गंगा समिति बैठकः सीएस बोले, योजना फंडिंग में आ रही समस्या तो मिसिंग लिंक में प्रस्ताव भेंजें

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु की अध्यक्षता में राज्य गंगा समिति की बैठक आयोजित हुयी। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गंगा समितियों में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए बनाए जाने वाले स्थानीय सामुदायिक समूहों ऐसे लोगों को जोड़ा जाए जो इस कार्य में दिल से रूचि लेते हैं। उन्होंने कहा कि जिला गंगा समितियों की बैठकें निर्धारित समयसीमा में अवश्य करा ली जाएं।

मुख्य सचिव ने कहा कि सोशल ऑडिट और थर्ड पार्टी से योजनाओं का मूल्यांकन के लिए मैकेनिज्म तैयार करें। उन्होंने प्रदेश में गंगा के किनारे बसे क्षेत्रों में प्राकृतिक और जैविक खेती पर अधिक से अधिक फोकस किया जाए। उन्होंने कहा कि एसटीपी से उपचारित जल को खेती के लिए पुनः प्रयोग किया जाए, विशेषकर मैदानी क्षेत्रों में योजनाओं को इस प्रकार से डिजाईन किया जाए कि उपचारित जल को पुनः प्रयोग हो सके। उन्होंने कहा कि योजना के तहत् आजीविका सृजन कार्यक्रम को ग्राम्य विकास विभाग द्वारा संचालित हाऊस ऑफ हिमालयाज से जोड़ा जाए, इससे योजना को बढ़ाने में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि कला, संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में स्कूल, कॉलेज और स्थानीय लोगों को अनिवार्य रूप से जोड़ा जाए।

मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों से योजनाओं के क्रियान्वयन में आ रही समस्याओं को साझा करने के साथ ही सुझाव भी मांगे। कहा कि किसी भी योजना में फंडिंग की समस्या आ रही है तो मिसिंग लिंक में प्रस्ताव भेजे जाएं। एक हफ्तें में फंडिंग की जाएगी। योजनाओं की प्रत्येक स्तर की टाईमलाईन निर्धारित की जाए। उन्होंने वन विभाग को वन क्षेत्र में सड़कों के किनारे जमा होने वाले कचरे को साफ करने के लिए लगातार अभियान चलाकर साफ किए जाने के भी निर्देश दिए।

परियोजना निदेशक नमामि गंगे रणवीर सिंह चौहान ने बताया कि नमामि गंगे के तहत् प्रदेश में निर्मल गंगा, अविरल गंगा, जन गंगा, ज्ञान गंगा और अर्थ गंगा के क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि योजना के तहत् 62 एसटीपी तैयार किए जाने हैं, जिसमें से 42 पूर्ण हो गए हैं, और 20 पर कार्य गतिमान है। गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे स्थित ग्राम सभाओं के ग्राम प्रधानों को जिला गंगा समिति द्वारा नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। योजना में आईईसी गतिविधियों के तहत् गंगा को पुनर्जीवन से सम्बन्धित कार्यकलापों का लगातार प्रचार प्रसार किया जा रहा है।

इस अवसर पर वन विभाग से प्रोजेक्ट निदेशक नमामि गंगे मनोज चंद्रन सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं जनपदों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारी उपस्थित थे।

विभिन्न विभागों के प्रस्तावों को मिसिंग लिंक द्वारा फंडिंग किये जाने पर बनी सहमति

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में मिसिंग लिंक से पोषित विभिन्न योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। बैठक के दौरान विभिन्न विभागों के प्रस्तावों को मिसिंग लिंक द्वारा फंडिंग किए जाने पर सहमति बनी।

मिसिंग लिंक के तहत् ऐसे प्रस्तावों को स्वीकृति दी जाती है जिन्हें जनपदों में किसी भी योजना के तहत फंडिंग नहीं हो पाती, ऐसे प्रोजेक्ट्स को मुख्य सचिव कोष से फंडिंग की जाती है। बैठक के दौरान अधिकतर प्रस्तावों को विभागीय बजट से ही स्वीकृति मिली।

