने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को दिया। मुख्यमंत्री ने इस सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव वन आनंद वर्धन, सदस्य सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एसपी सुबुद्धि भी उपस्थित थे।

इसके बाद मीडिया सेन्टर में आयोजित पत्रकार वार्ता में वन एवं पर्यावरण मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने प्रदेश के सभी व्यक्तियों, संस्थाओं व संगठनों से आग्रह किया है कि वैश्विक महामारी की वजह से पैदा हुए इस संकट में अपना यथासंभव आर्थिक योगदान मुख्यमंत्री राहत कोष में दें ताकि सरकार इससे पर्याप्त संसाधन जुटाकर मजबूती के साथ कोरोना से लड़ाई लड़ सके। उन्होंने कहा कि पिछले साल भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 50 करोड़ की राशि कोरोना काल में मुख्यमंत्री राहत कोष में प्रदान की थी।

उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हर साल पर्यावरण शुल्क लेता है। इससे हुई आमदनी से बोर्ड हमेशा सामुदायिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निर्वहन करता है। बोर्ड का कार्मिकों के वेतन आदि समेत का खर्च 20 करोड़ रुपया है। इस व्यय के बाद शेष बची राशि का उपयोग जनहित में भी किया जाता है। इसी मद से आज मुख्यमंत्री राहत कोष में बोर्ड से 25 करोड़ की राशि का सहयोग प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के पास सीमित संसाधन हैं और कोरोना के खिलाफ लड़ाई लम्बी चल सकती है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि दूसरी लहर के बाद कोरोना की तीसरी लहर भी आ सकती है। ऐसे में सरकार को दूसरी लहर से निपटने के साथ ही तीसरी लहर के लिए भी तैयार रहना है। एकजुट होकर और सामूहिक सहभागिता से ही यह लड़ाई जीती जा सकती है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को एक साल से अधिक का समय हो गया है। हमें खुद को संभालने के साथ ही इस लड़ाई को जीतने में यथासंभव योगदान देना होगा। पर्याप्त धनराशि होने पर ही सरकार और अधिक संसाधन जुटा सकती है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में राज्य सरकार पूरे प्रदेश खासतैर पर पहाड़ी जिलों में ऑक्सीजन प्लांट लगा रही है। हर चिकित्सालय में ऑक्सीजन सिलेण्डर और कंसंट्रेटर मुहैया करवा रही है। आवश्यक चिकित्सकीय उपकरणों व दवाओं की खरीद बड़े पैमाने पर की जा रही है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने टंचिंग ग्राउंड का निरीक्षण किया

ऋषिकेश।
मंगलवार को नगर पालिका ऋषिकेश को शासन की ओर से टंचिंग ग्राउंड बनाने के लिए आवंटित दस एकड़ भूमि का उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने निरीक्षण किया। श्यामपुर खड़कमाफ में ग्राम समाज की भूमि का निरीक्षण करने पहुंचे सहायक आयुक्त डॉ. अनिल सिंह ने हाईकोर्ट के आदेश पर भूमि की पैमाइश की। उन्होंने प्रस्तावित टंचिंग ग्राउंड से पॉलीटेक्निक कॉलेज, गंगा नदी व आबादी से दुरी नापी। बताया कि शीघ्र ही जांच रिपोर्ट तैयार कर हाईकोर्ट को प्रेषित की जायेगी।
गौरतलब है कि ग्राम समाज की भूमि में टंचिंग ग्राउंड बनाने का ग्रामीण विरोध कर रहे है। ग्रामीणों के द्वारा हाईकोर्ट में एक याचिका डाली गयी थी, जिस पर कोर्ट ने कुछ दिन पूर्व ही गंगा को जीवित व्यक्ति मानते हुए सरकार व गंगा को नोटिस जारी करते हुए कुछ बिन्दुओं पर जवाब तलब किया है। इसी के मद्देनजर उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने मंगलवार को उक्त भूमि का स्थलीय निरीक्षण किया है।

प्रस्तावित भूमि की जानकारी ही नही
मौका मुआयना करने आये अधिकारियों को प्रस्तावित भूमि की सही जानकारी नही थी। खसरा नबर 22 की जानकारी नही होने पर स्थानीय लोग ही अधिकारियों को प्रस्तावित भूमि पर ले गये। ग्राम प्रधान सरोप सिंह पुण्डीर, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष शांति प्रसाद थपलियाल, वीरेन्द्र रयाल, ईश्वर सिंह, करम सिंह चौधरी ने खसरा नबंर 22 की जानकारी दी। बताया कि प्रशासन ने अभी तक प्रस्तावित भूमि का पैमाइश नही की है। इस लिए प्रस्तावित टंचिंग ग्रांउड की भूमि का पालिका के अधिकारियों को भी पता नही है। मौके पर नगर पालिका के सफाई निरीक्षक सचिन रावत भी मौजूद रहे।

आज संयुक्त सर्वे करेगा प्रशासन
एसडीएम ऋषिकेश वृजेश कुमार तिवारी ने बताया कि खसरा नंबर 22 का बुधवार को पालिका प्रशासन, रवेन्यू विभाग व तहसील स्तर पर संयुक्त सर्वे किया जायेगा। गौरतलब है कि दो वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन प्रशासन ने नगर पालिका को आवंटित भूमि की पैमाइश और नक्शा नजीर नही सौंपे है। अभी तक आवंटित भूमि का सही जानकारी किसी के पास नही है। सिर्फ ग्रामीणों को ही आंवटित भूमि की जानकारी है। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन में हड़कंप होने से बुधवार को भूमि बंदोबस्त के कर्मचारी भी मौके पर मौजूद रहेंगे।

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