मुख्य सचिव ने कहा कि पूर्व में स्वीकृत प्रस्तावों की प्रगति को पीएम गतिशक्ति पोर्टल पर लगातार अपलोड किया जाए। उन्होंने कहा कि पीएम गति शक्ति में लगातार इन प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिन विभागों के प्रस्ताव डीपीआर, टीएसी अथवा डीएफसी स्तर पर अटके हैं, उनकी लगातार मॉनिटरिंग कर योजनाओं में तेजी लाई जाए।

इस अवसर पर मुख्य सचिव ने अधिकारियों को सभी पुराने एवं नए बनाए जाने वाले सरकारी भवनों में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाने की संभावनाओं को तलाशते हुए प्रस्ताव तैयार किए जाने के निर्देश दिये। उन्होंने दिव्यांगजनों हेतु टॉयलेट्स के लिए भारत सरकार द्वारा संचालित योजना का लाभ लेते हुए सभी जनपदों में सार्वजनिक टॉयलेट्स में दिव्यांगजनों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने के भी निर्देश दिये।

इस अवसर पर सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी, डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, सी. रविशंकर, एच. सी. सेमवाल एवं अपर सचिव रोहित मीणा सहित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

एसीएस रतूड़ी ने की मुख्यमंत्री घोषणाओं की समीक्षा

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने महिला एवं बाल विकास विभाग को जनपदों में सुगम एवं सुरक्षित स्थानों पर ही महिला छात्रावासों को स्थापित करने, सभी वर्किंग वूमेन हॉस्टल में बच्चों के लिए अनिवार्यतः क्रैश बनवाने, सभी सैनेटरी नैपकिन वैण्डिंग मशीनों में पर्याप्त रिफलिंग की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने महिला उत्पीड़न के खिलाफ विशेषकर बालकों को सेंस्टाइज (संवेदीकरण) करने हेतु स्कूल कॉलेज में जागरूकता अभियान चलाने एवं इस सम्बन्ध में विभाग को गाइडलाइन्स बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी पार्कों में एक हिस्सा अनिवार्यतः बच्चों के क्रीड़ा स्थल के रूप विकसित करने तथा पार्कों को इंटिग्रेटेड क्रीड़ा स्थल के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए हैं।

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं की प्रगति की समीक्षा सचिवालय में की। आज की बैठक में कृषि एवं कृषक कल्याण, महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास, सैनिक कल्याण, परिवहन, नागरिक उड्डयन, तकनीकी शिक्षा एवं औद्योगिक विकास विभाग से सम्बन्धित घोषणाओं की प्रगति की समीक्षा की गई।

एसीएस रतूड़ी ने सभी विभागों को अपूर्ण घोषणाओं के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में अद्यतन स्थिति को मुख्यमंत्री घोषणा पोर्टल पर समय से अद्यतन करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं प्राथमिकता से पूरा करने एवं तकनीकी कारणों से हस्तान्तरित एवं विलोपित की जाने वाली घोषणाओं को जल्द से जल्द अपडेट करने के भी निर्देश दिए हैं। एसीएस ने तकनीकी शिक्षा विभाग को टीएचडीसी-आईएचईटी को आईआईटी रूड़की का हिल कैम्पस बनाए जाने के सम्बन्ध में भारत सरकार को तत्काल प्रस्ताव भेजने के भी निर्देश दिए हैं।

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जानकारी दी गई कि राज्य के प्रत्येक जनपद मुख्यालय पर अध्ययनरत छात्राओं की शिक्षा को सुगम एवं सुविधाजनक बनाने हेतु एक-एक महिला छात्रावास के निर्माण के सम्बन्ध में तथा राज्य में आवश्यकतानुसार जनपद मुख्यालयों पर कामकाजी महिला छात्रावास के निर्माण हेतु विभाग द्वारा महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्रालय नई दिल्ली को वित्तीय एवं भौतिक स्वीकृति हेतु पत्र प्रेषित किया गया है। जी रैया चेली जागी रैया नौनी योजना के तहत जनपदों में 14-18 वर्ष की बालिकाओं को टीएचआर दिया जा रहा है। जी रैया चेली जागी रैया नौनी के तहत 11 से 18 वर्ष की किशोरियों को सेनेटरी नैपकीन उपलब्ध करवाने हेतु प्रत्येक आंगनबाड़ी केन्द्रो में सेनेटरी नैपकीन वेण्डिंग मशीन स्थापना हेतु 10 करोड़ की धनराशि निर्गत की जा चुकी है। सेनेटरी नैपकिन वैंडिंग मशीन जीईएम के माध्यम से क्रय कर जनपद देहरादून और ऊधमसिंह नगर में आपूर्ति की जा चुकी है। अन्य जनपदों हेतु कार्यवाही गतिमान है।

बैठक में कृषि एवं कृषक कल्याण, महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास, सैनिक कल्याण, परिवहन, नागरिक उड्डयन, तकनीकी शिक्षा एवं औद्योगिक विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सार्वजनिक सम्पत्तियों का अधिकतम और बेहतर उपयोग किया जा सकेः मुख्य सचिव

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने गुरुवार को सचिवालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों के साथ कार्यालय अवधि के उपरान्त सार्वजनिक संपत्तियों को नागरिकों के उपयोग हेतु उपलब्ध कराए जाने के सम्बन्ध में अब तक हुयी प्रगति की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि सार्वजनिक सम्पत्तियों का अधिकतम और बेहतर उपयोग किया जा सके इस उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है। इससे सामुदायिक विकास, सांस्कृतिक गतिविधियों और सामाजिक क्रियाकलापों को बढ़ावा मिलेगा।

मुख्य सचिव ने कहा कि परिसम्पत्ति का स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप अधिकतम उपयोग हो सके इसके लिए जिला स्तर पर इस हेतु बनायी गयी समिति द्वारा निर्णय लिया जाएगा, इसके लिए समिति में प्रबुद्ध नागरिकों को शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रबुद्धजनों के एक समूह को तैयार किया जाए, जिनकी मासिक अथवा त्रैमासिक बैठक आयोजित की जा सकती है। इस बैठक में क्षेत्र के विकास और इन सम्पत्तियों के अधिकतम उपयोग के लिए सुझाव प्राप्त हो सकेंगे।

मुख्य सचिव ने कहा कि इन सार्वजनिक सम्पत्तियों के उपयोग के लिए कोई शुल्क रखा जाएगा या नहीं इस सम्बन्ध में जिला स्तरीय समिति को ही अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इन सार्वजनिक सम्पत्तियों का शुल्क कितना होना चाहिए? होना चाहिए या नहीं होना चाहिए इसका निर्णय भी समिति द्वारा लिया जा सकेगा। इन सम्पत्तियों से प्राप्त शुल्क का कुछ हिस्सा उस सम्पत्ति के रखरखाव के लिए ही खर्च किया जाएगा। इस सम्बन्ध में शासनादेश जारी किया जा चुका है। जिसमें अभी आने वाले समय में सुधार किया जा सकेगा।

मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों से इस सम्बन्ध में अब तक की प्रगति की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि जिन सम्पत्तियों की जानकारी प्राप्त हो चुकी है, उनके लिए समिति की बैठक शीघ्र आयोजित की जाए। कहा कि सभी परिसम्पत्तियों की पूर्ण जानकारी आने का इंतजार न किया जाए, जिसकी जानकारी आ गयी उसके लिए समिति की बैठक आयोजित कर निर्णय ले लिया जाए। प्रत्येक सम्पत्ति की अपनी अलग परिस्थिती है, इसलिए स्थानीय परिस्थिती के अनुरूप सबके लिए अलग अलग निर्णय लिया जाए। एक पॉलिसी बनाकर सब पर लागू करने से उस परिसम्पत्ति का अधिकतम उपयोग नहीं किया जा सकेगा।

मुख्य सचिव ने इसका उद्देश्य बताते हुए कहा कि सार्वजनिक सम्पत्तियाँ नागरिकों के टैक्स के पैसे से ही तैयार की जाती हैं। इन परिसम्पत्तियों को नागरिकों के व्यापक उपयोग में लाकर प्रभावी उपयोग किया जा सकेगा, जिससे सामुदायिक विकास और नागरिक भागीदारी के लिए एक समावेशी वातावरण बनाया जा सकेगा।

इस अवसर पर अपर सचिव सी. रविशंकर, आशीष श्रीवास्तव, विनीत कुमार एवं योगेन्द्र यादव सहित सभी जनपदों से जिलाधिकारी एवं अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

केंद्रीय भंडारण का उत्तराखंड सचिवालय में खुला आउटलेट, बाजार दर से 35 प्रतिशत सस्ते में मिलेगा ब्रांडेड सामान

उत्तराखंड राज्य कर्मचारी कल्याण निगम व केंद्रीय भंडार (भारत सरकार) का संयुक्त उपक्रम, का सचिवालय में आउटलेट का शुभारंभ सहकारिता मंत्री डा. धन सिंह रावत ने आज मंगलवार शाम को किया।

डॉ रावत ने इस अवसर पर कहा कि सचिवालय के कर्मचारियों और अधिकारियों को ब्रांडेड सामान 25 प्रतिशत से लेकर 35 प्रतिशत तक सस्ता मिलेगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय भंडार भारत सरकार, रेलवे, एम्स, ओएनजीसी तथा अन्य उच्च संस्थानों में ब्रांडेड सामान की आपूर्ति करता है। देहरादून के सचिवालय में इसकी आवश्यकता को पूरा करने के लिए सचिव सहकारिता को निर्देश दिए गए थे। उन्होंने केंद्रीय भंडार भारत सरकार से वार्ता कर तथा सचिवालय के अधिकारियों से जगह उपलब्ध करानी सुनिश्चित की, जिससे अब सचिवालय कर्मचारियों और अधिकारियों को सचिवालय में ही उन्हें ब्रांडेड सामान सस्ते दाम में मिल जाएगा।

सहकारिता मंत्री डॉ रावत ने कहा कि सहकारिता एक मजबूत और आधुनिक व्यवस्था है जो समृद्धि और संगठित विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इस विचार को ध्यान में रखते हुए, उत्तराखंड राज्य कर्मचारी कल्याण निगम ने एक नया प्रयास किया है – उत्तराखंड सचिवालय में आउटलेट्स को शुरू करना।

उन्होंने कहा, आउटलेट्स में ब्रांडेड सामान के साथ-साथ सहकारिता विभाग द्वारा सहित महिला समूहों द्वारा जो चीजें बनाई जाती हैं, वह सामग्री भी मिलेंगी। जिनसे महिला और ग्रामीण क्षेत्रों के सदस्यों को आर्थिक लाभ भी पहुंचेगा।

डॉ रावत ने कहा कि यह आउटलेट्स समय की बचत भी करेगा। कर्मचारियों को यहां पर्याप्त समय मिलेगा ताकि वे अपने परिवार और स्वास्थ्य के लिए प्राथमिकता दे सकें। उन्होंने कहा यहाँ मिलेट्स भी मिलेगा। राज्य में मिलेट्स की डिमांड बढ़ रही है।

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस अवसर पर कहा कि सहकारिता आउटलेट खुलने से सचिवालय में एक नई पहल हुई है, इससे महिलाओं को अधिक सुविधा होगी , वह सरकारी काम निबटा कर एक जगह सभी सामान सस्ते दरों में उपलब्ध कर सकेंगी। उन्होंने सहकारिता विभाग के सचिव डॉक्टर बीवीआरसी पुरुषोत्तम व निबंधक सहकारिता आलोक कुमार पांडेय से कहा कि वह इस तरह के आउटलेटस राज्य के प्रत्येक जनपद में खुलवाने का प्रयास करें।

सचिव सहकारिता डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी का धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने आउटलेट के लिए सचिवालय के अंदर जगह दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। इस तरह के आउटलेट जनपद में खोले जाएंगे।
उन्होंने कहा सहकारिता आउटलेट्स न केवल सहकारिता समूहों की मजबूती को बढ़ाने में मदद करेंगे, बल्कि ये सामाजिक और आर्थिक विकास की मुख्य दिशा होंगे। इन आउटलेट्स से सामग्री सस्ते मूल्यों पर उपलब्ध होगी, जिससे न्याय पंचायत पर महिला समूह और स्वयं सहायता समूह और ग्रामीण समुदायों की आर्थिक हालत आदर्श होगी।

निबंधक सहकारिता आलोक कुमार पांडेय ने कहा कि रेशम फेडरेशन नवरात्रों में सचिवालय में सिल्क एग्जीबिशन लगाई जाएगी और उसमें सचिवालय के कर्मचारी और अधिकारियों को डिस्काउंट दिया जाएगा उन्होंने कहा कि रेशम फेडरेशन ने गत वर्ष 10 ल
लाख रुपए का मुनाफा कमाया है। उत्तराखंड का रेशम अन्य प्रदेशों में भी चमक रहा है।

राज्य कर्मचारी कल्याण निगम की अधिशासी निदेशक ईरा उप्रेती ने सभी अतिथियों का धन्यवाद देते हुए कहा कि आउटलेट में क्वॉलिटी मेंटेन की जाएगी। मिलेट्स उत्पाद को प्राथमिकता दी जाएगी।

इस मौके पर सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुनील लखेड़ा महासचिव राकेश जोशी व एससीएसटी फेडरेशन के अध्यक्ष करमराम ने आउटलेट की तरह मंत्री डॉ रावत से सचिवालय परिसर में ब्लड कलेक्शन सेंटर व फिजियोथैरेपी मशीन लगाने की मांग की। इस अवसर पर केंद्रीय भंडार के एमडी मुकेश कुमार, डिविजनल मैनेजर प्रवीण कुमार राज्य कर्मचारी कल्याण निगम के एजीएम शोभित श्रीवास्तव सहित सचिवालय के करीब 150 अधिकारी, कर्मचारी मौजूद थे। सचिव सहकारिता डॉक्टर बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने आउटलेट से 652 रुपए का सामान खरीद कर इसकी शुरूआत की। इससे पूर्व मंत्री डॉ रावत व अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने रिबन काटकर इस आउटलेट का शुभारंभ किया।

सीएम बोले, सचिवालय में नई कार्य संस्कृति से कार्य हो

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में सुराज, सुशासन, सरलीकरण एवं समाधान’ के संबंध में अनुभाग अधिकारियों के साथ चर्चा बैठक में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सचिवालय प्रदेश का दर्पण है। यहीं से प्रदेश की दशा, दिशा एवं व्यवस्थाओं का नीति निर्धारण होता है। अनुभाग अधिकारी सचिवालय की महत्वपूर्ण कड़ी में शामिल होते हैं। चर्चा के दौरान अनुभाग अधिकारियों द्वारा अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये। मुख्यमंत्री ने कहा कि सचिवालय में नई कार्य संस्कृति से कार्य हो, कार्यों के सफल संचालन के लिए अनुभागों में हर संभव सुविधा दी जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुभागों में इस बात का विशेष ध्यान दिया जाए कि आमजन की समस्याओं के समाधान के लिए पत्रावलियों पर सकारात्मक नोटिंग हो। सचिवालय से लोगों को बहुत अपेक्षाएं होती हैं। पत्रावलियों पर सबके दृष्टिकोण अलग हो सकते हैं, इनके निस्तारण के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण से हम अपना क्या योगदान दे सकते हैं, इस पर ध्यान दिया जाए। जनहित से जुड़ी किसी पत्रावली पर जब सकारात्मक निस्तारण होता है, तो इसका लाभ समाज के अंतिम पंक्ति पर खड़े लोगों को मिलता है। समाज के इन अंतिम पंक्ति के लोगों को ध्यान में रखते हुए कार्यों को आगे बढ़ाना होगा। जिन कार्मिकों को सचिवालय में सेवा करने का अवसर मिला है, उन पर अपने सकारात्मक दृष्टिकोण से अनेक लोगों का जीवन परिवर्तन करने का अवसर भी होता है। भगवान द्वारा दिये गये इस अवसर का लाभ जनहित के कार्यों से अवश्य लें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बेहतर कार्यप्रणाली के लिए अनुभाग अधिकारियों को साल में एक बार प्रशिक्षण अवश्य दिया जाए। इसके अलावा जो अनुभाग अधिकारी कार्यों के बेहतर संपादन के लिए कोई अन्य प्रशिक्षण लेना चाहते हैं, उसकी भी व्यवस्था की जाए। अनुभाग अधिकारियों को जो अनुभाग दिये जाते हैं, उनसे संबंधित कार्यों की उन्हें बेहतर जानकारी हो, इसके लिए उन्हें कुछ दिन संबंधित विभाग के एचओडी ऑफिस में भेजा जाए, ताकि वे विभागों की कार्यप्रणाली को अच्छी तरह समझ पायें। सचिवालय में जो भी फरियादी आते हैं, उनका सही मार्गदर्शन हो, इसके लिए हैल्प डेस्क भी बनाया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सचिवालय में कार्यों के बेहतर क्रियान्वयन के लिए अनुभागों में सभी मुलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि सचिवालय परिसर में स्वच्छता के साथ ही शौचालयों की अच्छी व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड को देश का अग्रणी राज्य बनाने में सबका सहयोग जरूरी है। सबके सामूहिक प्रयासों से राज्य का समग्र विकास किया जायेगा।
मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने कहा कि किसी भी पत्रावली की शुरूआती नोटिंग बहुत महत्वपूर्ण होती है। फाइल में नोट लिखते समय उसमें नियम का उल्लेख जरूर किया जाए। कुछ ऐसे प्रस्ताव होते हैं, जो जनहित की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे प्रस्तावों में शुरूआती चरण से ही नोटिंग बहुत अच्छी तरह लिखी जाए। ऐसे प्रस्तावों में यदि कहीं नियमों में स्पष्ट उल्लेख न हो तो, इसका सकारात्मक समाधान क्या है, वह भी नोट में लिखा जाए। पत्रावलियों के निस्तारण से अधिक ध्यान उनके निस्तारण के लिए सकारात्मक नोट लिखने पर दिया जाए। उन्होंने कहा कि समय-समय पर अनुभाग अधिकारियों को फील्ड विजिट भी करवाया जायेगा। मुख्य सचिव ने कहा कि जनहित की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रकृति की फाइलों का पहले निस्तारण किया जाए।

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि कोई भी पत्रावली परामर्शी विभागों को भेजने से पूर्व यह सुनिश्चित किया जाए कि उसकी नोटिंग में परामर्श बिन्दु का स्पष्ट उल्लेख हो। उन्होंने कहा कि ई-आफिस प्रणाली पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बैठकों के लिए अब ई-फाईल, ई-मेल एवं व्हाट्सएप के माध्यम से संबंधित अधिकारियों को सूचना दी जायेगी।

इस अवसर पर अनुभाग अधिकारियों ने भी अपने सुझाव दिये। अनुभाग अधिकारियों ने सुझाव दिया कि यदि कोई पत्रावली अनुभाग से अनु सचिव, उप सचिव एवं संयुक्त सचिव स्तर तक जाती है और उसमें उनके द्वारा कोई आपत्ति लगाई जाती है, तो वह पत्रावली वापस अनुभाग में भेज दी जाती है। वह पत्रावली उस स्तर से अपर सचिव एवं सचिव स्तर पर जानी चाहिए। जिस अधिकारी को फाईल नोटिंग में वार्ता लिखा जाता है, उच्च स्तर पर वही अधिकारी वार्ता के लिए जाए। फाइलों के त्वरित निस्तारण के लिए कार्यों को टाइम बाउंड करने का सुझाव भी अनुभाग अधिकारियों द्वारा दिया गया।

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